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मेरी माँ रेशमा -21

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मेरी माँ रेशमा -20


मेरी माँ रेशमा - 21

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 मेहंदी की रात अपने चरम पर थी, आँगन में ढोलकी की थाप अब भी गूँज रही थी, और “कजरा मोहब्बत वाला, अँखियों में ऐसा डाला…” की धुन हवा में तैर रही थी। औरतों की चूड़ियों की खनक और ठहाके माहौल को और रसीला बना रहे थे।

 सर्दी की रात थी, लेकिन शादी के घर की भीड़-भाड़ ने हॉल में इतनी गर्मी भर दी थी कि पंखे की हवा भी बेकार थी।

 रेशमा की चुदाई मोहित और प्रवीण के साथ कमरे में हो चुकी थी, और अनुश्री अपनी माँ की रासलीला देखते हुए मामा रमेश से चुद चुकी थी। 

लेकिन इस रात का तूफान अभी थमा नहीं था।

अमित का दिमाग आग की तरह धधक रहा था।, दिल मे अंधीया सी चल रही थी, लंड अभी भी पजामर मे तना हुआ था, 

अमित अभी अभी अपनी मौसी और अब्दुल की चुदाई देख के रूम से निकल आंगन से होता पीछे बाथरूम की ओर चल पड़ा था, दिल और लंड मे मचे तूफान को सिगरेट के धुए मे उड़ा के शांत कर देना चाहता था.

“साला… ये क्या हो रहा है? मेरी माँ, मेरी मौसी… सब रंडियाँ निकलीं!” उसने मन ही मन चीखा। उसकी साँसें तेज़ थीं, और उसका चेहरा गुस्से से लाल था। वो तेज़ कदमों से बाथरूम की ओर बढ़ गया, सोच रहा था कि शायद ठंडे पानी और सिगरेट की गर्माहट से उसका दिमाग ठंडा हो जाए। 

घड़ी की ओर देखा 1 बज चुके थे, लेकिन शायद उसकी किस्मत मे शांति नहीं थी, 

जैसे ही बाथरूम के नजदीक पंहुचा वहाँ जो नज़ारा उसने देखा  उसने उसके गुस्से और हवस को और भड़का दिया।

बाथरूम का दरवाज़ा हल्का-सा खुला था, और अंदर से मादक आवाज़ें गूँज रही थीं—“पच… पच… आह… उफ्फ…”। अमित का दिल धक-धक कर रहा था।, अब ये कौन है.

वो ऐसी आवाज़ से खूब परिचित हो चूका था, चुदाई की कामुक आवाज़ थी ये.

उसने चुपके से दरवाज़े की झिरी से अंदर झाँका, और उसके होश उड़ गए। अंदर उसकी मामी, जो हमेशा साड़ी में सजी-धजी और शर्मीली-सी दिखती थी, पूरी तरह नंगी थी। उसका गोरा, मांसल जिस्म पसीने और थूक से चमक रहा था। आदिल, उनका दोस्त , उसे ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था। मामी की चूत में आदिल का लंड दनादन अंदर-बाहर हो रहा था, और “पच… पच… फच… फच…” की आवाज़ बाथरूम की टाइल्स से टकराकर गूँज रही थी।

मामी की सिसकारियाँ बाथरूम में तैर रही थीं। “आह… आदिल… और… और ज़ोर से… उफ्फ…” उसकी आवाज़ में एक मादक तड़प थी। 

अमित ने इस से पहले भी मामी को अब्दुल से चुदते देखा था, इसी बाथरूम मे, लेकिन वो उस बार गलती से चुद गई थी, क्यूंकि वहाँ रेशमा को होना चाहिए था, गलती से मामी वहाँ पहुंच गई थी.

