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मेरी संस्कारी माँ -2

 अपडेट -2 मेरी संस्कारी माँ

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मतलब वो कच्छी जो इस ट्रक से गायब थी,  आज ही की थी, मतलब वो कच्छी आज सुबह ही मम्मी ने अपनी संस्कारी चुत से उतारी होगी और वो दाग मेरी मम्मी की चूत का पानी था मतलब वो हरामजादा आज एकदम ताजी माँ की चूत वाली कच्छी को देख रहा था और अपने साथ लेकर भी गया,  लेकिन अभी भी मै क्लियर नहीं कह सकता था कि कच्छी वही लेकर गया है, हो सकता है हवा से उड़ गई हो, कही मै ज्यादा तो नहीं सोच रहा. मैंने उस मुद्दे को अपना वहम समझ के जाने दिया.


खैर आज मैं बहुत थक गया था और फिर ट्रक से सारा सामान उतार कर हम घर मे चले गए और घर का सामान सेट करवाने लगे, अब रात हो चुकी थी लेकिन मेरे दिमाग मे दिन वाली घटना ही चल रही थी, मेरा यहा मन भी नहीं लग रहा था.

खेर मम्मी अब काम निपटा कर खाना बनाते हुए पापा से बोली "आप भी ना घर मे किस किस को बुला लेते हैं वो लड़का कोन था, जो आज बिस्तर रखने आया था कितना गंदा था वो छी,मैं तो कल पूजा करवाऊंगी घर मे"

"मैंने कोनसा बुलाया था वो तो ड्राइवर ने मदद के लिए बुला लिया था, शायद ये सामने वाली दुकान उसी लोंडे की होगी" पापा ने अपनी बात कही.

मम्मी कुछ ना बोली बस नाक मुँह सिकोड़े खाना बनाती रही, पापा से बहुत गुस्सा थी. खाना बनाने के बाद ही पूरा घर पानी से धोया, साफ सफाई की और लगे हाथ पूजा पाठ भी कर दिया.

खाना खाने के बाद मै छत पर चला गया। मेरा मन नहीं लग रहा था उस समय रात के 10 बज चुके थे, तभी मेरी नजर उसी कसाई की दुकान पर गई, यकायाक मुझे वह कच्छी वाली बात याद आने लगी और मेरा दिमाग खराब हो गया, उसकी हिम्मत केसे हुए मेरी मां की कच्छी देखने की और अपना गंदा थूक फेंकने की, उस हरामजाद की तो मां चोद दूंगा कमीना साला और फिर ध्यान आया कि मम्मी की पैंटी भी तो गायब थी आखिर कहाँ गई होगी मां की पैंटी....कही उड़ तो नहीं गई होगी, वो असलम जेब मे कुछ ठूस तो रहा था.

बार बार यह बात मेरे दिमाग में घूम रही थी.

 एक बार तो मन कीया की मम्मी से ही पूछ लू कि आपकी पिंक वाली पैंटी कहाँ है, लेकिन कोई बेटा अपनी माँ से ऐसा सवाल कर सकता है भला. मै बहुत परेशान था, आस पास कोई आदमी भी नहीं दिख रहा था, सामने कसाई की दुकान भी बंद हो चुकी थी चारो तरफ अंधेरा और सन्नाटा पसरा हुआ था,

 तभी मैंने सोचा चलो थोड़ा बाहर तक घूम कर आते हैं, और फिर मै पापा मम्मी से बोलकर बाहर घुमने के लिए निकल पड़ा, और थोड़ी देर घर के बाहर घूमा और फिर मेरा मन हुआ की चलो थोड़े आगे सामने की तरफ चलता हूँ जहाँ कसाई की दुकान थी,  मेने अपनी नाक बंद की और दुकान के पास जाने लगा... कसाई की दुकान एक झोपडी मे बनी हुई थी, पास गया तो देखा अंदर से थोड़ा सा उजाला आ रहा था.

मैंने चारो तरफ देखा तो उधर कोई भी नहीं था, पता नहीं मुझे क्या हुआ मेरा मन हुआ कि चलो देखते हैं कि कसाई की दुकान केसी होती है मुझे लगा था कि अब वो कसाई दुकान बंद करके अपना घर चला गया होगा, मेने कभी कसाईं की दुकान नहीं देखी थी, मै नाक बंद कर आगे की तरफ बढ़ा और अंदर  देखने के लिए कुछ सुराख़ या दरार ढूंढने लगा,  लेकिन कुछ अंदर देखने को मिल नहीं रहा था,  मै झोपड़ी के पीछे की तरफ गया और थोड़ी माशाक्कत करने के बाद मुझे झोपडी के अंदर देखने का एक अच्छा छेद मिल गया और जो मैंने अंदर देखा उसे देखने के बाद मेरा मुंह खुला का खुला रह गया.

