अपडेट -18
बाहर बारिस बदस्तूर जारी थी, रोहित खिड़की से बाहर बरसते मौसम को देख रहा था, कैसे करवट बदला मौसम एक दम जैसे उसकी जिंदगी ने करवट ली थी.
अभी अभी उसके वीर्य ने शबाना के कामुक गरम मुँह मे पनाह पाई थी, किस तिमाइश की औरत थी शबाना कितनी आसानी से एक मर्द को काबू कर लिया था.
किस काम के लिए आया था क्यों आया था सब धरा रह गया.
लेकिन रोहित ने आज एक अनोखा सुख भोगा था, कामकला का रखा अध्याय पड़ा था.
उसे याद आया की काया ने कभी ऐसी कोशिश नहीं की, की भी तो रोहित ने खुद मना कर दिया, कितना गन्दा होता है ये सब...
लललल.... लेकिन शबाना ने जो किया उसके बाद वो गन्दापन महसूस क्यों नहीं हो रहा था?
हज़ारो सवाल रोहित के दिमाग़ मे साय साय कर गुजर जा रहे थे.
"बड़े.... बाबू.... कहां खो गए " शबाना की मधुर कामुक आवाज़ कमरे मे वापस गूंज उठी.
"वो.. वो... मै... मै... कुछ नहीं " रोहित खिड़की से हट कर आगे आ गया.
"ये पानी पी लीजिये थक गए होंगे " शबाना ने पानी का गिलास आगे बड़ा दिया
जिसे रोहित ने तुरंत गट गट गटक कर पी लिया.
पानी का स्वाद कुछ अजीब था, लेकिन रोहित प्यासा था उसका गला सूखा था.
"हो जाता है बड़े बाबू, ऐसे मौसम मे कभी कभी भीग जाना चाहिए, कब तक घर के नलों ने नहाओगे?" शबाना गिलास वापस ले लिया.
"मै.. मै.... कब भीगा " रोहित शबाना की बातो का मतलब नहीं समझ सका था, कितना अनाड़ी था रोहित.
"जाने दीजिये.... ये लीजिये पैंट साफ कर लीजिये" शबाना ने पास रखे टॉवल को आगे कर दिया
रोहित सर खुजाता नीचे देखा उसकी पैंट का हिस्सा पानी और कुछ वीर्य की बूंदो से भीगा हुआ था.
"ररर... रहने दीजिये मै चलता हूँ?" रोहित ने बाहर को कदम बढ़ाने चाहे
"आप हर वक़्त जल्दी मे ही क्यों रहते है बाबे बाबू "
"मममम... मतलब?" रोहित के पैर वही थाम गए
"हर काम मे जल्दी अच्छी बात कहां होती है "
"मैंने कब जल्दी की?"
"अभी तो की.... " शबाना रोहित के नजदीक आ खड़ी हुई इतनी की सांसे मिल जाये आपस मे.
"वो... वो... मै... मै.... तो घर जाने की बात कहा रहा हूँ " रोहित की जबान उसका साथ नहीं दे रही थी
देती भी कैसे जब सामने परायी कामुक स्त्री लगभग अर्धनग्न खड़ी हो तो ये हालत लाजमी है.
"आपने जो अभी अभी किया उसकी बात कर रही हूँ "
रोहित को समझते देर ना लगी " वो.. वो... मै... सॉरी मै कण्ट्रोल नहीं कर सका खुद को "
"इसका मतलब आप इस सुख से वंचित है "
"कककक... क्या किस सुख से?" रोहित का दिल कांप रहा था, धाड़ धाड़ कर रहा था शबाना की कोई बात उसकी समझ मे नहीं आ रही थी.
जवाब मे शबाना के हाथ रोहित की पैंट की कमर मे जा फसे.
शबाना कमरे के बीचो बीच स्तिथ बिस्तर की ओर बढ़ चली, साथ ही रोहित खींचता चला गया.
जैसे किसी ने सम्मोहन कर दिया हो उसपे, असल मे सम्मोहन तो था ही शबाना की अदा का सम्मोहन.
शबाना बिस्तर के किनारे जा बैठी, रोहित सामने खड़ा था, आँखों मे हैरानी थी,
शबाना के हाथ रोहित की शर्ट पर घूमते हुए, कमर तक आते फिर छाती पर चले जाते.
रोहित गुदगुदी महसूस कर रहा था साथ ही एक उत्तेजना भी थी इस स्पर्श मे.
रोहित ने महसूस किया की उसके लंड मे एक हलचल सी होने लगी है,
ये असंभव सा था क्युकी आजतक ऐसा हुआ ही नहीं था, काया के साथ एक बार 2 मिनिट का सम्भोग करने के बाद वो खुद नहीं उठ लाता था लंड उठने की बात तो बहुत दूर है.
चट.... तक... जजीपिंप्प्प..... शबाना ने रोहित की पैंट के बटन खोल दिए, और तुरंत ही जीप भी खुलती चली गई.
रोहित सिर्फ उसकी हरकत देखे जा रहा था, शबाना ने एक बार सर उठा देखा रोहित उसे ही देख रहा था.
