मेरी जवान बेटियां
ये कहानी सामजिक मान मर्यादाओ के खिलाफ है, ऐसे sex सम्बन्ध की इज़्ज़तदार समाज मे कतई जगह नहीं है.
बाप बेटी के सम्बन्धो पर आधारित इस कहानी को पढ़ते समय विवेक से काम ले.
ये कहानी इंटरनेट से ली गई है. मेरे द्वारा कुछ बदलाव के साथ प्रस्तुत की जा रही है.
हरियाणा के छोटे से गाँव का रहने वाला अरुन बंसल, आज एक इंटरनेशनल प्रोडक्शन कंपनी में मैनेजमेंट के अच्छे पोस्ट पे जा पंहुचा था। एक किसान के बेटे के बर्षों की लगन और कुशलता रंग लाई थी, आज 22 साल बाद बंसल का हरियाणा में खुद का अपना घर था। यही नहीं दिल्ली और आस पास के जगह में भी उसकी कुछ प्रॉपर्टी थी।जिसे बंसल ने अपनी बेटियों की शादी और भविष्य के लिए बचा कर रखा था।
बंसल की सर्विस अभी कुछ साल के लिए बची थी, लेकिन उसने समय रहते अपने और अपने परिवार के भविष्य के लिए काफी कुछ सोच रखा था। बंसल की बीवी उर्मिला बंसल(48) कम पढ़ी लिखी होने के कारण घर की जिम्मेदारी सम्भालती थी और मिसेज बंसल ने अपने बेटी-बेटों के लिए कभी कोई कमी नहीं होने दिया।
बड़ा बेटा रवि (30) इंजीनियर था और अपने परिवार के साथ मुंबई में रहता था।
बडी बेटी शालु (26) अपने पापा की तरह किसी बड़े कंपनी में काम करना चाहती थी। एम बी ए की डिग्री लेने के बाद शालु ने कुछ छोटी कंपनी में काम भी किया था लेकिन सैलरी अच्छी न होने के वजह से उसका कहीं मन नहीं लगता था। वो तो अपने पापा की तरह लाइफ में सक्सेसफुल होना चाहती थी। शालु की शादी हो चुकी थे लेकिन पति निकम्मा था। मुंबई में जॉब करता था लेकिन उसने कभी भी शालु को अपने साथ ले जाने की परवाह नहीं की।शालू अपने मायके में ही रहती है।
छोटी बेटी रीना(24) डॉक्टर बनाना चाहती थी और कम्पटीशन की तैयारी कर रही थी।
बंसल अक्सर काम के सिलसिले में हरियाणा से बाहर रहा करते थे। उन्हें अक्सर अपने क्लाइंट से बिज़नेस डील के लिए बाहर जाना पड़ता था। कभी-कभी तो इंटरनेशनल ट्रिप पे भी जाना होता था। बिज़नेस में टेंशन के साथ-साथ उन्हें बेटी की शादी की चिंता भी सता रही थी। पैसा कमाने के लिए बंसल जी ने बहुत प्रयास किया और इसी कारण पिछले 2 साल से वो दुबई में बिज़नेस संभाल रहे थे। दुबई में बिज़नेस को एक अच्छे मुकाम तक पहुचाने के बाद वो आज पूरे 2 साल बाद इंडिया लौट रहे थे और बंसल ने अपना ट्रांसफर दिल्ली में ले लिया था और अब वो अपने देश लौट रहे थे अपने परिवार के पास।
आज बंसल जी बहुत खुश थे, बहुत सारी शॉपिंग कर रखी थे उन्होंने अपनी पत्नी और दोनों बेटियों के लिये। परिवार में भी बंसल जी का बहुत बेसब्री से इंतज़ार हो रहा था, दोनों बेटियों ने घर में पकवान के साथ-साथ कुछ मिठाइयाँ भी बना रखी थी। दोनों हाथों में 2बड़े सूटकेस लिए हुये बंसल ने हरियाणा में अपने घर के दरवाजे पे दस्तक दिया। चारो तरफ जब अपनी नज़रें दौडाई तो काफी कुछ बदल गया था, घर के पास वाली रोड चौड़ी हो गई थी, घर का कलर भी दूसरा था और बाहर जो आम का पेड़ था वो भी काफी बड़ा हो गया था। आखिर 2साल एक लम्बा समय था, घर पे दस्तक देते ही सामने पीली साड़ी में उनकी पत्नी ने दरवाजा खोला। उर्मिला की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, अपने पति को इतने सालों बाद देख उनकी बीवी उनके गले लग गई ।
उर्मिला - आप कैसे हैं? मैं सुबह से आपका इंतज़ार कर रही थी। सफर कैसा रहा?
