सूबह मेरी नींद खुली, सामने घड़ी मे टाइम देखा तो 8बज गए थे.
प्रवीण, मोहित और आदिल मेरे साथ ही बिस्तर पर सोये हुए थे.
कल रात मैं कब सो गया मुझे पता ही नहीं चला था,
आदिल मेरे पास सोया हुआ था इसका मतलब माँ स्टेशन से आ गई थी, यानि मेरी बहन भी आ गई होंगी.
मैं तुरंत उठ बैठा, बाहर जा कर फटाफट मुँह धोया और नीचे चल दिया.
"माँ... माँ... मामा " नीचे पंहुचा ही था की सामने डाइनिंग टेबल पर मेरी बहन अनुश्री बैठी थी.
दीदी... को देख के खुद को रोक ना सका भागता हुआ, उनके पास पंहुचा मेरी दीदी की भी शायद मेरी ही राह देख रही थी.
धप से.... मैं अनुश्री दीदी के गले जा लगा,
"उफ्फ्फ... दीदी कितने साल बाद आपको देखा "
दीदी ने मुझे पाने आगोश मे भींच लिया " अमित मेरे भाई कैसा है तू, अपनी दीदी की याद नहीं आती तुझे, कभी मिलने भी नहीं आया, कैसा है मेरे भाई "
दीदी ने एक साथ सवालों की बौछार कर दी, दीदी का स्नेह मेरे लिए सुकून भरा था,
मैं दीदी से अलग हुआ, सामने मेरी अनुश्री दीदी सलवार सूट पहने खड़ी थी, मैंने गोर किया दीदी बिल्कुल माँ जैसी हो गई है,
सम्पूर्ण जिस्म भर गया है,
कुर्ता बिल्कुल जिस्म पर कसा हुआ था, इतना की दीदी के उभार साफ झलक रहे रहे, कमर का निचला हिस्सा काफ़ी बड़ा हो गया था.
छी.... ये मैं क्या सोच रहा हूँ, माँ को ले कर मेरी भावनाये बदल गई थी लेकिन ये तो मेरी बहन थी, साला मेरा औरतों को देखने का नजरिया बदलता जा रहा था.
"क्या सोच रहा है अमित?" दीदी ने मुझे ऐसी घूरते हुए देख पूछा..
"कक्क... ककम.. कुछ नहीं दीदी वो... वो... अब कितनी बदल गई हो " अनुश्री दीदी का चेहरा बिल्कुल खिला हुआ था, माथे पर लाल बिंदी, गले मे लटकता मंगलसूत्र, लाल होंठ
वाकई मेरी दीदी मेरी माँ से भी कहीं गुना सुन्दर थी.
"क्यों... ऐसा क्या बदल गया हाँ बदमाश " दीदी ने मेरे गाल पर प्यार से चपत लगाई.
"आप बहुत सुन्दर हो गई हो दीदी " मैंने बेहिचक बोल दिया
"धत्त... पागल... पहले नहीं थी क्या?" अनुश्री ने कमर पर हाथ रख खुद को इधर उधर हिला पूछा जैसे बता रही हो कहाँ क्या बदला है.
"सच्ची... दीदी... खेर जीजा जी कहाँ है? "
"थक गए है सो रहे है, और माँ भी सो रही है, बेचारी रात भर परेशान हो गई "
"क्यों क्या हुआ?" मैं थोड़ा हैरान हुआ.
"ट्रैन लेट हो गई थी यार, जबकि माँ तो 2 बजे ही स्टेशन पहुंच गई थी, ट्रैन आई 4 बजे, हम खुद 5बजे घर पहुचे है "
अनुश्री ने जम्हई लेते हुए कहाँ.
"कक्क... क्या... पुरे दो घंटा लेट " मेरे टन बदन मे आग लगना शुरू हो गया था,. मेरे दिमाग़ के घोड़े दौड़ने लगे, इसका मतलन माँ और आदिल के पास पुरे 2 घंटे म समय था, कहीं.. कहीं आदिल ने माँ को चोद तो नहीं दिया.
मैं बहुत ज्यादा फिम्रमंद ही चला.
"क्या हुआ क्या सोचने लगा "
"कक्क.... कुछ नहीं दीदी, वो.. वो आपको तकलीफ उठानी पड़ी ना "
"अरे कोई नी तकलीफ से तो पुराना नाता है मेरा " अनुश्री कहीं अपने ही विचार मे गुम थी.
"घर पर सब ठीक है ना दीदी? " मैंने आगे पूछा.
