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मेरी माँ रेशमा -18

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दूसरी तरफ अब्दुल मेरी मौसी सुनीता को ले कर, क्लनिक पहुंच चूका था, जिसका एड्रेस मामा ने ही बताया था.

कस्बे का क्लिनिक था सामने, एक पुरानी, टूटी-फूटी इमारत में था। दीवारों पर पपड़ी उतर रही थी, और बाहर लगे साइनबोर्ड पर लिखा था—“डॉ. रमाकांत शर्मा, MBBS.” 

 क्लिनिक के बाहर दो-तीन लोग बेंच पर बैठे इंतज़ार कर रहे थे, और सूरज की हल्की किरणें सड़क पर चमक रही थीं। अब्दुल अपनी टैक्सी में मौसी सुनीता को लेकर क्लिनिक पहुँचा। सुनीता की कमर में मोच की वजह से उनकी चाल में एक अजीब-सी लचक थी, लेकिन उनकी मादकता पर इसका कोई असर नहीं पड़ा था।सुनीता—एक भारी, मांसल जिस्म वाली औरत, गोरी त्वचा, गोल-मटोल चेहरा, और भरे हुए स्तन जो उनकी हरी साड़ी में कैद थे। उनकी साड़ी कमर के नीचे बँधी थी, जिससे उनकी गहरी नाभि और मोटी, चिकनी जाँघें हल्के-हल्के झाँक रही थीं। 8ae2805e2019fe9dd854f48d80a5c53b

 उनकी चूड़ियाँ हर कदम पर खनक रही थीं, और माथे पर लाल बिंदी उनकी खूबसूरती को और निखार रही थी। उनकी गांड, जो साड़ी में तनी हुई थी, हर कदम पर मटक रही थी, और अब्दुल की नज़रें बार-बार उनकी कमर और गांड की ओर जा रही थीं। उसका लंड जींस में हलचल मचा रहा था, जैसे कोई जंगली जानवर जाग उठा हो।

"आह… अब्दुल, धीरे चल… कमर में बहुत दर्द है,” सुनीता ने कराहते हुए कहा। उनकी आवाज़ में दर्द था, लेकिन उसमें एक मादक गूँज थी जो अब्दुल के होश उड़ा रही थी। उनकी साँसें भारी थीं, और उनकी आँखों में एक अजीब-सी तड़प थी, जैसे दर्द के साथ-साथ कुछ और भी उबल रहा हो।

“हाँ, मौसी जी, बस पहुँच गए,” अब्दुल ने जवाब दिया। उसकी आवाज़ में हल्की-सी हड़बड़ाहट थी। उसने सुनीता का हाथ पकड़कर उन्हें सहारा दिया, और उसका हाथ उनकी नरम, गर्म कमर पर सरक गया। सुनीता की त्वचा इतनी मुलायम थी कि अब्दुल की उंगलियाँ जैसे उसमें धँस रही थीं। 

सुनीता ने एक पल के लिए उसकी ओर देखा, उनकी आँखों में दर्द और शरारत का मिश्रण था। 

“आह… अब्दुल… सँभाल के,” उन्होंने मादक अंदाज़ में कहा, और उनकी साड़ी हल्की-सी सरक गई, जिससे उनकी गोरी कमर और गहरी नाभि साफ़ दिखने लगी। 20220510-080429

दोनों जैसे तैसे क्लिनिक के अंदर पहुचे, अब्दुल ने मामा का नाम बताया, उन्हें सीधा एंट्री मिल गई.

क्लिनिक के अंदर हल्की ठंडक थी। डॉ. रमाकांत, एक अधेड़ उम्र का आदमी, चश्मा लगाए मेज़ पर बैठा कुछ कागज़ देख रहा था। उसका चेहरा सख्त था, लेकिन उसकी आँखों में एक चालाक चमक थी, जैसे वो हर मरीज को सिर्फ़ मरीज नहीं, बल्कि कुछ और नज़रिए से देखता हो।

 सुनीता और अब्दुल को देखकर वह उठ खड़ा हुआ। “क्या हुआ? मरीज को क्या तकलीफ है?”

"आप सुनीता है, रमेश की छोटी बहन?" 

"जज... जी डॉक्टर साब " मौसी ने टूटी फूटी आवाज़ मे कहा, अपनी कमर पर हाथ रखे. 17c9d574a738a078b7e47d57f15dd5c5

"बताइये क्या तकलीफ है?" 

