सूरज अब पूरी तरह ढल चुका था। पहाड़ों की गोद में अंधेरा पसर गया था, और हवा में ठंडक के साथ-साथ एक अजीब-सी बेचैनी तैर रही थी। आसमान में काले बादल अब और घने हो चुके थे, और हल्की-हल्की बूँदें गिरने लगी थीं, जैसे बारिश किसी बड़े तूफान की आहट दे रही हो।
मैं और मामा फटे हुए टायर को लेकर 10 किलोमीटर दूर दुकान की ओर निकल चुके थे। मेरे मन में खटका था—माँ रेशमा, मामी, आदिल, और अब्दुल को अकेले छोड़ना? साला, ये तो भेड़ियों को भेड़ की रखवाली सौंपने जैसा था। लेकिन मामा का हुक्म था, और मैं चुपचाप उनके साथ चल दिया।हाईवे के किनारे हमारी कार खड़ी थी।
माँ रेशमा और मामी कार के पास खड़ी थीं, अपनी साड़ियाँ ठीक करती हुई, आपस में हल्की-हल्की बातें कर रही थीं। उनकी साड़ियाँ अभी भी अस्त-व्यस्त थीं, और उनके गोरे, सुडौल जिस्म हल्की-सी रोशनी में चमक रहे थे।
माँ की साड़ी उनकी नाभि के नीचे सरक रही थी, और उनकी गोरी, मांसल कमर हवा में चमक रही थी।
मामी का ब्लाउज़ उनके भारी स्तनों को बमुश्किल थामे हुए था, और उनकी साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था।
आदिल कार के पास टहल रहा था, उसकी नजरें बार-बार माँ और मामी पर टिक रही थीं, जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को ताड़ रहा हो। अब्दुल कार के बोनट पर बैठा था, अपने फोन में कुछ देख रहा था, लेकिन उसकी आँखें चुपके-चुपके माँ की कमर और मामी के भारी स्तनों पर सरक रही थीं।


“जीजी, मुझे तो पेशाब लगी है,” मामी ने अचानक कहा, अपनी साड़ी को थामते हुए। “तुम भी चलो ना, अकेले डर लगता है।” माँ ने एक बार आदिल और अब्दुल की ओर देखा, जैसे कुछ सोच रही हों।
“ठीक है, भाभी, चलो,” माँ ने हल्के से सिर हिलाया। दोनों सड़क से नीचे की ओर उतरीं, जहाँ हल्की-सी झाड़ियाँ थीं। सूरज की आखिरी किरणें अब बमुश्किल दिख रही थीं, और चारों तरफ एक रहस्यमयी सन्नाटा पसर रहा था।
माँ और मामी सड़क से उतरकर नीचे झाड़ियों के पीछे पहुँचीं। दोनों ने अपनी साड़ियाँ कमर तक उठाईं, और उनकी गोरी, मांसल जाँघें हल्की-सी रोशनी में चमक उठीं। माँ की साड़ी का पल्लू उनकी छातियों पर लटक रहा था, और मामी का ब्लाउज़ उनके भारी स्तनों को बमुश्किल थामे हुए था। जल्दी काम निपटाने की हड़बड़ी में दोनों ने अपनी कच्छियाँ नीचे सरका दीं और बैठ गईं।
माँ की चूत से निकलती गर्म धार ने ज़मीन पर एक छोटा-सा गड्ढा बना दिया,
और मामी की चूत से बहता रस हवा में एक मादक महक छोड़ रहा था।


माँ ने एक बार आसपास देखा, जैसे सुनिश्चित करना चाहती हों कि कोई देख तो नहीं रहा।
“जीजी, अच्छा मौका है ना?” मामी ने अचानक धीमी, मादक आवाज़ में कहा।
माँ चौंक पड़ीं। “कैसा मौका, भाभी?” उनकी आवाज़ में हैरानी थी।
मामी ने अपनी साड़ी को और ऊपर सरकाया, और अपनी जाँघें और चौड़ा कर दीं। उनकी चिकनी, गीली चूत हल्की-सी रोशनी में चमक उठी, जैसे किसी पके रसीले पपीते के बीच मे किसी ने चीरा लगा दिया हो,

