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मेरी माँ रेशमा -14

मेरी माँ रेशमा -14 Picsart-25-05-21-15-30-00-234


रेशमा की साँसें अब और भारी हो रही थीं। किरोड़ी का हाथ उसके भारी कूल्हों से ऊपर की ओर बढ़ रहा था, और वो धीरे-धीरे उसके स्तनों की ओर जा रहा था। रेशमा ने अपनी आँखें बंद कर लीं। उसकी चूत अब इतनी गीली थी कि उसे लग रहा था कि वो अभी पिघल जाएगी। जाँघों के बीच वो चिपचिपी, लसलसी चासनी-सी गर्मी, जो अब उसकी त्वचा पर फिसल रही थी, उसे और बेचैन कर रही थी। उसका जिस्म एक ऐसी आग में जल रहा था, जो न तो बुझ रही थी और न ही कम हो रही थी।किरोड़ी की गर्म साँसें रेशमा की गर्दन पर पड़ रही थीं, और उसकी उंगलियाँ अब उसके ब्लाउज के ऊपर से उसके भारी, गोल स्तनों को हल्के-हल्के सहला रही थीं। “रेशमा जी, आपका ये जिस्म… हाय, ये तो किसी अप्सरा से कम नहीं,” किरोड़ी ने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में एक चालाकी थी, जो रेशमा को और उत्तेजित कर रही थी।रेशमा की आँखें अब भी बंद थीं, लेकिन उसका शरीर किरोड़ी की हर हरकत का जवाब दे रहा था। उसने हल्के से अपने कूल्हों को हिलाया, और तभी उसे लहंगे में कुछ चुभता-सा महसूस हुआ। 


“किरोड़ी जी… ये लहंगा… कुछ ठीक नहीं लग रहा, कुछ चुभ रहा है,” रेशमा ने हल्के से कहा, उसकी आवाज़ में एक बनावटी शिकायत थी। शायद ये उसका बहाना था, क्योंकि किरोड़ी अमित के सामने ही उसके जिस्म से खेल रहा था, और रेशमा खुद को रोक नहीं पा रही थी। उसकी चूत की गर्मी अब इतनी तीव्र थी कि वो चाहकर भी अपनी उत्तेजना को दबा नहीं पा रही थी।

“अरे, रेशमा जी, लहंगा चुभ रहा है?” किरोड़ी ने चालाकी से कहा, उसकी आँखों में एक भूख थी। 

“चलिए, ट्रायल रूम में चलकर देखते हैं। मैं चेक कर लूँगा कि क्या दिक्कत है।” उसने रेशमा का हाथ पकड़ा और उसे ट्रायल रूम की ओर ले गया। रेशमा ने एक बार अमित की ओर देखा, जो पास ही खड़ा था, लेकिन उसकी नजरें किरोड़ी पर टिकी थीं। वो जानती थी कि वो एक खतरनाक खेल खेल रही है, लेकिन उसका जिस्म अब उसकी मर्जी से बाहर था।अमित की नजरें अपनी माँ पर थीं। वो देख रहा था कि किरोड़ी बिना किसी डर के उसकी माँ के जिस्म को सहला रहा था, और उसकी माँ भी कोई विरोध नहीं कर रही थी। उसका मन एक अजीब-से कोलाहल में था।

 एक तरफ वो अपनी माँ की मादकता का कायल था—उसके भारी स्तन, उसकी गहरी नाभि, और उसकी लचकती कमर उसे बार-बार अपनी ओर खींच रहे थे। दूसरी तरफ, किरोड़ी की हरकतों और रेशमा के बेशर्म व्यवहार ने उसे अंदर ही अंदर कचोट दिया। 

“माँ… मेरी माँ के मन में आखिर चल क्या रहा है?” उसने सोचा। उसका लंड अब भी पैंट में तना हुआ था, और वो इस उलझन में फँस गया था कि वो क्या करे।