"हाँ... हनन... सब बढ़िया है अमित, मैं खुश हूँ मंगेश बहुत ध्यान रखते है मेरा" दीदी के बोल मे थोड़ी उदासी थी.
मैन कारण जानता था, क्यूंकि शादी के 2 साल बाद बहुत दीदी को बच्चा नहीं हुआ था.
"सारी बात अभी कर लोगे या मच काम भी करना है, बुला अपने मुस्तडे दोस्तों को, "
मामी चाय ले कर आ गई थी,
मामी को देखते ही मुझे कल रात का किस्सा याद आ गया, मामी क्या लग रही थी, कल की चुदाई के बाद खील गई थी बिल्कुल, silk साड़ी मे सजी धजी मेरी मामी आरती.
"ये लो चाय पीओ और अपने दोस्तों को बुला ला, बेटा अनुश्री तुम चलो मेरे साथ बहुत काम है, भाई बहन वाली बाते बाद मे कर लेना "
मामी और दीदी चल दी आज हल्दी का प्रोग्राम था, सब लोग तैयारी मे लगे थे.
लेकिन मेरे दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी, चाय को सुढकते सुढकते वही सोच रहा था मैं.
कल माँ और आदिल ने दो घंटे मे क्या क्या किया होगा, मुझे जानना ही था एक अजीब सी चूल मच रही थी दिल मे.
**************
खेर मैं ऊपर चल पड़ा दोस्तों को जगाने, अब्दुल तो सुबह उठ के मामा जी के साथ मार्किट चला गया था,
अंदर रूम मे आदिल, प्रवीण और मोहित सो रहे थे.
"अबे कल रात कहाँ था बे तू?" अंदर से मुझे मोहित की आवाज़ आई.
मैं वही दरवाजे पर रुक गया, मुझे उनकी बाते सुनने की चूल सी मच गई.
"अमित की बहन आई है उसे ही लेने गए थे आंटी और मैं " आदिल ने जवान दिया
"अबे भेनचोद, साला तुझे मौका मिल ही गया, पक्का आंटी ने चुदवा लिया होगा तुझसे " प्रवीण ने पूछा.
यही तो मुझे भी जानना था, मैं सांस रोके वही खड़ा हो गया.
"अब क्या बताऊ यार "
"साले हरामी बता ना, शुरुआत तो तूने ही की थी अमित की मम्मी के साथ, अब बड़ा भाव खा रहा है बताने मे" मोहित ने जोर दिया.
"बताना बे क्या हुआ कल रात, हम भी एक सीक्रेट बताएँगे तुझे " प्रवीण ने बोला
"क्या किया तुम लोगो ने, किसी को पेल दिया क्या?" आदिल ने हैरानी से पूछा.
जबकि मैं जानता था ये सीक्रेट मौसी को चोदने का ही है, जिसमे मेरे दोनों दोस्त बुरी तरह नाकामयाब हुए थे.
"पहले तू बता" मोहित ने कहा
"बताता हूँ बे... सुनो.
कल रात मैं वही महिलाओ के आस पास ही मंडरा रहा था, साला तुम दोनों तो दारू पी के लुढ़क गए थे, मामा ने मुझे धर लिया,
ऊपर से ये हरामी अमित भी गायब था कहीं.
रेशमा आंटी का फ़ोन आया, मालूम पड़ा अमित की बहन और जीजा भी आ रहे है, उनकी ट्रैन 2 बजे आने को थी.
हम लोगो ने अब्दुल और अमित को ढूँढा लेकिन मिले नहीं.
मैं तो चाहता ही था की साले ना मिले, हुआ भी यही.
"बेटा आदिल तुम ही चले जाओ स्टेशन अमित की बहन को लेने " मामा ने कहा.
"लल्ल... लेकिन मामा मैंने तो कभी देखा ही नहीं दीदी जीजा को मैं कैसे ले आऊंगा "
"अरे बुद्धू तुझे अकेले नहीं जाना है मैं चल रही हूँ साथ मे " रेशमा आंटी मुझे देख मुस्कुरा दी.
फिर क्या था पलभर मे ही मैं ड्राइविंग सीट पर था और रेशमा आंटी बाजु मैं बैठी थी.
"क्या मस्त लग रही हो आंटी आप, एकदम sexy, जवान लड़की भी फ़ैल है आपके सामने " मैंने तारीफ के पुल बांध दिए
"हट बदमाश, जब से ही पीछे लगा है तू मेरे "
"अब सच भी ना बोलू मैं " मैंने आंटी की जाँघ पर हाथ रख उसे सहलाने लगा.
"इस्स्स.... आंटी तो ना जाने कब से प्यासी थी वो भी शायद यही चाहती थी.