अंदर मामी की मोटी, गोरी जाँघें चौड़ी थीं, और उसकी चूत पूरी तरह गीली थी। उसकी भारी छातियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं, और उसके सख्त निप्पल गुलाबी रंग में चमक रहे थे, जैसे दो रसीले अंगूर। 

आदिल का चेहरा पसीने से तर था, और उसका लंड मामी की चूत में गहराई तक जा रहा था। “मामी जी… आप… उफ्फ… कितनी टाइट हैं…” उसने हाँफते हुए कहा। मामी की साँसें तेज़ थीं, और उसकी आँखें आधी बंद थीं, जैसे वो इस मादक पल में पूरी तरह डूब गई हो। हर धक्के का आनंद उठा रही थी,

अमित की आँखें फटी की फटी रह गईं। उसका लंड पैंट में और कड़क हो गया, और उसका मन गुस्से और हवस के ज्वालामुखी में फट रहा था। “साला यर चल क्या रहा है इस घर मे … मेरी मामी आदिल से चुद रही है, मदरचोद मेरे सारे दोस्त हरामी निकले” उसने मन ही मन चीखा। 

उसका दिमाग गर्म था, और उसका जिस्म हवस की आग में जल रहा था। तभी आदिल की सिसकारी तेज़ हो गई। “आह… मामी जी…” उसने चीखते हुए कहा, और उसका लंड मामी की चूत में फट गया।

 उसका गर्म वीर्य मामी की चूत से बहने लगा, और उसकी जाँघें चिपचिपे रस से भीग गईं। 

हमफ़्फ़्फ़... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... आदिललललल.... मामी वीर्य की गर्माहट पाकर लगभग चीख उठी, उसकी सांसे उखड़ने लगी, सुडोल स्तन उठ उठ कर गिरने लगे, 

लेकिन उसकी आँखों में एक अधूरी प्यास अभी भी दिख रही थी। "मै चलता हूँ मामी रात ज्यादा हो गई है कहीं मेरा कोई दोस्त यहाँ ना आ जाये मुझे ढूंढता " आदिल ने जल्दी से अपनी पैंट पहनी और बाथरूम से निकल गया, जैसे उसे डर था कि कोई देख न ले।

मै तुरंत ही बाथरूम के दरवाजे से हट गया, और आदिल के जाते ही वापस से बाथरूम की झिरी पर आंखे टिका दि.

अंदर मामी अभी भी पसीने और वीर्य से भीगी हुई टाइल्स पर बैठी थी। उसकी चूत अभी भी गीली थी, और वो अपनी उंगलियों से अपनी चूत को मसल रही थी। 20210804-213113

 “उफ्फ… आदिल… थोड़ी देर और रुक जाता, इतनी भी क्या जल्दी थी, मामी अपनी वीर्य से सनी चुत को मसलती हुई बड़बड़ा रही थी ।

 उसकी आँखें आधी बंद थीं, और उसकी साँसें तेज़ थीं। उसकी गोरी, मांसल जाँघें काँप रही थीं, और उसकी चूत से आदिल का वीर्य टपक रहा था। gifcandy-fingering-93 20240325-204917 उसका जिस्म पसीने और थूक से चमक रहा था, और उसकी भारी छातियाँ हर साँस के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं। 

उसकी उंगलियाँ उसकी चूत की फाँकों में अंदर-बाहर हो रही थीं, और उसकी सिसकारियाँ बाथरूम में गूँज रही थीं। “आह… उफ्फ… और… और चाहिए…” उसकी आवाज़ में एक बेकरारी थी, जैसे उसकी प्यास अभी बुझी नहीं थी 16134857

अमित के लिए अब ये सब देखते रहना बर्दाश्त से बाहर था। उसका मन गुस्से और हवस के तूफान में डूबा था। उसने अपनी मौसी सुनीता को अब्दुल के साथ चुदते देखा था, उसकी माँ रेशमा की मादक हरकतों ने उसे बेचैन किया था, और अब उसकी मामी भी आदिल से चुद रही थी।

