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मेरी बेटी निशा -28 (अंतिम भाग )

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सशा तो जैसे पूरे जोश में आ गई , उसने होंठ कस कर अपनी जीभ तेज़ी से चलानी शुरू कर दी , उसका एक हाथ अपने पापा की कमर पर चला गया और दुसरे से वो उनके आंडो को सहलाने लगी।


अब सशा का मुंह भी लंड पर आगे पीछे होने लगा था , उसके गिले मुख में धीरे धीरे अन्दर बाहर होते लंड ने जगदीश को जोश दिला दिया , वो अपनी बेटी के सर को थामे अपना लंड उसके मुंह में जोर जोर से आगे पेलने लगा , हर शॉट में अब उसका लंड सशा के गले की गहराइयों को नाप रहा था, और अब जगदीश राय तेज़ी से अपने लंड को आगे पीछे करते हुए गहराई तक अपनी बेटी के मुँह को चोदने लगा , जब जगदीश राय का लंड सशा के गले को टच करता तो उसके मुख से ‘गु –गु’ की आवाज़ निकलती ।

उधर जगदीश राय तो जैसे किसी और ही दुनिया में था , आँखें बंद किए वो अपनी बेटी के मुंह में अपना लंड पेलते जा रहा था।उसको लग रहा की वह कोई कुँवारी चूत चोद रहा है।


सशा को हालाँकि लंड के इतने तेज़ तेज़ धक्कों से थोड़ी दिक्कत हो रही थी मगर वो हर संभव प्रयास कर रही थी अपने पापा के लंड की ज़बरदस्त चुसाई करने का , उसकी जीभ अन्दर बाहर हो रहे लंड के सुपाड़े को रगडती तो उसके होंठ सुपाड़े से लेकर लंड के मध्य भाग तक लंड को दबाते , लंड अन्दर जाते ही उसके गाल फूल जाते और बाहर आते ही वो पिचकने लगते।


जल्द ही जगदीश राय को अपने अंडकोष दवाब सा बनता महसूस होने लगा , उसे एहसास हो गया वो झड़ने के करीब है , उसने अब अपनी बेटी के मुख को और भी तीव्रता से चोदना शुरू कर दिया , उधर सशा के लिए अब इस गति से अन्दर बाहर हो रहे लंड को चुसना संभव नही था , वो तो बस अपने होंठो और जीभ के इस्तेमाल से जितना हो सकता लंड को सहलाने की कोशिश कर रही थी।


खुद वो अपनी टांगें आपस में रगड़ कर उस सनसनाहट को कम करने की कोशिश कर रही थी , जो उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी , चुत से रस निकल निकल कर उसकी जांघें गीली कर चुका था।


तकरीबन 10 मिनट की भीषण चुसाई के बाद अचानक जगदीश राय को लगने लगा जैसे उसकी शक्ति का केंद्र बिंदु उसका लंड बन गया है , वो झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था , पर वो चाहता था कि उसके पानी की हर एक बूंद सशा की गले की गहराइयों में उतर जाए, इसलिए अब उसके धक्के और भी ज्यादा तेज होते जा रहे थे।

सशा को भी ये अहसास होने लगा था था कि अब शायद उसके पापा झड़ने वाले हैं इसलिए उसने अपने आपको पूरी तरह उनके हवाले कर दिया, जगदीश राय सशा के सिर को पकड़कर जोर जोर से अपना लंड उसके मुंह मे पेल रहा था।



और फिर अगले ही पल जगदीश राय के बदन में एक तेज़ लहर उठी और वो भलभला कर झड़ने लगा, उसके लंड से वीर्य की बौछार होने लगी जो सशा के गले मे जाकर उसे तृप्त कर रही थी।


सशा भी एक मझे हुए खिलाड़ी की तरह जगदीश राय के पानी की आखिरी बून्द भी पी लेना चाहती थी, जब जगदीश राय पूरी तरह झड़कर शांत हो गया तो सशा ने जीभ की नोंक से सुपाड़े के छेद से निकल रही वीर्य को भी चाट लिया।



जगदीश राय: “ .उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस" ओह्हहहहहह बेटी उम्ह्ह्ह्ह्ह.” 