मैंने कार थोड़ी धीमे कर ली.
और रेशमा आंटी को घूरने लगा, ब्लैक कलर की साड़ी ब्लाउज मे उनका गोरा जिस्म चमक रहा था, सुर्ख लाल होंठो पर कामुक मुस्कान दिखाई दे रहु थी, ब्लाउज तो ऐसा पहना रहा मानो छुपाने के बदले दिखा ज्यादा रही हो.
गोल मटोल दूध बाहर को आने को मरे जा रहे थे.
मुझसे रहा नहीं गया, साड़ी के ऊपर से ही मेरा हाथ जांघो के बीच चला गया..
"आअह्ह्हम.... आदिल क्या कर रहा है, मत कर टाइम नहीं है कुछ हो नहीं पायेगा, फालतू मेरी रात मुश्किल हो जाएगी "
रेशमा ने एक नाकाम कोशिश की, उसके प्रतिरोध मे कोई ताकत नहीं थी.
मैंने अपनी उंगलियों को हरकत दी और साड़ी के ऊपर से ही चुत की लकीर को ढूंढ़ लिया, और उसे कुरेदने लगा.
"उउउउफ्फ्फ..... आदिल मत कर बेटे, जबकि रेशमा आंटी ने अपनी जांघो को फैला दिया था हल्का सा.
वो मुझे ही देख रही थी जैसे कुछ चाहती हो, लाल होंठ कांप रहे थे.
"ट्रिन... ट्रिन... ट्रिन.... पिंग... पिंग..." तभी आंटी का मोबाइल बज उठा.
"हाँ... हाँ.... इसस्स.... हैल्लो बेटा, "
"हाँ माँ निकल गए क्या? ट्रैन लेट हो गई है पिछले स्टेशन पर ही रुकी है अभी,3.30 बजे तक आएगी देहरादून " सामने से फ़ोन पर शायद अमित की बहन थी.
अंधे को क्या चाहिए दो आंख, और हवास मे डूबी औरत को क्या चाहिए, समय और जगह.
वो बिन मांगे मिल गया था.
"ठ... ठीक है बेटा मैं आ जाउंगी इसससस.... मेरी ऊँगली लगातार चुत की लकीर को कुरेद रही थी.
रेशमा आंटी ने झट से फ़ोन रख, मेरे हाथ को पकड़ अपनी जांघो के बीच दबा लिया..
इस्स्स.... आदिल हमारे पास 2 घंटे है, कार कहीं रोक ले.
मेरी तो मानो मुराद ही पूरी हो गई ही, वैसे भी रात के 1.30 बज रहे थे रोड पूरा सुनसान ही था, फिर भी मैंने थोड़ा आगे चल एक मोड़ पर कार को साइड लगा दिया,
आस पास दूर दूर तक खेत खलिहन ही थे, एक्का दुक्का घर थे जो की दूर दूर थे,.
ये सही जगह है.
कार का रुका ही था की... पच.... से आंटी ने अपने सुर्ख लाल होंठ मेरे होंठो पर रख दिए.
गुगु.... मैं कुछ समझता उस से पहले ही आंटी ने मेरे होंठो पर कब्ज़ा जमा लिया.
मैंने भी जवाबी हमला बोल दिया.
रेशमा आंटी के रशीले होंठो को चूसने लगा, आंटी बहुत गरम हो रही थी, आखिर कल रात से ही नाकाम कौशिशो के बाद अब अकेले मे मौका मिला था.
मैं भी बुरी तरह से आंटी के होंठो को चूसने लगा, आंटी ने अपनी जीभ मेरे मुँह मे घुसेड़ दी,
उउउफ्फ्फ्फ़.... क्या बताऊ यार क्या गरम अहसास था, मैं जम के उनकी जीभ को चूसने लगा,
आंटी तो जैसे पागल ही हो गई थी, मेरे मुँह से निकले थूक को चाटे जा रही थी, उनका एक हाथ मेरे पैंट पर बने उभार को सहला रहा था,
मुझसे भी नहीं रहा गया, मैंने भी आंटी के स्तन पर हाथ रख उन्हें दबोच लिया और जोर जोर से भींचने लगा.
(आदिल की बाते सुन मेरा लंड खड़ा होने लगा था, मेरी माँ इस कद्र हवास मे पागल हो चुकी है की किसी रंडी की तरह हरकत कर रही थी.
मैंने आगे सुनना जारी रखा.)
मैंने भी आंटी की जीभ को कस के चूसा, होंठो को चाटा.
"आअह्ह्ह.... आदिल.... उउउफ्फ्फ......"