 “साला… मेरी माँ, मेरी मौसी,मेरी बहन और मेरी मामी… सब की सब एक नंबर की चुदक्कद निकलीं!” उसने मन ही मन चीखा। उसका लंड पैंट में फटने को तैयार था, और उसका गुस्सा उसे पागल कर रहा था। 

“जब मेरी घर की औरतें दुनिया भर में चुद रही हैं, तो मैं क्यों पीछे रहूँ?” उसने बड़बड़ाया और बाथरूम का दरवाज़ा धकेलकर अंदर घुस गया।

अचानक दरवाजा खुलने से मामी बुरी तरह चौंक गई। “अमित… अअअ... आमित तू… तू यहाँ क्या कर रहा है?” उसने हड़बड़ाते हुए कहा और अपनी जाँघें बंद करने की कोशिश की। लेकिन उसका नंगा, चमकता जिस्म अमित के सामने था—पसीने, थूक, और वीर्य से भीगा हुआ। 

उसकी चूत अभी भी गीली थी, और उसकी उंगलियाँ उसकी फाँकों में अटकी थीं। अमित की आँखें लाल थीं, और उसका चेहरा गुस्से और हवस से चमक रहा था।

 “मामी… तु भी चुदक्कड़ ही निकली, साला मै कब तक देखता रहु ये सब … !” उसने गुर्राते हुए कहा और अपनी पैंट की ज़िप खोल दी।

 उसका लंड बाहर निकला—तना हुआ, नसों से भरा, जैसे कोई हथियार। उसका लंड इतना कड़क था कि उसकी नसें उभर रही थीं, और उसका सुपारा लाल होकर चमक रहा था।

“अमित…अअअ... अमित बेटा ये…  ये क्या बोल रहा है तु,.. ये...ये क्या कर रहा है?” मामी ने हकलाते हुए कहा, लेकिन उसकी आँखें अमित के लंड पर टिक गई थीं। उसकी चूत में अभी भी जलन थी, और आदिल की चुदाई ने उसकी प्यास को और भड़का दिया था। 

अमित का मन गुस्से और हवस के मिश्रण से भरा था। उसने बिना कुछ बोले अपना लंड मामी के मुँह में ठूँस दिया। 

गुलप... पच.... करता लंड मामी के मुँह मे समा गया “ले साली… चूस… मेरा लंड भी चूस!” उसने गुर्राते हुए कहा और धक्के लगाने लगा। मामी अचानक हमले से हैरान थी, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन उसकी चूत की जलन ने उसे मजबूर कर दिया। उसने अमित के लंड को अपने रसीले होंठों में ले लिया और “लप… लप…” की आवाज़ के साथ चूसने लगी। “स्स्स… अमित… ये… ये गलत है…” उसने सिसकते हुए कहा, लेकिन उसकी जीभ अमित के सुपारे पर चक्कर काट रही थी। उसकी लार उसके लंड पर टपक रही थी, और उसकी साँसें तेज़ थीं।

“गलत? साली, मेरे दोस्तों से चूत मरवाती है, अब्दुल से चुदती है, और अब मुझसे गलत?” अमित ने गुस्से में चीखा। उसका लंड मामी के मुँह में अंदर-बाहर हो रहा था, और उसकी सिसकारियाँ बाथरूम में गूँज रही थीं।

मामी अमित की बातो से हैरान थी, अचंभित थी, लेकिन खुद की हवस और अमित के गुस्से के कारण मजबूर थी 

“ले… चूस… मेरी माँ, मौसी, दीदी और तूम मामी … सब  इस्स्स..... सब चुदक्कड़ हो!” उसने गुर्राते हुए कहा। 

काम वासना मे मामी की चूत में फिर से जलन शुरू हो गई थी। उसने अमित के लंड को और ज़ोर से चूसा, जैसे वो उसकी हवस को बुझाना चाहती हो।

