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माँ का इलाज -8

अपडेट -8


"क्या कोई सर्जन मा अपने घायल जवान बेटे का ऑपरेशन महज इस लिए ना करे कि उसे अपने बेटे को नंगा देखना पड़ सकता है, चोट तो शरीर के किसी भी हिस्से में लग सकती है मा ? क्या कोई डॉक्टर पिता अपनी सग़ी बेटी की प्रेग्नेन्सी के दौरान उसकी डेलिवरी करने से खुद को रोक सकता है, सिर्फ़ इस वजह से कि होने वाला बच्चा उसकी बेटी की चूत के अंदर से निकलेगा ?" ऋषभ ने दो अश्लील परंतु ऐसे विचित्र उदाहरण पेश किए जिसे सुन कर तुरंत ममता की उंगली ने उसके पेटिकोट के नाडे की सरकफूंद गाँठ को खींच दिया और बिना किसी रुकावट के उसका पेटिकोट पूर्व से फर्श पर बिखरी पड़ी उसकी साड़ी के ऊपर इकट'ठा हो जाता है.

"उफफफफ्फ़" इस पूरे घटना-क्रम में पहली बार हुआ जब ममता भरकस प्रयास के बावजूब अपनी कामुक सिसकी को अपने अत्यंत सुंदर मुख से बाहर निकलने से रोक नही पाई थी. ऋषभ का भी कुच्छ यही हाल था, वह अपनी भौच्चकी आँखों से अपनी मा की कछि को घूर्ने लगता है जो उसके अनुमान्स्वरूप ममता की ब्रा के मुक़ाबले उससे कहीं ज़्यादा छोटी थी. images-4 वही पारदर्शी कपड़ा और उसके भीतर छुपि अपनी मा की काली घनी झांतो को वह बेहद सरलतापूर्वक देख पा रहा था और जिसमें अधिकांश झाटें उसे ममता की तीनोकी कछि के अग्र-भाग की बगलों से बाहर निकलती नज़र आती हैं. images-6

"अरे मा! तुम तो अपनी कमर में किसी छोटे बच्चे की तरह काला धागा भी बाँधती हो" ऋषभ ने आश्चर्य से कहा, हलाकी इतनी दूर से उसे सॉफ तौर पर नज़र नही आ पा रहा था कि ममता की कमर में बँधी वस्तु सच में काला धागा थी या कोई मॅग्नेटिक बेल्ली चैन, मगर वो जो भी थी उसकी मा की बेहद गोरी रंगत पर बहुत फॅब रही थी.

"तेरे पापा ने पहनाया था! हां, काला धागा ही है रेशू" ममता ने बुदबुदाते हुए बताया. मिलन की पहली रात को राजेश ने उसकी सुंदर काया पर मोहित होने के पश्चात उस काले धागे को खुद अपने हाथो से उसकी कमर पर बाँधा था.

"तुम हो ही इतनी खूबसूरत मा! बेदाग बदन है तुम्हारा! ज़रूर पापा को डर सताता होगा कि तुम्हे किसी पराए मर्द की बुरी नज़र ना लग जाए" ऋषभ खिलखिला कर हँसने लगता है. ममता के घुटनो में अन असहनीय दर्द होना शुरू हो गया था, ए/सी के ठंडे वातावरण में भी जिस तरह उसका जिस्म पसीने से तर था, उसमें ऐंठन सी उठ रही थी मानो वह एक ज़ोरदार अंगड़ाई लेने के लिए भी तरस रही हो.

"वाकाई मा! जब तुम्हारी कछि की आगे से यह हालत है फिर पिछे तो निश्चित क़यामत होगी" उसने मन ही मन सोचा, इस मर्तबा उसे अपने सैयम की पूरी ताक़त झोंकनी पड़ी थी ताकि उसके लफ्ज़! अल्फ़ाज़ बन कर उसके मूँह से बाहर ना निकल आएँ. अति-शीघ्र उसे उसकी मा का हाथ उसकी कछि के अग्र-भाग को धाँकने की चेष्टा करता हुवा जान पड़ता है और जिस पर चाह कर भी रोक लगवा पाना उसके लिए संभव नही हो पाता.

