करीब आधा घंटे बाद जगदीश राय ने आशा को बाथरूम जाते देखा. तो वो भी उसके साथ बाथरूम में चला गया. आशा शरमाते हुए बोली- पापा, आप बाहर जाइए ना मुझे सु सु करना है.
जगदीश राय- कोई बात नहीं, मुझे तुमको सु सु करते हुए देखना है. आज तक मैंने किसी लड़की को सू सू करते हुए नहीं देखा है.अभी मेरा लंड भी खड़ा हो गया है, तुम सू सू करो.
आशा- लंड खड़ा हो गया है तो क्या आप मुझे अभी ही चोदने की सोच रहे हैं?
जगदीश राय:मैं तो चाहता हूँ की अपना लंड तुम्हारी गांड में पेल दूँ।और मैं इधर पेलता रहूँ और तुम सु सु करती रहो।
आशा:क्या क्या सोचते रहते हो आप भी।जल्दी अपना लंड मेरी गांड में पेलो।मेरी भी गाण्ड में खुजली हो रही है।
जगदीश राय ने आशा को कुतिया की तरह झुक दिया और उसकी गांड पे थूक दिया और उंगली से उसकी गांड सहलाने लगा. कुछ ही देर में उसकी गांड का छेद मुलायम हो गया.
अब जगदीश राय अपने लंड को आशा की गांड के होल में घुसा दिया.
वो “आअह्ह.. पापा..” करते हुए चिल्लाने लगी.
जगदीश राय तेजी से आशा की गांड मारने लगा.
और अब आशा को बर्दास्त नहीं हुवा ।
वह धक्के के साथ ही सु सु करने लगी।
काफी देर तक जगदीश राय आशा की चूत में उंगली और गांड में लंड पेलता रहा.
आशा दो बार झड़ गई.. लेकिन वह उसको पेलता रहा.
फिर आधे घंटे गांड मारने के बाद आशा की गांड में ही अपना वीर्य भर दिया.फिर जगदीश राय अपने लंड को उसके मुँह के पास ले गया और बोला- मेरे लंड को चूसो.फिर आशा ने जगदीश राय के लंड को चूसकर पूरा चमका दिया।
फिर दोनों लेटकर एक दूसरे को सहलाते हुए बात करने लगे।
जगदीश राय:आज मेरी ज़िन्दगी का सबसे हसीन पल था।मेरी बहुत सारी इच्छाये तुमने पूरी कर दी बेटी।
आशा:जगदीश राय को चूमते हुए।आप भी कमाल ले हो पापा।आप ले साथ मुझे बहुत मज़ा आया।आपकी और भी कोई इच्छा हो तो मैं पूरी करने की कोशिश करुँगी।
जगदीश राय:बेटी मेरी एक और इच्छा है की मैं चूत और गांड एक साथ मारूँ।मेरा लंड कभी चूत में घुसे तो कभी गांड में।
आशा:सॉरी पापा।मैं आपकी ये इच्छा पूरी नहीं कर सकती।आप तो जानते है मैं शादी तक वर्जिन रहना चाहती हूँ।
जगदीश:एक उपाय है बेटी ।तुम कुँवारी भी रहोगी और मेरी इच्छा भी पूरी हो जायेगी।
आशा:कैसे पापा।आप बताइये।आपकी ख़ुशी के लिए मैं करुँगी।
जगदीश:तुम और निशा एक साथ मिल जाओ तो मेरी इच्छा पूरी हो जायेगी।निशा की चूत और तुम्हारी मस्त गांड मेरे लंड के सारे ख्वाब पूरा कर देंगे।
आशा: ठीक है पापा। मैं कोशिश करुँगी।
फिर आशा जगदीश राय का लंड चूसकर खड़ा करती है।और जगदीश राय आशा को कुतिया बनाके उसकी गांड मारता है।आधे घंटे की रफ चुदाई के बाद दोनों थक जाते है।आशा दो बार झड़ चुकी थी।फिर जगदीश राय अपना लंड आशा के मुँह में पेलकर अपना सारा माल आशा को पिला देता है।फिर दोनों साफ सफाई करके अपने अपने रूम में चले जाते है।
जगदीश राय को ऑफिस के काम के सिलसिलें में चार पाँच दिन के लिए बाहर जाना पड़ा।उसने तीनों बेटियो को समझाकर पैसे भी दे दिए और चला गया।
आज निशा और आशा बहुत खुश थी क्योंकि आज उनके पापा आने वाले थे।लेकिन जब पापा ने बताया की वो शाम को ही घर आ पाएंगे तो दोनों को अच्छा नहीं लगा।
