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मेरी माँ रेशमा -13

 मेरी माँ रेशमा -13 Picsart-25-05-20-14-00-46-458

सुबह के 5 बजे अमित की नींद खुली, उसका सिर भारी था, जैसे कोई हथौड़ा पीट रहा हो। रात को मोहित और प्रवीण ने सुनीता मौसी की खंडहर वाली चुदाई की कहानी सुनाई थी—उनकी गीली, फड़कती चूत, मोटी, काँपती गांड, और पेशाब की धार की तस्वीरें उसके दिमाग़ में चक्कर काट रही थीं। उसने करवट बदली, बिस्तर पर हाथ टटोला, और देखा कि अब्दुल, जो उसके बगल में सोया था, गायब था। “साला, अब्दुल कहाँ गया?” अमित बड़बड़ाया , उसकी आवाज़ में उलझन थी। उसे कुछ शक हुआ। अब्दुल का गठीला, मज़बूत जिस्म, उसकी काली, चमकती त्वचा, और रात को मौसी की कहानी सुनते वक्त उसकी गंदी, भूखी हँसी उसकी आँखों के सामने घूम गई। “कहीं ये हरामी कोई गुल खिला रहा है?” उसका दिल धक-धक करने लगा, जैसे कोई तूफान आने वाला हो।अमित बिस्तर से उठा, उसकी पुरानी चप्पलें फर्श पर “टप... टप...” की हल्की आवाज़ कर रही थीं। वो बाथरूम की ओर गया, सोचकर कि शायद अब्दुल वहाँ हो। बाथरूम खाली था, सिर्फ़ नल से टपकते पानी की “टप... टप...” की एकाकी आवाज़ गूँज रही थी, जो सुबह की सन्नाटे में और भयावह लग रही थी। उसका शक और गहरा हुआ, जैसे कोई काला बादल उसके दिमाग़ पर मंडरा रहा हो। उसने घर के दूसरे कमरों में झाँका—मामा के लड़के की शादी की वजह से घर मेहमानों से खचाखच भरा था। कोई सोफे पर लेटा था, कोई ज़मीन पर चादर बिछाकर सो रहा था, कुछ लोग खर्राटे मार रहे थे। भीड़ में उसे कुछ समझ नहीं आया। “साला, इतने लोग... अब्दुल कहाँ गया?” उसने सर खुजलाया, उसकी उंगलियाँ बेचैनी से बालों में उलझ रही थीं।मौसी की चुदाई की गर्म तस्वीरें उसके दिमाग़ में आग की तरह जल रही थीं, और उसका लंड पजामे में आधा खड़ा था, जैसे कोई बेकाबू जानवर। मैंने सोचा, “सिगरेट पी लूँ, शायद ये उलझन कम हो।” वो चुपके से सीढ़ियाँ चढ़कर छत पर चला गया, उसके कदम सावधान थे, जैसे कोई चोर। सुबह की ठंडी, धुंधली हवा ने उसके चेहरे को छुआ, लेकिन मौसी की चुदाई की गर्मी अभी भी उसके जिस्म में सुलग रही थी। उसने जेब से सस्ती सी सिगरेट निकाली, माचिस जलाई, और धुआँ हवा में उड़ाया। धुआँ सुबह की धुंध में मिलकर अजीब से आकार बना रहा था। वो छत के किनारे टहलने लगा, उसकी आँखें बेचैन थीं। तभी उसे एक अजीब सी आवाज़ सुनाई दी—किसी औरत की कराह, जैसे दर्द और मज़े का रसीला मिश्रण। “उह्ह... आह... धीरे... मेरी गांड फट जाएगी!” आवाज़ धीमी लेकिन साफ़ थी, जैसे कोई कामुक गीत। अमित का दिल ज़ोर से धड़का, उसका लंड पजामे में उछलने लगा। “ये क्या बकवास है?” वो बड़बड़ा, उसकी साँसें तेज़ हो गईं। मैंने सिगरेट ज़मीन पर फेंकी, उसकी जलती हुई टिप ज़मीन पर चिंगारी छोड़ गई। वो आवाज़ की दिशा में चुपके से बढ़ा, उसके कदम सावधान थे, जैसे कोई शिकारी। छत के एक कोने में, पानी की टंकी के पीछे, उसे कुछ हलचल दिखी। वो धीरे-धीरे, पाँव दबाकर, टंकी की ठंडी, जंग लगी दीवार की आड़ में छुप गया। उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं, उसका दिल जैसे मुट्ठी में कस गया—उसकी मामी, आरती, पूरी नंगी थी, और अब्दुल उनकी मोटी, मुलायम गांड को चाट रहा था।आरती का जिस्म सुबह की धुंधली रोशनी में चाँदनी की तरह चमक रहा था। उनकी गोरी, मलाई जैसी त्वचा पसीने की बूँदों से लथपथ थी, हर बूँद उनके जिस्म पर मोती की तरह चमक रही थी। उनकी 36DD की चूचियाँ भारी और गोल थीं, जैसे रसीले खरबूजे, जो हर साँस के साथ हल्के-हल्के हिल रहे थे। उनके गुलाबी निप्पल सख्त होकर तन गए थे, जैसे कोई मखमली फूल की कली, जो उत्तेजना में फूल रही हो। उनकी मोटी, गोरी जाँघें मक्खन की तरह मुलायम थीं, जो आपस में रगड़ने से हल्की “फच... फच...” की आवाज़ कर रही थीं। उनकी गुलाबी चूत रस से लबालब थी, फाँकें चमक रही थीं, जैसे कोई गीला, रसीला फल, जिसका रस उनकी जाँघों पर लुढ़क रहा था। लेकिन सबसे रसीला था उनकी 38 इंच की मोटी, मुलायम गांड—दो गोरे, चमकते गोलाई, जो पसीने से गीली थीं, और हर हलचल पर जेली की तरह काँप रही थीं। 7EC1777 उनकी गांड का टाइट छेद गुलाबी था, जो अब्दुल की जीभ के हर स्पर्श पर सिकुड़ रहा था, जैसे कोई शर्मीला फूल।अब्दुल का 8 इंच का मोटा, काला लंड तनकर फड़क रहा था, सुपारे पर प्री-कम की बूँद चमक रही थी, जैसे कोई काला हीरा। वो आरती की गांड के छेद पर जीभ फिरा रहा था, उसकी जीभ स्लो-मोशन में उनके टाइट छेद को चूम रही थी। adultnode-0670d281aec50853799e77ea31508c68 “सुड़प... सुड़प...” की गीली, रसीली आवाज़ छत पर गूँज रही थी, जैसे कोई कामुक धुन। “हाय... अब्दुल... मेरी गांड मत चाट... ये गंदा है!” आरती चिल्लाई, उनकी कजरारी आँखें शर्म और वासना से गीली थीं, और उनके मुलायम, गुलाबी होंठ काँप रहे थे, जैसे कोई कविता पढ़ रहे हों। अब्दुल ने गंदी, भूखी हँसी के साथ कहा, “साली, तेरी गांड तो शहद की मिठास है! इसे चाटकर लंड से फाड़ूँगा!” उसने अपनी जीभ को स्लो-मोशन में आरती की गांड के छेद में गहरे तक घुसाया, और उनकी गांड उत्तेजना में सिकुड़-खुल रही थी, जैसे कोई जीवंत, रसीला फल

