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मेरी माँ रेशमा -4

मेरी माँ रेशमा -4 Picsart-25-02-08-17-27-32-832

कार पूरी तरह रुक चुकी थी, सब कुछ सामान्य हो गया था, तो मैंने भी आंखे मसलते हुए नींद खुलने की एक्टिंग की 

"क्या हो गया भाई गाड़ी क्यों रोक दी " मैंने पीछे मुड़ के देखा सभी लोग सो रहे थे.

साले सो क्या रहे थे हरामी नाटक कर रहे थे.

"आगे जाम लगा है लम्बा " अब्दुल ने कहा

"जागो बे सालो " मैंने मोहित प्रवीण को जगाया.

सभी उठ गए थे, माँ को देख के ऐसा लग ही नहीं रहा था की वो अभी अभी दो जवान लड़को का लंड चूस रही थी, अपनी चुत उछाल उछाल कर मजे ले रही थी.

"ऐसे तो सुबह ही हो जाएगी पहुंचने मे " माँ ने चिंता जाहिर करते हुए कहा.

तभी ठाक... ठक ठक.... की दस्तक खिड़की पर हुई.

अब्दुल ने अपनी साइड का कांच नीचे किया.

"आगे एक्सीडेंट हो गया है 1 घंटे मे ट्रैफिक क्लियर होगा " बाहर कोई आदमी खड़ा था.

"एक्सीडेंट..... हम सब चौंक गए.

"हाँ हो जाता है हाइवे है" आप लोग जब तक साइड कार लगा के होटल से कुछ खा पी ले.

बाई तरफ नजर घुमाई तो एक होटल था जहाँ कई यात्रियों ने कार रोकी हुई थी.

शायद ये होटल का ही आदमी था आपदा मे अवसर देख रहा था 

"अब कार मे बैठ के रेंगने से अच्छा है उतरते है, कुछ खा पी भी लेंगे, भूख भी लगने लगी है " अब्दुल ने कहा.

"ठीक है जैसा ठीक लगे " मैंने माँ की तरफ देख के कहा माँ ने भी सहमति मे गर्दन हिला दी.

"लल्ल   लेकिन बेटा.... " माँ ने कुछ आपत्ति जताई.

"क्या हुआ माँ?"

"वो... वो मैंने गाउन पहना हुआ है, ऐसे बाहर जाना मतलब देख तो कितने लोग खड़े है बाहर" माँ की बात लाजमी थी.

"अच्छी तो लग रही हो आंटी" आदिल ने चुटकी लेते हुए कहा.

"हट बदमाश तुम लोग तो मेरे बच्चों जैसे हो, तुमसे शर्म नहीं है, लेकिन बाहर काफ़ी अनजान लोग है, ऐसे अच्छा थोड़ी ना लगता है " माँ ने दलील दी.

हाय रे मेरे माँ के संस्कार अभी लंड मुँह मे के के बैठी थी अब शर्म आ रही है. मैं नोटिस कर रहा था मेरे दोस्त और माँ आपस मे बहुत घुल मिल गए है, होता भी क्यों ना.

"तो चेंज कर लो ना कार मे पहले की तरह, हम लोग उतर जायेंगे " मैंने कहा.

"हट बुद्दू, गाउन पहनने और साड़ी पहनने मे जमीन आसमान का अंतर होता है, कार मे बहुत छोटी जगह है "

"ऐसा करते है ना मैं कार को होटल के साइड थोड़ा अँधेरे मे लगा देता हुआ, आप कार से निकल के चेंज कर लेना कौन देखने वाला है " अब्दुल ने सुझाव दिया

सभी उसके सुझाव से सहमत थे.

अब्दुल ने कार पीछे ले कर होटल के साइड मे लगा  दी, और सभी वही उतर गए.

मैंने डिग्गी से बेग निकाल माँ को दे दिया, चारो तरफ अंधेरा था  बस कोई 50मीटर की दुरी पर होटल था जहाँ चाहलकादमी थी.

हम लोग चलने को हुए ही थे की " अरे कोई एक तो यहाँ रुको, कितना अंधेरा है यहाँ पर " माँ ने आवाज़ लगाई.

