Ad Code

मेरी बेटी निशा -9

  अपडेट -9, मेरी बेटी निशा

Picsart-23-12-15-19-23-28-247

निशा कमरे के अंदर जाकर सीधे बाथरूम में चलि गयी। वह आघात स्थिति में कुछ सोच नहीं पा रही थी। 

ओर फिर शावर के निचे खड़ी हो गयी।  dl-big-boobs-shower-001


पहले सम्भोग का दर्द शावर के पानी से मिटाने की कोशिश कर रही थी। 


गरम पानी निशा की दर्दनाक चूत को सहलाता गया। निशा को आराम मिलता गया और दिमाग खुलता गया। 


और फिर निशा रोने लगी। खूब रोने लगी।


उसे पता नहीं चल रहा था की वह क्यों रो रही है पर आँसू रुक नहीं रहे थे।


बाथरूम के सफ़ेद फर्श पर लाल खून के धब्बे दिखाई दे रहे थे।  tumblr-3479a239a617c7078bd8af02b268af8a-6efb28ef-400


निशा की आसुओं ने पानी की मदद से खून को धोने में सफल हो ही गयी थी। और खून के साथ निशा को अपना कुंवारापन बहता हुआ महसूस हुआ। 


निशा पानी के निचे 20 मिनट तक ऐसे ही सर झुकाये खड़ी रही। फिर धीरे से शावर से बाहर आकर, शारीर टॉवल से पौछने लगी। 


और अपने आप को बाथरूम के मिरर के सामने पाया।


मिरर के सामने , उसकी आँखों ने , एक लड़की नहीं बल्कि एक औरत को देख लिया था। एक बहुत ही सुन्दर औरत, जो उसकी पापा के शब्दो में किसी अप्सरा के काम नहीं है।


और फिर निशा के होटों में मुस्कान आ गयी।


निशा (मन में): देखा माँ, आज तुम्हारी निशा ने अपने ही पापा के साथ वह किया जो तुम सोच भी नहीं सकती… बचपन से तुम मुझे सुशील लड़की बनाने में लगी थी…निशा यह मत कर।। वह मत कर। पैर फैलाके मत बैठ…छोटे कपडे मत पहन… अपनी छोटी बहनो के लिए आदर्श बन…।सब बकवास…।सब बकवास…तंग आ चुकी थी मैं तुम्हारी इस बकवास से…आज मैं पहली बार गन्दी फील कर रही हु…। और देखो मुझे सिर्फ ख़ुशी ही हो रही है…।आज मैं पहली बार आज़ाद हुई हु… तुम्हारी सड़ी हुई सोच के कैद से…।


निशा अपने आप से मिरर के सामने खड़ी रहकर यह सोचती रही। 


उसे एहसास हुआ की वह अपने पापा को सिड्यूस कर रही थी, वह दरअसल , पापा के लिए नहीं बल्कि खुद के लिए कर रही थी। खुद को आज़ाद पाने के लिये।।।


और फिर मुस्कुराते हुए अपने गीले बालो को सवारना शुरू किया। 


फिर निशा अपने रूम में चलि गयी। वह पूरी नंगी थी। और अब उसे अपने नंगेपन पर गर्व हो रहा था।

निशा ड्रेसिंग टेबल से सामने बैठ गयी और अपने दोनों पैर ड्रेसिंग टेबल के इर्द-गिरद रख दिया।


और उसके ऑंखों के सामने उसकी चूदी हुई चूत मिरर में एक खिले हुए फूल की तरह नज़र आयी।


एक नयी नवेली दुलहन की तरह वह अपने चूत को घुरे जा रही थी।


चूत, जो पहले, छोटी हुआ करती थी, अब फुलकर खुल गई थी। और अंदर का लाल भाग भी साफ़ दिखाई दे रहा था। पहेली चुदाई के कारण चूत के होठ सुजे हुए थे और लाल हो गए थे।