“जीजी, अब छुपाओ मत। मुझे सब पता है,” मामी ने शरारत भरे लहजे में कहा। “दिल्ली से आते वक्त कार में क्या हुआ था, वो सब... तुम और आदिल... उफ्फ, बाकी लड़के... तुम मना नहीं कर पाई थीं किसी को। और अब्दुल? साला, उसका लंड तो जैसे कोई हथियार है। मैंने भी उसका मज़ा लिया है।”
मामी के मुँह से निकले शब्दों को सुन माँ का चेहरा लाल पड़ गया। उनकी गांड आपस में कस गई, चूत का छेद सिकुड़ गया, और पेशाब की धार रुक गई।
“भ... भ... भाभी, ये... ये तुम क्या कह रही हो?” उनकी आवाज़ काँप रही थी, जैसे चोरी पकड़ी गई हो। लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब-सी चमक थी, जैसे वो हैरान भी थीं और उत्तेजित भी।
मामी ने हँसते हुए कहा, “जीजी, शर्माने की कोई ज़रूरत नहीं। जो तुम्हारा राज़ है, वो मेरा भी है। जिस दिन तुम यहाँ आई थीं, तभी से बैचेन लग रही थीं। उस रात जब मैं बाथरूम गई थी, तब अब्दुल ने मुझे पकड़ लिया था। वो मुझे देखकर चौंक गया था। मैं समझ गई कि वो तुम्हारे लिए आया था, लेकिन मैंने भी उसके मांसल, लोहे जैसे लंड को देखकर खुद को रोक नहीं पाई। और तुम्हारी जगह मैंने अपनी चूत मरवा ली।”
माँ की साँसें तेज़ हो गईं। “भाभी... तुम... तुमने...” वो कुछ कहना चाहती थीं, लेकिन शब्द उनके गले में अटक गए। मामी उठ खड़ी हुई। उनकी कच्छी अभी भी घुटनों पर अटकी थी, और साड़ी कमर तक उठी हुई थी। उनकी गीली, मादक चूत माँ के सामने चमक रही थी। मामी पूरी तरह बेशर्मी पर उतर आई थी।
“जीजी, ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते। देखो, मेरी चूत कैसे गीली हो रही है,” मामी ने एक उंगली अपनी चूत में डालकर बाहर निकाली और माँ को दिखाया। उनकी उंगली गाढ़े चूत-रस से सनी थी, जो हल्की रोशनी में चमक रही थी।
“ईस्स्स... उफ्फ... इससे बेहतर मौका कहाँ मिलेगा? दोनों लड़के यहीं खड़े हैं, बस इशारा करना है। अमित और तुम्हारे भैया जब तक आएंगे, तब तक हमारी चूत उल्टी कर चुकी होगी।”
माँ उसका उतावलापन देखकर हैरान थीं। “बहुत बदमाश हो, भाभी,” माँ ने हँसते हुए कहा, और उनकी चूत से फिर से पेशाब की धार छूट गई।
मामी अपनी चूत को सहलाने लगी, और उसकी सिसकारियाँ हवा में तैरने लगीं।
तभी एक आवाज़ गूँजी, “हमारे होते हुए आप क्यों तकलीफ कर रही हो, मामी जी?”माँ और मामी ने चौंककर पीछे देखा।

