आरती और काया खुद को संभाल चुके थे,
दोनों कब नींद के आगोश मे समा गए थे पता ही नहीं चला.
काया की आँखों मे शर्म थी, वही आरती का जिस्म और चेहरा खिला हुआ था, होता भी क्यों ना पुरे 10 साल बाद सम्भोग की बारिश मे भीगी थी.
हर वक़्त गुस्से, तनाव मे रहने वाली आरती आज खिलखिला रही थी.
मादकता टपक रही थी. जिस्म वीर्य से सना हुआ था
काया सहमी हुई बैठी थी, माथे पर चिंता की लकीरें थी, खुद को कोष रही थी कैसे उसने ऐसी हरकत की वो भी आरती के सामने, वो आरती को जानती ही कितना है.
कहीं रोहित को कुछ बता ना दे, क्या होगा मेरा उउउफ्फ्फ.... ये क्या किया मैंने.
"कोई बात नहीं काया मै भी औरत हूँ समझ सकती हूँ, मैंने भी खुद को 10 साल तक रोके रहा, लेकिन ना जाने कल क्या हुआ सब्र का पैमाना छलक गया, और शायद सही ही हुआ, मुझे अहसास हुआ की मै जवान हूँ "
आरती ने काया को चिंता बेचैनी मे बैठा देख उसके कंधे पर हाथ रख दिया, उसे दिलाशा दिया, अपनी मन की व्यथा एक सांस मे कह सुनाई.
दोनों के बीच एक अनकहा सा कॉन्ट्रैक्ट हो गया, आरती की बातो ने साबित कर दिया रात गई बात गई.
काम पीपाशु दो औरते कैसे एक दूसरे के मन को समझ लेती है.
काया से कुछ बोला नहीं गया, बस दिल हल्का हो गया था.
काया को अपनी स्थति जाताना आता ही कहाँ था.
सुबह 6 बज गए थे, बाहर सम्पूर्ण उजाला था.
"रोहित.... रोहित.... उठिये ना सुबह हो गई "
खरररर.... खर्रा...... सुमित रोहित अभी तक बेसुध पड़े थे.
आरती ने कय्यूम को उठाया, जो सिर्फ लुंगी मे सोया हुआ था.
कय्यूम झट से उठा, सामने ही स्वर्ग की दोनों अप्सरा मौजूद थी.
ना जाने क्यों तीनो एक साथ मुस्कुरा दिए.
कैसा अमौखिक रिश्ता था ये, कय्यूम उठ के बाथरूम चला गया.
"उठो ना रोहित.... उठो सुमित "
आ... हाँ... हाँ.... क्या हुआ? " रोहित आंखे मसलता उठ बैठा.
"सुबह हो गई और क्या हुआ, घर नहीं चलना " रोहित उल्लू का चरखा आंखे फाडे इधर उधर देख रहा था जैसे याद कर रहा हो वो कहाँ है क्या हुआ था
खेर 15 मिनट बाद ही सभी लोग फारुख की गाड़ी मे बैठे थे, सुमित अपनी बाइक से निकल गया था.
कुछ ही समय मे काया और रोहित अपने घर पर थे,
घर आते ही रोहित ने काया को दबोच लिया.
"इस्स्स.... क्या कर रहे हो रोहित, छोड़िये ना " काया कसमसा गई, सिस्कारी फुट पड़ी.
रोहित के स्पर्श से नहीं अपितु जो कल रात उसने किया उस वजह से जिस्म अभी भी जल रहा था, रह रह के कय्यूम और आरती की चुदाई उसकी आँखों के सामने दौड़ रही थी.
"जल्दी क्या है " रोहित ने काया को पीछे से कस लिया, रोहित की कमर काया की गांड से रगड़ खाने लगी रोहित भी कहीं ना कहीं गर्मी महसूस कर रहा था .
काया भी बाहो मे पलट गई और रोहित के होंठो पर अपने होंठ रख दिए, कितनी बेकरारा थी काया.
