अपडेट -7, मेरी बेटी निशा
करीब 9:30 बजे, आशा और सशा आ गए और नाश्ता खाकर चल दिए।
निशा: अरे सशा, आज तुम लोग कब आओगे
सशा: दीदी, मेरी तो आज एक्स्ट्रा क्लास है स्कूल में। तो क़रीब ४ बज जाएंगे। और।।
निशा: आशा मैडम आपका क्या प्रोग्राम है…
आशा: मुझे एक सहेली के घर जाना है, कुछ नोट्स तैयार करने है…
निशा: हम्म्म…।सच बोल रही है… या…?।
आशा (झेंपते हुए): सच दीदी… झूट क्यों बोलू…।।वैसे आप क्यों पूछ रही है?…
निशा (झेंपने की बारी उसकी थी): बस यही…चलो जाओ अब तुम दोनों…।
जगदीश राय ने भी यह बात सुनी।
जगदीश राय (मन में): कहीं निशा मसाज के लिए तो नहीं पूछ रही है… शायद उसे…
1 घन्टे के बाद निशा बोली…
निशा: पापा मैं ने नाश्ता टेबल पर रख दिया है… आप खा लेना…
जगदीश राय: तुम नहीं खाओगी बेटी…
निशा: नहीं पापा… मैं पहले नहाके आती हु…। इस गर्मी में रहना मुश्किल है…।
जगदीश राय टेबल पर बैठे खा रहा था। टेबल से उसे सीडियों के ऊपर का कॉरिडोर साफ़ दिख रहा था। ऊपर से पानी का आवाज़ सुनाई दे रहा था। निशा शावर में नहा रही थी शायद।
जगदीश राय मन में निशा के नंगे जिस्म पर पानी के बूंदो की कल्पना कर रहा था। उसके फुटबॉल जैसे बड़े बड़े पानी से चमकते चूचे सोचकर उसके टेबल पर बैठना मुश्किल हुए जा रहा था।
करीब 20 मिनट निशा को सोचकर खाने के बाद, जगदीश राय अपने लंड को पकडते , सीडियों से कॉमन बाथरूम की तरफ चला।
जगदीश राय अब कॉरिडोर में था, जो 3 बैडरूम और 1 कॉमन बाथरूम को मिला रहा था। निशा का रूम का दरवाज़ा बंद था। वहां से अब कोई आवाज़ नहीं आ रही थी, पानी की भी नही।
जगदीश राय (मन में): शायद निशा नहा चुकी है…अब तो वह अपने पूरे जिस्म को पोंछ रही होगी… क्या मैं घूस कर देख लू…।नही यह ठीक नहीं होगा… क्या समझेगी वह मेरे बारे में…
जगदीश राय यह सोचकर कॉमन बाथरूम के तरफ बढा ही था की बाथरूम का दरवाज़ा खुद-ब-खुद खुल गया। और जगदीश राय के पैरो तले ज़मीन निकल गयी…
सामने निशा खड़ी थी। पूरी नंगी।
निशा ने कुछ भी नहीं पहना था। उसने बालो को एक ब्लू टॉवल से बांध लिया था। और बालों से पानी की छोटी बुँदे उसके नंगे बदन पर गिर रही थी।
जगदीश राय की आंखें निशा की नंगी चूचियों से हट नहीं रहा था। जगदीश राय ने अंदाज़ा भी लगाया था की निशा के चूचे इतने बड़े होंगे।
और उन बड़े चूचों के सेण्टर पर गुलाबी कलर के परिवेश (एरोला) से घेरे गुलाबी निप्पल। आज तक जगदीश राय ने सिर्फ भूरे(ब्राउन) कलर का निप्पल्स ही देखे थे, पर अपनी बेटी के गुलाबी निप्पल्स ने उसे पागल कर दिया।
जगदीश राय की नज़रे चूचियों से निशा की पेट के तरफ फिसला तभी।
निशा (शर्माते हुए): ओह पापा…सोर्री।। ओह मेरे बाथरूम के शावर में पानी का फाॅर्स नहीं है न…।इस्लिये यहाँ चलि आयी…।
निशा ने यह कहते हुए अपने दाए हाथ से अपने दोनों चूचियों को ढक लिया, जिससे वह मुलायम बड़े चूचे दबकर और गोलदार बन गये। और फिर धीरे से उसने अपनी बायीं कलाई से अपने चूत को ढक लिया।
जगदीश राय चुप रहा और बस घूरता रहा।
जगदीश राय की ऑंखें बिना मौका गवाते हुए निशा की चूत को अच्छी तरह निहार लिया। निशा का पूरा शरीर एक अप्सरा की तरह , बाथरूम की रौशनी में चमक रहा था।
नंगी निशा सिर्फ हाथो से अपने ख़ुद को ढकते हुए धीरे से बाथरूम से बहार आयी। और धीरे धीरे , नंगे पैर और नंगे बदन से जगदीश राय के तरफ बढ़ रही थी।
निशा का हर एक कदम जगदीश राय पर भारी पड़ रहा था। निशा की साँसे भी तेज़ी से चल रही थी, जो उसकी चूचियों के उतार-चढाव से प्रकट हो रहा था।
करीडोर की चौड़ाई(विड्थ) सिर्फ 2:5 फुट का था। जब निशा पास आयी, जगदीश राय एक साइड हो गया।
