चैप्टर -1, ठाकुर कि शादी, अपडेट -7
गांव विषरूप, ठाकुर कि हवेली मे
भूरी काकी मदहोशी,उत्तेजना, डरी हुई अपने स्तन और चुत पे हाथ रखे तीन मर्दो के बीच खड़ी थी,
सभी भावनाये मिक्स हो रही थी, उत्तेजना से चुत टपक रही थी, निप्पल रगड़े जाने कि वजह से खड़े थे. और अब क्या होगा, बरसो कि इज़्ज़त मिट्टी मे मिल जायगी ये सोच के दिल धाड़ धाड़ कर धड़क रहा था सीना फट जाने पे आमादा था.
बिल्लू और रामु भूरी को अपने सामने नंगा खड़ा देख डर जाते है कि अब क्या होगा कही ठाकुर साहेब को ना कह दे,
भूरी :- ये क्या कर रहे हो तुम लोग? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? मुझे काकी बोलते हो तुम लोग.
जैसे तैसे खुद को संभाले अपनी इज़्ज़त बचाने के संघर्ष मे बोल गई भूरी.
कालू अभी तक शांत खड़ा था और आराम से दारू चूसक रह था, वही बिल्लू और रामु के चेहरे पे हवाईया उडी हुई थी.
कालू:- काकी आपको जो भी काकी बोलता है वो नीरा बेवकूफ है, कपडे के बाहर से कभी आपको देखने का मौका ही नहीं मिला.लेकिन अंदर से तो आप किसी जवान लड़की को भी मात दे दे...
भूरी कालू के मुँह से ऐसी तारीफ सुन सिसकरती है जो कि बहुत धीमी थी उसने अभी तक अपना पेटीकोट उठाने कि कोई जहामात नहीं उठाई थी
बिल्लू, कालू कि ऐसी हिम्मत देख के दंग रह जाता है, और थोड़ा हौसला रख के बोल देता है
" वैसे काकी आप इतनी रात गये अँधेरी तूफानी रात मे अर्धनग्न अवस्था मे क्या कर रही थी "
जिस बात का डर था वही हुआ भूरी बिल्लू कि बात सुन के शर्म से मरी जाती है उत्तेजना दबने लगती है.
कोई जवाब नहीं था...
भूरी :- वो वो .... मै मै..... वो मै.. हाँ... मै
कालू :- रहने दो काकी आपके पास कोई जवाब नहीं है शायद आप इस चीज कि तलाश मे थी?
ऐसा बोल के कालू अपनी धोती खोल फेंकता है. उसका नाग कि तरह फनफ़नाता लंड भूरी कि आँखों के सामने झलक पड़ता है.
भूरी पुरे 30 साल बाद लंड देख रही थी, वो भी बड़ा भारी मोटा 8इंच का लंड.
वो इसी के लिए तो तरसती थी यही तो वो खजाना था जिसे पा लेने कि चाह लिए ही लोकी तोड़ने चली थी.
भूरी कि चुत रुपी सुखी नदी मे बरसाती मौसम मे बाढ़ आ गई थी....
वो कुछ भी बोलने सुनने कि शक्ति खो चुकी थी.
कालू कि हिम्मत देख रामु बिल्लू दंग रह जाते है, वो भूरी कि तरफ देखते है तो पाते है कि भूरी एकटक कालू के झुलते इठलाते लंड को घूरे जा रही थी, उसकी छाती मारे हवस के ऊपर नीचे हो रही थी.
भूरी कि उत्तेजना और इज़्ज़त मे संघर्ष का अंत हो चूका था, इज़्ज़त शर्म पे हवस, कामवासना कि विजय हुई थी.
कालू :- क्यों काकी कैसा लगा? हम भी प्यासे है काकी
ऐसा बोल के कालू भूरी के नजदीक पहुंच के ठीक सामने खड़ा हो जाता है.
इतना पास कि जिस हाथ से भूरी ने चुत छुपा रखी थी उस हाथ पे कालू का लंड टकरा रहा था, जैसे मकान का मालिक अपने घर मे घुसने के लिए दरवाज़ा पिट रहा हो...
कालू कि सांसे दारू भरी सांसे सीधा भूरी के नाथूनो पे हमला कर रही थी.
