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मेरी माँ रेशमा -17

 मेरी माँ रेशमा -17


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मेरी माँ रेशमा -16

ये रात मेरे लिए बहुत भयानक थी, मेरा लंड खड़ा था लेकिन दिमाग़ थक चूका था, रह रह कर माँ का कामुक जिस्म, उसका नंगा बदन जो की पटनायक के बलिष्ट शरीर की ठोंकर से थिराक रहा था, 

उसके बाद मेरी बहन अनुश्री और आदिल का सम्भोग मुझे पागल कर रहा था, जबकि अब तो अनुश्री भी माँ कर बारे मे सब कुछ जानती थी.

उफ्फ्फ.... ये मेरे घर की औरतों को क्या हो गया है? क्या वो शुरू से ही ऐसी थी? क्या उन्होंने इस से पहले भी ऐसी ही हरकतें की होंगी.

मेरा दिमाग़ सवालों से भन्ना रहा था.

माई कब अपने कमरे मे दाखिल हो गया पता ही नहीं चला, अंदर सन्नाटा था, जीजा मंगेश, अब्दुल, मोहित प्रवीण सब खर्राटे भर रहे थे, मादरचोद आदिल अभी तक नहीं आया था, मै जानता ही था की वो कहाँ है.

खेर मै जंग मे हारे किसी योद्धा की तरह वही बिस्तर पे धारासाई हो गया और खरं... खररररर.... खर्राटे भरने लगा.

*******


"उठ जा बेटा कब तक सोयेगा"

"उठ बेटा अमित "

मै अभी तो सोया ही था, एक मधुर आवाज़ मेरे कानो मे गुजने लगी, कोमल हाथ मुझे पकड़ के उठा रहे थे.

मैंने डबदाबती आँखों से देखा सामने मेरी माँ रेशमा लगभग मुझ पर झुकी हुई थी, मुझे उठा रही थी.

"सोने दो माँ " मैंने आंखे बंद कर ली 

"उठ बेटा तेरे सारे दोस्त कब के उठ के नीचे नाश्ता पानी कर रहे है, तु ना जाने क्या कर रहा था रात को की अभी तक सो रहा है रात का नाम सुनते ही मै एकदम से सकपका उठा, मेरी जींद काफूर हो गई आंखे पूरी खुल गई थी, सामने मेरी खूबसूरत माँ मुझ पर झुकी हुई थी, मेरी नजर माँ के खूबसूरत दमकते चेहरे से फिस्टली वक्षस्थल पर जा टिकी जहाँ माँ के स्तन ब्लाउज से बहार झाँक रहे थे, मै हड़बड़ा के उठ गया.

"क्या अमित ये तेरा घर नहीं है, शादी मे आये है बहुत काम होते है शादी के घर मे, उठ जरा काम धाम संभाल" माँ मुझे उठ देख खड़ी हो गई.

पीछे से आती रौशनी से माँ का जिस्म साफ नजर आ रहा रहा, साफ काम देवी प्रतीत हो रही थी, मुझे लगा सपना है मैंने अपनी आँखों को मसल के साफ किया सपना नहीं था.

माँ के चेहरे पे एक मुस्कान थी, जब से हम लोग दिल्ली से चले थे माँ के चेहरे पे कुछ अधूरा पन सा था, एक चिढ़ चिढाहट सि थी, जैसे कुछ अधूरा सा था.

आज माँ सम्पूर्ण नजर आ थी, वही पुरानी चिर परिचित मुस्कान थी, b487bec1fd50543e1640063dc2b8ce09

मेरा दिल भी माँ को ख़ुश देख कर ख़ुश हो उठ.

"आता हूँ माँ आप चलो " 

माँ अपनी मादक अदा के साथ मटकती बहार को निकल गई, माँ की चाल मे थोड़ा तो बदलाव था, एक मादकता थी.

मै एक स्त्री के ख़ुश रहने का राज जान चूका था, माँ का जो अधूरापन था, शायद वो कल रात पूरा हुआ था.

