Ad Code

मेरी संस्कारी माँ -16

 मेरी संस्कारी माँ -16 Picsart-24-06-10-13-03-43-768

पापा दीदी को लेने चले गए थे, मै माँ को पार्लर छोड़ बियर ले कर खंडर मे आ बैठा था.

थोड़ी ही देर बाद मैंने देखा मेरी संस्कारी माँ असलम के साथ खंडर मे आ चुकी थी, दोनों चुदाई शुरू कर चुके थे, माँ का जिस्म सुबह से ही गरम था उसे अपनी प्यास कैसे भी बुझानी थी, इसलिए ना जगह देखी ना समय.

असलम मेरी माँ को दिवार से चिपकाये चुत मारे जा रहा था,

पच... पच... धचम.. धच... आअह्ह्ह... उउउफ्फ्फ्फ़... ओह्ह्ह... की आवाज़े गूंजने लगी थी, मै दिवार से छेद से म को तड़पते देख रहा था.

असलम और माँ एक दूसरे मे मग्न थे की बाहर से तेज़ कदमो की आहत हुई, कोई इधर ही आ रहा था.

एकाएक एक आदमी दरवाजे पर आ खा हुआ.

"क्या असलम यहाँ है तू, "

उस आवाज़ से सभी चौंक गए, माँ और मेरी तो हवाइया ही उड़ गई थी, कलेजा मुँह को आ गया था.

मेरी माँ की इज़्ज़त नीलाम होने को थी.

"क्या असलम तेरी बाइक बाहर खड़ी देखी, कहाँ कहाँ नहीं ढूढ़ा तुझे "

वो शख्स असलम को जानता था.

"अरे... फारुख तू... तू यहाँ क्यों? कब?" असलम भी थोड़ा सकपका गया था, असलम अभी भी नीचे ज़े नंगा ही था, जबकि माँ असलम के पीछे छुप गई थी, साड़ी से मुँह ढक लिया था, साड़ी ने वापस पैरो तक ढक लिया था.

"मेरी छोड़ साले यहाँ अकेले अकेले रंडी चोद रह है, मुझे बताया भी नहीं " फारुख असलम के नजदीक आ गया, उसकी नजर मेरी माँ पर पड़ गई थी.

"साले क्या बोल रहा है, तू जा अभी " असलम ने फारुख से छुटकारा पाना चाहा.

"अच्छा दिखा दी दोस्तों, वो भी एक रंडी के लिए, आज तक हमने सभी रंडी को साथ चोदा है आज मुझे जाने को बोल रहा है"

फारुख मानने के मुड़ मे नहीं था, वो मेरी माँ के पास आ गया, माँ ने चेहरा ढक रखा था,

खुद को वाकई किसी रंडी जैसा महसूस कर रही थी, बाज़ारू औरत जो ना समय देखती है ना जगह बस साड़ी उठा के झुक जाती है.

"अबे तू गलत समझ रहा है"

"क्या गलत समझ रहा हूँ, साले शहर से रंडी लाया है तभी सुबह ज़े गायब था तू " फारुख ने माँ का हाथ पकड़ लिया.

"साली शक्ल तो दिखा, छुपा क्यों रखी है "

माँ का तो ऐसा हाल था की काटो तो खून नहीं, पूरा जिस्म ठंडा पड़ गया था, पसीने से नहा गया था.

मै चुतियो की तरह ये सब नजारा देख रहा था, मुझे बहुत उत्साह हो रहा था की आगे क्या होगा, साथ ही डर भी लग रहा था की माँ ने पुरे परिवार की नाक कटवा दी.

"रंडी नहीं है रे फारुख " आखिर असलम ने हार मानते हुए बोला.

"तो कौन है?" फारुख ने हाथ छोड़ दिया.

"वो... वो.... सामने..." असलम ने माँ की तरफ देख, माँ ना मे गर्दन हिला रही थी,.

लेकिन अब खेल ख़त्म हो चूका था, छुपाने का कोई फायदा नहीं, असलम ने इशारा किया.

"सामने... वाली आंटी है, बबलू की माँ "

मेरी माँ ने भी हथियार डाल दिए थे, चेहरे से पल्लू हटा लिया, लेकिन सर नीचे ही था.