बंसल - मैं ठीक हूं, सफ़र अच्छा था। शालु और रीना कैसी है और कहाँ हैं?
मिस्टर और मिसेज बंसल दोनों घर के अंदर प्रवेश करते हैं और सिढ़ियों से ऊपर चढ़कर ऊपर अपने कमरे में समान रख देते है।
उर्मिला - शालु किचन में खाना बना रही है और रीना अपने कमरे में पढ़ाई कर रही है।
बंसल - अच्छा मैं चूपके से शालु और रीना बिटिया से मिलूँगा उन दोनों को नहीं बताना की मैं घर आ गया हूँ। मैं थोड़ी देर में नीचे आकर मिलता हूँ।
उर्मिला - ठीक है मैं भी नीचे जा रही हूँ अपने कमरे में।
बंसल - तुम्हारा कमरा नीचे? क्यों? तुम अब ऊपर नहीं रहती?
उर्मिला - नहीं जी, मेरे घुटनो में गठिया की शिकायत है तो मैं ज्यादा चल फिर नहीं सकती तो मैं अब नीचे ही रहती हूँ। आप महीना भर तो रहेंगे न?
बंसल - नहीं उर्मीला, मुझे 2दिन में दिल्ली जाना है। कुछ नया काम आया है तो मुझे जाना पडेगा। मैं महीने के आखिर में फिर आऊंगा तब रहूँगा कुछ दिन तुम्हारे साथ।
उर्मिला - ठीक है, जब 2 दिन रहना है तो आप इसी कमरे में रुकिये। किसी चीज़ की जरुरत होगी तो आपके बगल का रूम शालु का है। आपके रूम के पीछे की तरफ रीना का रूम है। किसी चीज़ की जरुरत हो तो शालु या रीना को आवाज़ दिजिये वो आ जाऐंगी, आप फ्रेश हो जाइये।
बंसल - ठीक है उर्मीला।
उर्मिला सिढ़ियों से नीचे चलि गई।बंसल कमरे में चारो तरफ देख रहे थे, कमरा खूब अच्छे से सजाया गया था। सभी जरुरत की चीज़ें सामने सहेज कर रखी गई थी। कमरे में कम रौशनी थी तो बंसल ने रूम की खिड़की खोल दी। खिड़की के ठीक सामने शालु के कमरे की खिड़की थी जो खुली हुई थी, और खिड़की का पर्दा साइड में हटा हुआ था। बंसल ने शालु के कमरे में देखा तो, कमरा बहुत ही साफ़ सुथरा था। पिंक कलर की साइड वाल जिसपे शाहरुख़ खान के पोस्टर चिपके थे। खिड़की के साइड में एक बेड जिसपे पिंक कलर की चादर बिछी थी। बेड के बगल में एक चेयर पे एक ब्लू जीन्स और उसके ऊपर ब्लैक कलर की ब्रा लटक रही थी। ब्रा पे नज़र पडते ही बंसल दो कदम पीछे हो गए और अपनी नज़र शालु के कमरे से हटा ली। उन्हें बेटी के रूम में ऐसे देखना कुछ अटपटा सा लगा और उन्होंने खिड़ी पे कर्टेन लगा दिया।
अपना सूटकेस खोल बंसल ने अपने कुछ कपडे निकाले और बाथरूम में चेंज कर नीचे अपनी बेटियां को सरप्राइज देने चल पडे। बंसल ने दूर से देखा की उसकी बड़ी बेटी किचन में है, वो दबे पाँव चुपके से किचन के दरवाजे के पास गये। बंसल अपनी बेटी को सरप्राइज देना चाहते थे लेकिन इस वक़्त वो सरप्राइज था।
उसने ये नहीं सोचा के २ साल बाद उसकी बेटी इतनी बड़ी हो जाएगी। किचन के दरवाजे के पास से उसने शालु को देखा, शालु येलो कलर के सलवार सूट में थी और उसने अपने सीने पे दुपट्टा नहीं रखा था। शालु की सलवार तो ढीली थी लेकिन ढीली सलवार भी उसकी जवानी को छुपा नहीं पा रही थी। उसकी कुर्ती साइड से उठी थी जिसमें से उसकी मोटी जाँघ नज़र आ रही थी। बंसल ने 2 साल पहले जब अपनी बेटी को देखा था तो वो दुबली पतली थी, लेकिन आज वो मोटी जवान हो गई थी। खासकर उसके सीने की गोलाइयाँ बढ़ गई थी, और उसकी कमर के नीछे उसके कुल्हे बहुत भारी हो गए थे। फिर बंसल ने अपनी नज़रें हटायीं और शालु के पीछे आ गये।
बंसल - बेटी शालू.....
