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मेरी बेटी निशा -18

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जगदीश राय यह सुनकर खुश हो गया। आशा , पहले से विचित्र थी, पर आदर्श वादी थी यह आज उसे पता चला।


जगदीश राय , आशा की हाथ में पूच को देख। पुंछ का अंदर का भाग के 2 इंच का बॉल का आकार का था। उस पर आशा की गांड का भूरा रस और मलाई लगा हुआ था। 


आशा ने उसे ज़मीन पर रख दिया। 


जगदीश राय ने लंड के चमड़ी को निचे सरकाकर के हाथ से ज़ोर से थामे रखा एंड बेड के किनारे लेट गया। वह जानता था की गांड मारने के लिए लंड कड़क रहना बहुत ज़रूरी है।


आशा, पीछे मुड कर खड़ी हो गयी और अपने पापा की ऑंखों के सामने स्कर्ट को ऊपर खीच लिया। और जगदीश राय के सामने दो गोलदार गांड उभरकर आ गई।


जगदीश राय, बेड के उपर बैठे होने के कारण, आशा का गांड का छेद दिखाई नहीं दे रहा था। वह बेड पर लेट गया और सर को उठाकर देखने लगा।


आशा : रेडी ।।पापा…धीरे से ओके…मेरा भी पहली बार है…और आपका तो बहुत मोटा है…


जगदीश राय ने हामी में सर हिला दिया। दोनों की धड़कन तेज़ी से चल रही थी। और बाहर दाहिकला के लोंगो का शोर।


ओर जगदीश राय के ऑखों के सामने , उसकी बेटी अपने गोलदार सुन्दर गांड के गालो को हाथो से फैलाकार, उसके 3 इंच मोटे और 9 इंच लंबे लंड पर गांड को उतार रही थी।


आशा ने गांड के छेद को पापा के लंड के बहोत पास ले गयी। और एक १ इंच के दूरी पर आकर रुक गयी।


जगदीश राय , तेज़ी से सासे लेते हुयी, आंखे फाड़कर देखता रहा।


आशा: पापा, बोलो घुसा दूँ।


जगदीश राय : हाँ हाँ…रुक क्यों गई…अब संभला नहीं जाता।घुसा दे…अपनी गांड…मेरी प्यारी बच्ची.....


आशा: पर एक शर्त है…


जगदीश राय : सब मंज़ूर है


आशा: एक मूवी, एक अच्छी ड्रेस और…।


जगदीश राय : मंज़ूर,, मंज़ूर…। बेटी…अब सब्र नहीं हो रहा…

आशा:…और…जहाँ मैं चाहु…जब चाहु…मेरी गांड मारनी पड़ेगी…।


जगदीश राय : ज़रूर बेटी…जब कहोगी तब …।

ये सुनते ही, आशा ने अपना गांड पापा के कठोर लंड पर रख दिया। गाण्ड और लंड का स्पर्श इतना सुन्हरा था की जैसे मानो दोनों कई जन्मों से एक दूसरे का इंतज़ार कर रहे हो


और गांड में लंड चीरते हुए चला जा रहा था।


आशा: आह....ओह


जगदीश राय : ओह्ह…।मम…आआह…घुसा दे बेटी…।और घुसा…


आश: नहीं पापा…इससे ज्यादा और नहीं…पुंछ की गहरायी से कही ज्यादा ले चुकी…और आपका तो बहोत मोटा है और निचे…।नही…ऐसे ही करती हु…


जगदीश राय , निशा के चुदाई से समझ गया था की उतावला पन ठीक नहीं है।


जगदीश राय : ठीक है बेटी…तुम्हे जैसा लगे वैसा करो…।


और आशा , फिर धीरे धीरे ऊपर निचे होने लगी…


आशा: कैसा लग रहा है पापा।।


जगदीश राय : बहुत अच्छा मेरी बेटी…करती रहो…अह्ह्ह्ह


आशा: दाहिकाला के मटके से दही निकलने के पहले…आपके मटकी से दही निकालूँगी…


और आशा ने लंड पर कुदती हुई पापा के दोनों टट्टो को ज़ोर से दबा दिया।


जगदीश राय , के मुह से सिसकी निकल गई।


जगदीश राय :ओह …आअह्ह्ह…।


आशा: हे हे


आशा, पापा के दरद, पर हँस पडी। और ज़ोर ज़ोर से लंड पर कुदने लगी। लण्ड अभी तक सिर्फ 6 इंच जा चूका था।



