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मेरी दीदी कविता -6

 मेरी दीदी कविता, भाग -6Picsart-24-05-06-12-44-51-904

साले तेरा एक बार भी नहीं निकला....हाय....अब साले मुझे निचे लिटा कर चोद...जैसे मैंने चोदा था वैसे ही....पूरा लौड़ा डाल कर....मेरी चुत ले....ओह...." कहते हुए मेरे ऊपर से निचे उतर गई. मेरा लण्ड सटाक से पुच्च की आवाज़ करते हुए बाहर निकल गया. दीदी अपनी दोनों टांगो को उठा कर बिस्तर पर लेट गई और जांघो को फैला दिया. चुदाई के कारण उनकी चुत गुलाबी से लाल हो गई थी. images-2 दीदी ने अपनी जांघो के बीच आने का इशारा किया. मेरा लपलपाता हुआ खड़ा लण्ड दीदी की चुत के पानी में गीला हो कर चमचमा रहा था. मैं दोनों जांघो के बीच पंहुचा तो मुझे रोकते हुए दीदी ने पास में परे अपने पेटिकोट के कपड़े से मेरा लण्ड पोछ दिया और उसी से अपनी चुत भी पोछ ली फिर मुझे डालने का इशारा किया. ये बात मुझे बाद में समझ में आई की उन्होंने ऐसा क्यों किया. उस समय तो मैं जल्दी से जल्दी उनकी चुत के अन्दर घुस जाना चाहता था. दोनों जांघो के बीच बैठ कर मैंने अपना लौड़ा चुत के गुलाबी छेद पर लगा कर कमर का जोर लगाया. सट से मेरा सुपाड़ा अन्दर घुसा. बूर एक दम गरम थी. image113 तमतमाए लौड़े को एक और जोर दार झटका दे कर पूरा पूरा चुत में उतारता चला गया. लण्ड सुखा था चुत भी सूखी थी. सुपाड़े की चमरी फिर से उलट गई और मुंह से आह निकल गई मगर मजा आ गया. चुत जो अभी दो मिनट पहले थोरी ढीली लग रही थी फिर से किसी बोतल के जैसे टाइट लगने लगी. एक ही झटके से लण्ड पेलने पर दीदी कोकियाने लगी थी. मगर मैंने इस बात कोई ध्यान नहीं दिया और तरातर लौड़े को ऊपर खींचते हुए सटासट चार-पॉँच धक्के लगा दिए. दीदी चिल्लाते हुए बोली "माधरचोद...साले दिखाई नहीं देता की चुत को पोछ के सुखा दिया  था...भोसड़ी के सुखा लौड़ा डाल कर दुखा दिया.....तेरी बहन को चोदु....हरामी…. साले...अभी भी....चोदना नहीं आया...ऊपर चढ़ के सिखाया था....फिर साले तुने...." मैं रुक कर दीदी का मुंह देखने लगा तो फिर बोली "अब मुंह क्या देख रहा है....मार ना....धक्का....जोर लगा के मार...हाय मेरे राजा...मजा आ गया...इसलिए तो पोछ दिया था....हाय देख क्या टाइट जा रहा है...इस्स्स्स्स….” मैं समझ गया अब फुल स्पीड में चालू हो जाना चाहिए. फिर क्या था मैंने गांड उछाल उछाल कर कमर नचा कर जब धक्का मरना शुरू किया तो दीदी की चीखे निकालनी शुरू हो गई. चुत फच फच कर पानी फेंकने लगी.38195891 गांड हवा में लहरा कर लण्ड लीलने लगी “ हाय पेल दे.....भाई ऐसे ही बेदर्दी से….. चोद अपनी कविता दीदी की चुत को....ओह माँ....कैसा बेदर्दी भाई है....हाय कैसे चोद रहा है....अपनी बड़ी बहन को....हाय माँ देखो....मैंने मुठ मारने से मना किया तो साले ने मुझे चोद डाला......चोदा इसके लिए कोई बात नहीं....मगर कमीने को ऐसे बेदर्दी से चोदने में पता नहीं क्या मजा मिल रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़.......मर गई....हाय बड़ा मजा आ रहा है.....सीईईईई.....मेरे चोदु सैयां...मेरे बालम....हाय मेरे चोदु भाई.....बहन के लौड़े...चोद दे अपनी चुदक्कड़ बहन को...