"ओह तेरी... तभी सोचु इतनी महँगी साड़ी, चुडिया, मंगलसूत्र मे कोई रंडी थोड़ी ना होगी.

"नमस्ते आंटी जी " फारुख ने अभिवादन किया

"न्नन्न... नन... नमस्ते " माँ ने मरी हुई आवाज़ मे बोला.

"अब तो जा यहाँ से " असलम ने फारुख को बोला.

"अरे ऐसे कैसे अकेले अकेला चोदेगा क्या, मै भी चोदुँगा, भूल मत हम रंडी को साथ चोदते है " फारुख ने ललचाई निगाहो से माँ को ऊपर से नीचे टक देखा

"पागल है क्या, कहाँ ना रंडी नहीं है ये "

माँ के सामने ही दोनों दोस्त माँ के रंडी होने का फैसला कर रहे थे.

फारुख की बात सुन कर तो माँ का बुरा हाल था, उम्मीदवार कर रही थी ये धरती फट जाये और वो उसमे समा जाये.

"ये.. ये... कैसी बात कर रहे हो बेटा, मै ऐसी वैसे औरत नहीं हूँ " माँ ने फारुख के सामने गुहार लगाई.

"अच्छा यहाँ खंडर मे चुत मरवा रही है, बता मै क्या समझू कैसी औरत है तू "

फारुख बदतमीज़ी पर आ गया था, मै हैरान था की असलम कुछ क्यों नहीं बोल रहा है.

"मै संस्कारी घरेलु औरत हूँ, मेरा पति है बच्चा है, किसी को मालूम पड़ गया तो क्या होगा " मेरी माँ रुआसी हो चली थी.

दिल सीना फाड़ देने को उतारू था.

"वाह... देखो संस्कार इसके, असलम लंड ले रही थी तब इज़्ज़त का ख्याल नहीं आया था, मेरे लंड मे क्या कांटे लगे है "

फारुख ने अपनी पैंट खोल दी, सरसराती पैंट नीचे हुई की भक्क्ककम्म.. से फारुख का लंड हवा मे झूल गया.

ऊफ्फफ्फ्फ़..... माँ का गला सुख गया. 20240603-122407

फारुख का लंड हद से ज्यादा मोटा था, हालांकि लम्बाई मे असलम से काम ही नजर आ रहा था.

मेरी संस्कारी माँ के सामने दो गॉव के गँवार गंदे लड़के अपने लंड लिए खड़े थे.

माँ को तो जैसे सांप ही सूंघ गया था, कहाँ एक लंड भी नसीब नहीं था आज दो दो मुस्तडे तगड़े लंड हुंकार भर रहे थे.

"चलो आंटी अब मेरा लंड चूस के साफ कर दे, असलम का तो चूसा ही होगा ना "

क्यों असलम? जवाब मे असलम सिर्फ मुस्कुरा कर रह गया.

"मममम.... कैसे... असलम कुछ बोलते क्यों नहीं " मेरी माँ की नजर फारुख के लंड पर ही जमीं हुई थी, जो की अकड़ान की वजह से झटका खा रह था..

"असलम क्या बोलेगा, मुझे भी असलम ही समझ, मुझे भी अपनी जवानी चखने दे, वरना अंकल को बोल दूंगा, खुद सोच लो क्या होगा फिर?

फारुख ने अपना आखिरी हथियार चला ही दिया.

माँ की घिघी बांध गई, पापा को मालूम पड़ा तो क्या होगा.

अब घर की इज़्ज़त माँ के हाथ मे ही थी, माँ ने एक नजर असलम की तरफ देखा, जैसे इज़ाज़त मांग रही हो.

असलम तो पहले ही राज़ी था , आखिर फारुख उसका जिगरी यार जो था, असलम ने सहमति मे गर्दन हिला दी.

फिर क्या था मेरी संस्कारी माँ, हवस कामवासना से भारी माँ घुटने के बल बैठ गई,

असलम और फारुख पास आ गए, दोनों के काले लम्बे मोटे लंड माँ के चेहरे से कुछ दुरी पर ही थी.