कडे हुए लंड पर हर झटके से आशा की कसी हुई गांड के अंदर लंड और थोड़ा घुसे जा रहा था।


आशा को पहली बार अपना गांड इतना फैला हुआ महसूस हो रहा था। मानो किसीने एक बड़ा सा सरिया घूसा दिया हो।


आशा अपना हाथ पीछे ले जाकर बचे हुए लंड को हाथो से नापने लगी।


जगदीश राय: बस बेटी…और थोड़ा…सिर्फ 3 इंच बची हुई है…


आशा ने ज़ोर देकर लंड पर गांड दबाना चालु रखा। 


कसी हुई गांड की जकड , जगदीश राय के लंड पर भी भारी पड़ रहा था। पूरा लंड लाल हो चूका था।


बाहर दही कला का शोर चल रहा था। और आवाज़ो से महसूस हो रहा था जैसे एक और कोशिश हो रही है , हुण्डी को तोड़ने की। 


जगदीश राय का उतेजना भी लोगों से कम नहीं था और वह भी स्खलित होने के कगार पर पहुँच चुके थे।


दोनो आशा और जगदीश राय पसीने से लथपथ हो चुके थे। सासे जोरो से चल रही थी।


जगदीश राय: बेटी…और मारो बेटी…ज़ोर ज़ोर से कूदो…।मारवाओ गांड अपनी…।


आशा: आहहाआअह…आह्ह्ह्हह्ह्


जगदीश राय के लंड के ऊपर आशा तेजी से कूद रही थी।उसकी गाण्ड में 9 इंच लंड पूरा घुस चूका था।जगदीश राय को बहुत मज़ा आ रहा था।वह भी निचे से अपनी बेटी के गांड में धक्का देने लगा।


अचानक आशा ने महसूस किया उसके पापा का लंड गांड के अंदर फूल रहा है।


जगदीश राय ने तुरंत आशा को कमर से पकड़ लिया और तेज़ी से अपना लंड उसके गांड में मारने लगा।


हर झटके के साथ्, बाहर से लोगों का प्रोत्साहित करने वाली पुकार सुनायी दे रही थी।


लोगों बहार से: हाँ …और ऊपर…अंदर से…।घूस जा।।।


तभी लैंड गांड के छोटे छेद को चीरते हुए एक ही झटके में पूरा अंदर तक घूस गया।


आशा: पापा…।आहः


आशा ज़ोर से चीख पड़ी ।


उसी वक़्त बाहर से "गोविन्दा गोविन्दा हुर्रियिय" का पुकार सुनाई दिया और मटकी फोड़ने की आवाज़ सुनाई दी। 


गुब्बारे फूटने लगे। पटाके उडने लगे।


ओर तभी, अंदर, लंड का टोपा पूरा फूल गया और आशा को अपने गांड के अंदर एक सैलाब महसूस हुआ।


जगदीश राइ: ओह।।।।।।।


लण्ड ज़ोर ज़ोर से तेज़ी से झड रहा था। और ढेर सारा गरम वीर्य उगलने लगा। 


जगदीश राय कम से कम 4 दिन बाद झड रहा था। उसका पूरा शरीर कांप रहा था।


आशा की गांड के अंदर 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड लिए ऐसे ही बैठी रही और लंड से निकलने वाले वीर्य के हर धार के प्रभाव , आंखें मूंद कर महसूस कर रही थी।


कम से काम 5 मिनट बाद, बाहर और अंदर सन्नटा छा गया। 


आशा धीरे धीरे अपने पापा के लंड से उठने लगी।


आशा: हम…आहः


और गांड की चमड़ी पूरी बाहर के तरफ खीच गयी। जब लंड पूरा बाहर निकल गया तभी , गांड के अंदर से ढेर सारा वीर्य लंड के ऊपर उगलकर गिर पडा।


आशा लंड और वीर्य को देख कर मुस्कुरायी।


जगदीश राय: बेटी…बहुत अच्छा लगा…तुमने तो अपना वादा निभाया।।पर दही कला शायद ख़तम हो गयी…तुमने मटकी फोड़नी मिस कर दी


आशा: न न पापा मैंने तो असली मटकी फोड़ी है…और ढेर सारा मलाई भी निकाली है…बाहर के लोग यह नज़ारा मिस कर गये।।हे हे।