सीईईईई...." मैं लगातार धक्के पर धक्का लगता जा रहा था. मेरा जोश भी अपनी चरम सीमा पर पहुँच चूका था और मैं अपनी गांड तक का जोर लगा कर कमर नचाते हुए धक्का मार रहा था. दीदी की चूची को मुठ्ठी में दबोच दबाते हुए गच गच धक्का मारते हुए मैं भी जोश में सिसिया हुए बोला " ओह मेरी प्यारी बहन ओह....सीईईईइ....कितनी मस्त हो  तुम....हाय...सीईईई तुम नहीं होती तो...मैं ऐसे ही मुठ मारता...हो सीईई...दीदी बहुत मजा आ रहा है...हाय सच में दीदी आपकी गद्देदार चुत में लौड़ा डाल कर ऐसा लग रहा है जैसे.....जन्नत....हाय...पुच्च..पुच्च ओह दीदी मजा आ गया....ओह दीदी तुम गाली भी देती हो तो मजा आता है....हाय...मैं नहीं जानता था की मेरी दीदी इतनी बड़ी चुदक्कड़ है....हाय मेरी चुदैल बहना....सीईईईई हमेशा अपने भाई को ऐसे ही मजा देती रहना....ऊऊऊऊउ....दीदी मेरी जान....हाय....मेरा लण्ड हमेशा तुम्हारे लिया खड़ा रहता था....हाय आज....मन की मुराद.....सीईईई....” मेरा जोश अब अपने चरम सीमा पर पहुँच चूका था और मुझे लग रहा था की मेरा पानी निकल जायेगा दीदी भी अब बेतहाशा अंट-शंट बक रही थी और गांड उचकाते हुए दांत पिसते बोली " "हाय साले....चोदने दे रही हूँ तभी खूबसूरत लग रही हूँ....माधरचोद मुझे सब पता है.....चुदैल बोलता है....साले चुदक्कड़ नहीं होती...मुठ मारता रह जाता.....हाय जोर....अक्क्क्क्क.....जोर से मारता रह माधरचोद.... मेरा अब निकलेगा...हाय भाई मैं झरने वाली हूँ....सीईईईई....और जोर से पेल....चोद चोद....चोद चोद.... राजू....बहनचोद....बहन के लौड़े.....” tumblr-nbiaabmd7u1s7u3gao1-500 कहते हुए मुझे छिपकिली की तरह से चिपक गई. उनकी चुत से छलछला कर पानी बहने लगा और मेरे लण्ड को भिगोने लगा. तीन-चार तगड़े धक्के मारने के बाद मेरा लण्ड भी झरने लगा और वीर्य का एक तेज फौव्वारा दीदी की चुत में गिरने लगा. दीदी ने मुझे अपने बदन से कस कर चिपका लिया और आंखे बंद करके अपनी दोनों टांगो को मेरे चुत्तरों पर लपेट मुझे बाँध लिया. जिन्दगी में पहली बार किसी चुत के अन्दर लण्ड को झारा था. वाकई मजा आ गया था. ओह दीदी ओह दीदी करते हुए मैंने भी उनको अपनी बाँहों में भर लिया था. हम दोनों इतनी तगड़ी चुदाई के बाद एक दम थक चुके थे मगर हमारे गांड अभी भी फुदक रहे थे. गांड फुद्काती हुई दीदी अपनी चुत का रस निकल रही थी और मैं गांड फुद्काते हुए लौड़े को बूर की जड़ तक ठेल कर अपना पानी उनकी चुत में झार रहा था. सच में ऐसा मजा मुझे आज के पहले कभी नहीं मिला था. अपनी खूबसूरत बहन को चोदने की दिली तम्मन्ना पूरी होने के कारण पुरे बदन में एक अजीब सी शान्ती महसूस हो रही थी. करीब दस मिनट तक वैसे ही परे रहने के बाद मैं धीरे से दीदी के बदन निचे उतर गया. मेरा लण्ड ढीला हो कर पुच्च से दीदी की चुत से बाहर निकल गया. मैं एकदम थक गया था और वही उनके बगल में लेट गया. दीदी ने अभी भी अपनी आंखे बंद कर रखी थी. मैं भी अपनी आँखे बंद कर के लेट गया और पता नहीं कब नींद आ गई. सुबह अभी नींद में ही था की लगा जैसे मेरी नाक को दीदी की चुत की खुसबू का अहसास हुआ. एक रात में मैं चुत के चटोरे में बदल चूका अपने आप मेरी जुबान बाहर निकली चाटने के लिए...ये क्या...मेरी जुबान पर गीलापन महसूस हुआ.


