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नागमणि -2

 अपडेट -2

चैप्टर -1, ठाकुर कि शादी

इसी वक़्त काली पहाड़ी से 2km  दूर एक मंदिर स्थित था


जहाँ एक तांत्रिक साधना मे लीन था और उसके सामने हाथ जोड़े ठकुराइन रूपवटी बैठी थी

प्रतीक्षा कर रही थी कि कब तांत्रिक बाबा आंखे खोले,

तांत्रिक उलजुलूल

उम्र 50साल, काला कलूटा दुबला पतला

सम्भोग मे कोई दिलचस्पी नहीं सारा ध्यान अपनी तपस्या मे.

लंड तो 12इंच और 5 इंच मोटा है लेकिन उसका कोई उपयोग नहीं

लंड किसी सांप कि तरह लटका रहता है. तांत्रिक हमेशा नंगा ही रहता है

रूपवाती बैठी बैठी तांत्रिक के आंख खोलने का इंतज़ार कर रही थी अचानक उसकी नजर तांत्रिक उलजुलूल के लंड मे पड़ती है

ठकुराइन दंग रह जाती है कि ऐसा भी हो सकता है किसी का

और अपनी आंखे बंद कर लेती है और अपने विचारों मे खो जाती है

हे भगवान ये कैसी नियति है तेरी नाम मेरा रूपवाती और रूप दिया ही नहीं? बद्दी काली कलूटी मोटी क्यों बनाया मुझे?

मेरा पति ज़ालिम ठाकुर जिसके पास 3इंच का लंड है कभी सुख ही नहीं दे पाया और एक ये तांत्रिक उलजुलूल है जिसके

पास इतना बड़ा लंड है लेकिन किसी काम का नहीं.

जिसको देना चाहिए उसको दिया नहीं और जिसको नहीं चाहिए उसको भर भर के दिया

हे भगवान.....!


शांत हो जाओ रूपवाती इसमें तुम्हारा दोष नहीं है नियति ने कुछ अच्छा ही लिखा है तुम्हारे लिए

रूपवाती आवाज़ सुन के चौक गई.

ये आवाज़ तांत्रिक उलजुलूल कि थी जो कि ध्यान से बाहर आ चुके थे और ठकुराइन कि मन कि बात पढ़ ली थि.

तांत्रिक :- रूपवाती ऐसा नहीं सोचते नियति ने सभी को सब सोच समझ के ही दिया है, तुम्हे सम्भोग सुख सुंदरता नहीं मिली इसका भी कोई कारण होगा?

रूपवती :- बाबा मै हिम्मत हार चुकी हूँ मेरे पति मे मुझे मेरी कुरूपता के चलते छोड़ दिया है और सुना है कि दूसरी शादी करने जा रहे है..

तांत्रिक :- चिंता मत करो बेटी ये शादी नियति का फल है.

परन्तु मेरे पास एक उपाय है जिस से तुम्हारी कया पलट हो जाएगी.

रूपवती ख़ुश हो गई "वाह ऐसा हो सकता है बाबा "

तांत्रिक :- क्यों नहीं हो सकता?बस थोड़ा मुश्किल है

रूपवती :- आप उपाय बताइये बाबा मै कुछ भी करने को तैयार हूँ?

तांत्रिक :- ऐसा है तो तुम्हे एक इच्छाधारी नाग ढूंढ़ना होगा और उसके साथ सहवास करना होगा

जब नाग तुम्हारी योनि मे स्खालित होगा तब उसकी समय तुम्हारी काया पलट हो जाएगी.

तुम अति सुन्दर गोरी हो जाओगी.

रूपवती :- लेकिन ऐसे कैसे होगा बाबा?

तांत्रिक :- उसके लिए तुम्हे मेरा आशीर्वाद लेना होगा, पूर्ण नंग अवस्था मे.

रूपवती समझ नहीं पाई कैसा आशीर्वाद?

