अपडेट-1
मेरी मां कामिनी
हेलो दोस्तों मैं बंटी अभी 12th में पढ़ता हूं, यह कहानी मेरी मां कामिनी के बारे में है, मेरी मां एक संस्कार, सुशील, घरेलू औरत है, माँ की शादी कोई 18साल की उम्र मे हो गई थी, मेरे नाना गरीब फॅमिली से थे, मेरी माँ घर की सबसे बड़ी लड़की थी, इस वजह से जल्दी शादी करनी पड़ी,. सामने से मेरे पापा का रिश्ता था जो बैंक मे क्लर्क की नौकरी पर थे.
अब शादी हुई है तो बच्चा भी होगा ही, मेरा जन्म तब हुआ जब माँ 20 साल की हो चुकी थी, मेरे बाद मां कोई बच्चा पैदा नहीं कर सकी, हालांकि पापा की बहुत इच्छा थी की मेरे बाद भी एक दो बच्चे पैदा हो जाते, न जाने क्या वजह थी की मेरे बाद कोई और औलाद नहीं हुई,
साल दर साल पापा का मोह मम्मी से खत्म होने लगा, आज मेरे पिता रमेश सरकारी बैंक मे मैनेजर की पोस्ट पर पहुंच गए है, व्यस्त हो गए है आपने जीवन मे, अब किसी बच्चे की उम्मीद नहीं है, मै एकलौता ही हूँ.
बात करे मेरी मां की तो वो आज 36 साल की है, दिखने में आज भी बिल्कुल जवान खूबसूरत, मादक जिस्म की मालकिन है, मै बचपन से माँ को देखता आया हूँ, साल दर साल उनका जिस्म और तरक्की करता रहा है, स्तन और गांड बाहर को निकले अपने घमंड मे रहते है, माँ अक्सर अपनी जवानी को साड़ी मे कसे रहती है. लेकिन जवानी ऐसी चीज है जो छुपाये नहीं छुपती, ये सब बाते अब मै भी महसूस करने लगा था, 10वी पास कर जब बड़े स्कूल गया तो वहाँ कुछ अतरंगी दोस्त मिले, जिनसे मैंने औरतों लड़कियों के बारे मे सुना समझा.
माँ समय के साथ और भी मादक और जवान होती चली गई, जैसे कोई पुरानी शराब हो वही मेरे पिता शराब के आदि होते चले गए, माँ से कोई सरोकार होता नहीं,
एक मर्द जब नाउम्मीद हो जाता है तो वो संसार से विमुख सा हो जाता है पापा के साथ भी यही हुआ, उन्होंने शराब का सहारा ले लिया, अब ऐसा कोई दिन नहीं होता जब वो दारू पी के घर नहीं आते. समय और शराब के साथ साथ पापा का गुस्सा भी बढ़ता चला गया.
कहानी शुरू होती है जब मे 10वी मे था, मेरे बोर्ड एग्जाम थे.दुनिया दारी, मर्द औरत के बारे मे ज्यादा कोई समझ नहीं थी मेरा कमरा पापा मम्मी के बाजू के में था, अक्सर मैं पापा मम्मी के कमरे से चीखने चिल्लाने की आवाज सुनता था, उस समय नहीं जानता था की ये आवाज़े कैसी है.
कभी माँ से पूछ भी लेता तो कहती की टीवी मे फ़िल्म देख रहे थे.
लेकिन अब मैं जानता हूं वह आवाज मेरी मां की थी, उस समय समझ नहीं थी.
लेकिन एक दिन समझ आई मै 11th मे आ गया था, अतरंगी दोस्तों से काम ज्ञान ले रहा था.
एक दिन घर पर
गर्मी की रात में मेरे पिता ऑफिस से घर लौटे रात काफी हो चुकी थी,
मैं खाना खाकर अपने कमरे में सो रहा था,
"कामिनी ओ कमीनी" पापा चिल्लाते हुए घर में दाखिल हुए मैंने अपने कमरे का गेट खोल कर देखा पापा लड़खड़ाते चले आ रहे थे.
मैं खाना खा चुका था मम्मी खूबसूरत साड़ी पहने डाइनिंग टेबल पर पापा का ही इंतजार कर रही थी लेकिन पापा के लड़खड़ाते कदम देख मम्मी तुरंत उनकी तरफ भागी और उन्हें सहारा दिया.
"अजी क्या हो गया है आपको क्या हुआ आज" पापा की तरफ से कोई जवाब नहीं वह लड़खड़ाते सोफे पर जा बैठे.
