अपडेट -6
साबी का जिस्म मचल रहा था, दिल सीना फाड़ने पे आतुर था.
सामने हरिया कालिया की सांस अटकी हुई थी.
जैसे हिम्मत ना जुटा पा रहे हो, पहले कौन पहले कौन की उम्मीद से एक दूसरे को देख रहे थे.
शायद वो नहीं चाहते थे की इतनी सुन्दर कोमल चीज उनके हाथ लगाने से गन्दी हो जाये.
लेकिन ये मौका ऐसी औरत फिर नहीं मिलनी.
हरिया घुटने के बल जा बैठा, जैसे उस चमकती चुत को पास से देख लेना चाहता हो, हरिया की सांसे साबी साफ अपनी गिली चुत पर महसूस कर रही रही थी.
अब सब्र मुश्किल था, साबी के रोंगटे खड़े थे.
की एक लीजिलीजी थूक से ठंडी जीभ साबी की कीमती अमीर चुत पर जा लगी.
"इईईस्स्स्स....... आआआआहहहहह....
ये छुवन ये अहसास साबी की आत्मा तक को तड़पा गया.
ऐसा सुकून उसने कभी नहीं पाया था, मुँह खुला रह गया जैसे कोई भेड़िया आकाश को देख हुंकार भर रहा हो.
हरिया की हिम्मत और हवस ने पानी चख लिया था.
लाप.... लप.... चट... चट.... लप.... करती उसकी जीभ चल पढ़ी.
साबी आंखे बंद किये सिसकारी भर रही थी, सर पीछे कार की स्क्रीन से जा लगा.
वही कार जिसमे उसका पति दारू पी के बेसुध पिछली सीट पे पड़ा हुआ था.
कालिया साबी की ये तड़प देखने काबिल नहीं था शायद उसके भी घुटनो ने जवाब दे दिया,
जीभ जांघो से रेंगति हुई साबी की दरार को टटोलने लगी.
अब जैसे दो कुत्ते एक कुतिया के किये लड़ रहे थे.
कभी कालिया अपनी जीभ साबी की महीन चुत मे घुसाने की कौशिश करता तो कभी हरिया.
जर्दा, पान मसाले से गन्दी जीभ साबी की कोमल चुत को ख़राब कर रही थी.
जीभ का मेलापन साबी की चुत पर चिपकता जा रहा था.
"आआ...... आआआहहहह..... नहीं..... नहीं..... " साबी की जाँघ और कमर उछल जा रही थी.
उसके पेशाब का प्रेशर बढ़ता जा रहा था.
"नहीं.... नहीं.... नहीं.... अब रुक जाओ.... मुझे पेशाब आ रहा है "
साबी चिल्ला रही थी हाथ कमर पटकने लगी थी, परन्तु ये दोनों हैवान जैसे बहरे हो गए थे.
सारा ध्यान उस कोमल गोरी चुत को चाटने मे था, जाँघे किसी शेर की तरह दबोच रखी थी.
जीभ लगातार उसकी चुत को कुरेद रही थी,.
थूक और चुत रस एक धार की तरह चुत से निकल गुदा छिद्र को भिगोता कार के बोनट को भीगो रहा था,
हरिया ने नजरें खोल देखा सामने का नजारा कामुक से कामुक हो चूका था, लाल लाल पानमसाले के रंग से साबी की जाँघे और चुत सनी हुई थी.
चुत रस गुदा छिद्र को उजागर कर दे रहा था.
"उउउउफ्फ्फ..... नहीं.... नहीं..... मुझे पेशाब आ रहा है "
साबी एक बार और विनती कर उठी.
लेकिन हरिया के सामने एक छेद और था उसके मन मे लालच घर कर गया, उसकी जबान उस छेद की और बढ़ चली.....
आआआहहहह...... नहीं...