भूरी इतना कुछ एक साथ होने से सिहर जाती है उसके हाथ पे लंड कि चुभन महसूस ही रही थी लगता था जैसे हथेली को पिघला के चुत मे घुस जायेगा.
शराब भरी सांसे भूरी को मदहोशी के कुएँ मे धकेल रही थी.
वो ये सब सहन नहीं कर सकती थी... आअह्ह्ह.... करती गर्म सांस छोड़ के आंखे बंद कर लेती है.
गर्म साँसो का भभका कालू अपने काले भद्दे होंठो पे पड़ते ही उसका लंड जोर जोर से चुत का दरवाजा खटखटाने लगता है.
बिल्लू रामु बैठे बैठे ये दुर्लभ दृश्य देख रहे थे उनके लोडे वापस बगावत पे उतर आये थे.
दोनों ही एक साथ खड़े हो जाते है और अपनी धोती निकाल फेंकते है.. अब हमाम मे सब नंगे थे.
भूरी अभी भी आंखे बंद किये आने वाले पल कि प्रतीक्षा कर रही थी.
तभी कोई गीली लपलापती चीज उसे अपने सूखे होंठो पे महुसूस होती है वो अपनी आंखे खोल देखती है कि कालू अपनी जबान से उसकी फड़फड़ाते होंठो को चाट रहा था, जैसे कोई सांप अपने शिकार से खेलना चाहता हो.
भूरीअब शर्म और इज़्ज़त का टोकरा पूरी तरह उतार फेंक देना चाहती थी, जिस चीज का 30 साल से इंतज़ार था वो आज कर लेना चाहती थी उसका बदन तो कबका शर्म छोड़ चूका था.
कालू धीरे धीरे भूरी के होंठ चाट रहा था उसे कामुक रस पिने कि अनुभूति हो रही थी, कालू थोड़ा पीछे हटता है तो भूरी कि नजर कालू के पीछे खड़े बिल्लू और रामु पे पड़ती है दोनों ही पूर्णतया नंगे खड़े थे अपना मोटा काला लंड पकड़े, भूरी को बता देना चाहते थे कि हम किसी से कम नहीं.
ऐसा विहंगम नजारा देख के भूरी कि चुत छल छला जाती है उसे महुसूस होता है कि हज़ारो चीटिया उसकी चुत मे चल रही हो.
अब हवस ऐसी सवार हुई कि भूरी कुछ भी कर सकती थी उत्तेजना इतनी बढ़ गई थी कि बदन जलने लगा था, बिल्लू रामु भी आगे बढ़ के भूरी का हाथ पकड़ उसके स्तन से हटा देते है और अपने लंड पे रख देते है.
एक बार को तो भूरी हाथ पीछे खींच लेती है परन्तु वो भी ये मौका नहीं गवाना चाहती थी वो अब अपने होश मे नहीं थी स्वतः ही उसके हाथ बिल्लू रामु के लंड पे चले जाते है....
आअह्ह्हम... कितना गरम अहसास था ऐसा सुकून कभी नहीं मिला उत्तेजना से प्रेरित हो कर दोनों हाथ दोनों के लंड पे आगे पीछे होने लगते है
रामु बिल्लू भी मदहोशी मे अपने हाथ भूरी के स्तन पे रख सहलाने लगते है.
भूरी कि तो हालात ही ख़राब थी दोनों उसके निप्पल को नोच रहे थे कभी पुरे स्तन को जोर से दबा देते थे.
भूरी के मुँह से रह रह के सिसकारी निकले जा रही थी....
इतने मे कालू अपने घुटने के बल बैठ जाता है और सीधा फूली हुई चुत के सामनेबैठा घूरे जा रहा था.
अब कालू अपनी जीभ निकाल के भूरी कि साफ चिकनी मादकता से भीगी चुत पे रख देता है.... आअह्ह्ह..... भूरी सिहर उठती है पसीना छूट पड़ता है दोनों हाथ से रामु बिल्लू के लंड जोर से कस लेती है सिसकारी के साथ ही तीनो नीचे कालू कि तरफ देखते है, कालू लपा लप जीभ से चुत चाटे जा रहा था उसकी पूरी कोशिश थी कि वो लकीर के अंदर जीभ घुसा सके परन्तु भूरी के खड़े होने के कारण ऐसा संभव नहीं था.
