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एक आज्ञाकारी बहु -9

 अपडेट -9

“हाँ पापा जी, आज जब हम डिनर करके उठ गए तो मैं भी घर का काम समेट कर, मन को पक्का करके लेट गयी थी कि अब आपके साथ वो सम्भोग का रिश्ता फिर से बिल्कुल नहीं बनाना है. लेकिन बहुत देर तक मुझे नींद नहीं आई. जो कुछ सोच रखा था वो सब उड़ गया दिमाग से… मैं वासना की अगन में जलने लगी, मेरा रोम रोम आपको पुकारने लगा और आपका प्यार पाने को, आपके लंड से चुदने को मेरा बदन रह रह कर मचलने लगा. मेरी चूत में बार बार तेज खुजली सी मचती और वो आपके लंड की आस लगाये पानी छोड़ने लगती, थोड़ी देर मैंने अपनी उंगली भी चलाई इसमें पर अच्छा नहीं लगा. pussy-fingering-solo-girl-55 और मैं यूं ही छटपटाती रही बहुत देर तक.”


“कई बार मन ही मन चाहा भी कि आप आओ और मुझ में जबरदस्ती समा जाओ; मैं ना ना करती रहूँ लेकिन आप मुझे रगड़ रगड़ के चोद डालो अपने नीचे दबा के. लेकिन आप नहीं आये. फिर टाइम देखा तो दो बजने वाले थे, मुझे लगा कि ऐसे तो जागते जागते मैं पागल ही हो जाऊँगी. अभी दस रातें साथ रहना है कोई कहाँ तक सहन करेगा ऐसे. अब जो होना है वो होने दो यही सोच कर मैंने अपनी नाइटी उतार फेंकी. ब्रा और पैंटी तो मैंने पहनी ही नहीं थी और नंगी ही आ रही थी आपके पास. उधर से आप भी मेरे पास चले आ रहे थे बिना कपड़ों के…” बहूरानी ने अपनी बात बताई.


बहूरानी के मुंह से चूत लंड शब्द सुनकर मुझे आनन्द आ गया.

“बहूरानी जी, अब तो कोई पछतावा नहीं होगा न?” मैंने पूछा.

“नहीं पापा जी, अब कुछ नहीं सोचना इस बारे में, जो हो रहा है होने दो. आप तो जी भर के लो मेरी. जैसे चाहो वैसे चोदो मुझे, मैं पूरी तरह से आपकी हूँ. लाइफ इस फॉर लिविंग!” बहूरानी खुश होकर बोली और मुझसे लिपट गयी.


“तो लो फिर!” मैंने कहा और उसकी चूत में हल्के हल्के मध्यम रेंज के शॉट्स मारने शुरू किये. 37438

साथ ही दूधिया स्तन का मर्दन करने लगा,

जल्दी ही बहूरानी अपने चूतड़ उठा उठा के जवाब देने लगीं.

उस अंधेरे में स्त्री पुरुष, नर मादा का सनातन खेल चरम पर पहुंचने लगा. बहूरानी मेरे लंड से लय ताल मिलाती हुई चुदाई में दक्ष, पारंगत कामिनी की तरह अपनी चूत उठा उठा के मुझे देने लगी. बहूरानी की चूत से निकलती फच फचफच फचाफच फचा फच की आवाजें, नंगे फर्श पर गिरते उसके कूल्हों की थप थप और उसके मुंह से निकलती कामुक कराहें ड्राइंग रूम में गूंजने लगीं. hot-sex-gif-pov-9480


“पापा जी, जोर से चोदो… हाँ ऐसे ही. अच्छे से कुचल दो मेरी चूत… आह… आह… क्या मस्त लंड है आपका…” बहूरानी अपनी ही धुन में बहक रही थी अब.


अंधेरे कमरे में नंगे फर्श पर चूत मारने का वो मेरा पहला अनुभव था; मेरे घुटने और कोहनी फर्श पर रगड़ने से दर्द करने लगे थे लेकिन चुदाई में भरपूर मज़ा भी आ रहा था. बहूरानी कमर उठा के मेरे धक्कों का प्रत्युत्तर देती और फिर उसके नितम्ब फर्श से टकराते तो अजीब सी पट पट की उत्तेजक ध्वनि वातावरण को और भी मादक बना देती. 207894822f0f94bf74c874ae4a100196e54b2c36


इसी तरह चोदते चोदते मेरे घुटने जवाब देने लगे तो मैंने बहूरानी को अपने ऊपर ले लिया. अब चुदाई की कमान बहूरानी की चूत ने संभाल ली और वो उछल उछल के लंड लीलने लगी. मैंने उसके मम्मे पकड़ लिए और उन्हें दबाने लगा. 676-1000


कोई दो मिनट बाद ही बहूरानी मेरे ऊपर से उतर गई- पापा जी, मेरे बस का नहीं है ऐसे. फर्श पर मेरे घुटने छिल जायेंगे. आप मेरे ऊपर आ जाओ.

वो बोली.