मैं ने जल्दी से आंखे खोली तो देखा दीदी अपने पेटिकोट को कमर तक ऊँचा किये मेरे मुंह के ऊपर बैठी हुई थी और हँस रही थी. दीदी की चुत का रस मेरे होंठो और नाक ऊपर लगा हुआ था. हर रोज सपना देखता था की दीदी मुझे सुबह-सुबह ऐसे जगा रही है. झटके के साथ लण्ड खड़ा हो गया और पूरा मुंह खोल दीदी की चुत को मुंह भरता हुआ जोर से काटते हुए चूसने लगा. उनके मुंह से चीखे और सिसकारियां निकलने लगी. उसी समय सुबह सुबह पहले दीदी को एक पानी चोदा और चोद कर उनको ठंडा करके बिस्तर से निचे उतर बाथरूम चला गया. फ्रेश होकर बाहर निकला तो दीदी उठ कर रसोई में जा चुकी थी. रविवार का दिन था मुझे भी कही जाना नहीं था. कविता दीदी ने उस दिन लाल रंग की टाइट समीज और काले रंग की चुस्त सलवार पहन रखी थी. नाश्ता करते समय पैर फैला कर बैठी तो मैं उसकी टाइट सलवार से उसके मोटे गुदाज जांघो और मस्तानी चुचियों को देखता चौंक गया. दोनों फैली हुई जांघो के बीच मुझे कुछ गोरा सा, उजला सफ़ेद सा चमकता आया नज़र आया. मैंने जब ध्यान पूर्वक देखा तो पाया की दीदी की सलवार उनके जांघो के बीच से फटी हुई. मेरी आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा. मैं सोचने लगा की दीदी तो इतनी बेढब नहीं है की फटी सलवार पहने, फिर क्या बात हो गई. तभी दीदी अपनी जांघो पर हाथ रखते अपने फटी सलवार के बीच ऊँगली चलाती बोली "क्या देख रहा है बे....साले.....अभी तक शान्ती नहीं मिली क्या....घूरता ही रहेगा....रात में और सुबह में भी पूरा खोल कर तो दिखाया था...." मैं थोरा सा झेंपता हुआ बोला "नहीं दीदी वो...वो आपकी...सलवार बीच से...फटी..." दीदी ने तभी ऊँगली दाल फटी सलवार को फैलाया और मुस्कुराती हुई बोली "तेरे लिए ही फारा है....दिन भर तरसता रहेगा...सोचा बीच-बीच में दिखा दूंगी तुझे..." मैं हसने लगा और आगे बढ़ दीदी को गले से लगा कर बोला "हाय...दीदी तुम कितनी अच्छी हो....ओह...तुम से अच्छा और सुन्दर कोई नहीं है....ओह दीदी....मैं सच में तुम्हारे प्यार में पागल हो जाऊंगा..." कहते हुए दीदी के गाल को चूम उनकी चूची को हलके से दबाया. दीदी ने भी मुझे बाँहों में भर लिया और अपने तपते होंठो के रस का स्वाद मुझे दिया. उस दिन फिर दिन भर हम दोनों भाई बहन दिन भर आपस में खेलते रहे और आनंद उठाते रहे. दीदी ने मुझे दिन में दुबारा चोदने तो नहीं दिया मगर रसोई में खाना बनाते समय अपनी चुत चटवाई और दोपहर में भी मेरे ऊपर लेट कर चुत चटवाया और लण्ड चूसा. टेलिविज़न देखते समय भी हम दोनों एक दुसरे के अंगो से खेलते रहे. कभी मैं उनकी चूची दबा देता कभी वो मेरा लण्ड खींच कर मरोर देती. मुझे कभी माधरचोद कह कर पुकारती कभी बहनचोद कह कर. इसी तरह रात होने पर हमने टेलिविज़न देखते हुए खाना खाया और फिर वो रसोई में बर्तन आदि साफ़ करने चली गई और मैं टीवी देखता रहा थोड़ी देर बाद वो आई और कमरे के अन्दर घुस गई. मैं बाहर ही बैठा रहा. तभी उन्होंने पुकारा "राजू वहां बैठ कर क्या कर रहा है...भाई आ जा....आज से तेरा बिस्तर यही लगा देती हूँ...." मैं तो इसी इन्तेज़ार में पता नहीं कब से बैठा हुआ था. कूद कर दीदी के कमरे में पहुंचा तो देखा दीदी ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठ कर मेकअप कर रही थी और फिर परफ्यूम निकाल कर अपने पुरे बदन पर लगाया और आईने अपने आप को देखने लगी. मैं दीदी के चुत्तरों को देखता सोचता रहा की काश मुझे एक बार इनकी गांड का स्वाद चखने को मिल जाता तो बस मजा आ जाता. मेरा मन अब थोरा ज्यादा बहकने लगा था. ऊँगली पकड़ कर गर्दन तक पहुचना चाहता था. दीदी मेरी तरफ घूम कर मुझे देखती मुस्कुराते हुए बिस्तर पर आ कर बैठ गई. वो बहुत खूबसूरत लग रही थी.

