शाम को ऑफिस के बाद
गुप्ता जी - बंसल जी, आज का क्या प्लान है?
बंसल - कुछ नहीं बॉस।
गुप्ता जी - कुछ नहीं तो चलिये मेरे घर आपको ड्रिंक्स पिलाता हूं।
बंसल - नहीं सर आज नही।
गुप्ता जी - क्यों? आज आपकी बेटी की जॉब लगी है। कम से कम आप ही ड्रिंक्स पीला दिजिये मुझे। क्यों शालु? क्या तुम्हे अपने पापा के ड्रिंक्स करने से प्रोबलम है?
शालु - नहीं सर इटस ओके। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।
गुप्ता जी - देखा बिटिया को कोई प्रोबलम नहीं है अब चलो। चलो बेटी रात को मैं तुम्हारे पापा को होटल पंहुचा दूंगा। तुम जाओ और होटल में रेस्ट करो।
शालु - ठीक है सर।
गुप्ता जी - चलो बंसल अब मेरे घर।
बंसल गुप्ता जी के घर आ जाता है। दोनों खूब ड्रिंक्स करते है।
ड्रिंक्स करने के बाद गुप्ता और बंसल नशे में बातें करते हैं।गप्ता जी - तो बंसल आप खुश हैं न बेटी की जॉब लग गई।
बंसल - हाँ सर। मैं आपका सदा आभारी रहुंगा।
गुप्ता जी - अरे नहीं आपकी बेटी बहुत अच्छी है। पी ए के लिए खूबसूरत लड़कियां ही चाहिए मैं तो खोज ही रहा था काफी दिनों से। आपकी बेटी को देखा तो मेरा प्रॉब्लम सोल्व हो गया। भला आपकी बेटी से ज्यादा सुन्दर कोई लड़की है?
बंसल - हाँ मेरी बेटी बहुत इंटेलीजेंट है, वो सारे काम कर लेगी।
गुप्ता जी - हाँ और एक पी ए को खूबसूरत और सेक्सी होना चाहिए जो तुम्हारी बेटी है।
बंसल - ये तो आपका बड़प्पन है सर। और सुंदरता तो उसे अपनी माँ से मिली है।
गुप्ता जी - सिर्फ ख़ूबसूरती नहीं बंसल जी, ख़ूबसूरती के साथ-साथ वो जवान और सेक्सी है। कल जब मैंने उसे साड़ी में देखा तो उसके बदन का चढाव देखता रह गया। मैंने तभी डीसाइड कर लिया के ये पी ए के लिए परफेक्ट है। उसकी साड़ी में खुली कमर देख कर लग रहा था की वो कितनी गोरी है।
बंसल - हाँ शालु बहुत गोरी है।
गुप्ता जी - वही तो आप लकी हैं जो आपको ऐसी बेटी मिली। उसकी कमर इतनी गोरी है तो उसकी इनर थाइस कितनी गोरी होगी। (गुप्ता जी नशे का एडवांटेज लेते हुए बंसल से उसकी बेटी के बारे में खुल कर बातें करते रहे। बंसल को भी अपनी बेटी के बारे में ये सब सुन के कोई ऐतराज़ नहीं हो रहा था। बल्कि वो ऐसी बातों को एन्जॉय कर रहा था।)
गुप्ता जी - क्यों बंसल? तुमने उसकी इनर थाइस तो देखी होगी? कितनी गोरी है?
बंसल - नहीं सर, मैंने कभी उसकी इनर थाइस नहीं देखी।
गुप्ता जी - ओह क्यों? क्या वो शॉर्ट्स नहीं पहनती?
बंसल - नही।
गुप्ता जी - लेग्गिंग्स, टाइट सलवार?
बंसल - हाँ।
गुप्ता जी - तब तो आपने उसकी जांघों को देखा होगा। कैसी है उसकी थाइस?