निशा ने अपना एक हाथ जब चूत पर हाथ रखा तो दर्द महसूस हुआ। l पर वह धीरे धीरे अपने चूत को सहलाने लगी। धीरे धीरे दर्द मीठा होता गया और शरीर में मस्ती की लहर आने लगी।


निशा के ऑखों के सामने उसके खून से लथपथ पापा का मोटा लंड का लाल सुपाडा चमकने लगा।


उसने अपने ड्रेसिंग टेबल के ड्रावर में से वेसलिन का डिब्बा उठाया और वेसिलीन लेकर अपने चूत के होटों पर मल दिया। 


फिर निशा ने अपने नंगापन को टॉवल से ढक लिया।


निशा (मन में): मुझे आशा और सशा के आने से पहले पापा के रूम से चद्दर हटाना होगा। नहीं तो चादर पर खून दिखाई देगा। अब 2 बजे बजे है।4 बजे तक वो आने वाले थे। उन्हें इस बात की भनक भी नहीं पडना चाहिए।


और वह रूम के दरवाज़े के तरफ चल दी।


निशा(मन में): क्या मेरे इस तरह टॉवल में जाना ठीक होगा…।पापा के सामने…।।पर अब उनसे क्या छुपाना…।


और आज़ाद निशा जगदीश राय के रूम के तरफ चल देती है

अन्दर अपने कमरे में निशा के आसू भरी आँखों ने जगदीश राय के सीने को चीरकर रख दिया था।


उसे अपने आप पर शर्म आ रहा था।


वह वही नंगा पड़े बेड पर लगे निशा की चूत से निकली खून के धब्बो को घूरे जा रहा था।


जगदीश राय (मन में): यह मैंने क्या कर दिया… और क्यों किया… निशा तो बच्ची है…।सब मज़ाक़ समझ रही थी…उसने सपने में नहीं सोचा होगा की उसके पापा उसके साथ… है भगवन…।अब मैं निशा को किस मुह से फेस कर पाउँगा…।


तभी अचानक से रूम का दरवाज़ा खुला जो उसके सोच को काट दिया। 


जगदीश राय अपने ऊपर धोती चढाने को हाथ बढाया पर धोती बेड के दुसरे कोने में पड़ी थी। उसने सोचा नहीं था की कोई उसके कमरे में आएगा अब।


तब उनकी नज़र निशा पर पड़ी , जो धीरे से कॅमरे में प्रवेश किया। 


जगदीश राय तुरंत अपने दोनों हाथो से अपने लंड को छुपाये और बेड पर बेठा रहा। 


निशा टॉवल में लिपटी हुई थी और जगदीश राय को घूर रही थी। 


और जगदीश राय निशा की निरंतर घूरति निगाहों का अब सहन नहीं हो रहा था। अपराध बोध से वह सर झुकाये बैठा था।


निशा (कठोर रूप से): मुझे बेडशीट चेंज करनी है…। आशा-सशा के आने से पहले…


जगदीश राय (सर झुकाए): हाँ…ठीक है… मैं कर दूंग।।


निशा: नहीं…। मुझे करना है।


जगदीश राय: ठीक है… मैं धोती पहन लू…।


निशा (कठोर आवाज़ से): नहीं…रुकिए…।आपकी मालिश कहाँ पूरी हुई है…मालिश के बाद मैं चेंज कर दूंग़ी।


जगदीश राय , मालिश का नाम सुने चौक गया और कई सवालों के साथ निशा के चेहरे की तरफ देखा।


निशा (मुँह फेरती हुए): चलिए…लेट जाईये…


जगदीश राय: नहीं बेटी…नहीं… मुझे इस तरह शरमिंदा मत करो… मैं तुम्हारा कुसवार हु…मेरी नियत में खोट थी।।।मैंने तुम्हारे साथ वह किया जो एक बेटी बाप को कभी माफ़ नहीं कर सकती… इसलिये मैं माफ़ी मांगने के भी लायक नहीं हूँ…।प्लीज…।चलि जाओ…और मुझे आज से पापा बुलाने की ज़रुरत भी नहीं…