बिस्तर पर तकिये के सहारे लेट कर अपनी बाँहों को फैलाते हुए मुझे प्यार से बुलाया. मैं कूद कर बिस्तर पर चढ़ गया और दीदी को बाँहों में भर उनके होंठो का चुम्बन लेने लगा. तभी लाइट चली गई और कमरे में पूरा अँधेरा फ़ैल गया. मैं और दीदी दोनों हसने लगे. फिर उन्होंने ने कहा "हाय राजू....ये तो एक दम टाइम पर लाइट चली गई...मैंने भी दिन में नहीं चुदवाया था की....रात में आराम से मजा लुंगी....चल एक काम कर अँधेरे में बूर चाट सकता है....देखू तो सही.....तू मेरी चुत की सुगंघ को पहचानता है या नहीं....सलवार नहीं खोलना ठीक है...." इतना सुनते ही मैं होंठो को छोर निचे की तरफ लपका उनके दोनों पैरों को फैला कर सूंघते हुए उनकी फटी सलवार के पास उनके चुत के पास पहुँच गया. सलवार के फटे हुए भाग को फैला कर चुत पर मुंह लगा कर लफर-लफर चाटने लगा. थोड़ी देर चाटने पर ही दीदी एक दम सिसयाने लगी और मेरे सर को अपनी चुत पर दबाते हुए चिल्लाने लगी " हाय राजू....बूर चाटू.....राजा....हाय सच में तू तो कमाल कर रहा है....एक दम एक्सपर्ट हो गया है....अँधेरे में भी सूंघ लिया....सीईईईइ बहनचोद....साला बहुत उस्ताद हो गया....है.....है मेरे राजा.....सीईईईइ" मैं पूरी चुत को अपने मुंह में भरने के चक्कर में सलवार की म्यानी को और फार दिया, यहाँ तक तक की दीदी की गांड तक म्यानी फट चुकी थी और मैं चुत पर जीभ चलाते हुए बीच-बीच में उनकी गांड को भी चाट रहा था और उसकी खाई में भी जीभ चला रहा था. तभी लाइट वापस आ गई. मैंने मुंह उठाया तो देखा मैं और दीदी दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे.होंठो पर से चुत का पानी पोछते हुए मैं बोला "हाय दीदी देखो आपको कितना पसीना आ रहा है...जल्दी से कपरे खोलो...." दीदी भी उठ के बैठते हुए बोली "हाँ बहुत गर्मी है....उफ्फ्फ्फ्फ्फ....लाइट आ जाने से ठीक रहा नहीं तो मैं सोच रही थी.....साली ..." कहते हुए अपने समीज को खोलने लगी. समीज खुलते ही दीदी कमर के ऊपर से पूरी नंगी हो गई. उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी थी ये बात मुझे पहले से पता थी. क्यों की दिन भर उनकी समीज के ऊपर से उनके चुचियों के निप्पल को मैं देखता रहा था. दोनों चूचियां आजाद हो चुकी थी और कमरे में उनके बदन से निकल रही पसीने और परफ्यूम की मादक गंध फ़ैल गई. मेरे से रुका नहीं गया. मैंने झपट कर दीदी को अपनी बाँहों में भरा और निचे लिटा कर उनके होंठो गालो और माथे को चुमते हुए चाटने लगा. मैं उनके चेहरे पर लगी पसीने की हर बूँद को चाट रहा था और अपने जीभ से चाटते हुए उनके पुरे चेहरे को गीला कर रहा था. दीदी सिसकते हुए मुझ से अपने चेहरे को चटवा रही थी. चेहरे को पूरा गीला करने के बाद मैं गर्दन को चाटने लगा फिर वह से छाती और चुचियों को अपनी जुबान से पूरा गीला कर मैंने दीदी के दोनों हाथो को पकड़ झटके के साथ उनके सर के ऊपर कर दिया. उनकी दोनों कांख मेरे सामने आ गई. कान्खो के बाल अभी भी बहुत छोटे छोटे थे. हाथ के ऊपर होते ही कान्खो से निकलती भीनी-भीनी खुश्बू आने लगी. मैं अपने दिल की इच्छा पूरी करने के चक्कर में सीधा उनके दोनों छाती को चाटता हुआ कान्खो की तरफ मुंह ले गया और उसमे अपने मुंह को गार दिया. कान्खो के मांस को मुंह में भरते हुए चूमने लगा और जीभ निकाल कर चाटने लगा. कांख में जमा पसीने का नमकीन पानी मेरे मुंह के अन्दर जा रहा था मगर मेरा इस तरफ कोई ध्यान नहीं था. मैं तो कांख के पसीने के सुगंध को सूंघते हुए मदहोश हुआ जा रहा था. मुझे एक नशा सा हो गया था मैंने चाटते-चाटते पूरी कांख को अपने थूक और लार से भींगा दिया था. दीदी चिल्लाते हुए गाली दे रही थी "हाय हरामी....सीईईइ...ये क्या कर रहा है.....चूतखोर.....सीई....बेशरम.....कांख चाटने का तुझे कहा से सूझा.....उफ्फ्फ्फ्फ्फ....पूरा पसीने से भरा हुआ था....साला मुझे भी गन्दा कर रहा है..... हाय पूरा थूक से भींगा दिया....हाय माधरचोद....ये क्या कर रहा है....उफ्फ्फ्फ्फ्फ....हाय मेरे पुरे बदन को चाट रहा है.....हाय भाई......तुझे मेरे बदन से रस टपकता हुआ लगता है क्या.....हाय…… उफ्फ्फ्फ्फ्फ...." मुझे इस बात की चिंता नहीं थी की दीदी क्या बोल रही है. मैं दुसरे कांख को चाटते हुए बोला "हाय दीदी...तेरा बदन नशीला है...उम्म्म्म्म्म्म्म.....बहुत मजेदार है....तू तो रसवंती है....रसवंती....