चैप्टर :-4 कामवती का पुनः जन्म अपडेट -24
गांव घुड़पुर
"हमें अपने भाई विचित्र सिंह की चिंता हो रही है वीरा, बहुत दिन बीत गए उसकी कोई खबर ही नहीं है "
रूपवती अपने घोड़े वीरा के साथ चिंतित अवस्था मे हवेली के पास ही जंगल मे घूम रही थी.
जब से वीरा ने उसकी चुदाई की है वो वीरा की दीवानी हो गई है उस दिन के बाद से वीरा रोज़ रात को इंसानी रूप मे रूपवती को खूब भोगता था,खूब निचोड़ता था.
रूपवती भी इस चुदाई से खिलतीं जा रही थी उसके अंग अंग मे मदकता आ गई थी.
वीरा की खास बात ही यही थी की वो भले इंसानी रूप मे हो लेकिन लंड घोड़े का ही रहता था, अपने भयानक लंड से वो रूपवती की चुत गांड को पूरी तरह फाड़ चूका था इतने दिनों मे, क्या चुत और क्या गांड अब कोई फर्क नहीं था उसकी जगह एक बड़ा सा गड्डा भर था.
सिर्फ बदकिस्मती से उलजुलूल के श्राप से वो सिर्फ रात मे ही इंसानी रूप ले सकता था दिनभर उसे घुड़रूप मे ही रहना होता था.
अभी भी घुड़रूप मे ही रूपवती के साथ टहल रहा था.
वीरा :- आप व्यर्थ ही चिंता करती है रूपवती,मत भूलिए वो ठाकुर विचित्र सिंह के अलावा महान चोर मंगूस भी है वो चोर जो कभी नाकामयाब नहीं हुआ.
रूपवाती :- जानते है हम की वो कभी हारता नहीं है फिर भी मेरा छोटा भाई है...कोई समाचार नहीं है उसका
कही कोई अनहोनी तो नहीं हो गई उसके साथ.
वीरा :- आप व्यर्थ ही चिंता कर रही है नागमणि जल्दी है ले आएंगे ठाकुर विचित्र सिंह.
ऐसा बोल रूपवती के कंधे पे सर टिका देता है.
रूपवती :- अच्छा वीरा तुमने कभी बताया नहीं की कामवती कौन है? उस से प्यार कैसे हुआ?
रूपवती की बात सुन वीरा चिंता मे डूबता गया...
कभी उसकी आँखों मे प्यार दीखता तो कभी ज्वाला.
"कामवती मेरा प्यार थी, मै उस से बहुत प्यार करता था परन्तु उस दुष्ट नाग नागेंद्र ने जलन और बदले की भावना से मेरी कामवती को मार डाला.....मार डाला उसने
रूपवती :- सकपकाती हुई क्या कह रहे हो ये तुम वीरा? पूरी बात बताओ
वीरा :- सच कह रहा हूँ रूपवती....तो सुइये की क्या हुआ था....
वीरा और रूपवती वही पेड़ के नीचे बैठ जाते है.
वही चोर मंगूस सफल हो भी असफल जमीन की धूल चाट रहा था,
चाटककककक..... उठ साले हरामी.
कहाँ है मेरी मणि? तू यहाँ क्या कर रहा है?
चाटककककम.....फुसससस...
आअह्ह्ह.... चोर मंगूस होश मे आ रहा था,तभी चाटकककम.....
उसकी आंखे पूरी तरह खुल जाती है,सर मे भयानक पीड़ा हो रही थी..परन्तु जैसे ही उसकी नजर सामने पड़ती है हवा टाइट हो जाती है.
उसके सीने पे भयानक काला सांप बैठा था,सांप ने मंगूस के गले मे फंदा बना कुंडली मे जकड़ा हुआ था.
नागेंद्र :- बोल कहाँ है मेरी नागमणि? बोल वरना गला दबा दूंगा
मंगूस : बताता हूँ बताता हूँ...गला तो छोड़.
मंगूस,रूपवती के द्वारा सुनी पूरी बात बता देता है.
नागेंद्र :- ओह तो ये बात है...तुझे वीरा ने भेजा है?
बोल कहाँ है मेरी मणि?
मंगूस :- मुझे किसी ने नहीं भेजा है मै चोर हूँ चोर मंगूस नायब हिरे जवाहरत चुराना मेरा शौक है.
और तेरी मणि भूरी काकी ले गई...और वही कामरूपा है.
नागेंद्र ये बात सुन के चौक जाता है "क्या...क्या..क्या कहाँ तूने भूरी काकी ही कामरूपा है?
हाँ भाई हाँ...सब मेरी आँखों के सामने ही हुआ, और तेरा बाप सर्पटा भी जिन्दा है उसी के लिए वो नागमणि ले गई है.
सारा किस्सा कह सुनाता है मंगूस.