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मेने देखा अंदर से झोपडी बहुत ही गंदी थी, वहा पर मुर्गियो फड़फड़ा रही थी, कुछ मुर्गिया जमीन पर दाना खा रही थी, और दो ड्रम पानी के भरे पड़े थे,  एक बहुत ही बड़ा चाकु था जिस पर खून लगा हुआ था,  और मास के चिथड़े और खून के धब्बे यहाँ वहा पड़े हुए थे, तभी मेरी नजर झोपडी के कोने पर गई, मतलब जहाँ मै खड़ा था उसके साइड मे ही, उस नजारे को देख मेरा खून खोल उठा,  मैं आग बबुला हो गया, मैंने अपनी आंख वहा से हटा ली,  जो मैंने देखा था वो मेरे लिए बहुत शौकिंग था.

मैंने देखा वहां पर एक चारपाई पड़ी है उस पर मेली सी चादर बिछी हुई है, और उस चादर पर एक नंगा बिल्कुल नंगा लड़का लेटा हुआ है,

 वो लड़का और कोई नहीं वह सुबह जो मेरे घर हेल्प करने आया था वही था जिसका नाम असलम खान था.

उसके तन पर एक भी कपड़ा नहीं था,  उसका एक हाथ बहुत तेजी से हिल रहा था मैंने उसके हिलते हाथ का पीछा किया तो मेरे पाँव तले जमीन खिसकने को हुई, उसका हाथ उसके लंड पर था,  लोडा मानो लोहे की तरह एकदम सीधा 4 इंच मोटा 9 इंच लंबा काला आगे से छिला हुआ तगड़ा मोटा लंड था,  ऐसा भयानक लंड मैंने सिर्फ ब्लू फ़िल्म मे ही देखा था,मुझे यकीन नहीं हुआ इतना बड़ा लंड असली मे भी हो सकता है? 20231129-153006

 इतना भयंकर लंड,  लेकिन मेरे लिए वो लंड शोकिंग नहीं था, मैंने कुछ और ही देखा जिसके चलते मेरी सांस चढ़ गई,

 असलम का लंड तो था ही बड़ा लेकिन उसके लंड पर जो चीज थी वो मेरे होश उड़ा रही थी, उस कमीने कसाई असलम के लौंड पर एक पतली जालीदार गुलाबी चिकनी मलाई जैसे कपडे की एक चीज लिपटी हुई थी, जिसे मै बहुत अच्छी तरह से पहचानता था...क्यूकी वो और कुछ नहीं मेरी मम्मी की मेरी सती सावित्री मम्मी की यूज़ की हुई कच्छी थी,

उस कसाई ने मेरी मम्मी की पैंटी को अपने लंड पर लपेटा हुआ था, चारो तरफ से और जहाँ से पैंटी चुत पर पहनी जाती है, जहाँ वो कच्ची मेरी मम्मी की चुत पर आती थी, चुत की दरार मे घुस जाती थी, जहाँ पर दाग लगा हुआ था मेरी मम्मी की चुत के पानी का उस जगह को उस कुत्ते ने अपने लंड के टोपे पर टिका रखा था, और बड़ी तेज अपना बड़ा लंड ऊपर नीचे कर रहा था वो कसाई.

मतलब मेरा शक सही था वो कमीना सुबह दोबारा मेरी मम्मी की कच्छी लेने के लिए ट्रक मे चढ़ा था, मेरा खून खोल उठा था

 एक कसाई मेरी मम्मी की पैंटी के साथ ऐसा केसे कर सकता है?  हे भगवान कितने शर्म की बात है छी.... मैंने फैसला कर लिया था कि अब मैं अंदर जा रहा हूं झोपडी मे और इस कसाई को इसकी औकत याद दिला देता हूं,

 हलाकी मै अभी उस से उम्र मे 3- साल छोटा था और उसका शरीर भी मुझसे काफी अच्छा था, लेकिन मुझमें हिम्मत की कोई कमी नहीं थी, मेरे लिए मेरी मां मेरा संसार थी हमारे घर की इज्जत थी पूजनीय थी... और वो कमीना मेरी मां की चीज के साथ ऐसा गंदा काम करेगा तो मैं उसे मार दूंगा.

मैं आगे बढ़ने ही वाला था कि मेरे कदम खुद से रुक गयी "अगर मेरी इससे लड़ई हुई तो घर वालों को भी पता चल जाएगा पापा को भी और मम्मी को भी... जब वो मुझसे पूछेगी कि लड़ाई क्यों कि तूने तो मैं क्या जवाब दूंगा? एक बेटा ये कहेगा अपनी मां बाप से कि उसने तुम्हारी कच्छी से अपना लंड रगड़ा था इसलिए मैंने उसे मारा?   मेरे घरवालों की क्या इज्जत रह जाएगी? अगर यहां सबको पता चल गया कि वो मेरी मां की कच्छी में मुंह मार रहा है तो लोग हंसेंगे और मम्मी का तो बाहर निकलना मुश्किल होगा बाजार जाना और मंदिर जाना.