ट्रायल रूम में घुसते ही किरोड़ी ने पर्दा हल्का-सा बंद किया, लेकिन वो पूरी तरह बंद नहीं था। रेशमा ने शीशे के सामने खड़े होकर अपने लहंगे को ठीक करने की कोशिश की। “किरोड़ी जी, ये… यहाँ कुछ चुभ रहा है,” उसने फिर से कहा, उसकी आवाज़ में एक मादकता थी, जैसे वो जानबूझकर किरोड़ी को और करीब बुला रही हो।

“रेशमा जी, जरा लहंगा उतारकर दिखाइए, मैं देख लूँगा कि सिलाई में कोई गड़बड़ तो नहीं,” किरोड़ी ने कहा, उसकी नजरें रेशमा के जिस्म पर टिकी थीं।रेशमा ने एक गहरी साँस ली, जैसे वो ना जाने कब से इसी पल के इंतज़ार मे थी रेशमा ने धीरे-धीरे लहंगे को अपनी कमर से नीचे सरकाया। 20211007-214058 जैसे ही लहंगा फर्श पर गिरा, किरोड़ी की साँसें रुक गईं। रेशमा की गोरी, चिकनी, मोटी जाँघें अब पूरी तरह नंगी थीं। उसकी चड्डी, जो पतले, पारदर्शी कपड़े की थी, पूरी तरह गीली थी। चूत का रस उसमें रिस चुका था, और उसकी चूत की लकीर साफ उभरकर सामने आ रही थी। उत्तेजना से रेशमा की चूत फूलकर कुप्पा हो गई थी, जैसे वो बेचैनी से साँस ले रही हो। उसकी जाँघों पर चूत का रस हल्के-हल्के बह रहा था, 20220507-173638 और उसकी त्वचा पर एक चमक थी, जैसे वो रेशम से बनी हो। 

किसी ने वाकई मेरी माँ का नाम रेशमा सोच समझ के ही रखा था, 

पर्दा हवा से कभी कभी थोड़ा हट जा रहा था, उसी दरार से मुझे मेरी माँ के जिस्म के दुर्लभ नज़ारे मिल रहे थे.

मेरी माँ वाकई काम वासना मे तड़प रही थी, मैं क्या कर सकता था, एक बेटा होने के नाते मुझे रोकना चाहिए था, लेकिन वो मेरी माँ से पहले एक औरत है जिसे जिस्मानी सुख कभी मिला ही नहीं, अब मिल रहा है तो मैं रोकू? ये कोई न्याय नहीं हुआ?

मैं खुद की उलझन मे था, लेकिन मेरा लंड बिल्कुल टनाटन खड़ा था.

लंड के लिए कोई रिश्ता नहीं होता सिर्फ औरत होती है, और वो सामने थी पर्दे के पीछे, 

किरोड़ी की आँखें रेशमा की जाँघों और उसकी गीली चूत पर टिक गईं, और उसका लंड पैंट में तन गया।

“हाय…उउउफ्फ्फ... रेशमा जी… ये… ये क्या नजारा है?” किरोड़ी ने हकलाते हुए कहा, उसकी आवाज़ में एक भूख थी। “आपकी ये जाँघें… ये चूत… हाय, आप तो आग हैं, आग!”रेशमा का चेहरा शर्म से लाल हो गया, लेकिन उसकी चूत की गर्मी अब और बर्दाश्त से बाहर थी। उसने अपनी जाँघें हल्के से फैलाईं, और उसकी चड्डी का गीला हिस्सा और साफ दिखने लगा। 

“किरोड़ी जी… ये… ये ठीक कर दीजिए ना,” उसने धीरे से कहा, उसकी आवाज़ में एक कराह थी, आवाज़ शहद सी मीठी हो गई थी, वासना से गला भारी हुए जा रहा था, 