।अमित का लंड पजामे में फटने को था, उसका सुपारा गीला हो गया था। लेकिन उसका दिमाग़ चीख रहा था, “साला... ये मेरी मामी है? पहले चूत मरवाई, अब गांड चटवा रही है? मेरे घर की औरतें इतनी चुदक्कड़ हैं?” उसका दिल व्यथा और उत्तेजना के समंदर में डूबा था, लेकिन उसकी आँखें आरती के रसीले जिस्म से चिपकी थीं। अब्दुल ने आरती की मोटी गांड को दोनों हाथों से फैलाया, उनकी गोरी, मुलायम गोलाइयाँ उसके खुरदरे हाथों में काँप रही थीं। उनका टाइट, गुलाबी छेद अब्दुल की जीभ को कस रहा था, और हर चाट पर उनकी गांड हल्के-हल्के लहरा रही थी। “उह्ह... अब्दुल... मेरी गांड में आग लग रही है... चाट, हरामी!” आरती चिल्लाई, उनकी साँसें रुक-रुक कर चल रही थीं, और उनकी चूचियाँ हर सिसकारी के साथ उछल रही थीं।अब्दुल ने अपनी जीभ को और गहरा घुसाया, उसकी जीभ आरती की गांड की दीवारों को रगड़ रही थी, जैसे कोई चित्रकार कैनवास पर रंग भर रहा हो। 16729867 “सुड़प... सुड़प...” की आवाज़ तेज़ हो गई, और आरती की गांड हर चाट पर सिकुड़ रही थी। “चाट, साले... मेरी गांड का रस चूस ले!” आरती गंदे शब्दों से उकसाने लगीं, उनकी आवाज़ में वासना की गर्मी थी। अब्दुल ने उनकी चूत में दो उंगलियाँ डाली और तेज़-तेज़ अंदर-बाहर करने लगा, उनकी चूत से रस की “चट... चट...” की रसीली आवाज़ गूँज रही थी। उनकी चूत की गुलाबी फाँकें फड़क रही थीं, और रस की बूँदें उनकी जाँघों पर मोतियों की तरह लुढ़क रही थीं। “साली, तेरी गांड तो मेरे लंड के लिए तरस रही है!” अब्दुल कराहा और उनके गीले छेद पर थूक दिया, थूक उनकी गांड से चूत तक बह गया, जैसे कोई रसीला नाला।अब्दुल खड़ा हुआ, उसका 9 इंच का मोटा, काला लंड फड़क रहा था, सुपारा प्री-कम से गीला था, जैसे कोई काला मोती चमक रहा हो। उसने लंड को आरती की गांड के छेद पर रगड़ा, स्लो-मोशन में सुपारा उनके टाइट, गुलाबी छेद को छू रहा था, जैसे कोई तीर निशाने पर लग रहा हो। 14399842 “साली, अब तेरी गांड फाड़ता हूँ!” अब्दुल आवाज़ में भूख थी।

 आरती ने शर्म और डर से आँखें बंद कीं, उनकी लंबी पलकें काँप रही थीं। “हाय... अब्दुल... मेरी गांड मत चोद... इतना मोटा लंड... मेरी गांड फट जाएगी!” वो आनाकानी करती बोलीं, उनकी आवाज़ थरथराई, लेकिन उनकी मोटी गांड हवा में और ऊपर उठ गई, जैसे लंड की भूखी हो।

अब्दुल ने उनके कूल्हों को अपने खुरदरे हाथों से पकड़ा, उनकी गोरी, मुलायम गांड उसके हाथों में दब रही थी। उसने धीरे से लंड का सुपारा उनकी गांड में धकेला, स्लो-मोशन में सुपारा उनके टाइट छेद को फैलाता हुआ अंदर घुस रहा था। 19978792 20220519-073716 “आह... हाय राम... तेरा लंड मेरी गांड को चीर रहा है!” आरती चीखी, उनकी आँखें दर्द से गीली थीं, और उनकी गांड हर इंच पर सिकुड़ रही थी, जैसे लंड को रोकने की कोशिश कर रही हो। उनका चेहरा सिकुड़ गया, उनके गुलाबी होंठ काँप रहे थे, और उनकी साँसें रुक-रुक कर चल रही थीं। उनकी चूचियाँ दर्द की लहर के साथ हिल रही थीं, और उनके निप्पल और सख्त हो गए।

अब्दुल ने धीमे-धीमे धक्के मारने शुरू किए, उसका लंड स्लो-मोशन में आरती की टाइट गांड में अंदर-बाहर हो रहा था। हर धक्के के साथ “थप... थप...” की मधुर, रसीली आवाज़ गूँज रही थी, जैसे कोई कामुक ताल। आरती की गांड उसके लंड को कस रही थी, हर धक्के पर उनकी मोटी गोलाइयाँ काँप रही थीं। “हाय... धीरे, साले... मेरी गांड जल रही है!” वो कराह रही थीं, उनकी उंगलियाँ उनकी चूत को बेतहाशा रगड़ रही थीं, और उनकी चूत से रस की धार टपक रही थी। अब्दुल ने उनके कूल्हों को और ज़ोर से पकड़ा, “साली, तेरी गांड तो मेरे लंड को चूस रही है!” उसने लंड को आधा बाहर निकाला और फिर धीरे से गहरा धकेला, आरती की चीख “आह... हाय... रुक जा!” में बदल गई।लेकिन धीरे-धीरे आरती का दर्द मज़े में बदलने लगा। उनकी गांड अब्दुल के लंड को गहरा ले रही थी, और उनकी साँसें तेज़ हो गईं। “उह्ह... अब्दुल... ये क्या... मेरी गांड में जलन मज़े में बदल रही है!” वो सिसकार रही थीं, उनकी चूत से रस उनकी जाँघों को चिपचिपा बना रहा था। उनकी चूचियाँ हर सिसकारी के साथ उछल रही थीं, और उनके निप्पल हवा में चमक रहे थे।

 अब्दुल ने गंदी मुस्कान दी, “साली, तेरी गांड को लंड का मज़ा मिल रहा है!” उसने उनकी चूत में तीन उंगलियाँ डाली और तेज़-तेज़ रगड़ने लगा, उनकी चूत की फाँकें फड़क रही थीं। साथ ही उसने उनकी गांड में धक्कों की स्पीड बढ़ा दी, “चप... चप...” और “थप... थप...” की आवाज़ें छत पर गूँज रही थीं।

अब्दुल ने आरती की गांड को थपथपाया, उनकी मोटी, मुलायम गोलाइयाँ हर थप्पड़ पर लहरा रही थीं, जैसे कोई रसीला समंदर। “साली, तेरी गांड तो रंडी की तरह लंड ले रही है!”

