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पेशाब -4

अपडेट -4


दोनों काले राक्षस अपने भयानक लंड लिए खड़े थे, कार की दूधिया रौशनी मे साफ उनका आकर प्रकार दिख रहा था.

साबी का हलक सुख चूका था उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी की मर्दो का ऐसा भी होता है.

उसके पति का तो इसका आधा भी नहीं था.

अभी साबी के लिए कम ही था की दोनों ने अपने लंड को किसी चाबुक की तरह झटका देते हुए चमड़ी को पीछे खिंच लिया, एक अजीब सी गन्दी कैसेली गंध फ़ैल गई

पहले से ही मदहोश साबी के होश फाकता हो गए,

साबी टकटकी लगाए उस करिश्मे को देखे जा रही थी, इधर वो दोनों अपने लंड को फाटकरते तो सीधा चोट साबी की चुत पर लगती.

ना जाने किस भावना मे साबी ने अपनी जांघो को आपस मे भींच लिया, अपनी चुत को जितना दबा सकती थी उतना उसने दबा लिया.

चेहरे के भाव बदल रहे थे, ना जाने किस लालच मे उसके होंठ दांतो तले दबते चले गए.


"उउउफ्फ्फ...... यार ये पेशाब क्यों नहीं आ रहा "

कालिया ने हरिया को बोला

"अभी तो दारू पी है रुक 1मिनिट आयेगा "

दोनों वापस से अपने लंड के साथ खेल रहे थे, दोनों की नजरें साबी पर थी और साबी की नजर उनके लंड पर.

"क्या हुआ मैडम.... ऐसे क्या घूर रहु हो, शादीशुदा हो आप तो आपके पति जैसा ही है "

"न्नन्न.... नहीं.... नहीं है "

"क्या नहीं है?"

ना जाने साबी किस नशे मे थी.

"त्तत... तुम्हारे जैसा नहीं है " साबी किसी रोबोट मे बदल गई थी वो सिर्फ उन दोनों के लंड को देखे जा रही थी.

एक गर्मी से उसका बदन जल रहा था.

"क्या नहीं है.... ये लंड....?"

"हहहह..... हाँ... ये... लललल...."

"पूरा बोलो आपके पति के पास नहीं है ऐसा लंड " हरिया मौके का पूरा फायदा उठा रहा था.

अभी साबी कुछ समझती की कालिया उसके नजदीक आ खड़ा हुआ

"मेरे.... मममम.... मेरे पति का ऐसा नहीं है " शायद आज साबी ने पहली बार अपने पति के लंड की तुलना किसी से की थी.

"कोई बात नहीं हमारा है ना ये ठंडा कर देगा आपको " कालिया ने साबी के पीछे आ अपने लंड को उसकी मोटी गद्दाराई गांड से छुआ दिया.

इस छुवन से जैसे साबी का ध्यान भंग हुआ हो.

"ककककक.... क्या.... क्या ठंडा कर दोगे "

"अरे कार ठंडी कर देंगे गरम हो गई है ना " जवाब हरिया ने दिया

कालिया साबी के पीछे खड़ा था और हरिया सामने.

साबी किसी कुतिया की तरह बीच मे थी.

हक्की बक्की परेशान लेकिन ये परेशानी अब किसी और चीज की थी, उसके जलते जिस्म की.

"लेकिन अभी भी पेशाब नहीं आ रहा, हमने कितने कौशिश कर ली " दोनों ने एक बार फिर अपने लंड की चमड़ी को आगे पीछे खींच किया.

वही एक कैसेली गन्दी स्मेल साबी से जा टकराई, उसका मन मस्तिष्क अब काबू से बाहर हो रहा था,

स्मेल गन्दी थी फिर भी वो उसे और ज्यादा सूंघ लेना चाहती थी.

"स्सणीयफ़्फ़्फ़..... शनिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....."