जगदीश राय लगातार सिसकता ही जा रहा था।

सशा की जीभ आखिरी बार पूरे लंड पर घूमने लगी और वो उसे चाट कर साफ़ करने लगी , लंड पूरा साफ़ होने के बाद उसने सुपाड़े को अपने होंठो में एक बार फिर से भरकर चूसा और फिर अपने होंठ उसपे दबाकर एक ज़ोरदार चुम्बन लिया।




कुछ देर आराम करने के बाद जगदीश राय सशा को बेड पर सुला देता है और उसकी छोटी सी कुंवारी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगता है कुछ ही देर में सशा उत्तेजना से तड़पने लगती है।


जगदीश राय झुक कर उसकी चूत को धीरे से चूम लिया और दरार को नीचे से ऊपर तक चाटा, कई कई बार चाटा और समूची चूत को मुंह में भर लिया और झिंझोड़ डाला.

आनन्द के मारे सशा के मुंह से किलकारी निकल गई. फिर ऊपर हाथ ले जाकर उसके दोनों मम्मे पकड़ लिए और चूत का दाना, वो छोटा सा भागंकुर अपनी जीभ से टटोलने लगा और इसे अपनी मुंह में लेकर चूसा और चूत की गहराई में जीभ घुसा कर प्यार से, बहुत ही निष्ठा पूर्वक उसकी शर्बती चूत चाटने लगा.


वो बेचारी इतना सब कैसे सहन कर पाती, बदले में वो अपनी चूत उठा उठा कर अपने पापा के मुंह पे मारने लगी.

अब जगदीश राय अपनी नाक चूत की गहराई में रगड़ता हुआ चाटने लगा.

मुश्किल से 5 ही मिनट बीता होगा की वो आ गई… भलभला कर झड़ गई.

‘हाय पापा…’ वो इतना ही बोल पाई और अपनी जांघें ताकत से अपने पापा के सिर पर लपेट दीं और झड़ने लगी.


चूत रस का नमकीन स्वाद जगदीश राय मुंह में आ गया. करीब दो तीन मिनट तक वो यूं ही अपने पापा सिर को अपनी चूत पर जांघों से दबोचे रही फिर धीरे से पैर खोल दिए और चित लेट के गहरी गहरी साँसें लेने लगी.

जगदीश राय उसकी जांघ पर सर रखे हुए लेटा रहा.


‘प्लीज पापा, मेरे पास आओ!’ उसकी आवाज बदली बदली सी थी जैसे किसी कुएं के भीतर से बुला रही हो.

जगदीश राय ऊपर खिसक कर उसके पहलू में लेट गया और उसे अपने सीने से लगा लिया. वो मासूम अबोध किशोरी सी अपने पापा से चिपक गई और अपनी अंगुली से उनकी छाती पर जैसे कुछ लिखती रही.


‘क्या लिखा मेरे सीने पर?’ जगदीश राय उसका सिर प्यार से सहलाते हुए पूछा

‘ऊं हूँ!’

‘बता ना?’

‘म्मम्म कुछ नहीं…’ वो बोली और जगदीश राय अपनी बांहों में कस लिया.

कैसा लगा ये सब?’ जगदीश राय उसे चूमते हुए पूछा

साशा :‘बहुत अच्छा बहुत ही प्यारा प्यारा. जब आप मेरी चूत चाट रहे थे तो जैसे मेरे बॉडी में फूल ही फूल खिल गये थे, सारे बदन में रंगीन फुलझड़ियाँ सी झर रहीं थीं. मैंने सोचा भी नहीं था कि ये सब इतना मस्त मस्त लगेगा!’ वो बोली.


‘और अब कैसा लग रहा है?’

‘लग रहा है मैं बहुत हल्की फुल्की सी हो गई हूँ. मेरे भीतर से कुछ बह के निकल गया है जो मुझे हरदम बेचैन किये रहता था.’सशा ने बताया.


कुछ ही देर बाद जगदीश राय सशा की छोटी छोटी टाइट चूचियों को पूरा मुँह में भरकर चूसने लगा।उसके छोटे छोटे निप्पल को दाँतों से काटने लगा।5 मिनट में ही जगदीश राय ने दोनों चूचियों को काट कर चु कर लाल कर दिया।अंब सशा भी पूरी गरम होकर सिसियाने लगी।


दोनों पूरी तरह से गर्म हो चुके हैं जगदीश राय अपने लंड को सशा की छोटी सी कुंवारी चूत पर रगड़ने लगता है सशा अपनी गांड उपर उठाकर लंड को जल्द से जल्द अंदर लेना चाहती है लेकिन जगदीश राय सशा को और गर्म कर देना चाहता है ताकि उसको कम से कम दर्द हो।