पटनायक की वजह से, मुझे साफ महसूस हुआ.

मै अब स्त्री की मनोदशा, उसके जिस्म को समझ रहा था.

खेर माओ जल्दी से बाथरूम जा कर फ्रेश हुआ और नीचे पंहुचा.

नीचे जगह जगह मेहमान बिखरे पड़े थे, कोई नहाने की तैयारी मे था कोई बहार बगीचे मे, कल बारात जानी थी, आज बहुत व्यस्त रहने वाला दिन था.

मैंने घड़ी की ओर नजर दौडाई, 10 बज चुके थे, साला मै इतनी देर तक सोता रहा.

"क्या करता है तु अमित, कोई इतनी देर तक सोता है भला " 

मामा की आवाज़ ने मुझे उनकी तरफ खिंचा.

"वो... वो... मामा..."

चल छोड़ जल्दी नाश्ता कर के और वहाँ हलवाई के पास जा कर बैठ देख कुछ कम ज्यादा हो तो पता कर लेना.

मैंने आस पास नजर दौडाई.

पटनायक और उसकी बीवी नहीं थे, माँ मेहमानों के बीच व्यस्त थी, मामी भी पासिंर मे नही इधर उधर दौड़ रही थी.

मेरी मौसी और अनुश्री दीदी कहीं नहीं दिख रहे थे.

"मामा दीदी और मौसी कहाँ गए?" मेरे मन मे हर वक़्त कोतुहाल ही मचा रहा था.

"आज मेहंदी की रस्म है, अनुश्री मोहित और प्रवीण के साथ कच्ची मेहंदी लेने गई है, मेरा दोस्त है उसके पास ताज़ा मेहंदी मिलती है "

ह्म्म्मम्म...

"और तेरी मौसी का तो क्या कहने कितनी बार कहाँ है वजन कम कर लेकिन नहीं, कल रात सीढ़ी से उतरते वक़्त मोच आ गई थी कमर मे उसके, अब्दुल डॉक्टर के पास ले गया है उसे "

मेरा दिमाग़ फिर से भन्नाने लगा साला मेरे उठने से पहले ही सबने सेटिंग बिठा ली हरामखोर साले मै मन ही मन बड़बड़या.

"तेरे दोस्त ना आते तो ना जाने क्या होता मेरा, मै क्या क्या देखता, क्या संभालना, एक तुझे सोने से ही फुर्सत नहीं है "

मामा बड़बड़ाते हुए निकल लिए.

"हुम्म्मफ़्फ़्फ़.... मैंने राहत की सांस ली, मेरे दोस्त ना होते तो मै इन सब से अनजान ही रहता.

खेत मैंने जल्दी से नाश्ता किया और पीछे बगीचे मे चल दिया.

जहाँ हलवाई छैदी मल और उसका भतीजा चौथमल लगे पड़े थे दनादन पुड़िया छानने मे, उन्हें देख मुझे अनुश्री दीदी की याद आ गई, जितनी सिद्दत से ये पूड़ी छान रहे है, उतनी ही सिद्दत से अनुश्री की चुत भी चाटी थी.

मैंने देखा वहाँ पहले से ही बूढ़े लोगो की फ़ौज जमीं थी, हुक्का, बीड़ी पी रहे थे.

वैसे भी घर के बूढ़ो का कम ही क्या है, हलवाई के पास बैठ के गप मारना.

"चाचा कोई जरुरत हो तो बताना मै यही हूँ " मैंने अपनी ड्यूटी निभाते हुए छेदीमल को बोल दिया.

और छत पर सिगरेट का कस लगाने पहुंच गया.

" ना जाने मौसी और अनुश्री के साथ क्या कर रहे होंगे मेरे दोस्त " मेरा दिमाग़ अब शांत नहीं था.

