मेरी मां एक मांस की दुकान में अपनी साड़ी उठाए हुए, मेले कुचले बिस्तर पर एक जवान लड़के के सामने टांगे फैला के लेटी थी.
और एक जवान लोंडा मेरी माँ की चूत को किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था...योनी के छेद मे अपनी जिभ घुमा रहा था,
मेरी माँ तड़प रही थी, हाथ पैर पटक रही थी, एक बार ढेर सारा गरम गरम पानी छोड़ चुकी थी, मेरी संस्कारी माँ आज पहली बार चुत चटवा रही थी,
मेरी माँ झड़ गई थी फिर भी असलम रुका नहीं, एक पल रुक मे वापस से अपने गंदे होंठ माँ की कोमल चुत पर जमा दिए.
असलम को करीब 10 मिनट हो चुके थे माँ की चूत को चाटते, उउउद्द.... सिस्स्स... इसस्स.... माँ उत्तेजना मे कराह रही थी., माँ को इतना मजा, इतनी हवस आज से पहले कभी अनुभव नहीं हुई थी.
माँ असलम के बालो को सहला रही थी, असलम का सर अपनी सर अपनी चूत मे घुसा रही थी.
आअहह...बेटा अह्ह... अह्ह्ह्ह... असलम अह्ह.. ऊफ्फ. फिर...मेरे लाल अह्ह्ह्ह.. प्लीज बेटा अह्ह्ह्ह...आह्ह अब नहीं रहा जा रहा, जरहा अह्ह्ह्ह प्लीज..
मेरी माँ कामवासना मे डूबी बड़बड़ा रही थी.
उफ्फ्फ.... हो ओह्ह्ह.. बबलु के पापा अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह श्श्श... बचा लो मुझे अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह सस्स्स्स्स्स्स्स....अह्ह्ह्हह्ह....
क्या कर दिया है इस लड़के ने, मै मर जाउंगी,
उफ़फ़फ़फ़.... बबलू के पापा ये लड़का मेरी चुत मे घुसने की कोशिश कर रहा है, उउफ्फ्फ....
मेरी माँ किसी पागलो की तरह व्यवहार कर रही थी,, असलम के बाल नोच रही थी, गांड उठा उठा कर असलम के मुँह को अपनी चुत मे घुसाने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
पूरी झोपडी में मम्मी की सिस्कारिया गूंज रही थी मा का तन बदन रोम रोम कांप उठा था, शारीरिक सुख की बरसो पुरानी आग आज शांत हुई थी,
असलम को भी माँ की चुत चाटने मे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था कभी चुत मे जिभ घुसा के अंदर बाहर करता, तो कभी झांट के बालो को दांतो से काटने लगता, तो कभी गांड के छेद को अपनी जीभ से कुरेद देता...
असलम हर एक चीज़ मालूम थी जिस से एक औरत को सुख की प्राप्ति होती है....
मम्मी की चूत अब असलम के थूक और चूत के पानी से सन गई थी...
जी भर के माँ की चुत चाटने के बाद असलम खड़ा हो गया, असलम का पूरा मुँह माँ की चूतरस और थूक से भीगा हुआ था.
असलम:- हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... उफ्फ्फ... कैसा लगा आंटी जी?
माँ :- बिल्कुल पागल हो तुम, ऐसा भी कोई करता है भला
असलम:- .बता ना मेरी जान कैसा लगा?
माँ :- . क्या बताऊ बुद्धू? क्या कर रहे थे तुम ये? Humfff.... माँ की सांसे अभी भी चढ़ी हुई थी, लेकिन आँखों मे एक संतुष्टि थी.
असलम:- चूत चाट रहा था सामने वाली माल आंटी की असलम ने चुटकी लेते हुए कहा.
माँ :- .ये भी कोई करता है क्या?
असलम:- .. हां सब करते हैं....
माँ :- कौन कहता है, मेरे पति तो नहीं करते..
असलम:- तुम्हारे पति तो नामर्द लगते हैं मुझे हाहा... वरना ऐसी पटाखा लुगाई की चुदाई ऐसी ही करनी चाहिए.