... ससससससससस.... ररररररररर...... पपप्पीईईस्स्स्स........ जैसे ही हरिया की गरम गन्दी जीभ ने गांड के छेद को सहलाया साबी की चुत से एक तेज़ पेशाब की धार फट पढ़ी....
आआआहहहह.... उउउउफ्ड..... मै मरी.... आआहहहह.....
साबी दहाड़ उठी, उसका पप्रेशर फट पड़ा था, सामने हरिया कालिया उस अमृत वर्षा मे भीगे जा रहे थे, कितने किस्मत वाले थे दोनों हरामी.
एक सुन्दर घरेलू अप्सरा के चुत के पानी से नहा रहे थे.
"मैडम... मैडम...... रुकिए यहाँ नहीं..."
कालिया चीख उठा..
"नहीं.... Uffff.... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..... हुम्म्मफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...
"
साबी का पेशाब बून्द बून्द करता रुकता चला गया, साबी कार के बोनट पे ढेर ही गई थी.
सांसे उसके सुन्दर टाइट स्तन को उठा उठा के गिरा दे रही थी.
"मैडम आपको रुकना चाहिए था "
कालिया इल्जाम लगाता उठ खड़ा हुआ.
तीनोंके जिस्म बुरी तरह भीगे हुए थे, साबी पसीने से सनी हुई थी तो वही हरिया कालिया साबू के अमृत रुपी पेशाब से.
"ये क्या किया मैडम आपने " हरिया और कालिया ने आपने भीगे कुर्ते भी खोल दिए.
अब साबी के सामने उस काली रात मे दो भयानक काले राक्षस पूर्ण नग्न अवस्था ने खड़े थे.
"वो.. वो.... वो.... मै... मै...." साबी ने सर उठा कुछ बोलना ही चाहा की उसके शब्द वही उसके हलक मे कैद हो गए.
सामने हरिया कालिया का गठिला जिस्म पेशाब मे सना चमक रहा था.
साबी का जिस्म झुरझुरी लेने लगा, चुत मे एक कुलबुलाहत सी उठने लगी, कुछ तो गरम गरम था जो अभी भी उसकी नाभि और चुत के बीच अटका हुआ था.
बस यहि एक चीज उसे बेचैन किए हुए थी.
अब उसे शर्म नहीं थी डर नहीं था, थी तो सिर्फ हवस शुद्ध हवस, सामने खड़े दो भयानक लंडो का स्वाद लेने की चाहत.
ना जाने कैसे इस चाहत मे उसके हाथ आपने स्तन को टटोलने लगे.
सामने खादर हरिया कालिया ये दृश्य देख खुद को रोक ना सके.
अब कोई गिला शिकवा नहीं था, ना ही कार के ख़राब होने की चिंता.
दोनी हैवान वापस से साबी के करीब पहुंच चुके थे, साबी वैसे ही कार के बोनट पर पैर फैलाये लेती थी,
उसनी आँखों मे जैसे एक याचना थी, वो इस सुख को ले ले चाहती थी.
दोनों एक स्त्री के मन की बात अच्छे से समझते थे.
किया का हाथ आगे बढ़ चला, जिसकी मंजिल साबी के कड़क सुडोल स्तन थे जो की गाउन से लगभग बाहर ही थी.
"ईईस्स्स्स....... उउउफ्फफ्फ्फ़......" साबी एक बार फिर सिसकर उठी.
कालिया के काले गंदे हाथो ने साबी के स्तन को दबोच लिया था.
साबी सिर्फ एक टक कालिया को देख रही थी उसके जिस्म को देख रही थी.
क्या पकड़ है, ऐसी मर्दानगी उउउफ्फफ्फ्फ़...... साबी मन ही मन चित्कार उठी.
अभी साबी का ये सोचना ही था की एक गरम गरम सी चुज साबी की जांघो के बीच रेंगने लगी.