ईईस्स्स.... आअह्ह्ह.... आंटी.... माँ ने अपने दोनों गर्म कोमल हाथो से दोनों के लंडो को दबोच लिया. 20240511-213750

माँ इस अजूबे अहसास से दोहरी हो गई, चुत फिर से बहने लगी.

ये कोई सपने जैसा रहा माँ और मेरे लिए, ये तो मै सपने मे भी नहीं सोच सकता था की माँ के हाथ मे दो लंड एक साथ होने.

उउउउफ्फ्फ..... पुक.... गुकूप... पच... से माँ के थूक से भरे होंठ फारुख के लंड के टोपे पर जम गए.

एक गंदी कैसेली गंध से माँ का जिस्म हिल गया, वो गंदी सी स्मेल मुझ तक भी आई थी.

ना जाने क्यों माँ ने मुँह नहीं हटाया, मुँह खोल लंड को अंदर धकेल लिया....   ववेईक्क्मीम.... ऊफ्फड... वेक... वेक.... पच...sucking-a-huge-black-cock-001

मै समझ गया था लंड की स्मेल औरतों को और भी उत्तेजित करती है.

मेरी माँ ने फारुख के लंड को आधे से ज्यादा मुँह मे उतार लिया और चारो तरफ होंठ कस कर आगे पीछे करने लगी, दूर हाथ असलम के लंड को हिला रहे थे.

उउउफ्फ्फ..... वाह आंटी क्या लंड चूसती ही., असलम ने अच्छा सिखाया है.

"मैंने नहीं सिखाया बे, खुद से सीख गई, बहुत गर्मी है आंटी मे " असलम ने जवाब दिया.

"कोई बात नहीं आ दोनों मिल कर आंटी की गर्मी निकाल देने ". दोनों दोस्त माँ के बारे मे बात कर रहे थे,.

उस बार माँ ने कोई ऑब्जेक्शन नहीं किया, चुप चाप फारुख का लंड चूसती रही.

फारुख के हाथ माँ के सर पर कसते जा रहे थे, माँ भी उत्तेजित हो कर पूरा लंड मुँह मे ले रही थी.

पच... पक्सः... वेक... वेक... गु... गु... गुलप...

माँ को लंड चूसता देख मेरा लंड भी खड़ा हुए जा रहा था, ये सब मैंने आजतक फिल्मो मे ही देखा था, ऐसा हक़ीक़त मे भी हो सकता है इसका कोई अंदाजा नहीं था मुझे.

"मेरा भी नंबर आने दे भाई," असलम ने अपना लंड पकड़ माँ के होंठो पर लगा दिया.

माँ ने तुरंत समझते हुए फारुख के लंड को बाहर निकाल असलम के लंड को लील लिया. m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-HZl-Zb-l-HSy-S-Ig-Ud-20561362b

वेक वेक... पछ.... पछ... पच.... फारुख के लंड से माँ का थूक टपक रहा था जिसे माँ ने तुरंत अपने हाथो से फारुख के लंड पर मलना शुरू कर दिया.

माँ उत्तेजना मे अपनी गांड हिला रही थी, माँ के हाथो की चुडिया मधुर संगीत पैदा कर रही थी.

माँ नजरें ऊपर कर दोनों को देख रही थी, आँखों मे ना शर्म थी ना हया सिर्फ हवस थी.

असलम का लंड माँ के थूक से पूरा सन गया था,

माँ बरी बारी दोनों के लंड को चूस रही थी, चाट रही थी, जीभ से कुरेद रही थी.

टट्टो को हाथो से सहलाती तो कभी टट्टो को मुँह मे भरने की कोशिश करती.

माँ किसी पगल की तरह दोनों के लंड से खेल रही थी.

छन्न... चैनन... पच... पच... वेक... वेक... थूक से सनी हुई आवाज़ चूडियो की आवाज़ के सारः जुगलबंदी कर रही थी.

दोनी के होश उड़ने को थे, ऐसा तो कभी किसी रंडी ने भी नहीं किया था उनके साथ.

मेरी संस्कारी माँ मदहोशी मे भरी एक साथ दोनों के लंड को निगलने की कोशिश करने लगी, जिसे देख दोनों हैरान थे,.