माँ :- देखो असलम बेटा मुझे पता है, उनके बारे में ऐसा मत बोलो...
असलम:- अच्छा बहुत बुरा लग रहा है, तुम्हें चोदना तो नहीं है अगर तुम मेरी लुगाई होती तो तुम्हे दिन रात चोदता, चूत चाटता, गांड मारता,
माँ :- .छी कितनी गंदी बाते करते हो असलम तुम, माँ शर्मा गई.
अब उनकी उमर हो गई है, तो क्या करे वो उनकी क्या गलती और काम करते हैं वो तो थक जाते हैं,
जब तुम इस उमर मे आओगे तो तुमसे भी नहीं होगा.
मेरी संस्कारी माँ ने पापा का बचाव करते हुए कहा, वो अपने पति के लिए गलत नहीं सुन सकती थी.
असलम:- . अजी रहने दो तुम्हारे पति की उम्र मे तो मैं और ज्यादा चुदाई करूंगा, मेरे अब्बा ने अभी 11वी औलाद पैदा की है और अभी भी हट्टे कट्टे तंदुरुस्त है...
मम्मी:- देखो असलम ऐसी बाते मत करो वरना मैं चल जाऊंगी यहां से, माँ को अपने परिवार के बारे मे कुछ नहीं सुनना था.
असलम :- ठीक है आंटी जाने दो un बातो को, ये बताओ अभी कैसा लगा? असलम समझ गया था ऐसी बात करने से उसका बना बनाया खेल बिगड़ सकता है.
असलम अभी संस्कारी औरतों से अपरिचित था, वो कुछ भी कर सकती है लेकिन अपने पति और बेटे की बुराई नहीं सुन सकती.
माँ :- क्या बताऊ बेटा, ये बाते बताने की नहीं होती खुद को समझ जाना चाहिए.
असलम:- मतलब मजा आ रहा है चुत चटवाने मे?
मम्मी:- कुछ भी? मैंने तो नहीं बोला ऐसा.
माँ असलम के मजेे ले रही थी, जबकि उसे ये सुख आज से पहले कभी नहीं मिला था.
असलम का लंड तना हुआ था, सामने माँ की चुत थूक से सनी पड़ी थी, असलम और माँ एक दूसरे के कामुक अंगों को निहार रहे थे.
तभी दोनों की नजरें आपस मे मिली, ना जाने क्या इशारा हुआ.
और असलम ने अपने लंड पर ढेर सारा थूक मल दिया... जिसे मां उत्तेजित अवस्था मे देख रही थी और उसकी सांसे तेज होने लगी थी, वो समय आ गया था जब माँ की चूत मे असलम का ये मुसलदार लम्बा लंड जाने वाला था.
मेरी मां ने आने वाले पल की तैयारी करते हुए जितना हो सके अपनी चुत को फाड़ लिया था,पाव हवा मे एक दूसरे की विपरीत दिशा मे झूल रहे थे.
तबी असलम थोड़ा नीचे झुका और माँ के पैरो के बीच आ गया, धममम... से भारी लंड माँ की चुत के ऊपर रख दिया,
लंड का भार माँ को साफ महसूस हुआ, जैसे कोई मोटा सांप पेट पर लौट रहा हो, असलम का लंड माँ की नाभि टक आ रहा था, जिसे देख माँ एक बार को कांप गई,
उसे चिंता होने लगी ये कैसे अंदर जायेगा और कहा टक जायेगा.
आअह्ह्ह.... असलम.... उफ्फ्फ्फ़.... लंड की गर्मी और डर से माँ की चुत सिकुड़ के खुल गई, माँ के मुँह से आह.... निकल गयी दिल तेज तेज धड़कने लगा.
