अपडेट -8
मैं ड्राइंग रूम में जाकर लाइट ऑफ करके और अपना फोन स्विच ऑफ करके दीवान पर लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा. किचन की तरफ से हल्की हल्की आवाजें आ रहीं थीं. शायद बहूरानी सोने से पहले जरूरी काम समेट रही थी. फिर एक एक करके घर की सारी लाइट्स बुझने लगीं और फिर पूरे घर में अंधेरा छा गया, बाहर दूर की स्ट्रीट लाइट से हल्की सी रोशनी खिड़की के कांच से भीतर झाँकने लगी. उतनी सी लाइट में कुछ दिखता तो नहीं था हां खिड़की के कांच चमकते से लगते थे.
खाना खाने के बाद व्हिस्की का नशा काफी हद तक कम हो गया था पर सुरूर अब भी अच्छा ख़ासा था. मैं आंख मूंद कर सोने की कोशिश करने लगा, गहरी गहरी सांस लेता हुआ शरीर को शिथिल करके सोने के प्रयास करने से झपकी लगने लगी और फिर नींद ने मुझे अपने आगोश में ले लिया.
कोई घंटे भर ही सोया होऊंगा कि नींद उचट गई, मोबाइल में टाइम देखा तो रात के एक बज के बारह मिनट हो रहे थे. लगता था निंदिया रानी भी रूठी रूठी सी थी बहूरानी की तरह.
जागने के बाद फिर वही बीते हुए पल सताने लगे; तरह तरह के ख्याल मन को कचोटने लगे.
बहूरानी नाइटी पहने हुए सो रही होगी या नाइटी उतार के पूरी नंगी सो रही होगी? या जाग रही होगी करवटें बदल बदल के? हो सकता है अपनी चूत में उंगली कर रही हो या ये या वो… ऐसे न जाने कितने ख्याल आ आ कर मुझे सताने लगे.
नींद तो लगता था कि अब आने से रही और बहूरानी दिल-ओ-दिमाग से हटने का नाम ही नहीं ले रहीं थीं.
घर में सिर्फ मैं और वो जिसे मैं पहले भी कई बार चोद चुका हूं… ‘नहीं अब और नहीं…’ उफ्फ्फ हे भगवान् क्या करूं लगता है मैं पागल हो जाऊंगा. यही उथल पुथल दिमाग में चलती रही; इन ख्यालों से बचने का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था. आज पहली रात को मेरा ये हाल है तो आगे नौ दस रातें कैसे गुजरेंगी?
न जाने क्या सोच कर मैंने अपनी टी शर्ट और लोअर चड्डी के साथ उतार कर दीवान पर फेंक दिए और पूरा नंगा हो गया. बहू रानी का नाम लेकर लंड पर हाथ फिराया तो उसने अपना सिर उठा लिया. चार पांच बार मुठियाया तो लंड और भी तमतमा गया.
अब आप सब तो जानते ही हो कि खड़ा लंड किसी बादशाह किसी सम्राट से कम नहीं होता. जब बगल वाले कमरे में वो सो रही हो जिसे आप पहले कई बार चोद चुके हों तो खड़े लंड को ज्ञान की बातों से नहीं बहलाया जा सकता, उसे तो सिर्फ चूत ही चाहिये… एक बिल चाहिये घुसने के लिए.
अच्छे अच्छे बड़े लोग, कई देशों के बड़े बड़े नेता, राष्ट्राध्यक्ष, मंत्री, अधिकारी, पंडित पुजारी, आश्रम चलाने वाले बाबा लोग इसी अदना सी चूत के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा चुके हैं. पराई चूत का आकर्षण होता ही ऐसा है कि इंसान अपनी मान मर्यादा रुतबा इज्जत सब कुछ लुटाने को तैयार हो जाता है एक छेद के लिए.
