अपडेट -19
रात का डिनर हो चूका था, काया के घर मे एक अजीब सी शांति छाई हुई थी.
लेकिन दोनों कर दिल मे एक उथल पुथल ने जगह ले ली थी.. दोनों भी बिस्तर परएते करवट बदल रहे थे.
काया का जिस्म आज की घटना से रोमांचित था, जिस्म मे खलबली सी मची थी, कैसे वो ये सबबकर गई.
उसके दिमाग़ मे वो पल दौड़ चले.
खंडर से निकल दोनों रास्ते पर चल रहे थे.
"थैंक्स यू मैडम जी मैंने आजतक कभी ऐसा नहीं किया था" बाबू उबड़ खाबाड़ रास्ते पर एक्टिवा चलाये जा रहा था.
"मैंने भी " काया ने बस इतना सा जबाब दिया.
उसे आज अहसास हो गया था की औरत की कच्छी मे भी कितनी कामुकता होती है.
"मैडम मैंने तो सुना है चुत चाटने मे इस से भी ज्यादा मजा आता है " बाबू ने मौके पे बात कहा दी.
"ककम... क्या...? काया हैरान थी
" जितना मजा औरत की कच्छी मे है उस से ज्यादा मजा सीधा रस पिने मे है "
काया हक्कीकत बक्की थी अभी जो उसने किया था उस वजह से वैसे ही उसकी चुत रिस रही थी ऊपर से बाबू की ये गंदी बाते.
"ससससस.... सच तुम्हे किया है कभी " काया ने कोतुहाल मे पूछ लिया
"कहां मैडम मैंने तो बस गांव कर लड़को से सुना था "
काया की चुत अब कुलबुलाने लगी थी, फड़फड़ा रही थी.
काया वापस से हकीकत मे आ गई, उसका चेहरा रोहित की तरफ था
दोनों एक दूसरे को देख रहे थे, रोहित भी बेचैन था.
अचानक दोनों एक दूसरे की ओर बढ़ गए, दोनों के होंठ आपस मे जुड़ गए.
लप लप... कर एक दूसरे के होंठो को चाटने लगे, दोनों के जिस्म की गर्मी उन्हें ना रोक सकी.
रोहित ने तुरंत ही अपने कपडे उधेड़ दिए, साथ ही काया का गाउन जांघो तक जा लगा.
साफ चिकनी गीली गच चुत रौशनी मे चमक उठी,आज काया की चुत पहले से कुछ ज्यादा ही फूली हुई थी.
रोहित ने चुत के ऊपर अपने हाथ जमा दिया.
"आआआहहहह...... काया के मुँह से एक कामुक सिस्कारी निकल पड़ी, आंखे बंद हो कर खुल गई जो की इशारा था रोहित को बुलावा था.
रोहित तुरंत उछल कर काया की जांघो कर बीच जा बैठा.
लेकिन जैसे ही रोहित के हाथ पाने लंड पर गए ये.... ये... ये.. क्या लंड बिल्कुल मुरझाया हुआ था, जिस्म मे गर्मी महसूस हो रही थी लेकिन लंड तक नहीं पहुंच रही थी.
रोहित ने दो चार झटके अपने लंड पर कस कस के मारे, लेकिन हालत जस के तस.
काया सामने केटी आंखे बंद किये, होंठ दबाये लेती थी.
उसे इंतज़ार था की अब रोहित का लंड उसकी चुत को चिरता हुआ अंदर आएगा.
लेकिन 1मिनट बाद भी कुछ ना हुआ तो काया ने सर उठा देखा, सामने रोहित उसकी जांघो के बीच बैठा लंड को झकझोड़ रहा था.
काया ने देखा रोहित का लंड पहले से भी कहीं ज्यादा सीकूड़ा हुआ था, जिसे रोहित ने एक ऊँगली और अंगूथे से पकड़ा हुआ था.
ये... ये... क्या अभी अभी काया बाबू के विशालकाय लंड को चूस के आई थी, एक बच्चे के लंड को, उसके सामने रोहित का लंड लुल्ली जैसा था.
काया के अरमान बहते चले गए, दिल शांत होता गया, सारी उत्तेजना सो गई काया ने जाँघे समेट बिस्तर पर करवट ले ली.
रोहित भी मन मामोस के साइड मे लेट गया.
"ये क्या हुआ.... अभी दिन मे तो फड़क रहा था, अभी खड़ा भी नहीं हो रहा ये क्या मुसीबत है "
रोहित को कुछ समझ नहीं आ रहा था.
समय बीत गया, दोनों के जिस्म से उत्तेजना गायब हो गई, दोनों नींद मे खो गए.
आज का दिन ऐसे ही समाप्त हो गया.
अगले दिन रोहित और काया के बीच ख़ामोशी व्याप्त थी, रोहित नाश्ता कर ऑफिस के लिए निकल गया था.
काया घर के कामों मे व्यस्त थी.
रोहित बैंक पंहुचा ही था की "अरे कय्यूम भाई आप इतनी सुबह यहाँ?"
कय्यूम बैंक के दरवाजे पे ही खड़ा था.
"नमस्कार बड़े बाबू, बाजार जा रहा था तो सोचा आपको न्योता देते चलू "
"कैसा न्योता?"
"आज आपका और मैडम का खाना मेरे घर पर है " कय्यूम और रोहित बैंक के अंदर तक आ चुके थे.
"किस खुशी मे दावत दी जा रही है कय्यूम जी " रोहित और कय्यूम मे अब दोस्तों का ही व्यवहार था.
"कोई खास खुशी नहीं बस इस महीने अच्छा धंधा हुआ "
"अरे वाह ये तो मेरे लिए भी खुशी की बात है... लल्ल... लेकिन " रोहित ने चिंता जाहिर की
"क्या लेकिन?"
