अगले दिन सुबह शालु बिस्तर से जल्दी उठ जाती है, फ्रेश होकर वो होटल के रिसेप्शन पर आ जाती है। रिसेप्शन के पास एक सोफा लगा होता है, जिसपे शालु बैठ कर न्यूज़ पढने लगती है, लेकिन उसका ध्यान बार-बार बीती रात हुई घटना पे चलि जाती है। रात की घटना के बारे में सोच कर वो सिहार उठती है, उसकी धड़कन तेज़ हो जाती है। तभी रिसेप्शन पे बैठा होटल का स्टाफ शालु के क़रीब आता है।
होटल स्टाफ - गुड मॉर्निंग मैडम।
शालु - ओह।। गुड मॉर्निंग
होटल स्टाफ - आई होप यू आर एंजोयिंग योर स्टे इन आवर होटल। आपको और आपके हस्बैंड को हनीमून कपल रूम कैसा लगा।
होटल स्टाफ शालु और बंसल को हस्बैंड वाइफ समझ रहा था। शालु ने भी इसपे कोई कमेंट नहीं करना चाहा और हाँ में अपना सर हिला दिया।
शालु - हाँ रूम बहुत पसंद आया हम दोनों को।
होटल स्टाफ - थैंक्स मैम, उम्मीद है आपकी कल की रात काफी मज़ेदार रही होगी। (होटल स्टाफ मुस्कराते हुए शालु की तरफ देखकर बोला) अगर आपको किसी चीज़ की जरुरत हो तो हमे जरुर बोलियेगा। किसी चीज़ की जरुरत हो तो बिना झिझक बोलिये हम कपल का ख़ास ध्यान रखते है। अगर किसी चीज़ की जरुरत पड़ जाए तो मेरे होटल स्टाफ आपके लिए आधी रात को भी सर्विस देगा।
होटल स्टाफ का इशारा शायद कंडोम की तरफ था। शालु ने होटल स्टाफ को बस एक मीठी सी मुसकान दे डाली।
शालु - जी जरुर, मैं माँग लूँगी अगर कुछ चाहिये तो।
होटल स्टाफ - (शालू की चूचियों की उभार और उसकी टाइट थाइस को देखते हुए) मैम, क्या आपके पति ऑफिस चले गये। आप कहें तो मैं बेडशीट चेंज करा दूँ।
शालु - नहीं अभी वो सो रहे है। और चादर चेंज करने की जरुरत नहीं है आप तकलीफ मत उठाइये।
होटल स्टाफ - (मुस्कुराते हुए) इटस ओके मैम, यहाँ बहुत सारे कपल आते है। और हमे रोज बेडशीट धुलवानी पड़ती है। वी अंडरस्टैंड मैम नो प्रोब्लम।
होटल स्टाफ शालु से काफी खुल कर बातें कर रहा था। शालु को भी ये सब बहुत अजीब लगा अपने पापा के बारे में ऐसी बात कर के।
शालु - जी जैसा आप ठीक समझेँ।
होटल स्टाफ - ठीक है मैम। वैसे एक बात कहूं मैम (होटल स्टाफ ने शालु के बदन को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए कहा )
शालु - जी कहिये।
होटल स्टाफ - आप इन कपड़ों में बहुत अच्छी लग रही है। आपके हस्बैंड बंसल जी बहुत लकी है।
शालु - (मुस्कुराते हुवे) थैक यु।
उधर बंसल का नशा पूरी तरह उतर चूका था और वो नींद से जाग कर फ्रेश हो चूका था। बंसल ने जब अपनी बेटी को कमरे में नहीं पाया तो उसने रिसेप्शन पे कॉल किया।
होटल स्टाफ - यस सर। बंसल सर।
होटल स्टाफ - शालु से ।।। मैम आपके हस्बैंड का फोन
शालु फ़ोन पे पापा से बात करती है और होटल के कमरे में वापस आ जाती है।
बंसल - बेटी तुम कहाँ चलि गई थी?
