शालु वाशरूम में जाती है अपनी साड़ी उठा कर वो फर्श पे बैठ जाती है और पिशाब करने लगती है। वाशरूम में वो 1 मिनट पहले हुए इवेंट के बारे में सोचती है। पापा को मेरी अंडरआर्म की महक अच्छी लग रही थी उन्होंने तो किस भी किया।। और मेरी नवेल को भी छुआ। आज़ से पहले किसी ने मेरी नवेल को इस तरह नहीं मसला था।। शालु न जाने कब ये सब सोचते हुए अपनी एक फिंगर को अपने चुत में घुसा लेती है।
आआह्ह।। मेरी चुत इतनी गरम और गिली कैसे हो गई।। वो कसकर अपनी दो फिंगर अंदर डाल लेती है और फिंगरिंग करने लगती है। उसके बुर से चिपचिपा सा पानी निकलने लगता है। वो कस कर अपनी ऊँगली अंदर बाहर करने लगती है।।।। ओह पापा व्हाई डिड यू टच माय नवेल? आनन्द में उसकी आँख बंद हो जाती है, वो अपनी दोनों टाँगो से हथेली पे दबाव बनाने लगती है और फिर अपने हाथ पे स्खलित हो जाती है। उसकी चूत का गरम पानी बाहर निकल आता है। सटिस्फाएड होने के बाद वो उठती है और वाशरूम से बाहर निकल आती है।बानसाल - बड़ी देर लगा दी बेटी?
शालु - (हँसते हुए )जी पापा वो सुबह बहुत सारा पानी पी लिया था न ।
बंसल - ओके (एक स्माइल दे कर)
शालु - पापा चलिये अब होटल चलते है।
बंसल - हाँ बेटी चलो।
दोनो ऑफिस से बाहर आते हैं और कार में बैठ कर होटल की तरफ चल पडते है।
शालु - पापा देखिये न बाहर कितना अच्छा मौसम है?
बंसल - हाँ बेटी आज मौसम तो बहुत ही अच्छा है रुको मैं कार की विंडो शील्ड नीचे करता हूँ ताकि ठंडी-ठंडी हवा अंदर आ सके।
(बंसल कार का शीशा नीचे कर देता है, ठण्डी ठण्डी हवा आने लगती है। कार सीधे रास्ते पे चल पड़ती है)
शालु - पापा हम कहाँ जा रहे हैं?
बंसल - बेटी होटल पे वापस क्यों? तुम्हे कहीं और जाना है?
शालु - मैं सोच रही थी, ऑफिस में भी कोई काम नहीं हुआ अभी घर में और आप क्या करेंगे? चलिये न कहीं लोंग ड्राइव पे चलते है।
बंसल - लोंग ड्राइव पे ? कहाँ बेटी?
शालु - चलिये न पापा कहीं भी दुर।।
बंसल - ठीक है बेटी, मैं रास्ते में पेट्रोल टैंक फुल कर लेता हूँ फिर चलते हैं।
शालु - मेरे अच्छे पापा।।। (कहते हुए शालु बंसल के गाल पे के किस देती है)
बंसल एक पेट्रोल पंप पे कार का टैंक फुल करा लेता है और फिर कार की रफ़्तार रोड पे तेज़ हो जाती है। दोनों शहर से काफी दूर निकल आते हैं)
शालु - पापा आप कितनी अच्छी ड्राइव करते है।
बंसल - बेटी मैं 14 सालों से ड्राइव कर रहा हूँ तो इतनी तो प्रैक्टिस है।
शालु - पापा मुझे भी सीखनी है कार चलाना।
बंसल - सीखा दूंगा बेटी तुम्हे भी, कभी कोई खाली जगह पे।
शालु - पापा इससे खाली जगह कहाँ मिलेगी? यहाँ सिखाइये ना।
बंसल - यहाँ?
शालु - हाँ पापा कोई भी तो नहीं है यहाँ।। एक भी गाड़ी भी नहीं दिख रही।
बंसल - क्या तुम्हे सचमुच अभी सीखनी है कार?
शालु - हाँ।
बंसल - ठीक है, तो तुम इधर ड्राइवर सीट पे आओ । मैं उधर बैठ कर तुम्हे गाइड करता हू।
शालु - न बाबा।। मैं अकेले नहीं चला सकती।।
बंसल - अरे बेटी तो फिर कैसे सीखोगी? ठीक है तुम आगे की तरफ बैठ जाओ मैं इसी सीट पे थोड़ा पीछे हो जाता हू।
(बंसल गाड़ी को साइड में खड़ी करता है, शालू बाहर निकल कर ड्राइवर सीट की तरफ आती है। बंसल सीट पे थोड़ा पीछे होकर शालू को बैठने की जगह देता है। शालु अपनी साड़ी संभालते हुये लगभग अपने पापा के गोद में बैठ जाती है। साड़ी में लिपटी उसकी बड़ी गांड बंसल के लंड पे दबाव ड़ालने लगती है। जिससे बंसल का लंड खड़ा होने लगता है)
बंसल - आह बेटी।।
शालु - क्या हुआ पापा ?