माँ ने जितना हो सका उतना मुँह खोल दिया, दोनों के टोपे माँ के मुँह मे समा गए, जिसे माँ अंदर ही अंदर जीभ से कुरेद रहु थी... unnamed दोनों का लंड किसी भी वक़्त फट सकता था.

मेरा तो ये दृश्य देख बुरा हाल था, मै रोज़ मेरी संस्कारी माँ के नये नये रूप से परिचित हो रहा था.

उफ्फ्फ.... आंटी.... हुम्म्मफ़्फ़्फ़.... रुको...

दोनों ने अपने अपने लंड माँ के मुँह से बाहर खिंच लिए.

माँ ने एक नजर दोनों को देखा.

"हमें भी तो मौका दो" असलम ने नीचे झुक कर माँ के ब्लाउज के बटन खोल दिए. Gifs-for-Tumblr-1447

दो सुडोल बड़े गोरे स्तन उजागर हो गए, फारुख तो पहली बार ऐसे खजाने को देख रहा था, शहरी औरत देख रहा था, क्या गोरा जिस्म था मेरी माँ का.

मै हैरान था माँ ने आज ब्रा भी नहीं पहनी थी, मतलब माँ पूरी तैयारी के साथ आई थी.

फारुख ने तुरंत माँ का हाथ पकड़ खड़ा कर दिया और माँ के स्तन पर टूट पड़ा.. लप... लप... लप...

आअह्ह्ह.... बेटा आराम से... उउफ्फ्फ...

लेकिन फारुख सुनने के मुड़ मे नहीं था, उसकी जबान माँ के निप्पल को चुभला रही थी.

इसससस.... माँ तो आनन्द के शिखर पर थी.

असलम ने भी देर ना करते हुए माँ के दूसरे स्तन पर कब्ज़ा जमा लिया.

आउच.... असलम बेटा... ऊफ्फड.... पियो मेरे बच्चों... मेरा दूध पियो..

आह्हः.... दबाओ उसे काटो, चुसो.... निचोड़ दो आज.boob-suck-gi-1013

मेरी माँ पूरी तरह से कामवासना के सागर मे डूब गई थी.. ये ऐसा वक़्त था की मै भी सामने आ जाता तो शायद माँ मुझे भी मना नहीं करती.

लेकिन ऐसा करने की हिम्मत मुझमे नहीं थी, मै बस माँ की वासना देख रहा था, मेरी संस्कारी माँ किस हद तक गिर सकती है ये देख रहा था.

आअह्ह्ह.... उउउफद्द... आउच... जोर से.

मेरी माँ दोनों के सर पर हाथ फैर रही थी, जैसे दुलार कर रही हो, सच मे दूध पीला रही हो.

लप... लप.. लापल.. पिच... पुच... करते असलम फारुख माँ के स्तन को निचोड़ रहे थे, खा रहे थे, नोच रहे थे.

असलम का मुँह सरकता हुआ नीचे आने लगा, असलम जीभ से माँ के पेट को चाटने लगा.

इस्स्स..... असलम बेटा...उफ्फ्फ... माँ गुदगुदी से मचल उठी.

ऊपर फारुख ने एक हाथ से माँ के स्तन को मसलाना शुरू किया, और दूसरे दूध को पिता रहा.

नीचे असलम के हाथ माँ की साड़ी तक पहुंच गए थे, जीभ नाभि के अंदर चल रही थी.

माँ तो आंखे बंद किये सर उठाये मजे ले रही थू, वो एक अलग दुनिया मे थी.

असलम ने तुरंत ही माँ की कमर से साड़ी को खोल दिया, और पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.

सरसराती से ठंडी हवा माँ की गांड और चुत को छेड़ती हुई आगे निकल गई, तब जा कर माँ को अहसास हुआ वो नीचे से नंगी है.

मेरी माँ भी यही चाहती थी उसे गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी.

वो असलम से कुछ चाहती थी.

माँ ने अपनी टांगे फैला ली, असलम को माँ की चुत साफ नजर आने लगी, चुत रूपी लकीर मे एक दरार आ गई थू, जिसने एक देना सा उभरा हुआ दिख रहा था.