नागेंद्र की कुंडली ढीली होती चली जाती है,मंगूस के सीने से उतर बाजु मे गिर पड़ता है उसके लिए यकीन कर पाना मुश्किल था.
"मतलब वो कामिनी कामरूपा इतने बरसो से मेरी आँखों के सामने रही और मै पहचान भी ना सका "
मंगूस भी उठ के बैठ गया था.
नागेंद्र :- ये तूने क्या किया अब बिना मणि के कामवती को कैसे हासिल कर पाउँगा मै?
मंगूस :- कामवती? वो ठाकुर की नयी बीवी? उस से तेरा क्या लेना देना?
नागेंद्र दुख मे डूबा हुआ था "कामवती मेरा प्यार है मंगूस और ये उसका दूसरा जन्म है इस जन्म मे उसे पाने के लिए ही मै शाप ग्रस्त जीवन जीने पे मजबूर हूँ,एक नागमणि ही थी जो मेरी ताकत थी वो भी तूने गवा दी.
मंगूस को अफ़सोस होने लगा "नागेंद्र,मंगूस कभी नाकामयाब नहीं होता मणि मै वापस ले आऊंगा.
तुम मुझे पूरी बात बताओ....
तो सुनो मंगूस.....
कामवती मेरा प्यार थी...मै दिलो जान से उसे चाहता था लेकिन उस वीरा ने जलन और बदले की भावना मे आ के मेरे प्यार की हत्या कर दी.
मंगूस हैरान था "पूरी बात बताओ नागेंद्र क्या हुआ था? तुम्हारी शक्तियां कहाँ गई?
नागेंद्र अब अपने और कामवती के प्यार की कहानी कहने जा रहा है.
जो की बड़ा ही अजीब प्यार होने वाला है.
ये चक्कर क्या है जिसमे वीरा भी कामवती से प्यार का दावा करता है और नागेंद्र भी कामवती का प्यार है?
क्या एक ही समय दो लोगो से प्यार संभव है?
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गांव काम गंज
"मालकिन....मालकिन....माफ़ कीजियेगा मै चोर डाकू नहीं हूँ " बिल्लू पीछे से अपनी सफाई पेश कर रहा था
परन्तु डरी साहमी रतिवती भगति हुई कमरे मे दाखिल हो गई और धड़ाम से दरवाजा बंद कर दरवाजे से पीठ टिका दी.
उसकी सांसे तेज़ चल रही थी दिल धाड़ धाड़ करता सीने से बाहर निकलने को था.
कामुक बदन पसीने से नहा गया था "कितनी बार कहा था हरामी रामनिवास को पैसा ना दिखाए,फालतू ना उठाये.लेकिन बूढा किसी काम का नहीं,आ गए अब डाकू,हे भगवान क्या होगा अब.
रतिवती भय से बड़बड़ये जा रही थी उसे कोई सुध नहीं थी किस अवस्था मे है वो.
ठक....ठक....थकककक.... दरवाजे पे दस्तक होने लगी
बिल्लू :- मालकिन आप घबराये नहीं मै डाकू नहीं हूँ मेरी बात सुनिए.
मै ठाकुर ज़ालिम सिंह के यहाँ से आया हूँ जरुरी सन्देशा लाया हूँ.
रतिवती ये सुन के राहत महसूस करती है फिर भी उसके दिल मे शंका थी क्युकी रामनिवास तो दरवाजे पे ताला लगा गया था.
"बाहर तो ताला लगा था तुम अंदर कैसे आये?"
बिल्लू :- कैसा ताला दरवाजा तो पूरा खुला था मैंने दस्तक भी दी,आवाज़ भी लगाई परन्तु कोई उत्तर ना पा के अंदर को आ गया परन्तु आप मुझे देख के डर गई.
रतिवती गुस्से से भर गई आज अगर रामनिवास उसके सामने होता तो वो उसकी जान ले लेटी कैसा नाकारा पति था उसका.
तभी उसे अपनी हालत का आभास होता है "हे भगवान मकान ऐसे ही अंग वस्त्रों मे भागी चली आई ठाकुर के आदमी ने मेरे बदन को देख लिया होगा.क्या करू मै अब? क्या सोच रहा होगा वो मेरे बारे मे.
अंदर से खोज जवाब ना आता देख बिल्लू वापस से आवाज़ देता है "मालकिन यकीन करे मेरा.. जरुरी सन्देश है.
रतिवती :- रुकिए थोड़ा.
रतिवती जल्दी जल्दी एक साड़ी लपेट लेती है जल्दी मे ब्लाउज ना पहन मे लाल अंगिया पे ही साड़ी का पल्लू डाल लेती है.
दरवाजा खुल जाता है....