*******

सुबह के 9 बजे।

 सूरज की हल्की-हल्की किरणें सड़क पर चमक रही थीं, और एक पुरानी मारुति वैगन-आर धीरे-धीरे गांव की कच्ची सड़कों पर चल रही थी। मोहित ड्राइविंग सीट पर था, उसकी उंगलियाँ स्टीयरिंग पर कसकर जकड़ी थीं, जैसे वो किसी तूफान के लिए तैयार हो। बगल में प्रवीण बैठा था, उसकी आँखें बार-बार रियरव्यू मिरर की ओर जा रही थीं, जहाँ पीछे की सीट पर अनुश्री बैठी थी। अनुश्री—वो औरत, जिसकी मादकता ने कार के तंग, गर्म माहौल को किसी नशीले जंगल में बदल दिया था। उसने काला, टाइट कुर्ता और लेगिंग्स पहनी थी, जो उसके गोरे, मांसल जिस्म को और उभार रही थी। उसके भारी, उन्नत स्तन कुर्ते से बाहर झाँक रहे थे, जैसे किसी भी पल कपड़ा फाड़कर आज़ाद हो जाएँगे। उसकी मोटी, चिकनी जाँघें लेगिंग्स में चमक रही थीं, और उसकी हर साँस में एक मादक गंध कार में तैर रही थी। उसका चेहरा—लाल, रसीले होंठ, बड़ी-बड़ी आँखें, और गोरी, चमकती त्वचा—मोहित और प्रवीण के लंड में हलचल मचा रहा था।“तुम्हारे जैसे दोस्त किस्मत से मिलते हैं,” अनुश्री ने मादक अंदाज़ में कहा। उसकी आवाज़ में एक शरारती चमक थी, जैसे वो कोई जाल बुन रही हो।“अरे दीदी, अमित तो हमारा दोस्त है। उसके लिए तो कुछ भी कर सकते हैं। वैसे भी, हमें घूमने का मौका मिला, आपसे मिले, और क्या चाहिए?” मोहित ने हँसते हुए जवाब दिया, लेकिन उसकी आँखें रियरव्यू मिरर में अनुश्री की ओर टिकी थीं।“अच्छा? और क्या कर सकते हो अमित के लिए?” अनुश्री की आवाज़ में एक तीखा तंज था। उसकी आँखें चमक रही थीं, जैसे वो मोहित और प्रवीण की हिम्मत आज़मा रही हो।“कुछ भी, दीदी। दोस्त है हमारा,” प्रवीण ने बेपरवाह अंदाज़ में कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में हल्की-सी हिचक थी।“अच्छा? तो उसकी माँ के साथ छेड़छाड़ भी कर दोगे?” अनुश्री की आवाज़ अचानक तीखी हो गई। उसका चेहरा सख्त हो गया, और उसकी आँखों में गुस्सा और शरारत का मिश्रण था।“चार्रर्रम्म… सस्सरर…” मोहित के पैर ब्रेक पर ज़ोर से दब गए। कार सड़क के किनारे झटके से रुक गई। मोहित और प्रवीण की साँसें अटक गईं। उनके चेहरे सफ़ेद पड़ गए, जैसे किसी ने उनकी चोरी पकड़ ली हो। उनके मुँह से आवाज़ नहीं निकल रही थी।“कक… क्या… दीदी, क्या बोल रही हो?” मोहित की आवाज़ काँप रही थी। उसकी उंगलियाँ स्टीयरिंग पर और कस गईं। प्रवीण की गर्दन पीछे मुड़ी, और उसकी आँखें अनुश्री को घूर रही थीं। अनुश्री की नज़रें उन दोनों पर टिकी थीं, जैसे वो उनके दिल की धड़कन पढ़ रही हो।“कितने हरामी हो तुम लोग! जिस दोस्त की माँ के साथ छेड़छाड़ करते हो, उसे चोदने का सोचते हो, ये है तुम्हारी दोस्ती?” अनुश्री के शब्द तीर की तरह उनके सीने में धँस रहे थे। उसकी आवाज़ में गुस्सा था, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी, जैसे वो इस पल का मज़ा ले रही हो।