आआआहब्बब..... उउउफ्फ्फ्फ़... इस्स्स.... असलम ने उसी दाने पर अपनी जीभ रख दी.

मेरी माँ की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था, माँ के पैर कांप गए, एक हाथ फारुख के सर पर जम गया तो दूसरा नीचे असलम मे सर पर.

माँ दोनों को सर को आगे की तरफ दबा रही थी, उन्हें प्रेरित कर रही थी.

अब तक फारुख के माँ के गोरे स्तन को दबा दबा के लाल कर दिया था.

निप्पल चूस चूस कर बाहर को निकाल दिए थे.

नीचे असलम घुटनो के बल बैठा, माँ की चुत मे अपनी जीभ चला रहा था, पूरी लकीर को चाट रहा था, चूस रहा था.

लप... लप... पच... पछ...

उउफ्फ्फ.... असलम....आउचम.. अंदर.... इसस्स....

माँ असलम को जीभ अंदर डालने को उत्साहित कर रही थी, आज्ञा का पालन तुरंत हुआ, माँ की टांगे और ज्यादा फेल गई,.

और असलम की गंदी जीभ माँ की चुत मे घुसती चली गई, असलम माँ की चुत को अंदर से चाट रहा था.

पछ... पच... चूस... चूस.... आअह्ह्ह.... इस्स्स...

क्या चुत है आंटी तेरी.

फारुख से भी रहा नहीं गया आखिर वो कैसे इस स्वाद से वंचित रह जाता.

मेरी संस्कारी माँ पैर फैलाये खड़ी थी, नीचे से नंगी, ऊपर स्लिवेलेस ब्लाउज कंधो पर अटका हुआ था.

फारुख माँ के पीछे आ कर घुटनो के बल बैठ गया, माँ की बड़ी बाहर को निकली भारी गांड फारुख के मुँह से जा टकराई.

फैली हुई टांगो के दूसरी तरफ असलम नजर आ रह था, जिसके होंठ माँ की चुत पर टिके हुए थे.

फारुख कहाँ पीछे रहने वाला था, उसने मे अपनी गंदी जबान माँ की गांड की लकीर मे घुसा दी.

आआहहहह... मर गई.. माँ ने उत्तेजना मे अपनी गांड को भींच लिया, फिर ढीला छोड़ दिया.

फारुख की जीभ माँ के गुदा द्वार से जा टकराई.

मेरी माँ दोहरे हमले से घायल हो गई, आअह्ह्ह..... फ़फ़फ़रररर.... पछ... पच... पाचक.... करती माँ की चुत ने पानी की बौछार कर दी, सफ़ेद सफ़ेद सा गाड़ा पानी माँ की चुत से निकल गांड की दरार मे आने लगा, जिसे फारुख असलम ने चाट चाट के ख़त्म कर दिया.

माँ के पैरो मे जान नहीं बची थी, सांसे फूल गई थी.

माँ के घुटन मुड़ते चले गए,

आह्हब.... असलम बेटा अब... सब्र नहीं होता, आ जाओ अंदर...

माँ पीठ के बल वही गंदे फर्श पर लेट गई, और अपनी दोनों टांगे हवा मे फैला दी, वो असलम फारुख को आमंत्रित कर रही थी.

कितनी बेशर्म हो गई थी मेरी संस्कारी माँ.

मुझे मेरी माँ का पतन देख खुशी हो रही थी.

आज मजा आ रहा था क्यूंकि मेरे ऊपर भी हवस सवार थी.

असलम आगे बढ़ा ही की," साले मुझे डालने दे " फारुख आ गया .

माँ को अभी सिर्फ लंड से मतलब था चाहे वो जिसका हो 

थूक से सनी चुत पर फारुख ने लंड टिका दिया, जिसका स्वागत माँ ने कमर ऊपर कर किया.image113

पच.... पाचक.... आआहहहह..... फारुख.... उउउफ्फ्फ....

फारुख ने एक बार मे ही पूरा लंड माँ की चुत मे पेल दिया, चुत इतनी गीली थी की लंड सरसराता अंदर घुस गया, आज माँ ने उफ्फ्फ... तक नहीं की असलम ने माँ की चुत को खोल दिया था.

