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मेरी बेटी निशा -20

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निशा इतनी जोर की झडी की उसे उसके मूठ पर कण्ट्रोल न रहा और उसने झड़ने के साथ साथ अपने पापा के कमर पर मूत भी दिया।
निशा बेहोशी की हालत में अपने पापा के ऊपर सोयी पड़ी थी। लंड अभी भी चूत में फसा हुआ था और निशा के पानी में नहा रहा था।
जगदीश राय का लंड दर्द कर रहा था। लंड अभी भी वीर्य उगल रहा था।
जगदीश राय, समझ गया की निशा को जी-स्पॉट ओर्गास्म आ चूका है। उसने काँपती निशा को बाहो में भर लिया। निशा झड़ती जा रही थी।
कोई १० मिनट बाद निशा जाग गयी।
निशा: सॉरी पापा…।शायद मैं ने आपके ऊपर थोड़ी सु-सु (यूरिन) कर दी।
जगदीश राय (निशा के गालो में हाथ फेरते हुए): बस थोड़ी सी? क्या पूरी नहीं की…नहीं किया तो और कर दो…
निशा: क्या…? नहीं…मैं आपके ऊपर थोड़ी ही कर सकती हूँ।
जगदीश राय: क्यों नहीं…मैं कह रहा हु न मुझे भी सु सु लगी है आओ…साथ में कर दो…
यह कहकर जगदीश राय ने अपना लंड फिर से निशा की चूत में घुसा दिया और बोला।चलो साथ में सु सु करते है।बहुत मज़ा आएगा।
दोनों एक साथ सु सु करने लगते है।निशा की आखे आनंद से बंद हो जाती है।पेशाब धीरे धीरे निचे आने लगता है।दोनों को इतना मज़ा आ रहा है की दोनों एक दूसरे के होठों को चूसने लगते है।
जगदीश राय को अपने लंड पर गरम पानी का एहसास हुआ था निशा को भी अपने चूत में तेज खलबली महसूस हुई।निशा की मुह से सु-सु निकलते हुए सिसकी निकली थी। जगदीश राय निशा को कसके बाहो में भर लिया और उसके गालो को चुमा। 
निशा सु-सु करके वही पापा के ऊपर सो गयी। लंड अभी भी चूत के अंदर था।
निशा को चूत में कुछ महसूस हुआ। जब उसने आँख खोला तो अपने आप को पापा के ऊपर पाया। उसके दोनों मम्मे पापा की छाती से दबे हुए थे। और चूत में लंड खड़ा और कठोर हो चूका था।
निशा को अपने पापा का वादा याद आया की आज दोपहर तक लंड चूत से बाहर नहीं निकलने वाला है। सुसु की कामुक गंध सब जगह फ़ैल गयी थी, पर निशा को यह गंध और भी उत्तेजित कर रही थी।
जगदीश राय , अभी भी सो रहा था। निशा ने धीरे धीरे गांड हिलाकर लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया।
थोड़ी देर बाद जगदीश राय की आँख खुली। और पाया की निशा फिर से चुदवा रही है। और कमरे में सुसु की गंध उसे भी पसंद आने लगी।
एक गजब सा वातावरण हो गया था, पिशाब और वीर्य के बदबू से। पर आज बाप-बेटी ख़ुद को गंदे साबित करने में हिचकिचा नहीं रहे थे।
जगदीश राय ने निशा की आँखों में देखा और निशा मुस्करायी। और फिर आंखें बंद कर ऊपर-नीचे होने लगी।
जगदीश राय ने तुरंत निशा को निचे पटक दिया और जोर-जोर से निशा को पेलने लगा। निशा खुद भी यही चाहती थी। 
कोई 2 घन्टे तक , कभी निशा ऊपर तो कभी जगदीश राय, कभी डोगी स्टाइल तो कभी खड़े-खड़े निशा और जगदीश राय एक दूसरे को चोदते रहे।
शाम के 6:30 हो गया था। 
जगदीश राय: मैं तो थक गया बेटी…।अब तेरा यह बूढ़े बाप से इतना ही हो पायेगा।
निशा: अरे मेरे प्यारे पापा, आप नहीं जानते आप में कितनी ताकत है।
और पापा के टट्टो को दबाते हुए कहा।
निशा: देखो टट्टे अभी भी भरे हुए है।
निशा के टट्टो को दबाने से जगदीश राय की दर्द से सिसकी निकल गयी
निशा: चलो अभी ब्रेक ले लेते है। वैसे भी वह दोनों आते ही होंगे। रात को खाना खाने के बाद मिलते है, सो मत जाना पापा। ठीक है।।
जगदीश राय: अरे बेटी…मुझे नहीं लगता मुझसे कुछ हो पायेगा रात को…एक काम करते है…कल संडे हैं…मैं इन्हे फिर कहीं भेज देता हु…
निशा: जी नही, कोई बहाना नहीं…।मैं रात को 11 बजे आउंगी। लंड तैयार रखना, मेरी चूत तो तैयार है ही।
फिर निशा चल दी। 

