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मेरी बेटी निशा -10

 अपडेट -10, मेरी बेटी निशा Picsart-23-12-16-12-14-19-689

वह निशा की चूत को ताकता रहा। सुजी हुई चूत के अंदर समायी गुलाबी होठ उसे पुकार रहे थे। और चूत के उपरी भाग पर क्लाइटोरिस देखकर चौक गया। जगदीश राय ने आज तक इतनी बड़ी क्लाइटोरिस नहीं देखा था। images-2


चूत की मादक गंध से जगदीश राय मदहोष हो गया।


और उसने बिना सोचे सीधे अपने होठ से निशा के चूत को दबोच लिया।gifcandy-pussy-licking-63


निशा: आह पापा…धीरे…ओह…गॉड…पापा…यह…। बहुत…अच्छा…।फिल…


निशा अपने हाथो से पापा के टट्टो को धीरे धीरे गोल-गोल सहला रही थी।


जगदीश राय अब निशा के कमर को पकड़ कर थोड़ा ऊपर उठा दिया , और अपने होठ से निशा की क्लाइटोरिस को दबोच लिया।


जगदीश राय कभी क्लाइटोरिस को चबाता, तो कभी अपने जीभ से निशा की पूरी चूत चाट लेता।


निशा अपने पापा के छाती पर बैठ, गांड को गोल-गोल ऊपर-नीचे उठाकर अपनी चूत को अपने पापा से चटवा रही थी। 8449093-gif-pussy-licking-69-190x152


जगदीश राय: बेटी…कैसा लग रहा है…

निशा: सवाल मत करो पापा…करते रहो…।बहुत अच्छा…।

फिर जगदीश राय ने दोनों हाथो से निशा के चूत को फैलाया। अभी चूदी हुई चूत में निशा को दर्द हुआ और उसने अपने होटों को चबाकर दर्द को सहा।

और जगदीश राय ने अपने जीभ को निशा के चूत में सरका दिया।

निशा: आअह…।पापाआ…।आआआआह।

निशा सिसकी मारते हुए आगे गिर पडी। और उसके होठ पापा के 9 इंच के लंड से लग गये।

निशा ने टट्टो को छोड लंड को दबोच लिया और और लंड को क़रीब से निहारती रही।

और एक भूखी शेरनी की तरह लंड को अपने मुह में घूसा लिया। ४ इंच मोटाई का लंड वह अपने मुह में घूसाने की कोशिश कर रही थी। कभी वह चाटती कभी चूसती। कभी हाथों से मुठ मारती।

उसे अपने पापा के लंड से प्यार हो गया था। और वह एक छोटे बच्चे की तरह उसके साथ खेले जा रही थी।

यहाँ जगदीश राय निशा की चूत को अपने जीभ से चोद रहा था और वहां निशा पापा के लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी। 69-porn-gif-3


दोनो बड़े ही प्यार से बिना कोई जल्दबाज़ी किये आराम से एक दूसरे को चाट और चूस रहे थे।

करीब 5 मिनट बाद , निशा को अपने चूत में अकड महसूस हुई। वह अपने पापा के मुह में झड़ना नहीं चाहती थी।

जगदीश राय , अनुभवी होने के कारण समझ गया की निशा झडने वाली है।

उसने तुरंत निशा की कमर और गांड को अपने हाथों से दबोच लिया। और अपने उंगलिओं से निशा की चूत को फैलाता-सहलाता रहा। और निशा की क्लाइटोरिस को होटों में दबोच कर बेदरदी से चूसता रहा और खीचता रहा।img-8369


निशा अब लंड चूसना बंद कर अपने हाथो से मुठ मारना शुरू किया।

निशा अपने क्लाइटोरिस पर हुए इस हमले से उछल पडी। वह अपने पापा के चंगूल से निकलना चाहती थी पर पापा के पकड़ से छुड़ा नहीं पायी।

और कुछ ही क्षणो में उसका पूरा शरीर अकड गया। और वह कांपते हुए तेज़ी से झड गयी


जगदीश राय ने जान-बुझ-कर चूत के होठ ऊँगली से खुले रखे थे। क्लाइटोरिस चूसते हुए उसके आखों के सामने चूत के होठ और क्लाइटोरिस फ़ैल गया और चूत के अंदर से तेज़ी के पानी बहने लगा।38744431

जगदीश राय ने तुरंत क्लाइटोरिस को छोडते हुए चूत के द्वार पर अपना मुह चिपका दिया और पानी चाटने लगा।

निशा कुछ एक मिनट तक अपने पापा के ऊपर उलटी लेटे झडती रही। और वही ढेर हो गयी।

निशा के झडने के बाद भी जगदीश राय ने चूत चाटना बंद नहीं किया। वह निशा की चूत के रस को खोना नहीं चाहता था।