जगदीश राय , अपने कमरे को ठीक करने में लगा था।


उसकी उत्साह कोई छोटे बच्चे से कम नहीं था।


आज रात आशा ने कहा था की वह आएगी। 


दही कला के दिन गांड मरवाने के बाद, हर रात 11-12 बजे रात को आशा छुपके से , अपने पापा के कमरे में घूस जाती। 


और कम से कम 1 घन्टे तक , उछल उछल कर गांड मरवाती।


जगदीश राय , जो पहले कभी गांड नहीं मारा था, आज कल खुद को किसी एक्सपर्ट से कम नहीं समझ रहा था।


जगदीश राय को कभी कभार आशा की बेशरमी और पागलपन पर चीढ़ भी आ जाता। 


कभी कभार वह अपने पापा के लंड को काट देती और पापा के दर्द पर मुस्कराती।


कभी कभार जान बुझकर गांड में कोई तेल या क्रीम न लगाकर, लंड पर ज़ोर से बैठ जाती। 

और लंड के दर्द से हंस पडती, भले ही उसे भी दर्द हो रहा हो।


और पिछले 2 रातो से, जान बुझकर वादा करके , मुकर जाती। 


जगदीश राय , मन ही मन, उम्मीद कर रहा था की कल रात की हालत उसकी न हो, जब आशा कमरे में आकर, गांड न देते हुए, उसके लंड को हिलाने लगी, और ओर्गास्म के चरम सीमा पर आकर, "मुझे नींद आ रही है" कहकर चल दी।


आशा , न लंड ज्यादा देर मुँह में लेती । न ही चूत में ऊँगली डालने देती। सिर्फ गांड मरवाती।


जगदीश राय , उससे निशा से तुलना कर रहा था। एक जगह पर निशा थी जो अपने पापा के ख़ुशी के लिए कुछ भी कर जाती और दूसरे ओर यह पगली आशा जो उसे अपनी उँगलियों पे नचा रही थी।


हालाँकी जगदीश राय, बहुत बार ठान लिया था की आशा को भाव न देकर रास्ते पर लाये, पर हर वक़्त आशा की गांड और उसमें से निकल रही सुन्दर पूँछ के सामने , उसका लंड जबाब दे देता।


निशा 2 दिन में वापस आने वाली थी, और जगदीश राय सोच पड़ा की वह आशा से कैसे सम्बन्ध रख पायेगा।


तभी आशा कमरे में घूस गयी। वह सिर्फ एक शर्ट पहनी थी।, जिसमें बहुत मादक लग रही थी।


जगदीश राय (बड़े मुश्किल से झूठा ग़ुस्सा दिखाते हुए): बहुत देर लगा दी…पर आयी तो सही महारानी…


आशा: हाँ…सशा सो ही नहीं रही थी…।अभी भी उससे यह बोल के आयी हु…की बाथरूम जा रही हु…


जगदीश राय : ओह…तो अब…मैं आज रोक नहीं सकता…कल तुमने अच्छा नहीं किया आशा…


जगदीश राय किसी बच्चे की तरह उससे शिकायत कर रहा था.


और कहीं उसके अवचेतन मन में उससे अपने खुद के बरताव पर भी काफी शर्म आ रहा था।


आशा: वह सब छोड़ो…आज सिर्फ 4-5 मिनट है आपके पास…नहीं तो मैं चली…


जगदीश राय: अरे नहीं…पहले कपडे तो निकालो।


आशा (बात काटते हुयी, सीधे भाव से): वह सब पॉसिबल नहीं है…यह लो…घुसा लो…


आशा तुरंत अपना गांड पापा की तरफ कर दिया, और दिवार से टेककर खड़ी हो गयी। उसने अपना दोनों हाथ से शर्ट को उतना ही ऊपर किया जितना उसकी गांड दिखाई दे सके।



जगदीश राय : ऐसे खड़े खड़े…पर इसमे तो पूँछ लगी है…बेटा।


आशा: अरे तो निकाल लेना खीचकर गांड से पापा…क्रीम लगा कर सॉफ्ट करके आयी हुँ…


जगदीश राय , उतावले कापते हाथो से पूछ की मुलायम रेश्मी बालो को पकड़ कर गांड से खीच लेता है।


खिचते वक़्त उससे पता चलता है की आशा की गांड कितनी टाइट है। इतनी गांड मारने के बाद भी आशा की गांड बहुत टाइट थी।


