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मेरी बेटी निशा -23

 अपडेट -23, मेरी बेटी निशा

Picsart-23-12-27-12-13-56-381निशा को समझ में नहीं आ रहा था कि उसे क्या हो गया है. भला वो बार बार कैसे गरम हो रही हैं. जगदीश राय फिर तेल की शीशी को अपने लंड पर लगाता हैं और कुछ निशा की गान्ड में भी डाल देता है. फिर अपना लंड को निशा की गान्ड पर रखकर धीरे धीरे उसे निशा की गान्ड में पेलने लगता हैं. निशा के मूह से चीख निकलने लगती हैं मगर वो अपने पापा को रोकने का बिल्कुल प्रयास नहीं करती. जैसे ही जगदीश राय का सूपाड़ा अंदर जाता हैं निशा की आँखों से आँसू निकल जाते हैं. उसे इतना दर्द होता है लगता हैं किसी ने उसकी गान्ड में जलता हुआ सरिया डाल दिया हो. वो फिर भी अपने पापा के लिए वो दर्द को बर्दास्त करती हैं।
निशा :उफफफफ्फ़.पापा आप कितने बेरहम हो......पूरा घुसा दिया........इतना मोटा लॉडा पूरा मेरी गान्ड में डाल दिया"
जगदीश राय:हां बेटी.....पूरा ले लिया है तूने........ऐसे ही बेकार में डर रही थी"
निशा:बेकार में......उूउउफफफफ्फ़.........मेरी जगह आप होते तो मालूम चलता.....अभी भी कितना दुख रहा है....,धीरे करो पापा" 
जगदीश राय: बेटी अब तो चला गया है ना पूरा अंदर.......बस कुछ पलों की देर है देखना तू खुद अपनी गान्ड मेरे लौडे पर मारेगी" बेटी की पीठ चूमता बोला.
"धीरे पेलो पापा.......हाए बहुत दुख रही है मेरी गान्ड......."निशा सिसिया रही थी. जगदीश राय तेल वाला सुझाव वाकई मे बड़ा समझदारी वाला था. तेल से लंड आराम से अंदर बाहर फिसलने लगा था. जहाँ पहले इतना ज़ोर लगाना पड़ रहा था लंड को थोड़ी सी भी गति देने के लिए अब वो उतनी ही आसानी से अंदर बाहर होने लगा था. हालाँकि निशा ने अपने पापा धीरे धीरे धक्के लगाने के लिए कहा था मगर पिछले आधे घंटे से किए सबर का बाँध टूट गया और जगदीश राय ना चाहता हुआ भी अपनी बेटी की गान्ड को कस कस कर चोदने लगा.
निशा: हाए उउउफफफफफफफ्फ़.........आआआहज्ज्ज्ज मार...डााअल्ल्लीीगगगघाा क्यआआअ......हीईीईईईई.....ओह माआआअ.......,,हे भगवान......मेरी गान्ड....,उफफफफफफफ़फ्ग फट गईईईईई।
निशा चीख रही थी, चिल्ला रही थी मगर अपने पापा को रुकने के लिए नही कह रही थी. सॉफ था उसे इस बेदर्दी में भी मज़ा आ रहा था.वैसे भी वो रोकती तो भी जगदीश राय रुकने वाला नही था. दाँत भींचे वह निशा की गान्ड को पेलता जा रहा था और वो पेलवाती जा रही थी.
जगदीश राय: हाए अब बोल बेटी......मज़ा आ रहा है ना गान्ड मरवाने में....."
निशा: आ रहा है....हाए बहुत मज़ा आ रहा है....ऐसे ही ज़ोर लगा कर चोदते रहिए पापा.......हाए मारो अपनी बेटी की कुँवारी गान्ड"
जगदीश राय: "ले बिटिया.....ले....यह ले.........मेरा लॉडा अपनी गान्ड में" जगदीश राय पूरी रफ़्तार पकड़ते हुए निशा के चुतड़ों पर तड़ तड़ चान्टे मारने सुरू कर दिए.
निशा:हाय....उूुुउउफफफ्फ़...,मारो ..पापा....मारो अपनी बेटी की गान्ड....फाड़ो अपनी बेटी की गान्ड.......,हाए मारो फाड़ डालो। इसे...,उफफ़गगगगगग...हे भगवान..........ले लो मेरी गान्ड.......ले लो मेरे पापा..." ।
और फिर जगदीश राय पूरी रफ़्तार से अपना लंड अंदर और अंदर पेलना शुरू करता हैं और तब तक नहीं रुकता जब तक उसका लंड निशा की गान्ड की गहराई में पूरा नहीं उतर जाता. निशा की हालत बहुत खराब थी. वो दर्द से उबर नहीं पा रही थी. करीब 5 मिनिट तक वो ऐसे ही अपना लंड को निशा के गान्ड में रहने देता हैं.