"मुझे माफ़ करना रेशू! शायद मेरी नग्नता ने तुझे उत्तेजित कर दिया है बेटे" ममता अपने दूसरे हाथ से अपने मम्मो को भी छुपाने का प्रयास करते हुए कहा मगर अपने छोटे से पंजे के भीतर उनके संपूर्ण व्यास को एक साथ समेट पाना उसके लिए असंभव था 20210802-163154 और थक-हार कर अपनी टेढ़ी बाईं कलाई को अपनी पारदर्शी ब्रा से स्पष्ट रूप से उजागर होते निप्पलो के ऊपर रखने भर से उसे संतोष करना पड़ता है.

"मैं भले ही तुम्हारा बेटा हूँ लेकिन हूँ तो एक मर्द ही" ऋषभ ने शर्मिंदगी के स्वर में कहा परंतु हक़ीक़त में उसकी शर्मिंदगी मात्र उसका दिखावा थी. अब तक उसका दायां हाथ मेज़ की आड़ में सफलतापूर्वक उसके विशालकाय लंड को तेज़ी से मसल्ते हुवे उसे उसकी चुस्त फ्रेंची की असहाय जकड़न से राहत पहुँचाने का कार्य कर रहा था.

"तुम मेरी चिंता छोड़ो मा! मैं ठीक हूँ और मुझे अपनी हद्द का बखूबी अंदाज़ा है" उसने अपनी अगली माशा के तेहेत ममता को अपने शब्दो के जाल में फ़साया.

"तुम्हारे ठीक पिछे मेरे पेन का ढक्कन पड़ा है, क्या तुम उसे उठा कर मेरी तरफ फेंक दोगि ? यह मेरा लकी पेन है मा" बोल कर वह फर्श पर पड़े अपने पेन के ढक्कन की ओर देखने लगता है. बिना सोचे-विचारे ममता भी अपने पुत्र के झाँसे में आ गयी और पलट कर ढक्कन उठाने के प्रयास में तुरंत अपना शरीर आगे को झुकाने लगती है. आकस्मात ही मन्त्र-मुग्ध कर देने वाले उस कामुक द्रश्य को देख कर तो मानो ऋषभ की आँखें फॅट ही पड़ी थी. उसकी मा के सुडोल चूतडो के दोनो पट बिल्कुल नंगे थे, बिना उसके झुकने के विश्वास कर पाना बहुत कठिन था कि उसने कछि नामक कोई वस्त्र पहना भी है या नही और जो उस वक़्त उसके चूतडो की गहरी दरार में पतले से धागे के रूप में फसि हुई थी. bent-over-oiled-ass-001 इस चन्द लम्हे के घटना-क्रम ने ऋषभ को इतना आंदोलित कर दिया कि सपने में ही सही मगर वह अपनी सग़ी मा के चूतडो की दरार के भीतर अपनी लंबी जीभ तीव्रता से रेंगती हुवी महसूस करने लगता है, वह बेहद उद्विग्न हो उठा था जैसे सत्यता में भी उसे अपनी मा की गान्ड के पसीने से लथ-पथ छेद को चाटना था.

यह ले रेशू! पकड़ इसे" ममता अति-शीघ्र पुनः खड़ी हो कर पलटी और ऋषभ की तरफ उस ढक्कन को फेंकती है, उसके ऐसा करने से कुच्छ पल के लिए अत्यंत कसी ब्रा में क़ैद उसके मम्मे झूल कर तेज़ी से से उच्छल-कूद करने लगते है और जिसका भान होते ही अत्यधिक शरम से वह पानी-पानी हो जाती है. bent-over-oiled-ass-001main-qimg-9bf7af9b05a9d0c36e66c65c74616659 उसने फॉरन अपने पुत्र के चेहरे को देखा, वह पूर्व से ही मुस्कुरा रहा था और जाने क्यों ममता भी मुस्कुरा उठी. पहली बार ऋषभ ने अपनी मा के दुखी चेहरे को खुशनुमा होते देखा था और उसने अपने गुप्तांगो को भी छुपाने की कोई कोशिश नही की थी.