यही सोचते सोचते मैं ड्राइंग रूम में नंगा ही टहलने लगा; टाइम देखा तो रात के दो बजने वाले थे. अनचाहे ही मेरे कदम बहूरानी के बेडरूम की तरफ उसे चोदने के इरादे से बढ़ चले. सोच लिया था कि बहूरानी को हचक के चोदना है चाहे वो कुछ भी कहे.
सारे घर में घुप्प अंधेरा छाया हुआ था. मैं बड़ी सावधानी से आगे बढ़ने लगा. मैं तो आज सुबह ही इस घर में आया था तो यहां के भूगोल का मुझे कुछ भी अंदाजा नहीं था कि किधर सोफा रखा है; एक तरफ फिश एक्वेरियम भी था जहां रंग बिरंगी मछलियां तैर रहीं थीं लेकिन उसमें भी अंधेरा था. कहीं मैं टकरा न जाऊं यही सब सोचते सोचते मैं सधे हुए क़दमों से बहूरानी के बेडरूम की तरफ बढ़ने लगा. कुछ ही कदम चला हूंगा कि…
मुझे एक अस्पष्ट सा साया अपनी ओर आते दिखा, उसका गोरा जिस्म उस अंधेरे में भी अपनी आभा बिखेर रहा था. आँखें गड़ा कर देखा तो… बहूरानी! हाँ अदिति ही तो थी.
मेरी बांहें खुद ब खुद उठ गईं उधर उसकी बांहें भी साथ साथ उठीं और हम दोनों एक दूजे के आगोश में समा गए. बहूरानी के तन पर कोई वस्त्र नहीं था, एकदम मादरजात नंगी, उसकी जुल्फें खुली हुई कन्धों पर बिखरीं थीं. उसके नंगे बदन की तपिश मुझे जैसे झुलसाने लगी और मेरे हाथ उसके नंगे जिस्म को सब जगह सहलाने लगे. मैंने उसके दोनों दूध मुट्ठियों में दबोच लिए.
इधर मेरा लंड उसकी चूत का आभास पा कर और भी तन गया और उसकी जाँघों से टकराने लगा.
“पापा जी, आई लव यू!” बहू रानी भावावेश में बोली और मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी साथ में मेरी गर्दन में एक हाथ डाल कर मेरा सिर झुका के अपने होंठ मेरे होंठों से मिला कर चुम्बन करने लगी.
“आई लव यू टू अदिति बेटा!” मैंने कहा और उसका मस्तक चूम लिया और एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी चूत सहलाने लगा.
बहूरानी की चूत बहुत गीली होकर रस बहा रही थी यहाँ तक कि उसकी झांटें भी भीग गईं थीं.
उस नीम अँधेरे ड्राइंग रूम में दो जिस्म आपस में लिपटे हुए यूं ही चूमा चाटी करते रहे.
अचानक बहूरानी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और उसे दबा कर अपनी चूत रगड़ने लगी. मैंने भी उसकी चूत मुट्ठी में भर के मसल दी. मेरे ऐसा करते ही बहूरानी नीचे घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लंड अपने मुंह में भर लिया, लंड को कुछ देर चाटने चूसने के बाद वो नंगे फर्श पर ही लेट गई और मेरा हाथ पकड़ कर अपने ऊपर खींच लिया, फिर अपने दोनों पैर ऊपर उठा कर मेरी कमर में लपेट कर कस दिए और मेरे कंधे में जोर से काट लिया.
बहुत उत्तेजित थी वो!
वक़्त की नजाकत को समझते हुए मैंने उसका निचला होंठ अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगा. उधर बहूरानी ने एक हाथ नीचे ले जा कर मेरे लंड को पकड़ के सुपारा अपनी रिसती चूत के मुहाने पर रख के लंड को चूत का रास्ता दिखाया.
“अब आ जाओ पापा जी जल्दी से. समा जाओ अपनी अदिति की प्यासी चूत में!” बहूरानी अपनी बांहों से मुझे कसते हुए बोली.