फिर धीरे धीरे वो उसकी गान्ड को चोदना शुरू करता है. निशा के मूह से दर्द और सिसकारी का मिश्रण निकलने लगता हैं और जगदीश राय तब तक नहीं रुकता जब तक वो निशा की गान्ड से खून नहीं निकाल देता। करीब 30 मिनिट तक ज़बरदस्त गान्ड मारने के बाद आख़िरकार निशा का बदन भी जवाब दे देता हैं और वो भी चिल्लाते हुए ज़ोर ज़ोर से झरने लगती हैं।साथ में जगदीश राय भी निशा के गांड में अपनी मलाई छोड़ देता है।

वही दोनो बाप बेटी वही बिस्तर पर एक दूसरे की बाहों में समा जाते हैं. और निशा अपने पापा को अपने सीने से चिपका लेती हैं. जगदीश राय भी उसके सीने पर अपना सिर रखकर लेट जाता हैं।
निशा:एक बात पूँछू पापा।प्लीज आप सही सही बताना।चूँकि मैं आशा से डायरेक्ट नहीं पूछ सकती।आप मेरे दोस्त हो तो आप बताओ।आशा से आप......कैसे.....
जगदीश राय:देखो बेटी।जब तुम टूर पर चली गई तो 2-3 दिन बाद मेरा मन नहीं लग रहा था ऑफिस में तो मैं घर चला आया।यहाँ देखा की आशा अपने कमरे में एक लड़के के साथ है।दोनों नंगे थे।लड़का मुझे देख के भाग गया।लेकिन आशा वैसी ही खड़ी रही।फिर जब मैंने उसे डाँटा तो उसने ये राज खोला की पापा आप भी तो निशा दीदी के साथ मज़े लेते हो।
मुझे तो विस्वास ही नहीं हुवा लेकिन आशा ने कभी रात में हमें देखा था।इसलिए मुझे झुकना पड़ा।फिर मैंने देखा की आशा की गाँड में एक पूँछ घुसी हुई है।मैंने पूछा तो उसने बताया की उसे इसमें मज़ा आता है।वो रैबिट की पूँछ है।और उसकी सहेली विदेश से लाई है दोनों के लिए।
फिर दो तीन दिन बाद मैं एक दिन मुठ मार रहा था तो आशा आ गई और मेरी हेल्प करने के बहाने अपनी गांड में लंड डालने पर मजबूर किया।
निशा:लेकिन चूत में क्यों नहीं।
जगदीश राय:क्योंकि आशा बोल रही थी की वो कुंवारी चूत अपने पति को देगी।दूसरे को सिर्फ गाँड देगी।मैं भी ये सोचकर उसके साथ किया की कम से कम बाहर 
इज्जत ख़राब ना करे।आजकल के लड़कों का क्या भरोसा। कोई वीडियो बना लेगा तो हमारी इज़्ज़त का क्या होगा।घर में हम आपस में खुश रहेंगे।हमारी जरूरतें भी पूरी होती रहेगी।
निशा:अजीब पागल है ये लड़की भी।थैंक्स पापा आपने अच्छा किया।कम से कम हमारी इज़्ज़त तो बची रहेगी।
फिर जगदीश राय सोने लगा।
कुछ देर बाद जगदीश राय को अपने लंड पर गीली गरम जीभ का अहसास हुवा तो उसने आँखे खोल दी।उसने देखा उसकी बेटी किसी कुतिया की तरह उसके लंड को ऊपर से निचे तक चाट रही थी।जगदीश राय का लंड फिर से अकड़ने लगा था।निशा लंड को तेजी में चूस रही थी।अब जगदीश राय का लंड निशा के थूक से पूरा गिला हो गया था।
जब लंड पूरा खड़ा हो गया तो जगदीश राय ने निशा को सुला दिया और अपना लन्ड एक ही झटके में पूरा 9 इंच का लंड अपनी बेटी निशा की चूत में पेल दिया।
निशा:आआऐईईइ.....इसस्स्स्सस्स....ऊऊऊ इइइइइ मआआ..... मर गयी. आअहह...इससस्स...आ.” पापा के मोटे लंड ने निशा की चूत के छेद को इतना ज़्यादा चौड़ा कर दिया था, ऐसा लगता था कि चूत फॅट ही जाएगी.
“क्या हुआ बेटी?” जगदीश राय ने लंड थोड़ा सा और अंदर बाहर करते हुए पूछा.
निशा:“पापा, इसस्स....बहुत..... बहुत मोटा लंड है आआपका. आप तो हमारी चूत फाड़ डालेंगे.”