तांत्रिक :- तुम्हे मेरा वीर्य पीना होगा? लेकिन तुम मेरे लिंग को हाथ नहीं लगा सकती

मेरे वीर्य मे है मेरी शक्ति है मेरा आशीर्वाद है




दूसरी तरफ काली पहाड़ी मे बने रंगा बिल्ला के अड्डे पे

रुखसाना का ब्लाउज उतर चूका था

दो गोलाकार मोटे मोटे सुडोल स्तन चिमनी कि रौशनी मे चमक रहे थे

रुखसाना बिल्ला का लंड पकडे चूस रही थी और किसी कुतिया कि तरह रंगा के सामने अपनी गांड हिला रही थी


अब रंगा का सब्र जवाब दे जाता है वो तुरंत उठता है और एक जोरदार झापड़ रुखसाना कि गांड पे जड़ देता है

रंगा :- छिनाल साली गांड हिलती है, मुझे उकसाती है बहुत भारी पड़ेगा और एक चाटटाक थप्पड़ दूसरी गांड पे जड़ देता है

रुखसाना दर्द से बिलबिला उठती है लेकिन मुँह मे बिल्ला का लंड गले तक फसे होने के कारण आवाज़ नहीं निकल पाती

उतने मे रंगा रुखसाना का लहंगा पकड़ के खींच देता है

वाह क्या गांड है गोरी गोरी गांड पे थपड के दो लाल निशान

रंगा बिल्ला गांड देख के पागल हो जाते है और अपना एक एक हाथ गांड पे रख के सहलाने लगते है

वासना अपनी चरम सीमा पे थी इस कमरे मे.

उधार 2km दूर मंदिर मे रूपवती हैरान परेशान थी कि आशीर्वाद कैसे ले

ऐसा उसने कभी किया ही नहीं था हालांकि रूपवती सम्भोग कि भूखी थी परन्तु बिना हाथ लगाए वो वीर्य कैसे पीयेगी?

वो भी तांत्रिक जिसे काम वासना मे कोई दिलचस्पी ही नहीं है.

क्या करेगी नियति अब?

रूपवती आशीर्वाद स्वरुप वीर्य पी पायेगी?

रूखसाना के साथ आज विचित्र सम्भोग होने वाला था

ये इच्छाधारी नांग कौन है?

क्या ठाकुर शादी कर पाएंगे?

*********


ठकुराइन रूपवती विचार अवस्था मे बैठी हुई थी कि कैसे करे? कभी अपने पति का वीर्य तक नहीं पिया

कैसे इस तांत्रिक का वीर्य पी ले?

तांत्रिक :- किस सोच मे डूबी हो ठकुराइन? यही तो परीक्षा का समय है

खुद पे विश्वास करो सिर्फ काला रंग ही सुंदरता का प्रमाण नहीं है सम्भोग कला भी कोई चीज है.

तुम मे वो कला विधमान है, पहचानो खुद को

परिचय दो अपने जिस्म का, लाभ उठाओ ऐसे गदराये बदन का

देखो खुद को क्या किसी से कम हो?

रूपवती विचार करती रही, तांत्रिक कि बातो से प्रभावित हुई

खुद को निहारने लगी, कहाँ कमी है मुझमे बस रंग ही तो काला है

चुत तो मेरे पास भी है गांड भी है जो दुसरो से कही ज्यादा बड़ी है

ये सब सोचते हुए रूपवती आत्मविश्वास से लेबरेज़ होती जा रही थी.

आखिर कार वो निर्णय ले लेती है कि मुझे ये करना ही है चाहे जैसे करे तांत्रिक को उत्तेजित कर के उनका वीर्य निकलना ही था.

अपने स्थान से उठ खड़ी होती है और तांत्रिक कि तरफ बढ़ चलती है अपनी बड़ी गांड हिलाती हुई.