निशा: मैंने कब कहा की आपकी नियत ठीक नहीं थी…बस तरीका सही नहीं था…


जगदीश राय निशा की यह बात सुनकर बौखला गया और गुमराह बच्चे की तरह निशा के चेहरे को घूरता गया।


जगदीश राय: तो क्या…तुम्हे…।यह सब…।


निशा: जी नहीं…मुझे बिलकुल अच्छा नहीं लगा… इससे हैवानियत कहते है…।फॉर योर काइंड इन्फोर्मटिशन


निशा(सर झुकाए): मैं तो समझी थी की आप मेरे दोस्त है… और जो करेंगे प्यार से करेंगे…।


निशा: पर आपने ।। वह किया… जो।।


जगदीश राय थोड़ी देर यह सुनकर चुप रहा ।


जगदीश राय: मैं तुम्हारा दोस्त हु… और इस दोस्त को तुम जो सजा देना चाहो मुझे मंज़ूर है।।


निशा (मुस्कुराते हुए) : सजा तो मैं दूंगी, पर वक़्त आने पर। 


और निशा टॉवल पहनी जगदीश राय के बेड पर बैठ गयी। 


जगदीश राय अब तक पूरा नंगा अपने हाथों से लंड और टट्टो को छुपाये बैठा था।


निशा: चलिये… लेट जाईये…।

जगदीश राय ने , बड़ी कोशिश करके थोड़ा सा मुस्कुराये और लेट गया।


निशा: और आप क्या यह हाथ पकडे लेटे है…ऐसा क्या खज़ाना छुपा रहे है जो मुझे पता ही नहीं… चलिये हाथ दोनों सर के पीछे…समझे…।हाँ ऐसे…।


जगदीश राय अब तक पूरा नंगा अपने हाथो से लंड और टट्टो को छुपाये बैठा था।


निशा: चलिये… लेट जाईये…।


जगदीश राय , बड़ी कोशिश करके थोड़ा सा मुस्कुराये और लेट गया।


निशा: और आप क्या यह हाथ पकड़े लेटे है…ऐसा क्या खज़ाना छुपा रहे है जो मुझे पता ही नहीं… चलिये हाथ दोनों सर के पीछे…समझे…।हाँ ऐसे…।


जगदीश राय निशा की ऑंखों को घूरते , हाथ पीछे ले गया। और अर्ध-खड़ा लंड निशा की ऑंखों के सामने खुला पड़ा था।

निशा ने मुस्कुराते हुए लंड को देखा।


लंड पर अभी खून लगा हुआ था। और लंड जगदीश राइ के पेट पर गिरने से खून पेट पर भी लग गया।


निशा: ओह ओह आप ने अभी तक साफ़ नहीं किया…यह देखो…सभी जगह लाली फैला रहे हो…रुको साफ़ करती हूँ।।।


और निशा ने लंड और पेट को साफ़ करने के लिए ढूँढ़ते हुए इर्द-गिर्द नज़र घुमाया।


निशा: यहाँ तो तौलिया नहीं है…


जगदीश राय : बेटा …मैं बाथरूम जाकर साफ़ करता हु…रुको


जगदीश राय उठने लगा।


निशा: कोई ज़रुरत नहीं…मेरे पास जो है तौलिया…।


और यह कहते हुए निशा ने अपने हाथ को अपने छाती पर ले जाकर , चूचो के ऊपर लगी टॉवल की गाठ को खोल दिया। 


जगदीश राय आखे फाडे देखता रहा। और टॉवल के खुलते ही निशा के दो बड़े गोलदार चूचे आज़ाद हो गये।

निशा ने बड़े नज़ाक़त से सेक्सी स्टाइल में टॉवल को खीच लिया और गांड उठा कर टॉवल को अपने शरीर से अलग किया।  33915392