अतः मैंने फिर से बहूरानी को अपने नीचे लिटा लिया और उसे पूरी स्पीड से चोदने लगा. जल्दी ही हम दोनों मंजिल पर पहुंचने लगे. बहूरानी मुझसे बेचैन होकर लिपटने लगी; और अपनी चूत देर देर तक ऊपर उठाये रखते हुए लंड का मज़ा लेने लगी. जल्दी ही हम दोनों एक साथ झड़ने लगे. बहूरानी ने अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा दिए और टाँगे मेरी कमर में लपेट कर कस दीं. मेरे लंड से रस की पिचकारियां छूट रहीं थीं तो उधर बहूरानी की चूत भी सुकड़-फैल कर मेरे लंड को निचोड़ रही थी.


थोड़ी देर बाद ही बहूरानी का भुज बंधन शिथिल पड़ गया साथ ही उसकी चूत सिकुड़ गई जिससे मेरा लंड फिसल के बाहर निकल आया.

“थैंक्स पापा जी, बहुत दिनों बाद आज मैं तृप्त हुई.” वो मुझे चूमते हुए बोली.


“क्यों, मेरा बेटा तुझे पूरा मज़ा नहीं देता क्या?”

“वो भी देते हैं; लेकिन आपके मूसल जैसे लंड की ठोकरें खाने में मेरी चूत को जो आनन्द और तृप्ति मिलती है वो अलग ही होती है, उसका कोई मुकाबला नहीं. आपका बेटा तो ऐसे संभल संभल कर करता है कि कहीं चूत को चोट न लग जाए, उसे पता ही नहीं कि चूत को जितना बेरहमी से ‘मारो’ वो उतनी ही खुश होती है.”

“हहाहा, बहूरानी वो धीरे धीरे सीख जाएगा. सेक्स के टाइम तुम उसे बताया करो कि तुम्हें किस तरह मज़ा आता है.”


“ठीक है पापा जी, अच्छा चलो अब सो जाओ. साढ़े तीन से ऊपर ही बजने वाले होंगे पूरी रात ही निकल गयी जागते जागते” बहू रानी बोली.

“अभी थोड़ी देर बाद सोयेंगे. आज अंधेरे में चुदाई हो गई, तेरी चूत के दीदार तो हुए ही नहीं अभी तक. बत्ती जला के अपनी चूत के दर्शन तो करा दे, जरा दिखा तो सही; बहुत दिन हो गए देखे हुए!” मैं बोला.


“पापा जी, कितनी बार तो देख चुके हो मेरी चूत को, चाट भी चुके हो. अब तो आपको ये दो दिन बाद बुधवार को ही मिलेगी.”

“ऐसा क्यों? कल और परसों क्यों नहीं दोगी?”

“पापा जी, अब सुबह होने वाली है. दिन निकलते ही सोमवार शुरू हो जाएगा. सोमवार को मेरा व्रत होता है और मंगल को आपका. अब तो बुधवार को ही दूंगी मैं!”

“चलो ठीक है. लेकिन अभी एक बार दिखा तो सही अपनी चूत!” मैंने जिद की.


बहूरानी उठी और लाइट जला दी, पूरे ड्राइंग रूम में तेज रोशनी फैल गयी. उस दिन महीनों बाद बहूरानी को पूरी नंगी देखा. कुछ भी तो नहीं बदली थी वो. वही रंग रूप, वही तने हुए मम्में, केले के तने जैसी चिकनी जांघे और उनके बीच काली झांटों में छुपी उसकी गुलाबी चूत. images-8


मैंने बहूरानी को पकड़ कर सोफे पर बैठा लिया और उसका एक पैर अपनी गोद में रखा और दूसरा सोफे पर ऊपर फैला दिया जिससे उसकी चूत खुल के सामने आ गयी. मैंने झुक के देखा और चूम लिया चूत को… चूत में से मेरे वीर्य और उसके रज का मिश्रण धीरे धीरे चू रहा था जिसे बहूरानी ने पास रखी नैपकिन से पौंछ दिया.


“ये झांटें क्यों नहीं साफ़ करती तू?” मैंने पूछा.

“पापा जी, ये काम तो आपका बेटा करता है मेरे लिए हमेशा. अब आपको करना पड़ेगा. परसों आप नाई बन जाना मेरे लिए और शेव कर देना मेरी चूत. कर दोगे न पापा जी?” बहूरानी ने पूछा.

“हाँ, बेटा जरूर. तेरी सासू माँ की चूत भी तो मैं ही शेव करता हूँ; तेरी भी कर दूंगा. चूत की झांटें बनाने में तो मुझे ख़ास मज़ा आता है.” मैं हंस कर बोला.


“ठीक है अब जाने दो, मुझे फर्श साफ़ कर दूं. देखो कितना गीला हो रहा है”

“तुम्हारी चूत ने ही तो गीला किया है इसे.” मैंने हंसी की.

“अच्छा … आपका लंड तो बड़ा सीधा है न. उसमें से तो कुछ निकला ही न होगा, है ना?”


बहूरानी ऐसे बोलती हुई किचन में गयी और पौंछा लाकर फर्श साफ़ करने लगी. मैं नंगा ही दीवान पर लेट गया और सोने लगा.

“पापा जी, ऐसे मत सोओ कुछ पहन लो. अभी सात बजे काम वाली मेड आ जायेगी, अच्छा नहीं लगेगा.”

“ठीक है बेटा!” मैंने कहा और चड्ढी पहन कर टी शर्ट और लोअर पहन लिया.


फिर कब नींद आ गयी पता ही न चला.

Contd...



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