दूसरी तरफ रंगा बिल्ला के अड्डे पे

रुखसाना पूरी तरह नंगी हो चुकी थी, चुत पे एक भी बाल नहीं था बिल्कुल चिकनी गोरी चुत थी जिसे रंगा घूरे जा रहा था और रुखसाना बिल्ला का लंड चूसने मे बिजी थी.

वाह रांड क्या लंड चुस्ती है बिल्ला ऐसा कह के और हौसला बढ़ाता है

रुखसाना गले तक लंड सुड़प रही थी, होंठ के दोनों तरफ से लार थूक टपक रही थी.

तभी रंगा बोलता है क्यों बिल्ला दारू पियेगा और

बिल्ला :- हाँ भाई पीला नेकी और पूछ पूछ

रंगा :- लेकिन आज दारू रुखसाना रंडी पिलाएगी?

क्यों छिनाल पिलाएगी ना?

रुखसाना :- जरूर मालिक खुद अपने हाथो से पिलाऊंगी लंड मुँह से निकालते हुए बोलती है.

रंगा :- ऐसे नहीं रांड हाथ से नहीं पीना है आज.

आज गांड से पिएंगे हाहाहाहाहा क्यों बिल्ला?

रुखसाना कुछ समझ नहीं पाती कि क्या कहना चाह रहा है

उतने मे ही रंगा दारू कि बॉटल उठता है और घोड़ी बनी रुखसाना कि गांड मे घुसेड़ देता है और जब तक रुखसाना कुछ समझ पाती दारू उसकी गांड मे जाने लगती है धुलुक धुलुक कर के.

रंगा :- सुन रांड आज तेरी गांड से जाम पिएंगे एक भी बून्द बाहर नहीं गिरनी चाहिए

ऐसा कह के खाली बॉटल उसकी गान से हटा लेता है, पूरी 1लीटर शराब रुकसाना कि गांड मे समा चुकी थी.

बिल्ला :- एक भी बून्द बाहर गिरी तो मार मार के गांड लाल कर दूंगा तेरी.

ये सुन के रुखसाना अपनी गांड का छेड़ टाइट कर लेती है, ऐसा नहीं था कि वो उन दोनों कि धमकी से डर गई थी

उसे मजा आता था ऐसे वहसी पन मे, एक अजीब सी झुरझुरी होती थी ऐसे सम्भोग मे.

उधर बिल्ला वापस एक ही बार पे अपना लंड रुखसाना के गले तक उतर देता है, रुखसाना इस हमले से चौक जाती है लेकिन अपनी गांड नहीं खोलती....

रंगा घोड़ी बनी रुखसाना कि गांड के छेद को अपनी ऊँगली से कुरेदने लगता है, रुखसाना हवस के मारे घनघना जाती है परन्तु गांड नहीं खोलती है.

रेस लग चुकी थी रंगा को दारू पीनी थी लेकिन रुखसाना को गांड भी नहीं खोलनी थी अजब कसमाकस मे थी अपनी रुखसाना.

लेकिन ऐसा मजा ऐसा सुकून उसे नहीं मिला था अभी तक आज ये कुछ नया था शायद यही उसका इनाम था आज सम्भोग और वासना कि नई ऊचाई को छूना था.

बिल्ला मुख चोदन किये जा रहा था, थकने का नाम ही नहीं था. और रुखसाना के स्तन आज़ाद उछल कूद मजा रहे थे.

इधर रंगा रुखसाना कि गांड पे ढेर सारा थूक देता है और लगातार गांड चाटता रहता है.

क्या गांड है रंडी तेरी, दारू पीला मुझे अपनी गांड से खोल अपनी गांड.

रुखसाना :- इतने ही मर्द हो तो खुद खोल के पी लो.

ये बात तो रंगा बिल्ला कि मर्दानगी पे चोट थी.