रामु बिल्लू चुत चटाई देख कर उत्तेजना मे जोर जोर से भूरी के स्तन को मसलने लगते है
हमला तीन तरफा था भूरी अपना सर दिवार के सहारे पटक लेती है.
उसकी चुत कालू के थूक से भर गई थी, कालू लगातार जीभ को लकीर मे चलाये जा रहा था मानो कोई सुखी नदी है जिसे खोद खोद के पानी निकाल देगा उसकी मेहनत रंग भी ला रही थी भूरी कि चुत लबालब कामरस से भर गई थी नदी कभी भी अपना बांध तोड़ के बह सकती थी....
थोड़ी खुदाई और करनी थी कालू को...
इतने मे बिल्लू अपना होंठ भूरी के निप्पल पे रख उसे दाँत से पकड़ के खींच देता है, नीचे लगातर होती चुत चटाई से भूरी बेहाल थी अब नहीं अब नहीं...... कालऊऊऊ.....
आह्हःम्म.. आआहहहह.... मै गई
इसी के साथ सब्र का बांध टूट पड़ा भूरी कि छोटी सी फूली हुई चुत से पानी छलछला उठा, ऐसे भरभरा के झड़ी जैसे उसकी आत्मा ही चुत से बाहर निकल गई हो.
कालू का पूरा मुँह चिपचिपे पानी से गिला हो गया जो कि उसके लिए अमृत सामान था वो अभी भी चुत चाटे जा रहा था पूरी नदी का पानी एक बार मे ही पी जाना चाहता था...
आअह्ह्ह..... कर के एक धार और सीधा कालू के मुँह मे मार देती है और वही बिल्लू रामु का लंड पकड़े पकड़े ही झूल जाती है उसके प्राण चुत के रास्ते निकल गये प्रतीत होते थे.
ये स्सखलन 30 सालो से जमा था भूरी कि चुत मे.
तेज़ तेज़ सांस लेती भूरी निढाल पड़ी थी..
बिल्लू :- अबे कालू कही मर तो नहीं गई ये.
कालू :- साले उल्लू का पट्ठा कभी लड़की नहीं चोदी क्या, काकी जैसी कामुक औरत ने आज अपना अमृत बहाया है.
ऐसी औरते मर्दो को मारा करती है मरा नहीं करती.
भूरी कालू के मुँह से अपनी कामुकता कि तारीफ सुन मुस्कुरा पड़ती है.
वो भी अब इस खेल मे शामिल हो जाना चाहती थी.
भूरी :- सही कहाँ कालू तुमने ये कामरस मे पिछले 30 सालो से ले के घूम रही हूँ, कभी शर्म से बोल ही ना सकी.
लेकिन मुझे पता नहीं था कि बेशर्मी मे ज्यादा मजा है.
ऐसा बोल के भूरी पास खड़े बिल्लू के लंड को पकड़ के सहलाने लगती है.... बिल्लू कराह उठता है क्या कोमल हाथ है, रामु भी अपना नंगा लंड भूरी के मुँह के नजदीक ले आता है. भूरी झड़ने के बाद भी गरम थी रामु के लंड से आती खुशबू उसे वापस से मदहोश करने लगी.
भूरी अपना मुँह मे रामु का मोटा लंड भर लेती है, ऐसा करने से भूरी थोड़ा आगे को झुक जाती है जिस कारण उसकी गांड ऊपर को उठ जाती है
तीनो पहली बार भूरी कि गांड देख रहे थे, क्या गांड थी बिल्कुल गोरी चिकनी फैली हुई.
गांड के बीच रास्ते पे एक महीन सा छेद था
जो गांड कि खूबसूरती मे चार चाँद लगा रहा था. तीनो ही ऐसे दुर्लभ दर्शन पा के हैरान रह जाते है.
रामु :- वाह काकी क्या गांड है आपकी इतनी गोरी गांड हमने कभी नहीं देखि.
भूरी सिर्फ मुस्कुरा देती है अपनी तारीफ पे.. शर्माहाट उत्तेजना मे गांड का छेद खुल बंद होने लगता है.