"मैडम आप यदि अपने हाथो से पकड़ के थोड़ा हिला दो तो शायद पेशाब आ जाये "

कालिया ने एक प्रस्ताव फिर रख दिया.

"कककक.... क्या मै... मै.... मै कैसे " साबी का चेहरा सफ़ेद पड़ गया.

उसके ऊपर एक के बाद एक बम्ब फूटने जा रहे थे.

"अब हमने तो हिला के देख लिया नहीं हो रहा "

कालिया ने जैसे कान मे फुसफुसाया.

एक गन्दी सी स्मेल फिर से साबी के जिस्म मे घुल गई.

वो दोनों के जाल मे फसते जा रही थी, ऊपर से दोनों अपने अपने भयानक लंड का प्रदर्शन कर रहे थे.

"समय नहीं है मैडम पूरी रात यही खड़े रहना है क्या? " हरिया ने साबी का हाथ पकड़ अपने लंड पर रख दिया.

"इस्स्स....... ऊफ्फफ्फ्फ़.... एक गरम सी लहर हरिया के लंड से साबी के हाथो मे जा समाई.

हरिया का लंड किसी गरम लोहे की तरह तप रहा था.

परिणाम साबी के मुँह से एक हलकी सिस्करी निकल पड़ी.

उसे तुरंत हाथ हटा लेना चाहिए था, लेकिन नहीं ना जाने किस जाल मे फ़सी थी.

एक टक अपने हाथ मे थामे हरिया के लंड को देखे जा रही थी, लंड ऐसा की हाथ मे समा ही नहीं रहा था,

मुट्ठी पूरी बंद भी नहीं हो पा रही थी, जिस्म जल रहा था, पिघल रहा था.

ये पिघलान चुत के मुहने चुने लगी थी.

साबी हैरान थी ऐसा कैसे हो सकता है, उसके पति का लंड तो उसकी हथेली मे छुप जाया करता था.

"सोच क्या रही हो मैडम, हिलाओ ना हरिया का लंड "

पीछे खड़े कालिया ने अपनी कमर को आगे की तरफ झटका दिया, उसका लंड साबी की गद्दाराई गांड मे धसने को बेताब था.

"आउच.... आअह्ह्ह.....आए.. हैं... हाँ... करती हूँ " साबी उस चोट से जैसे होश मे आई.

उसका हाथ ना जाने किस आवेश मे हरिया के लंड पर रेंग गया.

"आअह्ह्ह...... मैडम जी कितने कोमल है आपके हाथ " हरिया ने भी ऐसा अनुभव कहाँ पाया था,

लगता था जैसे किसी रुई के ढेर मे उसके लंड को कस दिया गया हो.

साबी जैसे किसी जादू टोटके मे बँधी थी, उसके हाथ खुद बा खुद हरिया के लंड को तराशने लगे.

जैसे वो उसकी लम्बाई मोटाई नाप रही हो.

पीछे खड़ा कालिया अपने लंड की धार साबी के गद्दाराई गांड मे लगा रहा था.

साबी को इस बात का अहसास था, लेकिन वो ये अहसास और ज्यादा चाहती थी उसकी तरफ से कोई आपत्ति ना देख कालिया बिल्कुल जा चिपका.

एक कड़क लोहे की तरह गरम चुज साबी की गांड की दरार मे जा धसी, गाऊन का कपड़ा दोनों पाट मे समाता चला गया.

जैसे जैसर गांड पे दबाव पड़ता, वैसे वैसे साबी के हथेली का दबाव हरिया के लंड पर कसता जाता.

सही के हाथ हरिया के लंड पर दौड़ पड़े थे, पीछे को खिंचती तो एक गुलाबी आलू के आकर का हिस्सा बाहर आ जाता जिस पर कुछ सफ़ेद सफ़ेद सा लगा था, झट से चमड़ी आगे कर उस हिस्से को ढक देती.

कालिया भी कब टक देखता बेचारा, उसने भी अपने लंड को साबी के दूसरे हाथ मे थमा दिया.