 उसने पूछा, उसकी नज़रें सुनीता के भारी जिस्म पर टिक गईं। उनकी साड़ी का पल्लू उनके भारी स्तनों पर अटक गया था, और उनकी गोरी, चिकनी कमर साफ़ झाँक रही थी।

"डॉक्टर साहब, मौसी जी की कमर में मोच आ गई है। कल रात सीढ़ियों से उतरते वक्त लग गई,” अब्दुल ने जवाब दिया। 

उसकी नज़रें सुनीता की कमर पर थीं, जहाँ साड़ी और नीचे सरक गई थी, और उनकी गहरी कामुक नाभि साफ झलक रही थी,

डॉक्टर के चेहरे पे एक मुस्कान आ गई, उसने एक नजर मौसी को ऊपर से नीचे तक निहारा और बोला "हम्म… बिस्तर पर लेट जाइए, मैं चेक करता हूँ,”

सुनीता को एक पुराने, लकड़ी के बिस्तर की ओर इशारा किया, जिसके ऊपर एक पतली, मैली-सी चादर बिछी थी। बिस्तर के पास एक छोटी-सी मेज़ थी, जिस पर तेल की शीशी, कुछ दवाइयाँ, और एक पुराना स्टेथोस्कोप रखा था। 

कमरे में हल्की-सी दवाइयों की गंध थी, लेकिन सुनीता की मादक खुशबू उस गंध को दबा रही थी।

सुनीता ने धीरे से बिस्तर पर लेटने की कोशिश की। 20211209-115854 “आह… उफ्फ…” उनकी कमर में दर्द ने उन्हें सिसकने पर मजबूर कर दिया। बैठने से उनकी साड़ी ऊपर को सरक गई, घुटनो तक, साड़ी का पल्लू उनके भारी स्तनों पर लटक रहा था, और उनकी गहरी नाभि माध्यम रोशनी में चमक रही थी। 

मौसी दर्द मे थी लेकिन उनके जिस्म की कामुकता देख अब्दुल की साँसें अटक गईं, और उसका लंड जींस में दर्द करने लगा। सुनीता की मादकता ने कमरे का माहौल तप्त कर दिया था, और डॉक्टर की आँखें भी मौसी के मादक जिस्म से अछूती नहीं रह गई थी,

मौसी जैसे तैसे पैर के बल लेट गई, पेट के बल लेटने से मौसी का जिस्म और ज्यादा फ़ैल गया, गांड उभार के ऊपर को उठ गई, 

जिसे देख अब्दुल और डॉक्टर दोनों के होश फकता होने को आमादा थे.

खेर डॉक्टर ने हाथ आगे बढ़ा चेक किया।“हम्म… मोच ज्यादा गहरी नहीं है, लेकिन मांसपेशियाँ अकड़ गई हैं। मालिश और गर्म पट्टी से आराम मिलेगा,” डॉक्टर ने कहा और तेल की शीशी उठाई। 

उसने अब्दुल की ओर देखा और कहा, “देखो, ऐसे मालिश करनी है। सँभाल के, धीरे-धीरे।” उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी गंभीरता थी, लेकिन उसकी आँखों में चमक बता रही थी कि वो इस मौके का मज़ा ले रहा था।

डॉक्टर ने सुनीता की साड़ी को और नीचे खींचा। “स्स्स… आह…” सुनीता की सिसकारी कमरे में गूँज उठी। उनकी साड़ी अब उनकी कमर के ठीक नीचे थी, और उनकी मोटी, गोरी गांड की दरार साफ़ दिखने लगी थी।

 उनकी पैंटी का किनारा हल्का-सा झाँक रहा था—हल्का गुलाबी रंग, जो उनकी गोरी त्वचा पर और उभर रहा था। अब्दुल की नज़रें मौसी की गांड की दरार पर चिपक गईं, और उसका चेहरा पसीने से तर-ब-तर हो गया। सुनीता की मांसल गांड इतनी मादक थी कि कमरे का तापमान जैसे बढ़ गया था।

“आह… डॉक्टर साहब… धीरे…” सुनीता ने कराहते हुए कहा। 20220218-164557 उनकी आवाज़ में दर्द था, लेकिन उसमें एक मादक पुट था जो अब्दुल और डॉक्टर दोनों के लंड में हलचल मचा रहा था। सुनीता का चेहरा लाल हो गया था, और उनकी आँखें आधी बंद थीं। उनकी साँसें भारी थीं, और उनकी चूड़ियाँ हर सिसकारी के साथ हल्के-हल्के खनक रही थीं।