मैं अभी कुछ बोलता ही की, "मैं हुआ ना आंटी आप चिंता क्यों करती है आदिल मुझे से आगे निकाल के बोल पड़ा.

मैं सख्त खिलाफ था, मैं मना ही करता की " चलो आओ अमित भाई हम कुछ आर्डर करते है तब तक भाभीजी आ जाएंगी " अब्दुल ने मेरा हाथ पकड़ अपनी और खिंच लिया.

प्रवीण और मोहित के चेहरे पे मायूसी साफ दिख रही थी जबकि अब्दुल मुस्कुरा रहा था, मैं जानता था आदिल क्यों माँ के साथ रुकना चाहता है.

मैं मन मामिसा के बाकियो के साथ चल दिया, माँ आदिल के साथ कार के पास ही रुक गई.

मुझे बहुत ताज्जुब हुआ, माँ ने भी आदिल के रुकने का कोई विरोध नहीं किया, ना जाने क्या हो गया था मेरी माँ को.

एक बार झड़ने के बाद भी हवस खत्म नहीं हुई थी उसकी.

हम लोग होटल मे एक टेबल पर जा बैठे थे, हलके फुल्के खाने का आर्डर दे दिया था.

लेकिन मेरा मन यहाँ नहीं था बार बार नजरें दूर खड़ी कार को देखती, अँधेरे की वजह से कुछ साफ नहीं दिख रहा था.

चाय आ चुकी थी 10 मिनट बीत गए थे, मेरी माँ अभी तक नहीं आई थी,

मुझे गड़बड़ी की आशंका तो पहले से ही थी,.

"यार चाय पी कर थोड़ा प्रेशर बन गया है लगता है, मैं आता हूँ " मैंने बहाना कर दिया और होटल के दूसरी साइड आ गया.

मतलब जी कार के ओपोसिट साइड, मैं जल्दी से होटल के पीछे पंहुचा, जहाँ कच्चा रास्ता या कोई खेत था, पुरे होटल का चक्कर काट मैं वहाँ पहुंच गया जहाँ हमारी कार खड़ी थी.

कार सडक पर थी और मैं नीचे खेत मिट्टी मे, अमूमन हाइवे पर होटल ढाबे ऊँचे ही बने होते है रोड के बराबर.

मुझे कार नजर आ रही थी लेकिन माँ और आदिल नहीं दिख रहे थे, मेरा सीना धाड़ धाड़ कर बज रहा था, मन मे बहुत सी अशांकाये दौड़ रही थी.

मैं थोड़ा एयर नजदीक गया इतना की मेरे जस्ट सामने हमारी कार खड़ी थी सडक के ऊपर, अंधेरा था ज्यादा कुछ नहीं दिख रहा था,.

फिर भी मैंने नजर केंद्रित की, जो मैंने देखा वो देख के मेरे पैरो तले जमीन खिसक गई.

"वाह आंटी क्या चुत है आपकी, उफ्फ्फ्फ़... मैंने आज तक आप जैसी औरत नहीं देखी " आदिल की आवाज़ ने मुझे अपनी तरफ खिंच लिया था

"हट बदमाश " माँ की ख़ानकती आवाज़ भी मेरे कानो मे पड़ी.

मेरे नजर पैनी होती गई, कार का पीछे का दरवाजा खुला हुआ यहां, कार थोड़ी टेढी खड़ी हुई थी.

कार की पीछली सीट पर मेरी माँ पूरी तरग नंगी अपने पैरो को फैलाये अपने हाथो से थामे लेटी हुई थी, माँ का सर उठा हुआ था  Picsart-25-02-08-16-25-38-820

वाकई मे मुझे प्रेसर बनने लगा था ये सब देख के, माँ ने गाउन भी उतार दिया था.

माँ के हाथो मे लाल चुडिया चमक रही थी, माथे पे लाल बिंदी भी थी.गले मे मंगलसूत्र दिखाई पड़ रहा था.

पहले माँ ने चूड़ी नहीं पहनी हुई थी, ना जाने अब क्यों पहन ली.

"देखा आंटी मैंने कहा था ना आप लाल चुदी मे और भी खूबसूरत लगोगी " आदिल ने कहा.