बंसल - हाँ देखी है मोटी हैं काफी।
गुप्ता जी - (अपना लंड पेंट के ऊपर से मसलते हुए।। ) वो।।। मुझे साड़ी में उसकी हिप्स देख के ही पता चल गया था की उसकी जाँघे मोटी होंगी।)
बंसल - अच्छा मैं अब घर जांउगा।
गुप्ता जी को लगा की अब यहीं रुक जाना चाहिए इससे पहले बंसल को बुरा लग जाये। वो उसे अपनी कार में बैठा कर होटल छोड़ दिया। दरवाजे पे पहुच कर बंसल ने डोर बेल्ल बजाए। उससे सीधे खड़ा हुआ नहीं जा रहा था।
शालु जब दरवाजा खोलती है तो अपने पापा की ऐसी हालत देख उन्हें कन्धा देती है। कंधे पे जब वो उन्हें सम्भालती है तब उसके पापा का हाथ ठीक उसके बूब्स पे चला जाता है। अपने शरीर का वजन न सँभाल पाने के कारण वो अपने हाथ से कस के शालु के बूब्स दबा देता है। शालु लाचार अपने बूब्स को दबवाती बिस्तर तक आती है। जैसे ही उन्हें लिटाती है, बंसल का हाथ शालु के गले में होता है और वो उनके ऊपर गिर जाती है। शालु इस कदर अपने पापा पे गिरती है की उसकी जाँघो पे उसके पापा का लंड महसूस होता है ।
शालु अपने आप को सम्भालती है, और उठ कर बेड पे बैठ जाती है। बंसल पूरी तरह नशे में था और उसकी आँख बंद थी। उसके शर्ट से शराब की बदबू आ रही थी। शालु को शराब की बदबू बर्दाश्त नहीं होती और वो पापा के शर्ट के बटन खोलने लगती है। शर्ट को अलग कर पहली बार वो अपने पापा के चेस्ट को देखती है। उसे समझ में नहीं आता की वो क्या करे तो वो अपने पापा के पेंट को भी बदलने की सोचती है। वो पेंट की तरफ देखती है, और फिर अपना हाथ आगे बढा कर एक बटन खोलती है, फिर धीरे से पेंट का चैन खोलने लगती है। पेंट के अंदर अपने पापा के कुछ उभार को छु कर उसे कुछ अजीब सा लगता है। वो पेंट निकालने के लिए जोर से खिचती है, लेकिन अगले ही पल पेंट उसके पापा के अंडरवियर के साथ नीचे खींच जाती है।
अंडरबीयर खीचते ही उसकी नज़र अपने पापा के लंड पे पड़ती है। ओह शीट।।। उसके मुह से निकल जाता है। वो अपने पापा के लंड को देखती है, इतना मोटा।
उसने आज से पहले कभी किसी का इतना मोटा लंड नहीं देखा था। आज़ देखा भी तो अपने पापा का, वो तुरंत अपने पापा के फेस की तरफ देखति है तो उसे यकीन हो जाता है की पापा पूरे नशे में है। वो तुरंत अंडरवियर को ऊपर करती है लेकिन लंड फिर भी बाहर रहता है। वो बहुत घबरा जाती है, कोई ऑप्शन न देख वो एक हाथ से अपने पापा का लंड पकडती है और अंडर वियर के अंदर ड़ालने लगती है। इतना मोटा लंड़, वो अस्चर्य से देखति है, तभी शायद उसके छुअन से बंसल का लंड पूरा खड़ा हो जाता है।
शालु जब अपने पापा का खडा लंड देखति है तो उसकी आँखे बड़ी हो जाती है। जैसे ही वो उनके लंड को वापस अंडरवियर में ड़ालने के लिए पकडती है, उसके पापा के लंड का स्किन खुल जाती है। लंड का स्किन नीचे जाते ही उसे कुछ महक आने लगती है, शालु को ये स्मेल अच्छी लगती है, वो अपने नाक को लंड के पास ले जाती है तो उसे पता चलता है की ये स्मेल उसके पापा के लंड की है। उसे ये अजीब सी स्मेल बहुत अच्छी लगती है। वो लंड को मुट्ठी में पकड़ कर स्किन ऊपर उठाती है, लेकिन वो फिर से खुल जाती है।
वो जब बार बार लंड के स्किन को बंद करने की कोशिश करती है लेकिन स्किन बार- बार नीचे सरक जाती है।
वो अपने हाथ को सूँघती है तो उसके हथेली में लंड की स्मेल थी, उसे स्मेल अच्छी लगती है और वो एक बार फिर झुक कर अपनी नाक सटा कर लंड की महक लेने लगती है। उसे अपने शरीर में कुछ अजीब सा महसूस होता है। वो सोचती है की वो ये क्या कर रही है, फिर सँभालते हुए बड़ी मुश्किल से लंड को अंडरवियर के अंदर डाल देती है।