किरोड़ी ने अपनी उंगलियों से रेशमा की चड्डी के किनारे को हल्के से छुआ, और उसकी सिसकारी निकल गई— “उफ्फ…आअह्ह्हम्म्म...” उसकी चूत इतनी गीली थी कि किरोड़ी ने चड्डी के दोनों किनारो को पकड़ धीरे से चड्डी को नीचे सरकाया, चड्डी जे साथ साथ एक चिपचिपी चासनी सी खींचती चली आई, रेशमा को चड्डी उसके पैरो की धूल चाट रही थी,

 रेशमा की नंगी चूत किरोड़ी के सामने थी। 20210802-164721 उसकी चूत का रस उसकी जाँघों पर बह रहा था, और उसकी फूली हुई चूत एक मादक नजारा पेश कर रही थी। 20220314-112624 रेशमा की साँसें इतनी भारी थीं कि उसके भारी, गोल स्तन तंग ब्लाउज में ऊपर-नीचे हो रहे थे। उसके निपल्स अब इतने सख्त थे कि वो ब्लाउज के पतले कपड़े को और उभार रहे थे।

किरोड़ी ये दृश्य देख ना सका उसने तुरंत अपनी पैंट उतारी, और उसका तना हुआ लंड रेशमा की मोटी, चिकनी जाँघों को छूने लगा। 

“रेशमा जी, आप तैयार हैं ना?” किरोड़ी ने धीरे से पूछा, उसका लंड अब रेशमा की चूत के मुहाने पर था।रेशमा ने सिर्फ एक हल्का-सा सिर हिलाया। और कहती भी क्या, उसके सोचने समझने की शक्ति कब की गायब हो चुकी थी, चुत मे लगी आग भला कुछ सोचने देती है, 

आग लगी हो तो पहले आग को बुझाया जाता है, बाकि चुज़े बाद मे सोची जाती है,. मेरी माँ रेशमा का भी यही हाल था, उसकी चुत, उसका कामुक जिस्म हवस की आग मे जल रहा था, 

उसकी चूत की गर्मी अब इतनी तीव्र थी कि वो कुछ और सोच ही नहीं पा रही थी। 

रेशमा सामने लगे कांच के सहारे टिक गई, उसके मोटे सुडोल स्तन कांच पर जा लगे, गांड पीछे की तरफ हवा मे लहरा गई, किरडी को असानी हो इसलिए रेशमा ने अपनी जांघो को थोड़ा फैला लिया, 20210928-212031 उसकी गांड की दरार फ़ैल गई जिसमे अंधेरा था, उस अँधेरे मे काम रस और पसीने से चमकती गुफा थी, यही कामगुफा किरोड़ी का लक्ष्य था,

इसे ही भेदना था, रेशमा ने अतिउन्माद मे आंखे बंद कर ली, होंठ दांतो तले दब गए रहे. 6e20b380e14efc365b84308130729b75

किरोड़ी ने धीरे से अपने लंड को रेशमा की गीली दरार मे रखा.

"ईईस्स्स..... आअह्ह्ह...." किरोड़ी का लंड गर्म था उसके छुवन से ही रेशमा की सिस्कारी फुट पड़ी, जो बाहर अमित के कानो तक भी पहुंची,

किरोड़ी ने अपनी कमर को आगे चलाया, लेकिन लंड गांड के छेड़ को छेड़ता हुआ कमर पर जा लगा, 

"टाइट चुत है रेशमा जी आपकी "। 

लेकिन मेरी माँ कुछ सुनने के मूड मे नहीं थी, उसने जैसे तैसे गांड को हिला अपनी चुत को किरोड़ी के लंड पर सेट कर किया, अनुभवी थी मेरी माँ.

इस बार किरोड़ी ने कमर को आगे धकेला, रेशमा के मुँह से एक लंबी सिसकारी निकली— “आह्ह… उफ्फ…” उसकी चूत इतनी गर्म और तंग थी कि किरोड़ी को लगा कि वो अभी पिघल जाएगा।

किरोड़ी का लंड सरसराता हुआ पूरा का पूरा माँ की चुत मे जा घुसा, 31037 माँ की आंखे खुल गई, मुँह से सिस्कारी फुट पड़ी.