तब सशा ने जगदीश राय के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर दबाया, तो जगदीश राय के लंड का सुपाडा उसकी चूत की फांको को फेलाता हुआ, छेद पर जा लगा,सशा की कुँवारी चूत की फाँकें जगदीश राय के लंड के सुपाडे के चारो तरफ फैेलाते हुए कस गई, अपनी चूत के छेद पर अपने पापा के लंड का गरम सुपाडा महसूस करते ही उसके बदन में मानो हज़ारो वॉट की बिजली कोंध गई हो,सशा का पूरा बदन थरथरा गया….


सशा की चूत उसकी चूत से निकल रहे कामरस से एक दम गीली हो चुकी थी, सशा ने अपनी आँखो को बड़ी मुस्किल से खोल कर जगदीश राय की तरफ देखा, और फिर काँपती आवाज़ में बोली…


सशा: पापा धीरे-धीरे ही अंदर करना, मैं ये सब पहली बार कर रही हूँ, इसलिए मुझे दर्द होगा, पर आप चिंता मत करना , चाहे मुझे कितना भी दर्द हो, आप अपना लंड मेरी कुँवारी चूत में पूरा घुसाना।


अब जगदीश राय ने धीरे धीरे अपने लंड के सुपाडे को सशा की चूत के छेद पर दोबारा दबाना शुरू किया, जैसे ही उसके लंड का सुपाडा सशा की गीली चूत के छेद में थोड़ा सा घुसा, सशा एक दम सिसक उठी, जगदीश राय के लंड का सुपाडा सशा की चूत की सील पर जाकर अटक गया, जगदीश राय भी इस रुकावट को साफ महसूस कर पा रहा था….


सशा की चूत की झिल्ली,जगदीश राय के लंड के सुपाड़े से बुरी तरह अंदर को खिच गई, जिसके कारण सशा के बदन में दर्द की एक तेज लहर दौड़ गई, उसके चेहरे पर उसके दर्द का साफ पता चल रहा था।


जगदीश राय: क्या हुआ बेटी ? ज्यादा दर्द हो रहा है क्या ?


सशा: आहह हां पापा…दर्द हो रहा है…..



जगदीश राय: बाहर निकाल लूँ…..


सशा: नही पापा बाहर मत निकालना….ये दर्द तो हर लड़की को जिंदगी में एक ना एक बार तो सहन करना ही पड़ता है….पापा आप बस ज़ोर से धक्का मारो….और एक ही बार मे मेरी चूत फाड़ दो।

जगदीश राय: अगर तुम्हे दर्द हुआ तो ?

सशा: मैं सह लूँगी……आप मारो न धक्का।

जगदीश राय ने अपनी पूरी ताक़त अपनी गान्ड में जमा की, और अपने आप को अगला शाट मारने के लिए तैयार करने लगा, सशा ने अपने दोनो हाथों से जगदीश राय के बाजुओं को कस के पकड़ लिया, और अपनी टाँगों को पूरा फैला लिया..

सशा - पापा…पापा फाड़ दो अब…..


जगदीश राय ने कुछ पलो के लिए सशा के चेहरे की तरफ देखा, जो अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी हुई थी, उसने अपने होंठो को दांतो में दबा रखा था. जैसे वो अपने आप को उस दर्द के लिए तैयार कर रही हो, उसके माथे पर पसीने के बूंदे उभर आई थी, जगदीश राय ने एक गहरी साँस ली, और फिर अपनी पूरी ताक़त के साथ एक ज़ोर दार धक्का मारा।

जगदीश राय के लंड का सुपाडा सशा की चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया, जगदीश राय का आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार मे सशा की कुँवारी चूत के अंदर जा चुका था…


" हाए मम्मी मर गई हाईए अहह पापाआआआ बहुत दर्द हो रहा है….” सशा छटपटाते हुए, अपने सर को इधर उधर पटक रही थी, उसे अपनी चूत में दर्द की तेज लहर दौड़ती हुई महसूस हो रही थी….

सशा के इस तरह से दर्द के कारण बिलबिलाने से जगदीश राय भी घबरा गया, उसने सशा की ओर देखा, उसकी बंद आँखो से आँसू बह कर उसके गालो पर आ रहे थे।


"बेटी मैं बाहर निकाल लेता हूँ" जगदीश राय ने सशा की ओर देखते हुए कहा….