शालु ने मुड़कर देखा।
शालु - वाओ पापा, व्हाट ए सरप्राइज आप कब आये? (शालू अपने पापा की आँखों में देखते हुए बड़े प्यार से अपने पापा को साइड से हग दिया और उनके सीने पे सर रख दिया)
बंसल - है है अभी आया बेटी। मेरी बेटी तो बहुत काम करने लगी है। (बंसल ने एक हाथ से बड़े दुलार से अपनी बेटी के बाल सहलाये)
शालु - नहीं पापा आपके पसंद की डिश बना रही हूँ ।
बंसल - (अपने दोनों हाथो से शालु के गाल को छूते हुए) अरे वाह बेटी, मुझे बहुत भूख भी लगी है। रीना कहाँ है? उसे भी सरप्राइज दूंगा मैं। उसे आवाज़ तो लगाओ।।
शालु - अभी बुलाती हूँ।रीना।रीना। इधर आ जरा मेरी मदद कर दे। (बंसल दरवाजे के पीछे चुप गए)
रीना - क्या हुआ दीदी? मैं टयुशन के लिए जा रही थी।
रीना ब्लैक कलर का जीन्स और ब्लैक कलर का टॉप पहने हुए दिवार के सहारे खड़ी हो कर अपनी दीदी से बोली। तभी दरवाजे के पीछे से उसके पापा बाहर निकले। पापा को देखते ही रीना उछल पडी।।।
रीना -ओह्ह्ह्हह।। पापा आप कब आये? ओह आई एम सो हैप्पी (रीना दौड़ती हुई अपने पापा के गले लग गई)
बंसल ने ध्यान दिया की छोटी बेटी बड़ी से ज्यादा मॉडर्न है। छोटी भी इतनी जल्दी बड़ी हो जायेगी उसके पापा ने नहीं सोचा था। गले लगते हुए जब बंसल ने रीना के पीठ पे हाथ रखा तो उसे जैसे करंट सा लगा हो। पहले के छुअन में और अभी में बहुत अंतर था। रीना अब जवान और गदराई हुई थी। उसकी पीठ की गुदगुदी छुअन से बंसल को कुछ अजीब सा लगा, उसने रीना की तरफ देखा रीना के ब्लैक टॉप बहुत ही पतली थी इतनी पतली की उसके अंदर की पिंक कलर की स्लीप नज़र आ रही थी।
रीना अब अपनी हाथ पापा के गले से निकाल कर बोलने लगी।
रीना - पापा अभी मैं टयुशन जा रही हूँ आपसे बाद में अच्छे से मिलुंगी।। आपसे ढेर सारी बातें भी करनी है।
रीना जब थोड़ी दूर खड़ी हुई तो बंसल की नज़र रीना की कमर पे पडी। कमर का थोड़ा सा पार्ट खुला था और उसके टॉप और जीन्स के बीच से उसकी बटन जैसी नाभी दिख रही थी। बंसल मन में सोचने लगा की हरियाणा में भी लड़के लड़कियां कितने मॉडर्न हो गए है। २ साल पहले रीना जीन्स भी नहीं पहनती थी। दोनों बेटियां सिर्फ सलवार कुर्ती ही पहनती थी। अब तो बंसल को मॉडर्न वर्किंग लड़के ढूंढने पड़ेंगे जिनकी तनख्वाह भी अच्छी हो।। इतना सब सोचते हुए उनका ध्यान टूटा जब रीना ने बाय बोला। उधर शालु किचन में बिजी हो गई थी।
बंसल ने शालु को देखा और सोचने लगा, शालु बिटिया तो अभी भी सलवार कमीज ही पहनती है ये शायद अपनी छोटी बहन की तरह मॉडर्न नहीं है। फिर अपनी ही बात को काटते हुए।। नहीं नही।।। सुबह जब मैं अपने कमरे से शालु के रूम में देखा था तो ब्लू जीन्स पड़ी थी। वो शालु की ही होगी क्योंकि रीना का रूम तो अलग है। शायद शालु जब कहीं बाहर जाती होगी तो पहनती होगी। जीन्स के बारे में सोचते-सोचते बंसल का ध्यान उसपे रखे ब्लैक ब्रा पे जाती है जिसे उसने सुबह देखा था और न जाने कब बंसल की नज़र शालु के सीने पे चलि गई, पसीने से कुर्ता भीग गया था, दो गोरे गोरे बड़े आकर के स्तन अपना पूरा आकर बयान कर रहे थे. बंसल की सांसे एक बार को थम सी गई.