शालु - पापा मैं मॉर्निंग वाक करने गई थी
बंसल - ठीक है। चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ ऑफिस निकलना है ना।
शालु - जी पापा मैं अभी आयी, आप भी रेडी हो जाइये।
बंसल और शालु दोनों रेडी हो जाते हैं और एक टैक्सी लेकर ऑफिस आ जाते है। आज़ शालु ने डार्क ब्लू कलर की टाइट जीन्स और पिंक कलर का टॉप पहना हुआ था। जब वो ऑफिस आये तो बंसल के बॉस गुप्ता जी पहले से ही ऑफिस में बैठे थे।
गुप्ता जी - आओ बंसल, आओ बेटी।।
बंसल - सॉरी सर, आज हमदोनो थोड़ा लेट हो गये।
गुप्ता जी - इटस ओके, आज तुम दोनों काम जल्दी ख़तम कर लो शाम को मेरी कार में हमलोग अपने एक बहुत पुराने क्लाइंट से मिलने जाएंगे।
बंसल - क्लाइंट?
गुप्ता जी - हाँ, डॉ। माथुर। हमारे बहुत अच्छे बिज़नेस पार्टनर और दोस्त भी।
बंसल - ओके सर।
गुप्ता जी - और तुम दोनों को मेरी बात याद है न? डॉ माथुर हमारे क्लाइंट हैं और उनको ये पता नहीं चलना चाहिए की तुम दोनों बाप बेटी हो। अगर उनको पता चला तो वो समझेंगे की हमने कंपनी अपने परिवार और रिश्तेदारों के लिए खोल रखी है।
शालु - सर आप फ़िक्र न करे, आपने मेरी मदद की है मैं समझती हूँ मैं एक सेक्रेटरी की तरह ही बिहेव करुँगी।
गुप्ता जी - थैंक्स शालू।
शाम को गुप्ता जी की कार में बंसल और उसकी बेटी शालु क्लाइंट माथुर से मिलने उनके घर पे जाते है।
मि माथुर का बंगला बहुत ही बड़ा था, कई गाड़ियाँ और कई सारे नौकर आगे पीछे घूम रहे थे। घर पहुच कर माथुर ने सबका अच्छे से वेलकम किया।
माथुर - हाऊ आर यू गुप्ता? और ये लोग कौन हैं?
गुप्ता जी - माथुर, ये बंसल हैं मेरे ऑफिस में काम करते हैं और ये उनकी सेक्रेटरी मिस शालु।
माथुर - हाय बंसल, हाय शालू। नाइस टू मीट यू
बंसल / शालु - हेलो सर
माथुर - ओह कॉमन डोन्ट कॉल मी सर। कॉल मी माथुर। ड्रिंक?
सबने ड्रिंक के लिए हाँ कर दि। माथुर ने शालु को ड्रिंक बनाने के लिए कहा, वो हॉल में रखे मिनी बार के पास खड़ी होकर ड्रिंक बनाने लगी।
शालु की मटकती गांड देख कर माथुर के होश उड़ गये। उन्होंने बंसल और गुप्ता जी से कहा।
माथुर - यार ये सेक्रेटरी है या किसी फिल्म की हीरोइन?
गुप्ता जी - माथुर, शालु सुन्दर तो है किसी हीरोइन से कम नहीं है।
माथुर - हीरोइन से कम नहीं उनसे ज्यादा हॉट है। जीन्स में इसकी गांड देख कर तो मजा ही आ गया।
गुप्ता और बंसल, माथुर की इस बात से झेंप गये।
माथुर - क्या हुआ? तुम दोनों को मेरी बात अच्छी नहीं लगी? क्या शालु तुमलोगों की कुछ लगती है?
बंसल माथुर की इस बात से काफी घबरा गया।
बंसल - नही नहीं सर, ऐसी बात नहीं है।
माथुर - तो फिर कैसी बात है? तुमलोग तो औरतों की तरह शर्मा रहे हो। क्या तुमलोगों का लंड खड़ा नहीं होता?
बंसल माथुर के मुँह से इस तरह की बात सुन कर हक्का बक्का रह गया।
माथुर - देखो बंसल, मैं और गुप्ता जी बहुत अच्छे दोस्त है। मैं अपने साथ काम करने वालों को बॉस की तरह नहीं बल्कि दोस्त की तरह मानता हू। ये ऑफिस नहीं मेरा घर है, यहाँ पे हम सब दोस्त हैं तो शर्माना क्या?
क्यों गुप्ता जी।
गुप्ता जी - जी ठीक कहा आपने ( गुप्ता जी ने माथुर की बात से सहमति जतायी)
माथुर - इसलिये मुझे दोस्त मानो बॉस नही। ठीक है बंसल ?