तभी मेरी माँ ने वो कीया जिसका अंदाज़ा नहीं था, माँ से इस पल को सहन करने की हिम्मत नहीं थी, वो सोच चुकी थी अब जो होगा देखा जायेगा, आखिर दसर के आगे ही जीत है,
मेरी माँ ने असलम का लंड पकड़ा, थोड़ा ऊपर को हुई और अपनी चूत के छेद पर असलम के सुपडे को रख दिया,
असलम माँ का उतावलापन देख और ज्यादा उत्साहित हो उठा.
अब असलम और माँ दोनो एक दूसरे को देख रहे थे, असलम पूरी तरह से माँ के ऊपर छा गया था,
माँ ने आँखे झापका कर कार्यकर्म शुरू करने की इज़ाज़त दे दी, असलम ने अपनी कमर को आगे की तरफ धकेल दिया,
आअह्ह्ह..... उउउफ्फ्फ..... असलम... मर गई... हाययय...मां जोरो से चीख पड़ी, ऐसा लग रहा था किसी 19 साल की लड़की की सील टूटी हो,
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह... मर गई अह्ह्ह्ह... ओह्ह्ह्ह
भगवान... असलम का आलू की तरह मोटा सुपोड़ा मेरी माँ की चूत मे घुस चूका था, माँ की चूत पापा के छोटे और पतले लंड से खुली थी, लेकिन आज उसने बम्बू डाल दिया गया था, माँ का चीखना जायज ही था.
कुछ देर असलम रुका रहा और माँ की आँख खोलने का इंतज़ार करने लगा उसने धक्का नहीं मारा था अभी तक, जैसे ही माँ की आंख खुली एक जोरदार शॉट मारा और 9 इंच का लंड मेरी मम्मी की चुत के अंदर उतर गया, मेरी माँ की चुत इतनी टाइट थी की आस पास की चमड़ी ने असलम के लंड को कस लिया.
चुत अभी तक बहुत टाइट थी... असलम को ऐसा लग रहा था जैसे 23-24साल की लड़की को चोद रहा हो.
माँ एक बार फिर जोर से चिल्लाई
लेकिन इस बार असलम रुका नहीं और उसने मां की चुत मे 4-5धक्के एक साथ मार दिए, असलम आधा लंड बाहर खिंचता तो माँ की चुत भी बाहर को खींची चली आती, असलम उसे वापस अंदर को धकेल देता, माँ चीखती चिल्लाती रही,
लेकिन असलम नहीं रुका, करीब 5 मिनट असलम मां को धीरे धीरे आधे लंड से ही चोदता रहा, मां के दर्द मे कुछ कमी आ गई थी, एक हलकी हलकी गुदगुदी सी होने लगी थी,
अब मेरी मां ने असलम की पीठ पर अपने हाथ फेरना शुरू कर दिया था.. अब मां को चुदाई का मजा आने लगा,
माँ को मजेएते देख असलम ने एक जोरदार झटका देते हुए लंड को जड़ तक माँ की चुत मे दे मारा.
आअह्ह्ह..... उउउफ्फ्फ.... आउच... असलम बेटा धीरे...
माँ की आंखे लाल हो गई थी, जिस्म को ढीला छोड़ दिया था, चुत मे असलम के मोटे लंड ने जगह बना ली थी.
असलम मेरी संकरी मां को तेज-तेज चोदने लगा,
अह्ह्ह... अह्ह्ह्ह... फुर्र फुर्र फट फास्ट.. फुर्रर्र अह्ह्ह्हह्ह्ह्हजज् ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह..बेटा अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह्ह्हा अह्ह्ह्ह.. उफ्फ्फ....
मेरी माँ अब असलम का पूरा साथ दे रही थी, उस झोपडी मे कसाई खाने मे मेरी माँ घर की इज्जत को तार तार करवा रही थी..
मेरी माँ अपने बेटे के उम्र के लड़के से, एक जाहिल गँवार गैर धर्म के लड़के से अपनी चुत मरवा रही थी.मे
मेरी संस्कारी माँ ने चिकनी टांगे, पायल पहले असलम की कमर पर बांध ली, असलम को नीचे की तरफ धकेल रही थी,
माँ को आज तक अंदाजा ही नहीं था की उसकी चुत मे इतनी जगह है, असलम का लम्बा मोटा लंड पूरा माँ की चुत मे गायब हो जा रहा था, माँ और अंदर डालने केिये असलम को उकसा रही थी.