अब साबी को इस से क्या परहेज होता.

साबी ने महसूस किया की कालिया का लंड ज्यादा मोटा है, चाह कर भी उसे अपनी हथेली मे भर नहीं पा रही थी.

लेकिन वो लड़की ही क्या जो लंड से हार मान जाये.

साबी का मादक जिस्म तड़प रहा था, मचल रहा था दोनों लंड की गर्मी उसके हाथो से होती सीधा चुत टक जा रही थीअब ye खेल सिर्फ पेशाब मा नहीं रह गया था.

साबी कस कस कर दोनों के लंड घिस रही थी, शायद बच्चों मे जिन्न और चिराग की कहानी सुनी हो उसी प्रेरणा से वो दोनों के लंड घिस रही थी.

हाथ कुछ कुछ पसीने और लंड से निकली कुछ लिसलिसी चीज से गीले हो चले थे.

"आआहहहह.... बस बस.... उफ्फ्फ.... मैडम रुको हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...." कोमल मादक उत्तेजित हाथो की रगड़ दोनों ना झेल सके.

लेकिन साबी जैसे कही खोई हुई ही, उसके हाथ अभी भी उनके लंड को घिस रहे थे.

आअह्ह्ह.... मैडम.... " दोनों ने अपने अपने लंड को झटके से आज़ाद करा लिया.

हुम्म्मफ़्फ़्फ़.... ह्म्म्मफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...... मैडम क्या कर रही है आप, नोच लोगी क्या " दोनों के चेहरे लाल थे.

साबी इस झटके से जैसे होश मे आई हो, वो क्या कर रही थी, वो इतनी उठावली कैसे हो गई थी.

"सससस..... सोरी.... सॉरी मैंने सुना नहीं " साबी का मन ग्लानि से भर गया, लेकिन जिस्म अभी भी हवस की आग मे था आंखे लाल हो गई थी, वो रुकना नहीं चाहती थी.

"अब शायद पेशाब आ जाये " दोनों कार का रेडिएटर खोल अपने अपने लंड को उसके मुहाने पर टिका दिया.

"टप... टप.... टप...." लेकिन ये क्या मात्र 2 बून्द ही गिरी.

"उफ्फ्फ.... मैडम जी पेशाब तो अभी भी नहीं आ रहा?"

कालिया ने फिर से मुँह बना लिया.

"त्तत..... तो... अब.... तुमने जो कहाँ मैंने कर तो दिया " साबी ने भी बड़ी मासूमियत से कहा.

"क्या कर दिया? आप हमारे लंड को नोंचने मे लगी थी,"

"वी... वो..... वो.... सॉरी... जल्दबाज़ी मे हो गया " साबी ने साफ झूठ बोल दिया, ये काम जल्दबाज़ी मे नहीं बल्कि हवस मे हुआ था उसका जिस्म ऐसे भयानक खूबसूरत काले लंड देख बेमानी पर उतर आया था.

"इसे प्यार से सहलाते है मैडम, कभी अपने पति का नहीं हिलाया क्या "

दोनों अब खुल के उसके निजी पलों के बारे मे बात कर रहे थे, धीरे धीरे साबी और फसती जा रही थी.

अब साबी क्या कहती, उसे कभी जरुरत ही नहीं पड़ी, कभी हाथ मे लिया भी तो अहसास ही नहीं की हाथ मे कुछ है "न्नन्न... ननन.... नहीं "

साबी धीरे से बोल गई.

"क्या मैडम शादीसुदा हो फिर भी " ये बात एक टोंट मे कही है जैसे कालिया ने उसे धिक्कारा हो.

"कोई बात नहीं हम है ना, आप चाहे तो इसे मुँह मे ले के सहला दीजिये, शायद तब पेशाब आ जायेगा " हरिया ने बेबाक प्रस्ताव रख दिया.


Contd...

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