निशा पूरी गरम हो रही थी।पाँच दिन अपने पापा से दूर रहने से उसकी चूत पानी छोड़ रही थी।आज शशा की सहेली का बर्थडे था तो वो रात को उसके घर ही रुकने वाली थी।वह पापा से फ़ोन पर बात करके अपने सहेली के घर चली गई।
जगदीश राय जब शाम को घर आया तो घर में घुसते ही निशा और आशा दोनों अपने पापा से लिपट गई।निशा तो इतनी गरम हो चुकी थी की वो अपने पापा को उसने चूम लिया।जिसे देखकर आशा हंसने लगी।निशा शरमा गई।
कुछ देर बाद आशा अपने रूम में पढ़ने चली गई।निशा किचन में चली गई।पीछे पीछे जगदीश राय भी किचन में चला गया।किचन में घुसते ही निशा अपने पापा से लिपट गई और अपने पापा के होंठो पर होंठ रखके चूसने लगी।जगदीश राय भी निशा की मस्त चुचियों को मसलने लगा।साथ ही अपने लंड को निशा की गाँड के दरार में रगड़ने लगा।
निशा जल्दी ही जगदीश राय के आगे घुटनों पर बैठ गई और जगदीश राय के मोटे लंड को निकालकर चूसने चाटने लगी।वह अपने पापा के लंड को पूरा मुँह में भरकर चूसने लगी।तभी अचानक आशा आ गई और बोली:दीदी अकेले अकेले ही सारे मज़े मत ले लेना।
मेरे लिए भी छोड़ देना।
निशा:चल भाग यहाँ से।
आशा हँसते हुए भाग गई।
निशा:मुँह से लंड निकालकर पापा आपने आशा को और बिगाड़ दिया है।
जगदीश राय:अरे नहीं बेटी।उसकी भी गांड में खुजली हो रही होगी।
निशा:धत कितना गन्दा बोलते हो आप।आज तो मैं आपको नहीं छोड़ूँगी।रात भर हम साथ में सोयेंगे।
जगदीश राय:अरे बेटी ऐसा करोगी तो आशा को जानती हो न।उसे भी साथ बुला लेंगे।
निशा:कैसी बात करते हो पापा।मुझे तो बहुत शरम आयगी।
जगदीश राय:अरे बेटी अब शरमाने से काम नहीं चलेगा।आशा बोल रही थी।उसे तुम्हारे साथ कोई प्रॉब्लम नहीं है।मुझे भी बहुत मन था की कभी दो जवानी का मज़ा एक साथ लूँ।लेकिन लगता है मेरी ये इच्छा कभी भी पूरी नहीं होगी।
जगदीश राय ने इमोशनल होकर दुखी आवाज में कहा।
जिसे सुनकर निशा बोली।
अगर आपकी इच्छा है पापा तो मैं भी तैयार हूँ।आपकी ख़ुशी के लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूँ।
फिर दोनों ने किस करके थोड़े बहुत मज़ा किये।फिर निशा खाना बनाने लगी।।
जब तीनों खाना खा लिए तो जगदीश राय ने आशा को भी बता दिया की आज हम तीनों एक साथ मज़ा करेंगे।
आशा भी खुश हो गई।
दस बजते ही जगदीश राय ने वियाग्रा की 1 गोली खा ली।क्योंकि निशा और आशा के आने का टाइम हो गया था।आज जगदीश राय की जिंदगी का सबसे हसीं पल आने वाला था।जब उसकी दोनों जवान गदराई बेटीयाँ उसकी बाहों में आ रही थी।
दस बजते ही निशा आ गई आते ही उसने पापा को किस किया और उनकी बाँहो में समा गई।अब दोनों ही एक दूसरे को किस करने लगे।जगदीश राय निशा के कपडे उतारने लगा।आशा के आने के पहले वह निशा को पूरा गरम कर देना चाहता था।
निशा भी आज कहाँ पीछे रहनेवाली थी उसने भी अपने पाप को पूरा नंगा कर दिया।
अब जगदीश राय ने नंगी पड़ी निशा को बेड पर लिटाया और उसके दोनो हाथो को उसने बेड पर एक हाथ से दबोच दिया..ताकि वो उसे रोक ना पाए...बेचारी उसके नीचे दबकर सिर्फ़ छटपटाने के अलावा कुछ नही कर पा रही थी।
उसके अंदर उठ रही तरंगे उसके जिस्म को उपर की तरफ उचका रही थी..और वो अपने कूल्हे उठाकर अपनी चूत को जगदीश राय के खड़े हुए लंड से रगड़ने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
लेकिन जगदीश राय बड़ी ही चालाकी से अपने लंड को उसकी चूत से दूर रखकर उसकी बेकरारी को बड़ा रहा था.