"ओह्ह्ह! इतनी टाइट ब्रा मैं अब कभी नही खरीदुन्गि" कह कर ममता अपने दोनो हाथो को मोडते हुवे उन्हें अपनी पीठ पर ले गयी और उंगलियों की मदद से अपनी ब्रा का हुक टटोलने लगती है. images-5 उसके चेहरे की निरंतर बदलती जा रही आकृतयां यह प्रदर्शित करने को काफ़ी थी कि वाकाई उसने अपने गोल मटोल मम्मो से अपेक्षाकृत बहुत छोटी ब्रा का चयन कर लिया था. जल्द ही उसकी उंगलियों की पकड़ में उसकी ब्रा का हुक आ जाता है और कॅबिन में एक विशेष ध्वनि के पैदा होते ही वो खुल भी गया. ब्रा की क़ैद से मुक्त हुवे उसके मम्मे नंगे हो पाते इससे पहले ही ममता बड़ी सजगता के साथ उन्हे अपनी ब्रा से बाहर आने से रोक चुकी थी और पुनः ऋषभ के चेहरे को देख कर मुस्कुराने लगती है, 20210731-145210 जो सॉफ संकेत था कि उसने भी अब उस अमर्यादित परिस्थिति को काफ़ी हद तक स्वीकार कर लिया था. उसकी इच्छाए पिच्छले दो महीनो से दबी रहने के कारण अब हिंसक रूप धारण करती जा रही थी.

"रेशू! आज तेरी मा के मम्मे पहली बार किसी पर-पुरुष के सामने नंगे हो रहे हैं" ममता ने अपनी शर्मीली मुस्कान ज़ारी रखी और तत-पश्चात फॉरन ब्रा को अपनी मांसल बाहों से बाहर निकाल कर नीचे फर्श पर गिरा देती है. उसकी भय-हीन कजरारी आँखों का जुड़ाव उसके पुत्र के आश्चर्य से खुले हुवे मुख पर केंद्रित हो गया था, जिसके प्रभाव से अचानक उसके निपल तन कर किसी भाले की नोक सम्तुल्य कड़क होने लगे और अपनी चूत की अनंत गहराई में आकस्मात ही वह गाढ़ा कामरस उमड़ता महसूस करने लगती है.

"मेरा सौभाग्य है मा कि इनके दुर्लभ दर्शन करने वाला मैं पहला पर-पुरुष हूँ! तुम्हारा सगा बेटा" ऋषभ ने आनंदित स्वर में कहा. उसके विश्वास की यह पराकाष्ठा थी या ममता एक अपवाद जो उसकी अधेड़ उमर के बावजूद उसके मम्मो में ज़रा सा भी झुकाव नही आया था, पूर्व में देखे अनगिनत मम्मो में सबसे सुंदर और सुडोल. उन पर सुशोभित निप्पलो का भूरा रंग आकर्षण से भरपूर और कामुकता से परिपूर्ण था. images-9

"मुझे लगता है कि हम मूल विषय से भटक रहे हैं रेशू इसलिए मैं अपने शरीर पर बचे इस अंतिम कपड़े को भी उतार देना चाहूँगी ताकि यह व्यर्थ का वाद-विवाद यहीं समाप्त हो जाए" कहने के उपरांत ममता अपने दोनो हाथ अपनी कमर के इर्द-गिर्द रख कर अपनी कछि की एलास्टिक में अपने अंगूठे फसा लेती है. पल प्रति पल उसकी आँखें कामोत्तजना की चपेट से बंद होने की कगार पर पहुँच रही थीं मगर अथक प्रयास से उसने उन्हे ऋषभ के व्याकुल चेहरे पर जमाया हुवा था. यक़ीनन वह प्रत्यक्षरूप से देखना चाहती थी कि जब वह अपनी कछि को उतारती तब उसके पुत्र के चेहरे पर किस तरह के भाव का समावेश होता या उसके चेहरे की आकृति में कितना बदलाव आता. उसके होंठ खिल उठे, गालो पर शरम की अत्यधिक सुर्खिया छा गयी मानो शरीर का सारा रक्त उसके मुख-माडल पर ही एकत्रित हो गया हो. उसे अपने दिल की अनियंत्रित धड़कनो का भी पूरा भान था, जिसकी हर गूँज पर उसकी चूत संकुचित हो कर ढेर सारा कामरस बाहर उगलने लगती. जितनी बारीकी से वह अपने पुत्र के क्रिया-कलापों का निरीक्षण कर रही थी उतना तो शायद ऋषभ भी उसकी चूत का नही कर पाता. इसी बीच उसकी बाज़ सी नज़र उसके पुत्र के निरंतर हिलते हुवे दाएँ हाथ से टकरा जाती है और लम्हे भर के भीतर वह समझ गयी कि उसका पुत्र अपनी मा की कछि के उतरने के इंतज़ार में चोरी-छिपे अपना लंड सहला रहा है. इससे पहले कि वह पिघल पाती उसके अंगूठे हौले-हौले उसकी कछि की एलास्टिक को फर्श की दिशा में नीचे की ओर सरकाना आरंभ कर देते हैं. c9543f618a98dca8139c0877345b7b44 गति बेहद धीमी थी, पहले-पहल उसका पेडू अवतरित हुवा, फिर घनी झांतो के गुच्छे नज़र आने लगे और जिसे देखते ही ऋषभ बौखला उठता है, अब बिना किसी अतिरिक्त डर के उसका हाथ उसके पत्थर समान लंड को बेदर्दी से मसल रहा था, उसे ज़ोर-ज़ोर से पीट रहा था. या तो उसकी मा ने अपने अंगूठे रोक लिए थे या ज़ालिम वक़्त ही थम गया था, उसके चेहरे पर इतनी अधिक अधीरता व्याप्त हो चुकी थी कि निश्चित ही वह कुच्छ क्षण के पश्चात पागलपन का शिकार हो जाता. ममता उसके निरंतर खोते जा रहे धैर्य को नज़र-अंदाज़ नही कर सकी और तीव्रता के साथ अपनी कछि को नीचे की तरफ सरकाती रही, तब-तक जब-तक उसकी कछि का मिलान हक़ीक़त में फर्श से नही हो गया. download उसी गति से वह वापस भी उठ खड़ी हुवी और मदहोशी से भरे अत्यंत उत्तेजित स्वर में बोली.