डॉक्टर ने तेल अपनी हथेलियों में लिया और उसे गर्म करने के लिए रगड़ा। तेल की चिकनी, नशीली गंध कमरे में फैल गई। उसने अपनी हथेलियों को सुनीता की कमर पर रखा और धीरे-धीरे मलना शुरू किया।

 “हम्म… यहाँ, इस हिस्से में मांसपेशियाँ सख्त हो गई हैं। धीरे-धीरे मालिश करनी है, ताकि खून का दौरा बढ़े,” उसने अब्दुल को समझाते हुए कहा।

और अपने हाथो को कूल्हे के ठीक ऊपर जहाँ कमर और कूल्हे का उभार शुरू होता है वहाँ रख दिया, 

उसके कोमल, अनुभवी हाथ सुनीता की चिकनी त्वचा पर फिसल रहे थे, और हर स्पर्श के साथ सुनीता की साँसें और तेज़ हो रही थीं।

“आह… उफ्फ… डॉक्टर साहब…” सुनीता की सिसकारी अब और गहरी हो गई थी। सुनीता उत्तेजना और दर्द एक साथ महसूस कर रही थी, उसकी कमर हल्के-हल्के ऊपर-नीचे हो रही थी, जैसे वो दर्द और उत्तेजना के बीच झूल रही हों। डॉक्टर के हाथ उनकी कमर के ऊपरी हिस्से पर गोल-गोल घूम रहे थे, और उनकी उंगलियाँ उनकी गांड की दरार के पास हल्के-से रुक रही थीं। 

तेल की चिकनाहट ने सुनीता की त्वचा को और चमकदार बना दिया था, और उनकी गोरी, मांसल गांड सूरज की रोशनी में दमक रही थी।डॉक्टर ने अपनी उंगलियों को और नीचे सरकाया, जहाँ उनकी पैंटी का किनारा था। 

“यहाँ… इस हिस्से को भी मालिश करना ज़रूरी है,” उसने अब्दुल की ओर देखकर कहा। उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी गर्मी थी, और उसकी आँखें सुनीता की नंगी गांड पर टिकी थीं। उसने पैंटी के किनारे को हल्का-सा नीचे खींचा, और सुनीता की मोटी, गोरी गांड की दरार पूरी तरह नज़र आने लगी। 

“स्स्स… आह…” सुनीता की सिसकारी और तेज़ हो गई। उनकी जाँघें काँप रही थीं, सुनीता की पैंटी में एक गीला धब्बा बन गया  था। उनकी चूत में एक जलन-सी उठ रही थी, जैसे कोई गर्म लावा उनके जिस्म में उबल रहा हो।

सुनीता का दिमाग एक तूफान में फँसा था। उनकी कमर का दर्द अब धीरे-धीरे कम हो रहा था, लेकिन डॉक्टर के कोमल, तेल से सने हाथों ने उनके जिस्म में एक नई आग लगा दी थी। 

सुनीता की  चूत में एक गुदगुदी-सी हो रही थी, और उनकी साँसें इतनी तेज़ थीं कि उनकी भारी छातियाँ साड़ी के पल्लू में उछल रही थीं। वो अपनी उत्तेजना को बयान नहीं कर सकती थीं।

 उनकी आँखें आधी बंद थीं, और उनका चेहरा पसीने से चमक रहा था। वो चाहती थीं कि डॉक्टर रुक जाए, लेकिन साथ ही वो चाहती थीं कि वो और आगे बढ़े। उनकी चूत की जलन अब असहनीय हो रही थी, और उनकी पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी।“आह… डॉक्टर साहब… बस… बस करिए…” सुनीता ने हाँफते हुए कहा, लेकिन उनकी आवाज़ में बेकरारी थी। वो अपनी उत्तेजना को छुपाने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उनकी सिसकारियाँ और काँपती जाँघें सब बयान कर रही थीं। अब्दुल की नज़रें उसकी आधी नंगी गांड टिकी थीं, और उसका लंड जींस में फटने को था। 

“मौसी जी… आप… ठीक हैं ना?” उसने हकलाते हुए पूछा, लेकिन उसकी आवाज़ में हवस साफ़ झलक रही थी।

"इसस्स.....हम्म… ठीक हूँ…  दर्द मे आराम है अब, बस… मालिश करो,” सुनीता ने सिसकते हुए कहा। उनकी आवाज़ में एक अजीब-सी तड़प थी, 

अचानक डॉक्टर के हाथ रूक गए तूफ़ान थम सा गया, मौसी की आंखे खुल गई, ये क्यों हुआ अचानक, 

अब्दुल और मौसी तो इस समा मे बंध गए थे, अब्दुल और मौसी की नजरें डॉक्टर को ही देख रही थी, 


“अब जाँघों की मालिश भी करनी होगी,” डॉक्टर ने कहा और अब्दुल की ओर देखा। 

डॉक्टर ने ऐसे कहाँ जैसे ये उसका रोज़ का काम था, शायद होगा भी.