“ये लो अदिति बेटा!” मैंने कहा और लंड को धकेल दिया उसकी चूत में… लंड उसकी चूत में फंसता हुआ कोई दो तीन अंगुल तक घुस के ठहर सा गया.
“धीरे से पापा जी, बहुत बड़ा और मोटा लंड है आपका. आज कई महीने बाद ले रही हूँ न!” बहूरानी कुछ विचलित स्वर में बोली और अपनी टाँगें उठा के अपने हाथों से पकड़ कर अच्छे से चौड़ी खोल दीं जिससे उसकी चूत और ऊपर उठ गई.
मैंने बहूरानी की बात को अनसुना करते हुए लंड को थोड़ा सा आगे पीछे किया और फिर अपने दांत भींच कर लंड को बाहर तक निकाल के जोरदार धक्का मार दिया. इस बार पूरा लंड जड़ तक घुस गया बहु की चूत में.
“हाय राम मार डाला रे, आपको तो जरा भी दया नहीं आती अपनी बहू पे. ऐसे बेरहमी से घुसा दिया जैसे कोई बदला निकाल रहे हो मेरी चूत से!” बहू रानी चिढ़ कर बोली.
“बदला नहीं अदिति बेटा, ये तो लंड का प्यार है तेरी चूत के लिए!” मैंने उसे चूमते हुए समझाया.
“रहने दो पापा जी, देख लिया आपका प्यार. धीरे धीरे आराम से घुसाते तो क्या शान घट जाती आपके लंड की? पराई चीज पे दया थोड़ी ही न आती है किसी को!”
बहू रानी की बात सुन के मुझे हंसी आ गई- अदिति बेटा, तेरी चूत पराई नहीं है मेरे लिए; पर मेरा लंड इसी स्टाइल में घुसता है चूत में!
मैंने कहा.
“चाहे किसी की जान ही निकल जाये आप तो अपने स्टाइल में ही रहना. मम्मी जी को भी ऐसे ही सताते होगे आप?”
“बेटा, तेरी सासू माँ की चूत तो अब बुलन्द दरवाजे जैसी हो गई है, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता चाहे हाथ ही घुसा दो कोहनी तक!”
“तो मेरी चूत भी आप इंडियागेट या लालकिले जैसी बना दोगे इसी तरह बेरहमी से अपना मोटा लंड घुसा घुसा के?” बहूरानी ने मुझे उलाहना दिया.
“अरे नहीं अदिति बेटा, अभी तेरी उमर ही क्या है, तेईस चौबीस की होगी. अभी तेरी चूत तो यूं ही टाइट रहेगी सालों साल तक और किसी कुंवारी लड़की की कमसिन चूत की तरह मज़ा देती रहेगी मुझे.” मैंने बहूरानी को मक्खन लगाया और उसके निप्पल चुटकी में भर के उसका निचला होंठ चूसने लगा.
“हुम्म… चिकनी चुपड़ी बातें करवा लो आप से तो!” बहूरानी बोलीं और मेरे चुम्बन का जवाब देने लगी और उसकी दोनों बांहें अब मेरी गर्दन से लिपट गईं थीं. फिर बहूरानी ने अपनी जीभ मेरे मुंह में घुसा दी जिसे मैं चूसने लगा. मेरा मुखरस बह बह के बहूरानी के मुंह में समाने लगा फिर बहूरानी ने मेरी जीभ अपने मुंह में ले ली और जीभ से जीभ लड़ाने लगी.
“पापा जी एक बात बताओ?” बहूरानी ने चुम्बन तोड़ कर मुझसे कहा.
“पूछो बेटा?”
“अभी आप मुझसे दूर ड्राइंग रूम में क्यों सोये थे?”
“अदिति बेटा, मैं सुबह से ही देख रहा था कि तुम मेरी नज़रों से बच रही थी, आंख झुका के बात कर रहीं थीं तो मुझे लगा कि हमारे बीच बन गए सेक्स के रिश्ते का तुम्हें पछतावा है और तुम अब वो सम्बन्ध फिर से नहीं बनाना चाहतीं, इसीलिए मैं अलग सो गया था.”
