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मेरी माँ रेशमा -12

 मेरी माँ रेशमा -12 Picsart-25-05-16-18-06-43-156

 रात को हल्दी का प्रोग्राम निपट गया था, सब लोगो ने जम के हल्दी की होली खेली थी,

मामी मौसी, मेरी माँ और दीदी सब हल्दी से पिले रंगे हुए थे, हल्दी लगाने की होड़ मे कब किस का पल्लू सरका जा रहा था किसी को परवाह ही नहीं थी, मैं तो खुद अपनी परिवार की औरतों के खुलेपन पर हैरान था, कहाँ मेरी माँ एक संस्कारी हमेशा साड़ी मे लिपटी रहती थी, मजाल की पेट का हिस्सा भी दिख जाये,

लेकिन यहाँ आते ही रंग ढंग बदल गए थे मेरी माँ के, गहरे ब्लाउज से उनके मोटे स्तन बाहर झाँक रहे थे, उस पर भी किसी ने हल्दी पोत दी थी, लाइट की रौशनी मे पिले स्तन दमक रहे थे, यही हाल मेरी मामी, मौसी और दीदी का भी था.

साला अब्दुल तो मेरी माँ और मामी को ही घूरे जा रहा था, ना जाने क्या रहा उसके दिमाग़ मे, माँ भी उसे देख मुस्कुरा देती,

वही प्रवीण और आदिल मौसी के बड़े स्तनो के दीदार कर रहे थे.

मुझे लग रहा था मैं पागल हो जाऊंगा, मैं क्या कर रहा हूँ यहाँ, मुझसे बड़ा चुतिया दुनिया मे ढूढ़ने से नहीं मिलेगा,

खेर कब तक देखता ये सब, रात के 1 बज चुके थे नीचे अभी भी गाना बजाना चल रहा था,

मैं दिन मे हुई अपनी दीदी अनुश्री की चुदाई को याद कर कमरे मे आ कर सो गया था,

मेरी नींद कुछ आहाट से खुली, आदिल, मोहित और प्रवीण कुछ फुसफुसा रहे थे.

मेरे कान वही लग गए,

"बता ना बे मौसी के साथ क्या किया तुम लोगो ने " आदिल ने पूछा.

"क्या बताये यार आज तो मजा आ गया जीवन धन्य हो गया, साला अमित की फैमली पूरी चुद्दाकड़ है " मोहित ने कहाँ

"अबे हुआ क्या वो तो बताओ "  आदिल के मन मे कोतुहाल मचा हुआ था, मेरे भी.

प्रवीण ने कहना शुरू किया.

मैं सोने का नाटक करता हुआ वैसे ही लेता रहा.

हम 9 बजे निकल गए थे घर से,दोपहर की गर्मी अपने शबाब पर थी, और बाजार की भीड़-भाड़ में मौसी, मोहित, और प्रवीण फल-सब्जियों की दुकानों पर मोलभाव कर रहे थे। मौसी की लाल साड़ी उनके भरे हुए जिस्म पर चिपकी हुई थी, और पसीने की बूँदें उनकी गोरी गर्दन से होते हुए उनकी गहरी दरार में समा रही थी। 40 साल की उम्र में भी उनका जिस्म जवान औरतों को मात देता था—38D की गोल-मटोल चूचियाँ, भारी नितंब, और चिकनी जाँघें जो साड़ी के नीचे से उभर रही थीं। उनका चेहरा भी लुभावना था—बड़ी-बड़ी कजरारी आँखें, गुलाबी होंठ, और पसीने से चमकता गोरा मुँह, जिस पर शरारती मुस्कान खेल रही थी। उनके घने काले बाल पसीने से गीले होकर गर्दन पर चिपक गए थे, मौसी एक फलवाले की दुकान पर रुकीं और एक पका हुआ केला उठाकर उसे सूँघा। "उफ्फ, कितनी मीठी खुशबू है!" वो बोलीं, और जानबूझकर एक मोटे केले को गुच्छे से तोड़कर अपने गुलाबी होंठों से छूते हुए सूंघने लगी, मोहित, जो उनके बगल में खड़ा था, ये नज़ारा देखकर बेकाबू हो उठा.

"मौसी आपको केले पसंद है क्या?" और अपनी जीभ होंठों पर फिराई। मौसी जरा सी मुस्कुराई.

"मुझे तो मोटे और लम्बे केले पसंद है " कहते हुए मौसी ने केले के चारो तरफ अजीब तरीके से अपनी उंगलियों को चलाते हुए उसे वापस ठेले पर रख दिया,

" भैया ये मोटे और लम्बे केले तोल दो " मौसी ने फालवाले को कहाँ..

मौसी के बेबाक अंदाज पर हम दोनों हैरान थे.

"क्या हुआ ऐसे क्यों देख रहे हो? तुम्हे केले पसंद नहीं क्या, तुम जैसे जवान लड़को को केला खाना चाहिए, ताकत मिलती है " मौसी ने हमारे उजड़े हुए चेहरे देखते हुए कहाँ.

"मममम... मौसी... हमें तो आम पसंद है " प्रवीण ने कांपती हुई जबान से कहाँ, जबकि हम दोनों की आंखे उनके मोटे स्तनों पर ही टिकी हुई थी, 

"अच्छा कैसे आम पसन्द है " मौसी ने बड़े ही शरारती अंदाज़ मे अपने साड़ी के पल्लू को थोड़ा सा सरका दिया.

हमारे सामने पसीने से भीगे दो गोलाकार आम ब्लाउज मे कैद दिख रहे थे.

"बड़े और रसीले " मोहित ने कहाँ.

"चूस के खाने मे मजा आता है, जितना दबाओ उतना रस निकलता है " प्रवीण ने भी बात को आगे बढ़ाया.

सामने फलवाला भी मौसी के स्तनो को घूर रहा था "इतने बड़े तो नहीं है मैडम हमारे ठेले पर, ये लम्बे और मोटे केले ले लीजिये "

फलवाले की बात से हम तीनो सकपका गए, और केले को थैले मे डाल आगे निकल गए, 

मौसी आगे और हम पीछे, क्या नजारा था मौसी की गांड कुछ ज्यादा ही मटक रही थी.

आगे चलते हुए, एक गाली सी थी जहाँ छाया थी "उफ्फ्फ कितनी गर्मी है आज " मौसी ने अपने दोनों हाथो को सर के पीछे ले जा कर अपने बालो को ठीक किया.