जगदीश राय उसके बूब्स को चूसता - 2 नीचे की तरफ बढ़ने लगा...उसकी नाभि पर पहुँचकर उसने अपनी जीभ उसके अंदर डाल दी...और उसकी नाभि को अपनी जीभ से चोदने लगा..
तभी आशा रूम में आई।निशा ने तो नहीं देखा लेकिन जगदीश राय ने उसे दूर से ही देखने का इशारा किया।
वह ध्यान से देखने लगी।
निशा की नाभि की चुदाई देखकर दूर बैठी आशा ने भी अपनी टी शर्ट उतारकर अपनी नाभि की गहराई देखी की क्या वो भी जीभ से चोदने लायक है या नही...वो उतनी गहरी नही थी जितनी निशा की थी...कारण था निशा का गदराया हुआ जिस्म, जिसकी वजह से उसकी नाभि उसके पेट में थोड़ा अंदर जा धँसी थी...और इस वक़्त जगदीश राय उसी नाभि को अच्छी तरह से चाटकर उसे पूरी तरह से उत्तेजित कर रहा था.
थोड़ी देर बाद उसने फिर से निचे का रुख़ किया और उसकी जीभ निशा की चूत के द्वार पर जाकर रुक गयी...
जगदिश राय ने उपर मुँह करके निशा के चेहरे को देखा...वो साँस रोके उसके अगले कदम की प्रतीक्षा कर रही थी.
जगदिश राय ने अपनी उँगलियों से निशा की चूत की क्लिट को फैलाया,तो उसकी कमाल की चूत उभरकर जगदिश राय के सामने आती चली गयी.निशा की चूत इतनी गरम थी की लग रहा था की भाँप छोड़ रही हो।
कमाल की इसलिए की एक तो वो बिल्कुल गोरी थी...और उपर हर जगह से वो एकदम सफाचट थी.
उसने आशा की तरफ देखा तो वो अपनी चूत मसलते हुए जगदीश राय को देखकर मुस्कुरा उठी...और अपने बूब्स को प्रेस करके एक सिसकारी भी मारी...जगदीश राय समझ गया की आशा भी पूरी गरम हो चुकी है।
अब जगदीश राय के सामने एकदम रसीली और जूस से भरी हुई चूत पड़ी थी...उसने अपनी जीभ को तैयार किया और टूट पड़ा निशा की चूत में .
सेलाब तो कब से उमड़ रहा था उसकी चूत में ....अब जगदीश राय की जीभ से चोदकर उसकी चूत में सैलाब लेकर आना था....और वो ये काम करना बख़ुबी जानता था.
जगदीश राय निशा की चुत चूसने लगा था, तभी आशा बोल पड़ी, पापा दीदी की चुत खट्टी मीठी है ना।
ये सुनकर निशा ने शरमाते हुए आशा की तरफ देखा और बोली तो तू छुपकर हमें देख रही है।
आशा : "नही दीदी....मैं तो एक आइडिया लेकर आई हूँ ...जिसमे पापा को इसे सक्क करने में ज़्यादा मज़ा आएगा...''
इतना कहकर वो भागकर किचन में गयी और फ्रिज खोलकर एक छोटी सी शहद की शीशी निकाल लाई...
जगदीश राय समझ गया की ये क्या करने वाली है...
अब आशा करीब आई और उसने वो ठंडा-2 शहद निशा की चूत के उपर उडेल दिया....एक गाड़ी सुनहरे रंग की लकीर के रूप में वो शहद धीरे-2 निशा की गरमा गरम चूत को अपने रंग में रंगने लगा..थोड़ा शहद उसने उसकी गांड की तरफ से भी डाल दिया,जो धीरे-२ बहकर उसकी चुत तक पहुँचने लगा।
जगदीश राय देख पा रहा था की आशा शहद उड़ेलते हुए अपनी जीभ ऐसे लपलपा रही थी जैसे वो बरसो की प्यासी हो....