दोनों को उनके सवालों का जवाब मिल गया था.

 “साड़ी को थोड़ा ऊपर उठाओ, ताकि जाँघों तक पहुँचा जा सके।” उसकी आवाज़ में एक चालाकी थी, और उसकी आँखें सुनीता की मोटी, चिकनी जाँघों पर टिकी थीं।

सुनीता ने वापस आंखे बंद कर ली थी, उसे तो शायद मतलब ही नहीं था वो दो मर्दो के सामने किस अवस्था मे लेटी हुई है, 

अब्दुल की साँसें अटक गईं। “जी… जी, डॉक्टर साहब,” उसने हड़बड़ाते हुए कहा और धीरे-धीरे सुनीता की साड़ी को ऊपर उठाने लगा। 

उसकी उंगलियाँ उनकी चिकनी, मांसल जाँघों पर फिसल रही थीं, और हर स्पर्श के साथ उसका लंड और तन रहा था। सुनीता की जाँघें इतनी गोरी और चिकनी थीं कि वो चाँदनी-सी चमक रही थीं। 

साड़ी को अब्दुल ने उनकी गांड के जोड़ तक उठा दिया, और उनकी मोटी, मादक गांड लगभग पूरी तरह नंगी हो गई। 

गांड पर सिर्फ साड़ी का गुच्छेदार अवरण ही बचा था, उस अवरण से एक गुलाबी गीली चड्डी बहार झाँक रही थी. 32408007-002-82c2

मौसी की पैंटी का गीला हिस्सा अब साफ़ दिख रहा था, और उनकी चूत की फाँकें हल्के-से झाँक रही थीं।

“उफ्फ… इसससस....…” सुनीता की सिसकारी कमरे में गूँज उठी। उनकी जाँघें काँप रही थीं, और उनकी चूत में जलन अब असहनीय हो रही थी। वो अपनी उत्तेजना को रोकने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उनकी साँसें और सिसकारियाँ सब बयान कर रही थीं।

 अतिउत्तेजना मे सुनीता की चूत फटने को थी।

डॉक्टर ने फिर से तेल लिया और अपनी हथेलियों को गर्म किया। उसने सुनीता की जाँघों पर हाथ रखा और धीरे-धीरे मलना शुरू किया। 

“यहाँ… जाँघों की मांसपेशियाँ भी अकड़ गई हैं। धीरे-धीरे मालिश करो, ताकि खून का दौरा बढ़े,” उसने अब्दुल को समझाते हुए कहा। 

उसके कोमल, तेल से सने हाथ सुनीता की चिकनी जाँघों पर फिसल रहे थे, और हर स्पर्श के साथ सुनीता की सिसकारियाँ और तेज़ हो रही थीं।

 “आह… उफ्फ… डॉक्टर साहब… दर्द हो रहा है,…”उसकी आवाज़ काँप रही थी, और उनकी आँखें पूरी तरह बंद हो गई थीं।

डॉक्टर की उंगलियाँ उनकी जाँघों के अंदरूनी हिस्से पर रेंग रही थीं, जहाँ उनकी त्वचा सबसे नरम और गर्म थी। " शुरू मे दर्द होता है, अभी सब ठीक हो जायेगा,"

तेल की चिकनाहट ने उनकी जाँघों को और चमकदार बना दिया था, और उनकी पैंटी का गीला धब्बा अब और बड़ा हो गया था


“स्स्स…उफ्फ्फ... आह…” सुनीता की सिसकारी बढ़ती जा रही थी, सांसे तेज़ हो रही थी,  

उनकी कमर हल्के-से ऊपर उठ रही थी, और उनकी चूत में एक तीखी जलन थी, जैसे कोई आग उनके जिस्म में भड़क रही हो।डॉक्टर के हाथ उनकी जाँघों के जोड़ तक पहुँचे, जहाँ उनकी पैंटी का किनारा था। 