“वो… दीदी… वो… हमने शुरू नहीं किया था…” मोहित ने हकलाते हुए कहा। उसका चेहरा पसीने से भीग गया था।“चुप रहो, बेशर्मों!” अनुश्री ने डाँटा। उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी ताकत थी, जो मोहित और प्रवीण को और डरा रही थी।“सॉरी, दीदी… सॉरी…” दोनों एक साथ मिमियाए। उनके चेहरों पर डर और शर्मिंदगी साफ़ झलक रही थी।“क्या सॉरी? कमीने दोस्त हो तुम!” अनुश्री का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। उसने अपनी आँखें सिकोड़ीं, और उसका चेहरा और सख्त हो गया।“माँ ने तुम्हें रोका नहीं?” अनुश्री का अगला सवाल थोड़ा नरम था, लेकिन उसमें भी एक छिपा हुआ तंज था।“न… नहीं, दीदी… नहीं रोका,” मोहित ने डरते हुए कहा। उसकी आवाज़ में हिचक थी, जैसे वो अनुश्री की अगली हरकत से डर रहा हो।“और किस-किस के साथ क्या-क्या किया तुमने?” अनुश्री ने कड़क आवाज़ में पूछा। उसकी आँखें अब आग उगल रही थीं।“क… कुछ नहीं, दीदी… और किसी के साथ नहीं,” प्रवीण ने मिमियाते हुए कहा। उसका चेहरा लाल पड़ गया था।“मैं घर में सबको बता दूँगी! सच बोलो!” अनुश्री की आवाज़ में धमकी थी। उसने अपनी बाहें क्रॉस कीं, और उसके भारी स्तन कुर्ते में और उभर आए।मोहित और प्रवीण की हवा टाइट हो गई। डर के मारे उनके मुँह सूख गए। “वो… दीदी… हमने… मौसी के साथ…” प्रवीण ने हिम्मत करके शुरू किया, और फिर दोनों ने मिलकर मौसी के साथ अपनी हरकतों की पूरी कहानी सुना दी।“ओह गॉड… कितने हरामी दोस्त हो तुम!” अनुश्री ने सिसकते हुए कहा। उसकी आवाज़ में गुस्सा था, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी, जैसे वो इस बात से नाराज़ कम, उत्तेजित ज़्यादा हो रही हो।“वो… सॉरी, दीदी… वो मौसी ने ही…” प्रवीण ने सफ़ाई देनी चाही।“चुप रहो! गाड़ी से उतरो!” अनुश्री ने बीच में टोक दिया। उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी ताकत थी।प्रवीण डरते-डरते कार से उतरा। अनुश्री ने अपनी सीट छोड़ी और आगे की सीट पर मोहित के पास चिपककर बैठ गई। “अब तू बैठ,” उसने प्रवीण को इशारा किया।प्रवीण भी डरते-डरते आगे की सीट पर बैठ गया। अब अनुश्री दोनों के बीच थी। उसकी मोटी, चिकनी जाँघें मोहित और प्रवीण के जिस्म को छू रही थीं। उसकी गर्मी और मादक गंध ने कार के माहौल को और तप्त कर दिया। मोहित और प्रवीण की साँसें अटकी थीं। उनके दिल धड़क रहे थे, और उनके लंड उनकी जींस में तन चुके थे।“सॉरी, दीदी… किसी से मत बोलना… हम आज ही वापस चले जाएँगे,” मोहित ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। उसकी आवाज़ में डर और बेचैनी थी।“चुपचाप कार चलाओ, लेकिन धीरे-धीरे। और हाँ, गियर मैं डालूँगी,” अनुश्री ने मादक अंदाज़ में कहा। उसकी आवाज़ में एक शरारती चमक थी, जैसे वो कोई बड़ा खेल खेलने वाली हो।