शहद की पूरी शीशी उड़ेलने के बाद वो बोली : "लो पापा....अब आपकी ये स्वीट डिश आपके लिए तैयार है...''
और ये कहकर जैसे ही वो उठकर जाने लगी, जगदीश राय ने उसकी कलाई पकड़ ली और बोला : "अब इतना काम कर दिया है तो थोड़ा और कर दो मेरे लिए....इसे अपनी दीदी की चुत पर फैला भी दो...अपने अंदाज में ..''आशा आगे बढ़ने लगी तो जगदीश राय बोला।पहले पूरी नंगी तो हो जा।
ये बात सुनते ही आशा के होंठ थरथरा उठे...उसके पूरे शरीर के रोँये खड़े हो गये....अपनी बड़ी दीदी और पापा के साथ सेक्स के बारे में सोचकर।
वो सोचने लगी की इसका मतलब ये है की पापा उसे इस सेक्स के खेल में शामिल होने के लिए बोल रहे है...
और दूसरी तरफ निशा को भी झटका लगा...वो नही चाहती थी की आज आशा उनके इस चुदाई वाले खेल में शामिल हो...वो बस यही चाहती थी की वो दूर बैठकर ये खेल सिर्फ़ देखे..
लेकिन आशा के चेहरे और निशा के दिमाग़ में चल रही बातो को जैसे जगदीश राय ने पढ़ लिया था...वो बोला... : "देखो....तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ ये एक छोटा सा काम करोगी...और कुछ नही...उसके बाद वापिस अपनी जगह पर जाकर बैठ जाओगी...अच्छे बच्चो की तरह....ओके ..''
आशा के लिए ये एक सपने जैसा ही था...वो अपनी बहन की शहद से भीगी चूत को चूसने वाली थी...उसी चूत को जिसे उसके पापा सिर्फ़ दस मिनट बाद चोदने वाले थे...यानी उसके पापा चाहते थे की वो अपनी बहन की चूत खुद तैयार करे,ताकि वो बाद में उसकी चुदाई सही से कर सके।वो जल्दी से पूरी नंगी हो गई।
निशा ने भी कुछ नही कहा...वैसे भी उसे एक्साइट करने के लिए सही ढंग से चूत की चुसाई करना बहुत ज़रूरी था ...और ये काम आशा से अच्छी तरह कोई और कर ही नही सकता था...
जगदीश राय निशा की टाँगो के बीच से उठकर उपर बेड की तरफ चला गया...और आशा उसकी जगह पर आकर बैठ गयी...उसने निशा की दोनो टाँगो को दोनो दिशाओं में फेलाया और अपनी जीभ निकाल कर उसकी नोक से ढेर सारा शहद समेटा और दोनो हाथों की उंगलियों से निशा की चूत की फांके फेला कर नीचे से उपर की तरफ ले जाते हुए उसकी चूत का को चाटना शुरू कर दिया...एक लंबी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह के साथ निशा ने अपनी बगल में बैठे अपने पापा के लंड को बुरी तरह से पकड़ा और ज़ोर से मसल डाला...
निशा:''आआआआआआआआआआआआआआआआआहह ओह...... आशाआआआआआअ......''
आशा की जीभ ने वो ठंडा -2 शहद उसकी खुली हुई चूत के अंदर धकेलना शुरू कर दिया था...
ये शहद वाली ट्रिक उसने कई दिनो से सोच के रखी हुई थी किसी लड़की के लिए...लेकिन उसे करने का मौका ऐसे आएगा ये उसने सपने में भी नही सोचा था...वो भी अपनी सगी बहन के साथ।
जगदीश राय भी अपने घुटनो के बल बैठकर अपने लंड को उसके मुँह के करीब ले आया...और निशा उसे किसी गली की कुतिया की तरह चाटने लगी...अपनी जीभ से लपलपा कर उसने जगदीश राय के लंड को अपने ही शहद से तर-बतर कर दिया...ठीक उसी तरह जिस तरह से उसकी चूत को आशा ने कर दिया था इस वक़्त..
आशा तो बड़े ही चाव से उसकी चूत के हर भाग को शहद में लपेट कर चाट रही थी....चूत से निकलता खट्टापन अब शहद में मिलकर कुछ अलग ही स्वाद दे रहा था...जो आशा को काफ़ी पसंद आया...और उसे पता था की पापा को भी ये स्वाद पसंद आएगा...