आदिल और अब्दुल झाड़ियों के पास खड़े थे, अपनी जींस की ज़िप खोलकर अपने तने हुए लंडों को मसल रहे थे। आदिल का लंड मोटा और लंबा था, नसों से भरा, जैसे कोई जंगली हथियार।
अब्दुल का लंड और भी भारी था, काला और चमकदार, जैसे कोई लोहे का डंडा।
मामी के चेहरे पर कोई हैरानी नहीं थी, बल्कि एक कातिलाना, मादक मुस्कान थी, जैसे उसे पता था कि ये होने वाला है। “तकलीफ तो तुम दोनों को हो सकती है अब,” मामी ने उसी कामुक अंदाज़ में अपनी चूत को सहलाते हुए कहा।
माँ अब सामने आए मौके को जाने देना नहीं चाहती थीं। दोनों ने अपनी साड़ियाँ और ऊपर उठाईं और आदिल व अब्दुल के पास पहुँचकर घुटनों पर बैठ गईं।
मामी के सामने आदिल का लंड झूल रहा था, और मेरी माँ रेशमा के सामने अब्दुल का लंड हिलोरे मार रहा था। बारिश की हल्की बूँदें उनके जिस्मों पर गिर रही थीं, जिसकी वजह से उनकी साड़ियाँ उनके गोरे, मांसल जिस्मों से चिपक रही थीं।
माँ से रहा नहीं गया कल रात प्रवीण और मोहित से चुदने के बाद उसकी चुत और भी ज्यादा कुलबुला रही थी, उसने अपने मादक रसीले लाल होंठो को अब्दुल के लंड पर कस दिया।
“लप... लप... गुलप...” की आवाज़ झाड़ियों में गूँज उठी। अब्दुल की साँसें तेज़ हो गईं।
“उफ्फ... रेशमा जी ... तुम तो... मार डालोगी...” उसने हाँफते हुए कहा।

माँ की जीभ अब्दुल के लंड के सुपारे पर चक्कर काट रही थी, और उनकी लार उसके लंड पर चमक रही थी। वो हर चूसने के साथ और गहराई तक ले रही थीं, जैसे उसका सारा रस निचोड़ लेना चाहती हों।

माँ ने अपने ब्लाउज़ के बटन खोल दिए, और उनके भारी, गोरे स्तन बाहर कूद पड़े। उनके सख्त निप्पल बारिश की बूँदों से भीगकर चमक रहे थे।
हर चूसने के साथ उनके स्तन हिल रहे थे, जैसे कोई कामुक नृत्य कर रहे हों।
मामी ने आदिल के लंड को अपने मुँह में लिया। “गुलप... गुलप...” की आवाज़ हवा में तैरने लगी। आदिल ने मामी के सिर को पकड़ लिया और अपने लंड को उनके गले तक ठूंस दिया।

“आह... मामी जी ... क्या रसीला मुँह है तुम्हारा, मया चूसती हो तुम....” उसने सिसकते हुए कहा।
मामी की जीभ आदिल के लंड के सुपारे पर चक्कर काट रही थी, और उनकी लार उसके लंड पर टपक रही थी। मामी से ये उत्तेजना अब सहन नहीं हो रही थी, उसने एक झटके मे अपने ब्लाउज के बटनो को खोल दिया... आअह्ह्ह..... आदिल.... मामी के स्तन खुली हवा ने सांस लेने लगे, उनके निप्पल सख्त हो चुके थे, और बारिश की बूँदें उन पर टपक रही थीं, जिससे वो और चमक रहे थे।
माँ और मामी की चूतों से रस की धार बहने लगी थी, और ज़मीन पर छोटे-छोटे गड्ढे बन रहे थे।
“उफ्फ... अब्दुल... अब चोद दे मुझे... और मत तड़पाओ...” माँ ने अब्दुल के लंड को अपने मुँह से निकालकर सिसकते हुए कहा।
मामी ने भी आदिल के लंड को छोड़ा और बोली, “आदिल... मेरे बेटे समय नहीं है जल्दी से चुत मे डाल दे अपना लंड, ...” मेरी माँ और मामी हवास से भरी लंड के लिए तड़प रही थी,
आदिल और अब्दुल ने एक-दूसरे की ओर देखा, और आँखों ही आँखों मे कुछ सहमति बन गई,।
तो फिर घोड़ी बन जाओ आप दोनों, आज हम घोड़ी की सवारी करेंगे,” अब्दुल ने मादक अंदाज़ में कहा।
माँ और मामी ने तुरंत अपनी साड़ियाँ पूरी तरह कमर पर चढ़ा ली, कच्छी उतार कर वही जमीन पर फेंक दि, दोनों घुटनों और हाथो के बल झुक गईं, उनकी मादक, सुडौल गांडें और चूतें खुली हवा में चमक रही थीं।
मामी की गांड और भी भारी थी, और उनकी चूत गाढ़े रस से लबालब थी।
आदिल और अब्दुल उनकी मादक गांडों और चूतों को देखकर खुद को रोक नहीं पाए।
“उफ्फ...रेशमा जी ... तुम्हारी गांड तो... जब से तुम्हे पहली बार देखा था तभी से इस गांड का दीवाना हो गया था मै ,” अब्दुल ने सिसकते हुए कहा और माँ की गांड पर अपनी जीभ से सुडप कर चाट लीया,
आअह्ह्ह.... क्या कसैला पेशाब से भरा स्वाद था.


