Ad Code

मेरी संस्कारी माँ -6

 अपडेट -6, मेरी संस्कारी माँ 

Picsart-23-12-15-13-06-25-871

मै शायद गलत सोच रहा हूँ, वो मेरी माँ नहीं हो सकती, ऐसा भी पाप है. ये सब कहानियों किस्सों मे होता
है, सच मे ऐसा नहीं होता.

मेरी मां तो बहुत संस्कारी घरेलु किस्म की महिला है, नहीं मैं गलत हूं.

लेकिन मम्मी इतनी रात को कहाँ गई होगी, शायद छत पर होगी या बाथरूम होगी, . हां यहीं होगा, मैं भी क्या सोच रहा हूं....
मै खुद को समझा रहा था, लेकिन अंदर से बहुत डर रहा था कांप रहा था,  कुछ समझ नहीं आ रहा था, एक अजीब से डर ने मुझे घेर लिया, बहुत गंदे गंदे ख्याल आ रहे थे....
अखीर मम्मी इतनी रात को कहाँ गई होंगी? वो हाई हील्स किसकी है?
मै तेज़ी से छत की ओर दौड़ पड़ा, दिल जोर जोर से धड़क रहा था, छत पर पंहुचा तो दिल और तेज धड़कने लगा क्यूकी वहां पर मेरी मां नहीं थी....
छत एक दम खाली थी, मेरा दिल बैठा जा रहा था, सांस नहीं आ रही थू, मुझसे अब चला नहीं जा रहा था.. मेरे घुटनों की जान निकल चुकी थी.
मै वही छत पर धड़ाम से बेसुध होकर गिर पडा.
करीब 2मिनट बाद मैंने खुद को संभाला और फिर कुछ देर बाद हिम्मत करके मैं दोबारा झोपडी की तरफ भागा, बदहवास पागल विक्षिप्त इंसान की तरह बेतहाशा भगा, मेरा गला सुख रहा था,
 कुछ भी समझ नहीं आरहा था.
मै झोपडी के पास जा के रुक गया, मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं अंदर देखने की, लेकिन मुझे जन्नना था, कन्फर्म करना था की वो मेरी माँ है?
मेरे कदम ऐसे बढ़ रहे थे जैसे किसी ने 100 किलो का पत्थर बांध दिया हो..
जिस्म की सारी ताकत सारी इच्छाशक्ति लगा कर मैंने एक बार फिर उस छेद से अंदर झाँकना शुरू किया.

अंदर असलम मेरी तरफ पीठ करके खड़ा हुआ था और वो औरत ज़मीन पर घुटनो के बल बैठी हुई थी....असलम के सामने उसके बिल्कुल नीचे...उस औरत का चेहरा अभी तक मुझे दिखाई नहीं दिया
था... क्यूकी असलम के शरीर से उसका चेहरा और शरीर इस समय कवर था...
वो औरत घुटनो के बल बैठ कर शायद असलम का कटा हुआ लंड मुँह से सहला रही थी...
क्योंकि उस औरत का सर लगतर तेजी से हिल रहा था और असलम जन्नत की सेर कर रहा था.
वो औरत तेज तेज लोडा मुह मे लिए चूस रही थी.

लेकिन अब मुझे ये सब देखने में बिल्कुल भी मजा नहीं रहा था मुझे तो कुछ और देखना था, मुझे कुछ और कन्फर्म करना था.
मुझे बस उस औरत को देखना था कि वो औरत वास्तव में है कौन?
आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह चूसो आअह्ह्ह्ह क्या चूसती हो तुम आअह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह पूरा पूरा ले मेरी जान अह्ह्ह्ह
चूस चूस आअह्ह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह आअह बहनचोद आअह्ह्ह्ह चूस मेरा लौड़ा अह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह चूस पूरा
चूस मेरा लंड अघ्ह्ह अह्ह्ह्ह..
 असलम उस औरत से ऐसे बात कर रहा था जैसे वो कोई सस्ती रंडी हो और लंड चुसवाते समय सिस्कारिया मार रहा था आअहह चूस चूस चूस मेरी जान चूस आह्ह्ह कहाँ से सीखा तूने ऐसा लोडा चूसना अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़.....