कुछ देर बाद वो अपने रस से भीगे होंठ वहां से उठा कर बोली : "आओ पापा....अब ट्राइ करो...''
जगदीश राय ने एक लंबी छलाँग लगाई
और बेड से नीचे उतर आया...आशा के हटते ही उसने मोर्चा संभाल लिया और जब उसकी जीभ निशा की चूत से टकराई तो वहां के बदले स्वाद को महसूस करते ही वो पागल सा हो गया...और पहले से कही ज़्यादा तेज़ी से उसकी चूत को अपने मुँह से चोदने लगा...इधर आशा निचे बैठकर अपने पापा का लंड अपने मुँह में भरकर चूसने लगी।
जगदीश राय: आह बेटी,आह आराम से चूसो।
इधर निशा को इतना मज़ा आ रहा था की वह गांड उठाकर अपनी चूत अपने पापा के मुँह पर धकेल रही थी। करीब दस मिनट तक अच्छी तरह से चूसवाने के बाद निशा को एहसास हो गया की चूत की ऐसी चुसाई से बड़ा मजा इस दुनिया में और कोई नहीं है।
और इधर जगदीश राय को भी अहसास हो गया की अब निशा की चूत अंदर और बाहर से पूरी तरह गीली है...यही सही मौका है....उसके चूत में अपना मोटा लंड पेलने का।
इधर आशा ने जगदीश राय के लंड को चूस चूसकर रॉड बना दिया था।
वो उठा और अपने लंड को उसने निशा की गर्म चूत पर टीका दिया..
ये वो मौका था जब निशा और आशा अपनी साँसे रोके एक साथ उस पॉइंट को देख रही थी...जहाँ पर जगदीश राय के लंबे लंड और निशा की गीली चूत का मिलन हो रहा था.
जयसिंह ने धीरे-2 करके अपने लंड को निशा की चूत के अंदर पेलना शुरू किया...
निशा : "उम्म्म्म.....पापा.....आह धीरे धीरे....पेलो।
निशा कई बार चुद चुकी थी अपने पापा से पर आज वो ऐसे रियेक्ट कर रही थी मानो उसकी पहली चुदाई हो।
जगदीश राय : "नही मेरी जान.....इतनी देर तक जो तेरी चूत को तैयार किया है, वो इसलिए ही ना की दर्द ना हो....अब सिर्फ़ मज़ा ही मज़ा मिलेगा...दर्द नही...''
और जैसे-2 उसका लंड निशा के अंदर जाता जा रहा था, उसके चेहरे के एक्शप्रेशन बदलते जा रहे थे...
और धीरे-2 करते हुए जगदीश राय ने अपना आधे से ज़्यादा लंड उसकी चूत में पेल दिया....अब तक निशा को थोडा थोडा दर्द होने लगा था..पर वो अपने मुँह पर हाथ रखकर अपनी दर्द को बाहर नही निकलने दे रही थी...
जगदीश राय ने उसके दोनो हाथो को बेड पर टीकाया और धीरे से उसके उपर झुकते हुए बोला : "बस बेटी....थोड़ा सा और....'''
वो कुछ बोल पाती, इससे पहले ही जगदीश राय ने अपना पूरा का पूरा भार उसके उपर एक झटके मे डाल दिया ....और उसका खंबे जैसा लंड निशा की चूत को किसी ककड़ी की तरह चीरता हुआ अंदर तक घुसता चला गया...
निशा: ''आआआआआआआआआआआआहह ऊऊऊऊऊऊओह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्रर्र्र्ररर गईईईईईईईईईईईईईईsssssssss ..... आआआआआआआआआहहsssssssssss पापाsssssssss..................................''
आशा भागकर उसके करीब गई और बेड पर चढकर वो निशा के चेहरे को चूमने लगी ।
वो तो ऐसे दिलासा दे रही थी उसे जैसे वो बरसो से चुदती आई है, आशा अपने होंठ उसके होंठो पर रखकर उसे बुरी तरह से चूसने भी लगी.
आशा की किस का जवाब भी देना शुरू कर दिया था निशा ने....दोनो एक दूसरे के होंठों को किसी भूखी बिल्लियों की तरह से चूस रही थी...और आशा ने जब देखा की निशा का दर्द अब गायब हो चुका है तो वो बेमन से वापिस अपनी जगह पर जाकर बैठ गयी..