तेरे बदन को चाटने से जितना मजा मुझे मिलता है उतना एक बार बियर पी थी तब भी नहीं आया था....हाय.....दीदी तुम्हारी कान्खो में जो पसीना रहता है उसकी गंध ने मुझे बहुत बार पागल किया है.....हाय आज मौका मिला है तो नहीं छोरुगा....तुम्हारे पुरे बदन को चाटूंगा.....गांड में भी अपनी जुबान डालूँगा...हाय दीदी आज मत रोकना मुझे....मैं पागल हो गया  हूँ.....उम्म्म्म्म्म्म्म्म...." दीदी समझ गई की मैं सच में आज उनको नहीं छोड़ने वाला. उनको भी मजा आ रहा था. उन्होंने अपना पूरा बदन ढीला छोर दिया था और मुझे पूरी आजादी दे दी थी. मैं आराम से उनके कान्खो को चाटने के बाद धीरे धीरे निचे की तरफ बढ़ता चला गया और पेट की नाभि को चाटते हुए दांतों से सलवार के नारे को खोल कर खीचने लगा. इस पर दीदी बोली "फार दे ना....बहनचोद...पूरी तो पहले ही फार चूका है....और फार दे...." पर मैंने खींचते हुए पूरी सलवार को निचे उतार दिया और दोनों टांग फैला कर उनके बीच बैठ एक पैर को अपने हाथ से ऊपर उठा कर पैर के अंगूठे को चाटने लगा धीरे धीरे पैर की उँगलियों और टखने को चाटने के बाद पुरे तलवे को जीभ लगा कर चाटा. फिर वहां से आगे बढ़ते हुए उनके पुरे पैर को चाटते हुए घुटने और जांघो को चाटने लगा. जांघो पर दांत गाराते हुए मांस को मुंह में भरते हुए चाट रहा था. दीदी अपने हाथ पैर पटकते हुए छटपटा रही थी. मेरी चटाई ने उनको पूरी तरह से गरम कर दिया था

वो मदहोश हो रही थी. मैं जांघो के जोर को चाटते हुए पैर को हवा में उठा दिया और लप लप करते हुए कुत्ते की तरह कभी बूर कभी उसके चारो तरफ चाटने लगा फिर अचानक से मैंने जांघ पकर कर दोनों पैर हवा में ऊपर उठा दिया इस से दीदी की गांड मेरी आँखों के सामने आ गई और मैं उस पर मुंह लगा कर चाटने लगा. दीदी एक दम गरमा गई और तरपते हुए बोली "क्या कर रहा है...हाय गांड के पीछे हाथ धो कर पर गया....है....सीईईई गांड मारेगा क्या....जब देखो तब चाटने लगता है...उस समय भी चाट रहा था....हाय हरामी....कुत्ते....सीईई...चाट मगर ये याद रख मारने नहीं दूंगी......साला आज तक इसमें ऊँगली भी नहीं गई है.....और तू कुत्ता.....जब देखो...उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....हाय चाटना है तो ठीक से चाट.....मजा आ रहा है....रुक मुझे पलटने दे......" कहते हुए पलट कर पेट के बल हो गई और गांड के निचे तकिया लगा कर ऊपर उठा दिया और बोली "ले अब चाट....कुत्ते....अपनी कुतिया दीदी की   गांड....को.....बहनचोद.....बहन की गांड....खा रहा है.....उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ बेशरम......" मेरे लिए अब और आसन हो गया था. दीदी की गांड को उनके दोनों चुत्तरों को मुठ्ठी में कसते हुए मसलते हुए खोल कर उनकी पूरी गांड की खाई में जीभ डाल कर चलाने लगा. गांड का छोटा सा भूरे रंग का छेद पकपका रहा था. होंठो को गांड के छेद के होंठो से मिलाता हुआ चूमने लगा. तभी दीदी अपने दोनों हाथो को गांड के छेद के पास ला कर अपनी गांड की छेद को फैलाती हुई बोली "हाय ठीक से चाट...चाटना है तो....छेद पूरा फैला कर....चाट...मेरा भी मन करता था चटवाने को.....तेरी जो वो मस्तराम की किताब है न उसमे लिखा है....हाय राजू.....मुझे सब पता है...बेटा....तू क्या क्या करता है....इसलिए चौंकना मत....बस वैसे ही जैसे किताब में लिखा है वैसे चाट.....हाय...जीभ अन्दर डाल कर चाट....हाय सीईईईईई....." मैं समझ गया की अब जब दीदी से कुछ छुपा ही नहीं है तो शर्माना कैसा अपनी जीभ को करा कर के उनकी गांड की भूरी छेद में डाल कर नचाते हुए चाटने लगा. गांड को छेद को अपने अंगूठे से पकर फैलाते हुए मस्ती में चाटने लगा. दीदी अपनी गांड को पूरा हवा में उठा कर मेरे जीभ पर नचा रही थी और मैं गांड को अपनी जीभ डाल कर चोदते हुए पूरी खाई में ऊपर से निचे तक जीभ चला रहा था. दीदी की गांड का स्वाद भी एक दम नशीला लग रहा था. कसी हुई गांड के अन्दर तक जीभ डालने के लिए पूरा जीभ सीधा खड़ा कर के गांड को पूरा फैला कर पेल कर जीभ नचा रहा था. सक सक गांड के अन्दर जीभ आ जा रही थी. थूक से गांड की छेद पूरी गीली हो गई थी और आसानी से मेरी जीभ को अपने अन्दर खींच रही थी. गांड चटवाते हुए दीदी एक दम गर्म हो गई थी और सिसकते हुए बोली "हाय राजा...अब गांड चाटना छोड़ो....हाय राजा....मैं बहुत गरम हो चुकी हूँ.....