सशा: (अपनी आँखो को खोलते हुए) नही नही पापा बाहर मत निकालना…पूरा अंदर कर दो….मेरी फिकर मत करो…..


जगदीश राय: पर बेटी…


सशा: मैंने कहा ना मेरी परवाह मत करो….आप अपना लंड पूरा मेरी चूत में पूरा डाल दो…..

जगदीश राय ने अपने लंड की तरफ देखा, जो सशा की टाइट चूत के छेद में घुस कर फँसा हुआ था, और फिर उसने एक बार फिर से पूरी ताक़त के साथ झटका मारा, इस बार उसके लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारो को फैलाता हुआ पूरा का पूरा अंदर जा घुसा।

सशा: "उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"

ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽऽऽऽऽ…योर डिक पापा…स्स्स्स्स्स्साऽऽऽऽ सो बिग…पापा…….." 

सशा ने दर्द से छटपटाते हुए अपने हाथों से जगदीश राय के बाजुओ को इतनी कस के पकड़ा कि उसके नाख़ून जगदीश राय के बाजुओ में गढ़ने लगे, जगदीश राय को अपने लंड के इर्द गिर्द सशा की टाइट चूत की दीवारे कसी हुई महसूस हो रही थी, उसके लंड में तेज गुदगुदी सी होने लगी, 


दोनो थोड़ी देर वैसे ही लेटे रहे, जगदीश राय अब धक्के लगाने को उतावला हो रहा था, पर सशा ने उसकी कमर में अपनी टाँगो को लपेट रखा था, जिसकी वजह से जगदीश राय हिल भी नही पा रहा था, कुछ लम्हे दोनो यूँ ही लेटे रहे, फिर धीरे-धीरे सशा का दर्द कुछ कम होने लगा, और उसे अपनी चूत में अजीब सी सरसराहट होने लगी, अब उसे मज़ा आने लगा था, और उसने अपनी टाँगो को जो कि उसने जगदीश राय की कमर पर कस रखी थी, को ढीला कर दिया, जैसे ही जगदीश राय की कमर पर सशा की टाँगों की पकड़ ढीली हुई,जगदीश राय ने अपना आधे से ज़्यादा लंड एक ही बार में सशा की चूत से बाहर खींचा, और फिर से एक झटके के साथ सशा की चूत में पेल दिया, 

धक्का इतना जबरदस्त था कि सशा का पूरा बदन हिल गया।


सशा: "आह शीईइ पापा उंह धीरे उन्ह्ह्ह्ह…ह्म्प्फ़्फ़्फ़्फ़… ओहहहहहह यस ओहहहहहहह यस"

ओह्हहहहहह उम्ह्ह्ह्ह्ह पापाऽऽऽऽऽऽऽ…..पापाऽऽऽ" सशा ने फिर से अपने पैरो को जगदीश राय के चुतड़ों के ऊपर रख कर उसे अपनी तरफ दबा लिया।


जब उसे अपनी चूत की दीवार पर जगदीश राय के लंड के सुपाडे की रगड़ महसूस हुई तो वो एक दम से मस्त हो गई, फिर थोड़ी देर रुकने के बाद सशा ने जगदीश राय को धीरे से कहा।


"पापा अब अपने लंड को धीरे से बाहर निकालो…मुझे कुछ देखना है" ये कहते हुए उसने फिर से अपने पैरो की पकड़ ढीली की और जगदीश राय ने घुटनो के बल बैठते हुए धीरे-2 अपने लंड को बाहर निकालना शुरू किया, फिर से वही मज़े की लहर सशा के रोम-रोम में दौड़ गई, उसे जगदीश राय के लंड का सुपाडा अपनी चूत के दीवारो पर रगड़ ख़ाता हुआ सॉफ महसूस हो रहा था

"ओह्ह पापा मेरी चूत में आह आह बहुत मज़ा आ रहा है..ओह्ह उम्ह्ह." सशा बोली।

जगदीश राय ने जैसे ही अपना लंड सशा की चूत से बाहर निकाला, तो उसकी आँखे फटी की फटी रह गई, उसका लंड खून और सशा के चूत से निकल रहे कामरस से सना हुआ था।

सशा ने अपने पास रखे एक कपड़े को अपनी चूत पर दबा दिया…ताकि उसमे से खून निकल कर, बेड शीट पर ना गिरे…..