जगदीश राय सोचने लगा की अब कैसे वह निशा और फिर आशा को खुश करे। वह अब २ पत्नियों के पति की दुविधा में फस चूका था।वह तैयार होकर जल्दी से मार्केट निकल गया।और एक मेडिकल स्टोर से बियाग्रा की गोली खरीद लाया और अपने रूम में छुपाकर रख दिया।वह समझ गया था की आज दोनों बेटियों की जवानी की गर्मी को शांत करने के लिए इसकी बेहद जरुरत है।
आज जगदीश राय को निशा की जबान से 'लंड' और 'चूत' जैसे शब्द सुनकर आस्चर्य हो रहा था। शायद ये उसने किसी सहेली के साथ बोलकर आदत डाल ली है।
रात का 10:45 बज चूका था। जगदीश राय अपने बैडरूम में बैठा हुआ था। बेडशीट बदली हुई थी पर कमरे में अभी भी सु-सु की गंध थी।
वह बार-बार किसी नई नवेली दुल्हन की तरह घडी को देखे जा रहा था। 
उसने धोती हटाकर अपने लंड को देखा। लंड , एक घायल शेर की तरह, सोया पड़ा हुआ था।उसने गोली खा लिया।
उसने सोचा अगर लंड जल्दी खड़ा नहीं हुआ तो तब तक निशा को चाटकर खुश करेगा।
वही आशा , सशा के सोने का राह देख रही थी। उसे पता था ही निशा फिर पापा से चुदने जाएगी। और पापा जो कल रात और आज दोपहर चुदाई करके थक गए है। 
पापा का यह बुरा हाल देखकर उसे बहुत मजा आ रहा था। उसने अपना कान दरवाज़े पर जमाये रखा।
ठीक 11 बजे जगदीश राय का दरवाज़ा खुला और निशा वहां खड़ी थी। पूरी नंगी थी। जगदीश राय, को उसके नंगापन पे आश्चर्य हुआ की कैसे उसे आशा-सशा का डर नहीं रहा।
जगदीश राय: बेटी…देखो…मुझे नहीं लगता आज ज्यादा देर होगा…मैं चाहु तो…
निशा (टोकते हुए): अरे पापा, आप उसकी चिंता क्यों करते है…।आप मुझे खुश देखना चाहते है न…।
जगदीश राय: हाँ बेटी…
निशा: तो , यह बताइये आपको मेरा कौन सा हिस्सा चुमना है…?
जगदीश राय: बेटी वैसे तो तुम पूरा चुमने लायक हो…पर तुम्हारी चूत बहुत प्यारी है।
निशा: तो आप सिर्फ मेरी चूत चूमो और चाटो। बाकि सब मुझपे छोड दो…ठीक है।
जगदीश राय: ठीक है।
निशा ने अपने चूत को जगदीश राय के चेहरे के ऊपर रख दिया। और जगदीश राय चाटने लगा। निशा ने फिर 69 पोजीशन में आकर पापा के लंड को मुह में ले लिया।
और निशा ने किसी वैक्यूम क्लीनर के फाॅर्स से पापा का लंड चूसने लगी।
हर चूसाई से एक "स्स्स…" की आवाज़ रूम में फ़ैल रही थी।
निशा की चूत की मादक खुसबू और लुंड के चूसने से, १० मिनट में ही जगदीश राय का लंड खड़ा होने लगा।
निशा फिर अपने पापा के ऊपर चढ़कर चोदने लगी।
1 बजे रात तक यही सिलसिला चलता रहा। जगदीश राय 2 बार झड चूका था। हर बार निशा उसकी लंड चूस कर खड़ा कर देती और लंड चूत में घूसा लेती। और फिर बिना रुके लंड को अलग अलग पोज में चूत में घुसवाकर चुदाने लगती।ज्यादा धक्के वही लगाती।कभी कुतिया की तरह बन जाती।कभी पापा के लंड पर चढ़कर कूदने लगती।
झडते वक़्त जगदीश राय दर्द से चीख पडता। निशा कितनी बार झड चुकी थी, उसकी गिनती वह भूल चुकी थी। पूरा बेड निशा के चूत रस से गिला पड़ गया था।
निशा पापा के इस दर्द से वाक़िब थी , पर वह अपने गरम चूत के सामने बेबस हो चुकी थी।
जगदीश राय: बेटी अब और नहीं…बस हो गया…।
निशा: ठीक है पापा…आज के लिए इतना। कल फिर करेंगे। ओके। तब तक आप अपने प्यारे लंड को आराम दे।
यह कहकर निशा पापा के माथे पर चुम्मी दी और अपनी गांड मटकाती हुई , नंगी ही अपने कमरे में भागती हुई चल दी।
Contd....

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