ये देख के तीनो घनघना जाते है, कालू से अब सब्र नहीं होता वो तुरंत भूरी के पीछे जा के गांड के पास बैठ जाता है और किसी भूखे कुत्ते कि तरह जीभ लप लपाता भूरी कि गांड पे टूट पड़ता है.
लप लप कर के चाटने लगता है, उसके अंदर का जानवर बाहर आ रहा था.
भूति इस आक्रमण से चौक जाती है और आवेश मे आ के बिल्लू के लंड को जोर से मुँह मे पकडे दबा देती है...
बिल्लू :-आहहहह..... काकी मार दिया.
भूरी जो इतने सालो बाद मर्दो के स्पर्श का आनंद ले रही थी उसके अंदर कि कुतिया जाग चुकी थी वो सिर्फ चुदना चाहती थी, पीछे लगातार कालू गांड मे मुँह मारे जा रहा था.
भूरी अतिउत्तेजना मे आ के रामु का लंड भी मुँह के करीब ले आती है वो साथ मे दोनों लंडो को मुँह मे ठूस लेने कि कोशिश करती है.
ऐसा रंडिपन, ऐसी कामुकता देख के तीनो हक्के बक्के थे. इतनी उम्र मे भी ऐसी गर्मी... लपालप दोनों के लंड को भूरी चाटे जा रही थी पीछे अपनी गांड हिला हिला के कालू के मुँह पे मार रही थी.
वासना पूरी तरह हावी हो चुकी थी, कालू कभी जीभ से चाटता तो कभी अपने होंठो मे भर के छेद को अंदर ही अपनी जबान से चुभलाता,
कालू के ऐसे कामुक अंदाज़ से भूरी घनघना जाती है फिर भी नहीं बोल पाती कि मुझे चोदो जबकि तीनो सिर्फ उसके बदन से खेल रहे थे.
उन्हें इसमें ही आनंद आ रहा था, बहुत दिन बाद कोई औरत मिली थी वो भी भूरी जैसी कामुक हवस से भरी औरत पुरे आनंद से खेलना था सम्भोग का पूरा आनंद उठाना था.
भूरी कि गांड थूक से बिल्कुल गीली हो चुकी थी कालू का थूक गांड कि लकीर से रिसता हुआ नीचे झरने बहती चुत से जा के मिलन कर रहा था.... कामरस और थूक दोनों नीचे टपक टपक कर जाँघ के रास्ते रिस रहे थे.
भूरी से अब रहा नहीं जाता वो अपना एक हाथ पीछे ले जाती है और चुत को बेरहमी से मसलाने लगति है, उसे अपनी चुत से दुश्मनी थी वो उसे नोच के निकाल फेंक देना चाहती थी. घुटी घुटी सी सिसकारी उसके मुँह मे गु गु गुम... कि आवाज़ के साथ निकाल रही थी...
रामु भूरी को चुत सहलाते देख उसका हाथ पकड़ लेता है " काकी हमारे रहते खुद आपको ही रगड़नी पड़े तो हमारा जीना व्यर्थ है.
चाटक के साथ एक हाथ उसकी बहती चुत पे मार देता है, भूरी उछल पड़ती है.
आअह्ह्ह.... रामु क्या कर रहे हो.
एक और चटाक.... पड़ती है चुत पे...
आह्हः.... रामु..... आहहहह.... लेकिन इस बार सिसकारी के अलावा कुछ नहीं निकलता उसके मुँह से.
दो चार और थप्पड़ चुत पे पढ़ने से भूरी मदमस्त हाथनि कि तरह हो जाती है जिसे काबू करना तीनो के लिए मुश्किल होने वाला था.
अभी इस हथनि पे अंकुश नहीं लगाया तो बात हाथ से निकल जाएगी.
कालू भी भूरी कि गर्मी, बैचैनी से इधर उधर गांड हिलाती भूरी कि हालत समझ रहा था.
अब उसे आगे बढ़ना ही था....कालू अपना सूखा लंड एक बार मे ही थूक से गीली गांड मे एक ही बार मे जड़ तक डाल देता है...
आआहहहह...... चिहुक पड़ती है भूरी. जैसे किसी ने गर्म मोटी सलाख गांड मे जड़ तक उतार दि हो. हवस और दर्द से आंखे बंद कर आगे कि और गिरने लगती है.