निशा ने जाते हुए उसे थेंक्स भी कहा...और फिर अपने पापा के साथ वो एक बार फिर से मस्ती के खेल में शामिल हो गयी.
अब तो वो अपनी टांगे दोनो दिशाओ में फेलाकर पूरे जोश से अपने पाप के लंबे लंड को अंदर तक ले रही थी...और सिसकारियाँ मारकर उसे और ज़ोर से चोदने के लिए उकसा भी रही थी...
निशा:''आआआआआआआआहह पापा........ मेरी जानssssssssss ....... और तेज़ी से करो.................. उम्म्म्ममममममममममम...... आहह पापा.............. मजा आ रहा है ....................... उम्म्म्ममममममममम..... इसी मज़े के लिए कब से तरस रही थी..... आआआआआआआआहह ........ ऐसे ही................... हमेशा मेरे अंदर ही रहना ...................... दिन रात...................चोदो मुझे ..................मेरे प्यारे पापा............................ सिर्फ़ मेरे पापा.................''
दूर बैठी छोटी बहन आशा बुदबुदा उठी ..'तेरे ही क्यो....मेरे भी तो पापा है...
वो अपनी चूत को खोलकर मसल रही थी ..... और साथ ही साथ बाहर की तरफ निकले हुए क्लिट के दाने को भी रगड़कर अपनी गर्मी शांत करने की कोशिश कर रही थी।
लेकिन जगदीश राय और निशा में से किसी का भी ध्यान उसकी तरफ नहीं था, वो दोनों तो बुरी तरह से एक दूसरे को चोदने में लगे हुए थे
जगदीश राय भी अपनी पागल सी हुई जा रही बेटी को इस तरह से चोदकर बावला हुए जा रहा था, और वो इस मौके का भरपूर फायदा उठा रहा था....
आख़िरकार ज़ोर-2 से चिलाते हुए निशा झड़ गयी ...
निशा: ''आआआआआआआआहह ओह माय गॉड ................ पापा ..................... आई एम कमिंग ..................''
जगदीश राय भी चिल्लाया : "मैं भी आआआआआआय्य्ाआआआआ... मेरी ज़ाआाआआनन्न....''
निशा : "अंदर ही निकालो .............पापा............. आज मेरे...................... अंदर ही निकााआआाआल्लो....
लेकिन यहाँ ना तो कंडोम लगाने का टाइम था और ना ही जगदीश राय ने कुछ समझदारी दिखाई....और उपर से निशा खुद ये बात बोल रही थी की उसके रस को अंदर ही निकाले....क्या वो प्रेगञेन्ट होना चाहती है....ये बात आशा को परेशान कर रही थी.
निशा ने भी ऐसा कुछ नही सोचा था....लेकिन इस मौके पर आकर वो एक बार अपने अंदर तक अपने पापा के प्यार को महसूस करना चाहती थी...इसलिए उसने एक सेकेंड में ही ये सोच लिया की आज जो हो रहा है, होने दो...बाद में टेबलेट ले लेगी...
जगदीश राय ने भी एक सांड की तरह हुंकारते हुए अपने लंड का सारा पानी अपनी प्यारी बेटी की चूत के अंदर निकाल दिया....
''आआआआआआआआआआअहह मेरी ज़ाआाआआआअन्न् ......ये ले......................''
जगदीश राय ने अपनी प्यारी बेटी के लिए सहेज के रखा हुआ प्रेम रस पूरी तरह से उसकी प्यासी चूत
मे उडेल दिया , अपनी बाल्स को पूरी तरह से खाली कर दिया उसने..
निशा की चूत ने भी जगदीश राय के लंड को किसी वेक्यूम क्लीनर की तरह चूस डाला और पूरी तरह से तृप्त होकर पस्त हो गयी.
और फिर गहरी साँसे लेता हुआ उसके मुम्मों पर सिर रखकर लेट गया...उसका लंड अपने आप फिसलकर बाहर निकल आया...और पीछे से निकला दोनो के प्यार का मिला जुला पानी में लिपटा सफ़ेद जूस...
आशा ने जो आज देखा था उसे सोचकर उसका पूरा शरीर गर्म सा हो रहा था....वो भी कुछ देर में इसी लंड से गांड मरवाएगी ...और उसका भी ऐसे ही पानी निकलेगा...वो भी मज़े लेगी...वो भी चिल्लाएगी....ये सब सोचते-सोचते वो मुस्कुरा दी।
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