हाय मुझे तुने....मस्त कर दिया है...हाय अब अपनी रसवंती दीदी का रस चूसना छोड़ और.......उसकी चुत में अपना मुस्लंड लौड़ा डाल कर चोद और उसका रस निकाल दे.....हाय सनम....मेरे राजा....चोद दे अपनी दीदी को अब मत तड़पा...." दीदी की तड़प देख मैंने अपना मुंह उनकी गांड पर से हटाया और बोला " हाय दीदी जब आपने मस्तराम की किताब पढ़ी थी तो...आपने पढ़ा तो होगा ही की....कैसे गांड....में...हाय मेरा मतलब है की एक बार दीदी....अपनी गांड...." दीदी इस एक दम से तड़प कर पलटी और मेरे गालो पर चिकोटी काटती हुई बोली "हाय  हरामी....साला.....तू जितना दीखता है उतना सीधा है नहीं....सीईईईइ....माधरचोद....मैं सब समझती हूँ....तू साला गांड के पीछे पड़ा हुआ है.....कुत्ते मेरी गांड मारने के चक्कर में तू....साले...यहाँ मेरी चुत में आग लगी हुई है और तू....हाय....नहीं भाई मेरी गांड एक दम कुंवारी है और आज तक मैंने इसमें ऊँगली भी नहीं डाली है....हाय राजू तेरा लौड़ा बहुत मोटा है....गांड छोड़ कर चुत मार ले...मैंने तुझे गांड चाटने दिया....गांड का पूरा मजा ले लिया अब रहने दे...." मैं दीदी की चिरौरी करने लगा. "हाय दीदी प्लीज़....बस एक बार...किताब में लिखा है कितना भी मोटा.....हो चला जाता है...हाय प्लीज़ बस एक बार...बहुत मजा...आता है...मैंने सुना है....प्लीज़....” मैं दीदी के पैर को चूम रहा था, चुत्तर को चूम रहा था, कभी हाथ को चूम रहा था. दीदी से मैं भीख मांगने के अंदाज में चिरौरी करने लगा. कुछ देर तक सोचने के बाद दीदी " बोली ठीक है भाई तू कर ले....मगर मेरी एक शर्त है....पहले अपने थूक से मेरी गांड को पूरा चिकना कर दे....या फिर थोड़ा सा मख्खन का टुकड़ा ले आ मेरी गांड में डाल कर एक दम चिकना कर दे फिर....अपना लण्ड डालना...डालने के पहले…. लण्ड को भी चिकना कर लेना....हाँ एक और बात तेरा पानी मैं अपनी चुत में ही लुंगी खबरदार जो.... तुने अपना पानी कही और गिराया....गांड मारने के बाद चुत के अन्दर डाल कर गिराना....नहीं तो फिर कभी तुझे चुत नहीं दूंगी… और याद रख मैं इस काम में तेरी कोई मदद नहीं करने वाली मैं कुर्सी पकर कर खड़ी हो जाउंगी…..बस….” मैं राजी हो गया और तुंरत भागता हुआ रसोई से फ्रीज खोल मख्खन के दो तीन टुकड़े ले कर आ गया. दीदी तब तक सोफे वाली चेयर के ऊपर दो तकिया रख कर अपनी आधे धर को उस पर टिका कर गांड को हवा में लहरा रही थी. मैं जल्दी से उनके पीछे पहुँच कर उनके चुत्तरो को फैला कर मख्खन के टुकड़ो को एक-एक कर उनकी गांड में ठेलने लगा. गांड की गर्मी पा कर मख्खन पिघलता जा रहा था और उनकी गांड में घुस कर घुलता जा रहा था. मैंने धीरे धीरे कर के सारे टुकड़े डाल दिए फिर निचे झुक कर गांड को बाहर से चाटने लगा. पूरी गांड को थूक से लथपथ कर देने के बाद मैंने अपने लण्ड पर भी ढेर सारा थूक लगाया और फिर दोनों चुत्तरों को दोनों हाथ से फैला कर लण्ड को गांड की छेद पर लगा कर कमर से हल्का सा जोर लगाया. गांड इतनी चिकनी हो चुकी थी और छेद इतनी टाइट थी की लण्ड फिसल कर चुत्तरों पर लग गया. मैंने दो तीन बार और कोशिश की मगर हर बार ऐसा ही हुआ. दीदी इस पर बोली "देखा भाई मैं कहती थी न की एक दम टाइट है....कुत्ते....मेरी बात नहीं मान रहा था...किताब में लिखी हर बात.....सच नहीं....हाय तू तो....बेकार  

में....उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ कुछ होने वाला नहीं....दर्द भी होगा.....हाय.....चुत में पेल ले....ऐसा मत कर...." मगर मैं कुछ नहीं बोला और कोशिश करता रहा. थोड़ी देर में दीदी ने खुद से दया करते हुए अपने दोनों हाथो से अपने चुत्तरों को पकड़ कर खींचते हुए गांड के छेद को अंगूठा लगा कर फैला दिया और बोली "ले माधरचोद अपने मन की आरजू पूरी कर ले....साला हाथ धो के पीछे पड़ा है....ले अब घुसा....लण्ड का सुपाड़ा ठीक से छेद पर लगा कर उसके बाद....धक्का मार...धीरे धीरे मारना...हरामी....जोर से मारा तो गांड टेढा कर के लण्ड तोड़ दूंगी....." मैंने दीदी के फैले हुए गांड के छेद पर लण्ड के सुपाड़े को रखा और गांड तक का जोर लगा कर धक्का मारा. इस बार पक से मेरे लण्ड का सुपाड़ा जा कर दीदी की गांड में घुस गया. गांड की छेद फ़ैल गई. सुपाड़ा जब घुस गया तो फिर बाकी काम आसान था क्योंकि सबसे मोटा तो सुपाड़ा ही था. पर सुपाड़ा घुसते ही दीदी की गांड परपराने लगी.