जब तक हम दोनों भी उनके अगल बगल आ कर खड़े हो गए थे.

बाहे ऊपर करने से मौसी जी की पसीने से लथपथ कांख चमक उठी, 6ee969ca768ff6ff622e6c56a29cb425 हम दोनों की नजरें तो उसी हसीन नज़ारे को देखती रह गई,.

उफ्फ्फ.... क्या गोरी चिकनी और भरी हुई कांख थी मौसी की.

पसीने से सरोबर.

ससससन्नणीयफ्फ्फ्फफ्फ्फ़...... मोहित ने एक जोरदार सांस खींच ली,

आअह्ह्ह... मौसी जी कौनसा सेंट लगाया है अपने, इतनी तेज़ महक आ रही है.

"हट पागल, पसीने से शरीर पसीने से साना हुआ है और तुझे सेंट की खुशबु आ रही है.

"ससससन्नजीफ्फ.... आअह्ह्ह.... " सच मौसी आपका जिस्म तो महक रहा है प्रवीण ने भी पास आ कर एक लम्बी सांस खींची.

मौसी दोनों की हरकत से सकपका सी गई.

"बहुत बदमाश हो तुम दोनों " मौसी ने साड़ी से से अपनी कंखो को अच्छे से दिखाते हुए साफ करने लगी.

पल भर का ये नजारा हम दोनों के लंड खड़े कर देने के लिए काफ़ी था.

मौसी ने अपनी काँख को पोंछने के बहाने बाँहें ऊपर कीं। उनकी चिकनी, पसीने से तर काँख स्लीवलेस ब्लाउज़ से बाहर झाँक रही थी, और पसीने की बूँदें मोतियों की तरह चमक रही थीं।

मोहित ऐसे मौके को छोड़ना नहीं चाहता था "मौसी, ये तो रसीली रबड़ी जैसी है। एक बार चाट लूँ?" 

मौसी ने शरारती अंदाज़ में कहा, "बड़े बेशर्म हो! बाजार में ही रबड़ी चखने चले? थोड़ा सब्र करो, घर चलकर सारी मिठाई खा लेना!" लेकिन उनकी आँखों की चमक बता रही थी कि वो खुद इस छेड़खानी का मज़ा ले रही थीं। उनकी चूत में हल्का-हल्का गीलापन शुरू हो गया था, और उनके निप्पल ब्लाउज़ के नीचे सख्त होकर उभर रहे थे।

मौसी ने हाथ नीचे कर थैले से एक आम निकाल लिया, 

"तुम लोगो को तो आम पसंद है ना?" ऐसा बोलते हुए मौसी ने आम उठाया और उसे अपने होंठो से लगा कर दबा दिया,

 आम का रस उनके होंठों से टपककर उनकी चूचियों की दरार में गिरा। 

"उफ्फ, देखो ना, मेरी साड़ी गंदी हो गई," और जानबूझकर अपनी चूचियों को मोहित के सामने उछाला। मोहित ने फुसफुसाया,

 "मौसी, आम का रस तो बाहर निकल आया, नुकसान हो जायेगा चाट लू क्या?" 

मौसी ने हँसते हुए कहा, "हट पागल, यहाँ सब देख रहे है, कितना रस चूस सकते वो बाद मे देख लेंगे"

मौसी ने अपने पल्लू से वापस अपने स्तनों को ढक लिया, उनके स्तन चिपचिपे हो गए थे, ऊपर से पसीना, मौसी की चाल कुछ अजीब सी थी, जैसे जाँघे दबा के चल रही हो.

शायद चुत से आम रस की बुँदे टपक पड़ी हो.

खेर हम सारा समान ले कर कार तक आ गए थे.

मौसी की हालात कुछ ठीक नहीं लग रही थी, 

बाजार से सामान लेकर हम तीनों कार में सवार हुए। कार का AC काम नहीं कर रहा था, और उमस भरी हवा ने माहौल को और गर्म कर दिया।

"मौसी जी आप आहे बैठ जाओ यहाँ हवा लगेगी" प्रवीण ने कहाँ जो की ड्राइविंग सीट पर जमा हुआ था.

मौसी की साड़ी पसीने से तर होकर बदन से चिपक गई थी। पल्लू बार-बार उनकी चूचियों से सरक रहा था, और उनकी गहरी दरार मोहित और प्रवीण को तड़पा रही थी। मोहित पीछे की सीट पर था, उसकी नज़रें मौसी की कमर और पसीने से भीगी पीठ पर टिकी थीं। प्रवीण, जो ड्राइव कर रहा था, बार बार मौसी के जिस्म को टटोल रहा था,

तभी मौसी ने जानबूझकर अपनी बाँहें ऊपर कीं, और उनकी पसीने से तर काँख स्लीवलेस ब्लाउज़ से बाहर झाँकने लगी। "उफ्फ, ये गर्मी! मेरी साड़ी तो पूरी भीग गई," वो बोलीं, और अपनी काँख को पोंछते हुए मोहित की तरफ देखा,"

मोहित, बाजार में तु क्या कह रहा था मेरी कांख से खुसबू आ रही है " मौसी ने गजब की बेशरमी दिखाते हुए अपनी कांख के पास नाक ले जा कर एक लम्बी सांस खींची,.

आअह्ह्हह्म.... उउउफ्फ्फ..... मौसी के गले से एक अजीब सी गुरराहत निकली, उनकी आंखे खुली तो उसमे लाल डोरे तेर रहे थे, जैसे कोई नशा सूंघ लिया हो..

"सच ही तो कह रहा हूँ मौसी आपकी कांख मे किसी सेंट की खुसबू आ रही थी, " बोलते हुए मोहित ने अपने सर को आगे कर मौसी की कांख मे नाक घुसेड़ दी.. संन्नीफ्फफ्फ्फ़..... आअह्ह्हम्म..... उउउड़.... मौसी जी क्या खुसबू है.

मोहित यही नहीं रुका, उसकी जबान बाहर आ गई, और सुड़प सुड़प कर दो बार मौसी की कांख को चाट लिया.

मौसी की तो हालात ही ख़राब हो गई थी इस अचानक हमले से.