न जाने क्यों आज सुबह से बंसल का ध्यान इधर-उधर है, उसने अपने आप को समझाया की शायद वो अपने परिवार को 2 साल बाद देख रहा है इसलिए इतनी सारी चेंज उसके ध्यान में आ रही है।
तभी उर्मिला किचन मे आई, "मिल लिए आप अपनी बेटियों से?"
उर्मिला के आने से बंसल का ध्यान हटा उसकी सांसे वापस लौट आई.
बानसाल - हाँ उर्मिला मिल लिया, इतने दिनों बाद तुम सब को सामने देख बहुत अच्छा लग रहा है।
उर्मिला - बेटी, तुमने अभी तक लंच नहीं बनाया? बेटी जल्दी कर तेरे पापा थके होंगे। जल्दी से खाना बना कर ऊपर इनके कमरे में लेती जा, और इन्हे आराम करने दे। हमसब लोग बाद में लंच कर लेंगे।
शालु - जी मॉम।।
उर्मिला - आप जाइये जी अपने रूम में आराम करिये।
बंसल - ठीक है।
बंसल किचन से बाहर निकल गया,
उर्मिला - शालु बेटी, रीना कहाँ है?
शालु - जी वो टूशन के लिए गई।
उर्मिला - उसने नाश्ता भी नहीं किया? बहुत परेशान कर रखा है इस लड़की ने। सुन बेटी, तू जाकर पापा को लंच करा दे। मैं किचन में बाकी का काम कर लूंग़ी।
शालु - जी मॉम।।
उधर बंसल अपने कमरे में बिस्तर पे आकर लेट गया, । कमरे के छत की ओर देखते हुए उसे बार-बार शालु और रीना का ध्यान आ रहा था,
बंसल कहीं गुम था "- ये शालु कितनी बड़ी हो गई है, कितनी छोटी थी। मैं उसे गोदी में खिलाता था अब वो इतनी बड़ी हो गई है। गोदी में बैठ नहीं पायेगी उसकी कमर और कुल्हे कितने बड़े हो गए है। और रीना, वो भी जवान हो गई है। बंसल को रीना के पीठ की छुअन याद आ रही थी। जब मैंने नीचे देखा तो कैसे उसकी टाइट जीन्स उसकी मांसल जाँघो पे कसी थी, और उसकी वो नाभि की हलकी सी झलक"
मैं ये सब क्या सोच रहा हूँ, ये पाप है, बंसल ने खुद को सँभालते हुए विचार झटक दिए.
बंसल को ये सब सोचना अच्छा लग रहा था, शालु और रीना के बारे में सोचते हुए बंसल ने एक करवट ली और बिस्तर पे रखे तकिये के ऊपर अपनी टाँग चढा ली। अपने कमर से बंसल तकिये में दबाव ड़ालने लगा, उसे तकिये में दबाव डालना अच्छा लग रहा था। कुछ देर तकिये में अपनी कमर का निचला हिस्सा रगडने के बाद बंसल का ध्यान गया की उसके लंड में हलकी-हलकी इरेक्शन आ गई है। बंसल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ऐसा क्यों हो रहा है। उसने अपने दिमाग पे थोड़ा जोर ड़ाला तो उसे याद आया कि, वो पिछले कई दिनों से ऑफिस के काम में कितना बिजी था। इतना बिजी कि, उसे शायद मुट्ठ मारे हुए आज पूरे 15 दिन हो गए थे।
ना चाहते हुए भी बंसल का ध्यान अपनी बेटियों पर ही जा रहा था, जिसका कारण शायद उसने ढूंढ़ लिया था.
उसे लगा की शायद बिस्तर पे रगडने से उसमे इरेक्शन हो गया और उसे मुट्ठ मारने का मन होने लगा। उसने सोचा की उसे मुट्ठ मार लेनी चाहिये। बंसल पेंट के ऊपर से अपने लंड को पकड़ रगडने लगा, लेकिन अभी उसका इरेक्शन ख़तम हो गया था, वो कस कर अपने लंड को मसलने लगा। कुछ होता न देख उसने अपने पेंट के अंदर हाथ ड़ाला और लंड को पकड़ कर हिलाने लगा। बंसल बिस्तर पे पड़े सोच रहा था की काश उसे अभी कोई पोर्न मूवी मिल जाती तो वो उसे देख के माल गिरा देता और रिलैक्स हो जाता ।
उसने सोचा क्यों न किसी एक्ट्रेस के बारे में सोच के मुट्ठ मारे। उसने रिसेंटली करीना की अजनबी मूवी देखि थी। वो सोचने लगा की करीना के गांड उस पिंक कलर के सलवार में कितनी अच्छी दिख रही थी, आह करीना की गांड कितनी मस्त दिखती है। जिस करीना के बारे में सोचने मात्र से बंसल का लंड खड़ा हो जाता था। आज़ उसके बारे में सोच के हिलाने से भी उसका लंड खड़ा नहीं हो रहा। बंसल सोचने लगा की अब क्या करे?