डॉक्टर ने हल्के-से पैंटी के दोनों साइड को आपस मे खींच के मिला दिया, नतीजा पैंटी पूरी तरह गांड और चुत की दरार मे जा फसी थी,  और सुनीता की चूत की गीली फाँकें साफ़ दिखने लगीं। 

“पच… पच…” की हल्की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी, जैसे उनकी चूत से रस टपक रहा हो। अब्दुल की आँखें उनकी चूत पर चिपक गईं, और उसका लंड जींस में दर्द करने लगा। 

अब्दुल हैरान था, मौसी की हरकतो से, मौसी खुद से अपनी गांड को हिला रही थी, जब डॉक्टर का हाथ चुत के पास आता तो उसे अंदर लेने के लिए कमर को नीचे धक्का देती, तभी डॉक्टर हाथ पूछे खिंच लेता.. साला हरामी डॉक्टर बहुत बड़ा खिलाडी जान पड़ता था.

डॉक्टर की ये मालिश कोई 2,3 मिनट तक चलती रही, m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-RZl-Dbl-Ncred8-M-WE-29212472b  

 सुनीता की चूत में एक ज्वालामुखी फूटने को आतुर था, जलन अब चरम पर थी, और वो झड़ने के बिल्कुल करीब थीं।

मौसी का जिस्म जैसे कांप रहा था 

डॉक्टर के हाथ अब सुनीता की जाँघों के अंदरूनी हिस्से पर और गहराई से मल रहे थे। उसकी उंगलियाँ उनकी चूत के पास रुक रही थीं, और हर स्पर्श के साथ सुनीता की सिसकारियाँ और तेज़ हो रही थीं।

 “आह… उफ्फ… डॉक्टर साहब… बस… बस…” उनकी आवाज़ टूट रही थी, और उनका जिस्म पसीने से तर-ब-तर था। डॉक्टर की आँखें उनकी नंगी जाँघों और चूत पर टिकी थीं, और उसका चेहरा भी पसीने से चमक रहा था।उसके पैंट में एक उभार साफ़ दिख रहा था। बुढ़ापे में भी उसका लंड खड़ा हो गया था, और उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं।

 “हम्म… यहाँ… यहाँ मालिश बहुत ज़रूरी है,” उसने हाँफते हुए कहा। उसकी उंगलियाँ सुनीता की चूत के पास हल्के-से छू रही थीं, और हर स्पर्श के साथ सुनीता का जिस्म काँप रहा था। “पच… फच…” की आवाज़ अब और तेज़ हो गई थी, जैसे उनकी चूत से रस की धार बह रही हो।

सुनीता अपनी जाँघे आपस मे चिपकना चाहती थी, लेकीन डॉक्टर के अनुभवी मजबूत हाथ उसे फिर से अलग कर देते, ये मादक संघर्ष अब्दुल खुद अपनी आँखों से देख रहा था, m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-t-On5-O-HGHK7cp-Isy-29212672b  

सुनीता की साँसें रुक-रुक कर चल रही थीं। उनकी भारी छातियाँ साड़ी में उछल रही थीं, और उनके सख्त निप्पल कपड़े के ऊपर से साफ़ उभर रहे थे।

  डॉक्टर ने अपनी उंगलियों को और गहराई से उनकी जाँघों पर दबाया, और उनकी चूत के पास हल्के-से रगड़ा।

 “स्स्स… आह…इस्स्स... उफ्फ…” सुनीता की सिस्कारी लगभग चीख मे तब्दील हो कमरे में गूँज उठी। सुनीता की गांड ऊपर उठ गई, और उनकी चूत से रस की बूँदें उनकी पैंटी से टपकने लगीं। उनकी पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और उनकी चूत की जलन अब असहनीय थी। 


अब्दुल की साँसें भी अब तेज़ हो रही थीं। उसकी आँखें सुनीता की नंगी जाँघों और चूत पर चिपकी थीं, और उसका लंड जींस में दर्द करने लगा था।  वो इस खेल का दर्शक मात्र था 

“मौसी जी… आप… आप ठीक हैं?” उसने हकलाते हुए पूछा, लेकिन उसकी आवाज़ में हवस साफ़ झलक रही थी।

“हम्म… ठीक हूँ… बस… मालिश… आह…” सुनीता ने सिसकते हुए जवाब दिया, शायद कुछ और भी बोलना चाहती थी लेकिन बोल ना सकी, उनकी आँखें अब्दुल की ओर थीं, और उनकी साँसें गर्म थीं। वो अपनी उत्तेजना को छुपाने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उनकी काँपती जाँघें और गीली पैंटी सब बयान कर रही थीं।