ये पहला मौका था कि गांड मे कुछ गया था, चुत मे तो खुद ही कुछ ना कुछ डालती ही रहती थी. दर्द बर्दाश्त के बाहर था.... निढाल हो वो सर आगे जमीन पे रख देती है परन्तु कालू पीछे से गांड मजबूती से पकडे रखता है..
धचा धच धचा धच... बिना रहम के कालू गांड मारे जा रहा था, भूरी सिसकती जा रही थी अभी भी जोर से बिल्लू का लंड पकडे हुई थी.
रामु बिलकुल हैरानी से इस कामुक चुदाई को देख रहे थे, क्या गांड थी.... हर धक्के के साथ हिल जाती थी. हिल हिल के रामु बिल्लू को बुला रही थी कि तुम क्यों खाली बैठे हो? आओ तुम भी चोदो मुझे.
रामु एक हाथ भूरी के जलते बदन के नीचे दबे बड़े बड़े गोल स्तन पे रख देता है और तेज़ी से मसलने लगता है.
इस मर्दन से भूरी वापस से उत्तेजना हवास के आगोश मे जाने लगी और वापस से कुतिया बन जाती है, बिल्लू उसे सहारा दे के वापस उसके मुँह मे लंड डाल के धचा धच पेलने लगता है.
मुँह गांड दोनों भरे हुए थे, भूरी मादकता के चरम पे थी, यही मौका था रामु भूरी के जलते बदन के नीचे सरक जाता है और स्तन को पकड़ अपने मुँह मे ठूस लेता है, चाटता है, काटता है उत्तेजना मे भरा रामु बेरहमी से रगड़ाई चुसाई कर रहा था.निप्पल बिल्कुल सुर्ख लाल हो चुके थे. लगता था जैसे कोई गाय का बछड़ा बहुत बरसो बाद दूध पी रहा है चूस चूस के नोच ही डालेगा.
आअह्ह्ह..... आह्हब..... नोच रामु नोच खा जा इसे... तेरे लिए ही है.
कालू तू गांड फाड़ मेरी और तेज़ कर अंदर ही घुस जा.
बोल के वापस से बिल्लू का लंड गले तक ठूस लेती है
अब रुकना मुश्किल था..... कालू गचा गच लंड मारे जा रहा था
....उसे अब स्सखलित होना था गर्मी बहुत हो गई थी.
आअह्ह्ह... के साथ.... गांड मे वीर्य कि बौछार हो जाती है, पच पीच.... गांड मे गर्मी पाते ही भूरी कि रस बाहती चुत फट पड़ती है..
आहहहह..... उत्तेजना वंश बिल्लू का लंड टट्टो सहित पूरा मुँह मे डाल लेती है बिल्लू ऐसी लंड चुसाई सहन नहीं कर पाता वो भी फट पड़ता है भूरी के मुँह मे ही....
तीनो झाड रहे थे... कालू का वीर्य गांड से निकल के चुत के रास्ते नीचे गिर रहा था. रामु अभी भी दूध पीने मे बिजी था भूरी उस के ऊपर धम से गिर पड़ती है.
जिस वजह से बिल्लू का लंड बाहर निकल जाता है बिल्लू का लंड टट्टो तक पूरा वीर्य और थूक से भरा झूल रहा था.
भूरी लंड को देख के मुस्कुरा रही थी और अपनी सांसे दुरुस्त करने का प्रयास कर रही थी. कालू नाम का गांडफाड़ तूफान भी शांत हो चूका था, कालू कि नजर भूरी कि गांड पे पड़ती है वहाँ अब वो छोटा छेद नहीं था वहाँ गड्डा बन गया था ऐसा गड्डा कोई मेहनती मजदूर ही कर सकता था.
रामु भी भूरी के नीचे पड़ा स्तन चूस रहा था उसका लंड भी अब चरम पे था, भूरी कि चुत रामु के लंड से स्पर्श हो रही थी, भूरी अभी पूरी तरह सम्भली भी नहीं थी कि उसकी कामरस वीर्य से भीगी चुत गर्म सख्त मोटे लंड का स्पर्श पा के फिर कुलबुलाने लगी.... रामु का लंड भूरी के हिलने से फचाक से भूरी कि छोटी सी चुत मे उतर जाता है. भूरी सिर्फ कसमसा के रह जाती है क्युकी उसे रामु ने अपनी मजबूत भुजाओं मे जकड रखा था....