 अंदर कसाई असलम लंड चुसवा रहा था और बाहर मेरी गांड फटी पड़ी थी। मै अभी भी सोच रहा था मेरी संस्कारी मम्मी इस समय गई तो गई कहाँ? 
 कुछ भी हो मुझे कुछ दिख नहीं रहा हो,  लेकिन इतना कह सकता हूं वो औरत लंड बहुत अच्छे से चूस रही थी जैसे कोई प्रोफेशनल रांड लंड चूसती है, चप चप.... चप..... गो... गोम.. वेक... वेकम... की आवाज़ से झोपडी गूंज रही थी, औरत का मुँह शायद थूक से सन गया था, क्युकी असलम के टाट्टो से थूक की लार लटकती हुई जमीन को छू रही थी. 15930299

उस औरत को मर्द को खुश करने की हर कला के बारे में मालूम था, और बाहर मैं सोच रहा था कोई औरत इतना घिनोना गन्दा लंड अपने मुँह में केसे चूस सकती है... साला पता नहीं मूत कर अपना लंड साफ भी करता होगा या नहीं?

लेकिन शायद उस औरत को इन सब से आज कोई फ्रक नहीं पड़ रहा था, उसे बढ़ वो 9इंच का लंड चूस चूस के चाट चाट कर एकदम साफ कर देना था, वो औरत बड़े प्यार से उस असलम का लौड़ा अपने मुंह में अंदर बाहर कर रही थी.

 तभी उस औरत ने अपना मुँह हिलाना बंद किया और लंड को मुँह से बाहर निकाल, अपना चेहरा साइड मे किया, 20210804-172452 जिससे मुझे पहली बार उसका चेहरा देखने का मोका मिल ही गया, उस औरत ने ढेर सारा गन्दा थूक वही जमीन पर थूक दिया, शायद उसका पूरा मुँह असलम के लंड की गंदगी और थूक से भर गया था..
परन्तु जैसे ही मैंने उस औरत की एक झलक देखी,  देखते ही मेरी गांड फट के हाथ में आ गई, आँखों से आंसू बह निकले, मन कर रह था अभी कही जा के मर जाऊ, क्युकी जो सामने दिख रहा था उसके होते हुए भी मुझे विश्वास नहीं हो रहा था.
ऐसा कैसे और क्यों हो सकता है कही ये सपना तो नहीं है?
लगता था मेरे दिल ने काम करना बंद कर दिया है, मै वही पीछे झाड़ियों मे सर पकड़ा गिर पड़ा  

वो औरत कोई और नहीं मेरी संस्कारी माँ ही थी, कोई सस्ती रंडी नहीं मेरी घरेलू, पवित्र माँ थी.
हे भगवान.. मेरी मम्मी उस असलम के साथ नंगी थी, उसका गन्दा लंड रंडियो की तरह चूस रही थी, अभी कुछ देर पहले जिसकी चुदाई देख कर मैं अपना लंड हिला रहा था वो और कोई नहीं मेरी 40  साल की संस्कारी पतीव्रता, घेरुलु महिला, मेरी सगी मम्मी थी....

जिस्म में जान नहीं बची थी मेरा शरीर कभी गरम तो कभी ठंडा हो रहा था.
झोपड़ी के बाहर बैठा मै गहरी सोच में था, क्यूकी कोई रंडी नहीं मेरी सगी संस्कारी माँ है,  मेरी माँ जिसने मुझे पैदा किया, पाला पोसा, इतना बड़ा किया,  मेरे लिये खाना बनाया, मेरी मां जो दिन रात ध्यान लगाती है पूजा पाठ व्रत करती है, पापा से प्यार करती है, किसी गैर मर्द को देखती भी थी....सर पर हमेशा पल्लू पहनकर रहने वाली मेरी संस्कारी 40 साल की मम्मी...
आज एक कसाई खाने में रात के 10बजे मेरे पापा की गैर मोजुदगी मै इस झोपड़ी मे टांगे फैलाये चुद रही है.


जी हां  वो मेरी मां ही थी मेरी सगी मां, जिसे कुछ देर पहले मै कोई  बजारू औरत, रंडी समझ कर अपना लंड हिला रहा था लाइव चुदाई के मजे ले रहा था.


आखिर ऐसा क्या होगा गया जो मम्मी को यहाँ इस गंदे कसाईं के नीचे लेटना पड़ा,उस दिन तो जरा से टच के बाद मम्मी ने असलम को ताबड़तोड़ चांटो से पीटा था, फिर ये अचानक सप्ताह भर मैं ऐसा क्या हुआ? और ये सब कब से चल रहा है?
मेरे मन मे उठते सवाल मेरा दिमाग़ फाड़ देने पर अमादा थे.

