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काया की माया -21

पिछला भाग यहाँ पढ़े काया की माया -20


काया की माया, अपडेट -21

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कय्यूम मे घर पार्टी अपने शबाब पर थी. रोहित सुमित हलक तक दारू पी चुके थे, मस्ती मे झूम रहे थे.

इस दौरान एक बार फिर से कय्यूम भी जीता.

"लो कय्यूम भाई हिचहम... अब आपकी बारी, रोहित ने गिलास भर दिया.

कय्यूम ने बिना हिचके गिलास उठा लिया, और पास बैठी काया की तरफ बड़ा दिया.

"न्नन्न... ना.... बाबा मै नहीं पीती " काया ने साफ मना कर दिया.

"क्यों नहीं मेरी हार जीत मे आप भी आधे की हिस्सेदार है, ये तो पीना पड़ेगा " कय्यूम ने काया का हाथ पकड़ गिलास पर रख दिया.. एक मजबूत खुर्दरे हाथ से काया का जिस्म कांप गया.

"क्या काया जी...

.  कभी कभी चलता है " आरती ने फाॅर्स किया.

अब माहौल ही ऐसा बन गया था.

काया ने एक नजर रोहित की तरफ देखा, रोहित भी उसे हि देख रहा था, शायद वो उसकी दुविधा समझ गया था..

"हिचहहम्म्म..... पी लो यार एक से क्या होता है," पेग रोहित ने ही बनाया था

काया भी क्या करती "गट... गटक.... गटाक... करती एक बार मे उसने पूरी शराब से भरी ग्लास को हलक मे उडेल लिया.

याकककक..... खो... खो.... वेक...." काया को उबकाई आ गई, गाले से एक गर्म लावा निकल पेट को गर्म करने लगा.

"ये... ये... पानी " कय्यूम ने तुरंत पानी की बोत्तल काया को थमा दी.

"क्या काया जी आराम से पिने वाली चीज है, एक दम से अंदर लोगी तो तकलीफ होंगी ही ना "

"काया को सुनाई नहीं दे रहा था, उसे दिखाई दे रहा था, सिर्फ पानी से भरी बोत्तल....

गुलप.... गुलप.... करती काया ने आधी बोत्तल डकार ली और आधी गले के रास्ते बहती ब्लाउज मे समा गई.

"उउउफ्फ्फ..... कक्क.. कैसे पी लेते है आप लोग " काया को राहत महसूस हुई अंदर से भी और बाहर से भी.

वहाँ मौजूद सभी लोगो के चेहरे पे मुस्कान आ गई, काया की हड़बड़ी देख कर.

बस कय्यूम सकते मे बैठा था क्युकी उसकी नजर काया के भीगे ब्लाउज पर टिकी थी, जो की गीली हो के स्तन से चिपक गया था.. सामने से काया ढकी हुई थी लेकिन काया कय्यूम के साइड बैठी थी.

गिले स्तन कय्यूम साफ महसूस कर सकता था.

"अब नहीं पियूँगी " काया ने कय्यूम की तरफ देख शिकायती लहजे मे कहां.

लेकिन उसकी नजर तुरंत ही उसे चुभती सी महसूस हुई, इस चुभन मे एक गर्मी थी जो काया ने भी महसूस की.

आज पहली बार काया ने हिम्मत दिखाते हुए पल्लू को खींच एक साइड कर दिया, जिस से उसका एक स्तन साफ नजर आने लगा.

ना जाने क्यों आज उसे अपने जिस्म की नुमाइश मे मजा आ रहा था. e2c24bf47fa37aa4973f5428bcd118ef

एक दो गेम और चले.

फिर... चलो खाना खाते है यार...

सुमित ने बीच मे बोला, हालांकि भूख तो सभी को लग आई थी.

"हम लोग लगा देते है" काया और आरती उठ खड़े हुए.

"हमारा यही ले आना " रोहित ने उठने की कोशिश की लेकिन बेकार गई

"आप लोग तो नॉनवेज खायेंगे ना हिचहह्म्म... सुमित ने भी समर्थन किया.

************

कुछ ही मिनटों मे सुमित और रोहित पीछे सोफे पर ढेर पड़े थे, खाना आधा अधूरा ही पड़ा था.

रसोई के साइड डाइनिंग टेबल पर कय्यूम, काया और आरती जमे हुए थे.

"ये थोड़े कच्चे ही है " काया ने रोहित की तरफ इशारा करते हुए आरती को कहाँ.

"हो जाता है, ऐसे मौके पर"

लो जी... आ गया लाजवाब गोश्त.

कय्यूम बर्तन उठाये चला आ रहा रहा,

काया और आरती के नाथूने शानदार  खुसबू से नबर गए.