रोहित क्या चाहता है उसे परवाह नहीं थी,
रोहित की पैंट पल भर मे जमीन चाटने लगी, शबाना के हाथ रोहित की पैंटी के किनारे जा फसे.
"इस्स्स..... रहने दीजिये ना शबाना जी " रोहित ने एक मरी हुई आवाज़ मे नकारना चाहा, इस आवाज़ ने कोई दम नहीं था.
अब दम नहीं था तो शबाना के हाथ रुके भी नहीं.
साहारररर...... से रोहित की पैंटी उसके घुटनो पर जा टिकी...
रोहित का खूबसूरत छोटा सा लंड पूरी अकड़ मे झटके के साथ शबाना के मुँह की तरफ लपका.
"आउच.... बड़े बाबू क्या बात है ".
रोहित इस दृश्य को देख रहा था, दिल धाड़ धाड़ जर बजने लगा, वो हैरान था ऐसे कैसे हो गया,
उसके दिमाग़ मे हवस चढ़ने लगी थी, जिसका परिणाम उसका खड़ा लंड था, लेकिन ये कैसे अभी तो वो झड़ा था, फिर जैसे खड़ा हो गया.
वो भी बिल्कुल टाइट एक दम, नशे तक दिख रही थी.
रोहित ने महसूस किया की उसका लंड आज कुछ ज्यादा ही मोटा और लम्बा सा दिख रहा है.
क्या शबाना वाकई इतनी खूबसूरत थी.
खेर ये वक़्त नहीं था सोचने का.... सोचता भी कैसे
आअह्ह्हब..... शबाना जी... इससससस..... शबाना के हाथ रोहित के लंड को जकड चुके थे.
शबाना का सर आगे को बढ़ गया, जबान नाभि के नीचे के हिस्से पर जा लगी
"आआहहहहह...... इस्स्स.... रोहित के जिस्म ने झुरझुरी सी ली, ऐसा कुछ भी होता है आज उसे मालूम पड़ रहा था.
शबाना की जबान लगातार रोहित की नाभि तक जाती फिर लौट आती नीचे जहाँ से रोहित के लंड की उत्पत्ति होती थी.
शबाना के हाथ रोहित के लंड पर रेंग रहे थे, ऊसे मसल रहे थे रोहित आज एक अलग दुनिया मे पहुंच गया था,
कुछ ही घंटो मे ये अनुभव उसे दूसरी बार मिल रहा था.
गुलप..... सुडप...... कर काया जी जीभ रोहित के लंड के नीचेले हिस्से से ऊपर को चल पड़ी.
रोहित की गांड टाइट होती चली गई, वो अपने पंजो पर उछल खड़ा हुआ, एक झन झनहत सी शरीर मे दौड़ने लगी.
शबाना ने कोई परवहा नहीं की उसकी जबान वापस नीचे को आ रोहित के टट्टो से जा लगी, थोड़ी देर टट्टो को सहलाती रही फिर वापस ऊपर को रोहित के गुलाबी हिस्से पर जा रुकी.
रोहित सांस रोके उस कामपिपासु औरत के कारनामें देख रहा रहा.
शबाना की गीली लाल जबान रोहित के गुलाबी हिस्से को कुरेद रही थी.
"आअह्ह्ह.... शबाना जी " रोहित बस सिसकरी भर के रह जाता, उसके हाथ खुद से उठ के शबाना के सर पर जा लगे.
रोहित शबाना के सर को आगे को धकेलने लगा.
"बड़े बाबू आप बहुत जल्दी मे रहते है " शबाना ने सर ऊपर कर मुस्कुरा दिया.
रोहित झेप गया शायद उसे अपनी गलती समझ आ गई थी, उसके हाथ शबाना के सर पर ढीले पड़ गए.
शबाना लगातार रोहित के लंड को किसी कुतिया की तरह चाटे जा रही थी, कभी टट्टो को तो कभी पुरे लंड को.
रोहित का लंड थूक और लार से पूरा गच हो गया था.
रोहित हैरान था वो अभी तक भी कैसे टिका हुआ है, 5 मिनीट हो गए होंगे शायद.
ये असंभव था, ऐसा कभी नहीं होता था अब तक तो वो लंड से प्राण त्याग कर ढेर हो जाया करता था.
क्या जादू था शबाना मे, खेर ये समय सोचने का नहीं था इस जादू मे बह जाने का वक़्त था.
गुलप.... पच.... से रोहित का लंड शबाना के गीले मुँह मे समाने लगा, शबाना की लाल लिपस्टिक अपनी छाप छोड़ती आगे सरकती चली गई.
रोहित ने कमर को आगे धकेल दिया, गांड भींच ली, जबडे कस गए.
"आआहहहहम्म.. शबाना जी हहुउउम्म्मफगफ्फ......
शबाना बिना कुछ कहे सर को हिलाने लगी,
बाहर तूफान जारी था अंदर शबाना के मुँह मे लंड जा रहा था.
पच...पचम... पच.... ओक... ओक... वेक.. वेक... शबाना का पूरी तरह से थूक से भर गया था उसमे लंड पच पच कर अंदर बाहर हो रहा था.