रोहित को कस लिया उसने भी, इस कसाव मे सिर्फ मादकता थी, अधूरी प्यास थी.
"उम्म्म्म... क्या बात है डार्लिंग " रोहित को भी अंतर महसूस हुआ.
"ससससस..... काया कुछ ना बोली उसके हाथ रोहित की कमर तक सरक गए.
रोहित हैरान था इतनी तेज़ी और बेसब्री काया ने कभी नहीं दिखाई थी.
काया ने तुरंत रोहित की बेल्ट खोल दी, उसके हाथ रोहित की पैंट मे समा गए,
आअह्ह्ह.... काया.... रोहित सिसक उठा.
काया के हाथो ने तुरंत रोहित के छोटे लंड पर कब्ज़ा जमा लिया.
काया की आंखे बंद थी, बंद आँखों मे कल का दृश्य चल रहा था, जहाँ आरती की जगह वो खुद थी.
उसके हाथ मे कय्यूम का काला मर्दाना नसो से भरा लंड अंगाड़ाईया ले रहा था.
काया जोश मे उस लंड को मसल रही थी, घिस रही थी,
इस कद्र घिस रही थी की जिन्न ही निकल जाता.
आअह्ह्ह.... काया.... पच... पाचक... फव्हाक्क्क.... अचानक से काया का हाथ गिला होने लगा, चिपचिपाने लगा.
काया की आंखे खुलती चली गई, सामने कय्यूम नहीं था वो अपने घर थी, उसका हाथ रोहित के पैंट मे था,
चेहरे पे हैरानी के भाव थे, सामने रोहित जोर जोर से हांफ रहा था, जिस्म झूल गया, काया ने झट से अपना हाथ बाहर खिंच लिया, उसके हाथ मे चिपचिपी चाशनी सी लगी थी.
"उउउफ.... काया ऐसे क्या करती हो, उखाड़ने का ही इरादा था क्या हमफ़्फ़्फ़..." रोहित हफ्ता हुआ बोला.
"ससस... सॉरी... वो... मै... मै... सॉरी रोहित लगा तो नहीं ना " काया ने तुरंत अपने हाथ साड़ी मे पोंछ लिए.
"कोई बात नहीं डार्लिंग, चाय पीला दो बस एक, बैंक भी जाना है " रोहित के चेहरे पे कोई शर्मिंदगी नहीं थी.
उसने सारी गलती काया के सर रख दी.
काया तो जैसे बदहवास सी किचन की तरफ भागी, वो क्या कर रही थी, क्यों किया कुछ समझ नहीं आ रहा था.
बस जांघो के भींच चीटिया काटने लगी थी, आंखे किसी को तलाश रही थी..
*******
ट्रिन... ट्रिन... ट्रिन..... तभी रोहित का फ़ोन बज उठा.
"हैल्लो...."
"हनन... हाँ... हैल्लो बड़े बाबू, मै "
"श... शबाना "
"जी बड़े बाबू "
"कहिये.... कैसे फोन किया " शबाना की ख़ानकती आवाज़ सुनते ही अचानक से रोहित के जिस्म मे तंदरुस्ती आ गई, थकान दूर हो गई..
सोफे पर उठ बैठा.
"वो... वो.... लोन की किश्त का इंतेज़ाम हो गया है, घर आ जाइएगा "
"वाह... शबाना जी ये तो बहुत अच्छी बात है " रोहित का दिल झूम उठा, उसके सारे काम खुद से बनते जा रहे थे.
"और.. हाँ बड़े बाबू, लंच मेरे घर पर ही रहेगा,
"लल्ल... लेकिन..."
"कोई लेकिन वेकीन कुछ नहीं... हमें भी मेहमान नवाज़ी का मौका दीजिये हुजूर "
शबाना की आवाज़ मे एक जादू था रोहित माना ना कर सका.
मुस्कुराता बाथरूम की ओर चल दिया.
दोनों पति पत्नी अपनी अपनी दुनिया बना रहे थे.
घर एक था लेकिन नये घर की तलाश मे थे.