मोहित और प्रवीण के दिमाग में भूचाल आ गया। “ये क्या चाहती है?” दोनों सोच रहे थे। मोहित ने डरते-डरते कार स्टार्ट की। “दीदी, वो गियर लगाना पड़ेगा,” उसने हकलाते हुए कहा।“रुको…” अनुश्री की हरकत ने दोनों को पत्थर बना दिया। उसने अपनी कमर पर हाथ सरकाए, लेगिंग्स के किनारों में अपनी लंबी, पतली उंगलियाँ फँसाईं, और “साररर…” की आवाज़ के साथ लेगिंग्स को अपने पैरों तक खींच लिया। उसकी लेगिंग्स का बीच का हिस्सा पूरी तरह गीला था, जैसे किसी ने पानी डाल दिया हो। एक नशीली, मादक गंध कार में फैल गई, जो मोहित और प्रवीण के होश उड़ा रही थी। अनुश्री की गोरी, मांसल जाँघें चमक रही थीं, और उसकी गीली चूत की गंध ने कार को किसी उन्माद भरे जंगल में बदल दिया।अनुश्री ने अपनी कमर को हल्का-सा ऊपर उठाया। उसकी साँसें तेज़ थीं, और उसका चेहरा पसीने से चमक रहा था। “धचम…” की आवाज़ के साथ उसने अपनी चूत को कार के गियर पर टिका दिया। “आआहहहम्म…” उसकी सिसकारी कार में गूँज उठी। गियर का मोटा, ठंडा सिरा उसकी गीली, गर्म चूत में धँस गया। CFA4240 उसका कुर्ता उसकी जाँघों को ढक रहा था, लेकिन उसकी मोटी, गोरी जाँघें पूरी तरह नंगी थीं, और उनकी चमक मोहित और प्रवीण को पागल कर रही थी।“कौन-सा गियर… बोलो… आह्ह…” अनुश्री की आवाज़ में मादकता थी। उसका चेहरा लाल हो गया था, और उसकी आँखें आधी बंद थीं।“दीदी… वो… पहला गियर…” मोहित ने हकलाते हुए कहा। उसकी साँसें अटक रही थीं।अनुश्री ने अपनी कमर को बाएँ मोड़ा और धीरे से आगे सरकाया। “धककक…” की आवाज़ के साथ कार हल्के से आगे बढ़ी। “आह्ह… उफ्फ…” कार के वाइब्रेशन ने गियर को उसकी चूत में और गहराई तक धकेल दिया। उसकी सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। “मोहित… प्रवीण… तुमने मेरी मौसी को चोदा… मेरी माँ को… उफ्फ… चोदना चाहते हो… कितने कमीने हो तुम…” उसने अपने हाथ दोनों के कंधों पर रख दिए। उसकी उंगलियाँ उनकी शर्ट में धँस रही थीं, जैसे वो अपनी हवस का बोझ उन पर डाल रही हो।“दीदी… वो… बस हो गया…” प्रवीण ने मिमियाते हुए कहा। उसकी आँखें अनुश्री की चमकती जाँघों पर टिकी थीं।“कमीनों… इतनी कहानी सुनाकर… पूछ रहे हो मैं क्या कर रही हूँ… बोलो, अगला गियर!” अनुश्री की आवाज़ में बेकरारी थी। उसकी साँसें तेज़ थीं, और उसकी चूत गियर पर ऊपर-नीचे हो रही थी।“दूसरा गियर, दीदी,” मोहित ने कहा। उसकी उंगलियाँ स्टीयरिंग पर काँप रही थीं।