नहीं नहीं नहीं... मै ऐसा कुछ नहीं कर सकता, अभी ये बहुत जल्दी होगा मुझे यहां आये हुए एक दिन भी नहीं हुआ अगर लड़ाई हुई तो यहां हमारा कोई जानने वाला भी नहीं है"

मेरे विचारों ने मेरे कदम रोक लिया, मै खुद से अपनी माँ की इज़्ज़त उछालने चला था.

मेरे कदम वापस पीछे को हट गयी और आंखे वापस उसी छेद पर जा टिकी ना जाने क्यों मै उस पल मे बंध गया था, मै देख लेना चाहता था की आखिर असलम करता क्या है?

 इस बार उसके एक हाथ मे लंड था और दूसरे हाथ मे मां की गुलाबी जाली वाली कच्छी, वो पैंटी को मां की चूत वाली जगह से अपनी नाक पर लगा जोर जोर से सांसे खिंच रहा था, मेरी संस्कारी माँ की चूत की कामुक मादक महक को सूंघने लगा और अपना लंड तेजी से हिलाने लगा, मेरा खून अब अपने उबाल पर था, मैं बहुत गुस्से में था लेकिन मेरी नजर उसकी हरकतों पर ही थी,  पता नहीं क्यू मेरे जिस्म मे एक गर्मी सी महसूस हो रही थी, जब मैंने नीचे देखा तो मेरी भी लंड खड़ा था, एक दम टाइट, जिसका मुझे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था,  मेरा 5 इंच का लंड तन चूका था अभी तक मुझे भी पता नहीं चला था कि मेरा लंड खड़ा हो चुका है,  वो कमीना मम्मी की कच्छी को हर जगह से खा रहा था,  अपनी गंदी जबान से चाट रहा था, चुत के पानी का स्वाद चख रहा था.

अचानक उसने आपने हाथो की गति तेज कर दी, तेजी से अपने बड़े लंड आगे पीछे करने लगा. मै एकटक उसकी कामुक गन्दी हरकत को देखे जा रहा था, की तभी असलम के लंड से एक मोटी सफेद धार वाली पिचकारी निकली पुछह्ह्ह्ह...... पिचकारी इतनी तेज थी कि सामने वाली दीवार तक उसके वीर्य की धार पहुंच गई,

 हे भगवान इतनी मोटी वीर्य की पिचकारी ये इंसान है या हैवान? 20231207-162040 मै भी कभी कभी मुट्टी मार लेता था लेकिन मेरी तो कभी ऐसी पिचकारी ही नहीं निकली थी,  और इतना गाढ़ा मलाई जेसा वीर्य तो कभी देखा ही नहीं था मैंने, ऐसा वीर्य किसी बाँझ औरत की चूत मे चला जाए तो उसके खेत फसल से लहलहा जाये.

आअहह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह बहनचोदी सामने वाली आंटी क्या माल आया है मेरी दुकान के सामने.... साली एकदम कुतिया लगती है क्या कपडे पहनती है, अह्ह्ह्हहहह....लंड मोटा हो गया सोच सोच के, uffff..... आह्ह साली रांड क्या ब्लाउज साड़ी पहनती है पूरी कमर नंगी दिख रही थी... आअहहहहह..... उउउउफ्फ्फ्फ़..... ऐसा माल तो साला अलीगढ़ में कभी नहीं देखा... साली का जवान लोंडा है फिर भी प्यासी लगती है, उफ्फ्फ.... क्या कमर है शहरी मैडम की.... असलम तेरी तो किस्मत खुल गई, तेरी दुकान सामने ही रहेगी अब तो... क्या मस्त कच्छी पहनती है साली.... आहहह.... ये जाली वाली कच्छी...... पहले कभी मुँह मारने में इतना मजा नहीं आया जितना आज आया है बहनचोद.... आअहह.. हहहह.... उउउफ्फ्फ्फ़....

अंदर कमीना असलम मुठ मरता हुआ बड़बड़ा रहा था. sexy-man-masturbates-wanting-you-001

और मै नामर्द की तरह वो सब सुन रहा था, साला मेरी माँ के बारे में मैं गंदी गंदी बातें कर रहा था,  मेरी माँ को मेरे सामने कुतिया, रंडी, छिनाल कह कर अपना लंड हिला रहा था.

तभी उसने मुंह से कच्छी को हटा दिया और अपने लंड पर लगा अपना सारा गंदा गाढ़ा वीर्य मेरी माँ की कच्छी ने पोंछ दिया.

