अपडेट -6
चिलचिलाती गर्मी मे मकसूद ने कार को जबरजस्त ब्रेक मारा था,
सामने एक सफ़ेद ambassador खड़ी थी,
ब्रेक की आवाज़ से सामने की कार से एक आदमी निकल बाहर आया,
"क्यों बे दिखता नहीं क्या?" आदमी मकसूद के पास आ खड़ा हुआ.
"अबे....फारुख तू?" मकसूद बाहर खड़े आदमी से मुख़ातिब हुआ,
दोनों एक दूसरे को जानते थे.
"अबे मकसूद तू इधर कहा जा रहा है?" सवाल के जवाब मे फारुख ने सवाल ही किया.
"वो.... नये बाबू आये है ना, उनकी ही बेग़म है, मैडम को बाजार ले जा रहा था"
"ननन... नमस्ते मैडम जी " बाहर खडे फारुख ने काया का अभिवादन किया
"नमस्ते " काया ने भी मुस्कुराहट के साथ अभिवादन स्वीकार किया.
फारूक काया की मुस्कुराहट, उसके नैन नक्श, सुंदरता से प्रभावित सा दिखा.
"मकसूद तेरी कार मे extra टायर है क्या, दादा को बाजार ले के जा रहा था साला टायर पंचर हो गया, दादा गुस्से मे बैठे है"
फारूक बोल मकसूद को रहा था लेकिन क्या जैसे स्त्री का यौवन ताड़ने से बाज़ भी नहीं आ रहा था.
"कक्क.... क्या... क्या ? ममम... मतलब कय्यूम दादा कार मे ही बैठे है " मकसूद के चेहरे पे हवाइया उड़ गई, कल रोहित की बदतमीज़ी के बाद से मकसूद के दिल मे एक डर सा बैठ गया था.
"पीछे काया भी कय्यूम का नाम सुन चौंक पड़ी, अभी कल ही उसने रोहित के मुँह से उसका नाम सुना था "
फारूक और मकसूद कोई हल निकालते उससे पहले ही.
"कहा मर गया साले हरामी मदरचोद, किसकी गाड़ी है पीछे? " वातावरण मे एक भयानक भारी आवाज़ गूंज उठी.
सामने कार का गेट खुला, कार एक तरफ से झुकी फिर सीधी हो गई, एक राक्षसनुमा आदमी बाहर निकल आया था.
काया इस नज़ारे को देख रही थी,
सफ़ेद शर्ट, सफ़ेद पैंट, सफ़ेद जूता पहने भालू जैसा आदमी नजदीक चला आ रहा था.
"मकसूद फ़ौरन कार से उतर गया "
"ससस.... सससलाम... कय्यूम दादा " मकसूद की घिघी बंध गई थी.
कय्यूम खान बिना कोई जवाब दिए नजदीक आ गया था, कार मे झाँक के देखा साड़ी मे लिपटी काया उसे ही देख रही थी, नजरों मे हैरानी थी.
कय्यूम भी काया के खूबसूरत चेहरे को देख हैरान था,
कय्यूम इस गांव आस पास कस्बे की ना जाने कितनी लड़कियों, औरतों को अपने बिस्तर पे ला चूका था, उस चुद जाने वाली औरत उसकी दीवानी हो जाती थी, लेकिन इस गांव मे ये कौन है? जैसे कोई स्वर्ग से अप्सरा उतर आई हो.
"अबे हरामी मकसूद ये माल कौन है? " कय्यूम की भयानक आवाज़ काया तक भी पहुंची थी शायद काया का दिल किसी अनजाने डर से धाड़ धाड़ बज रहा था, काया खुद को समेटने लगी.
कय्यूम पीछे विंडो के सामने आ खड़ा हुआ था,
"ददद... दादा... कय्यूम दादा, मैडम है, वो नये बाबू आये है ना उनकी बेग़म है " मकसूद तुरंत भागता हुआ सा आया
"कौन जो कल आया था पैसे लेने " कय्यूम ऊपर ज़े नीचे काया को घूरे जा रहा था, जैसे खा जायेगा.
जैसे जैसे उसकी नजर काया के जिस्म मे धसती गई, वैसे वैसे कय्यूम के चेहरे का गुस्सा हवा हो गया, आवाज़ मे एक शालीनता सी आ गई..
"नमस्ते मैडम... माफ़ करना मैंने पहचाना नहीं, अब इस गांव बीहड़ मे आप जैसी खूबसूरत औरत कहा देखने को मिलती है " कय्यूम ने हाथ जोड़ नमस्ते किया
फारूक और मामसूद दोनों कय्यूम के बर्ताव से हैरान थे.