थाड... थाड.... थाड.... फच... फच.... फारुख ने बिना कोई दया रहम मे लंड पेलना शुरू कर दिया, अंदर बाहर... बाहर अंदर पच...पच....

माँ के स्तन जबरजस्त तरीके से हिल रहे थे, जिसे माँ ने मजबूती से पकड़ लिया, असलम की तरफ सुनी निगाहो से देखने लगी..

असलन भी शायद समझ गया, तुरंत उठ कर माँ के मुँह के पासा बैठा.

गुपुल... से माँ ने तुरंत असलम के लंड को मुँह मे भर लिया.Tweety-Valentine-sucking-just-a-head-of-a-big-black-monster-cock

उउउफ्फ्फ.... माँ की चुत और फारुख की गांड मेरी तरफ थी.. दनादन... फारुख का लंड माँ की चुत मे जा रहा था, हर बार वापसी मे सफ़ेद सफ़ेद सा गाड़ा पानी बाहर आ कर गांड के रास्ते जमीन पर फैलता जा रहा था.

Uuufff.... ये नजारा मेरे होश उड़ा देने के लिए काफ़ी था.

5मिनट तक फारुख बिना रुके तेज़ तेज़ माँ की चुत मरता रहा, माँ की चुत पानी उगल उगल के चुद रही थी.harley-dean-sexy-petite-ebony-knows-to-fuck-003

भगवान ना जाने कितना पानी था माँ की चुत मे.

गुगुवू.... गुवू.... उउउफ... इसस्स.... माँ के मुँह मे असलम मा लंड फसा हुआ था, दबी हुई सिस्कारी गूंज रही थी.

"आंटी... अब ऊपर आओ तुम " फारुख ने लंड निकाल नीचे जमीन पर लेट गया,

माँ जैसे उनकी गुलाम थी, माँ लंड के लिए हर बात मानने को तैयार थी..

मेरी माँ तुरंत ही फारुख के लंड पर बैठती चली गई....

पुच.... फ़फ़फ़ररर..... करता लंड माँ की चुत ने धसने लगा,

आअह्ह्ह.... फारुख ने तुरंत माँ को अपनी तरफ खिंच माँ के होंठो को अपने होंठो मे भर लिया.tumblr-mptyvxw-Ryc1rcg2wro1-500

जिसमे माँ ने भी भरपूर साथ दिया.

माँ ने अपना मुँह खोल दिया, फारुख के गंदी गुटके से सनी लाल जीभ माँ के खूबसूरत मुँह मे घूमने लागी,

दोनों एक दूसरे का थूक चाटने लगे, लार का आदान प्रदान होने लगा,couple-kiss-001-3 .

नीचे से फारुख ने वापस धक्के लगाने शुरू कर दिए.

माँ की गांड धक्को से आपस मे टकरा टकरा कर बजने लगी, थाड.... थाड.... थाड..... फारुख के हाथ माँ कि कमर पर कस गए, स्तन फारुख के सीने से दब गए.

माँ और फारुख कामवासना मे डूबे थे, इधर असलम माँ के पीछे आ गया और माँ की गुदा द्वार पर ऊँगली घूमाने लगा.

उउउफ्फ्फ.... इड्सस..... माँ की तो आंखे ही चढ़ गई, ऐसा मजा ऐसा आनंद कभी नहीं आया था.

पुकककक..... पुच.... से असलम ने एक ऊँगली माँ की गांड मे घुसा दी, या फिर यूँ कहिये की गांड इतनी गीली हो गई थी की ऊँगली सरक गई,

आखिर कल रात असलम के लंड मे माँ की गांड को खोला था.

असलम ऊँगली को अंदर ही अंदर चलाने लगा,

फारुख नीचे लगातार लंड को चुत मे ठेले जा रहा था.

माँ तो उत्तेजना मे मरी जा रही थी.

अभी मेरा देखना ही था की असलम माँ और फारुख की फैली हुई टांगो के बीच आ बैठा, और अपने मुसल लंड को माँ की गांड की दरार मे चलाने लगा,

फारुख इशारा समझ रुक गया था,.