कुछ देर बाद जगदीश राय ने निशा की गांड को उठाया और निशा को देखा। 

निशा वही जगदीश राय के पेट के ऊपर तेज़ सासे लिए सो रही थी। दाए हाथ में लंड था और बाए हाथ टट्टो में समाया हुआ था। लंड निशा के गालो पर सटा हुआ था। 

अपने पापा का लंड गालो पर लिए सोये हुए निशा का सुन्दर चेहरा देखकर, जगदीश राय को अपनी बेटी पर बहुत प्यार आया।

जगदीश राय: निशा…निशा बेटी…तुम ठीक…हो…निशा।।

निशा ने धीरे से अपनी ऑंखें खोली और लंड के पीछे से उसके होठ मुस्कराए।

जगदीश राय: आ जाओ बेटी …आ जाओ ।।अपने पापा की बाहो मैं…

निशा धीरे से उठी और जगदीश राय ने अपनी बेटी की नंगी कापते शरीर को अपने विशाल बाहों मैं लेकर सम्भाला।

कोई 5 मिनट तक निशा इसी तरह अपने पापा की बाहों में नंगी पड़ीरही।

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फिर निशा धीरे से उठी और अपने पापा के ऑंखों में देखा। 

दोनो एक दूसरे को घूरते रहे।

और निशा ने पापा के कठोर लंड को अपने हाथों में लेकर हिलाना शुरू किया।

निशा लंड के हिलने से जगदीश राय के चेहरे का हाव भाव पढ रही थी।

जगदीश राय से अब रहा नहीं जा रहा था। पर वह पहली बार वाली गलती दोहरना नहीं चाहता था।

जगदीश राय: निशा बेटी।।अब मुझसे रहा नहीं जा रहा…तुम निचे लेट जाओ…मैं।।

निशा: नहीं…आप लेटे रहिये…।

और निशा जगदीश राय के ऊपर लेट गयी। लंड चूत के द्वार को दस्तक दे रहा था। पर निशा लंड अंदर नहीं सरका रही थी।gifcandy-black-and-white-89

जगदीश राय मचल रहा था। निशा पुरे कण्ट्रोल में थी।

फिर निशा ने अपना बाया हाथ निचे ले जाकर लंड के जड़ (बेस) को पकड़ा और धीरे धीरे चूत को लंड पर उतारने लगी।

निशा: आआअह…आह।

जगदीश राय: ओह्ह्ह्हह्ह्ह्।

हर एक मोड़ पर निशा की चूत दर्द से कांप उठती। पर वह यह दर्द सहना चाहती थी। अपने पापा के लिये। अपने लिये। 

जगदीश राय समझ गया की निशा की चूत पहली चुदाई से सूजी हुई है और दर्द दे रही है।

जगदीश राय: रहने दे… बेटी…।इतना काफी है… और लेने की ज़रुरत नहीं

लेकिन निशा ने न में सर हिलाया और फिर ख़ुद को लंड पर ढकेलने लगी। 

करीब 5 इंच चूत में समा जाने के बाद, निशा रुक गयी। जगदीश राय समझ गया की उसका लंड जड़(बेस) पर ज्यादा मोटा है.

निशा धीरे धीरे लंड पर ऊपर निचे होकर खुद को चुदवाने लगी। जगदीश राय अपने बेटी के चूचो और चेहरे को निहारता उसका साथ दे रहा था।

जगदीश राय जानता था की निशा लंड पूरा लेना चाहती है पर घबरा रही है। 

पर यह रास्ता निशा को खुद पूरा करना था। 

जगदीश राय: कोशिश करो बेटी…

निशा: आह…।हम्म्म्म…।आआआह आआह आआह…ओह्ह्ह्हह…।

फिर निशा धीरे धीरे अपने पापा का पूरा लंड चूत में समां लिया। चूत 4 इंच के लंड की चौडाई से फैल गई थी।

निशा अपना दायाँ हाथ चूत पर ले गयी एंड जाना की लंड पूरा घूस चूका है।

फिर निशा मुस्करायी। जगदीश राय भी मुस्कराया। 

कुछ समय बाद निशा दर्द भूल कर जोर जोर से लंड पर उछलने कूदने लगी। उसके बड़े मम्में उछल रहे थे।

उसने यह सब पैतरे इंटरनेट पर ब्लू-फिल्म्स में देख रखी थी।

जगदीश राय झाडने के कगार पर था। निशा जान गई। 

निशा: पापा…अंदर ही छोड दीजिये…

निशा अपने आप को पूरा अपने पापा पर समर्पण करना चाहती थी।

निशा जोर जोर से उचलने लगी। पर जगदीश राय ने अंत वक़्त पर लंड बाहर खीच लिया।

लंड तेज़ी से फवारा छोड़ना शुरू किया। और निशा को अपनी चूत और गांड के छेद पर गरम वीर्य का अनुभव हुआ।