रेशमा ने अपनी सिस्कारी को दबाने की कोई कोशिश नहीं की "आआहहहह..... किरोड़ी... उउउफ्फ्फ.... हमफ़्फ़्फ़...."

किरोड़ी ने लंड को वापस बाहर खिंचा, फिर एक ही झटके मे वॉयस ठेल दिया, माँ वापस से चित्कार उठी, ना जाने कितने सालों बाद माँ की चुत मे लंड घुसा था, माँ का जिस्म गर्म तवे से तप रहा थाकिरोड़ी ने फिर ऐसा ही किया, पुरे लंड को निकलता फिर एक बार मे धकेल देता,माँ की चुत इतनी गीली थी की लंड आसानी से पूरा का पूरा अंदर तक धस जा रहा था.

लेकिन रेशमा की देह की वो सुलगती आग, उसकी चूत की तीव्र गर्मी, और उसकी उत्तेजना की तीव्रता किरोड़ी के लिए बर्दाश्त से बाहर थी। उसने अभी 4-5 धक्के मारे ही थे की उसका शरीर अचानक काँपने लगा।

 किरोड़ी ने एक हल्की-सी कराह के साथ अपना सारा जोश खो दिया। उसके लंड से निकला वीर्य माँ की चुत से बहने लगा, 24560316 उसका लंड नरम पड़ गया, और वो हाँफते हुए रेशमा से अलग हो गया।

मेरी माँ रेशमा का जिस्म अब भी सुलग रहा था। उसकी चूत की गर्मी अब और बढ़ गई थी, लेकिन किरोड़ी की नाकामी ने उसे एक अजीब-सी बेचैनी में डाल दिया। वो कांच के सहारे पलट के खड़ी हो गई, सामने किरोड़ी जमीन पर बैठा हांफ रहा था,

रेशमा की साँसें भारी थीं, और उसका चेहरा गुस्से से लाल हो रहा था। उसकी आँखों में एक जलन थी, जैसे कोई उसकी सबसे बड़ी चाहत को छीन ले गया हो।

 “ये… ये क्या था, किरोड़ी जी?” रेशमा ने गुस्से से कहा, उसकी आवाज़ में तीखापन था। “तुम… तुम इतनी जल्दी…?” 968ad5b675e6660c6c0502bec8762ca2 किरोड़ी हाँफते हुए दीवार के सहारे बैठ गया। उसका चेहरा शर्मिंदगी और थकान से भरा था।

“रेशमा जी… आप… आपकी ये गर्मी… मैं… मैं संभाल नहीं पाया,” उसने हकलाते हुए कहा।रेशमा का गुस्सा अब और बढ़ रहा था। f61e5e6ae65524536db50c615dcc150e उसका जिस्म अब भी उत्तेजना से भरा था। उसकी चूत में वो गीलापन अब भी था, और उसकी मोटी, चिकनी जाँघें काँप रही थीं। वो चाहती थी कि कोई उसकी इस आग को बुझाए, लेकिन किरोड़ी की नाकामी ने उसे और तड़पा दिया। उसकी मनोदशा अब एक अजीब-से द्वंद्व में थी। एक तरफ उसका शरीर उसकी चाहत को पूरा करने के लिए तड़प रहा था—उसके भारी, गोल स्तन अब भी सख्त थे, उसकी चूत अब भी गीली थी, और उसकी त्वचा पर एक चमक थी, जैसे वो अभी भी उत्तेजना के चरम पर हो। दूसरी तरफ, उसका मन गुस्से और निराशा से भरा था। किरोड़ी की नाकामी ने उसे ऐसा महसूस कराया जैसे उसकी देह की आग को कोई बुझा ही नहीं सकता।रेशमा ने अपनी चड्डी को ठीक किया, जो अब भी उसके चूत के रस से सनी थी। उसने पास पड़ी अपनी साड़ी और ब्लाउज को अपने जिस्म पर पहन लिया लेकिन उसका शरीर अब भी गर्म था। उसने शीशे में खुद को देखा। उसके भारी, गोल स्तन अब भी उसके ब्लाउज में उभरे हुए थे, और उसके निपल्स की आकृति साफ दिख रही थी। b5d49398eac6ef889c9423f819d83854 उसकी गहरी नाभि, साड़ी के पीछे के पीछे से झाँक रही थी, एक मादक आकर्षण पैदा कर रही थी। उसकी मोटी, चिकनी जाँघें साड़ी के नीचे से हल्के-हल्के उभर रही थीं, और उसकी चूत की गर्मी अब भी उसे तड़पा रही थी। वो बेचैन थी, जैसे उसका शरीर अब भी किसी को पुकार रहा हो।