मेरे सवाल का जवाब मुझे तुरंत मिल गया था इसका मतलब माँ ने आदिल के कहने पर चुडिया पहनी थी.

माँ की चुत और गांड का छेद पूरी तरह दिख रहा था, उफ्फ्फ्फ़.... क्या कह सकता हूँ मैं ऐसी शानदार औरत थी मेरी माँ..

चुत और गांड फैलाये आदिल को अपनी और मेरे घर जी इज़्ज़त दिखा रही थी.

आदिल किसी भूके कुत्ते की तरह बात बार अपने होंठो को चाट रहा था 

"अब देखते ही रहोगे, टाइम नहीं है ज्यादा जल्दी करो " माँ ने आमंत्रण दे ही दिया.

भूखे को और क्या चाहिए था.

"लप... लप... लपात... आआआआह्हः..... उउफ्फ्फ.... आदिल बेटा " माँ के मुँह से गरम कामुक सिस्कारी फुट पड़ी.

आदिल ने अपनी गीली गंदी जबान माँ की चुत पर टिका दी थी. 43714361


"उफ्फ्फ... आअह्ह्ह.... आदिल बेटा कब से मैं इस सुकून को तरस रही थी, अमित के पापा तो खासने ही लगते थे मुँह लगाते है " मेरी माँ हवस मे पागल हुई अपने घर की पोल खोल रही थी मेरे दोस्त के सामने.

"ऐसी चुत को तो खा जाना चाहिए आंटी " लप लप... पिच... पिच... पुच.... की आवाज़ मेरे कानो तक आने लगी थी.

मुझे सब साफ दिख रह था, अँधेरे मे देखने का आदि हो चला था मैं.

मेरी माँ मेरे दोस्त से अपनी चुत चटवा रही थी.

उसके सर को पकड़ पकड़ कर अपनी चुत पर दबा रही थी, आदिल भी माँ की भावनाये समझ कर जितना हो सकता था उतना अपनी जीभ को अंदर डाल रहा था,

आअह्ह्ह... बेटा ऐसे ही.... उफ्फ्फ... और चाट... जल्दी कर.... जल्दी.... घुसा दे अपना मुँह अंदर" माँ वाकई पागल हो गई थी.

"हाय आंटी ऐसी चुत तो मैंने आज तक नहीं चखी, कितना पानी है आपकी चुत मैं, लप  लप..लप.... करता आदिल भी माँ को उकसा रहा था.. माँ खुद अपने स्तनो को कस कस के भींच रही थी, निप्पल को मरोड़ रही थी, जैसे उखाड़ ही फेंकेगी. 693ACF0


उसकी जबान माँ की जांघो के बीच की दरार मे रेंग रही थी, कभी ऊपर तो कभी नीचे.

गांड के छेद तक जा कर आदिल वापस चुत तक लौट आता, चुत के दाने को चुभलाने लगता.

आअह्ह्ह.... आदिललल.... उउफ्फ्फ... मर गई... माँ अपनी गांड को उठा उठा के पटक रही थी, tumblr-mccwba7-Odl1ra8g7no1-500 किसी रंडी की तरह उसे परवाह ही नहीं थी खुली सडक पे किसी ने देख लिया तो रंडी ही समझेगा.

"जल्दी और जोर से चाट बेटा... आअह्ह्हब..... टाइम नहीं है ".माँ जैसे जल्दी मे थी.

आदिल ने भी चतुराई दिखाते हुए अपनी एक ऊँगली को चुत के रस से भीगो के गिला कर लिया और गांड के छेद को छेड़ने लगा


"आअह्ह्ह.... नहीं... आदिललल... माँ ने अपनी गांड सिकोड ली, आदिल के सर को चुत मे भींच लिया जैसे पूरा सर ही अंदर घुसा देगी.

पुच.... फच.... करती हुई आदिल की एक ऊँगली माँ की गांड मे घुस गई.

tumblr-mdek5u6-Vyq1ri3o7do1-500 आउच... उईई... मा... आदिल.... माँ सिहर उठी. माँ ने अपनी चुत आदिल के मुँह पे रगड़ के रख दी.