तभी करीना के सलवार सूट से उसका ध्यान हट कर अपनी बेटी के येलो कलर के सलवार सूट पे गया। फिर वो सोचने लगा की कैसे सुबह किचन में साइड से शालु की गांड नज़र आ रही थी, इतना सोचना था की उसका लंड सख्त हो कर पूरी तरह से खड़ा हो गया। वो अपने लंड को पेंट के अंदर हाथ डाले मसलता रहा। आज उसे करीना से ज्यादा शालु के फिगर का ध्यान करना ज्यादा अच्छा लग रहा था। वो और आगे की सोचने लगा की जब शालु की ढीली सलवार में उसकी गांड इतनी बड़ी लग रही थी तो वो लेग्गिंग्स पहनती होगी तो कैसी लगती होगी। उसका निचला भाग और थाइस की शेप लेग्गिंग्स में बहुत ही कामुक दिखती होगी।
इतना सोचना था की उसे कुछ अजीब सा आनन्द महसूस हुआ और उसका शरीर कंपकपा उठा।उसने अपने लंड को मुट्ठी में कस के पकड़ लिया। जैसे ही उसने अपने शरीर को ढीला छोडा, अगले ही पल उसकी मुट्ठी उसके गाढे मुट्ठ से भर गई। वो अपने पेंट के अंदर ही पूरी तरह से स्खलित हो चूका था। उसकी पूरी मुट्ठी उसके सफ़ेद मुट्ठ से सन गई थी।।बंसल अब खुद को काफी रिलैक्स महसूस कर रहा था, उसने अपना हाथ पेंट से बाहर निकाला और अपनी हथेली को खोल के देखा। ओह इतने महीनो से मैं मुट्ठ मार रहा हूँ लेकिन कभी इतना ज्यादा मुट्ठ नहीं निकला था और निकला भी तो अपनी बेटी के बारे में सोच कर, बंसल अपनी हरकत से बहुत ही शरमिंदा था, उसने शीशे में खुद को देखा। उसके पेंट पे उसके मुट्ठ के धब्बे पड़े हुए थे। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की अभी २ मिनट पहले ऐसा क्यों हुआ? कहाँ वो दुबई में लैपटॉप पे घण्टो पोर्न देख के मुट्ठ मारते और आज शालु के बारे में जरा सा सोचकर उसका ये हाल था।
आज से पहले कभी भी वो शालु के बारे में ऐसा नहीं सोचा था। उसे अपने आप पे पछ्तावा हो रहा था। उसने सोचा शायद 15 दिनों से मुट्ठ न मारने की वजह से ऐसा हुआ। और सुबह से उसने न तो कोई पोर्न देखी थी न ही किसी मैगज़ीन में किसी लड़की की गन्दी फोटो। सुबह अगर किसी जवान लड़की को देखा तो वो उसकी अपनी बेटी ही थी, और शायद इसलिये उसे मूठ मारते हुए उसके दिमाग में अपनी बेटी का चित्र सामने आ रहा था। वो अपने आप को दिलासा देते हुए बाथरूम में वॉशबेसिन का नल खोल कर अपना हाथ धोने लगा। तभी दरवाजे पे शालु ने आवाज़ लगाईं ।
शालु - पापा, आप कहाँ हो? मैं खाना लाई हूं।
बंसल - (जल्दी-जल्दी अपना हाथ साफ़ करते हुए) बेटी आ रहा हूँ बस 2 मीनट। तुम खाना टेबल पर रख दो।
शालु कमरे के अंदर दाखिल हुई तो कमरे में कुछ अजीब सी स्मेल फ़ैली हुई थी। वो खाना टेबल पे रख पास में बिस्तर पे बैठ गई। हाथ साफ़ कर बंसल बाहर आ गया, शालु उठ कर खड़ी हो गई।
बंसल - बैठो बेटी क्या हुआ?