 आरती की कराहें अब सिसकारियों में बदल गईं, “आह... चोद, हरामी... मेरी गांड को ढीला कर दे... ये मज़ा... हाय!” उनकी चूचियाँ हर धक्के के साथ उछल रही थीं, और उनका पसीना उनके गोरे जिस्म को ग्लॉसी बना रहा था, अब्दुल ने उनकी गांड में लंड को पूरा बाहर निकाला, उनका गुलाबी छेद खुला रह गया, और फिर ज़ोर से पेल दिया।

 “हाय... तेरा लंड मेरी गांड को रगड़ रहा है... और ज़ोर से!” आरती चीखी, उनकी चूत उनकी उंगलियों से रस छोड़ रही थी।

सुकून और आनंद का समंदरचुदाई अब ताबड़तोड़ हो गई थी। अब्दुल ने आरती को घोड़ी बनाया, उनकी मोटी, मुलायम गांड हवा में थी, और उनका चेहरा ज़मीन की ओर झुका था। उनकी चूचियाँ ज़मीन की ओर लटक रही थीं, गुलाबी निप्पल हवा में चमक रहे थे। अब्दुल ने उनकी गांड में लंड डालकर तेज़-तेज़ धक्के मारे, हर धक्के के साथ उनकी गांड काँप रही थी, जैसे कोई जेली तूफान में लहरा रही हो। “साली, तेरी गांड तो मेरे लंड की गुलाम है!” वो चिल्ला रहा था। आरती की चूत में उसकी उंगलियाँ तूफान की तरह चल रही थीं, और उनकी चूत रस और थूक से चिपचिपी हो गई थी। “चोद, साले... मेरी गांड को फाड़ दे... ये मज़ा... मैं मर जाऊँगी!” मामी उत्तेजना मे बड़बड़ा रही थीं, उनकी आँखें वासना से लाल थीं।

मेरी मामी को अब ऐसा मज़ा आ रहा था, जो उन्होंने पहले कभी नहीं लिया। उनकी गांड अब्दुल के लंड को पूरी तरह निगल ले रही थी, हर धक्के पर सिकुड़-खुल रही थी, जैसे कोई रसीला फूल खिल रहा हो। 

“हाय... अब्दुल... गांड मरवाने में इतना सुकून है... इतना आनंद... और चोद!” वो सिसकार रही थीं, उनकी चूत फड़क रही थी, और उनकी जाँघें काँप रही थीं। अब्दुल ने उनकी गांड को और ज़ोर से थपथपाया, “साली, तेरी गांड तो लंड की रानी है!” उसने लंड को बाहर निकाला, उनकी गांड का छेद खुला रह गया, और फिर ज़ोर से पेल दिया। “आह... तेरा लंड मेरी गांड को जला रहा है... और ज़ोर से!” आरती चीखी, उनकी चूचियाँ ज़मीन पर रगड़ रही थीं।अब्दुल ने उनकी गांड में लंड को गहरे तक धकेला, उसका सुपारा उनकी गांड की दीवारों को रगड़ रहा था। “साली, तेरी गांड तो मेरे लंड को निचोड़ रही है!”

मामी की गांड हर धक्के पर लहरा रही थी, और उनकी चूत से रस की धार टपक रही थी। “चोद, हरामी... मेरी गांड को ढीला कर दे... ये सुकून... हाय!” वो चिल्ला रही थीं, उनकी साँसें इतनी तेज़ थीं कि छत की हवा गर्म हो गई। अब्दुल ने उनकी चूत में उंगलियाँ और तेज़ कीं, उनकी चूत की फाँकें फड़क रही थीं, और रस उनकी जाँघों को चिपचिपा बना रहा था

तभी अब्दुल ने आरती को गोद में उठाया, उनकी मोटी, मुलायम गांड उसके लंड पर टिकी थी, और वो तेज़-तेज़ धक्के मार रहा था। उनकी चूचियाँ हवा में उछल रही थीं, गुलाबी निप्पल चमक रहे थे, और उनका पसीना उनके गोरे जिस्म को ग्लॉसी बना रहा था। “साली, तेरी गांड तो मेरे लंड को खा रही है!” अब्दुल वासना मे भरा बड़बड़ा रहा था.

इधर मेरा भी बुरा हाल था, मेरे हाथ अपने लंड को घिस रहे थे, मामी की चूत  रस छोड़ रही थी, और उनकी जाँघें काँप रही थीं। 22972481 “चोद, साले... मेरी गांड को फाड़ दे... ये मज़ा... ये सुकून!” वो चीख रही थीं, उनकी आँखें वासना और आनंद से चमक रही थीं। उनकी गांड हर धक्के पर सिकुड़-खुल रही थी, जैसे कोई रसीला खेल।अचानक, आरती की चूत फड़कने लगी, उनकी जाँघें ज़ोर-ज़ोर से काँप रही थीं, और वो चीखी, “हाय... मेरा पानी निकल रहा है... मेरी चूत फट जाएगी!” उनकी चूत से रस के साथ पेशाब की गर्म धार फूट पड़ी, “सस्स... फिस्स...” की तेज़ आवाज़ के साथ पेशाब अब्दुल की उंगलियों और लंड को भिगो रहा था। “हाय... मेरा पेशाब निकल गया... तूने मेरी गांड और चूत फाड़ दी!” आरती चिल्लाई, उनकी आँखें शर्म, संतुष्टि, और अनोखे आनंद से चमक रही थीं। अब्दुल ने हँसते हुए कहा, “साली, तेरी चूत तो पेशाब का फव्वारा है!” उसने उनकी गांड में और ज़ोर से धक्के मारे, और उनकी चूत से फिर से पेशाब की धार निकली। “आह... मैं फिर झड़ रही हूँ!” वो चीखीं, उनकी चूचियाँ उछल रही थीं।

अब्दुल ने आखिरकार आरती की गांड में माल छोड़ा, beautiful-ass-getting-filled-with-cum-001 उसका गर्म माल उनकी टाइट गांड में भरा था, और कुछ बूँदें उनकी चूत तक बह गईं। “साली, तेरी गांड को भर दिया!” वो हाँफते हुए बोला। आरती की चूत और गांड रस, थूक, पेशाब, और माल से गीली, चिपचिपी थीं। वो हाँफते हुए ज़मीन पर लेट गईं, उनकी गोरी त्वचा पसीने और माल से चमक रही थी। “हाय... तूने मेरी गांड फाड़ दी... लेकिन इतना मज़ा... गांड मरवाने में ऐसा सुकून, ऐसा आनंद... मैंने पहले कभी नहीं लिया!” उनकी आँखें संतुष्टि और नई खोज से चमक रही थीं।

 अब्दुल ने गंदी हँसी केसाथ कहाँ " जब तक यहाँ हूँ रोज़ तेरी गांड मरूंगा ".