“स्स्स... अब्दुल... ये क्या...” माँ का जिस्म काँप उठा। अब्दुल ने अपनी जीभ माँ की चूत में डाल दी, और “लप... लप...” की आवाज़ गूँज उठी। माँ की चूत का रस अब्दुल के मुँह में बह रहा था, और वो हर चाट के साथ और गहराई तक चूस रहा था।
“आह... अब्दुल... उफ्फ...” माँ की सिसकारियाँ हवा में तैर रही थीं।
आदिल भी कहा पीछे रहने वाला था उसने मामी की गांड को अपने हाथों से मसला और अपनी जीभ उनकी चूत की दरार पर रख दि।
“स्स्स... आदिल... तू तो... पागल कर देगा...” मामी का जिस्म भी काँप उठा। आदिल ने अपनी जीभ मामी की चूत में डाल दी, और “लप... लप...” की आवाज़ गूँज उठी। मामी की चूत का रस आदिल के मुँह में बह रहा था, और वो हर चाट के साथ और तेज़ी से चूस रहा था। “आह... आदिल... और चाट... और...” मामी की चीखें बारिश की आवाज़ में मिल रही थीं।
माँ और मामी के जिस्म इस हमले से थरथरा रहे थे। उनके भारी स्तन ब्लाउज़ से बाहर झूल रहे थे,
और बारिश की छोटी-छोटी बूँदें उनकी गांडों पर गिर रही थीं, जिससे वो और चमक रही थीं।

माँ की चूत से रस की धार बहकर ज़मीन पर टपक रही थी, और मामी की चूत भी रस से लबालब थी।
“उफ्फ... अब्दुल... अब चोद दे...बद ने जी भर जे चाट लेना अमित कभी भी आ सकता है अब और मत तड़पाओ...” माँ ने सिसकते हुए कहा।
“आदिल... मेरी चूत को चोद दे... जल्दी...अमित के मामा भी आने को होंगे ” मामी ने भी चीखकर कहा।
मौके की नजाकत को दोनों ने तुरंत समझा, इस हवास को मिटाने का अब एक ही तरीका था.
अब्दुल ने माँ की चूत पर अपना मोटा, काला लंड रगड़ा। “रेशमा जी अब तैयार हो जाओ,” उसने कहा और एक झटके में अपना लंड माँ की चूत में पेल दिया।

“फच... फच...” की आवाज़ें झाड़ियों में गूँज उठीं। माँ का जिस्म हर धक्के के साथ थरथराने लगा।
“आह... अब्दुल... और तेज़... चोद दे मुझे...” उनकी चीखें बारिश की आवाज़ में घुल रही थीं। माँ के भारी स्तन हर धक्के के साथ झूल रहे थे, और उनके सख्त निप्पल हवा में तन गए थे।
आदिल ने मामी की चूत पर अपना लंड रगड़ा। “मामी तुम्हारी चूत तो रस से भरी है,” उसने कहा और एक झटके में अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया। “पच... पच...” की आवाज़ें हवा में तैरने लगीं। मामी का जिस्म हर धक्के के साथ उछल रहा था। “आह... आदिल... और तेज़... जोर से अंदर तक डाल... आअह्ह्ह... उउफ्फ्फ......” उनकी चीखें झाड़ियों में तूफान मचा रही थीं।
मामी के भारी स्तन हर धक्के के साथ झूल रहे थे, वो अपनी गांड को लंड पर धकेल रही थी,