मैंने रेशमा आंटी के गले पर अपनी जीभ टिका दी, पसीने और खुसबू मेरे जिस्म मे घुलने लगी,
मेरा लंड फटने को आ गया था,.
मैंने तुरंत अपनी पैंट खोल घुटनो पर सरका दी,
"उउउउफ्फ्फ.... आदिल कितना बड़ा है, आअह्ह्ह...." आंटी ने तुरंत मेरे लंड को अपनी मुट्ठी मे पकड़ लिया, जैसे ना जाने कब से तड़प रही थी मेरे लंड के लिए.
ऊपर नीचे हिलाने लगी,
मैंने भी एक एक कर आंटी के ब्लाउज के बटन खील दिया.
उउउफ्फ्फ.... दोस्तों क्या दूध थे अमित की मम्मी के एक दम गोल मटोल कसे हुए, निप्पल तो ऐसे तन गए थे जैसे किसी ने अंगूर चिपका दिए हो.
मुझसे रह नहीं गया, सुडप सुडप..... लप... लप कर मैंने आंटी के निप्पल को मुँह मे भर लिया.
"आअह्ह्ह... आउचम्म.. आदिल... खा जा इन्हे, चाट जोर जोर से, मसल मेरे मम्मो को " आंटी मेरे सर को पकड़ अपनी छाती मे दबा रही थी.
मैं कभी उनके निप्पल को कटता तो कभी कस कस कर भींचने लगता, मेरी उंगलियों के निशान रेशमा आंटी के स्तन पर छाप गए थे.
"आअह्ह्ह... आदिल.... धीरे नोच देगा क्या " आंटी मेरे लंड को कस कस के हिला रही थी. पच. पच... की आवाज़ से कार गूंज रही थी.
मैंने चाट चाट कर आंटी के
दोनों स्तन को भीगा दिया था, उनके दूध मेरे थूक और लार स सने हुए चमक रहे थे.
"आअह्ह्हम्म्म. उउउउफ्फ्फ.... आउच.... बस बेटा आदिल अब नहीं रहा जा रहा समय नहीं है जल्दी से अंदर डाल दे मेरे, कितने बरस बीत गए लंड के लिए.
रेशमा आंटी ने मुझे खुद से अलग किया, वो आज फॉर्मेलिटी के मूड मे नहीं लग रही थी, उन्हें आज किसी भी कीमत पर लंड चाहिए ही था.
"पीछे सीट पर चलते है आंटी यहाँ जगह नहीं है "
मैं और रेशमा आंटी तुरंत आगे से उतार पीछे चल दिए,
रेशमा आंटी ने तुरंत अपनी साड़ी को कमर तक उठा लिया और पेट के बाल पीछे सीट पर लेट गई.
मैं हैरान था एक औरत जब वासना मे आती है तो क्या नहीं कर सकती, हालांकि मैं खुद उन्ह्र चोदने के लिए मरे जा रहा था.
क्या गोरी सुडोल गांड थी यार अमित की माँ की, एक दाग भी नहीं था. मुझे आंटी की सिकुड़ी हुई बंद गांड, और चुत के रूप मे एक लम्बी लकीर दिखाई पड़ रही थी.
मुझे अपना लक्ष्य दिखाई दे रहा था.
"जल्दी अंदर डाल दे बेटा आदिल, चोद मुझे, चोद दे आज अपने दोस्त की माँ ko" आंटी ने नीचे से अपनी चुत को सहलाते हुए बड़बड़ा रही थी,
मैंने भी देर ना करते हुए उनकी गांड की लकीर मे अपने लंड को घिस दिया.
"आआआह्हः..... ईईस्स्स.... बस अंदर डाल दे अपना बड़ा लंड "
मैंने हाथ से अपने लंड को पकड़ आंटी की चुत के मुहने पर लगा दिया,
आंटी ने आने वाले पल के इंतज़ार मे आंखे बंद कर ली थी,
मैंने कमर को थोड़ा आगे सरकाया, लेकिन लंड फिसल कर गांड पर दस्तक देने लगा.
"आअह्ह्ह.... आदिल.... क्या हुआ?"
"बहुत टाइट चुत है आंटी आपकी, स्लिप हो गया "
"ज़माने हो गए बेटा कोई लंड अंदर ही नहीं गया,
"मैंने वापस लंड को चुत पर सेट किया और कमर को आगे सरकाया ही था की.....
"धड... धड... दगद... धड....अबे कौन है वहाँ क्या हो रहा है......किसी बुलेट बाइक की रौशनी मेरे ऊपर पड़ने लगी.