 “लप… लप… चप… चप…” की आवाज़ बाथरूम की टाइल्स से टकरा रही थी। शालिनी की आँखें आधी बंद थीं, और उसकी जाँघें काँप रही थीं। उसकी चूत से आदिल का वीर्य अभी भी टपक रहा था, लेकिन अमित के लंड का स्वाद उसे पागल कर रहा था। 

“आह… अमित… उफ्फ…” उसने सिसकते हुए कहा।अमित का गुस्सा और हवस चरम पर था। उसने शालिनी को खींचकर घोड़ी बनाया। 

“ले साली… चुदने का शौक है ना तुझे रुक पहले तो तेरी गांड ही मरूंगा” उसने चीखते हुए कहा और अपनी उंगलियों को थूक में डुबोकर मामी की गांड पर रगड़ा।

 “अमित… नहीं… ये… ये गलत है…” मामी ने ना-नुकुर करते हुए कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में तड़प थी। उसकी चूत अभी भी गीली थी, और उसकी जाँघें काँप रही थीं। अमित ने एक झटके में अपना लंड मामी की गांड में डाल दिया। 20231129-100952

 “आह… अमित… उफ्फ…” मामी की चीख बाथरूम में गूँज उठी। अमित का लंड उसकी गांड में अंदर-बाहर हो रहा था, “फच… फच…” की आवाज़ से बाथरूम एक बार फिर गुलज़ार था Gifted-Dark-Asp

"आअह्ह्ह.... उउउफ्फ्फ... आउच... अमित धीरे... आह्ह...." मामी सिसक रही थी.

 ले मेरा लंड… और अंदर ले!” अमित गुस्से और हवस में बड़बड़ा रहा था। उसका लंड मामी की गांड में गहराई तक जा रहा था, मामीbकी चीखें अब कामुक मादक सिसकारियों में बदल गई थीं। 

“आह… अमित… उफ्फ… धीरे…” उसने सिसकते हुए कहा, लेकिन उसकी कमर उछल-उछलकर अमित के लंड को और गहराई तक ले रही थी। उसकी चूत से आदिल का वीर्य टपक रहा था, और उसकी गांड में अमित का लंड उसे पागल कर रहा था। 20210804-213432

 "आह… बेटा… चोद… मेरी गांड को… उफ्फ…” उसकी आवाज़ में तड़प थी, और उसका जिस्म हर धक्के के साथ काँप रहा था।

"और चोद अपनी चुदक्कड़ मामी को, उउउफ. फ.... आअह्ह्ह.... बेटा अंदर तक उउउफ्फ्फ... आह्ह..." मामी अमित को उकसा रही थी 

अमित ने अपनी उंगलियों को मामी की चूत में डाल दिया, और “पच… पच…” की आवाज़ फिर से गूँज उठी। “साली… कितनी प्यासी है तू… ले… और ले…” उसने गुर्राते हुए कहा।

 मामी की चूत और गांड दोनों एक साथ भरे जा रहे थे, और उसकी साँसें रुक-रुक कर चल रही थीं। “आह… अमित… उफ्फ… बस… मैं… मैं…” उसकी चीख गूँज उठी, और उसकी चूत से रस की धार बह निकली। वो झड़ चुकी थी, और उसका जिस्म झटके से काँप रहा था। उसकी जाँघें चिपचिपे रस से भीग गई, चेहरा पसीने और तृप्ति से चमक रहा था। सुडोल स्तन उछल उछल कर समा बांध रहे थे. m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-FKo2sd-Vy7p-TKKe21-27914542b

अमित भी चरम पर था. “मामी… साली… ले…” उसने चीखते हुए कहा, और उसका लंड मामी की गांड में फट गया। उसका गर्म वीर्य शालिनी की गांड में भर गया,

हमफ.... आह्हः... मामी.... आह्हः... हमफ़्फ़्फ़....। अमित और मामी वही टाइल्स पर पड़े हाँफ रहे थे, 

