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मेरी बेटी निशा -14

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आज पहली बार उसने वीर्य का स्वाद चखा था। और उसे बिलकुल भी बुरा नहीं लग रहा था। शायद शहद थोड़ी मदद कर रही थी।
निशा कूछ १० मिनट तक शहद और वीर्य चाटती गयी।
और जगदीश राय , हाफ्ता रहा। पूरा लंड लाल हो चूका था। लंड की चमड़ी दर्द कर रहा था। 
निशा ने फिर टट्टो को भी चाटकर साफ़ किया।
कफी सारा शहद और वीर्य लंड से गलकर , टट्टो से सैर करके , गांड तक पहुच गयी थी।
निशा : पापा…चलिए …अपना पैर पूरा ऊपर कीजिये…।
जगदीश राय बिना कुछ कहे ,पैरो को कंधे तक ले गया। और निशा ने अपने पापा का साफ़ सुथरी गांड में से शहद और वीर्य चाटने लगी। 
गाँड पर निशा की जीभ लगते ही जगदीश राय के लंड से वीर्य कुछ बूंद और निकल पडा।
जब निशा ने पापा के सब अंग शहद और वीर्य से साफ कर दिया, तो संतुष्ट होकर राहत की सास ली।
जगदीश राय: यह क्या था बेटी…मैं ने ऐसा कभी सोचा नहीं था।।।
निशा: क्यों आपको मजा नहीं आया…।
जगदीश राय:मज़ा तो बहुत आया…पर …पर…दर्द भी बहुत हुआ…देखो तो ।।मेरे लंड को…कैसा लाल हो गया है…अगले ४ दिन तक तो इसे हाथ भी नहीं लगा सकता…
निशा: आप ने तो कहा था न…जो सजा देना चाहे दे सकती हो…सो यह थी मेरी सजा…हे हे…याद आया…
जगदीश राय:ओह ओह…तो मेरी बेटी …अपनी पापा से बदला ले रही थी…
निशा:।हाँ जी…स्वीट बदला…।हा हा
जगदीश राय : चलो सजा तो पूरा हुआ…
निशा: जी नही…अब और सजा मिलेगी…रुको …चलो बैडरूम में…आपको तो अपनी निशा को आज पुरे दिन खुश करना था न।
जगदीश राय: अरे नही…अभी नहीं…।लन्ड तो बहुत जल रहा है…।
निशा हँस पडी।
जगदीश राय, उठकर बाथरूम जाने लगा।
तब निशा ने रोक लिया।
निशा: पापा…एक मिनट…ये क्या है…यहाँ तो प्यार से दो बूंद लटक रहे है।।
जगदीश राय के अर्ध-खडे लंड में वीर्य का बूंद लगा हुआ था।
निशा ने अपने मुठी से पापा के लंड को बेदरदी से अपनी तरफ खीच लिया।
चोट खाया हुआ लंड निशा के इस बरताव से जगदीश राय चीख़ पडा।।
जगदीश राय: अरे …बेटी… लंड नहीं…आह्ह्ह्हह
निश ने तुरंत लंड को मुह में ले लिया। और वीर्य चाट लिया।
लंड को मुँह के सलीवा से राहत महसूस हो रहा था।
जगदीश राय: अरे वाह… तुम्हारे मूह में आराम मिल रहा है…
निशा: इसलिए तो कहती हु चलो बेडरुम।पुरा दिन अब लंड मेरे मुह में होगा। ठीक है…
जगदीश राय: अच्छा…तो यह सब तुम्हारी चाल थी…लंड मुह में घुसाये रखने की…
निशा: हे हे…हाँ…आल माय प्लानिंग…एक मिनट…बैडरूम में जाने से पहले।।।
फिर निशा ने लंड को बाहर निकाला। लंड अब फिर से थोड़ा खड़ा हो चूका था।


निशा ने लंड को अपने मुठी में लेकर ज़ोर से दबाया। जगदीश राय गुर्राने लगा।
लंड के द्वार पर एक छोटी सी प्यारी सी वीर्य के बूंद उभरकर आयी। 
निशा ने उसे चाटते हुए कहा।
निशा: गोल्डन ड्राप कैसे छोड सकती हूँ…चलिए अब…थोड़ी देर मुह से सहलाऊंगी …फिर चूत से…।
निशा- पापा आज आपका बर्थ डे है ना.. तो आप मुझे कितनी बार चोदोगे?
जगदीश राय- जब तक मेरे लंड में जान है तब तक चोदूँगा.
निशा- अच्छा ये बात है.. और कैसे कैसे चोदोगे वो भी बता दो.
जगदीश राय- अभी तो सीधे लेटा कर ही शुरू करूँगा. उसके बाद तुझे घोड़ी बनाकर चोदुँगा।उसके बाद गोद में लेकर चोदूँगा, फिर तुझे अपने लंड के ऊपर बैठाकर कुदवाऊंगा.. तू बस मज़े लेना.
निशा- इतनी बार चोदोगे तो मैं थक नहीं जाऊंगी.. फिर कैसे मज़े?
जगदीश राय- हा हा हा… ऐसे कैसे थकने दूँगा मेरी जान को.
बीच बीच में अपना जूस भी पिलाता रहुँगा मेरी जान।