माँ को समझ नहीं आया की रुक क्यों गए, माँ ने आंखे खोल पीछे देखा, पीछे देखना था की.

आआहहहहह..... नहीं... असलम बेटा... उउउफ्फ्फ.... आउच... असलम के लंड का दबाव गांड पर बढ़ता चला गया, पुच.... फ़फ़फ़गुरररर...... धच.... करता असलम का लंड माँ की गांड मे घुस गया..19978792

माँ को ऐसा लगा जैसे किसी ने जलता सरिया घुसा दिया हो.

पीस्स्स. स..... उउउडफ़्फ़्फ़... आह्हःम... माँ ये गर्मी दोहरा प्रहार झेल ना सकी, माँ की चुत से पेशाब की धार छोड़ दी.

फारुख ने वापस से अपनी कमर को ऊपर उछालना शुरू कर दिया .

असलम ने भी धीरे धीरे वही किया.

आअह्ह्ह.... उउफ्फ्फ.... रुक जाओ... क्या कर रहे हो... आअह्ह्ह... नहीं... आउच..

माँ चिल्लाये जा रही थी, लेकिन दोनों पर कोई असर नहीं था.

दोनों के लंड अंदर बाहर हो रहे थे, मै तो अतिउत्तेजना मे मरे जा रहा था,

माँ ने ऐसा कैसे कर लिए, मेरी संस्कारी माँ के दोनों छेद एक साथ भरे हुए थे.

गांड और चुत के बीच एक पतली सी झिल्ली ही थी जिस पर दोनों लंड रगड़ खा रगे थे..

आअह्ह्ह... पच... फच... फच... पिच.... पुच...

दोनों की कमर चालू थी, मेरी माँ दो मुसल लंडो के बीच पीस रही थी..

कुछ ही मिनिट मे माँ इस प्रहार की आदि हो गई,bbc-001-1

आअह्ह्ह.... अंदर.... उउउफ्फ्फ... तेज़... और तेज़... मारो मेरे बच्चों, आंटी के छेद फाड़ दो... आअह्ह्ह...

आउच...

पच... पच... पच... थाड.. थाड... दोनों दनादन की चुत और गांड मार रहे थे.

आअह्ह्ह.... बबलू के पापा देखो इस गांव के लड़के मेरी चुत और गांड फाड़ रहे है, जो आप ना कर सके वो ये कर रहे है.

मारो और तेज़ चोदो मुझे, आज दोनों छेद फाड़ दो.

मै हैरान था मेरी माँ क्या बक रही है, हवस से पागल हो गई थी मेरी माँ.

दोनों हैवान की तरह चोदे जा रहे है.

आह्हः.... उउउफ्फ्फ... इसस्स... फट... फट... फट... पच... पच... उफ्फ्फ.... आउच...

20 मिनट तक दोनों ऐसे ही माँ को चोदते रहे, माँ इस बीच 2बार झड़ गई थी.

गोरी गांड लाल पड़ गई थी, चुत ने पानी बहा बहा कर पूरा फर्श गिला कर दिया था 

आअह्ह्ह... आंटी मेरा आने वाला है, फारुख ने कहाँ.

अंदर ही छोड़ दो.

उउउफ्फ्फ... मै सदमे मे था ये माँ क्या बोल रही है, कल तक तो माना करती थी, आज क्या हुआ.

"मुझे महसूस करना है कैसा लगता है " मै सोच ही रहा था की जवाब मेरी माँ ने दे ही दिया.

जो हुकुम आंटी.. फारुख ने कस के माँ की कमर को पकड़ लिए और कस कस के धक्के मारने लगा. हच... हच... फच... फच... फाचक....

आआग्गह्ह्ह्ह.... आंटी मै गया.. आह्हब... फचाक्क्क....

एक तेज़ पिचकारी की चुत को भरने लगी, ऊपर असलम भी करीब ही था थाड... थाड... थाड... फच... फच... फाचक... आअह्ह्ह.... आंटी मै भी आया.. फुर्ररररररर..... करता असलम के लंड ने भी ढेर सारा वीर्य माँ की गांड मे उगल दिया.