जगदीश राय:हम अपनी प्यारी बिटिया की चूत कैसे फाड़ सकते हैं?” पापा ने निशा के होंठों का रसपान करते हुए बोले.
जगदीश राय ने निशा की दोनो टाँगें मोड़ के उसके घुटने उसकी चुचियों से चिपका दिए थे. अब तो वह बिल्कुल लाचार थी और उसकी चूत पापा के मोटे तगड़े लंड की दया पे थी. हलाकी अब तक तो पापा अपने लंबे तगड़े लंड से कितनी बार निशा को चोद चुके थे, लेकिन आज पापा का लंड झेलना भारी पड़ रहा था. इतने में जगदीश राय ने अपना लंड थोड़ा सा निशा की चूत के बाहर खींचा और फिर एक ज़ोर का धक्का लगा दिया. आधे से ज़्यादा लंड फिर से चूत में समा गया.
निशा:“आाआऐययईईईईईई....ऊऊऊीीईईईई माआआआ........आहह धीरे....अया...धीरे..ईीीइससस्स....”
इससे पहले कि निशा कुछ संभलती जगदीश राय ने फिर से अपना लंड सुपाडे तक बाहर खींचा और इस बार एक और भी भयंकर धक्का मार के पूरा लंड निशा की चूत में उतार दिया.
निशा:“आआअहह...आाययइ.....मार डाला.. फाड़ डालिए. ...... आपको क्या? इससस्स.. बेटी की चाहे फॅट जाए.” पापा का मोटा लंड आख़िर जड़ तक निशा की चूत में घुस गया था और उनके मोटे मोटे बॉल्स उसकी गांड के छेद पे दस्तक दे रहे थे. निशा का बदन पसीने में नहा गया था. पापा थोडी देर बिना हिले निशा के ऊपर पड़े रहे और निशा की चूचियों और होंठों का रसपान करते रहे. निशा की चूत का दर्द भी अब कम होने लगा था.अब उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
“बेटी थोड़ा दर्द कम हुआ?” जगदीश राय निशा की चूचियों को दबाते हुए बोले.
“हाँ पापा, अब जी भर के चोद लीजिए अपनी प्यारी बिटिया को.” निशा उनके कान में फुसफुसाते हुए बोली. अब जगदीश राय ने पूरा लंड बाहर निकाल के निशा की चूत में पेलना शुरू कर दिया. सच! ज़िंदगी में चुदवाने में इतना मज़ा आएगा निशा ने कभी सोचा नहीं था. अब निशा को एहसास हुआ कि क्यूँ उसकी सहेलियां रोज़ चुदवाने के लिए उतावली रहती है. अब निशा की चूत बहुत गीली हो गयी थी उसमें से फ़च...फ़च...फ़च का मादक संगीत निकल रहा था. कुच्छ देर तक चोदने के बाद उन्होने अपना लंड निशा की चूत से बाहर खींचा और उसके मुँह में डाल दिया. पापा का पूरा लंड और बॉल्स निशा की चूत के रस में सने हुए थे.निशा ने पापा का लंड और बॉल्स चाट चाट कर साफ कर दिए. अब पापा बोले,
जगदीश राय: “निशा मेरी जान, अब थोड़ा कुतिया बन जाओ. अपने इन जान लेवा नितम्बों के दर्शन भी तो करा दो.”
“आपको मेरे नितम्ब बहुत अच्छे लगते हैं ना?” निशा पापा के बॉल्स सहलाते हुए बोली.
जगदीश राय“हां बेटी बहुत ही सेक्सी नितम्ब हैं तुम्हारी.”
निशा“ और मेरी? मेरी गाँड अच्छी लगी आपको?”
जगदीश राय: “तुम्हारी गाँड तो बिल्कुल जान लेवा हैं बेटी. जब नहा के टाइट कपड़ो में घूमती हो तो ऐसा लगता है जैसे कपडे फाड़ के बाहर निकल आएँगे. तुम्हारे मटकते हुए चूतडों को देख के तो हमारा लंड ना जाने कितनी बार खड़ा हो जाता है.”
निशा:“हाय पापा इतना तंग करते हैं हमारे नितम्ब आपको? ठीक है मैं कुतिया बन जाती हूँ. अब ये नितम्ब आपके हवाले. आप जो चाहे कर लीजिए.”