साबी का ध्यान नीचे गया उसे पता ही नहीं पड़ा कब हरिया ने उसके एक पैर को पकड़ आपने कंघो पर रख लिया, उसका भयानक काला लंड साबी की गीली चिकनी चुत की लकीर पर रेंग रहा था.
कैसे कोई कसाईं मुर्गी काटने से पहले आपने औजार पर धार लगा रहा हो.
साबी की नजरें हरिया से जा मिली, जैसे हरिया पूछ रहा हो डाल दू.
साबी की गर्दन एक बार को ना मे हिल गई, आज से पहले ऐसा मोटा लंड उसने कभी नहीं लिया था.
"चट... पटाक.... से हरिया ने आपने लंड को साबी की चुत पर दे मारा.
"आआआआहहहह...... इस्स्स्स....... साबी का सर तुरंत हाँ मे हिलने लगा "
सम्भोग की भी अपनी ही एक भाषा होती है जिसमे स्त्री बोलती कुछ नहीं है, आप असली मर्द हो तो समझ जाओगे.
और हरिया कालिया असली मर्द थे.
ऊपर कालिया साबी के स्तन को बेपर्दा कर चूका था, उसके मजबूत गंदे हाथ साबी के स्तन से खेल रहे थे, दबा रहे थे, ऐंठ रहे थे.
जबान स्तन पर जा लगी.
साबी एक मीठे दर्द से विभोर होती जा रही थी,
उसकी कमर खुद से ऊपर को उठ जा रही थी जैसे की वो हरिया के लंड को खुद से निगल लेगी.
हरिया समझ चूका था, लोहा गरम है वार कर देना चाहिए.
दह्ह्ह्हह्ह..... धच...... पिछह्ह्ह.... पिच..... करता हरिया का लंड साबी की चुत मे आधा जा धसा.
"आआआआहहहह....... नहीं..... नहीं...
" साबी लगभग चीख ही उठी.
उसने जो उम्मीद की थी ये उस से कही ज्यादा भयानक था,.
एक दर्द से उसका जिस्म ऐंठ गया, रही सही कसर कालिया के हाथ उसके स्तन को निचोड़ पूरी कर दे रहे थे.
हरिया रुका नहीं.... पच.... पचाक.... करता एक धक्का और जड़ दिया.
"आआआहहहहह..... उउउफ्फ्फ्फ़.... साबी की आंखे बाहर को निकल आई, वो उठना चाहती थी लेकिन कालिया के हाथो ने दबोच रखा था.
दोनों को उसकी चीख की कोई परवाह ही नहीं थी.
"आआहहहह..... आअह्ह्ह..... मुउउफ्फ्फ..... उउउफ्फ्फ्फ़...."
हरिया लंड को पीछे खिंचता फिर धकेल देता, फिर खिंचता फिर धकेल देता.
एक मशीन शुरू हो गयी था, जिसमे साबी की चुत पीस रही थी.
धच... धच.... पच... पच.... की आवाज़ से सड़क नहा उठी.
ना जाने ये दर्द कब सुकून सुख हवस मे तब्दील हो चला, साबी खुद से अपनी कमर उठा उठा के साथ देने लगी.
साबी का सर पीछे मैन स्क्रीन पर टिका हुआ था, उसका पति ठीक उसके पीछे खर्राते भर रहा था.
"आअह्ह्हम्म.. आउच.... आउचम.. आउच.... उफ्फ्फ.... पच... पच..... हमफ़्फ़्फ़..."
"क्या यार हरिया अकेला तू ही पानी निकालेगा क्या मुझे भी कुँवा खोदने दे" कालिया से रुका नहीं गया.
"अरे रुक साले पहले मुझे तो करने दे " हरिया ताबड़तोड़ धक्के मार रहा था.
साबी सिर्फ सिसक रही थी, आहे भर रही थी उसे मतलब नहीं था की दोनों क्या बात कर रहे है.
"अबे दोनों साथ पानी निकलते है ना " कालिया ने आंख मार दी ना जाने क्या था उनके दिमाग़ मे.