"देख ना रेशू! तेरी मा बिल्कुल नंगी हो गयी रे, अब तू उसके मम्मो और चूत की जाँच शुरू कर सकता है बेटे

सेक्स जीवन से संबंधित! अपनी माँ के सेक्स जीवन से संबंधित तो ज़ाहिर है कि अपने पापा के सेक्स जीवन से संबंधित भी" सोचने मात्र से ही ममता के संपूर्ण बदन में फुरफुरी उठने लगी, जहाँ-तहाँ उसके मुलायम रोम खड़े हो जाते हैं. उसने हैरत से फॅट पड़ी अपनी आँखों से ऋषभ के चेहरे को घूरा, वा काग़ज़ के पन्ने पर कुच्छ लिखने में व्यस्त था.

"फिर भी रेशू! तू अपनी मा से क्या-क्या पुछेगा बेटे ?" अधीर ममता हौले से फुसफुसाई.

"ऑफ ओह मा! बताया तो मैने, तुम्हारी शारीरिक जाँच शुरू करने से पहले मुझे कुच्छ बातो का पता होना बेहद ज़रूरी है और इसी कारण मुझे तुम्हारे सेक्स जीवन के विषय में जानना होगा" अपनी मा को देखे बिना ही ऋषभ ने जवाब दिया.

"तो क्या तब तक मैं बेशरम बन कर यूँ ही नंगी बैठी रहूंगी ?" ममता ने खुद से सवाल किया.

"नही! कम से कम मुझे पैंटी तो पहेन ही लेनी चाहिए" वह फ़ैसला करती है मगर अपने उस फ़ैसले पर अमल कैसे करे, यह बेहद गंभीर मुद्दा था. एक औरत चाह कर भी अपनी नंगी काया को ढँक नही पा रही थी, कैसी अजीब परिस्थिति से उसका सामना हो रहा था. images-11

"रेशू" वह पुनः हौले से फुसफुसाई.

"क्या .. क्या मैं अपनी पैंटी पहेन लूँ ?" तत-पश्चात एक ही साँस में अपना कथन पूरा कर जाती है और अत्यधिक लाज से अपने होंठ चबाने लगी. हाए री विडंबना, मा को अपने ही जवान पुत्र से इजाज़त लेनी पड़ रही थी कि क्या वह अपनी नंगी चूत पर शीट ओढ़ ले.