हालांकि मम्मी के लिए कोई नई बात नहीं थी पापा अक्सर ऐसे ही घर आ जाया करते थे मेरे पापा सरकारी दफ्तर में एक अधिकारी की पोजीशन पर विराजमान थे, कुछ पैसों का घमंड कुछ पावर का घमंड, पापा लगातार दारु पीने लगे कभी ऐसा दिन नहीं होता जब वह बिन दारू पिए घर आते.
मम्मी से कभी वह सीधे मुंह बात ही नहीं करते थे, हालांकि मेरी तरफ से उनका रवैया नरम ही रहता था, मै अक्सर पापा से संडे को ही मिलता था, मेरे जगने तक पापा ऑफिस के लिए निकल जाया मरते थे.
मुझे कभी कुछ बोलते नहीं थे ना कुछ बोलते थे, कभी पैसे मांगता तो तुरंत दे दिया करते थे,.
हां लेकिन मम्मी को देखते ही उन पर बरस पड़ते थे.
आज भी यही हुआ आते ही मम्मी पर बरस पड़े
" चल साली खाना लगा, क्या बना है आज" मम्मी के लिए आम बात थी कई बरसों से पापा मम्मी से ऐसे ही बात किया करते थे.
मैं भी क्या कहता चुपचाप देखता था, लेकिन आज के दिन कुछ अजीब था या फिर यूं कहे कि मैं यह पहली बार देख रहा था.
अक्सर मै अपनी पढ़ाई की वजह से अपने कमरे मे ही रहता था, लेकिन अब 11th थी पढ़ाई का कोई खास लोड नहीं था.
तो मैंने आपने कमरे का गेट खोल दिया, मै आज जगा हुआ था टाइम 10.30 बजे थे.
मम्मी ने पापा को खाना लगा दिया.
जैसे ही पापा ने खाना चखा "आक थू... ये क्या बना दिया तुमने अभी तक तुम्हें ढंग से खाना बनान नहीं आया, इतनी मिर्ची"
पापा को किसी न किसी बात पर गुस्सा करना ही होता था, हालांकि खाना मैंने भी खाया था सब्जी अच्छी ही बनी थी लेकिन पता नहीं क्यों पिताजी को पसंद नहीं आई
"साली चल बताता हूं तेरे को" पापा मम्मी के बाल पकड़ अपने कमरे की ओर खींचते ले गए,
ये किस्सा मै पहली बार देख रहा था.
"अजी छोड़िये ना क्या कर रहे हैं आप बंटी बड़ा हो रहा है, कभी देख लेगा तो क्या सोचेगा" मेरी माँ कामिनी बड़बड़ाए जा रही थी.
लेकिन पापा का विरोध नहीं कर रही थी, शायद यही माँ के संस्कार थे.
मैंने महसूस किया मां मेरे बारे में फ़िक्र कर रही है.
" चल साली बंटी बच्चा है, उसे क्या मतलब तेरे से? पति-पत्नी का मामला है "
मैंने देखा पापा लगभग मम्मी के बाल खींचते हुए कमरे में ले गए
"मादरचोद सब्जी अच्छी बनानी आती नहीं तेरे को किस काम की औरत है तू, दूसरा बच्चा पैदा ना कर सकी तू.
पापा की दबी कुचली भावनाये नशे मे बाहर आ रही थी.
पापा नशे में न जाने क्या बड़बड़े जा रहे थे,
मैं अपने कमरे से निकल मम्मी के कमरे के बाहर जा पहुंचा. पापा ने कमरा नहीं बंद किया था.
अंदर लाइट जल रही थी दरवाजा खुला हुआ था.
मैंने देखा पापा ने मम्मी को घसीटते हुए बिस्तर पर गिरा दिया. यह पहली बार में अपनी आंखों से देख रहा था जबकि ऐसी आवाज़ मुझे बहुत सालों से अपने कानों में सुनाई देती थी लेकिन मैंने कभी गौर नहीं किया,
आज न जाने क्यों मेरे कदम मम्मी के कमरे तक चले गए पापा का चेहरा नशे में बहुत भयानक लग रहा था,
मम्मी बिस्तर पर हाथ जोड़ गिड़गिड़ा रही थी
"क्या कर रहे हैं आप जाने दीजिए ना रोज का नाटक लगा रखा है आपने"
" साली मुझे सिखाती है रुक तुझे बताता हूं " पापा ने अपनी पेंट खोल दी,
"मदरचोद साड़ी खोल अपनी चल" पापा ने जोरदार आवाज़ में एक आर्डर दिया.