उईस्स्स्स.... उउउईम्म..... उउउफ्फ्फ.... क्या कर रहे हो मोहित " मौसी की आंखे बंद हो गई, जाँघे आपस मे चिपक से गई.

"स्वाद चख रहा हूँ मौसी जी सेंट का " मोहित ने कहाँ.

"हट पागल वो मेरा पसीना है" मौसी ने मोहित को झिड़कते हुए कहाँ लेकिन इसमें कोई विरोध नहीं था बल्कि उकसावा था.

"आम तो इस से भी ज्यादा स्वादिस्ट होंगे बे " प्रवीण ने साइड से मौसी के स्तनों को घूरते हुए कहाँ जो की लगभग ब्लाउज से बाहर ही झाँक रहे थे. पल्लू का तो कोई आता पता ही नहीं था.

मौसी की चूत में अब और गीलापन बढ़ गया। उनकी साँसें तेज़ थीं, और उनके निप्पल ब्लाउज़ के नीचे सख्त होकर उभर रहे थे। 

"तुम दोनों की बातें सुनकर तो मेरे आम खुद रस छोड़ने लगे हैं," मौसी ने अपने स्तनों को और आगे की तरफ तान दिया, जैसे कमर सीधी कर रही हो,.

उनके हाथ अभी भी सीट के पीछे लगे हुए थे, पसीने से तर गोरी कांख चमक रही थी, स्तन तन कर ब्लाउज मे कस गए थे, इतने की निप्पल की छाप साफ देखी जा सकती थी.

पल्लू तो कमर मे जमा हो गया था,

तभी मोहित ने पीछे से वापस से अपनी जीभ मौसी की कांख मे घुसा दी.. 

आअह्ह्ह.... उउउफ्फ्फ्फ़.... मोहित, इस्स्स .... मौसी के हलक से सिस्कारी फुट पड़ी.

"मौसी आपकी कांख का रस तो शहद से भी मीठा है," वो बड़बड़ाया।

  "आह... मोहित... तुम तो मुझे पागल कर रहे हो!" वो बोलीं। मौसी की हालात देखते हुए प्रवीण ने ड्राइव करते हुए उनकी जाँघ पर हाथ रख दिया, 

आअह्ह्ह..... मौसी कितनी कोमल और मोटी है आपकी जाँघे, बिल्कुल मक्खन जैसी, इन्हें पिघलाने का मन कर रहा है।"

 इस्स्स्स.... प्रवीण " मौसी जी पर दो तरफ़ा हमला हो चूका था, प्रवीण जाँघे दबा रहा था तो मोहित उसकी कांख का पसीना चाट चाट के साफ कर रहा था,

मौसी की हालात अब ख़राब होने लगी थी, सांसे तेज़ चल रही थी, उसका दूसरा हाथ प्रवीण के हाथ पर कसता चला गया, "आआहहहह.... प्रवीण उउउफ्फ्फ्फ़... पिघलाओ ना... देखो, कितना मक्खन निकलता है!"

मौसी बेचैनी से सीट पर कसमसा रही थी.

  "आआहहहह.... उउउफ्फ्फ.... मौसी, ये तो शुद्ध अमृत है," मोहित अभी भी धीरे से जीभ लगाकर मौसी की काँख चाटनेमे लगा था, पसीने का नमकीन स्वाद और मौसी की मुलायम त्वचा ने उसके लंड को पत्थर की तरह सख्त कर दिया।

मौसी की साँसें तेज़ हो गईं थी, मौसी ने दूसरा हाथ भी ऊपर उठा दिया, जैसे कह रही हो इसे भी चाट इसे क्यों खाली छोड़ा हुआ है, 

मोहित ने तुरंत इशारा समझते हुए अपना मुँह दूसरी कांख पर जमा दिया.

आअह्ह्ह..... उउउफ्फ्फ.... आउच... मौसी उत्तेजना और कामवासना मे दोहरी हुए जा रही थी, उसका जिस्म ऐंठने लगा था, रह रह के जांघो को आपस मे भींच ले रही थी,.

अजीब सी गुदगुदी नाभि से होती हुई चुत की लकीर को टटोल रही थी, नाभि के नीचे एक दबाव सा महसूस होने लगा था, जैसे अभी कुछ फट जायेगा वहाँ, 

सोये हुए ज्वालामुखी मे हलचल सी होने लगी थी, 

मौसी ने अतिउत्तेजना मे मोहित के सिर को अपनी काँख में दबा लिया "

आअह्ह्ह.... उउफ्फ्फ...., आह... मोहित... तुम तो मुझे गुदगुदी कर रहे हो! और चाटो... ज़रा और ज़ोर से!" मौसी की आवाज़ में उत्तेजना साफ झलक रही थी।

प्रवीण, जो अब तक मौसी की जांघो को सहला रहा था, उसने , कार की स्पीड कम कर दी, 

"मौसी, मोहित तो आपकी रबड़ी चख रहा है, लेकिन मुझे तो आपकी वो मलाई चाहिए, जो साड़ी के नीचे छिपी है।" उसने आँख मारते हुए मौसी की जाँघों की ओर इशारा किया।

"आअह्ह्ह.... प्रवीण... मौसी ने एक शरारती मुस्कान दी और अपनी जांघो को आपस मे भींच लिया, ऐसा करने से साड़ी के ऊपर से ही एक तिकोना उभार प्रवीण के सामने उभार आया. 

"कितनी मलाई चाहिए प्रवीण?" मौसी ने अपनी जांघो के बीच बने उभार की तरफ इशारा करते हुए पूछा.

प्रवीण का तो गला ही सुख गया था, साड़ी के ऊपर से ही ये उभार था, अंदर से जैसी चुत होंगी मौसी की.

जांघो के बीच का हिस्सा पूरी तरह से गिला था.

प्रवीण ने अपने कंपते हुए हाथो को आगे बड़ा मौसी की जांघो के बीच बने उभार पर रख दिया.

"अअअअअअअह्ह्ह्हम्म्म्म........ नहीं..... Uuffff....... प्रवीण का हाथ रखना था की मौसी एकाएक चिल्ला उठी.

मौसी के दोनों हाथ नीचे अपनी जांघो के बीच आ गए, सांसे तेज़ चलने लगी, जिस्म झटके खाने लगा.

"कककक... क्या हुआ मौसी जी... कककम.. क्या हुआ?" हम दोनों सकपका गए, डर गए थे मौसी का जिस्म झटके ले रहा था, सांसे तेज़ चल रही थी.