"हां पहेन लो मा मगर वापस भी तो उतारनी होगी ना ?" ऋषभ दोबारा उसकी ओर देखे बिना ही बोला, उसने अपनी मा को उसके सवाल का मॅन-वांच्छित उत्तर तो दिया ही दिया मगर बड़ी चतुराई से अपने इस नये प्रश्न के ज़रिए इशारा भी करता है कि कुच्छ वक़्त पश्चात उसे फिर से पूरी तरह नग्न होना पड़ेगा. बीते लम्हे में गहें उत्तेजना के वशीभूत वह उस अत्यंत कामुक द्रश्य को अपनी आँखों में सही ढंग से क़ैद नही कर पाया था जब उसकी मा ने पहली बार उसके समक्ष अपनी कछि को उतारा था और अनुमांस्वरूप कि शायद इस बार उसे स्वयं अपने हाथो से अपनी उसकी कछि को उतारने का सौभाग्य प्राप्त हो सके, अपने इसी प्रयास के तेहेत उसने फॉरन अपनी रज़ामंदी दे दी थी.

"मैं! मैं तब उतार लूँगी" अंधे को क्या चाहिए, बस दो आँखें. ममता ने अत्यंत हर्ष से कहा जैसे भविश्य में अपनी कछि को पुनः उतारने में उसे कोई दिक्कत महसूस नही होगी और कुर्सी से उठ कर अपने कदम कॅबिन के कोने में पड़े अपने वस्त्रो की दिशा की तरफ चलायमान कर देती है.

"उफफफ्फ़ मा! तुम्हारे यह मांसल चूतड़ मुझे पागल कर देंगे" ममता के चलना शुरू करते ही ऋषभ उसके चूतड़ो को निहारते हुवे बुद्बुदाया. gifcandy-ass-50 चलते हुवे ना तो वह जानबूच कर मटक रही थी और ना ही उसके मंन में अपने पुत्र को रिझाने समान कोई विचार पनपा था, उसके चूतड़ो की स्वाभाविक थिरकन वाकयि जानलेवा थी और जिसके प्रभाव से ऋषभ के विशाल लंड की ऐठन असकमात ही दर्द में तब्दील होने लगती है.

"रेशू ने मेरे मम्मो की तारीफ़ की, मेरे चूतड़ो के विषय में कहा मगर एक बार भी मेरी चूत को नही देखा" बेमुशक़िल से 5-6 कदम चलने के उपरांत ही ममता के मॅन में संदेह का अंकुर फूट पड़ा.

"कहीं ऐसा तो नही कि इसे औरतो की चूत पर झाँते पसंद ही ना हों, फिर मैने तो पूरा जंगल उगा रखा है नही तो क्या मज़ाल की कोई मर्द औरत की चूत को इस तरह से नज़र-अंदाज़ कर सके" सोचते-सोचते वह अपने उतरे हुवे वस्त्रो के समीप पहुँच चुकी थी.

"ओह्ह्ह्ह मा! कितनी ज़ुल्मी हो तुम" ममता के नीचे झुकते ही ऋषभ के खुले मूँह से सीत्कार निकल गयी, वस्त्र बेहद उलझे हुवे थे और उनके बीच से अपनी छोटी सी कछि तलाशने में उसकी मा को कुच्छ ज़्यादा ही समय लग रहा था. उसके चूतड़ो के पाटो की अत्यंत गोरी रंगत से उनकी गहरी दरार अपेक्षाकृत बहुत काली नज़र आ रही थी जो सॉफ प्रमाण था कि दरार के भीतर भी बड़ी-बड़ी झाटों का साम्राज्य फैला हुवा है. images-11

"मिल गयी" ममता ने कछि को उठाते हुवे कहा, उसकी हौले मगर कोयल समान मीठी कूक ऋषभ के कानो से भी जा टकराती है. तत-पश्चात उसका अचानक से पलटना हुवा और उसके पुत्र की योजनाबद्ध निगाहें तो मानो उसकी मा की आवाज़ को सुन कर ही उसकी ओर मूडी हों, दोनो एक-दूसरे की आँखो में झाँकने लगते हैं मगर अति-शीघ्र उस मा को पुनः उसके पुत्रा की आँखों का जुड़ाव उसके चेहरे से हट कर उसके सुडोल मुम्मो से जुड़ता प्रतीत होता है.