आशा: पापा…ज़ोर से खीचिए…ऐसे नहीं निकलेगी।।।


जगदीश राय , पूरा ज़ोर लगा खीचना शुरू किया ।


धीरे धीरे आशा की गांड से बाहर गया, और अन्तः में 2 इंच का गोलदार भाग 'पलॉक' के आवाज़ से बाहर निकल गई।


पूँछ बाहर निकलते ही, आशा की गोलदार गांड के बीचो बीच एक 2 इंच का सुन्दर होल, गांड के छेद को चौड़ा कर , अपने पापा के लंड को मानो पुकार रहा था।


जगदीश राय, ने जवाब में 3 इंच मोटे लंड को उस होल में घुसाना उचित समझा ।


और १० सेक्ण्ड के अंदर, अपने पापा के 9 इंच लम्बाई के लंड से कठोर चुदाई , आशा की गांड खोलकर ले रही थी। 

हर चुदाई के भारी धक्के से, आशा दिवार से चिपक जाती और गांड का छेद 3 इंच तक खीच जाता।


इसके पहले की देर हो जाए, जगदीश राय ने तुरंत तूफ़ानी गति से पेलते हुए, अपना ढेर सारा गाढ़ा वीर्य से आशा की गांड को भर दिया।


हाफ्ती हुयी, कापते पैरो से, जगदीश राय , लंड को गांड से बाहर निकाला।और बिस्तर पर बैठ गया।


आशा, बिना किछ कहे, पूछ का गोलदार हिस्सा, बाये हाथ से गांड पर ले जाती है। और "ह्म्ममम्म" के आवाज़ से गांड में एक झटके से घुसा देती है।


गाँड में घुसते वक़्त , पापा का ढेर सारा मलाइदार वीर्य गांड के छेद से निकलकर पूँछ और उसके हाथो पर गिर पड़ता है। और थोड़ा शर्ट पर भी। आशा उसकी कोई परवाह नहीं करते हुयी, शर्ट ठीक करके, चलने लगती है।


जगदीश राय : बेटी…कल भी आना…।अब सिर्फ कल की रात है।।परसो रात से निशा आ जाएगी…


आशा: मतलब परसो रात से तो आप फिर से दूल्हे राजा…नहीं…हाँ पर मेरे बारे में निशा दीदी को कुछ पता नहीं चलनी चाहिए।।


जगदीश राय : हाँ हाँ बेटी ।।।बिल्कूल।…मैं क्यू।।कैसे…


आशा: तो फिर ठीक है।।वैसे कौन ज्यादा पसंद है आपको।। दीदी की चूत या मेरी गांड।।।



अगले दिन, आशा ने अपने पापा को पूरा निचोड कर रख दिया था। कल आशा ने छुपके से अपने पापा से कहा था।


आशा (प्यार से): पापा…मेरी आज म्यूजिक क्लास है…लेकिन आप चाहो तो मैं आपकी इस बासुरी के साथ गुज़ार सकती हु…क्या आप जल्दी आ सकते है…?


जगदीश राय को आशा की प्यार भरी अंदाज़ से ताजुब हुआ।


जगदीश राय (मैं मैं): अरे कल तक तो यह मुझ पर उपकार कर रही थी।।और आज इतने प्यार से…


जगदीश राय : हाँ …मैं…कोशिश कर सकता हूँ।


आशा: तो फिर ठीक…3 बजे।। और सशा कल लेट आयेगी…उसकी सहेली की बर्थडे जो है…तो हमें आराम से 4-5 घन्टे मिलेंगे।।


जगदीश राय 5 घन्टे सुनकर खूशी से पागल हो गया। क्युकी आज तक उससे 30 मिनट से ज्यादा आशा ने नहीं दिया था।


पर आज जगदीश राय को पता चल गया था की वह सब इस आशा की चाल थी।


वह जानती थी की 15 दिन से भूखी निशा आते ही लंड माँगेगी। और पूरी रात निशा आज उनका लंड चूसेगी और निचोड़ेगी।


ओर जो दर्द जगदीश राय को होगा, उसे देखकर परपीड़क (सैडिस्ट) आशा को मजा आयेगा।


जगदीश राय (मैं मैं): देख तो कैसी बेठी है अब,एक नंबर की हरामी है यह घर की। पर कल सच में आशा ने हाल बुरा कर दिया मेरा। 

सोचा नहीं था की आज कल की लड़कियां मर्दो का ऐसा हाल करके चुदवाती है।


कल दोपहर, जगदीश राय पहली 2 चुदाई के बाद, हाफ्ते बेड पर पड़ा रह। 


जगदीश राय : बस बेटी…थक गया…


आशा , पैर खोले, गांड में 2 उंगलिया , पूरा घुस्साकर , ज़ोरो से अंदर बाहर कर रही थी। 


आशा: क्या पापा…अभी तो सिर्फ ४५ मिनट हुई है…और पूरा 5 घण्टा बाकी है…मुझे तो अभी गर्मी आयी है… चलिये…खड़ा कीजिये…मैं हिला दू?