एक कड़क आवाज़ से मेरा कलेजा कांप गया, साथ ही आंटी का भी.
जब तक मैं कुछ समझ पाता एक मोटा सा आदमी, मेरे मुँह ओर टॉर्च लिए खड़ा था.
"मदरचोद क्या हो रहा है यहाँ, " उसने पूछा.
मैं अभी भी वैसे ही जड़ खड़ा था, आंटी की चुत मे लंड सटाए,.
जबकि उस आदमी के टॉर्च की रौशनी मेरे मुँह से होती मेरे पेट तक पहुंची फिर मेरे लंड पर पड़ी मेरे लंड से जुडी रेशमा आंटी की गोरी गांड पर रौशनी पड़ते ही कार के पिछले हिस्से मे चमक फ़ैल गई.
"तो साला तू यहाँ सुनसान जगह पर रंडी चोद रहा है " उस आदमी ने कड़क के पूछा.
"मममम... ननन... मैं... नहीं.... मैं.. नाइ... मैं " मेरा तो गला ही सुख गया रहा.
शायद आंटी की हालात भी यही थी, आंटी तुरंत पलट गई, साड़ी को नीचे सरका लिया, लेकिन ब्लाउज अभी भी खुला ही हुआ था, टॉर्च की रोशनी आंटी के सुडोल स्तनों पर पड़ रही थी, फिर चेहरे पे.
"अबे कहा से लाया ये रांड, मस्त माल है बे "
"बबबब.... बदतमीज़ी कौन है ये " आंटी ने हिम्मत कर बोला और साड़ी से अपने सीने को ढक लिया.
"साली रंडी मुझे बोलती है, यहाँ खुद चुद रही है और बदतमीज़ मैं हो गया, बाहर निकल,
उस आदमी ने टॉर्च बंद कर दी, कार की धीमी रौशनी मे वो आदमी दिखाई पड़ा, शरीर पर खाकी वर्दी चढ़ी हुई थी, मुछे रोबदार ऊपर को घूमी हुई, शक्ल बिल्कुल काली, पकोड़े जैसी नाक.
लेकिन hight कोई 6फ़ीट रही होंगी, बलिष्ठ हष्ट पुष्ट तोंद बाहर को निकली हुई,
साला पुलिसया था.
"ससस.... ससस.... वो... वो.. हम स्टेशन जा रहे थे " मैंने सफाई दी.
रेशमा आंटी और मैं कार से निकल के उसके ठीक सामने खड़े थे, आंटी के माथे लार पसीना आ गया था, शायद उन्हें अहसास हो गया था की वो फस गई है.
"तो ये रांड कहा से ले आया " पुलिस वाले ने पूछा.
"वो... ये... ये... रांड नहीं है " मैंने मिम्याते हुए बोला, मेरा लंड तो कबका सिकुड़ के 2इंच का रह गया था.
"मादरचोद तो ये तेरी माँ है क्या " पुलिस वाले ने रोबदार आवाज़ मे कहा और आंटी को ऊपर ज़े नीचे तक घूरने लगा.
"नन.. नहीं... माँ नहीं है "
"साले ऐसी माल तेरी माँ हो भी नहीं सकती, ये रांड ही है कोई, तभी तो बीच रास्ते मे अपनी आधी उम्र के लड़के से चुदवा रही है ".
"ददद... देखिये सर इज़्ज़त से बात कीजिये, अच्छे घर से हूँ मैं " आंटी ने जबरजस्त हिम्मत दिखाते हुए बोला.
"साली बहुत बोलती है, तेरी जैसी रंडिया खूब देखी है मैंने, पैसो वालो की बिस्तर ही गर्म करती होंगी तू तो,
चल थाने सारी हेकड़ी निकलता हुआ अभी.
थाने का नाम सुनते है हमारी तो गांड ही फट गई, आंटी ने मेरा हाथ कस के पकड़ लिया,"
बेटा बहुत बदनामी ही जाएगी मैं तो मर ही जाउंगी " आंटी ने मेरे कान मे फुसफुस्सया.
"सर वाकई हम अच्छे घर से है, थाने जायेंगे तो प्रॉब्लम हो जाएगी, कुछ ले दे के....
"हट मादरचोद, मुझे रिश्वतखोर समझा है क्या, चलो थाने साली बहुत बोल रही थी अभी तो."
उस पुलिस वाले ने मुझे हड़का दिया.
"सर प्लीज बात को समझो... " रेशमा आंटी ने रिक्वेस्ट किया.
हाथ जोड़ने से आंटी का पल्लू थोड़ा हट गया, पुलिस वाले के सामने आंटी के boobs चमक उठे,
साला एकटक देखता ही रह गया, साले ने शायद ऐसी चीज देखी ना होंगी.
