अपडेट -13, मेरी बेटी निशा
जगदीश राय समझ नहीं पाया। पर उसने अपने पुरे मुह को खोलकर निशा की चूत को भर दिया और एक ज़ोरदार चुसकी ली।
निशा: और ज़ोर से पापा…और ज़ोर से।।
जगदीश राय चुसकी लगाता गया और निशा चिल्लाती गयी।
निशा अब अपने पापा के लगतार चुसकी से मचल रही थी, उछल रही, तड़प रही थी। और वह झडने के कगार पर थी।
और तभी जगदीस राय अपने होंठ पर केले का स्वाद पाया। उसने तुरंत अपना होठ हटाया और चूत के तरफ देखता रहा। चूत के होठ से छुपी , रस से लथपथ , केले (बनाना) ने स्वयं को प्रकट किया।
निशा : यह लिजीये पापा…।आप का …बर्थडे ब्रेकफास्ट… चूस लिजीये …खा लीजिये…
जगदीश राय यह नज़ारे देखते ही मानो झडने पर आ गया।
वह भेड़िये की तरह चूत को चूसने लगा, खाने लगा।
केला , निशा की मधूर चूत की रस से लथपथ, धीरे धीरे बाहर निकल रहा था, और जगदीश राय कभी उसे खा लेता तो कभी उसे होठ से निशा की चूत पर मसल देता। और फिर निशा की चूत को मक्खन, केला और चूत रस के वीर्य के साथ चबा लेता।
निशा: पापपपपा…। खाईएएएए पापा…।पुरा ख़ा लिजिये…।मेरी चूत का रोम रोम चबा लीजिये…।
और फिर निशा ने अचानक से अपना पूरी गांड ऊपर उछाल लिया। साथ ही जगदीश राय ने भी अपने चेहरे को गांड के साथ चिपकाते हुए , होठ को चूत से अलग नहीं होने दिया। निशा कुछ सेकंड ऐसे ही गांड को उछाले रखी और फिर एक ज़ोर से चीख़ दी।
निशा: आह आह……।ओह्ह गूड……आहः
और निशा तेज़ी से झडने लगी। निशा की चीख़ इतनी ज़ोर की थी की पड़ोस के लोगो को सुनाई दिया होगा।
चूत से रस उछल कर जगदीश राय के मुह, गले और छाती पर फ़ैल गया।
निशा पागलो की तरह उछल रही थी। बचा हुआ केला चूत की रस के साथ चूत से निकल कर टेबल पर गिर पडा।
पुरा समय जगदीश राय के होठ निशा के चूत का साथ नहीं छोडा। और निशा ने भी चूत को जगदीश राय के मुह के अंदर तक धकलते झड रही थी। वह चाहती थी की चूत रस का एक बूंद भी बेकार नहीं होना चाहिये।
कोई 5 मिनट बाद निशा शांत हुई। और टेबल पर ढेर हो गयी। उसका सारा शरीर कांप रहा था।
फिर धीरे से निशा ने आख खोला। उसके पापा अभी भी , अपने ही धुन में, होठ चूत पर लागए मक्खन और चूत के रस को चूस और चाट रहे थे।
निशा हँस पडी।
निशा: यह क्या पापा…आप ने तो मुझे झडा ही दिया…और आपने केला तो पूरा खाया ही नही। क्या आपको पसंद नहीं आयी।
जगदीश राय: कभी ऐसे हो सकता है बेटी…मैं तो बस तुम्हारे रस को खोना नहीं चाहता था…यह लो।।
जगदीश राय ने टेबल पर पड़े निशा के चूत रस में भीगा हुआ केले का टुकडा, अपने मुह से कुत्ते की तरह उठा लिया।
और एक भाग अपने होठ पर रख दूसरा भाग निशा की मुह के तरफ ले गया।
निशा ने तुरंत केले को खा लिया।
निशा: छी…आपने तो मुझे मेरा ही रस चखा दिया…वैसे बुरा नहीं है…हे हे…
जगदीश राय: पर अब उठने की सोचना भी मत…।मेरा नाश्ता हुआ नहीं है अभी…
निशा: आप जब तक चाहे आज नाश्ता कर सकते है…।में कुछ नहीं बोलूंगी…
जगदीश राय ने, बड़ी ही बारीकी से चूत चाटकर साफ़ करना शुरू किया।
जगदीश राय: बेटी…मैं तुम्हारा गांड भी चाटना चाहता हु…।
निशा (मुस्कुराकर): क्यों नहीं…।