अब तुम बताओ तुम्हारे मन में क्या चल रहा था?” मैंने कहा.
“पापा जी, मैं शुरू से बताती हूँ पूरी बात. मैं शादी के समय भी बिल्कुल कोरी कुंवारी थी. आपके बेटे ने ही सुहागरात को मेरी योनि की सील तोड़ कर मेरा कौमार्य भंग किया था फिर उसके बाद आप मेरे जीवन में अचानक अनचाहे ही आ गए. गुड़िया ननद की शादी के बाद जब आप उस रात छत पर उस एकान्त कमरे में अकेले सो रहे थे और मैं आपके पास आपको अपना पति समझ के पूरे कपड़े उतार कर पूरी नंगी होकर आपके पास लेट गयी थी और आपको सम्भोग करने के लिए मना रही थी, उकसा रही थी. लेकिन आप मुझसे बचने का प्रयास कर रहे थे क्योंकि आप मुझे पहचान गए थे; लेकिन मैं आपको उस अंधेरे में नहीं पहचान पाई और आपका लिंग चूस चूस कर चाट चाट कर आपको मनाती रही उकसाती रही.”
“आप भी कहाँ तक सहन करते वो सब. विवश होकर आप मेरे ऊपर चढ़ गए और मुझमें बलपूर्वक मेरी इस में समा गए जैसे ही आपका विशाल लिंग मेरी प्यासी योनि में घुसा था, मैं समझ गयी थी कि मैं छली जा चुकी हूँ, कि मेरे साथ मेरा पति नहीं कोई और ही है क्योंकि आपके बेटे का लिंग आपसे बहुत छोटा और पतला सा है.”
“फिर आपने जिस तूफानी ढंग से मुझे भोगा, मेरी योनि के कस बल निकाल के जो सम्भोग का चरम का सुख मुझे दिया, जो परम आनन्द आपने दिया वो मेरे लिये अलौकिक और नया था; आपने मेरे साथ प्रथम सम्भोग में ही मुझे कई कई बार डिस्चार्ज कराया; निहाल हो गयी थी मैं तो. आपके सुपुत्र तो चार पांच मिनट में ही सब निपटा के सो जाते थे. मैं भी यही जानती थी कि सेक्स ऐसा ही होता होगा. कभी सोचा या कल्पना तक नहीं की थी उस आनन्द के बारे में जिससे आपने मुझे परिचित कराया, जिससे मैं तब तक अनजान थी.”
“फिर मैं आपसे बार बार सेक्स करने को बेचैन, बेकरार रहने लगी और उसके बाद हमारे बीच कई बार सम्बन्ध बने.”
“पापा जी मेरे बदन को आज तक सिर्फ आपके बेटे ने और आपने ही भोगा है किसी अन्य पुरुष ने कभी गलत नियत से छुआ भी नहीं है पहले. आपसे सम्बन्ध बनने के बाद जब मैं यहाँ आ गयी तो मुझे अपने पति के साथ सहवास में वो आनन्द और तृप्ति नहीं मिली जो आप के साथ मिलन में मिली थी. मेरे संस्कार मुझे धिक्कारने लगे, अपने किये का पछतावा होने लगा मुझे. मन पर एक बोझ सा रहने लगा हमेशा, जैसे कोई महापाप हो गया हो मुझसे. आज आप आये तो सोच लिया था कि अब और नहीं करना वो सब; क्योंकि मन पे पड़ा बोझ बहुत तकलीफ देता है.” बहूरानी बोली.
“बहूरानी, फिर उसके बाद क्या हुआ तुम खुद नंगी होकर मेरे पास आ रही थी?” मैंने पूछा और अपने लंड को उसकी चूत में दो तीन बार अन्दर बाहर किया. उसकी चूत अब खूब रसीली हो उठी थी और लंड बड़े आराम से मूव करने लगा था.
Contd...
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