मौसी की तरफ से कोई जवाब नहीं था.

कककक... क्या हुआ मौसी जी, मोहित ने मौसी के कंधो को पकड़ झकझोड़ा, 

प्रवीण ने कार रोक दी थी.

हम दोनों डर गए थे.

"उउउफ्फ्फ... हमफ़्फ़्फ़... हमफ्फ्फ्फफ्फ्फ़.... मौसी जोर जोर से सांसे ले रही थी, बेवकूफ कहीं के " कोई 10 सेकंड बाद मौसी ने सर उठाया हम दोनो की तरफ देखा.

"बड़े नादान हो तुम दोनों " पेशाब लगी है मुझे, 

मौसी के बोलने से हम दोनों के शरिर मे जान आई.

लेकिन अब अहसास हुआ मौसी झड़ गई थी हमारी हरकतो से.

मौसी ने इधर उधर देखा, रोड सुनसान था, सडक के नीचे थोड़ी दूर पर एक खंडरनुमा बिल्डिंग थी.

"तुम लोग यही रुको मैं आती हूँ पेशाब कर के "

मौसी ने हमारी तरफ देख मुस्कुरा कर कार का गेट खोल दिया, और सडक के नीचे उतार गई.

हम दोनों कभी एक दूसरे को देखते तो कभी मौसी की लचाकती गांड को.

गांड कुछ ज्यादा ही लहरा रही थी उनकी, 

मौसी ने सडक से नीचे जाते वक़्त एक बार पलट के हमें देखा, और मुस्कुरा दी.

उनकी साड़ी का पल्लू अब पूरी तरह सरक चुका था, और उनका गोरा पेट, गहरी नाभि, और पसीने से चमकता जिस्म मोहित और प्रवीण को पागल कर रहा था। दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा, मौसी की आँखों में वासना की चमक थी। 

मौसी के शब्द हम दोनों के कान मे गूंज रहे थे " बेवकूफ कहीं के "

हमने एक दूसरे को देखा " भाई यही वो मौका है चलते है " मोहित ने कहाँ.

"बिल्कुल भाई आज बता देंगे हम भी काम के आदमी है बेवकूफ नहीं "

हम दोनों भी कार से निकल सडक से नीचे उतर चुके थे, आगे आगे मौसी मटकती हुई गांड लांचकती चल रही थी पीछे हम दोनों दोस्त हाथ से लंड को मसलते हुए पीछे पीछे जा रहे थे.

मौसी को अंदाजा हो गया था की हम पीछे पीछे आ रहे है, क्यूंकि मौसी की चाल धीमी हो गई थी, उनकी गांड आपस मे रगड़ खाती लचक रही थी.

थोड़ी ही देर मे मौसी उस खंडर मे घुस गई, खंडर मे जगह जगह झाड़िया और पेड़ उगे हुए थे, जहाँ अभी गर्मी लग रही थी यहाँ ठंडाई थी, छाव थी, 

हमारी नज़ारे मौसी पर बराबर टिकी हुई थी, मौसी अंदर चली गई, हम बाहर ही झाड़ियों की ओट ले कर आने वाले पल का इंतज़ार करने लगे, सामने हसीन कामुक पल आने ही वाला था, मौसी जस्ट हमारे सामने थी, 

उसने इधर उधर देख जगह तलाशी जहाँ वो मूतने के लिए बैठ सके.


  मौसी जानती थी हम उसे देख रहे है उसका दिल धक-धक कर रहा था। पहली बार वो गैर मर्दों—मोहित और प्रवीण—के सामने इतना खुलने वाली थी। शर्म से उनका चेहरा लाल था, लेकिन चूत में गीलापन और साँसों की गर्मी बता रही थी कि वो इस पल का मज़ा लेना चाहती थीं। “मुझे... पेशाब करना है,” वो धीमी आवाज़ में बोलीं, लेकिन उनकी आँखों की चमक बता रही थी कि वो जानबूझकर मोहित और प्रवीण को तड़पाना चाहती थीं। वो झाड़ियों की ओर बढ़ीं, उनकी साड़ी का पल्लू सरककर उनकी गोरी कमर और गहरी नाभि को नंगा कर रहा था।मौसी ने अपनी साड़ी को सँभालने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं की, पीछे से उनकी पूरी पीठ नंगी दिख रही थी, जिस पर पसीने की बुँदे गिरती हुई रीढ़ पर सरकाती कहीं गायब हो जा रही थी, 

मोहित और प्रवीण, जो पास की झाड़ियों में छिपे थे, उनकी मटकती चाल देखकर बेकाबू हो रहे थे। “मौसी की गांड तो मार डालेगी!” मोहित फुसफुसाया।

शायद मौसी ने मोहित की फुसफुसाहट सुन ली और जानबूझकर अपनी साड़ी को कमर तक उठाया। उनकी गोरी, मोटी जाँघें और काली पैंटी साफ दिख रही थी। काली चड्डी का पूरा हिस्सा मौसी की बड़ी सी गांड मे धसा हुआ था,

मौसी की बड़ी चमकली गोरी गांड देख हम दोनों के लंड फटने को आतुर हो चुके थे, 

तभी मौसी धीरे से झुकीं, और पैंटी को नीचे खिसकाते हुए धीरे से अपनी जांघो को फैलाते हुए धाम से घुटनो के बल बैठ गई,.

उउउउफ्फ्फ्फ़..... ऐसा नजारा देखने के लिए मराना भी पड़े तो कोई हर्ज नहीं होगा,. मौसी की बड़ी गांड पूरी तरफ फ़ैल के हमारे सामने थी..

हम दोनों मुँह बाये कभी एक दूसरे को देखे जा रहे थे तो कभी मौसी की गांड को.