आआ..... हहह.... असीम संतोष कि प्राप्ति हुई थी, भूरी को समझ आ चूका था असली लंड और लोकी बैगन मे कितना अंतर होता है..
पुरे 30 साल बाद चुत ने लंड का अहसाह पाया था, लज्जत से भूरी कि आंखे पलट गई थी, वो विक्षिप्तो कि तरह अपने बाल पकडे सर इधर उधर किये रामु के लंड पे कूद रही थीउसे ये मौका मजा नहीं खोना था.
धपा धप करती भूरी अपनी गांड पटक रही थी एक बार मे पूरा लंड बाहर निकालती और दुगनी रफ़्तार से वापस लंड पे टट्टो के ऊपर कूद पड़ती.
तीनो ही भूरी काकी के इस रूप को देख के दंग रह गये थे.... एक हाथ से सर पकड़े दूसरे हाथ से अपने स्तन नोचती भूरी साक्षात् काम देवी लग रही थी....
बिल्लू जो अभी तक गांड चुत के सुख से अछूता था उसके दिल मे हुक सी मचने लगती है उसका लंड वापस से तन तनाने लगता है. उसका लंड अभी भी वीर्य और थूक से बिल्कुल गिला था.
बिल्लू उछलती भूरी के पीछे आ जाता है और जैसे ही गांड के छेद पे नजर पड़ती है उसका लंड बगावत पे उतर आता है, वहाँ गांड का छेद उसे बुला रहा था, खुल बंद हो रहा था ठीक उसके नीचे रामु का लंड सटा सट अंदर बाहर हो रहा था.
आव देखा ना ताव सीधा अपना मुसल लंड भूरी कि गांड मे धसा देता है.
आअह्ह्ह..... भूरी चीख पड़ती है, लेकिन अब इस चीख मे संतोष, हवस कामवासना शामिल थी दर्द का कोई नामोनिशान नहीं था.
अब भूरी को अपनी मुराद से ज्यादा मिल रहा था कहाँ एक लंड भी नहीं था आज दो दो लंड एक साथ घुसे पड़े थे.
भूरी चीख मारती सिसकारी लेती धचा धच पेली जा रही थी, कमरे पे फच फच.... फचाक का मधुर संगीत गूँजता रहा.
बिल्लू रामु दोनों ही एक साथ लंड बाहर निकालते और एक साथ अंदर जड़ तक़ समा जाते.
दोनों के टट्टे चुत और गांड पे चोट कर रहे थे जिस से मजा दुगना हो चला था भूरी का.....
ये हवस ये कामुकता आज रात रुकने वाली नहीं थी, कब किसने किस छेद मे कितनी देर तक मारा पता नहीं था.
प्रतियोगिता शुरू हो चुकी थी जिसमे भूरी नहीं हारने कि थी आज उसे पुरे 30 साल बाद जीत मिली थी.
इस जीत का उत्साह उसने ना जाने कितनी बार स्सखलित हो के मनाया.....
बाहर बारिश जारी थी और अंदर चुदाई कि प्रतियोगिता.
सुबह हो चुकी थी.
भूरी पूरी तरह वीर्य मे लथपथ कमरे मे तीनो मर्दो के बीच पड़ी थी. उसके बदन के हर छेद से वीर्य टपक रहा था, शरीर का ऐसा कोई भी हिस्सा नहीं बचा था जहाँ भूरी वीर्य रुपी अमृत से अछूती रह गई हो.
बारिश बंद हो चुकी थी हवस का तूफान भी खत्म हो चूका था. सूरज कि पहली किरण भूरी के बदन को नहला रही थी,
उसका पूरा बदन चमक रहा था... नई सुबह के साथ हवस कि भी नई सुबह कि शुरुआत हो चुकी थी 30 साल का वनवास खत्म हो चूका था.
भूरी नंगी ही कमरे से बाहर निकल पड़ती है जाती हुई बस एक बार पलट के देखती है तीनो जमुरे पस्त पड़े हुए थे.
भूरी हवेली कि तरफ निकल पड़ती है.