बंसल - कुछ नहीं बेटी।। लगता है तुम मोटी हो गई हो
शालु - ओह पापा।। आप भी न ।
बंसल - हा हा ह।। अच्छा बाबा तुम मोटी नहीं हुई हो।। सिर्फ तुम्हारे कुल्हे भारी हो गए हैं (बंसल शालू के कमर और गांड को हाथ लगाते हुए कहता है, शालू पापा की बात सुनकर शर्म से लाल हो जाती है। बंसल थोड़ा हिम्मत करते हुये अपना खड़ा लंड अपनी बेटी के गांड में जोर से सटा देता है और अपने दोन हाथ से उसकी खुली कमर को पकड़ लेता है।काफी देर तक बंसल शालू को ड्राइव करना सिखाता है।फिर दोनों थक जाने के कारण कुछ देर गप शप करते है जिसमे बहुत टाइम निकल जाता है।फिर बंसल शालू को पहले वाली पोजीशन में अपनी गोद में बिठाकर शालू को गाड़ी चलाने को बोलता है।)
शालु गाड़ी स्टार्ट करती है, जैसे ही थोड़ा सा आगे बढ़ती है अचानक से उसके पैर सैंडल्स से फिसल जाती है जबतक शालू ब्रेक लगाती गाडी एक पत्थर से टकरा जाती है। गाडी के दोनों हेडलाइट फुट जाते है। वो आगे की तरफ गिरने वाली होती है। तभी बंसल अपनी हथेली आगे कर लेता है शालू की चूचियां बंसल के हथेली से टकरा जाती है। बंसल पीछे से अपनी बेटी की दोनों चूचियों को अपने हथेली में थामे होता है।
बंसल - बेटी चोट तो नहीं लगी?
शालु - नहीं पापा।। आपने मुझे बचा लिया ( तभी शालु का ध्यान नीचे जाता है तो वो देखती है की ब्लाउज में उसकी दोनों चूचियां पापा के हाथों में हैं )
शालु - ओह पापा ( वो अपने आप को छुड़ाती है)
बंसल - तुमने ब्रेक क्यों लगाई इतनी जोर से?
शालु - नहीं पापा साड़ी में मेरी पाँव फ़ांस गया था।।
बंसल - ओह तुम्हारी साड़ी भी तो इतनी नीचे है की फंस जा रही तुम्हे साड़ी पहन के नहीं ड्राइव करना चाहिये। अँधेरा भी हो गया है तुम्हे अब ड्राइव करने में दिक्कत होगी। आज रहने दो फिर कभी सीख लेना।
शालु - ओके पापा।
बंसल - चलो हटो तुम यहाँ से। मैं आता हूँ थोड़ी देर में।
(कहते हुये बंसल थोड़ी दूर जाकर पेशाब करने लगता है। शालू अपने पापा को पेशाब करते हुये देखति है)
शालु - थोड़ी देर बाद, पापा मुझे भी वाशरूम जाना है।
बंसल - बेटी अभी तो हम जंगल के पास हैं यहाँ आस पास कुछ नहीं है, कोई होटल भी नहीं है।
शालु - तो अब मैं क्या करूँ?
बंसल - तुम कुछ देर और वेट करो मैं गाडी चलाता हू। देखता हूँ कोई पास में होटल है तो वहां चलते हैँ।
शालु - ओके पापा।
बंसल कार में चाभी डाल कर स्टार्ट करता है, 2,3 बार कोशिश के बावजूद गाड़ी स्टार्ट नहीं होती।
शालु - क्या हुआ पापा?
बंसल - पता नहीं क्या प्रोबलम है गाडी स्टार्ट नहीं हो रही, और ये हेडलैंप को क्या हुआ? फुट गया क्या।
शालु - हाँ वो पत्थर से टकरा कर फुट गया।।
बंसल - ओह मैं देखता हूं,( कार बोनट उठा कर बंसल कार को स्टार्ट करने की कोशिश करने लगता है लेकिन कार स्टार्ट नहीं होती )
बंसल - लगता है गाडी गरम हो गई है।
शालु - क्या अब क्या करें?