खैर उस वक्त मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाई और सच का सामना करने का निर्णय लिया, काँपते पैरो के साथ मै एक बार फिर खड़ा हो गया, हिम्मत कर मैंने वापस आंख अंदर लगा दि,
ये पाप था, एक बेटे के लिए अपनी माँ को ऐसी हालत मे देखना पाप ही होता है.
लेकिन मेरा पाप मेरी माँ के सामने बहुत छोटा है, इस विचार से मेरे अंदर हिम्मत का संचार हो चला...

हे भगवान अब मेरी मां मुझे बिल्कुल साफ मेरे सामने दिख रही थी.. जी हां अब कंफर्म था कि वो और कोई नहीं मेरी मां ही थी, मां अभी भी घुटनो के बल बैठी थी, इस बार असलम पलट गया था, माँ की नंगी बड़ी गांड मेरी तरफ थी, लंड चूसने की वजह से माँ की मोटी गांड हिल हिल के आपस मे टकरा रही थी, पट... पट   पाटम... पच... पच..... करता मधुर सांगित गूंज रहा था..
असलम कसाई माँ के आगे बिल्कुल नंगा खड़ा था, माँ असलम के बड़े लंड को एक हाथ में पकडे उसके टोपे पर अपनी पवित्र जीभ घुमा रही थी,  पूरी गुलाबी जीभ से मेरी मां उसके टोपे के छेद के अंदर तक कुरेद रही थी, माँ की इस कामुक हरकत से मानो असलम पागल होरहा था अपनी आँखे बंद किये गुर्रा रहा था.
 मुझे यकीन नहीं हो रहा था मेरी संस्कारी मां को ये सब भी पसंद है मै अपनी माँ के नये रंग देख रहा था, एक औरत क्या होती है उसकी परिभाषा समझ रहा था.
माँ का पवित्र मांगलसूत्र असलम के लंड से लिपटा पड़ा था, चुडिया की घनक बता रही थी किस कदर माँ असलम के लंड की प्यासी है.
मैंने आज जाना एक संस्कारी घरेलु औरत जब काम क्रीड़ा पर आती है तो एक रंडी को भी मात दे देती है.

 किसी ने सच ही कहा है "नारी त्रिया चरितः " नारी का चरित्र कौन समझ पाया है?

माँ के चेहरे पर शिकन नाम की कोई चीज़ नहीं दिखाई दे रही थी, कही कोई जबरजस्ती नहीं लग रही थी, माँ ये काम मज़बूरी मे कर रही ऐसा तो दिख ही नहीं रहा था.
उल्टा मां बहुत ज्यादा उत्साहित, खुश लग रही थी, ऐसा लग रहा था बहुत सालो बाद माँ को ऐसा मजा मिल रहा है, ऐसा लंड हाथ मे,मुंह मे लेने के लिए मरी जा रही हो.

 मम्मी ने शायद ही कभी पापा का लंड पकड़ा हो उसे मुँह मे लिया हो, और आज असलम का लंड मेरी माँ के मुँह में था... कुछ देर माँ ने जीब से लंड को चाटा चूसा और फिर असलम के
मूसल दार लंड को ऊपर की ओर उठा, अपनी जीभ को नीचे की तरफ लंड की जड़ मे टिका दिया, बेतहासा चूमने लगी, चाटने लगी.
याकककककक..... माँ की हरकत देख मेरा जी मचलाने लगा, असलम के गंदे काले पसीने से सने लंड और टाट्टो के नीचे माँ बड़े चाव से चाट रही थी.
थूक कर फिर चाट लेटी....
उफ्फफ्फ्फ़..... ये सब कब सिख लिया मेरी माँ ने, क्या उसे घिन्न नहीं आ रही?

देखते ही देखते मेरी माँ की गुलाबी जबान असलम के टाट्टो पर रेंगने लगी.