“रेशमा जी, थोड़ा समय दीजिए… मैं फिर से…” किरोड़ी ने कोशिश की, लेकिन रेशमा ने उसे बीच में ही रोक दिया।“बस, किरोड़ी जी, ये लहंगा पैक कर दो,” उसने तीखे स्वर में कहा, और लहंगा चौकी किरोड़ी के मुँह पर दे मारी.

मैंने आज से पहले माँ को इस तरह से गुस्से मे नहीं देखा था. 4aeb3ee053b528fab60b2cde753f55ce

“तुमसे कुछ नहीं होगा।”रेशमा ने अपनी साड़ी को एक बार फिर ठीक किया और ट्रायल रूम से बाहर निकल आई। उसका चेहरा गुस्से और बेचैनी से भरा था, लेकिन उसकी देह की वो मादकता अब भी हर किसी की नजरों को खींच रही थी। 

माँ दनदानती हुई बाहर आई, "चल अमित " 

माँ ने मेरी तरफ देखा भी नहीं और काउंटर की तरफ बढ़ गई, उसका चेहरा गुस्से से लाल था, मैं चाहता था कि वो अपनी माँ से बात करू,  लेकिन माँ का गुस्सा देख मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।

मेरा लंड भी अब शांत हो चूका था, 

 ***********

उधर, मार्केट की दूसरी गली में अनुश्री और आदिल का खेल अपने चरम पर था। अनुश्री ने ट्रायल रूम में काली लेस वाली ब्रा और लाल पैंटी पहनी थी, और वो जानबूझकर पर्दा हल्का-सा खुला छोड़कर आदिल को तड़पाने का मज़ा ले रही थी। उसकी देह की हर रेखा—उसके भरे हुए, सुडौल स्तन, उसकी पतली कमर, और उसके गोल, कसे हुए कूल्हे—आदिल की साँसें रोक रहे थे। 1acf7acce973fa359c0f0b08ec0abd74

अनुश्री ने ब्रा पैंटी try कर लिए थे, जो की उसके मादक जिस्म पर जँच भी रहे थे, उसे रह रह के आदिल का खुला मुँह याद आ रहा था, जब उसने आदिल को अंदर बुलाया था, हालंकि ये काम उसने मस्ती के लिए था, लेकिन खुद को आदिल के करीब पा कर उसकी चुत गीली हो गई थी, जिस्म जल रहा था, वासना ने घर बना किया था .