असलम हर धक्के मे मेरी मां को ये एहसास दिला रहा था कि ये असली मर्द क्या होता है, असली लंड किसे कहते है,
माँ को अहसास हुआ की उसने अपनी जिंदगी का इतना बहुमूल्य समय व्यर्थ ही गवा दिया.
सम्भोग मे ऐसा भी मजा है आज महसूस हुआ.
मेरी संस्कारी घरेलु माँ बेकाबू हो चुकी थी, माँ ने असलम का मुंह पकड़ उसे चाटने लगी, ऊफ्फड... आहह.... उसका कान काटने लगी. और फिर माँ ने खुद असलम के मुँह मे अपना मुँह दे दिया दोनों के होंठ मिल गए, नीचे माँ की चुत चुद रही थी, ऊपर दोनों की जीभ एक दूसरे के थूक को चाट रहे थे, चूस रहे थे.
मेरी माँ किसी पागलो की तरह असलम के मुँह को अपने थूक से भीगा चुकी थी,
मेरी मां का पगलपन देख असलम खुश हुए जा रहा था. मानो उसने किला जीत लिया हो, करीब 15 मिनट माँ को इसी अवस्था मे चोदने मे बाद असलम ने लंड बाहर निकाल माँ की चुत को देखने लगा,
माँ की चुत फूल के हुप्पा हो गई थी, बीच की लकीर फट कर अलग हो गई थी, एक बढ़ा सा छेद नजर आ रहा था, जो की बुरी तरह से चुत रस से भीगा हुआ था.
माँ की चुत खाली होते ही माँ तड़प उठी, उसके मन मे सवाल था आखिर बाहर क्यों निकाल दिया, और चोदो, फाड़ो मेरी चुत को.
माँ ने पूरी बेशर्मी दिखाते हुए झट से असलम के लंड को पकड़ लिया, और सहलाने लगी, उसे नाख़ून से कुरेदने लगी, माँ का हाथ खुद की चुत के पानी से भर गया था, पच... पच... की आवाज़ लंड हिलाने पर आ रही थी.
असलम का लंड माँ की चूत के पानी से एक दम गिला पड़ा हुआ था... जिसे माँ अपने हाथो मे भर के हिला रही थी.
असलम का स्टैमिना और पावर देख कर मेरी माँ पूरी तरह से उसकी हो चुकी थी उस पर फ़िदा हो चुकी थी.
आज से पहले मेरी माँ ने ऐसा सुख कभी नहीं भोगा था, इतना मजा तो अपनी पहली चुदाई की रात मे भी नहीं आया होगा जितना आज 42 साल की उम्र में एक जवान लंड से आ रहा था.
एक गांव का आवारा गन्दा लड़का अपने तगड़े मुसल लंड से मेरी संस्कारी माँ की चूत का भोसड़ा बना चुका था.
कुछ देर आराम करने के बाद असलम उठा और मां से आंखो मे कुछ इशारा किया, मेरी मां अब उसकी हर बात समझ रही थी अब मां को पता चल गया था असलम क्या कहना चाहता है....
दोनों के बीच ट्यूनीग इतनी अच्छी हो चुकी थी, ये एक अजीब बात थी, लंड चुत का रिश्ता ही ऐसा होता है बिन बोले सब समझ आता है.
मेरी माँ बिस्तर से उठी और घुटनो के बल साड़ी कमर तक चढ़ा कर कुतिया बन गई, उस कसाई असलम के सामने मेरी माँ अब घोड़ी बन गई थी जी हां मेरी संस्कारी मां असलम के सामने अब घोड़ी बन चुकी थी.
माँ की मोटी चिकनी, बड़ी सुडोल गांड असलम कसाई के आगे नंगी फैली हुई थी.