मेरी मामी सिर्फ मुस्कुरा कर रह गई, 

"सब तेरा ही है अब्दुल, पूरी दुनिया के सामने तुझसे चुदवा सकती हूँ मैं "

मामी और अब्दुल के गंदे होंठ आपस मे मिल गए. 20210804-172126

छिई... छी.. यक... कोई अब्दुल जैसे आदमी को कैसे चुम सकता था, 

चुदाई ख़त्म हो गई थी मैं चुपके से पीछे हटा, मेरा लंड पजामे में दर्द कर रहा था,और दिमाग़ उलझन में डूबा था। “ये क्या हो रहा है मेरे घर में? पहले मेरी माँ  फिर मौसी, अब मामी... सब चुदक्कड़?” वो सीढ़ियाँ उतर गया, लेकिन उसकी आँखों के सामने आरती की मोटी गांड की ताबड़तोड़ चुदाई, पेशाब का फव्वारा, और उनके रसीले अंगों का नज़ारा बार-बार घूम रहा था।


*******

मेरा सर चकरा रहा था, जब से हम दिल्ली से निकले है तब से ही मेरी जिंदगी मे मुझे बहुत कुछ देखना पढ़ रहा था,

मैं कितना नादान था, मुझे अपनी घर की औरतों के बारे मे ही नहीं पता था.

खेर सुबह के 9 बज गए थे, जगह जगह मेहमानों का जमवाड़ा था, 

मामी सभी के लिए खाने का इंतेज़ाम कर रही थी, मैंने देखा उनके चेहरे पे एक अजीब सी चमक थी, सुकून था.. होता भी क्यों ना अब्दुल ने वो सुख दिया था जो कभी मामी के नसीब मे भी नहीं था.b7804e261bcb3ee3d9cfefe462fb43b2

ये सुख संयोगवंश ही उन्हें मिल गया था, जिसकी शुरुआत बाथरूम से हुई थी, जहाँ मेरी माँ को जाना था लेकिन गलती से मामी पहुंच गई थी.

मामी गुलाबी साड़ी मे क्या क़यामत लग रही थी, किसी का भी लंड खड़ा हो जाये उन्हें देख कर, कई जवान और बूढ़ी आंखे मामी के कसे हुए जिस्म पर ही टिकी हुई थी.

साड़ी का पल्लू इस कद्र था की एक स्तन ब्लाउज मे कसा हुआ साफ दिख रहा था, ऊपर से स्तन की कोमल घाटी सुंदरता मे चार चाँद लगा रही थी, 

अब्दुल किस्मत वाला था जो मेरी sexy कामुक मामी के दोनों छेदो को अपने लंड से भेद चूका था.

माँ का ध्यान आते ही मेरी नजर उन्हें ढूंढने लगी.

मैंने देखा रसोई के पास ही आदिल और मेरी माँ बाते कर रहे थे, माँ की आँखों मे बेचैनी साफ दिख रही थी, जैसे कुछ अधूरा सा हो.

होता भी क्यों ना माँ का जिस्म उसे बेचैन कर रहा था, उसकी वासना उसे तड़पा रही थी, माँ हर वक़्त ही अधूरी रह जाया करती थी.

"अरे अमित तेरी माँ कहाँ है?" अचानक पीछे से आई आवाज़ से मेरा ध्यान भंग हुआ.

"वो.. वो सामने ही तो है " मैंने सामने इशारा कर दिया.

"अरे भाभी.... कहाँ बिजी हो, मार्किट जा कर लहंगा नहीं लाना क्या?" मामी वही से आवाज़ देती हुई माँ की तरफ चल दी.

मामी की गांड आज ज्यादा ही लचक रही थी, ऐसे लग रहा था जैसे गांड फ़ैल गई हो.

इसका कारण मे जानता ही था, लेकिन जैसे ही लहंगे की बात मेरे भेजे मे घुसी मुझसे पिछला वाक्य याद आ गया जब उस बूढ़े टेलर किरोड़ी ने माँ को उत्तेजित कर दिया था परन्तु कुछ कर ना सका.

मैंने दूर से ही देखा माँ के चेहरे पे एक अजीब सी मुस्कुराहट सी आ गई थी.

थोड़ी देर मे फैसला हुआ, की माँ के साथ मैं और दीदी अनुश्री भी जायेंगे, अब्दुल को ले जाना था कार चलाने के लिए लेकिन मामी ने कहाँ कुछ काम है, आदिल कार चला लेगा.

साला ये मामी तो अब्दुल के लंड की प्यासी हुई बैठी थी यहाँ.

12 बज गए थे इसी गहमा गहमी मे, प्रवीण और मोहित मेरे जीजा जी के साथ तैयारीयों का जायजा ले रहे थे, अब्दुल मेहमानों का छोटा मोटा इंतेज़ाम देख रहा था.

कार आदिल चला रहा था, उसके बाजु माँ आगे की सीट पर बैठ गई, और पीछे मैं और मेरी दीदी अनुश्री.

माँ ने एक चमकदार नीली साड़ी पहन रखी थी, साथ ही सुन्दर स्लीवलेस ब्लाउज. गोरा चेहरा चमक रहा था.

"क्या बात है आंटी मस्त लग रही हो " आदिल ने माँ की तारीफ करते हुए कहाँ.

"क्या तु भी छेड़ता रहता है मुझ बूढ़ी को " माँ ने शरमाते हुए पल्लू को ऐसे ठीक किया, की ब्लाउज से स्तन की गोलाईया झाँकने लगी.

साली मेरी माँ छुपा रही थी या दिखा रही थी. e7abf64f0df97f2b2decdcbd4a23a91e

"कौन कहता है आप बूढ़ी है, देखना शादी मे आप भी सबसे मस्त लगोगी, क्यों अमित?" आदिल की नजरें माँ के स्तनों पर ही थी, जिसे माँ ने ढकने की कोई कोशिश नहीं की.

"हाँ माँ सच मैं आ बहुत सुन्दर लग रही हो, आपको ऐसा देख के अच्छा लगा, कब तक वो गांव खेड़े की धूल फांकते रहना " पीछे बैठी अनुश्री ने भी आदिल की बात का समर्थन किया.

"बस बस अब चुप करो रहने दो तुम लोग तो " माँ झेम्प गई.

मैंने देखा अनुश्री भी माँ को उकसा रही थी, खुद मेरी दीदी ने दीपनैक का कुर्ता पहना हुआ था, दुप्पटा का होना ना होना एक बात थी, आगे झुकने से पुरे स्तन बाहर को लुढ़क लुढ़क कर आ रहे थे, ऊपर से टाइट लेगी मे अनुश्री की मोटी कसी हुई जाँघे अपनों कामुकता बयान कर रही थी..

आदिल सामने मिरर मे मेरी बहन के boobs भी निहार ले रहा था.

साला किस्मत वाला था मेरे घर के दोनों माल के स्तन को घूर रहा रहा.