की तभी ससससससससररररररर...... ससससस....... फफ्फिईईस्स्स्स..... करती एक सिटी की आवाज़ उस खाली खंडर मे गुजने लगी, मौसी की चुत से पेशाब की पतली धार फुट पड़ी। m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-x7-Cs4-JHAGUymwx6-L-40501831b 20210802-234103 उनकी चूत की गुलाबी फाँकें पसीने और रस से चमक रही थीं, और उनकी गोल गांड हल्के-हल्के हिल रही थी। 

मौसी का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था—पहली बार वो दो गैर मर्दों की भूखी नज़रों के सामने अपनी चूत और गांड नंगा कर रही थी। शर्म से उनका बदन काँप रहा था, लेकिन चूत से टपकता रस उनकी उत्तेजना बयान कर रहा था।

“हाय राम... मैं ये क्या कर रही हूँ?” मौसी का मन दुविधा मे था, लेकिन उनकी उंगलियाँ अपनी चूत पर धीरे-धीरे घूम रही थीं, जैसे वो दोनों को और तड़पाना चाहती हों।

मौसी खुद की कामवासना को नहीं संभाल पा रही थी.

"वहाँ झाड़ियों मे क्यों छिपे हो?, तुम्हे भी पेशाब आई है क्या?" मौसी की आवाज़ से हम दोनों सकपका गए, जैसे चोरी पकड़ी गई हो.

हम दोनों के लंड खड़े थे, "वो... वो... मौसी... वो हमें भी आई थी " मोहित ने खुद को सँभालते हुए कहाँ.

लेकिन मजाल की मौसी अपनी जगह से उठ खड़ी हुई हो, वो वैसे ही बैठी रही अपनी गोरी बड़ी गद्दाराई गांड फैलाये हुए.

जैसे कोई शर्म ही ना ही, बस उसकी चुत से निकलता पेशाब रुक गया था.


हम दोनों झट से झाड़ियों से बाहर निकले? मौसी ने पलट कर देखा, हम तीनो की नजरें आपस मे मिल गई, 

मौसी की आँखों मे सिर्फ वासना थी, एक नशा था जो हमें खिंच रहा था, 20210916-195957

" अब ऐसे ही देखते रहोगे या पेशाब भी करोगे " मौसी ने हमें मुँह बाये खड़े देखते हुए कहाँ.

"वो... हम... हाँ... आये है "

हम दोनों किसी नशे मे मौसी के बाजु मे जा खड़े हुए.

मौसी हम दोनों के बीच बैठी हुई थी, सामने दिवार थी.

मौसी की नजरें हम पर ही थी, 

जैसे तैसे हम दोनों ने अपने अपने लंड अपनी पैंट से बाहर किये, 

"उउउउफ्फ्फ.... क्या सुकून था इसमें, जब से हमारे लंड पैंट मे आंकड़े हुए थे.

मौसी की नजर बराबर हम दोनों के लंड पर थी.

"अरे मुझसे क्या शर्माना मुतो भी अब, कोई पहली बार मेरे सामने अपने लंड ले कर नहीं खड़े हो '

मौसी की बेबाक बातो से हमारा डर और शर्म दूर हो गई और...

सससससररर...... इस्स्स्स..... ऊफ्फफ्फ्फ़ड.... की आवाज़ के साथ हमारे खड़े लंडो से पेशाब की धार निकल सामने दिवार पर गिरने लगी.

साथ ही मौसी की चुत से वापस से पेशाब की धार फुट पड़ी, हमारी नजरें मौसी की चुत से निकलते पेशाब पर थी तो वही मौसी की नजर हमारे लंडो पर जमीं हुई थी जो की बिल्कुल कड़क हो चुके थे.

 “बड़े बेशर्म हो तुम दोनों... मेरे सामने ही मूतने लगे " मौसी ने मूतते हुए कहाँ. लेकिन उनकी आँखों की चमक बता रही थी कि वो इस खेल का मज़ा ले रही थीं।

"आप भी तो हमारे सामने ही मूत रही हो तो शर्म कैसी " प्रवीण ने कहाँ.

मौसी के लहजे मे एक घबराहट साफ महसूस हो रही थी, होती भी क्यों ना वो पहली बार दो मर्दों के लंड इतने करीब से देख रही थी, देख क्या रही थी उनके साथ मूत रही थी, 

मौसी की चूत में करंट सा दौड़ रहा था, और शर्म से उनका चेहरा लाल हो गया। “हाय... तुम दोनों... ये क्या कर रहे हो?” 

"वही जो आप कर रही हो?" मोहित ने कहाँ.

"लेकिन तुम्हे शर्म आनी चाहिए थी, मैं तुम्हारी माँ के समान हूँ ".लेकिन मौसी की आँखें दोनों के लंड पर टिकी थीं

"मौसी जब मूत आती है तो कुछ समझ नहीं आता " प्रवीण ने कहा.

 मौसी की चूत से पेशाब और रस की धार एक साथ बह रही थी, और वो जानबूझकर अपनी गांड को हल्का सा मटका रही थी। “हाय... मैं ये क्या कर रही हूँ... तुम दोनों ने मुझे बेशर्म बना दिया!” वो कराहते हुए बोलीं, लेकिन उनकी साँसें तेज़ थीं, और उनकी चूत की चमक उनकी उत्तेजना बयान कर रही थी।तीनों का एक साथ पेशाब करना किसी हसीन सपने से कम नहीं था.


मौसी का जिस्म शर्म और उत्तेजना से काँप रहा था। “पहली बार... मैंने कभी नहीं सोचा था... गैर मर्दों के सामने नंगी होऊँगी...” वो मन ही मन सोच रही थीं, लेकिन उनकी चूत की गर्मी उन्हें रोक नहीं पा रही थी।

"अरे.... ये... ये... क्या कर रहे हो," हमारा पेशाब दिवार से टकरा कर मौसी की तरफ उड़ कर आ रहा था, लेकिन मौसी तस से मस ना हुई.

हम दोनों का पेशाब धीरे धीरे बूंदो मे बदलने लगा था, टप टप टपक.... करता हम दोनों ही मौसी की तरफ पलट गए.

"आआहहहह..... मौसी बहुत राहत मिली " हम दोनों के लंड बिल्कुल मौसी के मुँह के सामने थे, मौसी हमारे सामने उकडू पैरो के बल बैठी हुई थी.

मौसी का चेहरा बिल्कुल लाल हो चूका था  चुत से पूरा पेशाब निकल कर जमीन गीली कर चूका था. images

हम अभी कुछ समझते या लंड अंदर डलते.

एक जोड़ी कोमल हाथ हम दोनों के लंड पर आ कर जम गए.

"आआहहहह..... मौसी....."

"उउउउफ्फ्फ.... मौसी " हम दोनों ही उस कोमल गरम मादक स्पर्श को पा कर सिहर उठे.