अनुश्री ने अपनी मोटी, गोल गांड को बाएँ खींचा और फिर ज़ोर से पीछे धकेला। “आआहहम्म… उफ्फ…” गियर उसकी चूत में और गहराई तक समा गया। “पच… फच…” की आवाज़ के साथ उसकी चूत से रस टपकने लगा। कार की स्पीड बढ़ी, और वाइब्रेशन ने उसकी सिसकारियों को चीखों में बदल दिया। “कमीनों… कैसे बहलाया होगा तुमने मेरी माँ को… आह्ह…” उसकी आँखें ऊपर चढ़ रही थीं, और उसका चेहरा हवस के नशे में डूबा था। उसकी चूत गियर के ठंडे सिरे को गर्म कर रही थी, और उसका रस गियर पर चिपचिपा होकर टपक रहा था।मोहित और प्रवीण की नज़रें अनुश्री की उछलती छातियों और चमकती जाँघों पर टिकी थीं। “दीदी… तुम्हारी माँ… एकदम माल है… सुलगता ज्वालामुखी… बिल्कुल तुम्हारी तरह,” मोहित ने डरते हुए कहा। उसका हाथ अनुश्री की गोरी, चिकनी जाँघ पर सरक गया। उसकी उंगलियाँ उसकी गर्म त्वचा को सहलाने लगीं, जैसे वो उसकी मादकता को छूकर उसका नशा पीना चाहता हो। अनुश्री की जाँघें इतनी मुलायम थीं कि मोहित का लंड उसकी जींस में फटने को था।“ईस्स्स… उफ्फ… कमीनों, ऐसे ही बहलाया होगा ना माँ को…” अनुश्री ने सिसकते हुए कहा। उसकी कमर गियर पर ऊपर-नीचे हो रही थी। उसकी नज़रें मोहित और प्रवीण पर टिक रही थीं, जैसे वो उनकी आँखों में उनकी हवस पढ़ रही हो। “तीसरा गियर, दीदी,” मोहित ने तुरंत कहा। उसकी आवाज़ में डर और उत्तेजना का मिश्रण था।अनुश्री ने अपनी जाँघों को आपस में कस लिया। उसके हाथ दोनों के कंधों पर ज़ोर से दब गए। “धड… आह्ह…” उसने अपनी कमर को पूरी ताकत से आगे धकेला। “फचम्म…” गियर तीसरे में गया, और उसकी चूत में और गहराई तक धँस गया। “आह्ह… उफ्फ… ये… हाय…” कार की स्पीड बढ़ी, और वाइब्रेशन ने उसकी चूत को और भड़का दिया। उसकी चूत से रस की बूँदें टपक रही थीं, और गियर का सिरा चिपचिपा हो चुका था। “कमीनों… मेरी माँ की चूत… कैसी है… बताओ… आह्ह…” अनुश्री की आवाज़ बदहवास थी। उसकी माँ की कल्पना उसे पागल कर रही थी। उसकी चूत गियर के हर वाइब्रेशन के साथ सिहर रही थी, और उसका जिस्म पसीने से तर-ब-तर था।प्रवीण का हाथ भी अब अनुश्री की जाँघ पर रेंगने लगा। उसकी चिकनी, मांसल जाँघें गर्म थीं, जैसे आग बरस रही हो। “दीदी… तुम्हारी माँ की चूत… चुलबुली है… बिल्कुल तुम्हारी तरह…” उसने हिम्मत करके कहा। उसकी उंगलियाँ अनुश्री की जाँघों को मसलने लगीं, और उसकी साँसें अनुश्री की सिसकारियों के साथ ताल मिला रही थीं।“तूने मेरी कब देखी… आह्ह… आउच…” अनुश्री ने गियर पर उठकर फिर से बैठते हुए कहा। “फचम्म…” गियर और गहरा धँस गया, और उसकी चूत से रस की धार बहने लगी। उसने हवस के नशे में अपना कुर्ता थोड़ा ऊपर उठा दिया। “उफ्फ… देख ले… कमीने…” उसकी गोरी, साफ़-सुथरी चूत गियर के काले सिरे के बीच चमक रही थी। “पच… पच… फच… फच…” की आवाज़ें कार में गूँज रही थीं। उसका चिपचिपा रस गियर से नीचे टपक रहा था, और कार की सीट गीली हो चुकी थी।मोहित और प्रवीण के प्राण जैसे निकल गए। “उफ्फ… दीदी… कोई अंतर नहीं…” मोहित ने सिसकते हुए कहा। उसकी उंगलियाँ अनुश्री की जाँघों को और ज़ोर से मसलने लगीं। उसकी आँखें अनुश्री की उछलती छातियों पर टिकी थीं, जहाँ उसके सख्त निप्पल कुर्ते के ऊपर से साफ़ उभर रहे थे।