कोई 20 मिनिट मे हम लोग मार्किट पहुंच गए, 

मार्केट की गलियाँ दोपहर की हल्की धूप में चमक रही थीं। हवा में फूलों की मादक सुगंध और ताज़ा पकवानों की खुशबू घुली थी, जो हर आने-जाने वाले को एक अजीब-सी बेचैनी दे रही थी। किरोड़ी की दुकान, “किरोड़ी सिल्क एम्पोरियम”, हमेशा की तरह रंग-बिरंगे लहंगों और चमकदार साड़ियों से सजी थी। दुकान का पुराना साइनबोर्ड हवा में हल्के-हल्के झूल रहा था, जैसे वो भी आज के माहौल की गर्मी को महसूस कर रहा हो।“माँ, आप लहंगा देखो, मैं आती हूँ, कुछ सामान लेना है मुझे मार्केट से,” अनुश्री ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा। उसने एक  सलवार-कमीज पहनी थी, जो उसके भरे पुरे आकर्षक फिगर को उभार रही थी। उसका दुपट्टा हल्का-सा सरक गया था, और उसके बड़े भारी गोल सुडोल स्तन कुर्ते के तंग कपड़े में हल्के से उभरे हुए थे।

रेशमा और अनुश्री की जिस्म मे सिर्फ उम्र का फर्क था, अनुश्री नयी शराब की बोत्तल थी, वही रेशमा पुरानी शराब.

“अरे बेटा, साथ चलते हैं ना, ज्यादा टाइम नहीं लगेगा,” रेशमा ने अपनी साड़ी ठीक करते हुए कहा। उसकी आवाज़ में एक हल्की-सी बेचैनी थी, जैसे वो खुद को संभालने की कोशिश कर रही हो।


“लेडीज़ टेलर का कोई भरोसा नहीं होता, माँ,” अनुश्री ने हँसते हुए कहा। 

“आप जाओ, काम हो जाए तो फोन कर देना। चल, अमित!” उसने अमित की ओर देखा।

“अ… लेकिन दीदी, मैं कैसे? मुझे तो कार चलानी नहीं आती,” अमित ने हड़बड़ाते हुए कहा। उसकी नजरें अपनी माँ पर टिकी थीं, और वो जानता था कि वो रेशमा के साथ ही रहना चाहता है। रेशमा के हाव-भाव उसे कुछ ठीक नहीं लग रहे थे। उसकी माँ की खूबसूरती और उसकी देह की वो मादकता उसे बार-बार अपनी ओर खींच रही थी।

“ठीक है, आदिल, तो तुम चलो,” अनुश्री ने सीधे आदिल की ओर देखकर कहा।

“आ… हाँ… हाँ… चलता हूँ, दीदी,” आदिल एकदम से चौंक गया। उसकी नजरें अनुश्री के स्तनों पर टिकी थीं, जो उसके तंग कुर्ते में हल्के से उभरे हुए थे। अनुश्री ने उसकी नजरों को परख लिया था, लेकिन उसने जानबूझकर अपना दुपट्टा ठीक नहीं किया। उसकी आँखों में एक शरारत थी, जैसे वो आदिल को और उकसाना चाहती हो।

“उफ्फ… मेरी घर की औरतें,” अमित ने एक लंबी साँस भरी और रेशमा के साथ दुकान के अंदर घुस गया।आदिल और अनुश्री मार्केट की दूसरी गली की ओर निकल गए।

रेशमा ने दुकान की चौखट पर कदम रखा, और उसका दिल धक-धक करने लगा। आज वो दिन था जब उसका लहंगा तैयार होकर आना था। पिछले हफ्ते जब वो किरोड़ी के पास फिटिंग के लिए आई थी, तब किरोड़ी की चिकनी-चुपड़ी बातें और उसकी भारी नजरें रेशमा के मन में कहीं गहरे तक उतर गई थीं। वो जानती थी कि वो यहाँ सिर्फ लहंगा लेने नहीं आई। उसके जिस्म में एक सुलगती-सी आग थी, जो हर कदम के साथ और भड़क रही थी। उसकी चूत में वो गीलापन पहले से ही शुरू हो चुका था, 

 किरोड़ी की दुकान की हवा उसकी त्वचा के रोंगटे खड़े कर दे रही थी, जांघो के बीच एक अजीब सी गुदगुदी ने जगह बना ली थी।

रेशमा ने अपनी साड़ी को हल्का-सा ठीक किया, पल्लू से अपने भारी स्तनों को ढक लिया, जो थोड़ी देर पहले बाहर झाँक रहे थे। साड़ी का कपड़ा इतना तंग था कि उसके मोटे, गोल स्तन हर साँस के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसका पल्लू बार-बार सरक रहा था, और वो चाहकर भी अपनी देह को छुपा नहीं पा रही थी। रेशमा की खूबसूरती ऐसी थी कि वो किसी की भी नजरों को अपनी ओर खींच लेती थी। उसका गोरा रंग, भरी-पूरी देह, और गहरी काली आँखें—सब कुछ एक मादक जादू की तरह था। उसके स्तन इतने बड़े और गोल थे कि वो हर कपड़े में उभरकर सामने आते थे। उसकी कमर पतली थी, लेकिन कूल्हे इतने भारी और गठीले कि हर कदम के साथ वो लय में हिलते थे। 

उसकी जाँघें मांसल थीं, और उसकी चिकनी त्वचा पर हल्की-सी चमक थी, जैसे वो रेशम से बनी हो। उसका नाम, रेशमा, उसके जिस्म पर बिल्कुल सटीक बैठता था।

“माँ, चलो ना, किरोड़ी अंकल इंतज़ार कर रहे होंगे,” अमित ने पीछे से आवाज़ लगाई। उसकी नजरें अपनी माँ की खूबसूरती पर टिकी थीं, और आज उनमें एक अजीब-सी उत्तेजना थी। रेशमा ने हल्के से मुस्कुराकर उसकी ओर देखा और दुकान के अंदर कदम रखा।

दुकान के अंदर हल्की-सी ठंडक थी, लेकिन माहौल में एक गर्मी थी। किरोड़ी अपनी पुरानी कुर्सी पर बैठा, कुछ रजिस्टर में लिख रहा था। उसकी उम्र पचास के आसपास थी, लेकिन उसकी आँखों में एक जवान लड़के जैसी भूख थी। उसका चेहरा चिकना था, और वो एक काले रंग की सिल्क की कुर्ती पहने था, जो उसके चौड़े कंधों पर एकदम फिट थी।


“अरे, रेशमा जी! आइए, आइए,” किरोड़ी की नजरें रेशमा और अमित पर पड़ते ही वो कुर्सी से उठ खड़ा हुआ। उसकी आवाज़ में एक मिठास थी, जैसे वो हर शब्द को जानबूझकर खींच रहा हो। 

“आज तो आप और भी खूबसूरत लग रही हैं। ये साड़ी… उफ्फ्फ... आप पर खूब जँच रही  है।” किरोड़ी ने मेरी माँ को देखते ही तारीफ के पूल बांधना शुरू कर दिया.

बुड्ढा बड़ा हरामी था, वो जानता था एक औरत को कैसे खुश करना होता है, एक नजर मे उसने माँ को ऊपर से नीचे पूरा स्कैन कर लिया था.