ये हवस, कामवासना, अधूरापन.. इंसान को नये रास्तो की ओर ले ही जाता है.
जैसे थोड़ी ही देर मे रोहित घर ज़े बाहर निकल गया था, जाना उसे बैंक था.
लेकिन उसकी राह शबाना की कोठी की ओर मुड़ गई थी.
*******
वही शबाना की कोठी पर.... आअह्ह्ह.... क्या करते है आप मालिक....
शबाना ने फ़ोन रखते हुए कहाँ,
"क्यों पहला हक मेरा ही है तुम्हारे इस नशीले जिस्म पर " एक कड़क भारी आवाज़ गूंज उठी.
शबाना निवस्त्र किसी व्यक्ति की जांघो पर बैठी, उसके लंड से खेल रही थी.
उस शख्स के हाथ शबाना के खूबसूरत सुडोल स्तन को मसल रहे थे.
"इस्स्स.... उउउफ्फ्फ्फ़... क्या करते है आप, बड़े बाबू कभी भी आ सकते है "
"अच्छा लगता है तुम्हारे हुश्न का दीवाना हो गया है "
"कैसे ना होता शबाना है ही ऐसी चीज " शबाना उस शख्स के ऊपर पूरी तरह से जा चिपकी.
"लेकिन ध्यान रहे मकसद जल्द से जल्द पूरा होना चाहिए "
"आउच.... उउफ्फ्फ.... पहले अपनी ऊँगली यहाँ से निकालिये तभी ना बड़े बाबू इसके अंदर आएंगे.
हाहाहा... अहाहा... हाहाहा....
दोनों हस पड़े.
वो शख्स उठ खड़ा हुआ, कपड़े पहने और तुरंत ही बाहर को निकल गया.
पो... पो.... पी.... लगभग 12 बज गए थे.
शबाना की कोठी के बाहर रोहित की कार हॉर्न बजा रही थी.
रोहित ने मकसूद से कार अपने कब्जे मे ले ली थी, ना जाने क्यों रोहित को यहाँ अकेला आना ही पसंद था.
तुरंत ही कोठी का दरवाजा खुला, सामने दरबान ने सलाम ठोका.
जैसे उसी का इंतज़ार कर रहा हो.
"साब अंदर ही चले जाना " चौकीदार ने सलाम के साथ बात कह दी.
रोहित ने कोठी के अहाते मे कार खड़ी कर सीधा अंदर चला गया, ना जाने क्या आकर्षण था.
रोहित ने कमरे के दरवाजे पर दस्तक दी.
कमरा खुलता चला गया, सामने ही शबाना मौजूद थी, दरवाजे को हाथ से थामे,
खूबसूरत ब्लाउज और लहंगे मे.
रोहित का दिल धाड़ धाड़ कर बजने लगा, जिस्म मे गर्मी सी होने लगी.
शबाना का काटव लिया जिस्म इसका कारण था, छोटी सी चोली मर कैसे गोरे सुडोल स्तन बाहर निकल मुँह बाये रोहित को ही देख रहे थे, उसके नीचे सपात पेट, जिस पर एक भी दाग़ नहीं.
गहरी नाभि के नीचे लंबा सा गेप, फिर लाल लहंगा बंधा हुआ था.
लहंगा इतने नीचे बंधा था की हल्का सा भी सरक जाये तो चुत की लकीर दस्तक देने लगे.
रोहित जैसे सांस लेना ही भूल गया हो.
"आइये बड़े बाबू आपका ही इंतज़ार था "
शबाना पलट के चल दी, रोहित जड़ ही खड़ा था लेसमात्र भी ना हिला, उसकी नजर शबाना की लहराती गांड पर ही टिकी हुई थी.
शबाना जवानी का इस्तेमाल खूब जानती थी.
"क्या हुआ बड़े बाबू आइये ना " रोहित को पीछे आता ना पा कर शबाना पलटी
उसकी आवाज़ मे नशा था, रोहित किसी पालतू कुत्ते की तरह खिंचता चला गया.