"वाह... कय्यूम जी लजीज बनाया लगता है, " आरती के मुँह मे पानी आ गया.

काया का भी यही हाल था वो तो वैसे भी बरसो बाद नॉनवेज खाने वाली थी.

"लो ये जनाब तो लुढ़क लिए " कय्यूम की नजर सामने सुमित रोहित पर जा पड़ी.

सभी ने उन्हें इग्नोर किया, ध्यान खाने पर था.

कय्यूम मैन सीट पर जा बैठा, दाएं तरफ आरती और बाएँ तरफ काया बैठी थी.

अब इंतज़ार करना मुश्किल था, कय्यूम ने ढक्क्न खोल दिए.

उउफ्फ्फ... क्या खुसबू थी, कय्यूम ने तुरंत ही लेग पीस और कुछ गोश्त दोनों को परोस दिए.

"वाह कय्यूम जी पता नहीं था आप इतना अच्छा बनाते है " काया ने पहला निवाला खाते हुए कहाँ.

"कहाँ था ना ऊँगली चाटती रह जाओगी " कय्यूम ने ना जाने किस विचार से अपने हाथ की बीच वाली ऊँगली को मुँह मे चूसते हुए कहाँ.

काया सन्न सी रह गई, मोटी शोरबे मे डूबी ऊँगली, चटकारे ले के चाटी थी कय्यूम ने.

आरती ने भी तारीफ की, जवाब मे कय्यूम ने टेबल के नीचे से आरती की जांघो को सहला दिया.37549

"इस्स्स.... कय्यूम जी " आरती के मुँह से हलकी सिस्कारी सी निकली, आरती आज बरसो बाद जीवन मे नायपन महसूस कर रही थी, जिस्म मे कुलबुलाहत से महसूस कर रही थी.

एक इंसान को और क्या चाहिए प्यार और स्वादिष्ट भोजन.

आज सब कुछ यहाँ था.

कय्यूम के स्पर्श मे एक प्यार था, अजीब सी गर्मी थी.

आरती ने कय्यूम के हाथ को हटाने की जरा भी कोशिश नहीं की.

काया खाने मे बिजी थी, इधर कय्यूम और आरती की नजरें आपस मे मिल गई थी, आरती को कय्यूम का मर्दाना स्पर्श पसंद आ रहा था.

आरती की अमौखिक स्वस्कृति ने कय्यूम के हौसले बढ़ा दिए थे, कय्यूम का हाथ आरती की जांघो पर रेंगने लगा.

आरती के माथे पर पसीने की लेकिर साफ देखी जा सकती थी.

"लेग पीस को ऐसे खाया खाया जाता है काया जी " कय्यूम ने प्लेट से लेग पीस ले कर पूरा मुँह मे डाल सुडप कर चूस लिया सससससस.... ड़ड़ड़ड़ऊऊप्पप्प..... और फिर मुँह से निकाल काट खाया, जैसे कोई जानवर हो.

काया और आरती दोनों ये तरीका देख सन्न रह गए.

"मममम... ममममममई.... मुझसे तो नहीं होगा " काया जैसे तैसे बोल गई.

हालांकि कय्यूम की इस हरकत ने आरती का जिस्म वासना से भर दिया था, बोला काया को था लेकिन नजरें आरती पर थी.

कय्यूम ने बातो ही बातो मे आरती की साड़ी जांघो तक चढ़ा दी थी.

काया सामने ही थी फिर भी ना जाने क्यों आरती ने कोई विरोध नहीं किया, या फिर वो इस अवस्था मे थी ही नहीं.

"आप कुछ खा नहीं रही आरती जी " काया की आवाज़ से जैसे आरती सकपका गई.

"हहह... हाँ... हाँ.... खाती हूँ " आरती ने झट से लेग पीस उठा चूस किया.

"ऐसे नहीं थोड़ा और अच्छे से चूस के काटो आरती जी " कय्यूम ने आरती की जांघो को मसल दिया.

"आअह्ह्ह..... " अचानक हमले से आरती चिहूक सी गई.

काया ने सामने देख, आरती कय्यूम को चोर नजरों से देख रही थी.

काया को कुछ गड़बड़ जरूर लगी, लेकिन सब ठीक ही पाया 

टेबल के नीचे आरती की हालात बुरी थी, कय्यूम के दबाव से आरती ने जाँघे फैला ली थी.tumblr-nq68mn6tcp1tpeblqo3-500


पैंटी किनारे लग गई थी, कय्यूम की उंगलियां आरती की चुत रुपी खजाने को टटोल रही थी, जैसे कय्यूम गर्माहट चेकनकर रहा हो..

आरती की चुत के भीतर ज्वालामुखी फटने की हालात मे था.

उउउफ्फ्फ.... आरती सर इधर उधर कर रही थी, हाथ से निवाला फिसल वापस प्लेट मे गिर गया था.