15 मिनट और बीत गए थे, शबाना का थूक उसके गले से रिसता स्तन को भिगोता जा रहा थारोहित के हाथ शबाना के सर को सहला रहे थे और शबाना के हाथ रोहित की नंगी गांड पर अठखेलिया कर रहे थे.
मौसम अपने उन्माद पर था, रोहित अपने चरम सीमा को कबका पार कर चूका था लेकिन टिका था, काम युद्ध मे अनुभवी योद्धा से लोहा ले रहा था.
फच... फच... पच.... वेक... वेककक...
पाचकककक..... फचाक्क्क..... तभी रोहित इस दबाव का ना झेल सका उसके लंड ने वीर्य त्याग दिया इस बार भी शबाना ने उसे व्यर्थ ना जाने दिया.
एक बार मे सारा गटक लिया,
धड़ाम.... से रोहित पीछे बिस्तर पर जा गिरा..
हुम्म्मफ़्फ़्फ़... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... शबाना भी उसी अवस्था मे रोहित के आगोश मर जा लेटी.
दोनों की नजरें आपस मे मिली.
तूफान शांत हो गया था बारिश रुक गई थी, अंदर भी और बाहर भी.
कुछ समय बाद रोहित ने खुद को संभाला, एक अजीब सी हलचल अभी बहुत थी उसके जिस्म मे.
एक अनोखा अनुभव प्राप्त किया था उसने आज.
"मुझे अब चलना चाहिए शबाना जी " रोहित ने पास पड़ी पैंट चढ़ा ली, बेल्ट कस ली.
शबाना कुछ ना बोली बस मुस्कुरा दी.
रोहित ने एक पल उस मादक अप्सरा को देखा और तुरंत बाहर को दौड़ लगा दी, जैसे अभी रुका तो जमीन फट जाएगी.
हुम्म्मफ.... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... रोहित ने कार मे बैठ राहत की सांस ली.
रोहित की नजर कलाई घड़ी की तरफ गई 5 बज गए थे.
"ओह गॉड मै कब से यहाँ था. "
खाहाररर..... खररर..... रोहित ने कार स्टार्ट कर आगे बड़ा दी.
उसी पल उसी रास्ते पर थोड़ी दुर
"बाबू... बाबू... कोई आ रहा है लगता है." काया अपनी लेगी को ऊपर चढ़ा रही थी.
कार चलने की आवाज़ नजदीक आ रही थी.
बाबू भी तुरंत उठ खड़ा हुआ, दोनों बाहर चलने को थे की सामने से एक सफ़ेद कार उनके सामने से निकली जा रही थी.
दोनों ने राहत की सांस की कार आगे बढ़ गई थी.
"ये सुनसान जगह पर कौन एक्टिवा खड़ी कर गया " कार मे बैठे रोहित की नजर बाजु से निकलते हुए एक्टिवा पर पड़ी.
रोहित ने देखा पास ही खंडर है, लेकिन अंदर अंधेरा था, थोड़ी झाड़िया था कुछ दिखा नहीं.
वैसे भी समय कहां था रोहित के पास ये सब सोचने का " कोई बारिश से बचने के लिए रुका होगा " रोहित की कार उस खंडर को पार कर गई.
क्या गजब संयोग था, दोनों पति पत्नी पास हूँ मौजूद थे,
रखा साथ कामकला का पहला अध्याय पढ़ रहे थे.
बाबू और काया भी तुरंत घर की ओर चल पडे.
रोहित बैंक की तरफ चल दिया.
कुछ ही समय मे काया घर आ चुकी थी, जिस्म और कपडे गीले थे.
घड़ी देखी 6 बजने मे 15 मिनिट थे.
"रोहित आते ही होंगे " काया तुरंत बाथरूम की और चल दी.
टिंग टोंग.... लगभग आधे घंटे बाद रोहित घर मे दाखिल हुआ, काया हमेशा की तरह दमक रही थी लेकिन रोहित का जिस्म बोझिल था, थका हुआ था.
"क्या हुआ थके थके लग रहे हो आप " काया ने रोहित को पानी देते हुए कहां.
हालांकि दोनों ही नजरें चुरा रहे थे एक दूसरे से.
दोनों के मन मे ही चोर था..
रोहित बिना कुछ कहे बाथरूम की ओर चल दिया काया किचन के कामों मे व्यस्त हो गई..
उसी वक़्त शबाना की कोठी पर.
"किस्त ले गए थे बड़े बाबू "एक रोबदार आवाज़ का मालिक शबाना के सामने बैठा था.
"पहली मामूली किश्त ही दी है अभी तो " शबाना मुस्कुराती उस शख्स की गोद मे जा बैठी.
हाहाहाहाहा..... दोनों की हसीं से कमरा गूंज उठा.
इस घटना के बाद से क्या रोहित काया का रिश्ता मजबूत होगा?
या फिर दूरिया बनती जाएगी?
और रोहित के लंड मे वो ताकत कहां से आ गई? क्या कोई भेद है इन सब मे?
बने रहिये कथा जारी है.
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