रेशमा ने हल्का-सा शरमाकर नजरें झुका लीं, लेकिन उसके जिस्म में एक सिहरन दौड़ गई। किरोड़ी की तारीफें उसके लिए नई नहीं थीं, लेकिन हर बार वो कुछ ऐसा कहता था कि रेशमा का मन डोल जाता था।

 “बस, किरोड़ी जी, आप भी ना,” उसने हल्के से हँसते हुए कहा।

“लहंगा तैयार है, ना अंकल ?” मैंने बीच में टोकते हुए पूछा।

“हाँ, बेटा, बिल्कुल तैयार है,” किरोड़ी ने अमित की ओर देखकर कहा, लेकिन उसकी नजरें रेशमा के चेहरे से होते हुए उसके भारी स्तनों पर ठहर गईं।

 “रेशमा जी, आप एक बार ट्रायल रूम में जाकर देख लीजिए। मैंने आपके लिए खास डिज़ाइन करवाया है। ऐसा लहंगा पूरे मार्केट में नहीं मिलेगा।”

रेशमा ने हल्का-सा सिर हिलाया और ट्रायल रूम की ओर बढ़ी। किरोड़ी ने अपने नौकर को इशारा किया, और उसने एक चमकदार गुलाबी लहंगे के साथ एक छोटा-सा ब्लाउज रेशमा को थमा दिया। रेशमा ने कपड़े लिए और ट्रायल रूम के पर्दे के पीछे चली गई। 

टॉयल रूम छोटा था, लेकिन साफ। एक बड़ा शीशा दीवार पर लगा था, और हल्की रोशनी कमरे को एक मादक माहौल दे रही थी। रेशमा ने अपनी साड़ी उतारी, सामने इसका नंगा जिस्म सिर्फ ब्रा पैंटी मे चमक रहा था, 5304bcd8b1be7af73e9e4817eff6abcf उसकी नजरें अपनी जांघो के बीच गई जहाँ एक गिला सा धब्बा बन चूका था, रेशमा हैरान थी की उसका जिस्म उसकी मर्ज़ी के बिना काम कर रहा है, 

उसने अपने मादक जिस्म को इग्नोर करते हुए लहंगे को पहनना शुरू किया। लहंगा भारी था, लेकिन उसका कपड़ा इतना मुलायम था कि वो रेशमा की त्वचा पर रेशम की तरह फिसल रहा था। उसने लहंगे को अपनी कमर पर बाँधा और फिर ब्लाउज की ओर देखा।ब्लाउज को देखते ही रेशमा का दिल धक से रह गया। ये इतना छोटा और तंग था कि उसे समझ ही नहीं आया कि इसे कैसे पहना जाए। उसने ब्लाउज को हाथों में लिया और शीशे के सामने खड़ी हो गई। 

ब्लाउज को उसने अपने सीने ऐ लगा कर देखा, इस से बड़ी तो उसकी ब्रा थी, रेशमा झेप सी गई, कैसे पहनेगी वो ये सब शादी मे, लोग क्या सोचेंगे.

"क्या माँ आप सुन्दर दिख रही हो, अभी भी गांव की गँवार बनी रहोगी," अनुश्री के शब्द उसके कानो मे गूंज उठे.

रेशमा ने हिम्मतबकर अपनी ब्रा को सीने से आज़ाद कर दिया, धमममममम.... से उसके सुडोल स्तन बाहर खुली हवा मे सांस लेने लगे.

उफ्फ्फ्फ़..... क्या राहत थी इस कृत्य मे,

उसके हाथ अभी भी कांप रहे थे उस ब्लाउज को पहनने के लिए, लेकिन जब से वो यहाँ आई है इसमें अपने जिस्म की तारीफ ही सुनी है, तो फिर इस जिस्म को दिखाने मे कैसे शर्म, उसके दिल के किसी कोने से एक आवाज़ सी आई, 20210903-215421 जिसने उसके हौसले बड़ा दिए .

रेशम के हाथ खुद ही अपने स्तनों पर कसते चले गए, "ईईस्स्स्स...... उउउफ्फ्फ्फ़.... उसके गले से हलकी सरसराहत सी निकल गई.

जैसे अपने स्तनों को नाप रही हो, तैयार कर रही हो खुद को इस तंग ब्लाउज को पहनने के लिए, एक अजीब सी आग लग गई थी उसके स्तनों मे, निप्पल बिल्कुल कील की तरह टन गए थे.

उउउफ्फ्फ.... आअह्ह्ह.... रेशमा की उंगलियां खुद के निप्पलो पर ही चल पड़ी.

उफ्फ्फ... क्या सुकून था.

जल्द ही रेशमा ने खिड़की को संभाला, बंद होती आंखे अचानक खुल गई, उसे समझ आ गया की वो कहाँ है, उसने अपनी भावना पर लगाम कसी और ब्लाउज को अपने हाथो मे ले लिया और एक बार फिर सीने से चिपका कर देखा, लगभग पुरे स्तन बाहर उजागर थे, 

ब्लाउज का कपड़ा पारदर्शी-सा था, और उसकी सिलाई ऐसी थी कि वो रेशमा के भारी स्तनों को और उभार दे। उसने हिम्मत करके ब्लाउज को पहनना शुरू किया।जैसे ही उसने ब्लाउज को अपने शरीर पर चढ़ाया, उसका दिल और तेजी से धड़कने लगा। ब्लाउज इतना तंग था कि उसके मोटे, गोल स्तन उसमें कैद होने के बजाय और उभरकर सामने आ गए। कपड़ा इतना पतला था कि उसके गहरे भूरे निपल्स की आकृति साफ दिख रही थी। 3d3e51068a3973b6c25889c9946ca714 रेशमा ने शीशे में खुद को देखा, और उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया। लेकिन साथ ही, उसके जिस्म में एक सुलगती-सी गर्मी दौड़ गई, उसकी चूत से रिसता हुआ पानी, वो गीलापन अब और बढ़ गया, वो चाहकर भी अपनी उत्तेजना को रोक नहीं पा रही थी। वो अपने जिस्म कक देख कर उत्तेजित हो रही थी, ऐसा उसने आज से पहले महसूस नहीं किया था, इतनी सुन्दर कब दिखी थी पता नहीं.


“रेशमा जी, सब ठीक है ना?” किरोड़ी की आवाज़ बाहर से आई। उसकी आवाज़ में एक चालाकी थी।

“हाँ… हाँ, किरोड़ी जी,” रेशमा ने हड़बड़ाते हुए कहा। 

“बस, ये ब्लाउज थोड़ा… तंग है।”

“अरे, तंग तो होना ही चाहिए,” किरोड़ी ने हँसते हुए कहा। “आपके जैसे कसे हुए जिस्म की मालकिन के लिए यही सही है। 

साला किरोड़ी मेरे सामने मेरी माँ के लिए ऐसे शब्द बोल रहा था, और मैं नीरा बेवकूफ सब सुनता हुआ अपने लंड को पैंट के ऊपर से मसल रहा था, 

"जरा बाहर आकर दिखाइए, मैं देख लूँ।” किरोड़ी ने माँ को बाहर आने के लिए बोला 

मेरा दिल धक से बैठ गया, मैं खुद चाहता तो माँ को देखु कैसी लग रही है, लेकिन एक पराया मर्द मेरे सामने माँ को ब्लाउज मे देखने की बात कर रहा था, मेरे लिए ये शर्म की बात थी, लेकिन शर्म से ज्यादा मेरे लिए ये एडवेंचर था.