शालु - कुछ नहीं पापा, आप लंच कर लिजीये मैं कुछ और काम कर लेती हूँ।
बंसल - अरे बेटी बैठो तो मेरे पास कुछ बात करो।
शालु - ठीक है। (शालू अपना दुपट्टा ठीक करते हुए बोली)
बंसल अपनी बेटी को काफी नज़दीक से देख रहा था, सामने की तरफ शालु की कुर्ती बहुत टाइट थी शायद इसलिए शालु ने दुपट्टा डाल रखा था। उसकी टाइट कुर्ती पेट के पास टाइट थी और उसकी डीप नाभि की झलक नज़र आ रही थी। इसका मतलब शालु ने अपनी सलवार नाभि से नीचे बाँध रखी है।
इसी बीच शालु की नज़र पापा के पेंट के तरफ जाती है तो उसे वहां भीगा सा पानी का धब्बा दिखाई देता है। वो सोचती है शायद बाथरूम में फ्रेश होते वक़्त पानी उनके पेंट पे गिर गया होगा। बंसल भी अपने एक हाथ से अपने मुट्ठ से भीगी पेंट को कवर कर लेता है। और बिस्तर पे बैठ कर लंच करने लगता है।
बंसल - बेटी मैं तुम्हारे लिए दुबई से कुछ कपडे लाया हूँ। उधर बेड के साइड में सूटकेस में है। ऊपर ही है ब्लू कलर वाली टॉप तुम्हारी है दूसरी टीशर्ट रीना के लिये।
शालु - ठीक है पापा (शालू सूटकेस से टॉप निकालती है) आप कितने अच्छे हो।
बानसाल - तुम्हे टॉप पसंद आयी बेटी ?
शालु - हाँ पापा बहुत अच्छा कलर है।
बानसाल - अच्छा तो पहन के दिखाओ, मैं भी तो देखूँ नए कपडे में तुम कैसी लगती हो।
शालु - ओके पापा मैं २ मिनट में चेंज कर के आयी।(शालू बगल में अपने कमरे में चली जाती है। कमरे में पहुच कर शालु खिड़की की तरफ देखती है तो उसे दूसरी तरफ पापा दीखते है। वो तुरंत विंडो का कर्टेन खीच देती है और फिर अपनी कुर्ती उतार देती है। दोनों हाथ ऊपर उठाये उसे टॉप पहनने में बहुत प्रॉब्लम होती है।
शालु - ओह ये टॉप तो बहुत टाइट है(अपने आप को शीशे में देखते हुए)
शालु - ओह ये टॉप तो मैं बिना दुपटटे के पहन ही नहीं सकती। इतनी महॅंगी टॉप पापा लाये भी तो छोटी साइज। क्या करु।। ठीक है देखती हूँ पापा को टॉप तो दिखा दूं फिर सोचूँगी क्या करना है। (ये सोचकर शालु अपने कमरे से बाहर निकल पापा के कमरे में आती है)
शालु - पापा ये देखिये।
बंसल की पहली नज़र ही शालु के टॉप पे पड़ती है, इतना टाइट टॉप। शालु के पूरे उभार नज़र आ रहे थे। बंसल ने इतने बड़े और टाइट बूब्स नहीं देखे थे कभी।
बंसल - अच्छा है बेटी, बहुत अच्छी लग रही हो।
शालु - थैंक्स पापा। मैं रीना की टॉप ले कर जाती हूँ और उसे दे देती हूँ। आप मम्मी के लिए कुछ नहीं लाये?
बंसल - लाया हूँ बेटी सरप्राइज है । मैं लंच कर के आता हूँ तो देता हूं।
(बंसल लंच ख़तम कर सूटकेस से एक नेकलेस और साड़ी निकालता है और उसे ले कर सीधा अपनी पत्नी उर्मिला के कमरे में चला जाता है)
उधर शालु दौड़ती हुई रीना से मिलती है।।
शालु - रीना, ये देख पापा तेरे लिए क्या लाए।
रीना - वाओ दीदी मेरे लिए?
शालु - हाँ ।
रीना - थैंक्स दीदी मैं पहन के देखती हूँ।
शालु - हाँ साइज देख ले, मेरी टॉप तो बहुत टाइट है।
रीना - अरे दीदी टाइट तो होगी ही, आप मुझसे ज्यादा मोटी हो और आपकी साइज भी बड़ी है। पापा हम दोनों के लिए एक ही साइज लाये होंगे। सोचा होगा की हम दोनों की साइज एक ही होगी। (बातों बातों में रीना टॉप बदल लेती है)
रीना - दीदी ये देखो मेरी टॉप तो बिलकुल परफेक्ट साइज के है।
शालु - हाँ छोटी तू तो इसमे बहुत अच्छी दिख रही है।
रीना - नहीं दीदी आपसे ज्यादा नही, आप तो हॉट लग रही हो (रीना शालु को आँख मारते हुए बोली)
शालु - चुप कर।
उधर बंसल दबे पाँव उरमिला के कमरे में आता है और पीछे से अपनी बीवी को कस कर पकड़ लेता है।
उर्मिला - हटिये जी, दोनों बेटियां हैं यहा। आप क्या हरकत कर रहे है।
बंसल दरवाजे पे कर्टेन लगा देता है और फिर उर्मिला को गले लगाकर उसे नेकलेस देता है।उर्मिला नेकलेस देख कर बेहद खुश हो जाती है।
उर्मिला - वाओ इतनी अच्छी नेकलेस, ये तो बहुत मंहगी होगी।
बंसल - (उर्मिला की चूचियों को सहलाते हुए) हाँ मंहगी है लेकिन तुम्हारे लिए इसकी कीमत कुछ नहीं है। दुबई से तुम्हारे लिए कुछ न लाऊँ ऐसा हो सकता है?