"वो... वो... शबाना जी वो लोन "
"बैठिये बड़े बाबू, काम की बात होती रहेगी "
रोहित ने इस स्थिति से निकलने की सोची, वो बेचैनी सी महसूस कर रह था. जल्द से जल्द निकलना चाहता हो जैसे
शबाना ने बाहर किसी को आवाज़ दी
"जी मालकिन "
एक नौकर फ़ौरन मौजूद हुआ
"बड़े बाबू आये है कुछ नाश्ता पानी ले आओ "
"अआप.. आप रहने दे मैं घर से खाना खा कर आया हूँ " रोहित ने झिझकते हुए कहाँ.
वो बार बार शबाना के जिस्म से नजर चुराता लेकिन नजर वही पहुंच जाती.
"ऐसे थोड़ी ना चलेगा, आप मेहमान है हमारे,"
शबाना ने नौकर को कुछ इशारा किया, वो बाहर को चल दिया.
"ये लीजिये बड़े बाबू " शबाना ने तकिये के नीचे से 1लाख की गड्डी निकाल रोहित के सामने टेबल पर रख दी.
"मैं अभी तक इतना ही इंतेज़ाम कर पाई " शबाना के चेहरे पे कुछ उदासी सी दिखी, आवाज़ मे बोझ था.
रोहित का मर्दाना दिल उस बेबसी को देख पिघलने लगा, पैसो की ओर बढ़ते हाथ रुक गए.
हैरानी से रोहित ने शबाना को देखा.
रोहित ने गौर से देखा, शबाना के जिस्म पर सिर्फ कपडे थे आज कोई गहना नहीं था.
"आप... आप ये पैसे कहाँ से लाइ?"
"आपको क्या करना है, आप अपना काम कीजिये, ले जाइये पैसे " शबाना का गला थोड़ा भर आया था.
"कहीं... कहीं.. अपने अपने गहने..?
शबाना चुप रही
"कहाँ गए आपके गहने?" रोहित ने सवाल दोहराया
"गिरवी रखे है".
"क्यों?"
"क्यों क्या लोन तो चुकाना पड़ेगा ना" शबाना ने लगभग आंसू पोछते हुए कहाँ.
एक स्त्री के लिए उसके गहाने से बड़ा कुछ नहीं होता,
रोहित अभी कुछ बोलता की.
"ये लीजिये साब " नौकर याकायक सर पे ही खड़ा था, उसके हाथ मे एक ट्रे मौजूद थी, जिसमे चांदी के ग्लास मे केसर दूध था.
"लीजिये बड़े बाबू, गहने नहीं है तो क्या हुआ, मेहमानों की सेवा मे कोई कसर नहीं छोड़ती शबाना "
शबाना ने जैसे मज़बूरी के साथ अपने हालात बयान किये हो.
रोहित से कुछ बोला नहीं गया, गिलास उठाया और गटागट एक सांस मे दूध पी गया.
"थैंक्स यू शबाना जी, बहुत टेस्टी था सारी थकान उतर गई "
दूध पीते ही रोहित का चेहरा खील उठा, कल रात का नशा, अधूरी नींद जैसा कुछ महसूस नहीं हो रहा था, एक गर्मी सी शरीर मे चढ़ आई थी.
"सब आपके लिए बड़े बाबू " शबाना ने अपने कोमल हाथ धीरे से रोहित की जाँघ पर रख दिए.
"इस्स्स... रोहित इस स्पर्श को पहचानता था, पहले भी अनुभव किया था.
"तो क्या ये सब आपने मेरे लिए किया?" रोहित के मन मे उठने सवालों ने शब्द मी शक्ल ले ली.
"हाँ बड़े बाबू मैं नहीं चाहती मेरी वजह से आपकी नौकरी पे कोई आंच आये "
शबाना के हाथ रोहित की जाँघ को सहला रहे थे, जिसे रोहित महसूस कर रह रहा
अभी अभी वो अपनी बीवी काया के हाथो मे ही झड़ गया था, उसके बाद भी उसने अपने लिंग मे तनाव महसूस किया.