मां की गांड देख कर असलम पागल सा हो गया, मां की गांड का छोटा सा छेद बड़ा ही प्यारा लग रहा था, मनमोहक लग रहा था,
मां की चूत पूरी गिली हुई पड़ी थी, अब असलम अपना तना हुआ लंड लेकर मेरी माँ के पीछे आ गया और मेरी माँ की गांड को देखने लगा, असलम किसी कुत्ते की तरह लार टपका रहा था, असलम से ये दृश्य देखा नहीं गया, उसने अपना मुँह सीधे माँ की गांड की दरार मे दे मारा
और माँ की गांड को चाटने लगा., माँ अपनी गांड पर गरम गीली जीभ का अहसास पाते हूँ हुंकार उठी, आअह्ह्ह.... असलम.... बेटा... उफ्फ्फ.... वहाँ नहीं.... हाय.... इससे.... माँ और ज्यादा उतेजित होने लगी और सिस्कारिया मारने लगी... आह्ह्ह्ह
अह्ह्ह्ह बेटा आअह्ह्ह्ह असलम आअह्ह्ह स्स्स्स्स आऊह्ह ओह्ह्ह माँ आअह्ह्ह्ह नहीं अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह
शशशश माँ के होठ एक दूसरे से चिपकने लगे, जबडे आपस मे कस के भींच गए, माँ को परम सुख का आनंद मिल रहा था....
जिसका माँ को अंदाज़ा नहीं था....असलम मे वो सारी खुबिया थी जो एक औरत को संतुष्ट और खुश कर सके.
करीब 5 मिनट तक असलम ने मेरी माँ की घोड़ी बना कर चूत गांड चाटी उसके बाद असलम ने अपने लंड और माँ की चूत पर अपना गन्दा थूक गिरा के मल दिया,. और फिर अपना काला तना हुआ लंड मेरी माँ की चुत के खुले हुए छेद के मुहने रख दिया. और कमर को धीरे से आगे चला दिया, इस बार लंड बड़ी आसानी से अंदर घुस गया, माँ की चुत ने खुद को असलम के लंड के काबिल बना लिया था.
माँ की....आहहहहहह.... उफ्फ्फ्फ़... आउच. निकाल गई, पूरा लंड जड़ तक माँ की चुत मे उतर गया था,
अब क्या था असलम माँ को तेज तेज चोदने लगा...आअह्ह्ह.... पछ... पछ... पच... पाचक... फुर्र फुर्र फुर्र अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह की आवाज से झोपडी गूंजने लगी,
आह्ह्ह्ह फुर्र फुर्र.... माँ असलम का पूरा साथ दे रही थी कुतिया बन कर चुदवा रही थी,
हर धक्के का जवाब माँ अपनी गांड और ऊपर उठा के देती.... कुछ देर बाद असलम मां की गांड के ऊपर आ ओर गया और हाथ से गांड के दोनों हिस्सों को दबा दबा कर माँ को चोदने लगा, इस अवस्था मे असलम का लंड पूरा अंदर टक जा रहा था.
आअह्ह्ह..... बेटा... बहुत बढ़ा है... उड़फ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... बच्चेदानी तक टकरा रहा है असलम तेरा लंड, चोद अपनी आंटी को, फाड़ दे मेरी चुत को, आअह्ह्ह.... उउफ्फ्फ.... क्या लंड है रे तेरा, कहा था अब तक तू.
हायम.. मेरी बच्चेदानी.... उफ्फ्फ.... मर गई मै...
माँ हवस मे भारी असलम को उकसा रही थी.
असलम माँ की चित्कार सुन और तेज़ तेज़ अंदर तक धक्के मारने लगा, फट... फट... फटममम की आवाज़ लंड और चुत के मिलन के गवाह थे.
कसाई असलम अपने मुसल लंड से मेरी संस्कारी माँ को कुतिया की तरह चोद रहा था हमारे घर की इज्जत को उतार रहा था.
मेरी माँ पागलो की तरह सर बिस्तर पर पटक रही थी.