उर्मिला - और मेरी बेटियों के लिए?
बंसल - हाँ लाया हूं, उनके लिए टॉप लाया था उन्हें दे भी दिया (कहते हुवे बंसल उर्मिला की साड़ी खोल देता है। और उसे बिस्तर पे पटक कर उसे चूमने लगता है।
उर्मिला - क्या कर रहे हो जी छोडो न।। आप दिन में भी शुरू हो जाते हो। शालु और रीना ने देख लिया तो?
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बंसल - वो दोनों अपने-अपने कपडे ट्राइ करने में बिजी होंगी। और अगर देख भी लिया तो क्या? उन्हें तो पता ही होगा की हस्बैंड-वाइफ क्या करते है।(बंसल अब ऊर्मिला की चूचि ब्लाउज से बाहर निकाल कर चुसने लगता है)
उर्मिला - उन्हें टॉप पसंद आये?
बानसाल - हाँ टॉप तो पसंद आए, लेकिन शालु का टॉप ज्यादा टाइट हो रही है। अब तो उसे वापस भी नहीं कर सकते।
उर्मिला - मुझे पता था, आपकी गलती नहीं है आपने उन दोनों को 2 साल पहले देखा था जब वो दुबली सी थी। अभी पिछले 7,8 महीनो में शालु का बदन काफी भर गया है। इसलिए उसे तो टाइट होगी ही।
बंसल - हाँ मुझे नहीं पता था करेक्ट साइज ।
उर्मिला - अगली बार जब कुछ लाना तो मुझसे साइज पूछ के लेना। शालु के सारे टॉप छोटे हो गए और उसे अब रीना पहनती है। उसके अन्डर्गर्मेन्ट्स भी सारे मैंने फेंक दिया।
बंसल - फेंक दिया क्यों?
उर्मिला - रीना शालु के अंडर्गारमेंट तो नहीं पहन सकती न। कहाँ रीना का ब्रा साइज 32 है और शालु की 36 ।
शालु की साइज सुन कर बंसल का लंड सख्त हो जाता है।
बंसल - और तुम्हारी साइज क्या है (उर्मिला के चूचि दबाते हुए)
उर्मिला - आआह्ह्ह जोर से मत दबाओ।। मेरी साइज भी 34 है। हम तीनो में सबसे बड़ा साइज शालु का है। (उर्मिला मुस्कराते हुए बोली)
(बंसल का लंड सख्त होता जा रहा था और वो उर्मिला के ऊपर चढ़ कर अपना लंड उसकी चुत पे दबाता रहा। उसे शालु के बारे में बात करना अच्छा लग रहा था, ख़ास कर उसके बूब्स के साइज के बारे में। बंसल ने हिम्मत करते हुए उर्मिला से कहा)
बंसल - मेरे पास आओ 2 साल से मैंने तुम्हारी चूचि को हाथ नहीं लगाया। इधर आओ उर्मिला मैं तुम्हारी चूचि मसल कर शालु के बराबर कर देता हूँ। (बंसल ने डरते-डरते उर्मिला से शालु के बूब्स के बारे में जिक्र किया। वो देखना चाहता था की उरमिला उसकी इस बात पे ग़ुस्सा करती है या नहीं)
उर्मिला - (उर्मिला बंसल की बात सुन कर जरा सा भी रियेक्ट नहीं करति। जैसे कोई आम बात हो) नहीं मुझे इससे बड़ा नहीं चहिये। शालु मुझसे लम्बी है तो उसपे उसके बड़े बूब्स सूट करते है।
बंसल जब उर्मिला के मुह से शालु के बूब्स के बारे में सुनता है तो उसे यकीन हो जाता है की उर्मिला उसकी बात पे कोई भी नेगेटिव रिएक्शन नहीं दे रही। बंसल पूरी तरह उत्तेजित हो कर उर्मिला की पेटीकोट और पेंटी नीचे कर अपना लंड उर्मिला की चुत पे रगडने लगता है।
उर्मिला - क्या बात है, आज आप कुछ ज्यादा ही मूड में दिख रहे है।
बंसल - तुमसे 2 साल दूर था न, और दोनों बेटियां से भी।
उर्मिला - अपनी चूत फ़ैलाते हुए, एक बात कहुँ। आप मेरे लिए इतना अच्छा नेकलेस लाये है। और बेटियों के लिए सिर्फ कपडे?