"मै... मै... वो.. नॉनवेज नहीं खाता "
"क्या बड़े बाबू खाना चाहिए ना खेर कोई नी आपके लिए वेज का बंदोबस्त है, दारू तो पीते हो ना hehehehe..." कय्यूम ने चुटकी ली.
"अच्छी हो तो..." रोहित ने भी वैसे ही चुटकी लेते हुए कहां.
"आपके नसीब मे सब अच्छा ही है बड़े बाबू, विलयती रखी है मेरे पास " कय्यूम ने आंख मार दी.
"अच्छा तो आना जरूर " कय्यूम उठने को हुआ लेकिन वापस बैठ गया.
"मैडम जी तो खाती है ना?" कय्यूम के मन मे थोड़ी आशंका थी.
"हाँ.. वो खा लेती है कभी कभी "
"फिर क्या समस्या है ऐसा बनाऊंगा की चाटती रह जाएगी "
"हाँ... हाँ... भाई चटवा लेना "
रोहित कय्यूम की बातो का मतलब समझ ना सका, समझ ही लेता तो बात क्या थी.
कय्यूम बैंक से चला गया,
पीछे रोहित का काम मे मन नहीं लग रहा था, रह रह के कल का किस्सा याद आ जा रहा था, शबाना के साथ उसके लंड ने जो हुंकार भरी थी वो रात मे कहां गई.
काया को उसने बहुत हर्ट किया कल.
काया का ख्याल आते ही उसने काया का नंबर घुमा दिया.
ट्रिंग.... ट्रिंग.... "हैल्लो... Hello.... हाँ काया क्या कर रही हो "
"कुछ नहीं कपडे ही धो रही थी" उधर से काया की आवाज़ आई.
"कल के लिए सॉरी यार " रोहित ने आखिर हार मानते हुए माफ़ी मांग ली.
"कोई बात नहीं रोहित हो जाता है " काया ने एक अच्छी बीवी की तरह कोई तावज्जो नहीं दी.
"अच्छा सुनो आज रात का खाना मत बनाना "
"क्यों क्या हुआ?"
"कुछ नहीं आज कय्यूम भाई के घर जाना है खाने "
कककक.... क्या.... क्या...?
काया के चेहरे पे एकाएक पसीना आ गया, कय्यूम के साथ हुई रात की घटना घूम गई, दिल पर धाय धाय कर किसी ने गोली मार दी हो जैसे.
"क्या हुआ काया नहीं जाना?" रोहित ने आशंका जाहिर की.
"ननन... नहीं... नहीं.... ऐसी बात नहीं वो बस ऐसे ही " काया ने खुद को संभाल लिया.
"ठीक है आता हूँ शाम को तैयार रहना"
रोहित ने फ़ोन काट दिया.
काया वही सोफे पर बैठ गई, फ़ोन अभी भी कान पर हि लगा था.
कय्यूम का नाम सुनते हिबुसके जहन मे कय्यूम का काला भयानक बड़ा लंड उभर आया.
जिसे वो छूने मे नाकाम रही थी.
मर्दो का मजबूत काला बड़ा लंड उसकी कमजोरी बनता जा रहा था.
कल से वैसे ही उसका जिस्म गर्म था, नाभि का निचला हिस्सा रह रह के फड़फड़ा जा रहा था.
ऊपर से बाबू की सुनाई हुई बाते उसके जहन मे बस गई थी,
ना जाने क्यों काया एक मुस्कुराहट के साथ सोफे से उठ खड़ी हुई, शायद उसने कोई निर्णय ले लिया था.
*******
शाम होते होते काया दमक रही थी
लाल सारी, लाल स्लीवलेस ब्लाउज पहने काया बिंदी लगा रही थी.
"क्या बात है काया " पीछे से रोहित की आवाज़ ने काया को टोका जो की अभी अभी बाथरूम से नहा के आया था.
"क्या बात है?आप भी ना " काया ने मुस्कुरा दिया
रोहित ने कोई जवाब ना दिया शायद उसे तारीफ करनी आती ही नहीं थी.
काया के उन्नत सुडोल स्तन ब्लाउज मे कसे हुए थे, सारी गांड पर बिल्कुल कसी हुई थी.
गांड को आज हिलने का मौका नहीं दिया था काया ने.
काया 7 बज गए है, कय्यूम का ड्राइवर फारुख आ गया होगा नीचे.
लेट हो जायेंगे. रोहित तैयार हो चूका था.
मर्दो को तैयारी की क्या करनी होती है.
"आई बस..." काया अब बिल्कुल कोई अप्सरा नजर आ रही थी.
लाल होंठ, आँखों मे सुरमाई काजल, झुमके, लाल सिंदूर,
लाल ब्लाउज मे कसे हुए गोरे गोल स्तन, नाभि के नीचे बँधी गई सारी से नाभि की झलक साफ दिख रही थी.
दोनों ही नीचे जा पहुचे जहाँ फारुख इंतज़ार कर रहा था.
काया पे नजर पड़नी थी की फारुख को जैसे हार्ट अटैक ही आ गया हो.
"अअअ.... आइये..... मा... मैडम जी बड़े बाबू " फारुख ने तुरंत दरवाजा खोल दिया.
काया फारूख के पास से होती कार की पिछकी सीट पर जा बैठी बस ये ही पल काफ़ी था फारुख के किये उस हसीन अप्सरा को महसूस करने का.
एक भीनी भिनी सी खुसबू से फारुख का जिस्म नहा गया.
दूसरी तरफ से रोहित कार मे जा बैठा.
कार.... सरसराती सडक पर दौड़ पड़ी.
कैसी होंगी कय्यूम की पार्टी?
रंग जमेगा या भंग पड़ेगा?
बने रहिये....
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