और निशा अपने दोनों हाथो से अपने बड़ी सी गांड के गालो को अपने पापा के लिए खोल दिया।
गाँड के खोलते ही जगदीश राय ने देखा की काफी सारा मक्खन और रस गांड के दरार पर फसा हुआ है।
वही टेबल के ऊपर निशा गांड खोले लेटी रही और यहाँ जगदीश राय गांड को मदहोशी से चाट रहा था।
जगदीश राय: वाह बेटी मजा आ गया…।क्या नास्ता था…ऐसे नास्ता के लिए तो मैं रोज पैदा होना चाहूँगा…।वैसे क्या नाम है इस नाशते का…।निशा बेटी
निशा (शरारती ढंग से इतराते हुए): यह है "निशा का बानाना स्प्लिट",…।।हे हे हे।।
जगदीश राय हस्ते हुए निशा की चूत पर एक ज़ोरदार चुम्बन चिपका देता है।
निशा अपने हाथ से पापा के सर को पकड़कर अपने चूत में दबा देती है।
जगदीश राय: लगता है मेरे बेटी का चूत और भी प्यार माँग रही है।
निशा अपने दोनों हाथो से चूत को पूरी खोल देति है।
निशा: प्यार के बहुत तरसी है यह।।
जगदीश राय का पूरा मुह निशा की चूत में फस जाता है और वह भवरे की तरह रस चूस चूस कर निकालने लगता है।
थोड़ी देर बाद।।
जगदीश राय: बेटी …अब रहा नहीं जाता…मेंरा लंड और रुक नहीं सकता।।
निशा: वाह पापा…आपका नाश्ता हो गया…मेरे नाश्ता का क्या…।
जगदीश राय:मतलब…।
निशा अपने पैरो से अपने पापा को दुर करती है…
निशा: चलिये …हटिये…
और टेबल पर से छलांग लगाकर किचन की और जाती है। निशा की नंगी गाँड , मटकती हुई , जगदीश राय के लंड को और भी कड़क बना देती है।
निशा के हुकुम के अनुसार वह उसे हाथ नहीं लगा सकता था।
और निशा अपने साथ एक कटोरी में कुछ ले आती है।
निशा: अब आप की बारी…चलिए…टेबल पर जैसे मैं बेठी थी वैसे बैठ जाईये…
जगदीश राय बिना कुछ कहे टेबल पर चढ़ जाता है। और अपना पैर फैला देता है।
जगदीश राय का 9 इंच का लंड स्ट्रिंग अंडरवियर से झाकने की बहूत कोशिश रहा है।
निशा : अब आप अपने हाथ पीछे ही रखेंगे …समझे…।
निशा धीरे से एक चुम्बन जगदीश राय के लंड पर , अंडरवियर के ऊपर से लगा देती है।
जगदीश राइ: अह्ह्ह्हह…।
जगदीश राय , आने वाले मज़े को सोचकर अपनी ऑंखें बंद कर लेता है।
निशा अपने पापा के लंड के आस पास अंडरवियर के ऊपर से चूमने लगती है …चाटने लगती है। वह अपने पापा को और गरम करना चाहती थी।
जगदीश राय का लंड जैसे फ़टने के कगार पर आ गया था।
जगदीश राय: बेटी …अब रहा नहीं जाता…।ले लो इसे अपने गरम मुह में…।
जगदीश राय को कटोरी ने आहट सुनि और अचानक उसे अपने लंड पर तेज़ गर्मी महसूस हुई।
निशा ने अपने पापा के लंड पर थोडा सा गरम शहद (हनी) डाल दिया था।
और शहद इतना गरम था की अंडरवियर के ऊपर गिरने के बावजूद, लंड को चटका लग ही गया।
जगदीश राय दर्द के मारे चीख़ पडा।
जगदीश राय: बेटी यह क्या…।आआह्ह्ह।
निशा ने तुरंत अपने पापा के लंड को अंडरवियर के ऊपर से मुह में ले लिया और शहद चाटने और चुसने लगी।
जगदीश राय दर्द और उतेजना के बीच में आके फस गया। उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है।
दरद के मारे लंड सोना चाहता था पर निशा के होठो ने एक अलग गर्मी पैदा कर दी थी।
जगदीश राय: ओह्ह्ह्ह बेटी…।।आह…।ओह बेटी…।
कुछ समय चाटने के बाद , निशा ने तुरंत पापा का अंडरवियर उतार फेका। ऐसा लग रहा था की वह अपने पापा को दर्द दे रही है।