बंसल - तो क्या हुआ उर्मिला? ये तुम्हारे लिए है। मैं तुम्हारे लिए साड़ी भी लाया हुँ।
उर्मिला - क्या, साड़ी भी। नहीं नेकलेस काफी है मुझे साड़ी नहीं चहिये। आप एक काम करिये, शालु के टॉप वैसे भी फिट नहीं आ रही तो क्यों न आप साड़ी उसे दे देना। कुछ दिन में उसकी शादी भी करनी है न।
बंसल - ठीक है जैसा तुम ठीक समझो। लेकिन उसके लिए ब्लाउज और पेटीकोट?
उर्मिला - उसके पास कुछ पुराने ब्लाउज और पेटीकोट है, नहीं होंगे तो मैं खरीद लूंगी ।
बंसल - ठीक है। चलो अच्छा हुआ मैं शालु के लिए जीन्स ले कर नहीं आया। अगर जीन्स टाइट हो जाती तो उसका कुछ नहीं किया जा सकता था।
उर्मिला - जीन्स।।।।???? बिलकुल नही। अगर आपको जीन्स का साइज पता भी होता तब भी मुश्किल होती। जीन्स तो उसके जांघो के ऊपर जाएंगी ही नही। उसकी जाँघें बहुत मोटी और कमर पतली है। 36 के कमर वाली जीन्स में उसके हिप्स नहीं आ पाता। हिप्स के लिए अलग से 40 साइज देखना होता है।
बंसल - ओह (बंसल अपना लंड उर्मिला की चूत में पेल कर कस कर चोदने लगा। उसके दिमाग में शालु की 36 साइज के बूब्स और 40 साइज के हिप्स घूम रही थी। वो पूरी तरह से एक्साईटेड होकर कस के धक्के मारने लगा।
उर्मिला - आह आज तो आप बहुत जोश में लग रहे हो
बंसल - हाँ मैं तुम्हे चोद-चोद कर तुम्हारी गांड बड़ी कर दूंगा। शालु के गांड से भी ज्यादा बड़ी हो जायेगी तुम्हारी गांड (इस बार बंसल बहुत हिम्मत कर "शालु के गांड" शब्द का इस्तेमाल किया)
उर्मिला - (अपने हस्बैंड को अपनी बेटी के लिए ऐसा वर्ड इस्तेमाल करते हुवे सुनी तो चौंक गई) छी कैसी बात कर रहे हैं आप। चुप रहिये।
(बंसल को समझ में आ गया था की उर्मिला को ये बात अच्छी नहीं लगी उसने तुरंत बात मज़ाक में उडा दी और उर्मिला को जोर-जोर से चोदने लगा।उर्मिला भी दो सालों से प्यासी थी।वह भी गांड उठाके चुदवाने लगी।बंसल की स्पीड बढ़ती जा रही थी।कुछ देर के बाद बंसल ने उर्मिला को घोड़ी बना दिया और पीछे से उसकी गीली चूत में अपना मूसल डाल के पेलने लगा। थोड़ी देर बाद वो उर्मिला की चूत में ही स्खलित हो गया)
उर्मिला को चोदने के बाद वो उठा और कपडे पहनने लगा। उरमिला ने भी जल्दी से अपने कपडे पहन लिए और कमरे से बाहर आ गई।
उर्मिला - बेटी शालू, ये लो पापा तुम्हारे लिए साड़ी भी लाये है। इसका मैचिंग ब्लाउज और पेटीकोट निकाल कर रखना और कल पहन लेना।(उर्मिला ने शालु को आवाज़ लगा के बोली)
शालु - ठीक है मॉम्म।।
ऐसे ही सारा दिन बीत गया, बंसल आज सारा दिन शालु को छूप छूप के देखता रहा। रात को पूरी फैमिली डिनर कर सोने चलि गई। उर्मिला नीचे के रूम में, ऊपर के रूम में बंसल, रीना और शालु अपने-अपने कमरे में सोने चले गये। शालु अपने कमरे में बिस्तर पे बैठी काफी देर तक पढ़ाई कर रही थी।
Contd....
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