अपडेट -12, मेरी बेटी निशा
निशा: पापा…मैं आपके बर्थडे के लिए ख़ुदको बचाके रखी हूँ।।और आप कण्ट्रोल नहीं कर सकते।।।
जगदीश राय: बेटी …।अब रहा नहीं जाता…सिर्फ थोड़ा चूत चूसने दो।। बस 2 मिनट…
निशा: नहीं …चूसना तो नॉट एट आल…।हाँ अगर रस ही चाहिये तो मैं निकालकर दूँगी…।बस सिर्फ आज।।…बादमें पूछ्ना भी नहीं…प्रॉमिस…
जगदीश राय (उतावले होकर): हाँ हाँ बेटी।।प्रोमिस…प्रोमिस।।
निशा ने तब मैक्सी ऊपर करके अपनी 2 उंगलिया चूत में पूरा जड़ तक घुसा दी, और कुछ एक मिनट बाद उंगलिया टेढ़ी करते हुये बाहर खीच लिया। उँगलियों पर ढेर सारा रस देखकर , तब जगदीश राय ही नहीं निशा भी चौक गयी थी।
जगदीश राय ने जिस तेज़ी से निशा के हाथ के ऊपर टूट पड़ा , वह देखकर निशा को पापा पर हसी भी आयी और तरस भी।
तो वह जानती थी, की आज उसके पापा उसकी चूत का हाल बुरा करने वाले है। और वह भी मन-ही-मन यही चाहती थी।
वही जगदीश राय के पिछले 2 महीनो में एक नया उमंग आ गया था।
पहले जो अपने वास्ते, बाल और बॉडी का ध्यान भी नहीं रखता हो आज घण्टो मिरर के सामने गुजारता।
अपने हेयर डाई करता, परर्फुमस, टी शर्ट एंड जीन्स की शॉपिंग लगतार शुरू की थी। हर रोज़ सुबह , निशा की चूत रस और चाय पिकर, वाक पर भी जाता।
पास के गुप्ताजी भी खिल्ली उडाने लगे।
गुप्ताजी: अरे राय साहब…लगता है दूसरी वाली जल्द ही लानी वाले हो…खुद को देखो…सलमान खान से कम नहीं लग रहे हो अब…
जगदीश राय सिर्फ मुस्कुरा देता।
पापा के आज बर्थडे के लिए निशा ने विस्तार से प्लान्स बनाये थे।
उसने ठान लिया था की आज वह कॉलेज नहीं जायेगी और आज सारा दिन अपने पापा के बॉहो मैं गुजारेगी।
जगदीश राय , सुबह तेज़ी से उठा। आज का दिन का महत्व वह जानता था।
आज पहली बार उसे अपने जनम होने पर नई ख़ुशी मिली थी।
वह जल्द से मुह हाथ धोकर किचन में पहुच गया। निगाहे निशा को ढून्ढ रही थी।
पर निशा नहीं थी वहां। आशा खड़ी थी, एक छोटी सी शॉर्ट्स पहने।
जगदीश राय: अरे आशा…।क्या बात है…तुम यहाँ…
आशा: हाँ पापा…निशा दीदी की तबियत ठीक नहीं है…सो उसने मुझे कहाँ चाय बनाने को। यह लीजिये
जगदीश राय पर जैसे बिजली गिर पडी।
जगदीश राय: क्या कह रहे हो बेटी…सब ठीक तो है…यह कैसे हो गया अब…
आशा , पापा का यह बरताव देखकर आश्चर्य जताते हुयी।
आशा: रिलैक्स पापा…क्या हो गया ऐसे…ठीक है वो।। बस थोड़ी सर दर्द है…आप तो ऐसे डर रहे हो जैसे…
जगदीश राय (खुद को सम्भालते हुए): ओह अच्छा…ठीक है…ठीक है…
आशा: और हाँ दीदी ने कहाँ है की आज वह नाश्ता बना नहीं पायेगी , इसलिए आप भी बाहर से खा लेना और हम भी स्कूल जाते वक़्त नुक्कड़ से खा लेंगे।
जगदीश राय (उदासी से): ठीक है
आंसा: अरे और एक बात पापा…
जगदीश राइ: और क्या।
आंसा : हैप्पी बर्थडे पापा।
और आशा अपने पापा के पास आयी और झूक कर पापा के चेहरे को अपने सीने से लगा लिया और माथे पर एक किस दे दि।
जगदीश राय (मुस्कुराते हुए): थैंक यू बेटी। चलो अब तुम लोग स्कूल जाओ…मैं भी तैयार होता हूँ।
थोड़ी ही देर में आशा और सशा , पापा को एक बार विश करके, स्कूल के लिए चल दिए।
जगदीश राय अपने किस्मत को गाली देते हुए , रेडी होने के लिए कमरे की ओर चल दिया। उसने सोचा की निशा से उसकी हालत पूछ ले पर सोचा की वह सो रही होगी।
जगदीश राय, जब कमरे में घुस, तो देखा की उसके बेड पर एक पैकेट पडा है।
चौंककर, जगदीश राय ने उसे खोला , तो देखा की उसमे लेटर और कुछ कपडे है। जगदीश राय ने लेटर खोला। वह निशा ने लिखी थी।