"देखती हूँ! कब तक यह इसी तरह मेरी चुत की उपेक्षा करता है" ममता विचलित हो उठी और अपनी कुर्सी के नज़दीक आने लगती है. उसके दाएँ हाथ के पंजे में उसकी चूत के गाढ़े कामरस से भीगी हुवी कछि थी, जिसे पहेन्ने की इज़ाज़त लेने के उपरांत वह पूर्वा में फूली नही समाई थी परंतु अब उसका मॅन बदल चुका था. उसने प्रण कर लिया था कि वह अपनी चूत को नही धाँकेगी और वापस नंगी ही अपनी कुर्सी पर बैठ जाती है. 616c07fa066e13c61bfdfaa4b0738829

"क्या हुवा मा! क्या अब तुम्हे कछि नही पहेनना ?" ऋषभ ने बेशर्मी से मुस्कुराते हुवे पुछा.

"नही! ऐसी बात नही रेशू मगर मेरी पैंटी गंदी है, मैं कैसे इसे पहनु ?" ममता ने बड़े भोले पन से जवाब दिया और अपने कथन की सत्यता को उजागर करते प्रश्न के साथ ही उसके समर्थन में अपनी गीली कछि फॉरन अपने पुत्र के चेहरे के समक्ष लटका देती है.

हां! तुमने बताया था कि तुम्हारी चूत हर वक़्त रिस्ति रहती है" ऋषभ ने कहा और अत्यंत तुरंत कछि को अपने हाथ में खींच लेता है.

"ह्म्‍म्म! यह तो वाकाई बहुत गीली हो चुकी है मा, मानो अभी इसमें से रस टपकने लगेगा" वह कछि को निचोड़ने का नाटक करते हुवे बोला.

"ला इधर दे! मैं इसे अपने पर्स में रख देती हूँ" अपने पुत्र की नीच हरक़त देख ममता लजा गयी और तभी ऋषभ को उस पारदर्शी कछि के भीतर उसकी मा की झाँत के दो-चार घुँगराले बाल फसे हुवे नज़र आ जाते हैं.

"वैसे तो हमारे सर के बालो से हमारे गुप्तांगो के बाल कहीं अधिक मजबूत होते हैं मगर तुम्हारी झांतो का इतना ज़्यादा झडाव अच्छा संकेत नही मा" ऋषभ ने कछि के भीतर से एक लंबे बाल को बाहर निकाला और उसे अपनी मा को दिखाते हुवे कहा. ममता फॉरन अपने निचले होंठ को अपने नुकीले दांतो के मध्य भींच लेती है ताकि होंठ के दर्द की आड़ में वह अपनी चूत की कुलबुलाहट को कम कर सके मगर उसका पुत्र तो जैसे उसकी कामोत्तजना को भड़काता ही जा रहा था. lips-lip इससे पहले कि वह उसकी कछि को अपनी नाक के समीप ले जा कर उसे सूंघने में कामयाब हो पाता ममता ने लघ्भग चीखते हुवे अपनी कछि उसके हाथ से वापस छीन ली.

"गंदी! गंदी है रेशू" ममता काँपते स्वर में बोली.

"तुम इतनी घबरा क्यों गयी मा ?" जानते हुवे भी ऋषभ ने पुछा, अपनी मा के छर्हरे बदन और उसकी अत्यंत कामुक भावनाओ से खेलना उसे बेहद रास आ रहा था.

"पहली बात तो यह की एक चिकित्सक के शब्कोष में घिन और गंध जैसे कोई शब्द मौजूद नही रहते और फिर तुम तो मेरी मा हो" उसने गंभीरता पूर्वक कहा.

"ना तो मैं घबरा रही हूँ रेशू और ना ही शरमा रही हूँ, तुझे बे-वजह ऐसा लग रहा है बेटे" ममता भी फूटी हसी हस्ते हुवे बोली.

"चलो फिर ठीक है मा! अपना शारीरिक अनुपात बताओ ?" ऋषभ ने तपाक से पुछा.

"क्या यह जानना ज़रूरी है रेशू ?" ममता प्रत्युत्तर में बोली.

"बेहद ज़रूरी मा" ऋषभ ने मुस्कुरा कर कहा.

"36-26-38" ममता फुसफुसाई, बोलते हुवे उसकी गर्दन नीचे को झुक जाती है.