जगदीश राय का पूरा लंड गरम शहद के वजह से लाल हो चूका था , पर लंड अभी भी पूरा खड़ा था।
निशा ने लंड को हाथ भी नहीं लगाया। और सीधे पापा के टट्टो को चूम लिया। दोनों टट्टे ऊपर नीचे उछल रहे थे।
निशा कभी चाटती, तो कभी टट्टो के अंडो को मुह में लेके चूसती।
जगदीश राय: वाहहहह …।माज़ा आ गया।
तुरन्त निशा ने गरम शहद के कुछ बूँदे टट्टो पे छिडक दिया।
जगदीश राय टेबल पर ही उछल पडा। और तडपने लगा, गरम शहद गिरते ही टट्टे दर्द के मारे उछलने लगे।
जगदीश राय टट्टो को हाथ से साफ़ करने हाथ आगे बढ़ाये। निशा ने तुरंत उनका हाथ पकड़ लिया।
निशा: हाथ पिछे…।।
जगदीश राय: क्याआ…कर रही हो बेटीई…दर्द हो रहा है…।।निकालो इससे…
निशा: किसे…इसे…
कहते हुए निशा ने कुछ गरम शहद की बूँदे और टट्टो बे गिरा दिया।
जगदीश राय: ओह्ह्ह मा…।आआअह्ह्ह्ह
लंड अभी दर्द के मारे सिकुड़ना शुरू हुआ।
निशा ने तुरंत लंड को मुह में ले लिया और बेदरदी से चूसने लगी।
पर उसने गरम शहद को टट्टो पर से साफ़ नहीं किया।
अब टट्टो के दर्द के बावजूद निशा की चूसाई इतनी अच्छि थी की लंड फिर से खड़ा होना शुरू हुआ। और देखते ही देखते पुरे आकर में आ गया।
निशा लंड चुसती रही और टट्टो पे गरम शहद फेकती रही। जगदीश राय तडपता रहा।
फिर निशा ने धुआँधार चूसाई शुरू की।
निशा: अब मैं रुक नहीं सकती…मुझे आपका मलाई चाहिए…दीजिये मेरा नास्ता ।
जगदीश राय: रुकना नहीं बेटी…मैं आने ही वाला हु…।
निशा ने कुछ 5 मिनट बाद अपने पापा का लंड फूलते हुए महसूस किया। वह समझ गयी की पापा अभी झडने वाले है।
वह लंड चुसती रही।
जगदीश राय: आह…बेटी…यह…।ले…।तेराआ…नाश्ता…चूस ले।
तभी अचानक से निशा ने लंड बाहर निकाल लिया। और कटोरी उठाई और पूरा का पूरा बचा हुआ गरम शहद लंड पर पलट दिया।
लोहे जैसे गरम लौडे पर गरम शहद के गिरने से , जगदीश राय चीख़ पडा।
निशा के सामने अपने पापा का 9 इंच का मोटा लंड , भूरा कलर का शहद से लथपथ था, शहद में डूबा हुआ था।
शहद की गर्मी से दर्द और ओर्गास्म दोनों एक साथ महसूस हो रहा था।
जगदीश राय: यह क्या…नहीईई बेटी…।दरदडडड…।मेरा छुट रहा है।
और फिर निशा ने भूरे शहदः के भीतर से सफ़ेद वीर्य के छींटे उडती दिखाई दी। सफ़ेद रंग का गाढ़ा और भूरे शहद के सामान था।
फड्फडा कर लंड , लावा की तरह, उगलता गया। वीर्य 9 इंच की लंड की लम्बाई , भूरे शहद के ऊपर से तैर रही थी।
निशा, न होठ से न हाथो से लंड को सहला रही थी। खड़ा लंड खुद ब खुद हवा में झूलता हुआ झडते जा रहा था।
निशा बड़े ही आश्चर्य से दृश्य देखती रही।
और फिर अपने पापा का गरम शहद और गरम वीर्य में लथपथ लंड को पूरा मुह खोलकर भीतर ले लिया।
लंड मुह में आते हि, जगदीश राय ज़ोर का दहाड़ मारा और लंड और तेज़ी से झडने लगा।
निशा बड़ी ही एकाग्रता से शहद और वीर्य को चाटती जा रही थी।
आज पहली बार उसने वीर्य का स्वाद चखा था। और उसे बिलकुल भी बुरा नहीं लग रहा था। शायद शहद थोड़ी मदद कर रही थी।
निशा कूछ 10 मिनट तक शहद और वीर्य चाटती गयी.
Contd....
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