अपडेट -5
"साबी को जैसे होश नहीं था वो बेकाबू थी, वो उन दो राक्षसी लंडो के नशे मे गिरफ्तार थी.
उसके हाथ बराबर उन दोनों के भयानक लंड को सहलाये जा रहे थे.
ऊपर से हरिया का प्रस्ताव "मुँह मे ले के सहला दीजिये ना "
उसे याद आया की कई बार उसने रवि के बोलने पर उनके लंड को चूसा था लेकिन वो सिर्फ होंठ तक आ कर ही खत्म हो जाता था, इनका आकर प्रकार कुछ अलग था.
"क्या सोच रही ही मैडम जी रात भर यही रहना है क्या?"
कालिया ने एक झटका सा दिया
"वो.. वो.... हाँ... हाँ.... नहीं.... नहीं.... मै ऐसा कैसे कर सकती हूँ " साबी जैसे होश मे आई.
"पेशाब तभी तो आएगा ना, वरना तो आप मूत लो " कालिया ने भी शामिल होते हुए साफ बात कह दिया.
हालांकि साबी खुद बहक रही थी, लेकिन खुद से कैसे कहती.
उसके घुटने झुकते चले गए, कार की रौशनी मे उसका सफ़ेद गोरा चेहरा दमक रहा था सामने थे दो भयानक काले लंड,
ना जाने क्यों साबी का मुँह खूद से खुलता चला गया.
साबी का मुँह खुलना था की कालिया ने कमर को आगे चला दिया.
पूककककक..... से कालिया के लंड का आगे का हिस्सा साबी के मुँह मे पनहा पा गया.
इसससससस....... गुगुगुव...... उफ्फफ्फ्फ़....
कालिया के हलक से एक सिस्करी निकल पड़ी, और साबी की सिसकारी उसके गले मे दफ़न हो गई.
कालिया ने ऐसा शहरी, अमीर औरत का मुँह पहली बार पाया था, वो ऐसा मौका गवाना नहीं चाहता था.
झट से कमर को ओर आगे को ठेल दिया, साबी अभी कुछ समझती की सरसराता हुआ मुसल लंड उसके हलक तक जा पंहुचा था, आंखे बाहर को निकल आई थी सांसे चढ़ गई.
की तभी कालिया ने लंड को पीछे खींच लिया, साबी की जान मे जान आई, लेकिन ये अहसास मात्र 2पल के लिए ही था कालिया ने वापस से कमर को आगे धकेल दिया.
गगगगऊऊऊऊ...... Uffff.....
फिर क्या था ये दौर शुरू हो गया, कालिया बेतहाशा आपने लंड को साबी के मुँह मे अंदर तक ठेलता जा रहा था, उधर साबी का हाथ हरिया के लंड पर कसता जा रहा था,
सारा दर्द तकलीफ साबी हरिया के लंड पर उतार दे रही थी.
अब हरिया के सब्र का पेमाना भी छलक उठा.
"साले मादरचोद तू ही इसे चोदेगा क्या मुझे भी चूसाने दे " कहते हुए हरिया ने साबी के सर को पकड़ अपने लंड की तरफ मोड़ दिया..
साबी उनकी भाषा सुनकर और उत्तेजित हुए जा रही थी.
उसका मुँह खुद हरिया के लंड के स्वागत के लिए तैयार था, मुँह से थूक की लार किसी चासनी की तरह नीचे तपक रही थी.
पूकककक.... करता कालिया का लंड बाहर हुआ की धच... से कालिया ने उसी रफ़्तार मे अपना लंड थूक से सने साबी के मुँह मे घुसेड़ दिया.
हरिया भी अपनी जोर आजमाइस करने लगा, वही साबी का हाथ अब कालिया के लंड पर जा कसा, वही लंड जो अभी अभी साबी के मुँह से निकला था, उसका कामुक गला थूक से सना हुआ था.
पच... पच.... पचम.. की आवाज़ उस सुनसान रास्ते पर गूंज उठी.