बंसल - पानी चाहिए गाडी में भरने के लिये।। नहीं तो स्टार्ट नहीं होगी। जरा पीछे के सीट से पानी की बोतल देना।
शालु - पानी की बोतल । वो तो खाली है
बंसल - खाली? कैसे?
शालु - मैं सारा पानी पी गई।। पानी नहीं है।
बंसल - क्या?? अब क्या करेंगे।। यहाँ पानी कहाँ मिलेगा? ओह क्या मुसीबत है।
शालु - सॉरी पापा।
बंसल - इटस ओके तुम सॉरी क्यों बोल रही हो, मेरी गलती है मुझे गाडी अच्छी लेकर आना चाहिए था।
शालु - अब क्या करेंगे।। क्या गाडी स्टार्ट नहीं होगी?
बंसल - नहीं बेटी।। पानी चाहिए ।
शालु कुछ सोचते हुए।। पापा एक बात बोलूं ? पानी ही चाहिए न कैसा भी?
बंसल - हाँ ।
शालु - (शर्माते हुये) तो क्या पिशाब से भी हो सकता है?
बानसाल - हाँ बेटी सोचा तो तुमने अच्छा है।। क्यों न तुम अपने पिशाब का पानी भर दो? हमारे पास और कोई तरक़ीब भी नहीं है।शाम हो रही है।
शालु - ठीक है पापा लेकिन कैसे? कोई पॉट है पिशाब इकट्ठा करने के लिये।
बंसल - ओह नयी मुसीबत पिशाब इकट्ठा किसमें करें?
शालु - आपकी टोपी है न।। क्या उसमे कर सकती हूँ ?
बंसल - टोपी में, बेटी वो कपडे का है । सब निचे गिर जाएगा।। कुछ कप जैसी कोई चीज़ हो थोड़ी मोटी हो तो काम हो जाए।
शालु फिर कुछ सोचते हुये।। पापा एक चीज़ है जिससे इस्तेमाल कर सकते है। लेकिन फिर वो ख़राब हो जाएगी ।
बंसल - अरे बेटी बोलो तो क्या है वो।। अभी कार स्टार्ट करने से जरुरी कुछ नहीं है। नहीं तो हमे रात भर इसी जंगल में रहना पडेगा।
शालु - वो पापा मैंने ब्लाउज के अंदर कप वाली ब्रा पहनी है वो शायद काम आ जाए।
बंसल - तुम्हारी ब्रा?
शालु - हाँ (शालू अपनी ब्लाउज के सारे बटन खोल देति है और अपनी ब्रा दिखाते हुए कहती है)
शालु - देखिये न पापा। क्या इस से हो जायेगा?
बंसल नजदीक जाकर शालु के ब्लाउज हटा कर सिर्फ ब्रा में ढकी हुई उसकी चूचि को देखता है। फिर ब्रा के ऊपर हाथ फेरते हुए कहता है।
बंसल - हाँ बेटी इससे हो जाएगा।। तुम अपनी ब्रा उतार के मुझे दे दो।
(शालू पापा की बात मान कर पीछे मुड कर अपनी ब्रा खोल देती है, अपनी बेटी की नंगी पीठ देखकर बंसल का लंड खड़ा हो जाता है। वो अपनी उत्तेजना छिपाते हुए शालु के हाथ से उसकी ब्रा लेता है। शालु एक हाथ से अपनी चूचियां ढंकने की कोशिश कर रही होती है)
बानसाल - ब्रा को इधर उधर देखते हुए। हो जाएगा।। तुम इसमे पेशाब करो। (बंसल ब्रा को जमीन पर रख देता है)
(शालू अपनी साड़ी उठा कर अपने दोनों हाथो से पापा के सामने ही अपनी पेंटी घुटने तक सरकाती है और बैठ कर ब्रा के कप में पेशाब करने लगती है)
शालु - ओह पापा ये तो इधर इधर जा रही है।। पकड़िये न।। (बंसल तुरंत जमीन पे बैठ जाता है और ब्रा की कप को हाथ में उठाये शालू की पेशाब को ब्रा के कप में में लेता है। ऐसा करते हुए कई बार शालू की पेशाब उसके पापा के हाथो पे गिरती है। बंसल अपनी बेटी को पेशाब करता देख उत्तेजना से भर उठता है। उधर शालू भी शर्म से लाल हो जाती है, उसे अपने शरीर में कुछ अजीब सी अनुभूति होती है। उसे शर्म भी आ रही थी और थोड़ी उत्तेजित भी हो रही थी।
बंसल ब्रा के कप भरते ही दौड कर गाडी की बोनट के अंदर डालता है। फिर तुरंत शालू की साड़ी ऊपर उठा कर कप अंदर लगा देता है। ऐसा करते हुए उसे अपनी बेटी की बुर की दर्शन हो जाती है। शालु को भी पता चल जाता है की पापा ने उसकी बुर को देख लिया है। पेशाब करने के बाद बंसल सारा पेशाब गाडी में डाल देता है उसके हाथ और सीने उसकी बेटी के पिशाब से गीले हो गए थे। पेशाब की महक आ रही थी।
बंसल और शालू गाडी में आकर बैठते हैं बंसल अपनी बेटी की चुत देख अपने होश खो बैठा था। वो अपने खड़े लंड को मसल रहा था। वो नहीं चाहता था की गाडी स्टार्ट हो और वो इतना अच्छा मौके को हाथ से गवाँ दे। लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था की वो अपनी बेटी को कैसे सेक्स के लिए राजी करे? बंसल ने सोचा शालु को कार के बारे में कुछ पता नहीं है तो क्यों न इस बात का फ़ायदा उठाया जाए। उसके शैतान दिमाग में सेक्स की भूख अपनी चरम सीमा पे पहुच गई थी। वो गाडी को स्टार्ट करने की झूठी कोशिश करने लगा।
शालु - अब क्या हुआ पापा ?