मां क्या करती चुपचाप अपनी साड़ी खोल दी, जीवन में पहला मौका था जब मैं अपनी मां को पेटिकोट और ब्लाउज में देख रहा था.
, "साली यह ब्लाउज पेटीकोट कौन उतरेगा तेरा बाप" पापा ने शर्ट भी उतार दी बिलकुल नंगे थे, उनकी पीठ मेरी और थी.
मम्मी उनके नीचे लेती हुई थी.
मां डर के मारे कांप रही थी, लेकिन मेरे पिताजी को कोई शर्म नहीं थी
मैंने देखा पिताजी पूरी तरह से नंगे थे मुझे उनकी गांड नजर आ रही थी.
मैं इतना भी छोटा नहीं था कि मैं समझ नहीं सकता कि क्या हो रहा है.
मेरी खूबसूरत मां, गोरे साफ जिस्म की मालकिन हाथ जोड़ मेरे पिताजी के सामने लेटी थी "आज रहने दीजिये ना?" माँ ने जैसे विनती की हो
"हट साली तेरा रोज़ का ड्रामा है, तेरी चुत मे खुजली नहीं होती क्या " पापा गंदे गंदे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे.
"आज रहने दीजिए ना, दर्द होता है बहुत "
,"साली लंड लेने में क्या दर्द? एक लड़के की माँ है और अभी भी तेरी चुत मे दर्द रहता है" पापा मम्मी को ताने मार रहे थे.
मम्मी ने विरोध करना ठीक ना समझा चुपचाप बिस्तर पर लेट गई और अपने पेटिकोट को कमर के ऊपर चढ़ा लिया.
मुझे वहां से चला जाना चाहिए था, लेकिन ना जाने क्यों मैं वहां टिका रहा, मै आज इतने सालो मे आपने ही घर मे इतनी अजीब चीज देख रहा था.
आखिर यहाँ होता क्या है, मै जब भी रात मे उठता था माँ की चिल्लाने की आवाज़ आती ही थी.
आज सब कुछ आँखों के सामने था.
मैने अभी जवानी की दहलीज पर कदम रखा ही था, थोड़ा बहुत तो जानता थाआदमी औरत क्या करते है रात मे.
लेकिन इतना भी नहीं, मां ने जैसे ही अपना पेटिकोट ऊपर किया उसकी खूबसूरत मोटी चिकनी जाँघे चमक उठी,
लेकिन मां के माथे और सीने पर पसीना था, स्तन उठ उठ के गिर रहे थे,
"तुझे चुत के बाल काटने में क्या दिक्कत होती है मदरचोद " पापा ने मेरी मां की जांघो के बीच बाल देख गुस्से से और ज्यादा भर गए .
पापा की बात पर गौर करते हुए मेरी नजरें भी वहाँ चली गई, वाकई माँ मी जांघो के बीच कुछ नहीं दिख रहा था, सिर्फ बाल ही बाल थे.
"जब तुझे एक बार बोल दिया मुझे चुत पर बाल पसंद नहीं तो साली बाल क्यों बढ़ाती है"
पापा का चेहरा गुस्से से लाल था,
" सॉरी सॉरी कल साफ कर लूंगी, वो आप इतने दिनों से...... चट... चटाक...आअह्ह्ह सॉरी... ना " माँ के शब्द बीच मे ही अटक गए, पापा का एक थप्पड़ माँ की जांघो पर जा लगा.
शायद पापा का गुस्सा लाजमी था " चल मदरचोद कुत्तिया बन" पापा ने जैसे आदेश दिया.
मैं हक्का-बक्का रह गया, यह कुत्तिया बनना क्या होता है?
मैं अभी सोच में ही था, की मां पेट के बल लेट कर अपनी गांड को ऊँचा कर दिया,
मैंने अपने स्कूल के दोस्तों से ही सुना था कुतिया बनना, आज मैं पहली बार देख रहा था की कुतिया कैसे बना जाता है.
चटाक...चटाक.... पापा ने दो तमाचे मां की गांड पर थाड थाड कर मार दिए.
"आअह्ह्ह..... आउच... उउउफ्फ्फ... क्या करते हो जी" मां दर्द से तड़प उठी
" साली इतनी बड़ी गांड लेकर घूम रही है और बोलती है दर्द हो रहा है"
चटाक चटाक.....पापा ने दो थप्पड़ और खींच खींच कर माँ की गांड पर मार दिए.
मैंने देखा मां की दोनों गांड थप्पड़ से हिलते हुए एक दूसरे ज़े टकरा रही थी, वाकई माँ की गांड बहुत बड़ी और थूलथूली थी, पापा के थप्पड़ो से गांड के दोनों पाट लाल हो चुके थे.