फिर उसने अपनी चूत को उस कपड़े से रगड़ कर साफ किया, और फिर जगदीश राय की तरफ देखा, जो हैरत से उसकी तरफ देख रहा था।

सशा: क्या हुआ पापा आप ऐसे क्या देख रहे हो ?

जगदीश राय: बेटी तुम तो काफी समझदार हो।

"हाँ जानती हूँ" सशा खिलखिलाकर बोली।

फिर सशा उठ कर बैठी और जगदीश राय के लंड को हाथ में लेकर उसे कपड़े से अच्छे से साफ किया, फिर उस कपड़े को साइड में रखते हुए, बेड पर लेट गई , सशा ने अपनी बाहों को खोल कर जगदीश राय को आने का इशारा किया।

जगदीश राय सशा ऊपर झुक गया, सशा ने उसे अपनी बाहों में कस लिया और उसके आँखो में झाँकते हुए बोली "आइ लव यू पापा" और फिर दोनो के होंठ फिर से आपस में मिल गए, और दोनों एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे।फिर से वही उम्ह्ह आहह उन्घ्ह की आवाज़े उनके मुँह से आने लगी।




जगदीश राय का लंड अब उसकी चूत की फांको पर रगड़ खा रहा था, जगदीश राय भी मस्ती में उसके होंठो को चूस्ता हुआ उसके निपल्स को अपनी उंगलियों से भिचते हुए उसकी चुचियों को दबा रहा था, सशा की चूत में कुलबुली सी होने लगी, वो नीचे से अपनी गान्ड को हिलाते हुए अपने पापा के लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट करने की कोशिश कर रही थी


थोड़ी देर के बाद अचानक से जगदीश राय के लंड का सुपाडा सशा की चूत के छेद पर अपने आप जा लगा, सशा का पूरा बदन एक दम से थरथरा गया, उसने अपने होंठो को जगदीश राय के होंठो से अलग किया और फिर जगदीश राय की आँखो में देखते हुए मुस्कुराने लगी,फिर उसने अपने आँखे शरमा कर बंद कर ली, उसके होंठो पर मुस्कान फ़ैली हुई थी….

जगदीश राय ने भी बिना देर किए, धीरे-2 अपने लंड के सुपाडे को सशा की चूत के छेद में पेलना शुरू कर दिया….

"उंह पापा सीईईईई अहह बहुत माजा आ रहा है….." सशा बोली।

जगदीश के लंड का सुपाडा सशा की चूत के छेद और दीवारो को फ़ैलाकर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बढ़ने लगा, सशा के बदन में मस्ती के लहरे उमड़ रही थी, उसका पूरा बदन उतेजना के कारण काँप रहा था, उसकी चूत की दीवारे जगदीश राय के लंड को अपने अंदर कस कर निचोड़ रही थी।

धीरे-2 जगदीश राय का पूरा लंड सशा की चूत में समा गया, सशा ने सिसकते हुए जगदीश राय को अपनी बाहों में कस लिया और उसकी पीठ को अपने हाथो से सहलाने लगी।


"आह पापा और पेलो उंह आ सीईईई आह पापा मुझे बहुत मज़ा आ रहा है….”

जगदीश राय ने सशा के फेस को अपनी तरफ घुमाया, और फिर अपने होंठो को उसके पतले होंठो पर रख दिया, सशा ने अपने होंठो को खोल दिया, जगदीश राय ने थोड़ी देर सशा के होंठो को चूसा, और फिर अपने होंठो को हटाते हुए, उसकी जाँघो के बीच में घुटनो के बल बैठते हुए, अपनी पोज़िशन सेट की, और अपने लंड को धीरे-2 आगे पीछे करने लगा।


जगदीश राय के लंड के सुपाडे को सशा अपनी चूत की दीवारो पर महसूस करके एक दम मस्त हो गई, और अपनी आँखें बंद किए हुए अपनी पहली चुदाई का मज़ा लेने लगी


"अह्ह्ह्ह पापा हाईए मेरे चूत आह मारो और ज़ोर से मारो आह फाड़ दो अह्ह्ह्ह आह”


धीरे-2 जगदीश राय अपने धक्कों की रफतार को बढ़ाने लगा, पूरे रूम में सशा की सिसकारियो और बेड के हिलने से चर-2 की आवाज़ गूंजने लगी, सशा पूरी तरह मस्त हो चुकी थी, सशा की चूत उसके काम रस से भीग चुकी थी, जिससे जगदीश राय का लंड चिकना होकर सशा की चूत के अंदर बाहर होने लगा था, सशा भी अपनी गान्ड को धीरे-2 ऊपर की ओर उछाल कर चुदवा रही थी….