मेरी माँ की गुलाबी कच्छी उसके सफ़ेद गाढ़े गंदे वीर्य से सफ़ेद चिपचिपी हो गई थी, मानो किसी ने फेविकॉल गिरा दिया हो, उसने अच्छे से लंड को कच्छी साफ किया,  फिर बोला "आअहह रंडी क्या महक है तेरी चूत की अह्ह्ह्ह... उफ्फ्फ.... आज तो जन्नत का मजा आ गया बहनचोद.... आअहह... साली क्या आइटम है,  जब उसकी कच्छी सूंघ के लंड हिलाने मे इतना मजा आया तो जब उसकी घोड़ी बनाकर लूंगा तो कितना मजा आएगा बहनचोद,  आअहह....मेरी रांड सामने वाली आंटी.

तुझे इस लंड पर तो एक दिन चढ़ा के रहूंगा मेरी जान" असलम अभी भी बड़बड़ा रहा था मेरी माँ को गन्दी गन्दी गालिया दे रहा था, वो कुत्ता मेरे ही सामने मेरी माँ को चोदने की बात कर रहा था. 

मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने फैसला किया कि अब पापा को उसकी गंदी हरकत के बारे में बता ही दूंगा, अब हम यहां नहीं रहेंगे, हम वापसी करेंगे चले जाएंगे.

लेकिन यहाँ नहीं रहेंगे... कुछ भी हो मै पापा को मना लूंगा....

एक बेटा ये सब नहीं सुन सकता इतनी गंदी गंदी बातें एक कसाई 2 कोडी का कसाई आपकी मां के बारे में गंदी बाते करे उसकी कच्छी पर मुठ मारे उसकी कच्छी को अपने गंदे लंड से रगड़े, एक संस्कारी बेटे के लिए ये नरक मे डूबने वाली बात है.

 असलम अब पूरी तरह से झड़ चुका था लेकिन उसका लोडा वेसे का वेसा ही ताना हुआ था, मैं तो एक बार भी मुठ मार लू तो अगली सुबह तक लंड की माँ चुद जाती है, मुर्झा जाता है.

 लेकिन उसका लंड ढेर सारा वीर्य गिराने के बाद भी जैसा का तैसा ही था.

खैर मैं घर जाने के लिए पीछे हो ही रहा था कि तभी असलम ने अपनी लुंगी पहन ली और बाहर निकल गया.

उसके हाथ में अभी भी मम्मी की कच्छी थी, जो पूरी वीर्य से सनी हुई थी, मैं असलम को झोपडी के पीछे से देखने लगा असलम मेरे घर की तरफ ही बढ़ रहा था, उस समय रोड एकदम सुनसान थी.

असलम मेरे घर के बिल्कुल सामने आ गया और फिर उसने मम्मी की गंदी कच्छी जिस पर उसका वीर्य गिरा हुआ था, उसको हमारे क्वार्टर की छत पर फेंक दिया.

 मैं सोच मे पड़ गया ये हो क्या रहा है, दिमाग़ भन्ना गया था,  मादरचोद ने मेरी मम्मी की कच्छी यूज करके उसपे माल निकल कर वापस मेरे घर की छत पर फेंक दी. 

मन तो कर रहा था साले को अभी जाकर पीछे से मार डालू,  पकड लू की तूने क्या फेंका है... पर मै ऐसा कर नहीं सका.

मुझे घबराहट हो रही थी कि अब क्या होगा,  मम्मी ने अपनी कच्छी को इस हालत में देख लिया तो क्या होगा?

कही वो..... कही... वो....... हे भगवान.... कुछ भी समझ नहीं आ रहा.

उसके बाद असलम कसाई वापस अपनी झोपडी मे घुसा और नंगा होकर खाट पर सो गया.

कुछ देर बाद मै भी झोपडी के पीछे से निकल गया, मुझे बहुत गुस्सा और टेंशन हो रही थी.

सड़क पर थोड़ा आगे चला तो साइड मे ही सिगरेट का खोका दिख गया मै कभी कभी टेंशन मे स्मोकिंग कर लेता था घरवालो से छुपकर, आज भी मैंने एक सिगरेट ली और पीने लगा और आज मेरे साथ जो हुआ सब कुछ दिमाग में घुमने लगा, 

सिगरेट पीने के बाद मै खाली रास्ते में मूतने के लिए अपने लंड को बाहर निकाला, मेने देखा आज मेरी 5 इंच की लुल्ली पूरी तरह से खड़ी,फनफना रही थी ..क्यूकी बार बार मुझे असलम का मेरी माँ की कच्छी मे मुठ मरना याद आ रहा था.

 उसके बाद मै घर आ गया और आज बहुत थक गया था तो पता नहीं चला कब नींद आ गई, 

मेरी आंख सीधे सुबह 9 बजे खुली...

Contd....


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