आदिल का सामना भी शायद पहली बार किसी भरी जवान प्यासी औरत से हो रहा था,

आदिल अपना सर इधर उधर कर रहा था, लेकिन माँ उछाल उछाल के अपनी चुत को आदिल के मुँह के रगड़ रही थी. 19585375

"उउफ्फ्फ.... आंटी.... आअह्ह्ह...." आदिल की भी आहे निकल गई थी.

उसकी ऊँगली लगातार माँ की गांड मे चल रही थू, फच फच... पच... पच.... करती अंदर बाहर हो रही थू, गांड पूरी तरह से गीली थी.

आअह्ह्ह.... आअह्ह्ह.... उफ्फ्फ.... मैं... आई... बेटा... आअह्ह्ह... आदिललल.... चाट.... खा जा मेरी चुत को.... 4299421

माँ बदहवास पागलो की तरफ अपना सर पटक रही थी, शायद माँ का काम होने वाला था अब.

माँ की चुद से कुछ सफ़ेद सफ़ेद सा निकलने लगा था, जिसे आदिल चाटे जा रहा था, जैसे कोई शहद हो.

आदिल और जोर लगा लगा के माँ की चुत चाट रहा था, गांड मे दो ऊँगली घुसेड़े रोंद रहा था.

"आअह्ह्हम... फच.... फाचक... फचार्ज..... उफ्फ्फ... हमफ.... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... माँ की चुत से एक फववारा छूट पड़ा काम रस का फववारा,. आअह्ह्हम... आदिलललललल.....

माँ की चुत से एक के बाद एक पानी की बौछार निकल कर आदिल को भिगोने लगी.... gifcandy-squirt-69 .

माँ ने कस के आदिल के सर को अपनी चुत मे दबा लिया...

गुगु.... गु.... उउउम्म्म.... आदिल की घुटी घुटी आवाज़ आ रगी थी.

माँ आदिल के सर को अपनी चुत मे दबाये झटके खाने लगी, करीबन 30 सेकंड बाद माँ ने अपनी पकड़ ढीली की.

खो... खो... खरास.... खो.... आदिल एक दम से छूट के जमीन पर फ़ैल के खास्बे लगा, खो... खो... उसके मुँह से ढेर सारा माँ का पेशाब और काम रस निकल के जमीन पे गिरने लगा.

हमफ़्फ़्फ़... हमफ़्फ़्फ़... उफ्फ्फ... खो... खो... हमफ़्फ़्फ़...

क्या आंटी जान लेने का इरादा था क्या?

आदिल ने माँ को देखते हुए शिकायत की, जो की अब पूरी तरह होश मे आ गई थी,.

मैं ख़ुश इस दृश्य को देख अपना लंड हिला रहा था, आदिल की क्या हालात हुई होगी वही जानता है.

मैंने तो जैसे कोई अद्भुत चीज देखी थी जिसे शब्दों मे बयान ही नहीं किया जा सकता.

"Sorry... ससस... सोरी बेटा वो रहा नहीं गया मुझसे," माँ ने आदिल को संभाला.

आदिल बेचारा जैसे तैसे खड़ा हुआ उसकी सांसे अभी भी उखड़ी हुई थी.

"कोई बात नहीं आंटी आपके बेटे जैसा ही हूँ, आपका हक़ है मुझपे " आदिल मुस्कुरा दिया और माँ भी.

आपके बेटा जैसा हूँ शब्द मेरे जहन मे चुभ से गए थे, क्या मैंहुड अपनी माँ के साथ ऐसा कर सकता हूँ,.

नहीं... नहीं.... ये मैं क्या सोच रहा हूँ?

मैं सोच मे डूबा ही था की तब तक माँ ने पेटीकोट  और ब्लाउज पहन लिया था.

आदिल भी संभल गया था,"आप आओ आंटी मैं चलता हूँ "

मेरे लिए भी अब यहाँ कुछ बचा नहीं था, मैंने टाइम देखा मुझे ये सब देखते हुए 15 मिनिट बीत गए थे.