"ये सिर्फ मूतने के काम आते है या कुछ और भी कर लेते है " 

मौसी की जबान थारथरा रही थी, उनके काँपते हुए हाथ हम दोनों के लंड को सहला रहे थे..

एक अजीब सा कर्रेंट लगने लगा था, लंड बिल्कुल टाइट हो कर फटने पर आमादा हो चूका था.

"मौसी जी बहुत काम के है,आप चाहो तो आपकी सेवा भी कर सकते है "

मोहित ने कहाँ.

"हाँ उस दिन देखा था मैंने कितनी सेवा की थी तुम्हारे लंडो ने " मौसी खुल के बोल रही थी.

"वो..वो... मौसी उस दिन तो हम घबरा गए थे, आज कोई शिकायत का मौका नहीं देंगे आअह्ह्ह.... " प्रवीण ने बात पूरी की.

मौसी के कोमल कामुक हाथो को झेल जाना हम लोगो के लिए इम्तेहान था आज.

खंडहर की झाड़ियों के बीच मौसी उकड़ूँ बैठी थीं, उनका गोरा, मोटा जिस्म पसीने से चमक रहा था। उनकी चूत से पेशाब की आखिरी बूँदें टपक चुकी थीं, और गुलाबी फाँकें रस से गीली थीं। 

ऊपर सिर्फ ब्लाउज था वो भी पसीने से भीगा हुआ जिस मे से उनके गोरे मोटे स्तन बाहर झाँक रहे थे, बाकि साड़ी कमर पर इक्क्ठा थी, काली चड्डी घुटनो सरक कर पैरो के पास पड़ी हुई थी.

एक काम सुंदरी हम दो नौजवानों के सामने लगभग नग्न उकडू बैठी थी, जिसके हाथ मे हमारे लंड मचल रहे थे, 

मोहित और प्रवीण के 7 इंच के लंड उनके मुँह के सामने तनकर फड़क रहे थे, और मौसी के कोमल, काँपते हाथ उनके लंडों को मसल रहे थे। “हाय राम... ये... मैं क्या कर रही हूँ? इतने मोटे लंड...” मौसी की आवाज़ थरथराई, शर्म से उनका चेहरा लाल था, लेकिन उनकी चूत में आग लगी थी। पहली बार वो दो गैर मर्दों के लंड छू रही थीं, और उनकी चूत से रस टपककर ज़मीन को गीला कर रहा था।“मौसी, तेरी चूत का रस तो इन लंडों को बुला रहा है!” मोहित ने कराहते हुए कहा, उसका लंड मौसी के हाथों में उछल रहा था। मौसी ने शर्म से आँखें झुका लीं। “हाय... ये गलत है... मैं तुम्हारी माँ की उम्र की हूँ... मेरी चूत को छोड़ दो!” वो आनाकानी करती बोलीं, लेकिन उनकी उंगलियाँ प्रवीण के लंड के सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थीं। 

मौसी ने शर्म से आँखें बंद कीं और धीरे से अपने गुलाबी होंठ मोहित के लंड पर रखे। जैसे ही उनकी जीभ ने सुपारे को छुआ, एक सिसकारी निकली, “उह्ह... कितना गर्म... कितना सख्त...” उनकी जीभ स्लो-मोशन में उसके लंड की नसों पर फिर रही थी,

 “मौसी, चूस इसे... तुझे जन्नत दिखाएँगे!” मोहित कराहा। मौसी ने लंड को गहरे तक मुँह में लिया, उनके होंठ उसे कसकर चूस रहे थे, m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-HZl-Zb-l-HSy-S-Ig-Ud-20561362b और “सुड़प... सुड़प...” की आवाज़ खंडहर में गूँज रही थी। उनकी चूत में गीलापन बढ़ गया, और वो अपनी जाँघें आपस में रगड़ने लगीं।“हाय... मैं बेशर्म हो गई...” वो बड़बड़ाईं और प्रवीण के लंड की ओर मुड़ीं। उनकी जीभ उसके सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो उसे धीरे-धीरे चूसने लगीं। m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-ejio719u30-BL0-F5-P-31721071b “उह्ह... तुम दोनों के लंड... मेरी चूत को पागल कर रहे हैं!” उनकी कराहें लंड चूसते हुए निकल रही थीं, वो बारी-बारी से दोनों के लंड चूस रही थी, कभी मोहित का लंड गहरे तक लेती, तो कभी प्रवीण के सुपारे को चूसती। उनकी उंगलियाँ उनकी चूत पर घूम रही थीं, और रस की बूँदें ज़मीन पर टपक रही थीं। “मौसी तो लंड चूसने मे उस्ताद है भाई " प्रवीण कराहा। मौसी ने शरारती मुस्कान दी, “हाय... मैंने कभी नहीं सोचा था... दो-दो लंड चूसूँगी!”

मौसी की उत्तेजना देखकर प्रवीण ने कहा, “मौसी, अब तेरी चूत का रस चूसने की बारी है!” उसने मौसी को खंडहर की टूटी दीवार के सहारे टिकाया और उनका ब्लाउज़ एक झटके मे उतार फेंका, मौसी सम्पूर्ण नंगी दो जवान लड़को के सामने खड़ी थी.

उनकी 38D की चूचियाँ आज़ाद हो गईं, गोल, गोरे उरोज और गुलाबी निप्पल पसीने से चमक रहे थे। 

“हाय... नहीं... मेरी चूचियाँ मत चूसो... ये गलत है!” मौसी आनाकानी करती बोलीं, लेकिन उनकी चूचियाँ मोहित के मुँह की ओर उछल रही थीं। मोहित ने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा, tumblr-m7u0cn3p1b1rugs9ro1-500 उसकी जीभ स्लो-मोशन में निप्पल पर घूम रही थी। “मौसी, तेरी चूचियाँ तो रसीले खरबूजे हैं!” वो कराहा। मौसी की सिसकारी निकली, “आह... चूसो... लेकिन धीरे... मैं मर जाऊँगी!”