जगदीश राय: बस 5 मिनट दे दो…


आशा: मैं जानती हु…इस पप्पू का क्या करना है।


आशा तुरंत उठ गयी। और बिस्तर पर खड़ी हो गयी। और इस के पहले जगदीश राय कुछ समझ पाता, आशा अपने पापा के चेहरे के 2 इंच दूरी पर अपने गांड के छेद को ले गयी। उसने अपने गांड को हाथो से खोल रखा था। 


गाँड में से अजीब सी गंध आ रही थी, जो बहुत मादक लग रही थी। और आशा के ऑंखों के सामने, उसके पापा का लंड फिर से खड़ा होने लगा। 


जगदीश राय के लाख चाहने पर भी, आशा ने उस वक़्त गांड को चाटने नहीं दिया था। वह पैतरा आगे के लिए रखी थी।


पुरी 5 घण्टो में, जगदीश राय 5 बार झड गया। हर बार आशा कुछ नए अन्दाज़ में उसका लंड खड़ा करती और तुरंत गांड में घूसा देती।


यह सब सोच कर जगदीश राय का लंड फिर से खड़ा हो गया। पर खड़ा होते वक़्त लंड और टट्टे दर्द करने लगा।




सभी निशा का इंतज़ार कर रहे थे। निशा ने फ़ोन में बता दिया था की उसकी सहेली के पापा , उसे घर ड्राप कर देंगे।


जगदीश राय, निशा के बारे में सोचते ही उसे निशा की चूत की खूशबू याद आ रहा था। पर आज लंड खड़ा होते होते दर्द कर रहा था।

अचानक घण्टी बजी। 


आशा: लगता है दीदी आ गयी…


दरवज़ा ख़ुलते ही निशा हँसते हुई आयी। आशा और सशा , निशा से लिपट गई। 


फिर निशा भागके आकर अपने पापा से ज़ोर से गले लगी। 


निशा: पापा…कैसे हो…।


निशा ने अपना भरे भरे चूचे , पापा के सीने में चिपकाकर रख दिए। जगदीश राय को निशा के चूचियो का गर्मी से अंदाज़ा हो गया की वह कितनी भूखी है।


आशा की नज़रे पापा और निशा पर थी। और आशा को देखकर जगदीश राय थोड़ा सा शर्मा गया। पर निशा इन सब से बेखबर , पापा से लिपटी रही।


जगदीश राय : बेटी मैं तो ठीक हु…तुम बताओ …।कैसी रही…तुमारी ट्रिप…सब कुछ ठीक हुआ ना।


निशा: बहुत मजा आया पापा…क्या बताऊ…



और निशा अगले 2 घण्टो तक बक बक करती रही। तीनो लड़कियों आपस में दोपहर तक बातचीत करती रही। और खाना बाहर से मंगवा लिया।


दोपहर को जगदीश राय के कमरे में निशा घूस गयी।


निशा के आते ही सशा और आशा उसे उसके ट्रिप के बारे में पुछकर फोटोज देखने लग गये।


जगदीश राय , यह जानते हुए की खाना बनाना तो दूर की बात है, होटल से खाना आर्डर कर दिया।


निशा : पापा…आप को फोटोज नहीं देखनी…यह देखिये मेरी क्लास पिछे फाल्स के पास की है…


यह केहकर निशा भाग के जगदीश राय के पास आयी और सीधे जगदीश राय के गोद पर बैठ गयी।


जगदीश राय शरमाते हुए चौक गया। आशा ने एक मुसकान दी और सशा हँस पडी।


निशा ने, जवान होने के बाद से, बेचारी पहले कभी अपनी पापा के गोद में इस तरह सबके सामने नहीं बैठी थी।


जगदीश राय और आशा दोनों समझ गए की निशा बहुत गरम हो चुकी है। और लंड के लिए तड़प रही है।