"कक्क.... क्या हुआ आरती " काया से आरती की हालात देखी नहीं जा रही थी.

आरती की तरफ से कोई जवाब नहीं था,

"आपको पता है काया जी, चिकन लेग पीस कैसे खाया जाता है " कय्यूम का सवाल अजीब था, तरीका अजीब था.

"कक्क... कैसे खाते है " काया की जबान लड़खड़ा गई थी, समझ आ गया था कुछ तो गड़बड़ है.

कय्यूम की उंगलियां लगातार आरती की जांघो के बीच चल रही थी, पैंटी के ऊपर से ही चुत को टटोल रही थी.

कय्यूम बहुत आगे बढ़ गया था, आरती की पूरी सहमति थी.

10 साल बाद वो मर्दाने अहसास को महसूस कर रही थी, सांसे चढ़ जा रही थू, माथे से पसीना चु रहा था,

स्तन भारी हो गए थे. कैसे और क्यों माना करती वो कय्यूम को, आरती को कोई फर्क नहीं था सामने काया बैठी है क्या सोचेगी.

बस ये जांघो के बीच जलती आग बुझनी चाहिए थी.

सामने काया हक्की बक्की उसे ही देखे जा रही रही.

कय्यूम ने प्लेट से लेग पीस उठा मुँह मे ठूस चूस लिया ससससद्धिप्प्पम... ससस......

काया सिर्फ कय्यूम को देखे जा रही थी, खाना तो कबका बंद हो गया था, दिल किसी अनहोनी की आशंका से कांप रहा था.

कय्यूम ने टेबल को धक्का दे आगे को सरका दिया.

काया और आरती के बीच से टेबल खिसकती चली गई.

काया सामने का नजारा देख हैरान रह गई, मुँह खुला का खुला रह गया, उसे इसकी उम्मीदवार कतई नहीं थी.

सामने आरती की साड़ी कमर टक चढ़ी हुई थी, मोटी मोटी चिकनी जाँघे सफ़ेद रौशनी मे चमक उठी,

जांघो के बीच गीली कच्छी बिल्कुल चुत से चिपकी पड़ी रही, जिसे कय्यूम की उंगलियां टटोल रही थी.

काया के होश फकता हो गए, shocked-keerthysuresh


अभी काया और कुछ सोचती की, कय्यूम ने आरती की जांघो के किनारे ऊँगली डाल कच्छी को साइड कर दिया.

और दूसरे हाथ मे थामे चिकेन को... भछह्ह्ह्हहम्म्म..... फच.... च... च.... से आरती की खुली हुई जांघो के बीच दे मारा.

आआआहबह....... उउउउफ्फ्फ..... आउच.....20230411-110733

काया और आरती दोनों एक साथ चीख पड़ी, आरती की चुत इस कद्र गीली थी की चिकन लेग पीस पूकककक....fachhhhhh.... करता आरती की चुत मे जा धसा.

आरती उत्तेजना अचानक हवस से चीख पड़ी, तो काया कय्यूम की हैवानियत देख चीख उठी.

"ऐसे भी चिकेन खाया जाता है काया जी " कय्यूम ने काया की ओर देख के कहाँ.

"उउउफ्फ्फ... कय्यूम जी आअह्ह्ह.... आउच..." कय्यूम ने लेग पीस का पिछला हिस्सा पकड़ लेग पीस को बाहर खिंचा, फिर वापस अंदर धकेल दिया.

काया के सामने सब कुछ हो रहा था, वो कभी आरती को देखती तो कभी कय्यूम को, तो कभी दर से पीछे सकते रोहित को..

काया का गला सुख गया था, किसी सपने की तरह सब कुछ अचानक से बदल गया था.

आरती तो आनंद के सातवे आसमान पे रही, उसे काया से कोई लेना देना नहीं था, आज रुकना नहीं था,

उसने जितना हो सकता था उतनी जाँघे खोल दी., गर्दन कुर्सी पर पीछे की ओर गिर गई.

धच... धच... पच.. पच.... करता कय्यूम लेग पीस चुत मे घुसेड़े जा रहा था, चुत के पानी के साथ साथ चिकेन पर लगा मसला बाहर को चु रहा था.

"देखा काया जी कैसे आरती जी चुत से लेग पीस खा रही है " कय्यूम बार बार काया को इस खेल मे शामिल कर ले रहा रहा.

काया भी कैसे इस दृश्य को इग्नोर करती, ऐसा कभी हो ही नहीं सकता था.. ये सब कुछ अनोखा था ना आज तक कभी देखा ना सुना.

काया का जिस्म भी उबलने लगा, कय्यूम का जानवर वाला रूप उसकी नाभि के नीचे गुदगुदी मचा रहा था.