अब निशा अपने पापा के सामने पूरी नंगी , बेड के किनारे पर बेठी थी। और उसके पापा पुरे नंगे अपने फड़फडाते लंड के साथ उसके सामने लेटे हुये थे।


जगदीश राय निशा की चूचियों को बारीक़ी से निहार रहा था। गोरी भरी हुई चूचो के बीचो-बीच पर गुलाबी निप्पल।  20230617-165703


निशा ने अपने चूत को जांघो से ढक रखा था।


निशा: हाँ…अब इसे साफ़ कर देती हु…क्या घूर रहे हो पापा…खा जाओगे क्या।।हे ह


जगदीश राय: नहीं…बेटी… मैं तोह…।।।


निशा: हाँ…खा भी सकते हो…भेड़िये का रूप तो आपने दिखा ही दिया…


जगदीश राय : बेटी …मैं तो बस तुम्हारी सुंदरता निहार रहा था।।


निशा को यह सुनकर अच्छा लगा।


निशा: अच्छा…क्या सुन्दर लगा…बताईये…


जगदीश राय : बस यह ही सब…


निशा: खुलकर बताइए…


और साथ ही निशा ने टॉवल जगदीश राय के लंड पर डाल दिया और लंड को टॉवल से दबोच लिया।


जगदीश राय के मुह से आह निकल गयी।


जगदीश राय : आह…ओह…तुम्हारी चूचे बेटी…मस्त है।।।


निशा :अच्छा…क्या मस्त लगा इसमें…सभी के ऐसे ही होते है…


कब निशा ने टॉवल हटा दिया। जगदीश राय का लंड अब पुरे आकार में आ रहा था। 


निशा ने झटके से अपनी दायी हाथ से लंड को हाथो में दबौच लिया। images


जगदीश राय निशा के हाथ के स्पर्श से पूरा गरम हो चूका था।


निशा ने अपने मुठी के अंदर लंड को बढते हुए महसूस कर रही थी।


निशा ने पूरी ताकत से लंड के चमडी को पूरा निचे तक सरका दिया।


जगदीश राय ज़ोर के इस झटके से उछल पडा।


निशा (बेदर्दी से हस्ते हुए): बताइये…क्या मस्त लगा…


जगदीश राय : आह…आहह…।।तुम्हरी निप्प्प्पल…।कितने गुलाबी…तुम्हारी…।चुचे का आकार…सभी…


निशा: हम्म्म…अच्छा…तो ...इसलिये यह हज़रत फने खान बने हुए है…और देखो कितना खून लगा हुआ…है


और यह कहते हुए निशा ने खुरदरे टॉवल से लंड के कोमल टोपे पर रगड़ना शुरू किया।


जगदीश राय: अरे रुक जाओ बेटी…ऐसे नहीं… करते…।रुक जाओ…

निशा (हँसते हुए): यही आपकी सजा है…।हाथ पीछे ले जाकर लेटे रहो…जब तक साफ़ नहीं कर देती आपको सहना पड़ेगा…


और निशा लंड के कोमल टोपे पर टॉवल रगड़ती रही।


जगदीश राय मछली की तरह उछल रहा था। और निशा 9 इंच का लंड अपने मुलायम हाथ से जकड़ रखी थी।


वह बड़े प्यार से गुनगुनाती हुई लंड को 3 मिनट तक साफ़ किया।


निशा: लो।।हो गया आपका हथियार साफ़…


जगदीश राय ने लंड के तरफ देखा। लुंड के टोपा पूरा लाल हो चूका था। जगदीश राय तेज़ी से सास ले रहा था।।


निशा: क्यों…कैसी लगी सजा…यह सिर्फ पार्ट 1 था…


जगदीश राय : आहह…तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी…बेटी


निशा: चलिए…अब मालिश शुरू…


निशा ने तेल लिया और जगदीश राय के पेट और हाथो में मलने लगी। नंगी निशा लगभग अपने पापा के ऊपर चढ़कर मसाज कर रही थी।