"साली तू है तो रंडी ही, अकड़ भी है तुझमे, चल पहले तेरी अकड़ निकलता हूँ फिर सोचूंगा क्या करना है " पुलिस वाले ने देखते ही देखते अपनी पैंट खोल दी, पैंट जमीन छत रही थी, और लंड हवा मे किसी काले नाग की तरह फंफाना रहा था.
उसका लंड देख एक बार को मैं भी हैरान रह गया, मैंने आंटी की तरफ देखा उनका भी मुँह खुला का खुला रह गया.
साला पुरे शबाब मे खड़ा था कोई 9,10 इंच का लम्बा, और बेहद मोटा लंड था हरामी का जैसे कोई छोटी लोकि लटका रखी हो.
लंड के नीचे मोटे मोटे आकर के तो बड़े बड़े टट्टे झूल रहे थे.
लटके हुए आलू लग रहे थे
"अजा इसे चूस, मैं ख़ुश हो गया तो जाने दूंगा वरना थाने ले जा के ठूस दूंगा रंडी और तेरे इस दल्ले को "
मैंने आंटी को देखा उनकी नजरें मुझ पर ही टिकी हुई थी,
कभी मुझे देखती तो कभी उस पुलिस वाले के लंड को, हैरानी से उनकी आंखे फटी हुई थी.
"नाम क्या है तेरा रंडी " कड़क आवाज़ फिर गुंजी.
"ररर... रेशमा...."
"वाह रंडियो वाला ही नाम है, चल अब चूस इस लंड को टाइम नहीं है मेरे पास "
टाइम तो अब हमारे पास भी नहीं था, तभी मैंने देखा रेशमा आंटी आगे बढ़ गई, और घुटनो के बल झुकती चली गई, शायद हवास अभी भी उनके सर पर सावर थी, ऊपर से साले का भयानक लंड कोई औरत खुद को कैसे रोक लेती.
रेशमा के हाथ काँपते हुए आगे बढ़ गए,
ईईस्स्स.... आअह्ह्ह.... वाह क्या गरम नाजुक हाथ है तेरे "
आंटी ने पुलिस वाले के लंड को पकड़ लिया, बमुश्किल ही हथेली मे समा रहा था.
आंटी ने धीरे से अपने हाथ को पीछे की तरफ चलाया, लंड के सुपाड़े से चमड़ी हटने लगी, एक गंदी सी स्मेल मुझ तक आई, आंटी की नाक तो ठीक लंड के सामने थी, कैसेली गंध से आंटी का मुँह बिगड गया.
लेकिन मरती क्या ना करती, आंटी ने लंड की चमड़ी को पूरा पीछे की ओर खिंच दिया.
याकंम्म्म..... हरामी के लंड पर सफ़ेद सी पापड़ी जमीं हुई थी, पसीने की अजीब गंध ने आंटी के दिमाग़ को हिला दिया.
एक बार को आंटी ने सर साइड कर लिया.
"साली रंडी... चूसना इसे या ले के चलू थाने,
आंटी ने एक बार सर ऊपर उठा के उसे देखा फिर वापस अपनी नजरें लंड पर जमा ली.
वाकई उस पुलिस वाले के लंड की गंध बहुत गंदी थी, या सिर्फ मुझे ही ऐसा लग रह था.
"सससन्ननणीयफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..... सससन्ननीफ्फ..... Iiisssz...." आंटी ने एक जोरदार सांस खिंच ली, वो गंदी कैसेली पसीने से भीगे लंड की बदबू रेशमा आंटी के जिस्म मे समा गई.
आंटी की तियोरिया चढ़ गई, आंखे लाल हो गई थी, आंटी ने अपने होंठ आगे बड़ा दिए
और एक चुम्बन सुपडे पर दे दिया, ना जाने उस गंदे लंड मे मया नशा था..
मैंने चुपके से अपने मोबाइल को जेब से निकाल विडिओ रिकॉर्डर ऑन कर मोबाइल हाथ मे पकड़ लिया.
साला मेरी किस्मत ही ख़राब थी, पटाया मैंने और खा ये हरामी पुलिस वाला रहा है.
सामने आंटी ने अपनी जीभ को बाहर निकाल पुलिस वाले के सुपडे पर रख दिया.
"आअह्ह्ह.... क्या गरम जीभ है तेरी रेशम " पुलिस वाले का हाथ आंटी के सर को सहलाने लगा.