प्रवीण ने गंदी हँसी के साथ कहा, “मौसी, तेरी चूत तो लंड माँग रही है, इसे चोदकर फाड़ देंगे!” मौसी की साँसें तेज़ हो गईं, और उनकी चूत से रस की धार बहने लगी।प्रवीण ने मौसी को खंडहर की टूटी दीवार के सहारे चिपकादिया और उनकी गांड को फैला कर अपना मुँह गांड की दरार मे घुसेड़ दिया, चूत गीली और चमकदार थी, गुलाबी फाँकें रस से लबालब। 20231129-101112 “साली, तेरी चूत तो रंडी की तरह गीली है!” प्रवीण ने गंदा बोलते हुए अपनी जीभ उनकी चूत पर फिराई। मौसी का बदन सिहर उठा, उनकी सिसकारी “उह्ह... आह...” खंडहर में गूँजी। “नहीं... प्रवीण... मेरी चूत मत चाट... हाय, मैं मर जाऊँगी!” वो आनाकानी करती बोलीं, लेकिन उनकी जाँघें और फैल गईं। प्रवीण की जीभ स्लो-मोशन में उनके दाने पर रगड़ रही थी, और मौसी का रस उसके मुँह में बह रहा था। “आह... चाट, हरामी... मेरी चूत का सारा पानी चूस ले!” मौसी चिल्लाई, उनकी शर्म अब वासना में डूब चुकी थी।प्रवीण ने अपनी जीभ मौसी की चूत की फाँकों में गहरे तक डाली, “चट... चट...” की आवाज़ गूँज रही थी, जैसे कोई कुत्ता पानी चाट रहा हो, तभी प्रवीण ने एक उंगली उनकी चूत में डाली और धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। मौसी की कराहें तेज़ हो गईं, “हाय... प्रवीण... तू मेरी चूत को पागल कर देगा... और चाट, साले!” वो अपनी चूचियों को मसल रही थीं, ब्लाउज कब का खुल के बाहर आ चूका था, 38D के उरोज उछल रहे थे, और गुलाबी निप्पल सख्त होकर चमक रहे थे। मोहित ने मौसी की गोल, मोटी गांड को सहलाया, जो पसीने से चमक रही थी। “मौसी, तेरी गांड तो किसी कुंवारी लड़की की तरह टाइट है!” 

मोहित भी नीचे झुक कर अपनी जीभ मौसी की गांड के छेद पर चलाने लगा, मौसी का बदन काँप उठा,

 “हाय... मोहित... मेरी गांड मत चाट... ये गंदा है!” वो चिल्लाई, लेकिन उनकी गांड मोहित की जीभ की ओर उठ रही थी। मोहित ने उनकी गांड की गहराई में जीभ डाली, 

“सुड़प... सुड़प...” की आवाज़ निकल रही थी। “साली, तेरी गांड का स्वाद तो शहद है!” वो कराहा। मौसी की उत्तेजना चरम पर थी, वो अपनी चूत को उंगलियों से सहला रही थीं, और उनकी कराहें “आह... चाटो, हरामियों... मेरी चूत और गांड को चूस लो!” खंडहर में गूँज रही थीं। प्रवीण ने मौसी की चूत में दो उंगलियाँ डालीं और तेज़ी से अंदर-बाहर करने लगा, उनकी चूत से रस की फुहार निकल रही थी।m-ldpwiqacxt-E-Ai-mh-v-XQcf-X2-VHAr3-V5-Ag-10590002b

 “हाय... तुम दोनों... मेरी चूत फाड़ दो!” मौसी चिल्ला रही थीं।मोहित ने मौसी की काँख पर जीभ फिराई, पसीने का नमकीन स्वाद चखते हुए बोला, “मौसी, तेरी चूत और गांड का रस तो अमृत है!” मौसी की साँसें तेज़ थीं, और वो अपनी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसल रही थीं। “चाटो, साले... मेरी चूत का पानी पी लो... मेरी गांड को चूस लो!” वो गंदे शब्दों से दोनों को उकसाने लगीं, उनकी आँखों में वासना का नशा था। प्रवीण ने मौसी की चूत के दाने को होंठों से चूसा, और उनकी चूत से रस की धार उनके मुँह पर छींटे मार रही थी।

 “साली, तेरी चूत तो फव्वारा है!” वो बोला। मौसी की कराहें चीखों में बदल गईं, “चूस, हरामी... मेरी चूत का सारा रस चूस ले"

मौसी की उत्तेजना देखकर मोहित ने कहा, “मौसी, अब तेरी चूत और गांड को लंड से फाड़ेंगे!” 

उसने मौसी को दीवार के सहारे खड़ा किया और उनकी जाँघें फैलायी। उनकी चूत इतनी गीली थी कि रस उनकी जाँघों पर बह रहा था। “हाय... नहीं... मेरी चूत मत चोदो... मैं मर जाऊँगी!” मौसी आनाकानी करती बोलीं, लेकिन उनकी चूत प्रवीण के लंड की ओर खिंच रही थी। प्रवीण ने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ा, सुपारा गीली फाँकों पर फिसल रहा था। “साली, तेरी चूत तो लंड के लिए तरस रही है!” वो बोला और धीरे से लंड अंदर डाल दिया। “आह... प्रवीण... तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है!” मौसी चिल्लाई, उनकी चूत उसके लंड को कस रही थी।प्रवीण ने धीमे-धीमे धक्के मारने शुरू किए, हर धक्के के साथ मौसी की चूत से “चप... चप...” की आवाज़ निकल रही थी। मौसी की चूचियाँ उछल रही थीं, और उनका पसीना उनके जिस्म को चमका रहा था, 

“हाय... धीरे, साले... मेरी चूत फट जाएगी!” वो कराहती बोलीं, लेकिन उनकी चूत प्रवीण के लंड को और गहरा ले रही थी।

 मोहित ने मौसी की मोटी गांड को थपथपाया, “साली, तेरी गांड तो लंड माँग रही है!” उसने अपना लंड उनकी गांड पर रगड़ा और धीरे से अंदर डाल दिया। gifcandy-anal-190 “आह... मोहित... तेरा लंड मेरी गांड को फाड़ देगा!” मौसी चिल्लाई, उनकी गांड उसके लंड को कस रही थी।तीनों एक लय में हिल रहे थे—प्रवीण उनकी चूत में धीमे धक्के मार रहा था, और मोहित उनकी गांड को चोद रहा था। मौसी की कराहें “उह्ह... आह...” की सिम्फनी बन रही थीं। “चोदो, हरामियों... मेरी चूत और गांड को फाड़ दो!” वो गंदे शब्दों से उकसाने लगीं, उनकी उत्तेजना चरम पर थी। प्रवीण ने धक्कों की स्पीड बढ़ाई, हर धक्के के साथ मौसी की चूत से रस टपक रहा था। “साली, तेरी चूत तो लंड चूस रही है!” वो बोला। 

मोहित ने उनकी गांड में तेज़ धक्के मारे, “तेरी गांड तो 18 साल की लड़की की तरह टाइट है!, कभी गांड नहीं मरवाई क्या? "

मौसी चिल्लाई, “चोदो, साले... मेरी चूत और गांड को फाड़ दो... और ज़ोर से!, किसने क्या चोदा, क्या नहीं तुम तो बस चोदो अपनी मौसी को, फाड़ दो मेरी चुत और गांड.