बिल्ला :- रांड तेरी गांड भी खोलेंगे और जाम भी लगाएंगे देख तू मर्दानगी ऐसा बोल के बिल्ला रुखसाना के मुँह मे ही झड़ने लगता है. आह.... रांड छिनाल क्या मुँह है मजा आ गया

क्या चुस्ती है लंड तू.

रुखसाना एक बून्द भी बाहर नहीं गिरने देती और सारा वीर्य सुड़प सुड़प कर के गटक जाती है.

ये देख के बिल्ला के चेहरे पे स्माइल आ जाती है रुखसार भी हस देती है लेकिन गांड नहीं खोलती.


बिल्ला थोड़ा साइड बैठ के चिकेन लेग पीस उठा लेता है और खाते हुए रंगा को गांड चाटते हुए देखता है.

बिल्ला :- क्यों बे साले आज गांड ही खायेगा क्या ले थोड़ा मुर्गे कि टांग भी खा ले.

रंगा को कुछ सूझता है और वो एक लेग पीस उठा के रुखसाना कि पानी छोड़ती चुत पे रख  चुत सहलाने लगता है

रुखसाना चौक जाती है कि रंगा क्या करने वाला है.और आनंद से आंख बंद कर लेती है

अब रुखसाना इस खेल से बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी ऐसा लगता है कि कभी भी झड सकती है यदि ऐसा हुआ तो गांड ढीली पड जाएगी और शराब निकल के जमीन पे गिर जाएगी.

ऊपर से शराब के कारण रुखसाना कि गांड अंदर से बहुत गरम हो गई थी वो चाहती थी कि बस उसकी गांड मार के स्खलित कर लिया जाये.


रुखसाना अब चुदना चाहती थी लेकिन ये शर्त भी जितना चाहती थी.

अब रंगा चिकन लेग पीस को हड्डी कि तरफ से लार टपकाती चुत मे घुसेड़ देता है

रंगा : ले रंडी खा चिकेन

रुखसाना जलन और हवस के मारे घन घना जाती है उसके हाथ जवाब दे जाते है वो अपना सर नीचे फर्श पे रख के निढाल हो जाती है इस वजह से उसकी गांड और खुल के ऊपर को उठ जाती है.


अब रंगा लेग पीस को अपने दांतो मे पकड़ के आगे पीछे करने लगता है ऐसा रोमांच रुखसाना को हवा मे उड़ा देता है.

लेग पीस चुत के पानी से पूरा भीग चूका था उसका मसाला चुत मे समा चूका था.

रुखसाना :- आह मेरे मालिक मुझ पे दया कीजिये, चोदिये मुझे हाथ जोड़ती हूँ जोर जोर से चोदीये.

इस विनती का रंगा पे कोई असर नहीं था वो तो बस चुत के पानी मे लिपटे चिकेन को खाये जा रहा था और अपनी तीखी जबान से गांड चाटे जा रहा था.

रुखसाना जलन के मारे बेबस थी उसकी ऐसी हालात कभी नहीं हुई थी.

लेग पीस ख़त्म हो चूका था रंगा अभी भी चुत चाटे जा रहा था कभी दाँत से काटता, तो कभी मुँह मे भर के चूसता.

चुत के अंदर घुसे मसाले को चूस चूस के खाना चाहता था.

रंगा :- वाह मेरी रांड चिकेन तो शानदार बनाया तूने.

रुखसाना:- मालिक सब आपके लिए है आह धीरे धीरे चाटिये. मै झाड जाउंगी.

ये सब देख के बिल्ला का लंड वापस से उफान मारने लगा था.

वो भी रुखसाना के पीछे आ जाता है अब

हमला दो तरफ़ा हो गया था....

रंगा चुत चाट रहा था बिल्ला गांड उन्हें किसी भी हालात मे गांड का जाम पीना ही था...

क्या रुखसाना धैर्य रख पायेगी?

रूपवती क्या करने वाली है अब?

बने रहिये... सफर जारी है


Contd....

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