"मैडम जी ये कय्यूम खान है, यहाँ के बड़े व्यापारी है " मकसूद बीच मे बोल पड़ा.
"जी नमस्ते...." काया ने नजरें नीची कर वैसे ही नमस्ते बोल दिया.
काया कय्यूम के रंगरूप से भयभीत थी.
"मैडम एक अहसान कर दे, मै भी बड़ा बाजार ही जा रहा हूँ, आपकी इज़ाज़त हो तो?"
कय्यूम जैसा भयानक इंसान ऐसी बोली भी बोल सकता था ये तो किसी ने सोचा भी ना होगा.
"जज.... जी... जी.... चलिए " काया ने हामी भर दी
और क्या करती उसकी हालत तो वैसे ही भीगी बिल्ली जैसी हो चली थी.
"फारुख कार का पंचर बनवा के बड़ा बाजार ही मिलना, चल मकसूद " कय्यूम ने जैसे आर्डर दिया
काया के दूसरी तरफ का गेट खुला, और कय्यूम ड्राइवर सीट के पीछे जा बैठा, कार एक साइड से थोड़ी सी झुक गई.
"उउउफ्फ्फ..... सॉरी...." काया का कन्धा कय्यूम के कंधे से जा टकराया, काया के तरफ से कार ऊँची हो गई थी.
"मै... मै.. सॉरी मैडम जी वजन ज्यादा है ना hehehehe...." कय्यूम ने दाँत निपोर दिए.
काया ने जैसे तैसे खुद को समेट साड़ी ठीक की, कय्यूम के हसने से काया की नजरें उस से टकरा गई,
वाकई बहुत काला था कय्यूम, सफ़ेद शर्ट जी तीन बटन खुली हुई, उसने से झाँकते पसीने से सने काले बाल, गले की शोभा बढ़ाती एक मोटी सोने की चैन.
कय्यूम कोई 150 kg का भारी भरकम इंसान था, hight भी 6फ़ीट, उम्र यही कोई 50 के पड़ाव पर होंगी.
"कक्क.... कोई बात नहीं " काया ने एक फीकी सी मुस्कान दे दी.
लाल होंठो से झाँकते मोटी जैसे सुन्दर दाँत कय्यूम कर दिल पर छुरिया चला रहे थे.
"चल बे मकसूद लेट हो रहा है " कय्यूम ने हड़का दिया.
मकसूद के पैर एक्सीलेटर पर दबते चले गए.
कार ने शांति सी छाई हुई थी, अब मकसूद सामने देख रहा था उसकी हिम्मत नहीं थी की कांच मे पीछे की तरफ देख सके.
कार कय्यूम की तरफ से झुकी हुई चल रही थी, सडक पे कोई गड्डा या ब्रेकर आता तो काया सरकती हुई कय्यूम के नजदीक आ जाती, फिर खुद को दूसरी तरफ धकेलती.
"कल आये थे साब " कय्यूम ने उस शांति को भंग करना चाहा.
"कक्क.... कौन....?
"कौन क्या आपके शोहर, अच्छे इंसान है, बस गुस्सा जल्दी करते है "
"हहमममम.... वो... वो काम से ऐसा हो जाते है " काया ने सफाई दी.
"लेकिन किसी काम मे जल्दी करने से काम ख़राब भी तो होता है ना "
"हहहहमममम..... आप सही कह रहे है दादा " काया सहज़ ही बोली जो सुना था.
"धत.... कौन दादा?"
"आप.... और कौन " काया का आत्मविश्वास जल्द ही वापस आ व्यक्ति था.
"हाहाहां.... मै तो व्यपारी हूँ, बाकि लोग तो बस इज़्ज़त के लिए बोल देते है " कय्यूम की आवाज़ मे शहद था.
"अब अल्लाह से ये हुस्न दिया तो क्यांकरे मैडम जी " कय्यूम बड़े ही बनावटी लहजे मे बोला.
"हाहाहाहा.... हुस्न " काया एकाएक खिलखिला के हस पड़ी, कय्यूम अपनी शक्ल को हुस्न बोल रहा था.
कय्यूम तो बस उस हुस्नपरी को देखता ही रह गया,
जीवन के 50 बरस बीतने को आये, ऐसी खूबसूरत, ऐसा जिस्म, ऐसी मनमोहक सुंदरी ना देख पाया कभी.
की तभी कार एक झटका सा लगा.
"आउच..... आअह्ह्ह......" काया झटके से सरकाती हुई कय्यूम से जा चिपकी, इतनी की काया के बड़े कठोर स्तन कय्यूम की बाह मे दबते चले गए.
"कय्यूम का बदन 440वोल्ट के कर्रेंट से नहा गया.
झटका इतना तेज़ था की, काया का मुँह कय्यूम की गर्दन से जा लगा.