अनुश्री ने ब्रा को ठीक करने की कोशिश की, लेकिन उसका हुक पीछे से नहीं खुल रहा था। उसने शीशे में खुद को देखा—उसकी गोरी, चिकनी त्वचा, उसकी ब्रा में कसे हुए भारी, गोल स्तन, और उसकी छोटी लाल पैंटी, जो उसकी बड़ी, गोरी गांड को मुश्किल से ढक रही थी। उसकी गांड इतनी भरी और गोल थी कि वो तरबूज की तरह चमक रही थी। उसकी चूत की गर्मी अब पैंटी में साफ महसूस हो रही थी, और उसका गीलापन पैंटी के कपड़े को और पारदर्शी बना रहा था। उसकी उत्तेजना अब चरम पर थी; उसका दिल तेजी से धड़क रहा था, और उसकी साँसें भारी हो रही थीं। वो जानती थी कि वो आदिल को तड़पाने का खेल खेल रही है, लेकिन उसकी अपनी वासना भी उसे बेकाबू कर रही थी।

ना जाने अनुश्री के दिमाग़ मे क्या आया, उसके चेहरे पे मुस्कान आ गई, 

“आदिल, जरा इधर आ,” अनुश्री ने धीरे से पुकारा, उसकी आवाज़ में एक मादकता थी। 20210731-155014 आदिल ने हड़बड़ाते हुए पर्दे के पास जाकर देखा। अनुश्री कांच के सामने खड़ी थी, उसकी पीठ आदिल की ओर थी। उसकी पीठ पर सिर्फ ब्रा की पतली पट्टी थी, और उसकी छोटी लाल पैंटी से उसकी बड़ी, गोरी गांड पूरी तरह झलक रही थी। उसकी गांड इतनी मादक थी कि आदिल की साँसें रुक गईं। पहली बार उसने अनुश्री को आगे से देखा था, लेकिन किस्मत देखो साला पीछे से भी उस हुस्न की मल्लिका के दर्शन हो गए थे.

“दीदी… ये… ये क्या?” उसने हकलाते हुए कहा, जैसे शब्द गले मे फस गए हो, उसकी आँखें अनुश्री की गांड पर टिकी थीं।

“आदिल, ये ब्रा का हुक नहीं खुल रहा,” अनुश्री ने शरारत से कहा।  जैसे ये सब उसके लिए नार्मल बात हो.

“जरा मदद कर ना।” उसने अपनी कमर को हल्का-सा हिलाया, जिससे उसकी गांड और उभरकर सामने आई। उसकी उत्तेजना अब उसे और बेचैन कर रही थी; उसकी चूत में एक सनसनी थी, और उसका रस पैंटी को और गीला कर रहा था।आदिल के हाथ काँप रहे थे। वो धीरे-धीरे अनुश्री के करीब गया और ब्रा की पट्टी को पकड़ा। उसकी उंगलियाँ अनुश्री की चिकनी पीठ पर हल्के से फिसलीं, और उसने ब्रा का हुक खोल दिया। जैसे ही हुक खुला, अनुश्री के भारी, सुडौल स्तन आज़ाद हो गए। उसने तुरंत अपने हाथों से अपने स्तनों को ढक लिया, 20210731-145210 लेकिन उसकी साँसें इतनी भारी थीं कि उसके स्तन उसके हाथों में ऊपर-नीचे हो रहे थे। सामने कांच में उसका मादक जिस्म साफ दिख रहा था—उसकी गोरी त्वचा, उसकी पतली कमर, और उसकी गीली पैंटी, जो उसकी चूत की लकीर को उभार रही थी। 20210804-165326 अनुश्री ने एक नजर आदिल को देखा और धीरे से अपने हाथ को सरकाया, उसके तने हुए कामुक निप्पल दिखने लगे थे, आदिल की गर्म साँसें अब अनुश्री की गर्दन पर महसूस हो रही थीं। उसका लंड पैंट में पूरी तरह तन चुका था, और वो अनुश्री की गोरी, बड़ी गांड को देखकर पागल हो रहा था। 

“दीदी… अपने हाथ हटाओ ना,” आदिल ने धीरे से हिम्मत करते हुए कहा, उसकी आवाज़ में एक भूख थी।