"बहुत अच्छा अनुपात है मा! तुम्हे तो खुद पर गर्व होना चाहिए, ख़ास कर तुम्हारे कसे हुवे मम्मे और सुडोल चूतड़ देख कर तुम्हारी असल उमर का अंदाज़ा लगाना नामुमकिन है" ऋषभ ने अपनी मा की थोड़ी को ऊपर उठाते हुवे कहा. ममता की अनियंत्रित सांसो के उतार-चढ़ाव से उसके मुम्मो का आकार निरंतर घाट'ता वा बढ़ता जा रहा था और उन पर शुशोभित गहरे भूरे रंग के निपल टन कर बेहद ज़्यादा कड़क हो चुके थे. Wow-young-slut-with-a-perfect-body-showing-her-perky

"जैसा कि तुमने बताया था कि तुम्हारी चूत में तुम्हे महीने भर से अधिक समय से दर्द महसूस हो रहा है! क्या तुम्हे कुच्छ अनुमान है कि इस दर्द की क्या वजह हो सकती है ?" ऋषभ ने पुछा, अब तक उसका हाथ ममता को थोड़ी को पड़के हुवे था ताकि वह पुनः अपनी गर्दन नीचे ना झुका सके.

"नही पता रेशू" ममता ने अंजान बन कर अपनी असहमति जताई.

"पापा और तुम्हारे बीच चुदाई कब से नही हुई मा ?" ऋषभ ने विस्फोट किया, हलाकी इस अश्लील प्रश्न को पुच्छने में उसे अपनी गान्ड का पूरा ज़ोर लगाना पड़ा था मगर आख़िरकार वह पुच्छ ही बैठा.

"रेशू" अचानक ममता क्रोधित स्वर में चिल्लाई.

"तू अपनी हद्द से बाहर जा रहा है" वह तिलमिला उठी थी मगर उसका क्रोध झेलने के लिए ऋषभ पहले से ही तैयार था.

"मुझे पता था मा कि तुम्हे अपने बेटे के इलाज पर विश्वास नही है मगर सिर्फ़ मेरा दिल रखने के लिए तुमने अपनी झूठी स्वीकृति दी. अगर मुझे तुम्हारे और पापा की चुदाई संबंधो की जानकारी नही होगी तो मैं कैसे तुम्हारा इलाज कर सकूँगा ?" ऋषभ ने बिना किसी झिझक के पुछा.

"तुम अपने कपड़े पहेन लो और घर जा सकती हो, शायद अब मैं कभी तुम्हारी चेहरे से अपनी नज़र नही मिला सकूँगा" उसने मायूसी से अपनी मा की ठोड्डि को छोड़ते हुवे कहा और हाथ में पकड़े हुवे अपने पेन का ढक्कन बंद करने लगाता है.

"क्यों मैं बार-बार अपने बेटे का दिल दुखा देती हूँ ? क्या महज इस लिए कि वह मेरी चूत की उपेक्षा कर केवल मेरे मम्मे और चूतड़ो की ही तारीफ़ रहा है ? क्या यह कम है कि अब तक उसने मेरे नंगे बदन को च्छुआ तक नही वरना एक नंगी औरत को इतने नज़दीक पा कर तो कोई भी मर्द उसे अपनी वासना का शिकार बना चुका होता. ग़लती मेरी और मेरे पति की है तो मेरा बेटा उसे क्यों भुगते ?" ममता उस अप्रत्याशित चोट को सह नही पाती. नंगी वह स्वयं अपनी मर्ज़ी से हुई थी और सारा इल्ज़ाम उसका पुत्र अपने सर पर ले रहा था. वह कुर्सी से नही उठी और कुच्छ छनो तक ऋषभ के उदासीन चेहरे को निहारती रहती है.

"रेशू! मेरा इरादा तेरा दिल दुखाने का नही था, अब तू जो कुच्छ भी पुछेगा मैं जवाब दूँगी बेटे" ममता रुवासे स्वर में बोली.

"हम ने पिच्छले दो महीनो से चुदाई नही की, तू तो जानता ही है कि तेरे पापा अस्थमा के मरीज़ हो गये हैं" उसने सच बयान किया, उसकी आँखें हल्की सी डबडबाने लगी थी.

"तो फिर तुम अपनी शारीरिक ज़रूरत को कैसे पूरा करती हो मा ?" नाज़ुक वक़्त की महत्ता के मद्देनज़र ऋषभ ने एक और निर्लज्ज सवाल पुच्छ लिया, अब तक उसके मन-मुताबिक चले घटना-क्रम को देख वह निश्चिंत था कि उसकी मा अब उसकी मर्ज़ी के बगैर हिल भी नही सकती थी.


Contd.....

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