उसका चेहरा पसीने और तृप्ति से चमक रहा था, हमफ... हमफ़्फ़्फ़... अमित... बेटा अमित… ये… ये क्या कर दिया…तूने?” उसने सिसकते हुए कहा, लेकिन उसकी आँखों में एक मादक चमक थी।


अमित  भी हाँफ रहा था। उसका लंड अभी भी तना हुआ था, लेकिन वीर्य के निकलने के साथ जैसे गुस्सा भी मामी की गांड मे ही समा गया था, उसका गुस्सा अब धीरे-धीरे शांत हो रहा था। उसने  नजर उठा मामी की तरफ देखा, और सरकता हुआ मामी के पास नीचे फर्श पर बैठ गया, उसके चेहरे पे असीम शांति थी,

 “मामी… मैं… मैं नहीं जानता था कि ये सब… ये सब इतना…” उसने हकलाते हुए कहा। उसकी आँखें अब मामी के चेहरे पर थीं, और उसका गुस्सा अब पछतावे में बदल रहा था।ने

मामी ने अपनी जाँघें बंद कीं और धीरे से टाइल्स पर बैठ गई। उसकी साँसें अभी भी भारी थीं, और उसकी चूत और गांड से रस टपक रहा था। 

“अमित… तू… तू इतने गुस्से में क्यों था?” उसने धीमी, मादक आवाज़ में पूछा। उसकी आँखों में अब एक तृप्ति थी, लेकिन अब उसमें एक ममता भी थी।

 “बता… क्या हुआ? तूने मुझे… ऐसे क्यों…?” उसने सिसकते हुए पूछा।अमित ने एक गहरी साँस ली। उसका मन अब शांत हो रहा था, और उसे अपनी हरकत पर थोड़ा पछतावा हो रहा था। “

मामी… मैं… मैंने सब देख लिया। माँ… माँ रेशमा को मोहित और प्रवीण के साथ… और मौसी सुनीता को अब्दुल के साथ… और अब तुम… आदिल के साथ… मैंने तुम्हे पहले भी इस बाथरूम मे अब्दुल के साथ देखा था ” अमित की आवाज़ टूट रही थी, गला भर्रा रहा था. जैसे सारा दुख मामी के सामने उडेल दिया हो.

 “मैं… मैं पागल हो गया था। मेरा दिमाग गर्म हो गया था। मैंने सोचा… जब मेरी घर की औरतें दुनिया भर में चुद रही हैं, तो मैं क्यों पीछे रहूँ?” उसने सिसकते हुए कहा। अमित की आँखें लाल थीं, और उसका चेहरा पसीने से तर था।

मामी ने एक गहरी साँस ली।हम्म्म्म.... उसने अमित के कंधे पर हाथ रखा और धीरे से कहा, “बेटा… तू गुस्से में है, लेकिन ये समझ। औरत की भी एक ज़रूरत होती है। जैसे मर्द को हवस होती है, वैसे ही औरत को भी होती है। इसमें गलत कुछ नहीं।” मामी आवाज़ में एक ममता थी, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी एक मादक चमक थी।

 “तेरी माँ रेशमा… वो… वो एक औरत है। उसकी जवानी अभी बाकी है। और सुनीता… और मैं… हम सब की अपनी प्यास है, शादी के शुरुआती दिनों मे तेरे मामा ने मुझे खूब चौड़ा था, तेरे पापा को लकवा है, तेरे मौसा कमजोर दिल के है, तेरा जीजा सिर्फ शराब मे डूबा रहता है, अब तु ही बता कहाँ जाये हम लोग, इज़्ज़त का भी ध्यान रखना होता है, परिवार की मर्यादा भी बनाये रखनी होती है, तेरे दोस्त बहुत है, वो हमें सम्मान देते है ।” 