अब निशा 2:5 फुट कॉरिडोर में , पूरी नंगी जगदीश राय के सामने थी। और निशा धीरे से, जगदीश राय के आँखों में देखते हुए उनके सामने से निकल रही थी।
उसने बहुत ही नज़ाकत से ख्याल रखा की उसकी नंगा शरीर पापा को स्पर्श न करे।
जगदीश राय , ने अपने आप को कण्ट्रोल करने के लिए निशा के सामने आते की गहरी सास लिए आंखें बंद कर ली। और फिर एक सेकंड बाद आँख खोला तो निशा उनके सामने से निकल चुकी थी।
जगदीश राय वहीँ खड़ा निशा की नंगी पीठ और बड़ी मदहोश गांड को अपने कमरे की तरफ जाते देखा।
निशा अपने कमरे के दरवाज़े पर पहुच कर अपने पापा के तरफ देखा। जगदीश राय तेज़ सासो से बाथरूम के तरफ बढ़ रहे थे। उनकी चाल से यह महसूस किया जा सकता था की वह मदहोश है। तभी निशा ने फिर से अपनी चाल चल दी।
निशा (सॉरी फेस से मुस्कुराते हुए): पापा…। मैं अपनी हेयर-बैंड अंदर भूल आयी हु… क्या आप ला देंगे मुझे…प्लीज…
जगदीश राय बाथरूम के अंदर गया और देखा की सामने एक लाल रंग की हेयर-बैंड जैसी चीज़ पड़ी थी। पर अगर वह नहीं भी होती तो भी जगदीश राय उसे लेकर निशा के पास चला जाता।
जगदीश राय हेयर बैंड लेकर निशा को घूरते हुए निशा की तरफ बढा। निशा का सिर्फ अब साइड-व्यू ही दिखाई दे रहा था, और उस पर निशा की कमर और गांड क़यामत ढा रही थी।
जगदीश राय सूखे मुह लेकर निशा के सामने खड़ा हो गया और एक बच्चे की तरह हेयर-बैंड हाथ में लिए खड़ा था। निशा उनकी ऑंखों में देखकर मुस्कुरायी और फिर कहा।
निशा: थैंक यू पापा…यू आर वैरी स्वीट…
और फिर निशा ने अपने दोनों हाथ चूचियों से निकाल लिया और अपनी पूरी चूची अपने पापा के नज़रों के सामने पेश किया।
एक 20 साल की बेटी आज पहली बार अपने पापा के सामने पूरी नंगी खड़ी थी। निशा की नंगी चूची जगदीश राय से सिर्फ 6 इंच के अंतर मे थी और जगदीश राय गुलाबी निप्पल को घूरता रहा।
ओर निशा अपने कमरे में घूस गयी और अपने पापा के चेहरे पर दरवाज़ा बंद किया।
जगदीश राय कुछ देर वहीँ निशा के दरवाज़े के बाहर खड़ा रहा। वह बौखला गया था।
जगदीश राय थोड़ी देर वहां खड़ा रहने के बाद , बाथरूम में घूस गया।
उसका पूरा बदन कांप रहा था। कान और गाल गरम हो चूका था।
उसने अपनी लुंगी साइड की और लंड बाहर निकाला।
लंड लोहे की रॉड की तरह खड़ा हुआ था। लंड पर उभरे नस (वेन्स) किसी रबर वायर की तरह फूल कर साफ़ दिखाई दे रहे थे।
वह अपनी इस अवस्था को सुधारने के लिए मुठ मारना शुरू किया पर दिमाग पर हज़ारो ख्याल बम की तरह फट रहे थे।
लंड खड़ा होने के बावजूद मुठ मारा नहीं जा रहा था।
कुछ देर प्रयास करने के बाद वह खड़े लंड के साथ बाहर आ गया।
अंदर निशा का हाल भी कुछ समान था। पापा के सामने नंगी रहने में उसे बहोत मजा आया था और यह उसकी गिली चूत बता रही थी।पूरी बदन पर लहर फ़ैली हुई थी।
निशा (मन में): मुझे देखकर पापा का लंड तो साफ़ लुंगी के बाहर निकला हुआ था। पर पता नहीं पापा ने अपने आप को कैसे रोक लिया…।और कोई होता तो अब तक मुझ पर टूट पड़ता…।पापा को अपने आप पर कितना कण्ट्रोल है…मानना पड़ेगा…।
निशा ने जल्द अपनी एक रेड कलर की सिल्क शर्ट पहन ली। और अपने आप को मिरर में देखा।
शर्ट कमर से थोड़ा निचे तक आ रही थी। सिर्फ गांड और चूत को कवर कर रही थी।निशा अपने इस पोशाक से खुश हो गई और दरवाज़ा खोले निचे हॉल/किचन के तरफ चल दी।
वही जगदीश राय सोफे पर बेठा हुआ था। और निशा के बाहर आने का इंतज़ार कर रहा था।निशा को फिर से शर्ट में देखकर वह मन ही मन खुश हो गया। पर उसमे अभी भी निशा को सीधे देखने की हिम्मत नहीं जूटा पा रहा था। निशा रेड सिल्क शर्ट में क़यामत ढा रही थी, जो उसकी गोरे जाँघ को और भी खूबसूरत बना रहा था।
Contd....
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