ये कह कर निशा जल्दी से पापा के लंड के मोटे सुपाडे को चूम लिया और फिर कुतिया बन गयी. अब उसकी चूचियाँ बिस्तर पे टिकी हुई थी और चूतड हवा में लहरा रहे थे. निशा चूतड चुदवाने की मुद्रा में उचका रखे थे. जगदीश राय निशा के विशाल चूतडो को देख कर गरम हो गये. उन्होने निशा के दोनो चूतडो को अपने हाथ में दबोचा और अपना मुँह उनके बीच में घुसेड दिया. अब निशा कुतिया बनी हुई थी और जगदीश राय उसके पीछे कुत्ते की तरह निशा के चूतडो के बीच मुँह दिए उसकी चूत चाट रहे थे. 
फिर उन्होने निशा के चूतडो को पकड़ के चौड़ा किया और उसकी गांड के छेद के चारों ओर जीभ फेरने लगे. निशा तो अब सातवें आसमान पे थी. बहुत ही मज़ा आ रहा था. इतने में जगदीश राय ने अपनी जीभ निशा के गांड के छेद में घुसेड दी. निशा ये ना सह सकी और एकदम से झड़ गयी. काफ़ी देर तक इसी मुद्रा में निशा की चूत और गांड चाटने के बाद उन्होने दोनो हाथों से निशा के चूतडो को पकड़ा और अपने मोटे लंड का गरम गरम सुपारा निशा की लार टपकाती चूत पे टिका दिया........

निशा का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. तभी जगदीश राय ने एक ज़बरदस्त धक्का लगा दिया और उनका लंड चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समा गया.
“ आाऐययईईई….आआअहह….आह.” निशा के मुँह से ज़ोर की चीख निकल गयी.
जगदीश राय“बेटी ऐसे चिल्लाओगी तो आशा और सशा जाग जाएगी.”
निशा“आप भी तो हमें कितनी बेरहमी से चोद रहे हैं पापा.” जगदीश राय के मोटे मूसल ने निशा की चूत को बुरी तरह से फैला के चौड़ा कर दिया था . अब जगदीश राय ने निशा की कमर पकड़ के धक्के लगाना शुरू कर दिया. आसानी से उनका लंड निशा की चूत में जा सके इसलिए अब उसने टाँगें बिल्कुल चौड़ी कर दी थी. मीठा मीठा दर्द हो रहा था. निशा अपने ही बाप से कुतिया बन के चुदवा रही थी.
निशा बेटी तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है.” फ़च फ़च.. फ़च…..फ़च फ़च….फ़च… की आवाज़ें ज़ोर ज़ोर से आ रही थी. निशा की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी. वह इतनी उत्तेजित हो गयी थी की अपने चूतड पीछे की ओर उचका उचका के अपने पापा का लंड अपनी चूत में ले रही थी.
जगदीश राय“ निशा मेरी जान, तुम्हारी मम्मी को चोद कर भी आज तक इतना मज़ा नहीं आया था”बहुत मज़ा आ रहा है बेटी।
निशा:मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है पापा।3 दिनों से मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी।आज जाकर मेरी गर्मी शांत हुई।और चोदो पापा।
निशा तो वासना में पागल हुई जा रही थी. शायद अपने ही बाप से चुदवाने के एहसास ने उसकी वासना को और भड़का दिया था.
जगदीश राय निशा के चूतडो को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से धक्के मारते हुए बोले,
“निशा बेटी. सच इन चूतडो ने तो हमारा जीना ही हराम कर रखा था.आज इसे फाड़ने में बहुत मज़ा आया और तुम्हारा ये गुलाबी छेद!” ये कहते हुए उन्होने एक उंगली मेरी गांड में सरका दी.
“आआआहह…….. ईीइससस्स... ये क्या कर रहे हैं पापा?”
जगदीश राय:“बेटी तुम्हारे पापा ने आज पहली बार इस छेद को प्यार किया है?” पापा अब मेरी गांड में उंगली अंदर बाहर कर रहे थे.
“आईईIईईIई
ईईईईईई निशा समझ गयी थी कि अब पापा फिर से गांड मारना चाहते थे.निशा को मालूम था कि पापा को गांड मारने का बहुत शौक है. अपने ही बाप से फिर से गांड मरवाने की बात सोच सोच कर वह बहुत उत्तेजित हो गयी थी और निशा की चूत तो इतनी गीली थी कि रस बह कर उसकी टाँगों पे बह रहा था. आख़िर वही हुआ जिसका उसे अंदेशा था.
पापा निशा की गांड में उंगली करते हुए बोले,
“ निशा बेटी हम तुम्हारे इस गुलाबी छेद को भी प्यार करना चाहते हैं.”इसमें अपना मोटा लंड डालके पेलना चाहता हूँ।
“हाय पापा आपको हमारे चूतड इतने पसंद हैं तो कर लीजिए जी भर के उस छेद से प्यार. आज की रात मैं पूरी तरह से आपको खुश करना चाहती हूँ.”
Contd...

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