दोनों में तकरार चलती रही और इस तकरार के साथ प्यार भी हो रहा था. अब जगदीश राय निशा को बेदर्दी से रगड़ रहे थे. उसके मम्मों को ज़ोर ज़ोर से दबा रहे थे, कभी चूस रहे थे।काट रहे थे।

निशा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… पापा दुख़ता है.. आह.. नहीं उफ ऐसे चूसो.. मेरी चुत को भी चाटो ना आह.. सस्स आह…

अब दोनों उत्तेज़ित हो गए थे. जगदीश राय ने निशा को ऊपर लेटा लिया और दोनों 69 के पोज़ में आ गए. अब ज़बरदस्त चुसाई शुरू हो गई और निशा की चुत का सारा दर्द गायब हो गया. उसमें खुजली होने लगी, जो सिर्फ़ लंड से ही दूर हो सकती थी.

निशा- आह.. सस्स पापा बस.. अब बर्दाश्त नहीं होता.. घुसा दो अपना अज़गर अपनी बेटी की चुत में.. उफ इसमें बहुत आग लगी है.
जगदीश राय ने निशा के पैरों को कंधे पे रखा और लंड के सुपारे को चुत पे टिका कर हल्के से धक्का मारा. उनका आधा लंड चुत में चला गया और निशा की चीख निकल गई.
जगदीश राय पर कोई असर नहीं हुआ उन्होंने लंड को पूरा बाहर निकाला और एक जोरदार झटका मारा, अबकी बार पूरा लंड चुत में समा गया.


निशा- आह ओह पापा आह.. आपने तो कहा था अब दर्द नहीं होगा ओफ… मर गई..
जगदीश राय- मेरी बेटी ये थोड़ी देर होगा.. ले चुद अपने पापा से आह.. ले आह…

जगदीश राय ताबड़तोड़ चुदाई करने लगे और हर झटके पे निशा की चीख निकल जाती।

करीब 20 मिनट तक जगदीश राय दे दनादन अपनी बेटी की चुदाई करते रहे, तब कहीं जाकर निशा की चुत में लंड अड्जस्ट हुआ. अब दर्द मीठा हो गया था और चुत में पानी रिसने लगा था, जिससे लंड को अन्दर बाहर होने में आसानी हो गई. अब निशा की चुत में खुजली भी बढ़ गई, अब वो भी मजा लेने लगी थी.

निशा- आ आह.. फक मी पापा.. आह.. फक मी हार्ड आइआह.. सस्स फाड़ दो मेरी चुत को आह.. नहीं ज़ोर से करो पापा आह.. मेरी चुत गई पापा चोदो मुझे आह आह फास्ट करो पापा और फास्ट आ आह…

निशा की उत्तेजना अब चरम पर पहुँच गई थी. उसकी चुत से रस की धारा बहने लगी. गर्म रस जब जगदीश राय के लंड से टकराया तो उन्होंने स्पीड और बढ़ा दी और निशा को हावड़ा एक्सप्रेस की स्पीड से चोदने लगे.

निशा का पानी निकल चुका था, वो बेजान सी होकर पड़ गई, मगर जगदीश राय अभी कहाँ झड़ने वाले थे, वो तो मज़े से निशा की चुत चोदने में लगे हुए थे.

निशा- आह.. पापा.. बस भी करो आह.. मेरी चुत में जलन होने लगी है.. थोड़ा रेस्ट तो दो आह.. प्लीज़ मान जाओ ना आह…

जगदीश राय को निशा की हालत पर तरस आ गया, उन्होंने एक झटके में लंड बाहर निकाल लिया और फ़ौरन निशा को बैठा कर उसके मुँह में लंड घुसा दिया. निशा कुछ समझ ही नहीं पाई और जगदीश राय अब उसके मुँह को चोदने लगे।
थोड़ी देर निशा ने मज़े से लंड को चूसा. उसके बाद इशारे से पापा को कहा कि अब वापस चुत में पेल दो. तब जगदीश राय ने उसको घोड़ी बनाया और उसकी गांड को कस के पकड़ कर शॉट मारने लगे. निशा को अब मजा आने लगा था. वो गांड को हिला हिला कर चुदने लगी.