निशा ने सवालिए नज़रो से पापा के तरफ देखा।

जगदीश राय (हफ्ते हुए): नहीं बेटी…।

निशा अपने पापा के ऊपर लेट गयी। लंड अभी भी उगल-उगलकर झड रहा था। 

जगदीश राय ने निशा को बॉहो मैं कैद कर लिया।

जगदीश राय उससे बीच बीच में , कभी गालो तो कभी माथे पर किस देता रहा। हाथो से उसकी मुलायम गांड और चूचो को दबाता रहा। और निशा बीच में हाथ से लंड और टट्टो को अपने हाथो से मसाज कर देती।

अब दोनों बाप-बेटी नहीं रहे। दो प्रेमी बन चुके थे।

कम से काम आधा घण्टा दोनों ऐसे ही बिस्तर पर एक दूसरे से लीपटे पड़े रहे। दोनों खामोश थे। कमरे में एक अजीब सी ख़ामोशी थी। 

जदगीश राय के मन में एक अजीब सा उत्साह थी। और निशा के मन में सुकून।

थोड़ी देर बाद निशा उठी। उठते वक़्त निशा के बाल उसके पापा के जांघो के निचे फस गया था।

निशा हँस पडी।

निशा: हे।।हे …उठिये पापा…आशा-सशा के आने से पहले…

जगदीश राय: और कुछ देर लेटी रहो बेटी…।ऐसे ही…

और जगदीश राय , किसी जवान प्रेमी की तरह , निशा को अपने बांहो में लेना चाहा। और इस कोशिश में निशा के भारी चुचो को छुकर मसल दिया।

निशा: न जी न…मैं तो चली…चलिए…आप भी…

निशा किसी नयी नवेली दुल्हन के जैसे बोल पडी। 

जगदीश राय: अच्छा बाबा…।पर एक बात पुछु बेटी…।कैसा लग रहा है तुम्हे…।

निशा: हल्का…बहुत हल्का…वैरी लाइट…जैसे मन से कोई बोझ निकल गया हो…

जगदीश राय:अच्छा…?

निशा (अपनी बाहें फैलाये):…और मैं इस हलके पन में तैरते रहना चाहती हु…सदा आप की बाहों में।।

यह कहते जगदीश राय हँस पड़ा और निशा भी हँस पडी।

और दोनों एक दूसरे के बाँहों में समां गये।  images-2-1-1

फिर निशा उठी और कमरे में पड़े कपडे और टॉवल उठानी लगी। वह नंगी थी। 

और जगदीश राय उसके मोटी गांड और भारी चूचो को देख रहा था20231117-144235

और निशा बीच-बीच में ताक़ते पापा को देखकर मुस्कुरा रही थी।

अचानक से बेल बजी। दोनों चौक गये। निशा तुरंत कपड़े और बिस्तर पर खून-लगी-बेडशीट लेकर रूम के तरफ चल दी।

जगदीश राय ने लूँगी पहनकर दरवाज़ा खोला। सामने आशा को देखकर मन ही मन उदास हो गया। 

आशा: अरे पापा… यह क्या…कहीं रेसलिंग करने चले हो क्या… इतना तेल लगा हुआ है…

जगदीश राय: अरे…यह…यह…तो बस…मैं…यु ही…नहाने जा रहा था…

तभी निशा सीडियों से उतार आयी।


निशा (मैक्सी पहने): पापा को डॉक्टर ने कहाँ है तेल लगाकर नहाने के लिए इसलिए…


आशा: अच्छा…तो क्या डॉक्टर ने पेशेंट के बेटी को भी बोला है साथ में तेल लगाने को?… तुम भी तो दीदी तेल लगायी हुई हो…चेहरे पे…हाथ पे…


निशा (झेंपते हुए): वह…तो।।मैं…


जगदीश राय:वह तो मुझे देख्कर।।मेरे साथ…इसने भी लगा दिया।।मेडिकल आयल है न…इसलिये।।


आशा: अच्छा।।स्ट्रँग।।दोनो मिलकर तेल मलो शाम के 4 बजे …मैं तो चली अपनी रूम…


निशा (मन में): साली का दिमाग…कुछ ज्यादा ही फास्ट चलता है…इससे छुपकर रहना एक चैलेंज होगा…


फिर थोड़े देर में सशा भी आ गयी। निशा अपने किचन के कामो में लग गायी। 


जगदीश राय जब जब मौका मिलता किचन के सामने से गुज़रता। और निशा को नज़र मारता।


निशा जान-बुझकर कोई रिस्पांस नहीं देती। उसे पता था की पापा उसके लिए बैचैन है।


खाने के टेबल पर भी निशा और जगदीश राय एक दूसरे को देखते और मुस्कराते। 


जगदीश राय कभी कभी उसके हाथो और जाँघो को हल्के से छु देता , पर निशा उससे दूर रहती।


रात को सोने से पहले , निशा पापा को दूध देने आयी।


जगदीश राय: बेटी…आशा-साशा 11 बजे तक सो ही जाते है…तुम चुपके से कमरे में आ जाना।।ठीक है…


निशा (हँसती हुई): नहीं पापा…मैं नहीं आऊँगी…आप आराम कीजिये…


Contd....



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