निशा: "प्यारे पापा, फर्स्ट ऑफ़ आल हैप्पी बर्थडे। आपके इस सुनहरे दिन के लिए पूरा प्लानिंग मैंने किया है। आपको मेरे कहे अनुसार करना होगा।
पहले, शेव करेंगे।
फिर मैंने इस पैकेट में एक क्रीम रखी है। इससे अपने लंड, टट्टो और गांड पर मलिये। और १० मिनट तक रखिये। यह हेयर-रिमूवल क्रीम है। मैं आपको जैसे आप पैदा हुए वैसे देखना चाहती हूँ।
फ़िर आप बाथ लीजिये। और बैग में एक सेंट रखी है। उसे लगाइये।
फिर मैं ने एक स्ट्रिंग अंडरवियर रखी है। वह पहन लीजिये। और बिना शर्ट के, सिर्फ लूँगी पहनकर निचे डाइनिंग टेबल पर आईए। मैं वहां आपके नाश्ता के साथ तैयार हूँ।"
जगदीश राय निशा का यह लेटर पढकर ख़ुशी से झूम उठा।
वह तेज़ी से शेविंग सेट की और बढा। हेयर रेम्योविंग क्रीम लंड और टट्टो पर फैला दिया।पर फिर उसे ख्याल आया की निशा ने गांड का भी ज़िकर किया था। वह समझ नहीं पाया की उसे उसके गाण्ड से क्या दिलचस्पी हो सकती है।
पर वह आज कोई चांस नहीं लेना चाहता था। उसने ढेर सारा क्रीम लेकर गाण्ड पर मल दिया।
इससे उसके टट्टो पर थोड़ी जलन होने लगी। पर वह उसे सहन करता रहा।
जब टट्टो पे जलन ज्यादा हो गया तो वह तुरंत नहाने चला गया।
नहाने के बाद जब जगदीश राय ख़ुदको देखा तो हसी रोक नहीं पाया।
लंड और निचला हिस्सा किसी बच्चे की तरह साफ़ था।
वह निशा के इस प्लानिंग से बेहद खुश हुआ।
फिर वह निशा की दी हुई स्ट्रिंग अंडरवियर पहन लिया। स्ट्रिंग अंडरवियर सिर्फ उसके लंड और टट्टो को संभाल रहा था।
गांड पूरी खुली थी और अंडरवियर की रस्सी अभी-साफ़-हुई-गांड के छेद को छेड रहा था। और उससे जगदीश राय के लंड पर प्रभाव पड़ रहा था।
जगदीश राय (मन में): वह निशा ने कितनी बारीकी से पूरी प्लानिंग की है…कहाँ से सीखी यह सब उसने…
फिर बिना समय गंवाए जगदीश राय एक साफ़ लूँगी पहन लिया और डिओडरंट लगा दिया।
और एक बर्थडे-प्रेजेंट-के-लिए-उतावले बच्चे की तरह डाइनिंग टेबल की तरफ निकल पडा।
जब जगदीश राय अपने रूम का दरवाज़ा खोला तो पुरे घर में कोई आवाज़ नहीं सुनाई दे रहा था।
उसने कमरे के दरवाज़े से आवाज़ लगाई।
जगदीश राय: निशा…कहाँ हो बेटी…निशा।
निशा: पापा…वहां क्यों रुक गए…आईये…नीचे आईये…मैं यहाँ डायनिंग टेबल पर आपका इंतज़ार कर रही हु…
जगदीश राय निशा की मदहोश आवज़ सुनकर धीरे धीरे डायनींग टेबल के तरफ बढा।
डायनिंग टेबल पर जब वह पंहुचा तो ताजूब रह गया। डाइनिंग टेबल पर खाना नहीं लगा था, बल्कि निशा डाइनिंग टेबल के ऊपर बैठी हुई थी।
और निशा एक सफ़ेद मखमल के चद्दर से पूरी लिपटी हुई थी। उसने लाइट मेकअप भी कर रखी थी।
निशा: क्या आपको भूख लगी है।
जगदीश राय (आँखों में घूरते): भूख तो बहुत लगी और सिर्फ तुम ही मिटा सकती हो।
निशा: कोई बात नहीं…आपके हर भूख का समाधान है मेरे पास…आईये…यहाँ पास आइये…
जगदीश राय निशा की ओर बढा। और अचानक निशा ने अपना चद्दर हटा लिया।
निशा: देखिये यहाँ क्या है आपके लिये।।
और जगदीश राय चौक पडा।
निशा पूरी नंगी थी। डाइनिंग टेबल के ऊपर पूरी पैर खोले बेठी थी। पर निशा की चूत दिखाई नहीं दे रही थी।
पुरे चूत पर मख्खन लगा हुआ था।थोड़ा सा माखन निशा की चूत के होठो के साथ हिल रहा था पर चूत पूरी छिपी हुई थी।
और दोनों बड़े चूचे पूरे खुले थे, पर निप्पल पर संतरे का एक गोल टुकड़े से घेरा हुआ था और निप्पल पर लाल अँगूर लगा हुआ था।