"हाई ओईए अहह मेरी चूत अह्ह्ह्ह पापा बहुत मज़ा आ रहा है.आह चोदो मुझे अह्ह्ह्ह और तेज करो सही…मैं झड़ने वाली हूँ आह उहह उहह उंघह ह पापा ममैं गईए अहह…." सशा धीरे धीरे आहे भर रही थी।



जगदीश राय के जबरदस्त धक्को ने कुछ ही मिनट में सशा की चूत को पानी पानी कर दिया था, उसका पूरा बदन रह रह कर झटके खा रहा था, जगदीश राय अभी भी लगातार अपने लंड को बाहर निकाल निकाल कर सशा की चूत में पेल रहा था, सशा झड़ने के बाद एक दम मस्त हो गई थी, उसकी चूत से इतना पानी निकाला था कि, जगदीश राय का लंड पूरा गीला हो गया था।


अब सशा अपनी आँखें बंद किए हुए लेटी थी,और लंबी लंबी साँसे ले रही थी, सशा ने अपनी आँखें खोल कर जगदीश राय की तरफ देखा, जो पसीने से तर बतर हो चुका था, और अभी भी तेज़ी से धक्के लगा रहा था,अब रूम में सिर्फ़ बेड के चरचराने से चू चू की आवाज़ आ रही थी….जैसे जैसे जगदीश राय झटके मारता, बेड हिलता हुआ हल्की हल्की चू चू की आवाज़ कर रहा था।

सशा बेड के हिलने की आवाज़ सुन कर शरमा गई, और अपने फेस को साइड में घुमा कर मुस्कराने लगी…


जगदीश राय: (अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए) क्या हुआ…?


सशा: (मुस्कुराते हुए) कुछ नही…..


जगदीश राय: फिर मेरी तरफ देखो ना…


सशा: नही मुझे शरम आती है…..पापा।

जगदीश राय ने अपने दोनो हाथों से सशा के चेहरे को अपनी तरफ घुमाया, पर सशा ने पहले ही अपनी आँखे बंद कर ली, उसके चेहरे पर शर्मीली मुस्कान फ़ैली हुई थी, जगदीश राय ने सशा के होंठो को अपने होंठो में लेकर चुसते हुए अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी और फिर कुछ ही पलो में उसके लंड में तेज सुरसुरी हुई, उसका लंड सशा की चूत में झटके खाने लगा, और फिर वो सशा के ऊपर निढाल हो कर गिर पडा, सशा और जगदीश राय दोनों एक साथ झड़ कर शांत हो गए।

अब जगदीश राय अपनी जिंदगी के सारे मजे ले रहा था उस उसकी हर रात सुहाग रात थी अब तो वह आशा और निशा को एक साथ चोदता था । 


लेकिन सशा को उसने समझा दिया था की उसको जब भी मजा लेना हो वह स्कूल से छुट्टी करके अपने पापा को बता दे फिर दोनों मजे करेंगे बाकी कभी भी किसी भी समय अपने पापा के पास मजे के लिए नहीं आए।


अब जगदीश राय आशा और निशा के साथ कभी भी कहीं भी मजे लेने लगा था क्योंकि वह जानता था कि अब सशा से भी कोई प्रॉब्लम नहीं है।


जगदीश राय अपने आप को दुनिया का सबसे किस्मतवाला समझ रहा है।


उसकी बड़ी बेटी निशा जो उसका पत्नी की तरह ख्याल रखती है।वह जो कहे करने को तैयार।दिन में तो ख्याल रखती ही है।रात को और ज्यादा ख्याल रखती है।


मँझली बेटी आशा।जिसको रफ सेक्स पसंद है।जगदीश राय की पर्सनल रंडी है।वो इसको कितनी भी रफ तरीके से पेलता है।उसको किसी रंडी की तरह कुतिया बनाकर उसकी गांड मारता है।


छोटी बेटी सशा एक कच्ची कली जिसे जगदीश राय जिसका रस धीरे धीरे चूसकर उसको फूल बना रहा है।

क्योंकि इसका रस उसे बहुत दिन तक चूसना है।

समाप्त 

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