अनुश्री का दिल तेजी से धड़क रहा था। उसकी उत्तेजना अब उसे पूरी तरह जकड़ चुकी थी। उसने धीरे-धीरे अपने हाथ हटाए, और उसके सुडौल, गोल स्तन रोशनी में चमक उठे। उनके निपल्स सख्त थे, और उनकी गोलाई इतनी मादक थी कि आदिल की साँसें रुक गईं। उसने तुरंत अनुश्री को पीछे से दबोच लिया, उसके दोनों हाथ अनुश्री के भारी स्तनों पर जा टिके। उसने उन्हें हल्के से भींचा, 1630490927839 और अनुश्री की सिसकारी निकल गई—


 “उफ्फ… आह्ह…आदिल क्या कर रहे हो?”आदिल ने जवाब मे कुछ भी नहीं कहाँ जवाब उसके लंड ने दिया, उसका तना हुआ लंड अनुश्री की गांड की दरार में चलने लगा, 


 अनुश्री की उत्तेजना अब चरम पर थी; उसकी चूत इतनी गीली थी कि उसका रस पैंटी से बहकर उसकी जाँघों पर फिसल रहा था। उसने खुद ही अपनी गांड को आदिल के लंड पर घिसना शुरू कर दिया, जैसे वो उसकी सख्ती को और महसूस करना चाहती हो। अगर कपड़े न होते, तो आदिल का लंड अनुश्री की चूत में घुस ही जाता। 

अनुश्री की पैंटी अब पूरी तरह रस से सन चुकी थी, और उसका गीलापन इतना था कि आदिल की पैंट भी उसकी चूत के रस से गीली हो गई थी।

आदिल ने अनुश्री की गर्दन पर अपने होंठ रख दिए, और फिर धीरे से उसके होंठों की ओर बढ़ा। दोनों के बीच एक जबरदस्त किस हुआ—उनके होंठ एक-दूसरे में खो गए, और उनकी साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं। 

20210802-133145 आदिल के हाथ अब भी अनुश्री के स्तनों को भींच रहे थे, उनके निपल्स को हल्के से मसल रहे थे। अनुश्री की सिसकारियाँ अब और तेज हो रही थीं— “उफ्फ… आदिल…” उसकी आवाज़ में एक कराह थी, जो उसकी उत्तेजित भावनाओं को बयान कर रही थी। 

सामने कांच मे मंगलसूत्र उसके स्तनों के बीच लटक रहा था, उसके स्तन आदिल की हथेली मे कसे थे, उसका जिस्म अब पूरी तरह वासना की आग में जल रहा था; 20210804-172223 उसकी चूत की गर्मी, उसके स्तनों की सख्ती, और उसकी गांड की लचक उसे बेकाबू कर रही थी।आदिल ने कभी अनुश्री की गर्दन पर किस किया, कभी उसके होंठों को चूमा। उसका लंड अनुश्री की गांड की दरार में बार-बार घिस रहा था, और अनुश्री की हर सिसकारी उसे और उत्तेजित कर रही थी।


 “दीदी… तुम… तुम तो जन्नत हो,” आदिल ने कराहते हुए कहा। 

“ये स्तन… ये गांड… हाय, तुमने मुझे पागल कर दिया!”

आदिल करीब पाँच मिनट तक उसके मादक सुडोल स्तनों को भींचता रहा उसके होंठो के कामुक रस को पीता रहा, 20210923-135509

 अनुश्री और आदिल दोनों वासना की आग में डूबे हुए थे। अनुश्री की चूत का रस अब इतना बह रहा था कि उसकी पैंटी पूरी तरह सन चुकी थी। आदिल का लंड उसकी गांड को बार-बार टटोल रहा था, और दोनों की साँसें एक-दूसरे में गूँज रही थीं। 

लेकिन तभी बाहर से ग्राहकों की आवाज़ें आईं— “भैया, जरा जल्दी दिखाइए ना! ये ब्रा कहाँ रखी है?”