अपनी गुलाबी गुलाबी जबान से बड़ी उत्तेजित होकर असलम के टट्टो को मुँह मे भर लिया, जितना मुँह खुल सकता था उतना खोल के भर लिया..... वेक.... वेक.... शायद माँ को उबकाई भी आई लेकिन उसने लंड छोड़ा नहीं, बड़े टट्टे थे असलम के फिर भी मेरी माँ ने उन्हें पूरा मुँह मे भर लिया, ball-sucking-001 ball-sucking-gifs-001
मै एकदम शॉक था, एक दम शॉक....यह सचमुच मेरी माँ है.?.
क्या यही मेरी माँ है..?
..हे भगवान माँ को ये सब करना आता है ऐसा तो प्रोफेशनल रंडिया, कॉल गर्ल्स, चुद्दकड़ लड़किया भी नहीं कर पाती होंगी.

असलम अपनी आंखें बंद किये जन्नत मे खोया हुआ था, उसे 72 हूरो का मजा अकेली मेरी माँ दे रही थी.

 मम्मी असलम के टट्टो पर लगतार, तेज तेज अपनी जीभ घुमा रही थी, एक हाथ से उसके लंड को ऊपर कर पकड़ रखा था. मम्मी का मुँह असलम के लंड के बिल्कुल नीचे था, माँ के ऐसा करने से उसकी नंगी मादक बड़ी गांड हिलती हुई एक दूसरे से टकरा रही थी.
असलम ये नजारा बर्दास्त नहीं कर सका, असलम आगे को झुकते हुए माँ की गांड की दरार मे ऊँगली घुसेड़ दि....
आआहहहहह..... आउच.... गु.... गु.... वेक वेक.... 20231031-152607
परन्तु मजाल की माँ टट्टे अपने मुँह से निकाल दे, वो वैसे ही कसमसा के टट्टे मुँह ने भरे चुबलाती रही, मुठी लंड पर कसी ऊपर नीचे हिल रही थी.
आआहहहह.... आह्ह्ह्ह चूस चूस चाट मेरे टट्टे अह्ह्ह्ह आह्ह क्या चाटती है तू आअह्ह्ह्ह आह्ह चाट... और अंदर के.

चाटअकककक...... तभी असलम ने एक जोरदार चाँटा मेरी माँ की गांड पर जड़ दिया...
ऊफ्फफ्फ्फ़..... माँ थोड़ा कसमसई लेकिन टट्टे चाटना जारी रखा .
"साली उस दिन तो तू बड़ी सती सावित्री बन रही थी, सब्जी वाले के सामने बड़ी संस्कारी बन रही थी... और
आज मेरी झोपड़ी मे मेरे टट्टे चाट रही है.
चटक.... चाटताक्क्क..... असलम ने एक थप्पड़ और जड़ दिया माँ की गांड पर, माँ की गांड एक दूसरे से टकरा कर रह गई.
असलम माँ को उकसा रहा था...
चाट चाट मेरा लौड़ा चूस आआह्ह्ह तू मेरी है सिर्फ मेरी अह्ह्ह्ह चाट साली अह्ह्ह्ह.... आह्ह क्या
चुस्ती है तू... आह्ह आअह्ह मै तो पहके दिन से ही फिदा था तेरे ऊपर, मै जनता था तेरी जैसी संस्कारी औरते जब चुदवाती है तो रंडी को भी पानी पीला देती है.... आअह्ह्ह..... उफ्फ्फ्फ़.... कितनी गरम चुददककाड़ औरत है रे तू?
 दुनिया की सामने तू संस्कारी बनती है... और अकेली मे लंड चुस्ती है, एक गैर मर्द का...
चूस साली बुझा ले अपनी प्यास...
असलम लगातार बड़बड़ा रहा था, माँ को उकसा रहा था,
उसकी गन्दी तारीफ का असर भी हो रहा था.
माँ और भी उत्तेजित हो कर एक हाथ से अपनी चुत सहका रही थी, टट्टे को चाटते हुए लंड के टोपे को मुँह मे भर लेती, तो वॉयस टोपे से चाटती नीचे तक आ टट्टो को मुँह मे भर लेती...
उफ्फ्फ्फ़...... ये मेरी माँ ने कब और कहाँ से सीखा होगा?
मेरे लिए ये जानने का विषय बन चूका था.
पूरा लंड थूक से सना पच पच पच.... कर रहा था चुडिया खन खन खन.... करती असलम के लंड को उकसा रही थी.


असलम मेरी माँ के बाल पकडे अपने लंड पर धकेल रहा था.zzzz-05-jap
Contd...।

Post a Comment

0 Comments