सुबह कि किरण गांव कामगंज, रामनिवास के घर पे भी नया अध्याय लिख रही थी.
रात भर असलम सो ही नहीं पाए थे, उनके लंड पे रह रह के रतीवती के होंठ का कसाव महुसूस हो रहा था. उनके पैर पे लगे रतीवती के वीर्य को ऊँगली मे लपेट कर रह रह के चाट रहा था.
रतीवती भी असलम के वीर्य का स्वाद पा के फूली नहीं समा पा रही थी एक नई ऊर्जा नये जीवन का संचार हो चूका था. रतीवती नंगी ही सो चुकी थी.
इसी कसमाकस मे सुबह हो चली थी
ठाकुर साहेब भी उठ चूके थे, रामनिवास ठाकुर साहेब के उठने कि ही प्रतीक्षा कर रहा था,
ठाकुर साहेब और असलम ने नाश्ता कर लिया था वो जाने कि तैयारी मे थे... परन्तु असलम और रतीवती के चेहरे उतरे हुए थे. रतीवती इतना कुछ होने के बाद कुछ और पा लेना चाहती थी लगता था उसे इंतज़ार करना पड़ेगा.
असलम भी नये नये अहसास से बाहर निकला भी नहीं था कि उसके वापस जाने कि घड़ी आ गई थी.
रतीवती और रामनिवास ठाकुर साहेब और असलम को छोड़ने दरवाजे पे खड़े थे.
रामनिवास काफ़ी तनाव और चिंता मे खड़ा था.
ठाकुर :- क्या हुआ रामनिवास तुम उदास दिख रहे हो? लगता है तुम इस रिश्ते से ख़ुश नहीं हो
रामनिवास :- नहीं नहीं.... नहीं तो ठाकुर साहेब हम लोग तो बहुत ख़ुश है बस मे ये नहीं समझ पा रहा हूँ कि इतनी सारी तैयारी इतने कम समय मे कैसे हो पायेगी? इतनी जल्दी पैसे का इंतज़ाम कैसे कर पाउँगा मै?
ठाकुर :- हाहाहाहाहा.... रामनिवास बस इतनी सी बात कल ही बता देते ऐसी समस्या थी तो.
ऐसा बोल के वो अपनी जेब से 1000rs निकालते है और रामनिवास के हाथ ने थमा देते है (1957 मे 1000rs लाखो रूपए के बराबर थे)
रामनिवास :- ठाकुर साहेब ये... ये... क्या है? इतने सारे रूपये? रतीवती कि तो आंखे ही चमक उठती है इतना पैसा एक साथ सपने मे भी नहीं देखे थे मियां बीवी ने.
ठाकुर :- रखिये रामनिवास रखिये... अब आप हमारे समधी है, कामवती होने वाली ठकुराइन है ये मामूली रकम है.
और रही तैयारी कि बात तो मै ऐसा करता हूँ डॉ. असलम को 2दिन के लिए यही छोड़ जाता हूँ वो सब प्रबंध कर के वापस विषरूप चले आएंगे. क्यों डॉ. असलम आप कर देंगे ना?
डॉ. असलम कि ये बात सुन के ही फ्यूज उड़ गये थे... रतीवती भी स्तम्भ खड़ी ठाकुर साहेब को देख रही थी जैसे ठाकुर ने रतीवती के मन कि बात सुन ली हो.
डॉ. असल:- मै म.... मै..... ठाकुर साहेब मै.... जैसा आप कहे मै रुक के सारी तैयारी कर दूंगा आखिर आपकी शादी है लगना चाहिए कि इस घर मे ठाकुर ज़ालिम सिंह कि बारात आई है.
खुद को समय रहते असलम संभल चूका था.
इतना सुन ना था कि रतीवती काँप जाती है चुत से पानी छलक जाता है, वो शर्म से मुस्कुरा के सर नीचे कर लेती है.
इस बात का अहसास सिर्फ डॉ. असलम को ही हो पाया था.
फिर ठाकुर साहेब अपने गाड़िवान के साथ विष रूप के लिए निकल जाते है.
पीछे 2 दिन के लिए असलम रामनिवास के घर ही रह जाता है...
कैसी होंगी शादी कि तैयारी?
तैयार रहिएगा ठाकुर कि बारात मे चलने के लिए?
Contd....
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