बंसल - जी सर, आई मीन माथुर ।
माथुर - गूड। अब बोलो लंड खड़ा होता है न तुम्हारा?
बंसल - जी ?
माथुर - भाई बोलो तुम्हारा लंड खड़ा होता है की नहीं अपनी सेक्रेटरी की टाइट गांड देख कर?
बंसल - जी।। जी।।।
गुप्ता जी - बोलो बंसल ।
बंसल - जी।। जी होता है।
माथुर - अरे इतना क्या शरमाना, ऐसी माल को तो कोई न छोडे। अबतक तो चोद चूका होगा तू शालु को क्यों ?
बंसल - जी।। जी नहीं माथुर सर।
माथुर - तूने चोदा नहीं अब तक ? (आश्चर्य से)
बंसल - नही।
माथुर - ये मैं क्या सुन रहा हूँ गुप्ता जी, ऑफिस में इतनी सेक्सी माल और किसी ने उसे चोदा नहीं? क्या तूने बंसल को बताया नहीं की हमारे ऑफिस की हर लड़कियां चुदती है। और सेकेरेटरी तो चोदने के लिए ही होती है। क्या तूने भी नहीं चोदा उसे अभी तक?
गुप्ता जी - नहीं माथुर, अभी नयी आयी है ये।
बंसल ये सारी बात सुन रहा था, उसे समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे। एक तरफ नौकरी का डर और एक तरफ बेटी की इज्जत।
माथुर - नई है तो फिर ठीक है। सुन बंसल, पहले तू उसे चोद ले और फिर मुझे दिला देना। लेकिन जरा जल्दी। मैं ज्यादा वेट नहीं कर सकता। मुझे उसकी चूत चाहिए २-३ दिन के अंदर। तू उसे जल्दी से जल्दी चोद समझा?
बंसल - जी।
माथुर - (शालू को पीछे से देख अपने लंड को सहलाते हुए) साली क्या माल है, इतनी मस्त गांड है इसकी, मेरा तो लंड खड़ा हो गया।एक बार अगर मिल गई तो इसकी गांड भी मारूँगा जरूर।
थोड़ी देर में शालु सबके लिए ड्रिंक बना कर ले आयी, और सब एक साथ बैठ शराब पीने लगे। माथुर शालु की उभरी चूचि को अपनी गन्दी नज़र से देख रहा था।
गुप्ता और बंसल शराब पीते हुए एक किनारे आकर खड़े हो गए और बात करने लगे।
गुप्ता जी - बंसल मुझे माफ़ कर दो, माथुर तुम्हारी बेटी के बारे में न जाने क्या-क्या कह रहा था।
बंसल - इटस ओके सर।
गुप्ता जी - माथुर ने हद पार कर दी उसने तुम्हे भी शालु को चोदने की बात कहलवाई। लेकिन उसे क्या मालूम की जिस लड़की के बारे में वो बात कर रहा है वो तुम्हारी बेटी है।
बंसल - इटस ओके सर नो प्रॉब्लम ।
गुप्ता बंसल को और शराब पिलाने लगा, बंसल की तरफ से कोई ऑब्जेक्शन न करता देख गुप्ता भी शालु के बारे में गन्दी बातें करने लगा।
गुप्ता जी - वैसे माथुर बेचारा भी क्या करे, तेरी बेटी है ही इतनी माल की किसी का भी लंड खड़ा हो जाए।
बंसल - हाँ।
गुप्ता जी - देख उधर बंसल कैसे तेरी बेटी माथुर के पास बैठी है। और माथुर उसकी जाँघ पे हाथ रख कर बात कर रहा है। ऐसा लगता है जैसे तेरी बेटी खुद माथुर से चुदना चाहती हो।
बंसल - नहीं मेरी बेटी ऐसी नहीं है।
गुप्ता जी - तेरी बेटी ने तो मेरा लंड भी खड़ा कर दिया। चलो माथुर के पास चल कर बैठते है।
सोफे पे माथुर और बंसल एक साथ बैठ गए और दूसरी तरफ शालु और गुप्ता जी बैठ गये। सोफ़े के बीच में एक टेबल रखी थी जिसपे शराब की कुछ बोतलें रखी थी।