पुकककक.... से हरिया ने अपना लंड साबी की चुत से निकाल लिया
लंड का निकलना था कीखालीपन से साबी की आंखे खुल गई, उसकी आँखों मे प्रश्न था, "क्यों निकाल लिया " साबी तो हवस की नदी मे बह रही थी.
उसे लगा शायद अब कालिया करेगा.... ये सोचना था की उसके जिस्म ने दोहरी उत्तेजना को महसूस किया.
उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी की एक के बाद एक लंड वो लेगी.
लेकिन अब इन सब बातो को कोई मतलब नहीं था, जब एक अजनबी हरिया चोद ही रहा है तो कालिया और सही.
हवस सोचने की क्षमता खत्म कर देती है, सिर्फ दीखता है तो एक दूसरे का कामुक अंग.
"मैडम मै थक गया हूँ, मै नीचे लेट जाता हूँ, आप ऊपर आ जाइये " बोलता हुआ हरिया साबी को एक झटके मे बोनट से खिंच खुद लेट गया.
साबी ऐसा sex पहले भी कर चुकी थी इसमें क्या आपत्ति थी.
साबी जाँघ फैलाये कालिया की मदद से हरिया की कमर पर जा चढ़ी,
पचच. च..... से हरिया ने कमर पकड़ आपने लंड पर एक बार मे बैठा लिया.
आआआआहहहह...... धीरे...... उउफ्फ्फ..... " साबी की चुत हरिया के लंड की आदि हो गई थी.
धच.... धच.... करता हरिया फिर शुरू हो गया.
साबी को खुद से चिपका लिया, साबी के सुडोल स्तन हरिया की गन्दी बालदार छाती ने धसते चले गए.
साबी खुद के पेशाब से सने हरिया की जिस्म से जा चिपकी थी.
स्तन के निप्पल से पसीने की बुँदे तपक रही थी.
एक हसीन सुन्दर गोरी कामुक औरत आपने जिस्म को गन्दा कर लेने पे उतारू हो चली थी, होती भी क्यों ना इस गंदगी मे एक अलग आनन्द है ये साबी समझ चुकी थी.
आंखे बंद किये हरिया के हर धक्के का मजा चख रही थी.
अभी सुकून की मंजिल पे पहुंचती ही की उसे महसूस हुआ की उसकी गांड की दरार मे कुछ रेंग रहा है. कुछ मोटा सा चिपचिपा गिला सा.
साबी ने सर उठा के देखना चाहा लेकिन हरिया के मजबूत हाथो ने ऐसा होने नहीं दिया.
सभी आखिर शादी सुदा थी उसे समझते देर ना लगी की इनका इरादा क्या है.
"नहीं.... नहीं.... नहीं.... वहा नहीं.... पplz..." साबी का सारा खुमार जैसे फुर्ररर... होने लगा हो.
वो आने वाले पल को सोच कर ही कांप गई.
पच... पच.... करता हरिया बदस्तूर आपने काम मे लगा था.
कालिया आपने लंड को थामे साबी की कामुक मोटी गांड की दरार मे चला रहा था, डर के बावजूद साबी का जिस्म झंझना रहा था.
उसने आपने होंठ दांतो मे भींच लिए, आंखे कस के बंद कर ली थी, वो समझ चुकी थी जब मुसीबत से बच ना सको तो उसका सामना करने मे ही भलाई है.
चुत रस और थूक से साबी की गांड पहले से ही गीली थी.....
"आआआआआहहहहह...... नहीं..... पचाक.... करता कालिया के लंड का आगे का हिस्सा साबी की गांड मे जा धसा.
साबी किसी कुतिया की तरह एक बार फीर हुंकार उठी.
दर्द से जिस्म पसीने से नहा गया.
हरिया ने भी आपने लंड को थाम लिया था.