साबी का मुँह से चुता थूक उसके गले से होते हुए उसके गाउन मे समा रहा था, दोनों स्तन के बीच की लकिर गीली हो चुकी थी.
एक अजीब सी गंध वातावरण मे फ़ैल गई थी, एक रूहानी कामुक गंध जो की दोनों के गंदे लंड और साबी के थूक के मिश्रण से बनी थी.
गुलुप गुलुप गुलुप..... पच... पच... पच.... की एक कामुक आवाज़ ने शमा बांध दिया था.
साबी हवस मे भर गई, वो भूल गई ही वो कहा है, क्या कर रही है.
उसके लिए ये पल आनन्द का वक़्त था.
कहते है ना जब एक शरीफ औरत काम औकात पर आती है तो उसके सामने मर्द पानी भरते है.
साबी ने भी यही उदाहरण पेश किया था.
कहां वो इनके लंड से डर रही थी, वही अब दोनों के लंड को गले तक बारी बारी से निगल जा रही थी.
उफ्फ्फ...... मैडम.... जी... छोड़ दीजिये..... आआहहहह....
दोनों काले शैतान जैसे पनाह मांग रहे थे, लेकिन साबी माफ़ी देने के मूड मे नहीं थी.
इन शैतानो ने उस औरत का कामरुप जगा दिया था, अब ये संघर्ष उनके प्राण लेने पे उतारू था.
पच.... पच..... ओक... ओककक..... वेक... वेकककक.... करती साबी दोनों के लंड निगल रही थी, उसका चेहरा थूक से सना हुआ था.
अब उसे कोई शर्म नहीं थी.
झाग के रूप मे थूक और दोनों के लंड की गंदगी साबी के लाल कामुक होंठो से टपक रही थी.
उउउफ्फ्फ...... मैडम.... क्या कर रही है आप....
दोनों एक झटके से दूर जा हटे, ना जाने कैसे उस शेरनी के चुगल से निकले थे दोनों.
खो... खो... खो..... हुम्म्मफ़्फ़्फ़.... हम्मफ़्फ़्फ़..... साबी के हाथ से जैसे खजाना छूट गया हो.
दोनों के दूर होते ही एक खासी के साथ बहुत सारा थूक निकल उसके गले से होता हुआ, गाऊन को भीगा गया.
गाउन इस कदर भीग चूका था की साबी के स्तन साफ झलक रहे थे.
उसके निप्पल अकड़ कर किसी कील की तरह उस गाउन को फाड़ के बाहर आ जाना चाहते थे.
"उउउफ्फ्फ..... मैडम आप ऐसा क्या करती हो, पेशाब निकालना था या हमारी हम.... हमारी
जान " हरिया कालिया किसी मेमने की तरह फरीयाद कर उठे.
साबी तो जैसे किसी शून्य मे थी उसे समझ ही नहीं आ रहा था की ये क्या हुआ, वो क्या कर रही थी,
उसे बस एक खुजली का अहसास हो रहा था जो उसकी जांघो के बीच मची थी,
जांघो के बीच बुरी तरह गिलापन महसूस हो रहा था,
ना जाने क्यों साबी का हाथ खुद ही गाउन मे समाता चला गया, जैसे वो चेक करना चाहती थी की क्या हुआ है?
जैसे ही हाथ चुत तक पंहुचा उसके होश उड़ गए, गिलापन इस कद्र जांघो और आस पास के हिस्से को भिगोये हुआ रहा, पानी की चिपचिपी लार जैसी एक धार चुत से निकल जमीन चुम रही थी.
पैंटी तो वो कबका कार मे छोड़ आई थी.
उंगलिया बुरी तरह भीग गई.
"इस्स्स्स....... Uffff.... ये क्या ऐसा तो कभी उसकी चुत के साथ नहीं हुआ "
"मैडम पेशाब ऐसे नहीं निकलेगा, अब आपको ही करना पड़ेगा " कालिया की आवाज़ से जैसे साबी वर्तमान मे आई.