बारिश की हलकी बुँदे हिलती गांड को और भी ज्यादा मादक बना रही थी.
पट... पट.... चाट... चट.... पक.. पक... की आवाज़ लगातार आ रही थी जाँघे आपस मे टकरा रही थी, पच.. पच... फचम... की आवाज़ कामुक चुदाई की गवाह बन रही थी.
कुछ देर बाद आदिल और अब्दुल ने एक-दूसरे की ओर देखा। “अब्दुल भाई, क्यों ना थोड़ा बदल-बदलकर मज़ा लिया जाए?” आदिल ने शरारत भरे लहजे में कहा। अब्दुल ने माँ की चूत से अपना लंड निकाला, और माँ की सिसकारी हवा में तैर गई।
“आह... अब्दुल... रुक क्यों गया...” माँ ने हाँफते हुए अपनी गांड के एक हिस्से को खिंचते हुए पीछे देख पूछा, जैसे उसे ये बर्दाश्त नहीं था। अब्दुल ने हँसते हुए कहा, “रेशमा जी, रुका नहीं हूँ बस बेटिंग साइड चेंज करनी है, जब दो खिलाडी एक साथ खेलते है तो साइड चेंज करती रहनी चाहिए ”
आदिल माँ के पीछे आ गया, और अब्दुल मामी के पास। आदिल ने माँ की गांड को अपने हाथों से मसला और अपनी जीभ उनकी चूत पर फेर दी।
“स्स्स... आदिल... ये क्या...” माँ का जिस्म फिर से काँप उठा। आदिल ने अपनी जीभ माँ की चूत में डाल दी, और “लप... लप...” की आवाज़ के साथ गीली चुत को चाटने लगा, जैसे खेलने से पहले पिच का जायजा के रहा हो। माँ की चूत का रस आदिल के मुँह में सामने लगा, और वो हर चाट के साथ और तेज़ी से चूस रहा था।
“आह... आदिल... और चाट... और...” माँ की चीखें हवा में तैर रही थीं।
इधर अब्दुल ने मामी की गांड को चाटना शुरू किया। “स्स्स... अब्दुल... तू तो... गांड के पीछे ही लग जाता है..” मामी का जिस्म भी काँप उठा।
"अभी इसका वक़्त नहीं है, ये उधर रहा अब्दुल अभी सही जगह पर आ "
अब्दुल ने अपनी जीभ मामी की चूत में डाल दी, और “लप... लप...” कर चाटने लगा।
मामी की चूत का रस अब्दुल के मुँह में बह रहा था, अब्दुल की जबान मामी की चुत के अंदर दाखिल हो कर अच्छे से चाट रही थी,
“आह... अब्दुल... और चाट... और...” मामी की चीखें बारिश की आवाज़ में मिल रही थीं।
थोड़ी देर चूत और गांड चाटने के बाद, आदिल और अब्दुल ने एक साथ अपनी पोजीशन ली। आदिल ने माँ की चूत पर अपना लंड रगड़ा। “आंटी जी , अब आपकी चुत मेरे कब्जे मे है मै कब से इस चुत के लिए तरस रहा था,” उसने कहा और एक झटके में अपना लंड माँ की चूत में पेल दिया।
“फच... फच...आअह्ह्ह.... उउउफ्फ्फ... आउच... आराम से, आदिल तो जैसे माँ की चुत पा कर पागल हो गया था, उसका लंड धनादन माँ की चुत मे फिसलने लगा ।
माँ का जिस्म उसकी मादक गांड थरथराने लगी
“आह... आदिल... उफ्फ...” उनकी चीखें बारिश की आवाज़ में घुल रही थीं। माँ के भारी स्तन हर धक्के के साथ झूल रहे थे।
अब्दुल ने मामी की चूत पर अपना लंड रगड़ा। “मामी तुम्हारी चूत कितनी टपकती है, देखो अभी भी रस से भरी हुई है,” उसने कहा और एक झटके में अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया।
“पच... पच...आअह्ह्ह.... उउउफ्फ्फ.... अब्दुल अंदर तक डाल दे आज दया मत कर सालों से टपक रही है ये चुत आज इसका पानी सूखा दे अपने लंड से ” मेरी माँ और मामी हवास मे पागल हो चुकी थी, बड़बड़ा रही थी, सारी लाज हया सब छोड़ चुकी थी,
मामी का जिस्म हर धक्के के साथ उछल रहा था। “आह... अब्दुल... और तेज़... चोद दे मुझे...” उनकी चीखें झाड़ियों में तूफान मचा रही थीं। मामी के भारी स्तन हर धक्के के साथ झूल रहे थे,
दोनों की चुदाई चरम पर थी, दोनों की चुत हर धक्के के साथ पानी बहा रही थी, तभी आसमान फट पड़ा। बारिश की मोटी-मोटी बूँदें ज़मीन पर गिरने लगीं, और झाड़ियाँ भीगने लगीं। माँ और मामी के नंगे जिस्म बारिश की बूँदों से चमक उठे।
“उफ्फ... ये बारिश... अब क्या करें?” मामी ने हाँफते हुए कहा, लेकिन उनकी आँखों में मादकता थी। अब्दुल ने हँसते हुए कहा,
“मामी जी , बारिश मे तो अलग ही मजा है चुदाई का चलो, कार में चलते हैं।”
चारों जल्दी-जल्दी कार की ओर भागे। माँ और मामी अपनी साड़ी ऐसी ही समेटे हुए car की तरफ भाग खड़ी हुई, दोनी की मादक सुडोल गांड उछल रही थी, स्तन बेकाबू इधर उधर छलांग लगा रहे थे, दोनों की कच्छियाँ वही झाड़ियों में ही रह गईं, car तक पहुंचते पहुंचते उनकी साड़ियाँ बारिश में थोड़ी भीग गई थी और भीगकर उनके जिस्मों से चिपक गईं। उनके गोरे, भारी स्तन सम्पूर्ण रूप से बाहर झाँक रहे थे, उनके निप्पल किसी मोती की तरह उभर कर चमक रहे थे,
चारो car तक पहुंच गए थे, उत्तेजना को अब संभाला नहीं जा सकता था,
अब्दुल ने तुरंत माँ रेशमा को पीछे की सीट पर लेता दिया, माँ ने भी मोके को समझते हुए अपनी जाँघे फैला दि, माँ की जांघो के बीच बहता झरना फिर से चमक उठा, माँ की गीली, चिकनी चुत अपने पुरे शबाब पर थी,