आंटी ने एक बार फिर जीभ निकाल सुपडे के अंत से शुरू तक चाट लिया, जैसे उसे ये स्वाद पसंद आ रहा हो, यही काम आंटी ने 2,4 बार किया
उसका सूपड़ा थूक से सन गया था, आंटी के स्तन खुली हवा मे झुल रहे थे.
गुलप... गुप... गुप्प्प.... आंटी ने पूरा मुँह खोल सुपडे को मुँह मे भर लिया.
"आआआह्हः..... ईईस्स्स.... पुलिस वाले का सर ऊपर को उठ गया..
आंटी के लाल होंठ सुपाड़े पर कसते चले गए और पीछे को हटने लगे, अंत तक जा कर आंटी ने वापस गुलप से पुरे सुपडे को मुँह मे भर किया.
मेरा लंड वापस से तनाव खाने लगा, मैंने एक हाथ अपने लंड पर रख लिया.
लंड पर जमीं सफ़ेद पसीने की मेल आंटी के मुँह मे समाने लगी.
उउउउफ्फ्फ्फ़.... यार ये अमित की माँ वाकई मे बहुत प्यासी निकली साली, इतना गन्दा लंड आराम से मुँह मे लील गई.
पुलिस वाले के हाथ रेशमा के सर को सहला रहे थे जैसे शाबासी दे रहे हो.
आंटी मे ही वासना जबरजस्त भरी हुई थी, मुँह को और अगर धकेल दिया,
लंड वाकई मे बहुत मोटा और लम्बा था, लेकिन आंटी ने भी जितना हो सकता था उतना मुँह खोल लंड को अंदर आने दिया.
2,4 प्रयासों मे आधा लंड रेशमा के मुँह मे अठखेलिया कर रहा था..
रेशमा आंटी पच... ओच.... गु.. गु... गीच... कर लंड चूसे जा रही थी.
वेक... वेक... वेक... करती थूक नीचे गिर रहा था, लंड का मेल थूक के साथ धूल रहा था.
हर बार थोड़ा थोड़ा लंड और ज्यादा अंदर को चला जा रहा था.
"चूस साली रांड, क्या चूसती है तू लंड.... आअह्ह्ह.... उफ्फ्फ... और अंदर ले, चूस इसे, आज तक ऐसा किसी ने नहीं चूसा साली रंडी.
ना जाने क्यों जब जब वो पुलिस वाला आंटी को रंडी बोलता, आंटी और जोर लगा कर लंड को मुँह मे भर लेती.
वेक.. वेक... वेक.... गीच... गीच.... गोच.... गु.. गु... पच. पच... की आवाज़ गुजने लगी थी, रेशमा पूरी लगन से लंड चूस रहु थू.
थूक लंड से रिसता हुआ टट्टो को भीगो रहा था,
तभी रेशमा ने होने हाथो को बड़े बड़े टट्टो पर रख दिया और उसे सहलाने लगी.
"आअह्ह्हब..... साली.... गजब है रे तू, मर्द कैसे खुद होता है तुझे पता है" पुलिस वाला भी आंटी की तारीफ कर उठा.
थोड़ी देरअंडर चूसने और टट्टो को मसलने के बाद आंटी ने लंड को मुँह से बाहर निकाल तो थूक लार की एक लाइन सी बन गई, जिसने होंठो और लंड को आपस मे जोड़े हुआ था.
आंटी ने लंड को उसके पेट पर चिपका दिया और अपनी जीभ को ऊपर से नीचे चलाने लगी, पच.... सुडप सुडप..... थूक से सने टट्टे चमक रहे रहे..
आंटी से रहा नहीं गया, उसने टट्टो पर अटैक कर दिया, चाटने लगी जैसे गुलाब जामुन हो.
"आअह्ह्ह... चाट मेरे टट्टे,, खा जा इन्हे रेशमा रांड "
पुलिस वाले का उकसाना था की, आंटी ने सही मे उसके एक टट्टे को मुँह मे भर लिया, जिसे अंदर ही अंदर जीभ ज़े चुभलाने लगी,
फिर दूसरे टट्टे को.... फिर पुरे लंड को चाट लेती.
मैं पागल गए जा रहा था ये सब देख के, ऐसा तो मैंने सोचा भी नहीं था, गांव की सीधी साधी अपने अमित की माँ इतना अच्छा लंड चूसती होंगी.
रेशमा का चेहरा पूरा थूक से साना हुआ था, एक बार फिर आंटी ने लंड को मुँह मे भर लिया, लेकिन इस बात ज्यादा आक्रामक थी, पूरा लंड एक बार मे मुँह मे भर लेती फिर पूरा बाहर निकाल लेती, थूक का रेला निकल के बाहर आता, फिर वॉयस पुरे थूक को मुँह मे भरते हुए वापस लंड को लील जाती...