"धीरे दर्द हो रहा है, पास में ही बंटी का कमरा है, वो सुनेगा तो क्या सोचेगा?" माँ ने गर्दन पीछे किये विनती सी की.
"साली हरामखोर बेटे की फिक्र है पति की नहीं? बेटा जवान हो रहा है क्या सोचेगा उसके मां-बाप चुदाई कर रहे है"
पापा की बातो से मुझे समझ में आ रहा था, ये कभी कभी रात को आवाज़ कैसे आया करती थी.
मै अपनी माँ मे प्यार पे निरछावर था , माँ ऐसी स्थिति मे भी मेरे बारे मे सोच रही थी,.
वो नहीं चाहती थी की उसकी मम्मी के साथ मया होता है उसका बेटा जाने.
दिमाग़ मे कुछ चल रहा था की मैंने सामने देखा पापा ने अपना मुँह मम्मी की गांड की दरार के बीच में घुसेड दिया है,
"क्या गांड की खुशबू है तेरी मन करता गांड में घुस जाऊ "
पापा के शब्दों पर मुझे हैरानी हो रही थी, मेरे सामने पापा कभी गाली तक नहीं देते थे, और यहाँ माँ को गाली पर गाली दिए जा रहे है. माँ की इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ा रहे है.
लेकिन मेरे हैरानी का विषय पापा नहीं थे, माँ थी वो क्यों ये सब सह रही है, ये मार पिट, ये गालिया क्या मज़बूरी है ऐसी.
मैंने देखा पापा जीभ निकाल कर मम्मी की गांड को चाटने लगे, लप-लप करती पापा की जीभ माँ की गांड मे टहलने लगी, मै साची देख पा रह था बालो का झुरमुत माँ की गांड तक को घेरे हुए था,
मम्मी का सर आगे तकिये पर इधर उधर हो रहा था, वह मचल रही थी.
पापा दाँत निकाल माँ की गांड पर निकले बालो को काटने लगे " साली के गांड पर भी बाल है, मदरचोद इसे साफ क्यों नहीं करती " चटाक.... एक जोरदार थप्पड़ माँ की गांड पर जा लगा, माँ थार्रा के रह गई, आँखों से आंसू की बून्द निकल तकिये को गिला कर गई.
"ये... ये.... ये आप क्या कर रहे है आअह्ह्ह.... दर्द हो रहा है " माँ गिड़गिड़ाने लगी.
"आप सो जाइए आपको ज्यादा चढ़ गई है मम्मी ने पापा को बीच मे टोंक दिया "
" साली मुझे क्या तू शराबी समझती है? चढ़ गई है? रुक अभी तेरी गांड मारता हूं" पापा की आवाज़ नशे की बजह से लड़खड़ा रही थी.
पापा ने अपना लुंड मम्मी की गांड की दरार में जाकर रख दिया.
माँ की बड़ी गांड के बीच पापा का लंड दिख भी नहीं रहा रहा, मैंने गौर से देखा पापा का लंड बिल्कुल सीकूड़ा हुआ था, उसमें कोई तनाव नहीं था, कोई अकड़ नहीं थी.
वह बस शराब के नशे में मम्मी की गांड की दरार में ऐसे ही धक्के मारे जा रहे थे, उन्हें कोई होश नहीं था, लंड कहां जा रह है कोई परवाह नहीं, बस गांड की दरार को कमर से धकेल दे रहे थे.
"ले चुद साली बहुत गर्मी है ना तुझमे, मदरचोद कल बाल साफ कर लेना " पापा बड़बड़ाए जा रहे थे.
हालांकि धक्के कम और अपने हाथों से मम्मी की गांड पर ज्यादा मारते जा रहे थे, हर धक्के के साथ दो चांटे माँ की गांड पर जड़ दे रहे थे.
"आअह्ह्ह..... उउउफ्फ्फ.... नहीं... रहने दीजिये ना.... आउच... बढ़ और नहीं आअह्ह्ह...... मै मर जाउंगी आअह्ह्ह...."
मां की गांड पर लगातार प्रहार कर रहे थे पापा, और माँ लगातार चिल्लाये जा रही थी,.
मैंने देखा मां की गांड बिल्कुल लाल हो चुकी थी, माँ की गोरी गांड बिलकुल लाल हो गई थी, पापा के हाथ के निशान साफ देखे जा सकते थे.