वही आदिल ने आगे की सीट पर मामी को खींच लिया। बारिश की बूँदें कार की खिड़कियों पर टपटपाने लगीं, और बाहर का सन्नाटा उनके जिस्मों की गर्मी से टकरा रहा था।
अब्दुल ने माँ को पीठ के बल लिटाया और उनकी जाँघें चौड़ा कर दीं। “रेशमा जी अब कोई नहीं रोकेगा, आज इस चुत से पानी निकाल के ही मानुगा, उसने कहा और माँ के भारी स्तनों को अपने हाथों में मसला।
“स्स्स... अब्दुल... उफ्फ...” माँ की सिसकारी कार में गूँज उठी। उनके भारी स्तन हर साँस के साथ उछल रहे थे, और उनके सख्त निप्पल हवा में तन गए थे। अब्दुल ने माँ के स्तनों को कस के पकड़ा और अपना लंड माँ की चूत पर रगड़ा, और “पच... पच...आअह्ह्ह... फच.. फच... ” एक ही झटके मे अपना मोटा लम्बा काला लंड माँ की चुत मे घुसेड़ दिया, चुत इतनी गीली थी की पूरा कुंड सरसराता चुत मे समा गया,

“आह... अब्दुल... डाल दे... जल्दी...उउउफ्फ्फ... क्या लंड है तेरा, ऐसा मजा तो कभी नहीं आया" ।
माँ का जिस्म हर धक्के के साथ थरथराने लगा। “आह... अब्दुल... और तेज़... चोद दे मुझे..कस कस के चोद .” बहार बारिश तेज़ होने लगी थी, और अंदर चुदाई भी तेज़ हो रही थी,
माँ के भारी स्तन हर धक्के के साथ झूल रहे थे, और अब्दुल ने एक निप्पल को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। “लप... लप...” की आवाज़ माँ की सिसकारियों के साथ मिल गई। माँ की चूत से रस की धार बह रही थी, और कार की सीट भीग रही थी।
आदिल ने मामी को ड्राइवर की सीट पर पीठ के बल लिटाया और उनकी जाँघें चौड़ा कर दीं। “मामी, आपकी चुत तो आज भी कुंवारी ही लगती है, मामा लेते नहीं क्या? " आदिल ने हवास मे तंज कसते हुए कहा.
"वो चोदते तो तु मेरे ऊपर नहीं चढ़ रहा होता बेटा आअह्ह्ह..... चल अब जल्दी कर, अमित और ेओ ना आ जाये कहीं "
आदिल ने भी मामी के स्तनों को हाथो मे कसते हुए अपनी जीन्स को पूरा नीचे कर दिया,
मामी ने भी मौका समझते हुए अपनी जांघो को पूरा खोल दिया, मामी की चुत गाड़े लिस्लिसे सफ़ेद शहद से सनी हुई थी,
आदिल से ये नजारा देखा नहीं गया उसने अपना तना हुआ लंड मामी की चूत पर रगड़ा। “आह... आदिल... डाल दे... जल्दी...” मामी की आवाज़ में तड़प थी।आदिल ने एक झटके में अपना लंड मामी की चूत में पेल दिया।

“पच... पच... फच...” की आवाज़ें कार में गूँज उठीं। Car बुरी तरह से हिल रही थी, मामी का जिस्म हर धक्के के साथ थरथराने लगा। “आह... आदिल... और तेज़... चोद दे मुझे...” और जोर से मार, अंदर तक जा,