उउउफ्फ्फ्फ़.... आंटी हवास मे पागल हुए जा रहु थी.
वही पुलिस वाला अब कांप रहा था, उस से ये हमला सहा नहीं जा रहा था.
जबकि आंटी बदस्तूर लंड चूसे जा रही थी. पच...पच.... पचक.... फच..... गु.. गु.. गु.. वेक.. वेक.. वेक...
"आअह्ह्ह... रंडी बस मर मैं मरा अब... आह्हब.... रंडी रेशमा रंडी " पुलिस वाले ने शायद ऐसी औरत ना देखी हो.
आंटी बिल्कुल पागल हो गई थी, उसके टट्टो को मुट्ठी मे पकडे भींची जा रही थी,लंड कस कस के चूस रही थी.
वेक.. वेक.. वेक... आअह्ह्ह.... उउउफ्फ्फ्फ़... आअह्ह्ह
. मैं गया... आअह्ह्ह... फच.... फच... फाचक..... आअह्ह्ह... मर गया.
झटके से पुलिस वाला आंटी से अलग हुआ और उसके लंड ने ढेर सारे वीर्य की बौछार कर दी,
कुछ आंटी के मुँह मे गया तो कुछ उनके चेहरे पे, बाकि जमीन की भेंट चढ़ गया,
पुलिस वाला वही जमीन पर पसर गया, लेकिन मजाल की आंटी ने उसका लंड छोड़ा हो, वो अभी भी पीछे गिरे पॉलिसीए के लंड को हिलाये जा रही थी,.. बचा खुचा वीर्य रेशम आंटी की हथेली पर जमा हो गया था,
आंटी की आँखों मे अभी भी वासना थी.
बस मर रांड बस कर अब... हुम्म्मफ़्फ़्फ़... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....
ऐ लड़के चल निकल अब यहाँ से, और तू रंडी अगली बार दिखी तो बिना चोदे नहीं जाने दूंगा तुझे.
मैंने भी तुरंत पेंट ऊपर चढ़ी और आंटी को उठा कार मे बिठा लिया,
"उउउफ्फ्फ्फ़..... आंटी ये क्या था आपने तो उसकी हालात ही ख़राब कर दी." मैंने थोड़ा आगे जा कर आंटी को पानी पीने को दिया, आंटी ने पानी पिया और मुँह धोया.
आंटी अब कुछ कुछ होश मे थी.
लेकिन चेहरे पे काम वासना साफ दिख रही थी, एक अधूरा पन झलक रहा था.
"चलो स्टेशन मैं ठीक हूँ, और किसी से जिक्र ना करना इस बात का " आंटी के चेहरे पे गुस्सा, हताशा थी..

मैं खुद पहली बार रेशमा आंटी को इस हालात मे देख डर रहा था.
मैंने भलाई इसी मे समझी चुपचाप कार दौड़ा दी, आंटी ने तब तक अपना हुलिया ठीक कर लिया था.
कोई 15 मिनट मे हम स्टेशन आ गए थे, 3.45 हो चुके थे.
सामने ही अमित की बहन और जीजा खड़े थे.
उन्हें वापस ले कर हम वापस घर की ओर चल दिए, मंगेश जीजा आगे बैठे मुझसे बात कर रहे थे, पीछे आंटी और अनुश्री दीदी बतिया रहे थे,. आंटी अब बिल्कुल नार्मल हो चुकी थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो.
"ले मादरचोद, मतलब तू भी नहीं चोद पाया आंटी को " मोहित मे पूरी कहानी सुनने मे बाद कहा.
बाहर दरवाजे की आड़ मे मेरे होश उड़े हुए थे, मेरी मा ने कल रात एक अनजान आदमी का लंड चूसा था, वो भी किसी रंडी की तरह.
साली मेरी माँ मे कितनी हवास भरी पड़ी थी,
"हाँ यार किस्मत ही ख़राब है, आंटी तो कब से चुदना चाह रही है, खेर छोड़ तुम लोगो का क्या किस्सा है" आदिल ने पूछा.
मेरे मन मे वो विडिओ देखने की ललक जाग उठी, जो कल रात आदिल ने बनाया था, मैं देखना चाहता था माँ का रंडीपना.
अब मेरे लिए यहाँ कुछ बचा नहीं था सुनने को, मैं बाथरूम की ओर चल दिया मेरा लंड दर्द से फटा जा रहा था.
फिलहाल इस लंड को आराम देना ज्यादा जरुरी था.
Contd.....
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