वो एक दम से चिल्ला उठी और गांड खींचने लगी. मैंने दीदी की कमर को जोर से पकड़ लिया और थोड़ा और जोर लगा कर एक और धक्का मार दिया. लण्ड आधा के करीब घुस गया क्योंकि गांड तो एक दम चिकनी हो रखी थी. पर दीदी को शायद दर्द बर्दाश्त नहीं हुआ चिल्लाते हुए बोली "हरामी....कुत्ते...कहती थी....मत कर....माधरचोद....पीछे पड़ा हुआ था.....साले....हरामी....छोड़..... हाय...मेरी गांड फट गई...उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....सीईईईई....अब और मत डालना....हरामी....तेरी माँ को चोदु.....मत डाल..... हाय निकल ले...निकल ले भाई....गांड मत मार....हाय चुत मार ले....हाय दीदी की गांड फार कर क्या  मिलेगा....सीईईईईइ...आईईईईईइ........मररररर....गईइइइ ....." दीदी के ऐसे चिल्लाने पर मेरी गांड भी फट गई और मैं डर रुक गया और दीदी की पीठ और गर्दन को चूमने लगा और हाथ आगे बढा कर उनकी दोनों लटकती हुई चुचियों को दबाने लगा. मेरी जानकारी मुझे बता रही थी की अगर अभी निकल लिया तो फिर शायद कभी नहीं डालने देगी इसलिए चुप-चाप आधा लण्ड डाले हुए कमर को हलके हलके हिलाने लगा. कुछ देर तक ऐसे करने और चूची दबाने से शायद दीदी को आराम मिल गया और आह उह करते हुए अपनी कमर हिलाने लगी. मेरे लिए ये अच्छा अवसर था और मेल भी धीरे धीरे कर के एक एक इंच लण्ड अन्दर घुसाता जा रहा था. हम दोनों पसीने पसीने हो चुके थे. थोड़ी देर में ही मेरी मेहनत रंग लाइ और मेरा लण्ड लगभग पूरा दीदी की गांड में घुस गया. दीदी को अभी भी दर्द हो रहा था और वो बड़बड़ा रही थी. मैं दीदी को सांत्वना देते हुए बोला "बस दीदी हो गया अब....पूरा घुस चूका है...थोड़ी देर में लौड़ा....सेट हो कर आपको मजा देने लगेगा....हाय...परेशान नहीं हो....मैं खुद से शर्मिंदा हूँ की मेरे कारण आपको इंतनी परेशानी झेलनी पड़ी....अभी सब ठीक हो जाएगा....” दीदी मेरी बात सुन कर अपनी गर्दन पीछे कर मुस्कुराने की कोशिश करती बोली "नहीं भाई...इसमें शर्मिंदा होने की कोई बात नहीं है...हम आपस में मजा ले रहे है....इसलिए इसमें मेरा भी हाथ है......भाई तू ऐसा मत सोच....मेरे भी दिल में था की मैं गांड मरवाने का स्वाद लू....अब जब हम कर ही रहे है तो....घबराने की कोई जरुरत नहीं है....तुम पूरा कर लो पर याद रखना....अपना पानी मेरी चुत में ही छोड़ना...लो मारो मेरी गांड...मैं भी कोशिश करती हूँ की गांड को कुछ ढीला कर दू....” ऐसा बोल कर दीदी भी धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाने लगी. मैं भी धीरे धीरे कमर हिला रहा था. कुछ देर बाद ही सक सक करते हुए मेरा लण्ड उनकी गांड में आने-जाने लगा. अब जाकर शायद कुछ ढीला हो रहा था. दीदी के कमर हिलाने में भी थोड़ी तेजी आ गई, इसलिए मैंने अपनी गांड का जोर लगाना शुरू कर दिया और तेजी से धक्के मारने लगा. एक हाथ को उनकी कमर के निचे ले जाकर उनकी बूर के टीट को मसलने लगा और चुत को रगड़ने लगा. उनकी चुत पानी छोड़ने लगी. दीदी को अब मजा आ रहा था. मैं अब कचाकाच धक्का लगाने लगा और एक हाथ उनके चुचियों को थाम कर लण्ड को गांड के अन्दर-बाहर करने लगा. चुत से चार गुना ज्यादा टाइट दीदी की गांड लग रही थी. दीदी अपनी गांड को हिलाते हुए बोलीonly-anal-sex-follow-only-anal-sex-for-the-best " हाय भाई मजा आ रहा है.....सीईईईई....बहुत अच्छा लग रहा है......शुरुर में तो दर्द कर रहा था.....