"बस मैडम जी हो गया..... अब कोई तकलीफ नहीं " हरिया ने साबी के कान मे फुसफुसाया.
लेकिन साबी ही जानती थी उसका दर्द, आँखों से एक आंसू की धार फुट आई थी.
हालांकि anal sex उसने किया था परन्तु आपने पति के लंड से जो इन दोनों की एक ऊँगली के बराबर था.
"उउउउउफ्फ्फ्फ़....... नहीं....."साबी छटपटा रही थी.
पूककककक.....पुच.... करता कालिया का लंड और जा धसा, इन रक्षासो मे दया नाम की चीज नहीं थी ना साबी के चीखने की.
कौन सुनने वाला था आखिर.
कालिया ने अपना लंड बाहर खिंचना चाहअ परन्तु साथ ही साबी की गांड भी चिपकती हुई बाहर को आने लगी, इस कद्र कालिया का लंड साबी की गांड मे फसा था.
कालिया ने वापस कमर को आगे धकेल दिया.
साबी के हलक ने फिर चीख उगल दी.
नीचे हरिया भी वापस आपने काम. पर लग गया था.
चुत अभी भी गीली ही थी.... पच... पच... पच.... पचाक....
पीछे कालिया आधा लंड ही घुसाये गांड मार रहा था, थोड़ा सा अंदर डालता फिर खिंच लेता, साबी के दोनों छेद भर गए थे.
एक दम टाइट.
उउउउफ्फ्फ्फ़..... आअह्ह्ह...... आअह्ह्ह..
हरिया के प्रयास रंग लाये थे, साबी को दर्द मे राहत थी.
सभी की चुत उसकी गांड का दर्द कम कर रही थी.
दोनों छेद पक्के दोस्त मालूम पड़ते थे एक दूसरे का दर्द कम कर रहे थे.
कुछ ही देर मे साबी के चेहरे मे दर्द की जगह एक सुकून था मजा था,
उसने महसूस किया की दोनों के लंड एक साथ अंदर जा के आपस मे मिल आते थे फिर एक साथ ही बाहर भी आते थे.
उस्ताद थे दोनों चोदने मे.
आअह्ह्ह..... इसससस... उस्स्स... इस्स्स.... ऊफ्फफ्फ्फ़... हमफ़्फ़्फ़.... उमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़..." साबी का जिस्म आनंद उठाने लगा था, अब वो खुद अपनी गांड को पीछे धकेल धकेल कर दोनों के लंड एक साथ ले रही थी.
पच.... पच.... पच.... उउउफ्फ्फ.... उउउफ्फ्फ.... आउच... आह्हः...
साबी ने आज से पहले कभी ऐसा सुख नहीं पाया था.
साबी की चुत बीच बीच मे पेशाब की बौछार किये जा रही थी.
ना जाने कितनी बार उन दोनों ने उसे भोगा था, ऐसा कोई छेद नहीं जहा दोनों का लंड ना गया हो.
कुछ ही देर मे दोनों रक्षासो के मेहनत रंग लाई.
स
कालिया हुंकार भरता हुआ, साबी की गांड मे ही झड़ गया साबी की चुत गर्मी पा कर एक बार फिर बिलख उठी.
साबी की चुत से पेशाब फिर फुट पड़ा, गांड से ढेर सारा वीर्य निकल बहने लगा.
सुबह होने को थी.
लालिमा छा रही थी.
"आआआहहहहह..... मैडम... मै गया...
Uffff.....पच... पच....
वीर्य की एक तेज़ धार साबी के चेहरे से जा टकराई.
उफ्फ्फ.... मैडम ये तीसरी बार था.
साबी का पूरा जिस्म लगभग वीर्य से भीगा हुआ था.
पूरा जिस्म काले दागो से भरा हुआ था.
कालिया ने पूरी पीठ पर अपनी छाप छोड़ दी थी, हैवान ने बुरी तरह दबोचा चूसा था साबी को.