धच.... धच... पच... फच... फट... फच... की आवाज़े गूंज रही थी, माँ की चुत से पानी रिस रिस कर असलम के लंड से होता हुआ उसके टट्टो से नीचे टपक रहा था..
करीब 20 मिनट असलम ने कुतिया बना कर मेरी मां को चोदा और फिर वो समय अगया जब असलम का चुदाई के अंतिम चरण पर आ गया था, असलम का शरीर अकड़ने लगा था.
आह्ह्ह्ह... अह्ह्ह्ह.... उड़... आंटी आअह्ह्ह्ह मेरी जान मेरा पानी निकलने वाला है.... अह्ह्ह्ह हाअह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह
अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह उउउफ्फ्फ... बेटा अंदर नहीं, बाहर निकालो... " मेरी माँ गिड़गिड़ा उठी.
असलम:- आह्ह आह्ह... क्यू मेरी जान अन्दर ही निकालने दो... ना
मम्मी:- प्लीज समझा करो बेटा तुम्हें मेरी कसम है फिर कभी निकाल लेना अंदर आज नहीं, प्लीज हाथ जोड़ती हूँ.
असलम:- असलम के पास जिद्द का समय नहीं था, ठीक है तुम कहती हो तो बाहर ही निकलता हूँ.
माँ :- . ठीक है जल्दी करो।
फच... फच.... फच.... करता असलम ने 5,6 धक्के कस कस कर माँ की चुत मे दे मारे, और लंड निकाल माँ की गांड की दरार पर रख दिया, लंड रखते ही पिच... पिचक..... फचाक.... कककक.... करती गाड़े वीर्य की मलाई जैसी सफ़ेद धार फुट पड़ी.
पहली तेज़ पिचकारी सीधा माँ के बालो से होती हुई कमर से लाइन बनाती चली गई....
फच... फाचक.... दूसरी धार ने माँ की गांड की दरार को पूरा भर दिया, . माँ के शुद्ध अनछुवे चुत्तड़ असलम के वीर्य से नहा गए.
असलम माँ के बगल मे जा गिरा, माँ पेट के बल बिस्तर पर जा गिरी...
हमफ़्फ़्फ़... हमफर.... उफ्फ्फ.... असलम बेटा.
उफ्फ्फ... आंटी क्या चुत है तुम्हारी.
दोनों की नजरें आपस मे मिली हुई थी, मेरी माँ के चेहरे पे दुनिया भर का सुकून था. होंठो पर मुस्कुराहट थी.
जल्दी ही माँ ने खुद को संभाल लिया और असलम की लुंगी से खुद के जिस्म को पोंछ लिया,
और झोपडी के दरवाजे की ओर चल दी, माँ की चाल मे कुछ ज्यादा ही लचक आ गई थी चुदाई के बाद.
माँ ने झोडपी का दरवाजा पकड़ कुण्डी खोल दी, ना जाने क्यों एक बार पीछे मुड़ कर देखा,
असलम माँ को ही देख लंड हिला रहा था.
"हट...बेशर्म " माँ मुस्कुराती तेज़ कदमो से झोपडी के बाहर चल दी.
तो ये किस्सा था मेरी माँ और असलम के पहले मिलन का.
अब सब कुछ मेरी नजरों के सामने था, सब किया धरा मेरी माँ का ही था,.
पहल मेरी संस्कारी माँ ने ही की थीरोशनदान पर बैठा मै खुद को कोष रहा था, कैसे मेरी माँ ऐसी हो गई?
एक औरत का ये रूप भी होता है मुझे आज मालूम पड़ा.
रात के 12 बज गए थे.
मै रोशनदान से अंदर झाँक रहा था, जहाँ दोनों ही एक दूसरे से गूथमगुथा हो चुके थे.
अपनी पहली चुदाई याद कर माँ उत्तेजित हो गई थी.
असलम के पुरे जिस्म को चाट रही थी, अपनी साफ जीभ से एक गँवार गंदे जिस्म के मालिक असलम की छाती को चाट रही थी.
उफ्फ्फ.... ये मेरी संस्कारी माँ.
Contd......
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write long update please
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