मगर अब अच्छा लग रहा है.....सीईईईई.....हाय राजा....मारो धक्का...जोर जोर से चोदो अपनी दीदी की गांड को......हाय सैयां बताओ अपनी दीदी की गांड मारने में कैसा लग रहा है.....मजा आ रहा है की नहीं.....मेरी टाइट गांड मारने में.... बहन की गांड मारने का बहुत शौक था ना तुझे.... तो मन लगा कर मार....हाय मेरी चुत भी पानी छोड़ने लगी है....हाय जोर से धक्का मार....अपनी बहन को बीबी बना लिया है....तो मन लगा कर बीबी की सेवा कर....हाय राजा सीईईईईईइ.....बहनचोद बहुत मजा आ रहा है.....सीईईईईइ....उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़....." मैं भी अब पूरा जोर लगा कर धक्का मारते हुए चिल्लाया " हाय दीदी सीईईई....बहुत टाइट है तुम्हारी गांड....मजा आ गया....हाय एक दम संकरी छेद है....ऊपर निचे जहाँ के छेद में लौड़ा डालो वही के छेद में मजा भरा हुआ है....हाय दीदी साली....मजा आ गया....सच में तुम बहुत मजेदार हो….. बहुत मजा आ रहा है....सीईईईई....मैं तो पागल हाय....मैं तो पूरा बहनचोद बन गया हूँ.....मगर तुम भी तो भाईचोदी बहन हो मेरी डार्लिंग सिस्टर.....हाय दीदी आज तो मैं तुम्हारी बूर और गांड दोनों फार कर रख दूंगा....." तभी मुझे लगा की इतनी टाइट गांड मारने के कारण मेरा किसी भी समय निकल सकता है. इसलिए मैंने दीदी से कहा की "दीदी...मेरा अब निकल सकता है...तुम्हारी गांड बहुत टाइट है....इतनी टाइट गांड मारने से मेरा तो छिल गया है मगर.....बहतु मजा आया....अब मैं निकाल सकता हूँ....हाय बोलो दीदी क्या मैं तुम्हारी गांड से निकल कर चुत में डालू या फिर.....तुम्हारी गांड में निकल दू....बोलो न मेरी लण्डखोर बहन....साली मैं तुम्हारे चुत में झारू या फिर....गांड में झारू.....हाय मेरी रंडी दीदी....." दीदी अपनी गांड नाचते हुए बोली " माधरचोद....मुझे रंडी बोलता है....साले अगर नहीं दिया होता तो मुठ मारता रह जाता....हाय अगर निकलने वाला है तो भोसरी के पूछ क्या रहा है.....जल्दी से गांड से निकल चुत में डाल...." मैंने सटक से लौड़ा खिंचा और दीदी भी उठ कर खड़ी हो गई और बिस्तर पर जा कर अपनी दोनों टांग हवा में उठा कर अपने जन्घो को फैला दिया. लगभग कूदता हुआ उनके जांघो बीच घुस गया और अपना तमतमाया हुआ लौड़ा गच से उनकी चुत में डाल कर जोर दार धक्के मारने लगा. दीदी भी निचे से गांड उछल कर धक्का लेने लगे और चिल्लाने लगी " हाय राजा मारो....जोर से मारो...अपनी बहन बीबी की...हाय मेरे सैयां...बहुत मजा आ रहा है...इतना मजा कभी नहीं मिला....मेरे भाई मेरे पति....अब तुम्ही मेरे पति हो...हाय राजा मैं तुमसे शादी करुँगी....हाय अब तुम्ही मेरे सैयां हो....मेरे बालम....माधरचोद....ले अपनी दीदी की की चुत का मजा....पूरा अन्दर तक लौड़ा डाल कर...चुत में पानी छोरो....माधरचोद..." मैं भी चिल्लाते हुए बोला " हा रंडी मैं तेरे से शादी करूँगा...मेरे लण्ड का पानी अपनी चुत में ले....हाय मेरा निकलने वाला है....हाय सीईईईईइ.........ले ले...." और दीदी को कस कर अपनी बाँहों में चिपका झरने लगा. उसी समय वो भी झरने लगी.

इसी तरह हमारी चुदाई का सिलसिला एक साल तक चलता रहा, अब तक मै चोदने मे एक्सपर्ट हो चूका था.
एक साल बाट जीना जी वापस लौट आये और यही धंधा जमा लिया.
अब जब भी हमें समय मिलता है, कामवसान मे लिप्त हो जाते है.
समाप्त.

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