रेशमा ने एक गहरी साँस ली और पर्दा हटाकर बाहर आई। जैसे ही वो बाहर निकली, किरोड़ी की नजरें उस पर टिक गईं। उसकी आँखों में एक भूख थी, जो रेशमा को और बेचैन कर रही थी। अमित, जो पास ही खड़ा था, अपनी माँ को देखकर स्तब्ध रह गया। b226da6e5de78f7b7605a78cfce2a925

“माँ… ये… कमाल है,” अमित ने हकलाते हुए कहा। माँ मेरे सामने एक महीन पतले गहरे गले वाले गुलाबी लहंगे चोली मे खड़ी थी, जिसमे से उसके पुरे स्तन बाहर थे, 3bbcd0c36cecd5c77c737cceb5dff926 मैं पहली बार माँ को इस अवतार मे देख रहा था, मेरा लंड झटके खाने लगा,

माँ के सिर्फ निप्पल ही ब्लाउज मे छिपे हुए थे, छूपे क्या थे उसका भी उभार साफ दिख रहा था, यानि के मेरी माँ कमर से ऊपर एकदम नंगी ही थी.

भरा हुआ जिस्म, गहरी नाभि, उसके ऊपर सुडोल पसीने से भीगे स्तन उफ्फ्फ्फ़.... मेरी माँ दुनिया की सबसे हसीन औरत है ये मुझे साफ महसूस हो रहा था. 4c0be4b7ce1534499bdbc72f36821536

 “आप तो किसी हीरोइन से कम नहीं लग रही।” मेरे मुँह से अनायास ही माँ की तारीफ निकल गई.

रेशमा ने हल्का-सा मुस्कुराया, लेकिन उसकी नजरें किरोड़ी पर थीं।

 किरोड़ी धीरे-धीरे उसके पास आया और बोला, “रेशमा जी, ये लहंगा तो आपके लिए बना है। और ये ब्लाउज… हाय, क्या बात है। आपके कर्व्स को और निखार रहा है।”रेशमा का चेहरा लाल हो गया।

 वो जानती थी कि किरोड़ी की नजरें उसके स्तनों पर टिकी थीं। ब्लाउज इतना तंग था कि उसके मोटे, गोल स्तन हर साँस के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे। 2485fd4d3cc5b791b426381fd91e8edb किरोड़ी की नजरें उसके निपल्स की आकृति पर ठहरीं, और उसने हल्के से होंठ चाटे।


“किरोड़ी जी, ये ब्लाउज थोड़ा… ज्यादा छोटा नहीं है?” रेशमा ने हल्के से कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में कमजोरी थी।

“अरे, रेशमा जी, ये तो आजकल का फैशन है,” किरोड़ी ने चालाकी से कहा। “और आपके जैसे फिगर पर तो ये और जंचता है। जरा मेरे साथ यहाँ आइए, मैं आपको शीशे में दिखाता हूँ।"

ये सब कुछ मेरे सामने ही हो रहा था, और मैं ऐसे रियेक्ट कर रहा था जैसे सब कुछ सामान्य हो.

मेरी माँ का ध्यान मेरी तरफ बिल्कुल भी नहीं था, उसके लिए तो जैसे मैं यहाँ मौजूद ही नहीं था.

माँ का ये व्यवहार मेरे लिए बहुत अजीब था, क्या उसके दिल मे मेरे लिए कोई शर्म, डर, सम्मान नहीं बचा था .

तभी किरोड़ी ने रेशमा का हाथ पकड़ा और उसे दुकान के एक बड़े शीशे के सामने ले गया। रेशमा का दिल इतनी तेजी से धड़क रहा था कि उसे लग रहा था कि उसकी साँसें रुक जाएँगी। किरोड़ी उसके पीछे खड़ा था, और उसकी गर्म साँसें रेशमा की गर्दन पर महसूस हो रही थीं।

“देखिए, रेशमा जी,” किरोड़ी ने धीरे से कहा, उसका हाथ रेशमा की कमर पर हल्के से सरकता हुआ जा टिका।

 “ये लहंगा आपके कूल्हों पर कितना फिट है। और ये ब्लाउज… हाय, आपके स्तन तो इसमें और भी खूबसूरत लग रहे हैं।”रेशमा की चूत में अब वो गीलापन इतना बढ़ गया था कि उसे अपनी जाँघों के बीच एक सनसनी महसूस हो रही थी। 

जांघो के बीच कुछ गीली सी लॉलसती चासनी बहती सी महसूस हो रही थी, जो की चुत से निकल जांघो पर नीचे की ओर फिसल रही थी.

वो जानती थी कि वो किरोड़ी के जाल में फँस रही थी, लेकिन उसका शरीर उसका साथ नहीं दे रहा था। किरोड़ी का हाथ अब उसकी कमर से नीचे सरक रहा था, और वो धीरे-धीरे उसके भारी कूल्हों को सहला रहा था।

“किरोड़ी जी… ये… ठीक नहीं है,” रेशमा ने हल्के से कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में कोई ताकत नहीं थी।

“अरे, रेशमा जी, मैं तो बस फिटिंग चेक कर रहा हूँ,” किरोड़ी ने हँसते हुए कहा। उसने अपना चेहरा रेशमा की गर्दन के और करीब लाया और धीरे से कहा,

 “आपके जैसी औरत को तो हर कोई चाहेगा। आप तो आग हैं, आग।”रेशमा की साँसें अब और भारी हो रही थीं। किरोड़ी का हाथ अब उसके कूल्हों से ऊपर की ओर बढ़ रहा था, और वो धीरे-धीरे उसके स्तनों की ओर जा रहा था। रेशमा ने अपनी आँखें बंद कर लीं। उसकी चूत अब इतनी गीली थी कि उसे लग रहा था कि वो अभी पिघल जाएगी।

ये सब मैं अपनी आँखों से देख रहा था, ये सब मेरी आँखों के सामने खुले मे हो रहा था, किरोड़ी बूढ़ा साला हरामी मेरी माँ के जिस्म को सहला रहा था मेरे ही सामने उसे डर ही नहीं था मेरा..

होता भी कैंसर साला मैं ही किसी नपुंसक ही तरह कुर्सी पर बैठा लंड मसल रहा था,

पहले सब कुछ छुप छुप कर होता था, लेकिन आज तो खुले मे.. क्या मेरी माँ बेशरम हो चुकी है या उसे समझ आ चूका है की मैं कुछ नहीं बोलूंगा.

मेरा मन कोतुहाल से भर गया था.

आखिर मेरी माँ के मन मे है क्या?