उसके होंठो की छाप, कय्यूम के पसीने से भीगे गले पर छाप छोड़ती चली गई, नाक पसीने से सराबोर हो गई.
काया का जिस्म एक मर्दानी महक से भर गया.
"आआआह्हः..... मकसूद..." काया तुरंत ही सम्भली.
"ये किस रास्ते से ले आये?" काया के चेहरे पे गुस्सा था
कय्यूम तो जैसे दूसरी दुनिया मे खोया हुआ था. कभी काया के चेहरे पे हसीं होती तो कभी गुस्सा.
"वो... वो.... मैडम गांव की सड़के " मकसूद सफाई दे दी.
अभी जो भी हुआ वो कुछ पल के लिए ही था.
ये 2पल ही दोनों के जिस्म मे एक अलग सी उत्तेजना घोल गए थे.
काया नजर नहीं मिला पा रही थी, कय्यूम उसे ही देखे जा रहा था, काया बाहर देख रही थी.
झटके से काया की साड़ी कंधे से सरक चुकी थी, काया के कठोर स्तन ब्लाउज फाड़ कर बाहर आने को उतारू थे, दोनों स्तन टाइट ब्लाउज मे एक मादक घाटी को जन्म दे रहे थे.
जिसर कय्यूम टकटकी लगाए देखे जा रहा था, उसका एक हाथ अपनी पैंट के अगले हिस्से को कुरेदने लगा.
एक नशीली सी गंध काया की नाक से होती जिस्म मे जा रही थी, होंठो पे कुछ नमकीन सा लगा हुआ था,
"ययय... ये क्या " कोतुहाल मे क्या ने जबान बाहर निकाल होंठ चाट लिए, एक कैसेली, नमकीन युक्त लेकिन बेहद ही अजीब सा स्वाद था, ये स्वाद उसके जिस्म मे एक गुदगुदी सी मचा रहा था.
"ऊऊह्ह्ह्ह.... नहीं... ये नहीं " काया के मन मे अभी थोड़ी देर पहले हुई घटना चल पड़ी उसे किसी बात का अंदेशा सताने लगा.
काया ने धीरे से गर्दन घुमा, कय्यूम की ओर देखा.
कय्यूम की नजर उस पर ही टिकी थी, लेकिन वो उसे नहीं देख रहा था उसकी नजर झुकी हुई थी, काया ने गर्दन झुका कर देखा, उसे बड़े मादक स्तन लगभग ब्लाउज से बाहर थे,
काया ने झट से पल्लू सही किया, उसका जिस्म सकपाकहत मे पसीने से नहा गया.
"ओह..... No...." काया ने तुरंत मुँह फेर लिया
"क्या हुआ मैडम जी " कय्यूम हैरान था काया ने उसे देख वापस क्यों मुँह फेर लिया.
"उफ्फ्फ... ये कैसे हो गया" काया मन ही मन बुदबूदाये जा रही थी.
"सब ठीक तो है ना मैडम जी " कय्यूम ने बात दोहराई
"वो... वो.... वहा " काया ने ऊँगली से कय्यूम की गर्दन पे इशारा कर दिया.
"क्या लगा है, कुछ भी तो नहीं " कय्यूम हैरानी से गर्दन पर हाथ फेर उंगलियां देखने लगा.
"ओफ़्फ़्फ़... वहा नहीं वहा " काया के चेहरे पे ना जाने क्यों इस खेल मे स्माइल आ गई थी.
कय्यूम ने मोबाइल निकाल फ्रंट कैमरा ऑन कर लिया, कय्यूम की गर्दन मे लाल होंठ छपे हुए थे.
" ये आपने क्या किया? " कय्यूम बनावटी गुस्से से बोला.
"सॉरी.... वो गलती से हो गया, गांव की सडक " काया ने भी जवाब उसी बनावटी गुस्से मे दे दिया.
दोनों के बीच बड़ी ही अच्छी छन रही थी. काया खुले विचार की लड़की थी, ज्यादा ओवर रियेक्ट नहीं करती थी.
"ये लीजिये साफ कर लीजिये " काया ने पर्स से टिश्यू पेपर निकाल दे दिया.
रहने दीजिये ऐसा हादसा नसीब वालो को ही मिलता है"
"बाते बड़ी बना लेते है आप "
"सच ही तो बोल रहा हूँ, आप जैसी अप्सरा से ऐसा इनाम मिलना कोई आम बात है "
"कोई इनाम नहीं है गलती से हुआ"
साब कहाँ उतारू बड़ा बाजार आ गया, मकसूद की आवाज़ ने दोनों की चूहेलबाज़ी मे विघ्न डाल दिया.