अनुश्री और आदिल दोनों चौंक गए। अनुश्री ने जल्दी से अपने स्तनों को ढका और खुद को संभाला। उसकी साँसें अब भी भारी थीं, और उसकी चूत की गर्मी उसे तड़पा रही थी।

 “आदिल… अब तू बाहर जा,” उसने धीरे से कहा, अनुश्री ने खुद को संभाल लिया था, उसकी आवाज़ में एक मादकता थी। वो जानती थी कि वो अधूरी रह गई है, लेकिन उसकी शरारती मुस्कान बता रही थी कि उसे इस खेल मे मज़ा आया।

आदिल बाहर निकला, लेकिन उसका लंड अब भी पैंट में तना हुआ था। उसकी पैंट अनुश्री के चूत के रस से गीली थी, और वो उस मादक छवि को भूल नहीं पा रहा था—अनुश्री के चमकते स्तन, उसकी गोरी, बड़ी गांड, और उसकी गीली चूत।

पाँच मिनट बाद अनुश्री ट्रायल रूम से बाहर आई। उसके हाथ में वही काली लेस वाली ब्रा और लाल पैंटी थी, जो उसने ट्राय की थी।


 वो काउंटर पर गई और दुकानदार से बोली, “इसे पैक कर दीजिए।” दुकानदार ने पैंटी को हाथ में लिया, और जैसे ही उसने उसे छुआ, उसके हाथ अनुश्री के चूत के रस से गीले हो गए। पैंटी इतनी गीली थी कि उसका रस टपक रहा था। दुकानदार हैरान होकर अनुश्री की ओर देखा, लेकिन अनुश्री ने कुछ नहीं कहा। उसने बस आदिल की ओर देख एक शरारती मुस्कान दी, आदिल झेप सा गया,

दुकानदार ने सर खुजाते हुए ब्रा पैंटी को डब्बे मे पैक कर दिया.

आदिल अनुश्री, रेशमा और अमित बाहर बाजार मे वापस मिल गए थे.

रेशमा का चेहरा अभी भी गुस्से मे था, वही अनुश्री के चेहरा खिला हुआ था.

हम लोग घर के लिए निकल चुके थे, आदिल कार चला रहा था, मैं अनुश्री दीदी के साथ पीछे बैठा था, माँ आदिल के साथ आगे, आंख बंद किये सर टिकाये बैठी थी.

आदिल मिरर मे बार बार अनुश्री को देख मुस्कुरा देता, जवाब मे अनुश्री भी स्माइल पास कर देती, जो की मेरी नजरों से बच ना सका.

मैं समझ गया था हरामी आदिल ने जरूर मेरी बहन का भी फायदा उठा लिया है.

मेरी घर की औरते मेरी समझ के बाहर होती जा रही थी.

दिन के 3 बज गए थे घर पहुंचते हुए, 

आज लेडीज़ संगीत का प्रोग्राम रखा था घर मे, यहाँ हमारा क्या काम.

मैं और आदिल अपने कमरे मे आराम करने चले गए, जहाँ प्रवीण, मोहित और अब्दुल मेरे जीजा मंगेश के साथ मौजूद थे.

"आओ बे आज रात जीजा जी पार्टी दे रहे है " मोहित ने हमें देखते हुए कहाँ.

मेरे जीजा दारू के शौक़ीन थे, 

"आओ अमित, आज रात थोड़ी व्यवस्था करते है, लेडीज संगीत मे अपन मर्द लोगो का क्या काम "

रात को बैठते है.

तो डिसाइड हुआ, आज रात इसी कमरे मे हम लोग अपनी महफिल जमाएंगे.

क्या होगा आज रात लेडीज़ संगीत मे?

मेरी माँ और बहन दोनों ही प्यासे लौटे है, क्या उनकी प्यास कोई मिटाएगा.?

लेडीज़ सांगित का इंतज़ार रहेगा मुझे.

अभी तो आराम करता हूँ, 


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3 Comments

  1. Bahut badhiya ...waiting for next part

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  2. Waiting for the next part...plz post

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  3. Next update kab tak aayega bhai ...jaldi karo

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