आआहब्बब..... इस्स्स... ऊफ्फफ्फ्फ़. माँ की चुत और गांड गरम गरम वीर्य का अहसास पाते ही झड़ने लगी.

आंखे बंद हो गई, माँ साइड लुढ़क गई, पैर ऐसे ही फैले हुए थे.20240325-204917

सामने नजारा देख मेरा मुँह खुला का खुला रह गया,

माँ की गांड और चुत पूरी तरह खुले हुए थे, अंदर तक देखा जा सकता था.

दोनों छेद से वीर्य बह रहा था, मेरी नजर मे वो माँ के संस्कार थे जो माँ की चुत और गांड से बह रहे थे. 20240609-085009

मुझसे अब देखा नहीं गया, मै वही बैठ गया.

क्या से क्या हो गया था.

करीब 15 मिनट बाद,

चले आंटी अब?

मैंने आवाज़ सुन अंदर झांका, माँ साड़ी पहने तैयार खड़ी थी, बेग से लिपस्टिक निकाल लगा रही थी.

मै तो बस देखता रह गया, कोई माँ को देख के कह ही नहीं सकता था की अभी अभी दो लंडो से चुदी है.

"हाँ चलो बहुत लेट हो गया "

माँ और असलम आगे चल पड़े, पीछे फारुख.

"अब तो साथ ही करेंगे जब इच्छा हो " फारुख बोलता जा रहा था.

"हाँ बाबा कर लेना, लेकिन अभी chalo" माँ की आवाज़ दूर जाने लगी.

मै भाग के अंदर कमरे मे गया, फर्श पूरा गिला था, असलम और फारुख के वीर्य गिरे पढ़े थे, टिश्यू पेपर भी थे शायद माँ ने गांड और चुत पोंछी हो.

5मिनट बाद ही मेरा फ़ोन बजने लगा.

"हहह... हेलो. हाँ माँ "

"पार्लर आ जाओ हो गया मेरा " माँ ने फ़ोन काट दिया.

हाँ हो तो गया ही मैंने भी देखा, आज तो दो दो लंड से हो गया,

मै हताश निराश बाइक उठा पार्लर की ओर चल दिया, माँ पार्लर के बाहर ही खड़ी थी, चेहरा दमक रहा था.

सिर्फ मै ही जानता था मेरी संस्कारी माँ कितनी बड़ी संस्कारी है.20240527-164605

****************************

रात 11 बजे तक पापा आ गए थे, साथ मे मेरी दीदी भी थी मधुश्री.

मै पुरे 2साल बाद अपनी बहन को देख रह था, साड़ी पहने सामने ही थी, पहले थोड़ी दुबली पतली थी, लेकिन अब जिस्म भर गया था, कुछ कुछ माँ की जैसी ही दिखने लागी थी.

वही खूसूरत, भरा हुआ जिस्म, सुडोल स्तन, गहरी नाभि,

माँ से भी कहीं ज्यादा सुन्दर लग रहु थी मेरी बहन.

मै सोच मे पड़ गया की कैसे कोई दीदी जैसी सुन्दर लड़की पर हाथ उठा सकता है.

समाप्त.

तो दोस्तों उस कहानी का ये भाग यही समाप्त होता है.

यही कहानी आपको अगले भाग मे पढ़ने को मिलेगी.


"मेरी संस्कारी बहन "Picsart-24-06-10-13-51-40-190

थोड़ा इंतज़ार कीजिये.

The End

Post a Comment

5 Comments

  1. बढ़िया कहानी थी मजा आ गया लेकिन इस कहानी को अगली सीरीज बाद में लाना पहले किसी wife की कहानी लिखो जिसको पढ़कर मजा आ जाए

    ReplyDelete
    Replies
    1. कामुक वाइनJune 10, 2024 at 8:03 AM

      अब काया की माया को आगे बढ़ाया जायेगा

      Delete
  2. Chhoti kahani thi lekin lajawab thi ab agli kahani ka intezar hai.

    ReplyDelete
  3. KAHANI TO BADIYA THI MAGAR ZALDI KHATM HO GAI

    ReplyDelete