कय्यूम को गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन पी गया " यही शुरू मे उतार दे पेमंट ले है "
"अच्छा मैडम जी.... कोई काम हो तो याद कीजियेगा " कय्यूम कार से उतरा कार झटके से ऊपर हो गई.
"बेचारी कार को सांस आई अब " काया मुस्कुरा दी.
"कुछ कहाँ मैडम जी आपने "
"नहीं... नहीं तो " काया मुस्कुरा दी.
बाहर कय्यूम पैंट के आगे हिस्से को एडजस्ट कर रहा था, सफ़ेद पैंट मे एक मोटी लम्बी आकृति बानी हुई दिख रही थी.
काया की सारी मुस्कुराहट तुरंत गायब हो गई, आंखे चौड़ी हो गई.
दिमाग़ मे सांय सांय हवा चल पड़ी, जब से बाबू का उभार देखा था तभी से ना चाहते हुए उसकी नजर मर्दो की जांघो के बीच चल जाया करती थी, लेकिन ये जो था इसके सामने बाबू का उभार तो कुछ नहीं था.
"नहीं... नहीं.... ये क्या सोचने लगी मै " काया ने तुरंत वो ख्याल दीमाग से झटक दिया.
कय्यूम काया की निशानी लिए बाजार मे एक तरफ चल दिया.
"मैडम पहले क्या लेना है?" मकसूद की आवाज़ से काया हक़ीक़त मे आई.
उसे अपनी सोच पर हैरानी हो रही थी, कैसे वो ये सब सोचने लगी.
काम की मारी स्त्री और क्या करे.
खेर मकसूद और काया कार से उतर मार्किट चल पड़े.
काया बताती गई, मकसूद झोला थैला उठाये पीछे पीछे काया की गांड की थिरकन देखते हुए चलता गया.
शाम 6बजे
मकसूद काया को वापस घर छोड़ आ चूका था.
"साब चले "
"हाँ मकसूद चलो "
"क्या बात है साब बड़े ख़ुश दिख रहे है "
"हाँ मकसूद आज बैंक का प्रॉफिट हुआ ना "
मकसूद को क्या पता बैंक क्या करता है, कैसा प्रॉफिट उसने कार दौड़ा दी.
थोड़ी ही देर मे
"मकसूद रुकना जरा, मै अभी आया "
रोहित कार से उतर सामने मेडिकल स्टोर पर चला गया, कुछ माँगा और जेब मे रख लिया.
"चलो मकसूद "
7pm
टिंग टोंग फ्लैट नंबर 51 की डोर बेल बज उठी.
काया के दरवाजा खोलते ही, काया... ओह काया रोहित काया से गले जा लगा.
"क्या बात है आके बहुत ख़ुश दिख रहे है "
"हाँ बात ही ऐसी है, रोहित सोफे पर जा बैठा.
"क्यों क्या हुआ?"
"वो कय्यूम के बारे मे बताया था ना मैंने "
"कौन कय्यूम दादा " काया के चेहरे पे भी मुस्कान आ गई, शायद आज दिन की नौक झोंक याद आ गई हो.
"काये का दादा कल धमका के आया था ना, आज पुरे 5लाख रूपए जमा कर गया " रोहित ऐसे बोला जैसे कोई जंग जीत के आया हो.
"ककककक..... क्या...." काया के चेहरे से मुस्कान काफूर थी उसकी जगह हैरानी ने ले ली थी.
वो खुद भी आज दिन मे कय्यूम से अचानक मिलने वाली बात बताना चाहती थी, लेकिन रूपए लौटने की बात ने उसे रोक लिया.
"ऐसे कैसे लौटा दिए "
"क्यों... कल गया तो था उसके पास, समझा के आया था "
काया हैरान थी, जो शक्ल जो हैसियत वो देख के आई थी उसके हिसाब से तो कय्यूम पैसे लौटने से रहा, फिर क्यों? कही... कही..... नहीं... ऐसा क्यों करेगा, मेरी वजह से? नहीं... नहीं....
काया दुविधा मे थी.
"क्या हुआ काया तुम ख़ुश नहीं हो?"
"नहीं... वो.. वो मतलब ख़ुश हूँ ना, मै पानी लाती हूँ " काया आपने ख्यालो मे चलती चली गई.
Contd....
2 Comments
शानदार, जबरदस्त, जिंदाबाद कमाल का लिखते हो लेखक शाहब तुम मजा आ गया बस थोड़ी पिक्चर्स और जोड़ देते तो चार चांद लग जाते।
ReplyDeleteअगले अपडेट का इंतजार है।
थैंक यू दोस्त, नेक्स्ट अपडेट मे pic ऐड कर दूंगा.
ReplyDeleteजल्दी मे था तो नहीं कर सका