बंसल - पता नहीं बेटी, लगता है कार में कुछ और ही प्रॉब्लम है। शायद यहाँ चाभी लगाने वाली जगह में कुछ प्रॉब्लम हो गई है।
शालु - कैसी प्रॉब्लम पापा?
बंसल - शायद इसमे अंदर के तरफ जंग लग गई है। क्या तुम्हारे पास वेसलिन या कोई तेल है?
शालु - पापा आप तो जानते हैं मैं कोई भी हेयर आयल नहीं यूज करती, तो साथ में ले कर कैसे चलुंगी।
बंसल - ओह इसमे कुछ तेल या लुब्रीकेंट ग्रीज़ वग़ैरह डालना पडेगा।। अब क्या करूँ मैं।
शालु - पापा कार की चाभी को मुह में ले कर गिला करू मैं? शायद थोड़ा स्पिट से ग्रीसिंग हो जाए।।
बंसल - मुझे नहीं लगता लेकिन फिर भी कोशिश कर के देखो। ( शालु कार के चाभी को मुह में डालकर उसपे थूक लगाकर बंसल को दे दिया। बंसल ने फिर से ट्राइ किया मगर गाडी स्टार्ट नहीं हुई)
बंसल - देखा मैंने कहा था न थूक से काम नहीं चलेगा कुछ लुब्रीकेंट हो तो चलेगा।। (बंसल अपनी शरारत पे मन ही मन हँस रहा था )
बंसल - बेटी क्या तुम इस चाभी को दूसरे तरीके से गिला कर सकती हो?
शालु - कैसा दुसरा तरीक पापा?
बंसल - बेटी।।तुम्हे पता है न एक लड़की में सबसे ज्यादा चिपचिपा पानी कहाँ से आता है?
शालु - (पापा की बात सुनकर शालू ने आँखें झुका ली) पापा।। वो मैं कैसे?।।।। ओहः।।
बंसल - बेटी हम दोनों मजबूर है, कार बस स्टार्ट हो जाये इस जंगल में कुछ भी बुरा हो सकता है हमारे साथ।
शालु - हाँ पापा आप ठीक कहते हैं।
(शालू ने सीट पे बैठे हुए अपनी साड़ी घुटने तक उठायी और हाथ अंदर डाल कर पापा के सामने ही पेंटी नीचे की तरफ खीच के उतार दी। उसने पेंटी उतार कर कार के गियर पे डाल दिया। बंसल ने सपने में नहीं सोचा था की उसकी बेटी इतनी बेशरमी से अपनी कच्छी उतारेगी वो भी अपने पापा के सामने)
बंसल की नज़र लगातार शालु की खुली जाँघो की तरफ थी, शालु ने अपना हाथ अंदर डाला। वो अपनी आँख बंद कर सीट पे मचल रही थी, बंसल को समझ में आ रहा था की उसकी बेटी अपनी ऊँगली को बुर में डाल रही है।
जब उसने हाथ बाहर निकाला तो उसकी दो उँगलियाँ रस में डुबोयी हुई थी। शालु ने चाभी ली उसने दोनों ऊँगली को चाभी पे मल दिया। उसकी चिपचिपी उँगलियाँ और चाभी के बीच बुर का रस नज़र आ रहा था। लार की तरह शालु के बुर का चिपचिपा पानी हल्का हल्का सफ़ेद कलर का था और बंद कार में उसके बुर की महक फ़ैल गई थी।
Contd......
1 Comments
Sexy update
ReplyDelete