अमित ने मामी की ओर देखा। उसका गुस्सा अब पूरी तरह शांत हो चुका था, परन्तु अभी भी मन मे एक अजीब-सी उलझन थी 

“मामी… लेकिन… ये सब… ये सब ठीक है?” उसने हकलाते हुए पूछा। शालिनी ने हल्की-सी मुस्कान दी।

 “बेटा… ये ठीक है या गलत, ये तो दुनिया तय करती है। लेकिन जब जिस्म में आग लगी हो, तो उसे बुझाना पड़ता है। तेरी माँ, तेरी मौसी, और मैं… हम सब उस आग को बुझाने की कोशिश कर रहे हैं।, बरसो से कामवासना की आग जल रही थी, मर का जिस्म उम्र के साथ बूढ़ा होता जाता है, और औरत का जिस्म उम्र के साथ और भी मादक और उत्तेजित हो जाता है, उसकी जिस्मानी प्यास बढ़ जाती है, चूल्हा, चौका, बच्चे, पति, घर की जिम्मेदारी से थोड़ा टाइम खुद के लिए निकाल लिया तो क्या गलत किया हम लोगो ने? "

मामी ने अपनी आँखें अमित के चेहरे पर टिका दि, जैसे अंतिम फैसला उसे ही करना था, वो अपनी दलील दे चुकी थी, आज वो महिला समाज ही प्रतिनिधि के तौर पर बोल रही थी.

अमित ने एक गहरी साँस ली। “मामी… मैं… मैंने गुस्से में तुम्हें… मैंने गलत किया…” उसने सिसकते हुए कहा। शायद वो स्त्री का दर्द, औरत होने का दर्द समझ गया था.

मामी ने उसके सिर पर हाथ फेरा। “नहीं बेटा… तूने जो किया, वो गुस्से और हवस में किया। लेकिन अब तू समझ गया ना? औरत की प्यास भी एक हकीकत है।”मामी आवाज़ में एक ममता थी, आँखों में एक अजीब-सी चमक थी। विजय मुस्कान चेहरे पर तैर रही थी.

अमित के मन से सारा मेल धूल चूका था, आज वो अपने घर की औरतों को नये नजरिये से देख पा रहा था, 

"अब इस मामी की सेवा करना भी तेरा फ़र्ज है अमित " मामी ने अमित के लंड को अपनी मुठी मे जकड लिया..

"आअह्ह्हम... मामी आप बहुत....." अमित के शब्द वही अटक गए  

मामी की भारी नंगे स्तन अमित के सीने से जा लगे, दोनों के होंठ आपस मे चिपक गए.

अब सिर्फ हवस नहीं थी, ममतामाई प्यार था. दोनों एक दूसरे मे डूबते चले गए, अमित की उंगलियां मामी की चुत मे धस गई. 20160127194236uid

"आअह्ह्ह.... अमित उउउफ्फ्फ..." और मामी के हाथ अमित के लंड मे फिर से जान डालने लगे.

रात थोड़ी और लम्बी चली.

मेहंदी की इस रात ने सारी दीवारे गिरा दि थी, मर्यादा लाँघ दि थी, 

सोच बदल दि थी इस एक रात ने.

सुबह का सूरज उग चूका था, सभी लोग अपने कमरे मे सो रहे थे, बूढ़े बुजुर्ग नित्यक्रम मे बिजी थे.

मामी, मौसी माँ रेशमा सब आंगन मे इधर से उधर दौड़ रहे थे, बहुत काम था आज.. आज बारात जानी थी..

किसी के पास टाइम नहीं था.

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Contd......



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2 Comments

  1. Mehndi ki raat to badi mushkil se beeti hain..Amit ki aakhon se hamnein bhi ye ssab ji liya hain. Ab aage kaise aur kya ke intezaar mein hum fir jiyenge.

    Aap likhte raho aur hum jite rahe.

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  2. धन्यवाद दोस्त, अब बारात ने चलने के लिए तैयार हो जाओ

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