माथुर की नज़र शालु की बड़ी-बड़ी चूचियों पे थी। शालु को धीरे धीरे नशा चढ रहा था, और इस बात का फ़ायदा उठाते हुए गुप्ता शालु की कमर में हाथ डाल अपनी तरफ सम्भाले हुए था। साइड से गुप्ता ने शालु की टॉप उठा दी और उसकी नंगी कमर को सहलाने लगा।
शालु नशे में चूर थी। तभी बंसल ने अपने बगल में बैठे माथुर की तरफ देखा। माथुर शालु के टॉप के ऊपर से चूचियों के उभार देखते हुए अपना लंड टेबल के नीचे से बाहर निकाल लिया था और मुट्ठ मार रहा था। इससे पहले की बंसल कुछ कह पाता, माथुर की मुट्ठ की धार फर्श और टेबल पे निकल पडी। बंसल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे, उससे ग़ुस्सा आ रहा था लेकिन उसने अपने पेंट के अंदर अपने लंड को खड़ा पाया।
शायद बंसल माथुर की इस हरकत को एन्जॉय कर रहा था। शालु इन सब बातों से अन्जान शराब पीती रही, माथुर अपने लंड का पानी निकाल कर बंसल की तरफ मुस्कुरा कर देखा।
माथुर - (धीरे से बंसल के कान में कहते हुये), साली ने 2 मिनट में मेरा पानी निकाल दिया वो भी बिना कपडे उतारे। माथुर अपना लंड पेंट के अंदर डाल लिया।
बंसल ने अपने आप को सम्भाला और उठ खड़ा हुआ। शालु के क़रीब आया तो देखा गुप्ता जी का एक हाथ शालु के टॉप के अंदर था और वो शालु की चिकनी कमर और नाभि से खेल रहे थे। बंसल शालु का हाथ पकड़ उसे उठाने लगा।
बंसल - शालु।। शालु।। चलो घर चलें। चलो मैं तुम्हारे घर छोड़ दूं तुम्हे। बहुत रात हो गई है।
गुप्ता ने अपना हाथ शालु के टॉप के अंदर से निकाल लिया।
बंसल - चलो शालु।
शालु - ओह मेरा सर घूम रहा है।
बंसल - चलो घर चलो शालू।
बंसल - माथुर सर अब हमें घर जाने दिजिये बहुत रात हो गई है। चलिये गुप्ता जी।
बंसल, गुप्ता और शालु माथुर के घर से चले आए। गुप्ता ने शालु और बंसल को होटल ड्राप किया और अपने घर चला गया। होटल पहुच कर बंसल ने अपनी बेटी को सहारा दे कर बिस्तर तक ले आया। आज़ बंसल ने अपनी बेटी को माथुर और गुप्ता जी से बचा लिया था। बंसल का नशा उतार चूका था, वो शालु को बिस्तर पे लिटा कर बगल में लेट गया। बंसल के दिमाग में बार-बार माथुर की मुट्ठ मारने वाली हरकत ध्यान में आ रही थी। और वो गुप्ता किस तरह मेरी बेटी के टॉप के अंदर हाथ डालकर उसकी खुली पेट और नाभि को मसल रहा था। क्या उसने शालु की चूचि भी मसली होगी? अगर हाँ तो क्या उसने ब्रा के ऊपर से चूचि दबाई होगी या ब्रा के अंदर हाथ डाल उसकी नंगी चूचि को मसला होगा। नहीं नही, गुप्ता सर ऐसा नहीं किये होंगे।
इतना सबकुछ सोचते-सोचते बंसल ने जब अपने लंड की तरफ ध्यान दिया तो पेंट के अंदर उसने अपना लंड खड़ा पाया। मन हुआ की लंड बाहर निकाल कर मुट्ठ मारे और सोई हुई शालु का मुह अपने मुट्ठ से भर दे। लेकिन शालु मेरी अपनी बेटी है, मुझे ये सब नहीं सोचना चाहिए। ये शराब बहुत गन्दी चीज़ होती है, इसका नशा इतना बुरा होता है जो किसी जवान लड़की और बेटी में फ़र्क़ नहीं करता। बंसल ने अपने दिमाग से अपनी बेटी के बारे में आने वाले गंदे ख्याल को बाहर निकाला। अपने डण्डे की तरह खड़े लंड को वो तकिये में दबा कर बिना मुट्ठ मारे सो गया।
Contd....
0 Comments