जगदीश राय का शरीर का तेल निशा की चूचियों और जाँघो में लग रहा था। जगदीश राय मदहोश होकर सब सह रहा था।


निशा: अब फिर से पैरो की बारी…।


और निशा ने वह किया जो जगदीश राय को जन्नत का सैर करवा दिया।


निशा: पापा…आपके पैर इतने बड़े है मैं उनतक यहाँ से पहुच नहीं पाती। क्या मैं आपके ऊपर बैठ सकती हु?


जगदीश राय : ऊपर…मतलब।।?


निशा: मतलब…ऐसे…।


निशा ने उल्टी होकर अपने पापा के पेट की इर्द-गिर्द घुटनो के बल बैठ गयी। और फिर धीरे से पापा के तेल से लथपथ पेट पर अपनी गरम चूत को चिपका दिया। ass-scaled


जगदीश राय की 20 साल की बेटी अब नंगी होकर उनके ऊपर बैठी थी। मुलायम चूत और पेट के मिलन से जगदीश राय का लंड फडफडाने लगा।




निशा: ठीक है…पापा… कहीं मैं बहुत हैवी तो नहीं हु न…


जगदीश राय : नहीं बेटी…।बिल्कुल नहीं…।बहुत अछा लग रहा है…


और जगदीश राय ने पीछे से निशा के ऑवर-गिलास शेप को निहारते हुये, पीठ से हाथ सरकाकर कमर तक ले गया।


और दोनों हाथो से कमर को दबोच लिया।


निशा अब तेल लेकर पैरो का मसाज करने लगी। 


जब भी निशा जगदीश राय के घुटनो तक हाथ चलाती, अपनी गांड उठाति। और अपने पापा को अपनी गांड के छेद की झलक दिखाती।


जगदीश राय अब निशा की दोनों गांड के गालो पर अपना हाथ फेरना शुरू कर दिया था। 


निशा जानती थी की उसके पापा को बहुत खूबसूरत नज़ारा पेश हुआ है। और वह उसकी चूत भी क़रीब से देखना चाहते है। और वे अपने लंड का मालिश भी करना चाहते है। 

पर वह यह जान बुझकर टाल रही थी…अपने पापा के साथ खेल रही थी।


निशा: पापा…मज़ा आ रहा है…कही सो तो नहीं गए…हे हे।


जगदीश राय : नही…।बेटी…ऐसे ही करते रहो…चाहो तो थोड़ा ऊपर भी मसाज कर सकती हो…


निशा: पहले नीचे तो कर लू…बस हो ही गया।।थोड़ा सबर तो कीजिये पापा…


निशा: वैसे।।लगता है आप भी मेरा मसाज कर रहे है…।


जगदीश राय : क्या करू बेटी…तुम इतनी सुन्दर हो की।।रहा नहीं जा रहा… अगर तुम थोड़ा ऊपर कर दो तो मजा आ जाए।।।


निशा: अच्छा…कहाँ…यहाँ…?


और यह कहते निशा ने हाथो से दोनों टट्टो को हाथ से दबोच लिया।


जगदीश राय : आआअह…।हाँ…वही।


निशा: ठीक है…।पर इसके लिए मुझे थोड़ा पीछे बैठना होगा…


और यह कहते हुए निशा अपने बड़ी गांड जगदीश राय के छाती में समा देति है और आगे के तरफ झूक जाती है।।


निशा: यह ठीक है पापा…आप कम्फर्टेबल तो है न।।।


जगदीश राय ने कुछ जवाब नहीं दिया। उसके चेहरे के 3 इंच के दूरि पर अपनी बेटी निशा की सुन्दर गुलाबी चूत पूरी फ़ैली हुई थी। oily-pussy-tumblr-98719

Contd…..

Post a Comment

0 Comments