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उधर दूसरी तरफ मार्केट की दूसरी गली में अनुश्री और आदिल एक लेडीज़ अंडरगारमेंट्स की दुकान के सामने रुके। अनुश्री ने जल्दबाज़ी में सिर्फ एक जोड़ी ब्रा-पैंटी लाई थी, और अब उसे कुछ नई जोड़ियाँ चाहिए थीं। दुकान छोटी-सी थी, लेकिन उसमें रंग-बिरंगे ब्रा और पैंटी की वैरायटी सजी थी। दुकान का मालिक, एक अधेड़ उम्र का आदमी, काउंटर पर बैठा था, और उसकी नजरें अनुश्री पर टिकी थीं।

“आदिल, तू यहाँ रुक, मैं अंदर जाकर देखती हूँ,” अनुश्री ने कहा, लेकिन उसकी आँखों में एक शरारत थी। वो जानती थी कि आदिल उसकी हर हरकत पर नजर रख रहा है।

“अरे, दीदी, मैं… मैं बाहर ही रुकूँ?” आदिल ने हकलाते हुए कहा। उसकी नजरें अनुश्री के स्तनों पर थीं, जो उसके तंग कुर्ते से बाहर झाँक रहे थे, उभरे हुए थे।

“हाँ, रुक ना,” अनुश्री ने हँसते हुए कहा। “या फिर… अगर मन और हिम्मत हो तो अंदर आ जा।” उसने अपनी भौंहें उठाईं और एक सेडक्टिव मुस्कान दी।

आदिल का चेहरा लाल हो गया। वो जानता था कि अनुश्री उसे उकसा रही है। “ठीक है… मैं… मैं आता हूँ,” उसने हिम्मत जुटाकर कहा।

दुकान के अंदर हल्की-सी ठंडक थी। अनुश्री ने काउंटर पर रखी ब्रा और पैंटी की वैरायटी को देखना शुरू किया। उसने एक काली लेस वाली ब्रा उठाई और उसे अपने स्तनों के सामने रखकर शीशे में देखा। 

“ये कैसी लग रही है, आदिल?” उसने जानबूझकर धीरे से पूछा, उसकी आवाज़ में एक मादकता थी।

आदिल की साँसें रुक गईं। “वो… वो… बहुत अच्छी है, दीदी,” उसने हकलाते हुए कहा। उसकी नजरें अनुश्री के स्तनों पर टिकी थीं, जो ब्रा के ऊपर हल्के से उभरे हुए थे।अनुश्री ने हल्के से हँसते हुए ब्रा को वापस रखा और एक लाल रंग की पैंटी उठाई।

 “और ये? ये कैसी लगेगी मुझ पर?” उसने पैंटी को अपनी कमर के सामने रखा और शीशे में देखा। उसने जानबूझकर अपनी कमर को हल्का-सा हिलाया, जिससे उसकी सलवार उसके कूल्हों पर और तंग हो गई।आदिल का गला सूख रहा था।

 “दीदी… तुम… तुम पर तो सब कुछ अच्छा लगेगा,” उसने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब-सी बेचैनी थी।अनुश्री ने मुस्कुराते हुए दुकान के मालिक की ओर देखा। 

“भैया, मैं इन्हें ट्राय करना चाहती हूँ। ट्रायल रूम कहाँ है?”दुकानदार ने एक छोटे-से पर्दे की ओर इशारा किया। अनुश्री ने ब्रा और पैंटी ली और ट्रायल रूम की ओर बढ़ी। उसने पर्दा हल्का-सा खुला छोड़ दिया, जैसे वो चाहती हो कि आदिल की नजरें उस पर पड़ें।ट्रायल रूम के अंदर, अनुश्री ने अपनी सलवार-कमीज उतारी। उसने काली लेस वाली ब्रा पहनी, जो उसके बड़े सुडोल स्तनों पर बिल्कुल कस गई, और उन खूबसूरत खरबूजो को उभार रही थी। ब्रा का कपड़ा इतना पतला था कि उसके निपल्स की आकृति हल्के से दिख रही थी। उसने लाल पैंटी पहनी, जो उसकी पतली कमर और गोल कूल्हों पर एकदम फिट थी। पैंटी का कपड़ा इतना तंग था कि उसकी चूत की आकृति हल्के से उभर रही थी। 

अनुश्री ने शीशे में खुद को देखा और एक शरारती मुस्कान दी।“आदिल, जरा इधर आना,” उसने धीरे से पुकारा।

आदिल ने हड़बड़ाते हुए पर्दे के पास जाकर देखा। अनुश्री ब्रा और पैंटी में खड़ी थी, और उसकी देह की हर रेखा आदिल की साँसें रोक रही थी। “दीदी… ये… ये क्या?” उसने हकलाते हुए कहा। 23630be76c2c23bb9a882f98fa139ee1 अभी तक आदिल ने जो कुछ भी देखा था ये दृश्य उन सब से बेहतर था, उसका तो मुँह खुला का खुला रह गया, आंखे बाहर निकलने को आतुर हो गई, 

“बता ना, ये ब्रा कैसी लग रही है?” अनुश्री ने जानबूझकर अपनी छाती को थोड़ा और आगे किया। उसकी चूत में अब वो गीलापन शुरू हो चुका था, और वो जानती थी कि वो आदिल को तड़पा रही है।

आदिल की नजरें अनुश्री के स्तनों पर टिकी थीं। “दीदी… बहुत… बहुत अच्छी है,” उसने कहा, उसकी आवाज़ काँप रही थी।अनुश्री ने हल्के से हँसते हुए कहा,

 “जरा पास आ, ये ब्रा की फिटिंग ठीक है ना?”आदिल ने हिम्मत जुटाकर एक कदम आगे बढ़ाया। उसने बहाने से अनुश्री के कंधे पर हाथ रखा और ब्रा की स्ट्रैप को हल्के से छुआ। उसका अंगूठा जानबूझकर अनुश्री के स्तन के ऊपरी हिस्से को छू गया। अनुश्री की साँसें भारी हो गईं, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।

“आदिल, ये पैंटी कैसी है?” अनुश्री ने धीरे से पूछा, और अपनी कमर को हल्का-सा हिलाया। पैंटी इतनी तंग थी कि उसकी चूत की आकृति और गीलापन हल्के से दिख रहा था।आदिल का गला सूख गया। उसने बहाने से अनुश्री की कमर पर हाथ रखा, और उसका अंगूठा पैंटी के किनारे को छू गया। उसने महसूस किया कि अनुश्री की चूत गीली थी, और उसकी साँसें और तेज हो गईं। 

“दीदी… ये… बहुत अच्छी है,” उसने हकलाते हुए कहा।

अनुश्री ने एक शरारती मुस्कान दी। “बस, अब तू बाहर जा,” उसने कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में एक मादकता थी। वो जानती थी कि वो आदिल को तड़पा रही है, और उसे ये खेल पसंद आ रहा था।


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अमित की माँ और बहने दोनों काम उत्तेजना मे बह रही है.

आगे क्या होना है, क्या दोनों आज अपनी प्यास बुझा लेंगी..

देखते है आगे....


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2 Comments

  1. Waah kya update diya hain bhai...har ek hisse mein jabardast mahoul bana hua hain. aur updates aane do.

    Shukriya

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    1. थैंक यू भाई, पढ़ते रहो, अपडेट आते रहेंगे

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