जगदीश राय: अच्छा बेटी अच्छा देखता हु…पहले तुम निचे सोफे पर तो बैठ जाओ।


आशा: अरे बेठने दो न पापा…दीदी इतने दिनों बाद तो आयी है…अपनी प्यारे पापा का मिस कर रही है…सॉरी…मेरा मतलब है…पापा को मिस कर रही है


जगदीश राय झेप गया। 


लेकिन निशा आज शर्म हया भूल चुकी थी। पीछले 10 दिनों में उसका जो हाल हुआ था वह सिर्फ वह ही जानती थी।


उसके बहुत सारी सहेली , अपने बॉय फ्रेंड के साथ चुदवा रही थी रात को और वह अपने उँगलियों से काम चला रही थी।


दो तीन लड़को ने उसे ऑफर भी दिया था इन डायरेक्टली पर उसने उन्हें मना कर दिया।


उसकी यह हालत देखकर, उसकी एक सहेली पारुल ने उससे समझाया भी।


परूल: देख निशा…सभी कॉलेज ट्रिप में मजा करने आते है…ताकि घर की निगरानी से दूर बेफिक्र होकर चुदवा सके…।और तू है की…


निशा: लेकिन मेरा तो कोई बॉय फ्रेंड नहीं है…तो मैं कैसे।।


परूल: अरे पगली…बॉय फ्रेंड किसको चाहिये…चूत को सिर्फ लंड चाहिये… वह किसीका भी हो…इतने सारे लंड है यहाँ…चुन ले किसी एक को…तेरे लिए तो हर कोई भी राजी होगा…


निशा: क्या…क्या बक्क रही है…


पारूल: अरे और नहीं तो क्या…वह सिमरन पिछले ४ रातो से 7 लंड ले चुकी है।। और उसकी तो तेरे जैसी अच्छि फिगर भी नहीं है…यहाँ सब बिन्दास है डियर…


निशा: मैं तो नहीं मानती…मैडम और सर जान जायेंगे… डायरेक्ट घर फ़ोन लगेगा…


परूल : है है है…अरे पगली…फ़ोन तो मैडम और सर के घर लगनी चाइये…वह दोनों तो जब से आए है, तब से एक भी रात एक दूसरे के बगैर नहीं सोये है…सर ने तो कल मेरे बॉय फ्रेंड विशाल से कंडोम भी लेके गए थे…तू सपनो की दुनिया मैं है।


निशा: क्या बोल रही है…सच।।?


पारूल: मूछ…और नहीं तो क्या…बोल कौन सा लंड चाहिये…।मैंने सुना है…त्रिलोक का लंड काफी बड़ा है।।चलेगा…और फिर सोनू चूत बहुत देर तक चाटता है।।और आकाश…गांड।।।


निशा: नहीं नहीं…मैं तो त्रिलोक और सोनु से तो बात भी नहीं करती…और उन सब की तो गर्ल फ्रेंड भी है।।


पारूल: लो तू फिर शुरू हो गयी…ठीक है…विशाल तो ठीक है…?


निशा: पर वह तो तेरा बॉय फ्रेंड है।


पारूल: वह मेरी प्रॉब्लम है… उससे तुझे क्या…तू बस उसका लंड ले ले एक बार…पर सिर्फ जस्ट वन टाइम ओके…बाद में नहीं मिलेगी।।हे हे


निशा: पर तुझे बुरा नहीं लगेगा…


पारूल: नहीं…क्युकी डियर…अपना वसूल है…जितना लंड बाटोगे उतना तुम्हे लंड मिलेगा…हे हे…और वह अगर तेरी चूत मारेगा।।तो मुझे भी दूसरे लंड खाने का मौका मिलेगा…क्यों है न प्लान सही हे हे।


निशा: अब समझी कमिनी… हे हा।


पारूल: तो फिर बोल दूँ विशाल को की आज उसके लिए एक नयी हॉट माल है…?


निशा: हम्म्म…नहीं…रुक जा…मैं तुझे बताउंगी तब बोलना।


पारूल:…तेरी मर्ज़ी…हम सिर्फ भटके हुए को रास्ता दिखा सकती हैं…हे हे।


और अगला 6 दिन निशा करवटे बदल बदल कर निकाली। वह जानती थी की उसके पापा का भी यहीं हाल हो रहा होगा। और वह उनको तडपा कर खुद एश नहीं कर सकती।


Contd....


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