करीब १ घंटे की कोशिश के बाद वो पापा का शर्ट और पेंट बदलने में कामयाब हो जाती है। शालु बिस्तर से उठ कर सामने खड़ी हो जाती है, अपने सूटकेस से वो एक नाईट ड्रेस निकालती है और उसे चेंज करने के लिए बाथरूम जाने लगती है। फिर उसकी नज़र पापा के तरफ जाती है, वो सो रहे थे। उन्हें सोता देख वो कमरे में उनके सामने ही कपडे बदलने लगती है। शालु को अपने पापा के सामने कपडा बदलना बहुत अजीब सी फीलिंग दे रहा था। वो एक पतला सा टॉप और एक छोटी सी स्कर्ट पहन लेती है। कपडे बदल कर वो बिस्तर पे वापस आ जाती है। वो ध्यान देती है की पापा के सर के नीचे तकिया नहीं है। वो साइड से एक तकिया निकालती है और पापा के सर के नीचे लगाने लगती है। वो सर को उठा कर एक हाथ से तकिया अंदर लगा रही होती है। बिस्तर पे बैठ वो पापा के सर के काफी क़रीब होती है। एक बार जोर से कोशिश कर जैसे ही वो उन्हें अपने पास खिचती है, उसके पापा करवट ले उसके जाँघो के बीच आ जाते है। शालु को जब ध्यान आता है तो वो देखति है की पापा अपना हाथ उसके कमर में डाले हैं और उनका मुह उसकी दोनों जाँघो से होती बीच में उसकी पेंटी पे आ टीकी है। वो उन्हें पुश करती है लेकिन बार बार उनका होठ शालु की पेंटी से रगडने लगता है। शालु की साँस तेज़ हो जाती है, उसने कभी भी किसी को अपने प्राइवेट पार्ट्स के पास इतना क़रीब नहीं महसूस किया था।
शालु के स्कर्ट ऊपर थे और उसकी जाँघ पूरी तरह से खुल चुकी थी। जब वो अपने पापा के गर्म साँस अपने चूत पे महसूस करती है तो उसके बुर से कुछ रिसाव होने लगता है। वो आनन्द में आखे बंद किये पहली बार अपने बुर को गीला महसूस करती है।
वो कस कर अपने पापा का बाल पकड़ लेती है और उनके मुह को पेंटी के ऊपर अपने बुर पे दबाव बनाने लगती है। वो पूरी तरह बेचैन हो उठती है। पापा का बाल पकडे न जाने कब वो एक हाथ वहां से हटा कर अपनी पेंटी को एक तरफ खीच देती है, और फिर जो होता है उससे वो काँप उठती है। शालु के पापा का होठ उसकी गरम गिली बुर पे छु जाती है, वो बेचैन हो कर अपने बुर को पापा के होठ पे रगडने लगती है। उस वक़्त उसके बुर से इतना पानी निकलता है जितना उसने कभी नहीं महसूस किया था। वो पापा के होठ को अपने चिपचिपे चूत के रस से भर देती है।
कांपते हाथो से वो जीवन में पहली बार अपने पापा के मुह में स्खलित हो जाती है। इस वक़्त उसके आनन्द का ठीकाना नहीं होता, पूरी तरह स्खलित होने के बाद वो अपनी आँखें खोलती है और बिस्तर के सामने लगे शीशे में अपने आपको को पापा को बुर पिलाते हुए देखती है तो शर्म से लाल हो जाती है। वो पीछे हो जाती है, और स्कर्ट ठीक कर अपने सर को अपने हाथ पे दे मारती है। वो सोचने लगती है हाय राम ये मैं क्या कर रही थी, वो भी अपने पापा के साथ। हे भगवान, ये सब कब और कैसे हुआ? वो सोचने लगी की काश ये सपना हो। लेकिन ये तो हकीकत था, उसने कभी भी सपने में ये नहीं सोचा था की उसकी बुर को अपने होठों से स्पर्श करने वाला पहला इन्सान उसके खुद के पापा होंगे। वो अपने कपडे ठीक कर उनके बगल में लेट गई, वो अपने पापा से नज़रें नहीं मिला पा रही थी। लेकिन उसने जो आनन्द आज महसूस किया था वो शायद कभी नहीं भूलने वाला सच था।
contd....
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