"कककक.... क्या....क्या...?
"हमारा पेशाब नहीं निकलेगा, आपको ही मूतना पड़ेगा " कालिया ने ऊँचे आवाज़ मे कहां जैसे तो साबी ऊँचा सुनती हो.
"ममममम.... मै.... मै... कैसे...." उकडू बैठी साबी हैरान थी हालांकि उसे पेशाब लगी थी, फिर भी खुद को यही जाता रही थी जो हो रहा है मज़बूरी मे हो रहा है.
लेकिन ये मज़बूरी कब हवस मे बदल गई है ये तो खुद वो भी नहीं जानती थी.
"जैसे आपने कौशिश की, हम भी वैसा ही करते है " हरिया ने दो टुक बात कह दी.
"मतलब " साबी हैरान थी सीधी खड़ी हो चुकी थी, चेहरा अभी भी थूक से सना हुआ था.
"मतलब की आपने हमारे लंड को चूसा अब हम आपकी चुत चूसेंगे, शायद पेशाब निकल आये " कालिया हरिया अब मौके की नजाकत को भाँप गए थे, सीधा चुत लंड की बात जर रहे थे..
साबी जो की इज़्ज़तदार घराने की थी, पढ़ी लिखी थी उसे गुस्सा होना चाहिए था, परन्तु ना जाने क्यों कुछ ना बोली, उनके हर एक शब्द किसी कामुक तीर की तरह उसकी चुत मे धस्ते जा रहे थे.
अब पेशाब तो लगी ही थी, क्या कहती कुछ ना बोली.
अब लड़की कुछ ना कहे तो उसे हां ही समझा जाता है ये बात दोनों बखूबी जानते थे.
कालिया ने आगे बढ़ साबी को कार के बोनट से जा सटाया, हरिया ने थोड़ी कौशिश कर साबी को बोनट का ऊपर बैठा दिया.
साबी का एक पैर कालिया के हाथ मे था तो दूसरा पैर कालिया के हाथ मे.
आने वाले पल की कल्पना से साबी का दिल धाड़ धाड़ कर बज रहा था.
साबी कुछ सोच रही थी..... अभी सोचना ही था की वही हुआ जो होना था.
दोनों ने दोनों पैर पकड़ कर अलग अलग दिशा मे फैला दिए,
साबी का गाउन ऊपर चढ़ता चला गया, जैसे जैसे गाउन ऊपर गया साबी की गोरी चिकनी चुत अपनी छटा बिखेरती उजागर होती चली गई.
बिल्कुल गीली चुत एक दम साफ बाल का एक कतरा भी नहीं, उस अँधेरी रात मे जैसे चाँद निकल आया था दो फाँखों मे बटा खूबसूरत कामुक चुत रुपी चाँद.
काम आनंद मे साबी की आंखे बंद होती चली गई, कोहनी पीछे को टिक गई, गर्दन पीछे झुकती चली गई.
उसे पता था क्या होने वाला है, उसे रोकना था.... लेकिन ये जिस्म... ये हवस.... ये समय... कौन रोके हो जाने दो जो होना है.
हुआ भी वही.... बोनट पे बैठी साबी की जाँघ के बीच का हिस्सा नीचे से आती रौशनी से चमक रहा था.
ईईस्स्स्स....... आआहहहहह...... एक सिसकारी से गूंज गई, क्युकी दोनों के काले, खुरदरे हाथ साबी की कोमल, मोटी, नाजुक, गोरी जाँघ पर रेंगने लगे थे.
साबी का रोम रोम खड़ा था, जाँघे खुद को बंद के देना चाहती थी.
लेकिन दोनों ने मजबूती से साबी की जांघो को विपरीत दिशा मे थामे रखा था.
हरिया के हाथ ने वो जोखिम उठा ही लिया, जिसके बाद सिर्फ जीत थी.
एक सुनहरी चुत उसकी आँखों के सामने चमक रही थी.
Contd.....
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