सुनीता बस चरम पर ही थी, 10 सेकंड और वो झड़ ही जाती की तभी डॉक्टर ने अचानक अपनी उंगलियाँ रोक दीं।

 “समझ गए, अब्दुल? ऐसे मालिश करनी है,” उसने कहा और अपने हाथ हटा लिए। सुनीता का जिस्म झटके से काँप उठा। वो झड़ने के बिल्कुल करीब थीं, लेकिन डॉक्टर ने मालिश रोक दी। 

“आह... उउफ्फ्फ...… डॉक्टर साहब……” उनकी आवाज़ में तड़प थी, और उनकी आँखें आधी बंद थीं। उनकी चूत में जलन अब चरम पर थी, और वो बेचैन हो रही थीं।

कुछ और भी पूछना चाहती थी लेकिन बोल ना सकी.

“बस, इतना काफी है। अब तुम घर पर ऐसे ही मालिश करना, बहार और भी मरीज है,” डॉक्टर ने शांत लहजे में कहा, लेकिन उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी। उसका पैंट में उभार साफ़ दिख रहा था, और उसका चेहरा भी पसीने से चमक रहा था। 

"हमफ.... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... मौसी ने जैसे तैसे अपनी साँसो पर काबू पाया, साड़ी ठीक की.

उसने महसूस किया दर्द बिल्कुल नहीं था, कमर बिलकुओं फ्री हो चुकी थी. लेकिन एक भारीपन जांघो के बीच जरूर मौजूद था.

"डॉक्टर साब टॉयलेट " 


डॉक्टर ने साइड मे इशारा कर दिया 

मौसी वहाँ से मन मामोस के चल दी, उसकी चाल मे चंचलता वापस आ गई थी.

इधर डॉक्टर अब्दुल को कुछ समझा रहा था “मोच ठीक हो जाएगी। गर्म पट्टी और मालिश दो-तीन दिन तक करो,” उसने अब्दुल को हिदायत दी।

कुछ ही देर मे सुनीता और अब्दुल वापसी के लिए निकल गए थे..

पेशाब करने के बाद सुनीता थोड़ी राहत महसूस कर रही थी लेकिन अभी भी कुछ कसक बाकि थी.. 

"क्या हो गया था मौसी आपको अंदर, दर्द ज्यादा था क्या?" अब्दुल ने मौसी को छेड़ते हुए कहाँ..

"आज रात तुम मालिश करना तो समझ जायेगा की क्या हुआ था मुझे " मौसी ने मुस्कुरा कर अब्दुल की जांघो के बीच नजर दौड़ा दी, जहाँ अभी भी उसका लंड का बड़ा सा उभार बना हुआ था.

*********

वही दूसरी तरफ अनुश्री मोहित और प्रवीण भी मेहंदी ले कर वापस लौट रहे थे, अनुश्री अपने किये काण्ड से संतुष्ट थी.

"दीदी आपने बताया नहीं आप क्या काम कराना चाहती थी हमसे "

मोहित ने पूछा..

"कैसे बताती उस से पहले तो दीदी का ही काम हो गया था hehehehe..." प्रवीण ने मजे लेते हुए कहाँ.. तीनो काफ़ी हद तक घुल मिल गए थे.

"हट कमीने हो तुम लोग "

"तो बताओ ना क्या काम है "

"मैने जब से अपनी माँ के बारे मे सुना है, तब से मै अपनी माँ को चुदते हुए देखना चाहती हूँ " अनुश्री ने साफ साफ बोल दिया.

"ककककययययआआ...... क्या...." दोनों चौंक उठे.

"ऐसे क्या चौंक रहे हो, तुमने तो प्लान बना ही रखा है ना तो बस मै देख लुंगी तो क्या बिगाड़ जायेगा?"

"लललल... लेकिन होगा कैसे?" मोहित ने पूछा.

"वो तुम जानो मुझ से पूछ के थोड़ी ना मेरी माँ की चुत ने ऊँगली की थी तुम लोगो ने "

तीनो मे कुछ खुसर फुसर चलने लगी, कुछ प्लान बनने लगा..

कार घर की ओर दौड़े जा रही थी.


अमित की घर की औरते अपने चरम पर जाने को आतुर थी, उसके दोस्त उनके भागीदार बन रहे थे...

मेहंदी की रात बहुत कुछ लाने वाली है.

बने रहिये...



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1 Comments

  1. Thank god ..u are back. Its amazing as ever..plz keep posting.

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