करीब 30 मिनट तक जगदीश राय निशा की पलंगतोड़ चुदाई करते रहे. उस दौरान वो दो बार झड़ गई. उसके बाद जगदीश राय ने अपना सारा रस उसकी चुत में भर दिया.
इस चुदाई के बाद दोनों बिस्तर पे लेटे छत की तरफ़ देखने लगे.निशा की हालत देखने लायक थी, वो लंबी लंबी साँसें ले रही थी उसके पापा ने बहुत चोदा था आज उसे… और जगदीश राय उसके सीने से चिपके हुए बस ऊपर देख रहे थे.
निशा मन ही मन सोच रही थी ” आखिर पापा को खुश कर दिया मैंने!”
दोनों थोड़ी देर दोनों शांत रहे, उसके बाद फिर चुदाई का दौर शुरू हुआ. इस बार जगदीश राय ने निशा को गोद में उठा लिया और हवा में उसकी चुदाई की. उसके बाद उसको अपने लंड के ऊपर कुदवाया. पूरे दिन में जगदीश राय ने 5 बार अपने लंड का रस कभी निशा की चुत में तो कभी चेहरे पर गिराया और निशा का तो पता नहीं कितनी बार पानी निकला होगा. वो एकदम टूट गई, उसमें अब जरा भी हिम्मत नहीं थी, उसका सर चकराने लगा था. आख़िर में उसकी हिम्मत जवाब दे गई. वो बिस्तर पर पेट के बल बेसुध होकर सो गई. उसके साथ जगदीश राय भी ढेर हो गए और उससे चिपक कर सो गए.

अब शाम होनेवाली थी।जगदीश राय निशा को बेड के सहारे कुतिया बना के पीछे से जबरदस्त चोद रहे थे पूरा बेड हिल रहा था। बेड के कोने पर समोसा और केक का खाया हुआ प्लेट पड़ा हुआ था।और प्लेट ज़ोरो से हिल रहा था। 
जगदीश राय निशा को पीछे से लंड घूसा घुसाकर , तेज़ी से चोद रहा था।
निशा पैर खोलना चाहती थी , पर जगदीश राय निशा का पैर बंद करके चोद रहा था।
और पूरा बेड हिल रहा था। शाम के 4 बज रहे थे और निशा गिनती भूल चुकी थी की वह कितनी बार झड चुकी थी। 
हर बार चोदने के बाद दोनों कुछ खा लेते और फिर शुरू हो जाते।
पर अब निशा थक चुकी थी। उसका चूत सुज चूका था और दर्द कर रहा था। बालो, हाथ, गाल और होठ पर वीर्य लगा हुआ था।
पर उसके पापा रुकने का नाम नहीं ले रहे थे।
उपर से निशा के पैर बंद होने के कारण चूत और सिकुड़ गयी थी। और जगदीश राय को और मजा आ रहा था। और निशा को दर्द भी हो रहा था।
निशा: पापा…बस करो…अब दर्द बढ़ चुकी है…देखो…कैसे लाल हो गयी है चूत
जगदीश राय: बेटी…बस अब रोक नहीं सकता…निकल ही रहा है…
निशा: आआह्ह…।धीरे…।कहा न मैंने…।।
जगदीश राय ओर्गास्म के कगार पर जोर जोर से गांड के ऊपर अपने जांघे पटकने लगा और फिर
लंड लेके निशा के मुह के पास ले गये।
जगदीश राय: यह ले बेटी…।और चाट ले मलाआईईई…
निशा ने बिना संकोच लंड को मुह में लेने के लिए बढी, पर उसके पहले ही एक तेज़ वीर्य की धार निशा के होठ और गाल पर पडी।
निशा ने तेज़ी से लंड मुह में घूसा लिया और बाकि के 5 मिनट तक चुसती रही। 
निशा को अब वीर्य का स्वाद भा गया था और यह बात उसके पापा जान चुके थे। और निशा भी , हर बूंद को निचोड रही थी।
जगदीश राय:वाह…बेटी…मज़ा आ गया…आज का दिन मैं कभी नहीं भूलून्गा।।सच कहता हूँ।।।बेस्ट डे ऑफ़ माय लाइफ।।।
निशा, लंड को जीभ से चाटते हुयी।
निशा: हम्म्म…।मुझे भी…पर देखो क्या हाल है मेरा…पूरे शरीर पर वीर्य लगा हुआ है आपका…और चूत तो देखो …माय गॉड…सुज गयी है…पूरी…
निशा, पापा के सामने, चूत खोलकर दिखा रही थी। जगदीश राय ने निशा को बॉहो में भर लिया।
जगदीश राय: अरे वह तो होगा ही…इस बर्थडे बॉय को खुश करना इतना आसान थोड़ी है।।।और बर्थ डे बॉय के लंड के क्या कहने।।।हे हे
फिर निशा प्लेट से एक समोसा का टुकड़ा लेकर खाने लगी। 
गालो पर लगा वीर्य के बूँदे फिसल कर निशा के मुह में जा रहे थे। 
और निशा बिना कुछ संकोच समोसा के साथ वीर्य को भी खाए जा रही थी।
जगदीश राय यह देखकर मुस्कराया, खुश हो गया।
Contd....

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