पसीने काम रस और दोनो के वीर्य से सनी साबी उठ खड़ी हुई.
बुरी तरह से निचोड़े जाने के बाद भी साबी के चेहरे पे शिकन का कोई भाव नहीं था. जबकि और ज्यादा खिली हुई नजर आ रही थी.
ना जाने वो एक ही रात मे क्या क्या सिख गई थी.
लेकिन अभी भी उसके जिस्म मे थकान का कोई नामोनिशान नहीं दिख रहा था, ना जाने कब से प्यासी थी.
पास पड़ी कालिया की धोती से उसने खुद मे जिस्म को पोंछ लिया.
और पल भर मे ही गाउन चढ़ा लिया.
सामने हरिया कालिया किसी कुत्ते की तरह हांफ रहे थे, साबी ने जैसे उनके प्राण खिंच लिए हो.
खुद को चुदाई का उस्ताद मानते थे, परन्तु आज असल मे साबी ने उन्हें चोदा था,.
Uffff.... ये घरेलु प्यासी औरते.
हरिया कालिया भी कपडे डाल चुके थे.
साबी कार की तरफ बढ़ गई, पीछे खड़े हरिया कालिया लुटे पिटे साबी को देख रहे थे.
साबी पीछे को मुड़ी और मुस्करा दी, हाय रे स्त्री....
"आरिफ.... आरिफ.... उठो देखो सुबह हो गई है.
"आए.....आआ.... हाँ... हाँ...."आरिफ उबासी लेता हुआ उठ बैठा, सर मे हल्का दर्द था लेकिन ठीक था.
"क्या... क्या.... हुआ साबी ?"
"कुछ नहीं पतिदेव आप ज्यादा पी के सो गए थे, car बंद हो गई थी " साबी ने जैसे मेमोरी रिकॉल कराई हो.
आरिफ को भी जैसे धुंधला सा याद आया "आए... अअअ.... हाँ... हाँ..."
"क्या हुआ था कार को " आरिफ आगे की सीट पर बैठता हुआ बोला.
"खररर.... कहररर.... खिच्च... खिच्च.
.. भूररररररर....... बुरम्म्म्म..." कार स्टार्ट हो चली.
"कुछ नहीं कार गरम हो गई थी, इन दोनो ने रात भर इसे ठंडा किया " साबी ने बाहर देखते हुए हरिया कालिया की तरफ इशारा कर दिया.
"जज्ज.... जी.... साब बहुत गरम थी, हमारी भी हालत ख़राब कर दी मैडम जी ने "
"रात भर ठंडा करवाया, देखो पसीने से कपडे tak6भीग गए हमारे " कालिया ने भी हाँ मे हाँ मिलाई.
"ओह्ह्ह..... थैंक you आप लोगो का, आपने हमारी मदद की." आरिफ ने अपना पर्स निकालते हुए,
2000rs के दो नोट उन दोनों की तरफ बड़ा दिए.
दोनों अभी हाथ बढ़ाते ही की.
"रख लो आप लोगो की मेहनत का इनाम है " साबी मुस्कुरा दी.
"चलो आरिफ चलते है, बच्चे इंतज़ार कर रहे होंगे "
भूऊरररर...... बुरररररर.... कार सरपत दौड़ पड़ी.
साबी के चेहरे पर सुकून, मुस्कान थी, वो आज आत्म संतुष्ट थी.
उसका सर पीछे सीट लार टिकता चला गया, आंखे बंद होती चली गई.
जिस्म और दिमाःग कल रात की रूहानी यादों मे समा गया.
पीछे मुँह बाये हरिया कालिया खड़े कभी हाथ मे पकडे नोट को देखते तो कभी एक दूसरे को.
वो स्त्री के एक रूप से परिचित हो गए थे.
"चल बे दारू पीते है "
"रुक पहले पेशाब तो कर ले "
दोनो अपने रास्ते चल पड़े.
समाप्त.
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