"आरती जी कैसा लग रहा है ".

"इस्स्स.... कय्यूम जी अंदर.... जोर से..आअह्ह्ह... " आरती तड़प रही थी, मचल रही थी.

सारी शर्म लज्जा त्याग दी थी.

तभी कय्यूम कुर्सी से उतर घुटनो के बल जा बैठा, उसका मुँह आरती की जांघो के बीच जा धसा.

लप... लप... लापक... लपड़.... करता चुत से निकले मसाले को चाटने लगा,.nude-licking-clit-gif-4.

कय्यूम चुत का चाटोरा था, कभी पूरी चुत की लकीर को जीभ से सहलाता तो कभी चुत के ऊपरी हिस्से मे उभरे हुए तने को छेड़ने लगता, आरती की हालात बहुत बुरी थी,

सर इधर उधर पटक रही थी, कय्यूम के सर को अपनी चुत पर दबा रही थी, उत्तेजना की अधिकता ने आरती की सोचने समझने की शक्ति छीन ली थी.

सामने काया तो ये सब देख के पिघली जा रही थी.

कय्यूम आरती की चुत चाट रहा था लेकिन उसे लगा जैसे उसकी जांघो के बीच मुँह धसा दिया हो.

काया ने अपनी जांघो को भींच लिया, उसे वहाँ से हट जाना चाहिए था, लेकिन नहीं उसके पैरो मे जान नहीं थी वो कुर्सी पर ही जमीं रही.

जिस्म मे चीटिया रेंगने लगी.

"आअह्ह्ह... कय्यूम्म्म्म... उउउफ्फ्फ्फ़.... जोर. से " आरती के हाथ कय्यूम के सर पर जा टिके, कमर ऊपर उठ कय्यूम के मुँह मे घुसने लगी.

लगता था आज आरती पूरा उसे चुत मे डाल लेगी.


कय्यूम लपा लप आरती की चुत चाटे जा रहा था, चिकन लेग पीस चुत मे दनादन चल रहा था.

फच... फच... फच... पुछक... पिच... पुच... की आवाज़ गूंजने लगी थी.

आरती कराह रही थी, सामने काया का जिस्म गर्मी से पसीने छोड़ रहा था.

चुत कुलबुलाने लगी थी.

दिल मे जलन सी हो रही थी आरती से, कय्यूम की छुवन उसका लंड काया के सामने तेरने लगा.

ना जाने क्यों कय्यूम का काला मोटा लंड देखने की उसकी इच्छा होने लगी, लेकिन कय्यूम आरती की चुत चाटने मे बिजी था.

काया को याद आया बाबू ने बताया था लड़के चुत चाटते है.

लेकिन आज वो खुद लाइव देख रही थी.

आअह्ह्ह.... इस्स्स.... क्क्युयुम....... इस्स्स... आउच.. उउफ्फ्फ...

मेरा आने वाला है उउउफड़...

आरती गांड उठा उठा के कुर्सी पर पटकने लगी, कय्यूम के सर को चुत मे घुसेड़ने लगी, चुत का छल्ला लेग पीस पर जकड़ने लगा.

आआहहहह.... कय्यूम... जी फाचक.... फच... पिच... फचाकककक..... से आरती की चुत ने पानी की बौछार छोड़ दी.

बौछार इतनी तेज़ थी की, लेग पीस झटके से बाहर फिकता हुआ चला गया, कय्यूम के चेहरा पूरा चुत रस से सन गया.

10 सालो बाद वो इस कद्र झाड़ी थी,22036497

फच... पिच... पिच... करती चुत बहे जा रही थी.

सामने काया को काटो तो खून नहीं, उसकी चुत से भी पानी छूटने को तैयार था, काया ने जा जांघो के बीच हाथ डाल अपनी चुत को जबरजस्त तरीके से भींच लिया.

उउउफ्फ्फ.... उईस्स्स...... काया के मुँह से सिस्कारी फुट पड़ी.

उसने जैसे तैसे खुद की चुत को बहने से रोक लिया था.20211209-115854

समाने आरती हांफ रही थी, जिस्म ढीला पढ़ गया था, जाँघे पूरी तरह से फैली हुई थी,

गीली चिकनी चुत साफ चमक रही थी.20210804-213151

हमफ़्फ़्फ़... हमफ़्फ़्फ़....

"देखा काया जी ऐसे खाते है लेग पीस "

काया कुछ ना बोली उसकी आँखों मे सुलगते अँगारे थे, उसकी नजर कय्यूम की लुंगी मे बने उभार पर थी.

उसकी कमजोरी मर्दाना अंग देखना फिर से उजागर होने लगी थी.

तो क्या कय्यूम यही रुकेगा?

काया भी शामिल होंगी इस खेल मे?

देखते है बने रहिये....

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