लेकिन पापा रुकने का नाम नहीं ले रहे थे वह अपने ढीले लंड से ही धक्के लगाए जा रहे थे, और माँ की गांड पर चांटे मारे जा रहे थे.
पापा का लंड तो कहीं घुसा ही नहीं था, वह बस माँ की बड़ी गांड की दरार में ही फसा इधर-उधर हो रहा था, बिल्कुल ढीला.
हालांकि मैं सेक्स के बारे में थोड़ा बहुत जानता था स्कूल में दोस्तों से सुना था की मर्द औरतों की चुत में या गांड में अपना लंड अंदर करता है फिर धक्के लगाता है.
लेकिन मैं जो देख रहा था उसपर यकीन करना बहुत मुश्किल था.
पापा का लंड दोनों में से किसी छेद में नहीं था, वह बस माँ की गांड की दरार मे दोनों छेदो को छूकर बाहर लौट जा रहा था,
पापा नशे में बड़ाबड़ाये जा रहे थे "चुप साली तेरी चुत और गांड आज फाड़ दूंगा, तेरी छूट का भोसड़ा बना दूंगा"
"आअह्ह्हम्म्म्म..... उउउफ्फ्फ्फ़.... नहीं..." माँ पापा के थप्पड़ो से मराहे जा रही थी, जिसे पापा अपनी मर्दानगी समझ रहे थे.
पापा गंदी गंदी गालियां मम्मी को बके जा रहे थे, पापा मां की पीठ और गांड को बुरी तरह से नाखूनों से नोच रहे थे, लंड में कोई ताकत नहीं थी, सारी ताकत वो मां को अपने थप्पड़ो के रूप मे दिखा रहे थे.
या फिर कह सकते है नशे में होश ही नहीं था, लंड खड़ा भी है या नही, चुत में जा भी रहा है या नहीं
बस धक्के पर धक्के लगाए जा रहे थे, अभी दो ही मिनट हुए थे की पच म... च... च पच पचाक....पापा के लंड से पानी का फववारा छूट पड़ा.
पापा ने मम्मी की गांड पर ही मूतना शुरू कर दिया था, पापा के लंड से निकला पेशाब मम्मी की गांड और चुत पर जा गिरा और पापा वही बिस्तर पर धारासाई हो गए.
"साली मदरचोद चुडक्कड़" पापा के मुंह से मम्मी के लिए गंदी गाली निकली और पापा वही नींद के आगोश मे समा गए.
मम्मी वैसे ही कुतिया बनी तकिये पर सर टिकाये पापा को एकटक देखती रही,
पीछे से मैं मम्मी की गांड और चुत को साफ देख रहा था
एक लंबी लकीर थी, बालो से भारी लकीर, सिर्फ गोरी गांड के बीच एक पतली सी लकीर शायद ही पापा का लंड उस लकीर के बीच में गया हो.
पापा ने किया कुछ नहीं लेकिन घाव दुनिया भर की माँ के जिस्म पर दे दिए, खेल का अंत हो गया था.
मै दुखी मन से अपने बिस्तर की ओर निकल पड़ा, मेरे मन मे बहुत सवाल थे, क्या पापा हमेशा से ऐसा ही करते है, माँ को गाली देते है? मारते है?
हाँ मारते ही है ना तभी तो मैंने कई बार आवाज़ सुनी है माँ के चिल्लाने की.
मै आपने बिस्तर पर जा लेता, आंखे शून्य मे थी,
मुझे आजतक लगता था मेरी माँ कामुक है, वो sex के मजे लेती है इसलिए चीखती है, लेकिन ये... ये तो कुछ अलग ही है.
मैंने जो अभी देखा उसपर यकीन करना बहुत मुश्किल था मतलब मेरे पापा ऐसे ही सेक्स करते हैं,
जबकि मैंने फिल्मों में देखा था बड़े-बड़े लंड से चुदती हुई छोटी-छोटी चुते,
लेकिन पापा का लंड तो बिल्कुल छोटा सा था, मेरी उंगली से भी छोटा.
मेरी माँ के साथ कुछ ठीक नहीं हो रहा था, अभी तक मैंने कुछ जाना ही नहीं था, मेरी नाक के नीचे इतना कुछ हो रहा था.
लेकिन मै क्या करता? पापा है वो मेरे.
कैसे क्या मर सकता हूँ मै?
कुछ नहीं.... कुछ भी तो नहीं.... मेरी आंखे यही सोचते हुए बंद हो गई,.
मै नींद के आगोश मे समा गया.
कामिनी की जिंदगी क्या करवट बदलेंगी?
बने रहे कहानी जारी है....
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