“सचमुच… आह्ह… उफ्फ… मेरी माँ की तरह…” अनुश्री की आवाज़ टूट रही थी। उसकी कमर गियर पर तेज़ी से ऊपर-नीचे हो रही थी। उसकी चूत गियर के हर वाइब्रेशन के साथ सिहर रही थी। “चौथा गियर, दीदी,” प्रवीण ने हाँफते हुए कहा।अनुश्री ने अपनी गांड को नीचे खींचा। “आह्ह… उफ्फ… आउचम्म…” गियर चौथे में गया, और उसकी चूत में इतनी गहराई तक धँस गया कि उसकी सिसकारी चीख में बदल गई। “हाय… मेरी चूत… फट जाएगी…” उसका जिस्म पसीने से नहा गया। उसके भारी स्तन कुर्ते में उछल रहे थे, और उसके सख्त निप्पल कपड़े के ऊपर से साफ़ उभर रहे थे। कार की स्पीड और वाइब्रेशन ने उसकी हवस को चरम पर पहुँचा दिया। “मोहित… प्रवीण… मेरा एक काम करोगे… आह्ह…” उसने सिसकते हुए कहा।“हाँ, दीदी… बोलो ना…” दोनों ने एक साथ कहा, उनकी उंगलियाँ अनुश्री की जाँघों को मसल रही थीं।“आह्ह… बताती हूँ… उफ्फ… पाँचवाँ गियर…” अनुश्री की आवाज़ चीख में बदल गई। उसने अपनी कमर को राइट साइड सरकाया और फिर ज़ोर से ऊपर उठाया। “धखम्म…” गियर पाँचवें में गया, और उसकी चूत में पूरी गहराई तक समा गया। “आह्ह… माँ… ये क्या किया…” उसका जिस्म काँपने लगा। उसकी जाँघें आपस में चिपक गईं, और उसकी चूत ने जवाब दे दिया। “फच… फचम्म… उफ्फ… आह्ह…” उसकी चूत से रस की बौछार छूट गई। गीला, चिपचिपा रस गियर पर, सीट पर, और उसकी जाँघों पर फैल गया। “आह्ह… माँ… प्रवीण… मोहित… उफ्फ…” उसकी चीखें कार में गूँज रही थीं। उसका जिस्म प्रवीण की ओर लुड़क गया, और उसकी साँसें रुक-रुक कर चल रही थीं।“रोको कार… रोको…” अनुश्री ने हाँफते हुए कहा। मोहित ने कार को साइड में रोका। अनुश्री ने अपनी कमर को ऊपर उठाया, और “फच…” की आवाज़ के साथ गियर उसकी चूत से बाहर निकला। गियर का सिरा पूरी तरह उसके रस से सन गया था। मोहित की पैंट भी अनुश्री के रस से गीली हो चुकी थी। कार में एक मादक, नशीली गंध फैल गई थी।“उफ्फ… कमीने दोस्त हो तुम लोग…” अनुश्री ने हाँफते हुए कहा और मुस्कुरा दी। उसने अपनी लेगिंग्स को वापस ऊपर खींच लिया, लेकिन उसकी जाँघें अभी भी काँप रही थीं। कार के ठीक बगल में साइनबोर्ड था—मेहंदीलाल मेहंदी वाले। वो लोग कब मंजिल तक पहुँच गए, पता ही नहीं चला।“चलें, दीदी, अंदर?” मोहित ने पूछा।“चलो, लेट हो गए वैसे ही,” अनुश्री ने मुस्कुराते हुए कहा।“कहाँ लेट? एरोप्लेन से भी तेज़ आए हैं पाँचवाँ गियर लगाकर,” प्रवीण ने छेड़ते हुए कहा।“हट, बदमाश,” अनुश्री ने हँसते हुए जवाब दिया।तीनों गेट खोलकर अंदर चले गए।अनुश्री की अधूरी बात क्या थी?

मेहंदी के प्रोग्राम में क्या गुल खिलेगा?

बने रहिए।

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