बाहर बिल्लू के नाथूनो मे एक ताज़ा मादक खुसबू घुस जाती है सामने ताजी ताजी नहाई सुन्दर गोरी,गीले बालो मे अप्सरा खड़ी थी.गीली होने की वजह से उसके सुडोल स्तन का पूरा आभास साड़ी के ऊपर से हो रहा था.
बिल्लू उस सुंदरता मे खोता चला जाता है उसे अभी थोड़ी देर का दृश्य याद आ जाता है कैसे रतिवती सिर्फ अंगवस्त्र मे खड़ी थी फिर अपने भारी चूतड़ों को हिलती भागी थी.
रतिवती सामने बिल्लू पे नजर डालती है दानव अकार का आदमी था बिल्लू हाथ ने लठ लिए.
सच्चा मर्द था आखिर बिल्लू..
जी जी....मालकिन ठाकुर ज़ालिम सिंह के यहाँ से आपको लिवा लाने का बुलावा है.
रतिवती चौकती हुई "ऐसे आनन फानन मे? क्या बात है बिल्लू?
बिल्लू :- साँप द्वारा कटे जाने की खबर लह सुनाता है.
"हे भगवान....ये क्या जो गया मेरी बच्ची कामवती " रतिवती सर पे हाथ रखे वही दरवाजे पे धम से बैठ जाती है बैठने से उसका पल्लू नीचे गिर जाता है वो सिर्फ लाल अंगिया मे थी जिसमे से उसके सुडोल बड़े स्तन आधे से ज्यादा बाहर आ गए थे, बिल्लू ये नजारा ऊपर से देख रहा था उसे तो पुरे पहाड़ और उसकी गहरी घाटी नजर आ रही थी.
बिल्लू ये नजारा देख सन सना जाता है
हिम्मत कर अपने हाथ बढ़ाते हुए रतिवती के कंधे पे रख उसे उठता है "मालकिन चिंता मत कीजिये ठकुराइन को कुछ नहीं हुआ है डॉ.असलम है वो इलाज कर रहे है वैसे मैंने खुद देखा था की जहर फैलने का कोई नामोनिशान नहीं था उनके शरीर पे "
रतिवती उठती हुई खड़ी हो जाती है "क्या सच बिल्लू...मेरी बच्ची ठीक है?
बिल्लू जो की अभी भी रतिवती की बड़ी सुडोल छतियों को घूरे जा रहा था रतिवती ठीक उसके सामने खड़ी थी पल्लू अभी भी धाराशाई था..
जैसे ही रतिवती उसकी नजर भाँपती है जल्दी से अपना पल्लू ठीक कर वापस कमरे मे दाखिल ही जाती है
"हे भगवान ये क्या हो रहा है मेरे साथ,मेरे अंग बार बार बिल्लू के सामने खुल क्यों जा रहे है"
बिल्लू :- मालकिन मै आपका बाहर इंतज़ार कर रहा हूँ जल्दी आइये? बिल्लू अपने बड़े लंड को मसलता अपनी आँखों मे रतिवती का अर्ध नग्न बदन लिए बाहर को चल देता है.
रतिवती जल्दी जल्दी तैयार होने लगती है
गांव विष रूप
भूतकाल
वो बहुत भयानक युद्ध था मंगूस,मै अपने बड़े भाई की सर कटी लाश देख के बोखला गया था, मेरे बाप का कोई आता पता नहीं था,मेरे पिताजी के दो विश्वास पात्र नीचे लाश मे तब्दील हो चुके थे,
मै ये दृश्य ना देख सका जार जार रोता चीखता रहा.... तभज मुझे वहा चट्टान मे गाड़ी एक तलवार दिखी जिसके ऊपर घोड़े का निशान था.
नाग पुरोहित :- शांत हो जाओ नागेंद्र तुम्हारे खानदान की बर्बादी का बदला लेना है तुम्हे.
ये तलवार इस पे घोड़े का निशान बतलाता है की घुडवांश की तलवार है...
मै चित्कार उठा...सेनापति नागसेन सेना तैयार करो.
क्रोध से मेरी नागमणि ज्वाला फेंक रही थी.
गांव घुड़पुर
वीरा :- मै जब अपनी बहन का नंगा खून से लथ पथ जिस्म ले के इस महल मे पंहुचा तो सभी लोग खून के आंसू रो रहे थे मेरे पिताजी ये सदमा सहन ही ना कर पाए उन्होंने तत्काल दाम तोड़ दिया.
मै गुस्से की जवाला मे जल रहा था नागवंश का नामोनिशान मिटा देना था.
"घुड़सेन सेना तैयार करो सम्पूर्ण नागवंश आज खत्म होगा"
दोनों तरफ बदले की आग थी,परन्तु जिस की वजह से आग लगी थी वो सर्पटा तो गायब था
उसका कोई आता पता नहीं था.
जंग जारी है.... एक प्रजाति का खत्म होना तय है.
Contd......
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