करीब 10 मिनट दिवार से चिपका कर चोदने के बाद प्रवीण ने मौसी को घोड़ी बनाया और उनकी चूत को पीछे से चोदा, हर धक्के के साथ उनकी चूचियाँ हवा में लटक रही थीं। मोहित उनकी गांड में लंड डाल रहा था, उनकी टाइट गांड हर धक्के पर कस रही थी। “हाय... तुम दोनों... मेरी चूत और गांड को चीर दो!” मौसी चिल्ला रही थीं, उनकी चूत से रस की धार बह रही थी। प्रवीण ने उनकी चूत में स्पीड बढ़ाई, “चप... चप...” की आवाज़ तेज़ हो गई। मोहित ने उनकी गांड को थपथपाते हुए धक्के मारे, “साली, तेरी गांड तो लंड निचोड़ रही है!” मौसी की उत्तेजना ऐसी थी कि वो अपनी चूत को उंगलियों से सहला रही थीं, “चोदो, हरामियों... मेरी चूत का पानी निकाल दो!” मौसी पागलो की तरह व्यवहार कर रही थी, खुद के स्तनों को नोच रही थी, गांड उठा उठा के हमारे लंडो पर पटक रही थी.

मोहित ने मौसी को गोद में उठाया और उनकी गांड में लंड डाला, हर धक्के के साथ उनकी गांड काँप रही थी। प्रवीण उनकी चूत में लंड डालकर तेज़ धक्के मार रहा था, “साली, तेरी चूत तो लंड खा रही है!” मौसी की चूचियाँ उछल रही थीं, और उनका पसीना उनके जिस्म को ग्लॉसी बना रहा था। “चोदो, साले... मेरी चूत और गांड को फाड़ दो... और ज़ोर से!” वो चिल्ला रही थीं, उनकी आँखें वासना से लाल थीं। प्रवीण ने उनकी चूत में इतने ज़ोर से धक्के मारे कि उनकी चूत से रस की फुहार निकलने लगी,26589076 “हाय... मैं झड़ रही हूँ... मेरी चूत फट गई!”मौसी की उत्तेजना चरम पर थी, उनकी चूत और गांड दोनों लंडों को कस रही थीं। “चोदो, हरामियों... मेरी चूत का पानी निकाल दो... मेरी गांड फाड़ दो!” वो गंदे शब्दों से उकसाती रही। अचानक, उनकी चूत से रस के साथ पेशाब की धार फूट पड़ी, “सस्स... फिस्स...” की आवाज़ के साथ पेशाब की गर्म धार प्रवीण के लंड पर गिरी। “हाय... मेरा पेशाब निकल गया... तुमने मेरी चूत फाड़ दी!” मौसी चिल्लाई, उनकी साँसें तेज़ थीं। प्रवीण ने हँसते हुए कहा, “साली, तेरी चूत तो पेशाब का फव्वारा है!” मोहित ने उनकी गांड में तेज़ धक्के मारे, “तेरी गांड तो लंड निचोड़ रही है!”प्रवीण ने मौसी को ज़मीन पर लिटाया और उनकी चूत में लंड डालकर ताबड़तोड़ धक्के मारे, हर धक्के के साथ उनकी चूत से रस और पेशाब की बूँदें उड़ रही थीं। मोहित उनकी गांड में लंड डाल रहा था, उनकी गांड हर धक्के पर काँप रही थी। “चोदो, साले... मेरी चूत और गांड को चीर दो! 3e5989295b2deb9a7a060360be2efe45 ” मौसी चिल्ला रही थीं। प्रवीण ने उनकी चूत में इतने ज़ोर से धक्के मारे कि उनकी चूत से फिर से पेशाब की धार निकली, “हाय... मैं फिर झड़ रही हूँ... मेरी चूत फट गई!” मौसी की कराहें चीखों में बदल गईं.

 प्रवीण ने मौसी की चूत में तेज़ धक्के मारे, और मोहित उनकी गांड को चोद रहा था। मौसी बार-बार झड़ रही थीं, उनकी चूत से रस और पेशाब की धार बह रही थी, 

“हाय... तुम दोनों... मेरी चूत और गांड फाड़ दो!” वो चिल्ला रही थीं। प्रवीण ने उनकी चूत में माल छोड़ा, उसका गर्म माल मौसी की चूत में भरा था। मोहित ने उनकी गांड में माल छोड़ा, उनकी टाइट गांड माल से गीली हो गई। मौसी कई बार झड़ चुकी थीं, उनकी चूत से रस, पेशाब, और माल टपक रहा था।तीनों हाँफते हुए खंडहर की ज़मीन पर लेट गए। मौसी की साँसें तेज़ थीं, और उनकी आँखों में शर्म और संतुष्टि थी। “हाय... तुमने मेरी चूत और गांड फाड़ दी... मेरा पेशाब तक निकाल दिया!” वो बोलीं, उनकी आवाज़ में वासना की थकान थी। मोहित और प्रवीण ने हँसकर कहा, “मौसी, हम तो आपके सेवक है, जब चाहो सेवा करने को हाजिर है आपकी.

इन दोनों की मौसी के साथ चुदाई सुन कर मेरा लंड बिना हाथ लगाए झड़ गया था, ना जाने मैं कब वापस नींद के आगोश मे समा गया मुझे पता ही नहीं चला.

ना जाने अभी क्या क्या देखना बाकि था मुझे अपनी जिंदगी मैं....

खेर good night मैं सो गया था, मेरे लंड ने मौसी की चुदाई सुन कर ही वीर्य त्याग दिया था.

मिलते है अगले भाग मे.... Good night.

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