आदिल मामी के स्तनों को पकडे जोर जोर से धक्के लगा रहा था,
अब्दुक और आदिल के धक्के इतने जोरदार थे की दसर रहा की कहीं car जैक से ना उतर जाये.
लेकिन दोनों बेपरवाह बदस्तूर चुत मे धक्के मारने मे व्यस्त थे.
आअह्ह्ह.... पच... उफ्फ्फ.... ओफ़्फ़्फ़... आह्ह... आउच... जोर से... आह्हः... और अंदर...." मेरी माँ और मामी अपनी गांड उछाल उछाल के चुद रही थी.
थोड़ी देर बाद दोनों ने आपस मे अदला बदली कर ली.
माँ की चुत मे आदिल का लंड चल रहा था, तो मामी की चुत मे अब्दुल का लंड तूफान मचा रहा था.
आअह्ह्ह.... उउउफ्फ्फ.... वैसे भी माँ और मामी को जवान लंड से मतलब था किसका है इस से क्या लेना देना, वैसे भी वो ये सब सोचने की स्थति मे नहीं थी.
वो अपने जिस्म की आग बुझाने मे व्यस्त थी।
कार की खिड़कियाँ धुंधली हो चुकी थीं, और बाहर का सन्नाटा चारों के जिस्मों की गर्मी से टकरा रहा था। माँ और मामी की चीखें, “पच... पच... फच...” और “लप... लप...” की आवाज़ें, और बारिश की टपटपाहट एक मादक संगीत बना रही थीं। आदिल और अब्दुल ने अपने धक्के और तेज़ कर दिए।
माँ की चूत से रस की धार बह रही थी, और मामी की चूत भी रस से लबालब थी।
“आह... अब्दुल... और तेज़...” माँ की चीखें अब बेकाबू थीं। अब्दुल ने माँ की गांड में अपनी उंगली सरकाई, और माँ का जिस्म थरथरा उठा।
“स्स्स... अब्दुल... ये क्या...” उनकी सिसकारी चीख में बदल गई। आदिल ने मामी की चूत में अपने धक्के तेज़ कर दिए, और मामी की चीखें भी बेकाबू हो गईं। “आह... आदिल... चोद दे... और तेज़...”कुछ ही पलों में माँ और मामी एक साथ झड़ गईं। उनकी चूतों से रस की धार बह निकली, और उनके जिस्म थरथराने लगे।
माँ के भारी स्तन उछल-उछलकर शांत हो गए, और मामी के निप्पल बारिश और पसीने की बूँदों से चमक रहे थे। आदिल और अब्दुल भी एक साथ झड़ गए। उनका गर्म वीर्य माँ और मामी की चूतों में भर गया, और कुछ बूँदें कार की सीट पर टपक गईं।
चारों हाँफ रहे थे, और उनके चेहरों पर एक मादक तृप्ति थी।माँ और मामी ने अपनी साड़ियाँ ठीक कीं, लेकिन उनकी कच्छियाँ झाड़ियों में ही रह गई थीं। बारिश की बूँदें अभी भी कार की खिड़कियों पर टपटप रही थीं। “उफ्फ... जीजी... ये पल हमेशा याद रहेंगे,” मामी ने हाँफते हुए कहा। माँ ने अपनी साड़ी ठीक करते हुए कहा "हाँ भाभी कहा आपका लड़का सुहागरात जे सपने देख रहा है, यहाँ उसकी माँ सुहागरात मना रही है,
दोनों खिलखिला कर हस पड़ी,