निशा की भरी मोटी गांड डाइनिंग टेबल पर बैठकर फ़ैल् गयी थी। और मादक बड़ी गोरी जांघ पर थोड़ा सा पानी लगा हुआ था।
निशा किसी हुस्न की परी लग रही थी।
जगदीश राय मुह खोले निशा को देखता रहा।
निशा:पापा।।हैप्पी बर्थडे।।आपकी बर्थडे ब्रेकफास्ट रेडी है…जो चाहे खा सकते हैं…बोलिये कहाँ से शुरू करेंगे…मखन से या अँगूर से…।
जगदीश राय: बेटी…।मैं तुम्हारा दिवाना हो गया बेटी…।…मैं…मैं तो माखनचोर बनना चाहता हु…देखना चाहतु की मखन के अंदर क्या छुपा है।।।
निशा: जी।। ठीक है…देखिये।
और निशा ने पैर को पूरा फैला कर जाँघों को दाया-बाया तरफ कर दिया।
जगदीश राय आकर चेयर पर बैठा और अपना सर आगे ले जाकर निशा की चूत पर लगे मखन को देखता रहा।
निशा: एक बात…नाश्ता आप सिर्फ मुह से ही खाएंगे…हाथो का इस्तेमाल नहीं करेंगे…मतलब दोनों हाथ टेबल के निचे होने चाहीये…सम्झे।
जगदीश राय तुरंत हाथो को निचे सरका दिया। निशा को पापा के तेज़ सासो का एहसास अपने जांघ और चूत पर मह्सूस हुआ।
फिर जगदीश राय ने अपनी जीभ बाहर निकाल एक बड़ी सा प्रहार लगा दिया। जीभ ने पुरे चूत की लम्बाई नापी। और ढेर सारा मखन अपने मुह में उतार लिया।
निशा के मुह से एक बड़ी सिसकी निकल पडी।
जगदीश राय को पहले वार पर सिर्फ मखन मिला था। फिर उसने और गहरायी में घुसना चाहा। और अपने होठ और जीभ को मखन के अंदर घूसा दिया।
और मखन के साथ उसे निशा के मुलायम चूत का स्पर्श हुआ। उसने एक भुक्खे कुत्ते की तरह चूत और मखन को खाने लगा।
निशा अपने पापा का इस तरह चाटना सह नहीं सकी और वह टेबल पर ही उछल पडी।
पर उसके पापा ने उसके चूत को अपने मुह में दबोच रखा था। और उसे हिलने नहीं दे रहे थे।।
जगदीश राय कभी मखन चाटता तो कभी चूत चबाता। टेबल पर मखन के बूँद और जगदीश राय के लार टपक कर गिला हो चूका था।
निशा अब अपने पापा को पूरा चूत दावत पर पेश करना चाहती थी। उसने पीछे मुड़कर अपने दोनों पैर कंधो तक ले गयी और अपने चूत को पूरी तरह से खोलकर अपने पापा के सामने रख दिया।
इससे निशा की बड़ी सी क्लाइटोरिस मक्खन के अंदर से अपना झलक दिखा दिया। और उसकी गांड भी ऊपर होने के कारण , गांड के छेद ने भी अपनी मौजुदगी बतलायी।
चूत से मखन गलकर गांड के छेद तक पहुच रहा था। और निशा के सासों के साथ गांड का छेद भी अन्दर-बाहर हो रहा था। और मखन की कुछ बूंदे गांड के छेद के अंदर घूस रही थी।
जगदीश राय यह दृश्य देखकर पागल हो गया और उसने पूरी कठोरता से निशा की क्लाइटोरिस को मक्खन के साथ अपने होठो से दबोच लिया। और दाँतों से धीरे-धीरे चबाते हुए , एक जोरदार चुसकी लगा दिया।
निशा : आआआआअह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्हह्ह्ह्हह गुड़, पाआआपपपपपा।
तुरन्त ही जगदीश राय ने क्लाइटोरिस होठो से खीच दिया और निशा टेबल पर मचल उठी।
जगदीश राय , हाथों के बिना , निशा को सम्भालना मुस्किल हो चला था। पर फिर भी उसने हाथों का ईस्तेमाल नहीं किया।
जैसे ही निशा थोड़ी सम्भली, जगदीश राय ने अपना बुरा जीभ चूत के अंदर घुसा दिया। मक्खन के कारण जीभ अंदर आसानी से घूस गई, पर जगदीश राय पूरा घूसा नहीं पा रहा था।
निशा (तेज़ सासो से): क्या मेरे पाआपप।।को…।और…भूख…लगी…है…।
जगदीश राय (मक्खन से होठ चाटते हुए):हाँ बेटी…हाँ बहूत भूख लगी है…।
निशा : तो फिर …।आप को आपको खाना चूस कर बाहर निकालना होगा…।थोड़ी मेहनत…करनी …पड़ेगी…ऐसे नहीं मिलेगा…
Contd....
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