मैंने जल्दी से पेशाब किया खड़े लंड को थोड़ी राहत पहुंची और भाग के वापस होटल के पीछे से चक्कर काटते हुए टेबल पर पंहुचा जहाँ सब खाना खा रहे थे.

मेरे बैठते ही आदिल भी आ गया.

"अबे साले ये तेरे कपडे कैसे भीग गए? मोहित की नजर आदिल पे पड़ी.

आदिल मेरे पीछे था, मैंने पलट के देखा उसकी टीशर्ट पूरी गीली थी, जो की मेरी माँ की चुत से निकले पानी की वजह से थी.

"अरे यार वो पानी की टंकी से मुँह धो रहा था, अँधेरे की वजह से टीशर्ट भी गीली हो गई " आदिल ने बोलते हुए मोहित को आंख माँ दी.

अब मुझसे क्या छुपा था, साले हरामी मेरे दोस्त मेरे पीठ पीछे ही मेरी माँ चोद रहे थे.

"कुछ खायेगा " मैंने आदिल को पूछा.

"नहीं यार मेरा तो पेट भरा हुआ है " आदिल ने जवाब दिया.

"हाँ मादरचोद भरेगा क्यों नहीं, मेरी माँ की चुत पीके जो आ रहा है" मैं मन ही मन  बड़बड़या.

"मुझे तो भूख लगी है "

मधुर प्यारी आवाज़ के साथ ही सभी के चेहरे पीछे को घूम गए

पीछे मेरी माँ थी लाल साड़ी मे सजी हुई, माथे लार लाल बिंदी, हाथो मे लाल चूड़ी, लाल होंठ.

सभी माँ को ही देखते रह गए माँ का यौवन साफ झलक रहा था, चेहरे पे एक सादगी थी, मासूमियत थी. 20220114-165823

माँ के चेहरे पे एक अलग ही चमक थी, माँ ने अपने दोनों हाथ उठा कर अपने बाल पीछे बांधते हुए कहा था, माँ की पसीने से भीगी साफ सुथरी गोरी, कांख के दर्शन सभी को हो गए थे,

मैं शर्त के साथ कह सकता हूँ जिसने भी ये नजारा देखा होगा उसके लंड खड़े हो गए होंगे,.

मैं अभी तक माँ को गॉव की गवार औरत ही समझ रहा था, लेकिन मैं कितना गलत था, मेरी माँ किसी मॉर्डन औरत को फ़ैल करती नजर आ रही थी. सुन्दर गद्दाराया गोरा जिस्म.

उफ्फ्फ.... मेरी संस्कारी घरेलु माँ...

कोई भला कह सकता है ये औरत अभी अभी मेरे दोस्त से चुत चटवा रही थी, चटवा क्या रही थी साले आदिल का दम ही घुट जाता, यदि माँ झड़ती नहीं तो...

"खो... खो.... आदिल को खांसी आ गई.

"आओ आंटी बैठो खाना आ गया है " मोहित ने माँ को जगह दी.

माँ प्रवीण और मोहित के बीच जा बैठी एक अजीब सी भीनी भीनी खुसबू आ रही थी,

शायद मेरी माँ की चुत की खुसबू थी ये, लेकिन बहुत मनमोहक थी, किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर दे ऐसी खुसबू थी ये.

खेर खाना लग गया था, आदिल ने कपडे बदलिये थे, कार चलने को तैयार थी.

सुबह के 3 बज चुके थे, देहरादून पास ही था सिर्फ 1 घंटा लगना था.

सभी कार मे सावर हो गए थे, मैंने जगने की थोड़ी कौशिश की लेकिन जग ना पाया और कुछ हुआ भी नहीं.

सब सो गए थे, आदिल और माँ तो कार मे बैठ के ऐसे ढेर हुए जैसे मजदूरी कर के आये हो.

मुझे भी नींद आ गई थी.

तो अब क्या होगा देहरादून मे? क्या शादी मे मेरे दोस्तों को कोई मौका मिल पायेगा?

यहाँ तो माँ के रिश्तेदार भी होंगे बहुत से? क्या करेंगे मेरे दोस्त, माँ की हरकतों से लगता नहीं था अब वो भी रुक पायेगी?


बने रहिये... कहानी जारी है

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Contd.....


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