दोनों car की पिछकी सीट पर बैठी अपनी हालात को ठीक कर रही थी,
अब्दुल वो मेरा पर्स देना " माँ और मामी ने अपना मेकउप भी थोड़ा ठीक कर किया था,
आदिल और अब्दुल ने अपनी जींस ठीक की, उनके चेहरों पर शरारती मुस्कान तैर रही थी.
Car वापस से लेडीज परफ्यूम से महक रही थी, सभी की सांसे नियंत्रण मे थी.
"कैसा लगा आंटी जी, और मामी जी " आदिल ने पीछे देख कर पूछा..
"हट बदमाश, ये कोई बात होती है बताने वाली " रेशम सिर्फ मुस्कुरा दि.
तभी दूर से किसी car की कार की हेडलाइट्स दिखाई दीं। “अरे, शायद मामा और अमित आ गए,” आदिल ने फुसफुसाते हुए कहा।
बारिश भी काम होने लगी थी.
अब्दुल ने फटाफट car का टायर लगा दिया, अब्दुल की car मै आदिल मै और मामा चल दिए,
मामी और माँ दूसरी car मे बढ़ चले,कोई घंटे भर मे हम लोग भोसारी पहुंच गए थे.
दुल्हन का घर खूब सज धज रहा रहा,
मैंने घड़ी देखी 7बजने को आये थे.
"अरे यार आप लोग कहा रह गए थे, जल्दी चलो पार्लर के लिए लेट हो रहा है" अनुश्री और मौसी भागती हूँ माँ के पास पहुंची.
"अरे वो....". मामी ने कुछ कहना चाहा.
"छोड़ो ये वो... बारात का टाइम होने जा रहा है, अब्दुल भाई चलो पार्लर पास ही है, कहती हुई अनुश्री आगे अब्दुल की साइड मे बैठ गई, और मौसी पीछे की सीट पर माँ और मामी के साथ "
वो लोग पार्लर के लिए निकल गए थे.
और मै अपने दोस्तों साथ मैरिज हाल की तरफ चल दिया,
********
Contd......
अनुश्री की कहानी के लिए यहाँ जाये
5 Comments
Kya karke maanengi ye sab...mere paas shabd kam pad jaa rahe hain kuch kahne ke liye.
ReplyDeleteKya likh rahe ho...sab kuch aakhon ke aage hi chal reha ho jaise.
Likhte raho dost..
थैंक यू भाई, मै लिखता रहूँगा, अब ये कहानी जल्दी ही खत्म होंगी, फिर अपनी पुरानी कहानियो पे आऊंगा.
Deleteमेरे लिखने मे समस्या है की समय काम मिलता है.. आप लोगो का साथ है तो लिखता रहता हूँ.
बने रहिये सफर जारी रहेगा....
We are with you brother..reading all your great work & admiring your uniqueness.
ReplyDeleteKeep up the good work & lets complete this story.
Is kahani ko puri kar do bhai..ab shaadi ki raat ka aur intezaar nahi ho reha..
ReplyDeleteAane do isko.
बिल्कुल भाई ये कहानी जल्द ही पूरी करूंगा, 1,2 दिन मे अगला अपडेट देता हूँ. 👍
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