ऐसा पहले कभी होता ही नहीं था, एक बार झड़ जाये तो लंड अगले दिन ही खड़ा होने की सोच पता था.
"कक्क... क्यों... गड़ब... क्यों नहीं चाहती " रोहित ने थूक निगलते हुए पूछा.
उसकी हिम्मत नहीं हुई की वो शबाना का हाथ अपनी जाँघ स हटा दे.
"आप जैसे कम ही लोग मौजूद है इस दुनिया मे " शबाना ने अचानक से रोहित के उभरते लंड पर हाथ जमा दिया.
"इस्स्स.... शबाना जी " शबाना के हाथो मे जादू था, रोहित बांधता चला गया उसके जादू मे.
क्यों, किसलिए आया था नहीं पता.
"जितने भी मर्द इस कोठी पर आये सभी मे मेरा जिस्म नोचा, मुझे नचाया, मेरे मुँह पे पैसे मारे, लेकिन आप ऐसे नहीं है."
शबाना ने रोहित की पैंट की ज़िप खोल दी, हाथ अंदर समा गया.
"आपके लिए ऐसे हज़ारो गहने कुर्बान बड़े बाबू " शबाना ने रोहित के लिंग को बाहर निकाल लिया.
छोटा सा लिंक शबाना के कोमल हाथो का स्पर्श पा कर फलने फूलने लगा.
इतना की हथेली से बाहर को निकल आया.
रोहित हैरान था ये कैसे हुआ इतना कड़क, इतना बड़ा उउउफ्फ्फ.... आअह्ह्ह.... इसस्स...
शबाना के कोमल हाथ धीरे धीरे रोहित के लंड को सहलाने लगे.
"आअह्ह्ह.... शबाना जी "
"ससससस.... बड़े बाबू " दूसरी हाथ से शबाना ने रोहित के मुँह पर उंगली रख दी.
रोहित शबाना के कोमल स्पर्श को महसूस कर रह था, अभी सुबह ही काया ने उसके लंड को ऐसे पकड़ा था जैसे उखाड़ ही देगी वही शबाना के स्पर्श मे प्यार था, नजाकत थी, एक सलीका था,
रोहित के दिल मे आज काया से श्रेष्ठ एक कोठे वाली शबाना हो गई थी.
11 Comments
Bro kya update aate rahenge please reply dena please please main aapki site per bahut dinon se hun please aap ab update dete rahiyega aap bich mein gayab ho jaate Hain please aur iska reply Den please
ReplyDeleteबिल्कुल दोस्त अपडेट यही आएगा अब से, नेक्स्ट अपडेट कल ही दे पाउँगा.
Deleteआज जरा घूमने निकला हूँ.
काया की माया कहानी अपने अंतिम चरण पर जा रही है.
आप जैसे पाठक ही मुझे लिखने के लिए प्रेरित करते है.
धन्यवाद आपका
Mast update but 1 month baad aaya hai...
ReplyDeleteयार वो xforum के रूल्स की वजह से दिल नहीं करता लिखने का.
Deleteलेकिन अपडेट अब यही दूंगा.
लिखना मेरा पैशन है, मैं लिखूंगा.
जहाँ जगह मिले वहाँ लिखूंगा
Bro update kahan hai aapane aaj update ke liye bola tha please update
ReplyDeleteBro update de do update nahin de rahe to at least reply hi kar do aap to reply bhi nahin karte ho please
ReplyDeleteMaza aa gaya Andy bhai... New update padh kar .keep adding..aur soniya wali pe kuch update de do bro
ReplyDeleteBro is site ko band kar do ek update dekar aap bahanchod 6 mahine gayab ho jaate Ho band kar do is site ko kyon apna bhi time aur hamara time bhi kharab kar rahe
ReplyDeleteBHAI INKA KAAM AISA HI HAIN KOI BHI KAHANI 2-3 SAAL KE PAHLE POORI NAHI KARTE HAIN KOI SI BHI DEKH LO
DeleteUpdate please
ReplyDeleteWaiting update
ReplyDelete